Medi-India Systems & Services

Medi-India Systems & Services Medical equipment & Accessories

19/03/2022

We are hiring Sales Executives and Service engineers for the different cities of Rajasthan.

Basically we need people for the Sales,Service and Application of Ultrasound or Sonography machines.

Do let us know if you are interested.

FYI

22/10/2021
17/10/2021

डेंगू के बारे में चंद बातें

डेंगू एक संक्रामक रोग है जिसका संक्रमण एक मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर को एडीस एजिप्टी या टाइगर मस्किटो के नाम से जाना जाता है। टाइगर मच्छर इसलिए क्योंकि इस मच्छर के काले शरीर पर सफेद धारियां होती हैं।

यह मच्छर दिन में काटता है। यह मच्छर अक्सर मानव आबादी के आसपास पानी के कृत्रिम स्रोतों और अन्य जगहों जैसे टिन, टूटी बोतलों, गमलों, नारियल के खोपों, मिट्टी के टूटे बर्तनों, पेड़ों के खोखले तनों, कूलरों, पानी की टँकी, पक्षियों के लिए रखे पानी के बर्तन आदि में इकट्ठे हुए साफ पानी में पनपता है।

यह मच्छर लम्बी दूरी की उड़ान भी नहीं भरता। अपने स्रोत से अधिक से अधिक 100 मीटर से ज्यादा नहीं जाता है। अगर हम अपने आसपास के 300-400 मीटर के क्षेत्र से मच्छरों के पनपने के स्थान हटा दें तो यह मच्छर हमें हानि नहीं पहुंचा सकता।

जब यह मच्छर किसी डेंगू पीड़ित इंसान को काटता है तो इसके अंदर डेंगू का वायरस चला जाता है और यह वायरस से संक्रमित हो जाता है। फिर यही मच्छर किसी स्वस्थ इंसान को काटता है तो यह वायरस उस स्वस्थ इंसान के अंदर जाकर उसे बीमार कर देता है। एक बार मच्छर वायरस से संक्रमित हो गया तो यह जब तक जीवित रहता है तब तक संक्रमित रहता है और डेंगू फैलाता रहता है। यह मच्छर 16 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में सबसे अधिक फलता फूलता है। यानी साल के इन्हीं दिनों में जब तापमान मध्यम रहता है।

डेंगू के तीन रूप होते हैं। डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। इसके अलावा वायरस से संक्रमित लोगों की सबसे बड़ी संख्या किसी भी तरह के लक्षण से मुक्त होती है। अधिकतर लोगों में यह संक्रमण बहुत हल्का होता है। फिर उससे कम लोगों में डेंगू बुखार होता है और उससे कम लोगों में डेंगू हेमरेजिक बुखार और सबसे कम लोगों में डेंगू शॉक सिंड्रोम।

इन सबमें सबसे खतरनाक होता है डेंगू शॉक सिंड्रोम जो 2 से 4 प्रतिशत संक्रमित लोगों में ही होता है। इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं मोटे लोग, वृद्ध, नवजात शिशु, गर्भवती महिलाएं, पेट में अल्सर वाले रोगी, मासिक धर्म के दौरान महिलाएं, जिनको खून बहने सम्बन्धी कोई बीमारी हो, जन्मजात हृदय रोग हो, डायबिटीज, हाइपर टेंशन, दमा, हृदय रोग, किडनी की लम्बी बीमारी, लिवर सिरोसिस हो या फिर व्यक्ति स्टेरॉयड या दर्द निवारक दवाएं ले रहा हो।

इस बीमारी के लक्षण क्या होते हैं? सबसे पहले तो किसी भी अन्य वायरस के संक्रमण जैसा वायरल बुखार होगा। साथ में शरीर पर लाल निशान भी हो सकते हैं। नाक बहना, गले में और पेट में परेशानी हो सकती है। क्लासिकीय डेंगू बुखार सभी उम्र के स्त्री पुरुषों में हो सकता है। बच्चों में इसकी गंभीरता कुछ कम होती है।

