Rajdeepak Astroworld Modren Science Of Astrology

Rajdeepak Astroworld Modren Science Of Astrology The Best Solution To Solve Your Life Problems By Red Book Magical Remedies..

16/01/2023

सुनहला रत्न के चमत्कारी फायदे ?

• सुनहला रत्न ज्ञान और समृद्धि के ग्रह से संबंधित होने के कारण सुनहला रत्न करियर और व्‍यापार में लाभ देता है।

• यदि आपको बिजनेस में घाटा हो रहा है, बेवजह खर्चे होते रहते हैं और निवेश से भी लाभ नहीं मिल पा रहा है तो सुनहला रत्न आपके दिन बदल सकता है।

• सुनहला रत्न को पहनने से आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होती है जिससे धारणकर्ता अपनी सूझ-बूझ से सही निर्णय लेकर आर्थिक तंगी से निकलने में सफल होता है।

• सुनहला रत्‍न व्‍यक्‍ति की सीखने की क्षमता को भी बढ़ाता है और इस स्‍टोन को पहनने से व्‍यक्‍ति के सोचने समझने की शक्ति बढ़ती है ।

• छात्रों के लिए सुनहला को बहुत लाभकारी माना जाता है। रिसर्च करने वाले लोगों और सरकारी नौकरी एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले लोगों को सुनहला रत्न पहनने से अपने लक्ष्‍य को पाने में मदद मिलती है।

• सुनहला रत्न संबंधों को भी मजबूत करने की शक्‍ति रखता है। इस रत्‍न को पहनने से संबंधों के बीच के मन मुटाव को खत्‍म करने में मदद मिलती है। जिन विवाहित जोड़ों को संतान प्राप्‍ति में दिक्‍कत आ रही है, उन्‍हें सुनहला पहनने से लाभ होता है।

• सुनहला रत्न पहनने से स्वास्थ्य से जुड़ी हुई समस्या भी जल्द ही समाप्त हो जाती है इस प्रकार से स्वास्थ्य के लिए सुन्हला रत्न अत्यधिक प्रभावशाली होता है ।

• सुनहला रत्‍न आत्‍म-सम्‍मान को बढ़ाता है और व्‍यक्‍ति को पॉजीटिव बनाता है। इससे जातक के शरीर में एनर्जी बढ़ती है। सुनहला रत्न पाचन में सुधार करता है और शारीरिक शक्‍ति को बढ़ाता है