एकदम से कंपकंपी के साथ तेज बुखार होगा, तेज सर दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में इतना तीखा दर्द होता है कि शरीर को हिलाना मुश्किल हो जाता है। 24 घण्टे के अंदर आंखों के पीछे दर्द शुरू हो जाता है और तेज रोशनी से परेशानी होने लगती है। बहुत अधिक कमजोरी, कब्ज, जीभ के स्वाद का बदल जाना, पेट में दर्द, उल्टियां होना, जी मितलाना, गला खराब हो जाना इसके अन्य लक्षण हैं। 80 फीसदी मरीजों में त्वचा पर लाल निशान नजर आने लगते हैं। बुखार प्रायः 5 से 7 दिन तक रहता है। इसके बाद अधिकतर मरीज ठीक हो जाते हैं।

इसका दूसरा और गम्भीर रूप है डेंगू हेमरेजिक बुखार। यह तीन फेजों में होता है। पहला फेज है बुखार वाला। यह 4 से 6 दिन तक रहता है। इसमें डेंगू बुखार के सभी लक्षण होते हैं। डेंगू हेमरेजिक बुखार डेंगू बुखार से अलग इस रूप में होता है कि हेमरेजिक बुखार में खून का रिसाव शुरू होने लगता है।
दूसरा फेज होता है क्रिटिकल फेज। इसमें शरीर का तापमान कम हो जाता है। लेकिन प्लेटलेट्स कम होने से खून का रिसाव बढ़ता रहता है। ख़ून का रिसाव चमड़ी के नीचे या शरीर के किसी और हिस्से जैसे नाक, मुंह, मसूड़ों और आँत से भी हो सकता है। ज्यादा खून का रिसाव होने पर ब्लड प्रेशर कम होता जाता है, नब्ज़ तेज चलने लगती है। इसके अलावा फेफड़ों तथा पेट में पानी भरने लगता है, लिवर का आकार बढ़ जाता है। इसके बाद अगर मरीज बच जाता है तो फिर वह रिकवरी फेज में जाकर ठीक होने लगता है।

डेंगू गंभीर रूप धारण तब कर लेता है जब या तो बहुत ज्यादा खून का रिसाव होने से ब्लड प्रेशर इतना कम हो जाए कि मरीज शॉक में चला जाए या फिर शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बन्द करने लग जाएं। ऐसे में मरीज का बचना बहुत मुश्किल हो जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि डेंगू में प्लाज्मा और खून का रिसाव क्यों होता है।
इसका कारण है कि डेंगू के दौरान शरीर में खून का थक्का बनाने वाले बिम्बाणुओं यानी प्लेटलेट्स की मात्रा कम होने लगती है। प्लेटलेट्स का नाम आने पर अब यहां एक समस्या उत्पन्न हो जाती है। इससे सम्बंधित अफवाहें बहुत उड़ती हैं, जिनमें कुछ डॉक्टर भी लोगों को गलत जानकारी देते हैं कि प्लेटलेट्स कम हो गए हैं तो खतरा है। लेकिन असल में होता क्या है?

होता यह है की प्लेटलेट्स किसी जगह चोट लगने पर खून का बहना रोकते हैं। अगर इनकी संख्या कम हो जाए तो खून का बहना रुकेगा नहीं या फिर देर से रुकेगा। ज्यादा खून बहने या फिर प्लाज्मा निकल जाने से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और मरीज शॉक में चला जाता है, फिर बेहोशी आ जाती है और इलाज नहीं मिला तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
अब सवाल यह है कि कितने प्लेटलेट्स कम होने पर हम खतरा मानेंगे?

आमतौर पर किसी व्यक्ति में प्लेटलेट्स की संख्या डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख प्रति माइक्रो लीटर होती है। लेकिन अगर यह डेढ़ लाख से कम हो कर 50000 तक भी आ जाए तो भी घबराने की बात नहीं होती। अगर 50000 से कम होकर 25000 तक भी कम हो जाए तब भी मरीज को कुछ दिन निगरानी में रखने से ठीक हो जाता है। अगर प्लेटलेट्स 25000 से कम हो जाए हैं तब हम कहते हैं कि अब बहुत खतरा है और मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है। अगर प्लेटलेट्स 15000 से भी कम हो जाएं तो चढाने की जरूरत पड़ सकती है। तो समस्या यहां प्लेटलेट्स की कमी नहीं है बल्कि इसकी बहुत अधिक कमी की वजह से खून का रिसाव होना है। सबसे बड़ा खतरा जो डेंगू में आ सकता है वह है ब्लड प्रेशर का इतना कम हो जाना कि मरीज की जान को खतरा हो जाए। यहां एक बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि प्लेटलेट्स सिर्फ डेंगू में कम नहीं होते हैं। कुछ अन्य बीमारियों जैसे चिकनगुनिया, खसरा, छोटी माता, मौसमी वायरल बुखार, टाइफाइड बुखार और स्क्रब टायफस में भी कम हो जाते हैं। इसलिए सिर्फ प्लेटलेट्स कम होने को हम डेंगू नहीं कहेंगे और न ही प्लेटलेट्स कम होने पर हर मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत होती है।

कोई बुखार डेंगू है या नहीं यह फैसला डॉक्टर अपने अनुभव, मरीज के लक्षणों और डेंगू की जांच के द्वारा करता है।
इसका इलाज क्या होना चाहिए?
अगर मरीज को साधारण बुखार है, सर्दी जुकाम है या शरीर में व सर में दर्द है तो सिर्फ बुखार उतारने की पेरासिटामोल दवा देनी चाहिए। अगर हेमरेजिक बुखार या शॉक सिंड्रोम के लक्षणों के बिना डेंगू बुखार है तब भी सिर्फ पेरासिटामोल काफी है। इसके अलावा और कोई दर्द निवारक दवा नहीं लेनी चाहिए क्योंकि उन दवाओं से खून का रिसाव ज्यादा हो सकता है। पेरासिटामोल के अतिरिक्त कोई भी दवा खुद नहीं लेनी चाहिए बल्कि पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। पेरासिटामोल भी बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं लेनी चाहिए। बल्कि डॉक्टर से इसकी डोज के बारे में सलाह ले लेनी चाहिए। साथ में संतुलित भोजन, आराम और काफी मात्रा में पेय पदार्थ लेने चाहिए, खासतौर पर निम्बू पानी। लेकिन अगर बुखार बिल्कुल भी नहीं उतर रहा है तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स 50000 से कम हो जाएं तो डॉक्टर मरीज को निगरानी में रखेगा। और अगर ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाता है, प्लेटलेट्स 25000 से भी कम हो जाते हैं, खून का रिसाव शुरू हो जाता है तो डॉक्टर मरीज को अस्पताल में भर्ती कर लेता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की कोशिश करता है। प्लेलेट्स की जरूरत होने पर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाता है। जरूरत पड़ने पर ग्लूकोज भी चढाता है। लेकिन एक बात और ध्यान रखनी चाहिए कि हर मरीज को ग्लूकोज की बोतल चढ़ाने की जरूरत नहीं होती। अगर मरीज मुंह से कुछ नहीं ले पा रहा है, ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा कम हो गया है, मरीज बेहोशी की हालत में है तो ग्लूकोज चढ़ाया जाता है।
डेंगू की रोकथाम में लिए हमें क्या करना चाहिए?
सबसे जरूरी है कि अपने आसपास एडीस मच्छरों के पनपने के स्थान नष्ट किये जाएं। जितनी भी जगहें हैं जहाँ पानी इकट्ठा हो सकता है, उनको खत्म किया जाए। जहां पानी इकट्ठा है उसे वहां से साफ किया जाए। गड्ढों को भर दिया जाए। कूलरों का पानी जल्दी जल्दी बदल दिया जाए। गमलों में, पेड़ों के खोखले तनों में पानी इकट्ठा न होने दिया जाए। पानी की टँकीयों को ढंक कर रखा जाए। यह मच्छर दिन में काटता है, इसलिए इस दौरान पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनने चाहिए। पैरों में मौजे और जूते पहनें। मच्छरों को खत्म करने की दवाई का छिड़काव किया जाना चाहिए। बुखार होने पर खुद इलाज करने की बजाए तुरन्त डॉक्टर को दिखाएं।

डॉ नवमीत

06/06/2021

दही (curd ,yogurt)
दही सबसे पहले टर्की में बना था।
भारत में अधिकांश भैंस के दूध का दही खाया जाता है
रूस में भेड़ बकरी,मेर(mare), याक (yak) के दूध का
यूरोप अमेरिका में गाय के दूध का दही बनाया जाता है।
नोट:- अमेरिका व यूरोप में गाय माता नहीं ,पालतु पशु है।
दही में लैक्टिक एसिड बैक्टिरिया ( lactobacillus) होते हैं जो #प्रोबायोटिक्स(probiotics) की तरह ही लाभदायक होते हैं।यह एंटिआक्सिडेंट व एल्केलाइन फूड है।तासीर ठंडी है।
दही दूध का लैक्टिक किण्वन(fermentation process) ) है जो वरसेटाइल व स्वास्थ्य को बढावा देने वाला भोजन है।दही में पाए जाने वाले प्रोटीन दूध के प्रोटीन से ज्यादा सुपाच्य होते हैं। एक घंटे मे़ दूध की जितनी मात्रा का 32% डाइजेस्ट होता है,उतनी ही मात्रा के दही का 91% डाइजेस्ट हो जाता है।इसलिए बच्चों,बुजुर्गों व संवेदनशील पाचनतंत्र वाले लोगों के लिए आदर्श आहार है।दही बनाने की प्रक्रिया के दोरान बैक्टिरिया दूध को दही में बदल देते हैं और दूध के प्रोटीन को पचा लेते हैं( pre digest milk protein)।ये बैक्टिरिया तब आंतों के अंदर हानिकारक या बिमारी पैदा करने वाले बैक्टिरिया को बढने से रोकते हैं और पाचन के लिए आवश्यक लाभकारी बैक्टिरिया की संख्या में वृद्धि करते हैं।ये अनुकुल या लाभकारी बैक्टिरिया(health friendly) खनिजों के अवशोषण (minrals absorption) व विटामिन्स के संश्लेषण में सहायक होते हैं।
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दही के फायदे
१. पेट में गैस:- हाइड्रोक्लोरिक एसिड,पेप्सिन और रेनिन के स्राव में मदद करके पेट में सूखापन व गैस को कम करता है।दही ,दूध व छाछ प्राकृतिक एंटासिड(antacid) होते हैं।
२. संक्रमण( infection) ,सूजन( inflammation) को जन्म देने वाले रोगाणु(germs) जो एपेंडिसाइटिस,दस्त,पेचिश(dysentery) जैसे का कारण बनते हैं दही व छाछ में पाए जाने वाले लैक्टिक एसिड की उपस्थिति में पनप नहीं सकते।दही आंतों को स्वस्थ ( ) रखता है और शरीर को संक्रमित होने से बचाता है।
३.अनिद्रा:-दही ,छाछ अनिद्रा के इलाज में फायदेमंद हैं।
४.दीर्घायु:-प्रीम्येच्यौर ओल्ड एज व डिके को रोकता है।
५.एंटिआक्सिडेंट:-दूध,दही,छाछ के नियमित प्रयोग से आंतों के मार्ग को स्वस्थ रखा जा सकता है।शरीर में धीरे धीरे जमा जहर(आक्सीडेंट) की प्रक्रिया को दही या दूध में उपस्थित कुछ एसिड के नियमित उपयोग से रोका जा सकता है।
६.हिपेटाइटिस व पीलिया:- दही या छाछ में लैक्टिक एसिड ओरगेनिज्म अमोनिया बनने को रोकता है।दही या छाछ को शहद से मीठा कर लेना आदर्श भोजन है।
७.स्किन डिसआर्डर:-सोयारिसिस व एक्जिमा में दही उपयोग अच्छा रहता है।
८.पाचन:- दही में लाइव बैक्टिरिया(health friendly) होते हैं जिनका सेवन पाचन के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।प्रोबायोटिक, एंटीबायोटिक से जुड़ी दस्त व कब्ज जैसी समस्याओं के इलाज में मदद करते हैं।पेट की परेशानियां हों जैसे अपच,भूख न लगना तो दही का सेवन जरूर करें।
९. इम्यूनिटी या रजिस्टेंस पावर:- दही प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।प्रोबायोटिक वायरल संक्रमण से लेकर आंतों (intestine) से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोग की जाती है।ये सामान्य सर्दी से लेकर उसकी गंभीरता को कम करने में भी मदद कर सकते हैं।
१०. आस्टियोपोरोसिस:- इस बिमारी में हड्डियां कमजोर(bone density) हो जाती है़,जिसके कारण हड्डी में फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है।दही में फास्फोरस,कैल्सियम,प्रोटीन,पोटैशियम,विटामिन डी की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व है़। कैल्सियम हड्डियों,दांत,नाखुन को मजबूत बनाता है।
११. दिल के रोग:-बैड कोलेस्ट्रोल को बढने से रोकता है व गुड कालेस्ट्राल बढाता है जिससे रक्त का प्रवाह सुधरता है और शरीर में अतिरिक्त चर्बी नहीं जमती।दिल को स्वस्थ रखता है।बैड कोलेस्ट्रोल घटाकर हाई ब्लैड प्रेसर से बचाता है। इसमें मौजूद कैल्सियम शरीर में कार्टिसोल बनने से रोकता है जिससे मोटापा कम होता है।
१२.प्रेग्नेंट महिलाओं के ब्लडसेल्स और हिमोग्लोबिन नियंत्रित रखने में दही कारगर है।दही महिलाओं के लिए सबसे उत्तम भोजन है।वजाइना में इंफेक्शन होने से बचाव करता है।
१३.डायबिटिज में प्लेन दही बहुत फायदेमंद होता है।
१४. पाचन में अच्छा,मजबूत प्रतिरोधक क्षमता ,दिल के रोग व गूर्दे(kidney) की बिमारी को ठीक करने में, ,तनाव कम ,घबराहट छूमंतर करता ,एनर्जी बूस्टर।दही में प्रोटीन की भरपूर मात्रा पायी जाती है।यह भूख को नियमित रखने व वजन को नियंत्रित करने के लिए प्रोटीन का सेवन करें। 200 gm. दही मे लगभग 12 gm. प्रोटीन होता है।
इस तरह दही,दूध के मुकाबले कई ज्यादा फायदे पहुंचाता है।
100 gm दही में पाए जाने वाले पोष्टिक तत्व:-
पानी -89 gm
प्रोटीन -3.1gm
फैट- 4 gm
कार्बोहाइड्रेट-3 gm
कैल्सियम-149 mg
फास्फोरस-93 mg
आयरन,पोटैशियम,विटामिन A,C,B,D पाए जाते हैं।
दही में कैल्सियम दूध से ज्यादा होता है।
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--- ताजा दही का ही सेवन करें।दही में गुड़,मिश्री मिलाने से अच्छे बैक्टिरिया में वृद्धि होती है।
---- पैक्ड या पुराना या फ्रीज में रखने या नमक मिलाने से दही के अच्छे बैक्टिरिया कम या खत्म हो जाते हैं।
---- रात के समय दही नहीं खायें क्योंकि गले में खरास,सर्दी,जुकाम की परेशानी बढती है और म्यूकस ज्यादा मात्रा में बनने लगता है,पाचन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
---- सर्दी की समस्या हमेंशा बनी रहती है तो भी दही का सेवन नहीं करें।निमोनिया में दही ना दें।
-----उड़द की दाल के साथ दही खाने से यह जहर बन जाता है।
----- दही जमाने के लिए ताजा जामण( freshly cultured starter) प्रयोग में लें।
---- जो लोग लैक्टोज इनटोलरेंट होते हैं वो दही का प्रयोग करें ।दूध के सभी पोष्टिक तत्व दही से मिल जाते हैं।
---- गर्मियों में लू से बचने के लिए नाश्ते में दही लें।दही लू से बचाने में रामबाण है।
--- ज्यादा दही शरीर को नुकसान कर सकता है।आयरन व जिंक के अवशोषण को कम कर सकता है।

शरीर को स्वस्थ रखने में दही( super food) के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए ताजा शुद्ध दूध से घर पर जमाये हुए (home made) ताजा दही का नियमित उपयोग करें ।

01/05/2020

Need to attend service calls of various models of ultrasound machines as well as need to meet various customers to get information about their requirements.

17/02/2020

अपने सरदर्द की वजह पहचानिए।

12/08/2019

हार्ट - अटैक को कैसे पहचानें ?

03/08/2019

How to clean your Lungs from Ni****ne

02/05/2019
मखाना ( Fox Nut) *****************आप मखाने के चार दानों का सेवन करके शुगर से हमेशा के लिए निजात पा सकते है। इसके सेवन से...
16/04/2018

मखाना ( Fox Nut)
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आप मखाने के चार दानों का सेवन करके शुगर से हमेशा के लिए निजात पा सकते है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन बनने लगता है और शुगर की मात्रा कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे शुगर रोग भी खत्म हो जाता है।

सेवन की विधि
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अगर आप जल्द से जल्द मधुमेह को खत्म करना चाहते है तो सुबह खाली पेट चार दाने मखाने खाएं। इनका सेवन कुछ दिनों तक लगातार करें। इससे मधुमेह का रोग तेजी से खत्म होगा।

* दिल के लिए फायदेमंद
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मखाना केवल शुगर के मरीज के लिए ही नहीं बल्कि हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों में भी फायदेमंद है। इनके सेवन से दिल स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है।

* तनाव कम
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मखाने के सेवन से तनाव दूर होता है और अनिद्रा की समस्या भी दूर रहती है। रात को सोने से पहले दूध के साथ मखानों का सेवन करें।

* जोड़ों का दर्द दूर
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मखाने में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। इनका सेवन जोड़ों के दर्द, गठिया जैसे मरीजों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है।

* पाचन में सुधार
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मखाना एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो सभी आयु वर्ग के लोगों को आसानी से पच जाता है। इसके अलावा फूल मखाने में एस्‍ट्रीजन गुण भी होते हैं जिससे यह दस्त से राहत देता है और भूख में सुधार करने के लिए मददगार है।

* किडनी को मजबूत
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फूल मखाने में मीठा बहुत कम होने के कारण यह स्प्लीन को डिटॉक्‍सीफाइ करता है। किडनी को मजबूत बनाने और ब्‍लड को बेहतर रखने के लिए खानों का नियमित सेवन करें।

तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगने वाला मखाना पोषक तत्वों से भरपुर एक जलीय उत्पाद है।

गन्ने  के  रस  के  लाभ*********************1. गन्ने का रस पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता हैं। यह हार्ट की बीमारियों से...
16/04/2018

गन्ने के रस के लाभ
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1. गन्ने का रस पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता हैं। यह हार्ट की बीमारियों से बचाने में मदद करता है।

2. इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।

3. इसमें सुक्रोज़, ग्लूकोज़ होता है। कमजोरी दूर होती है, तुरंत एनर्जी मिलती है।

4. इसे पीने से फैट बर्निंग प्रोसेस तेज होती है। इससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।

5. इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। यह सर्दी-जुकाम जैसे इन्फेक्शन से बचाने में मदद करता है।

6. इसे पीने से बॉडी में नमी बनी रहती है। यह स्किन, बालों हेल्दी रखने में इफेक्टिव है।

7. इसमें आयरन होता हैं। यह खून की कमी (एनीमिया) से बचाने में मदद करता है।

8. इसमें एंटी कार्सिनोजेनिक एलिमेंट्स होते हैं। यह कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने में इफेक्टिव है।

9. इसमें मैग्नीशियम होता है। इसे पीने से बदन दर्द से राहत मिलती है।

10. इसमें फॉस्फोरस होता है। इससे दांत मजबूत होते हैं। यह मसूड़ों की तकलीफ से बचाने में मदद करता है।

Address

Jaipur
302015

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Tuesday 10am - 7pm
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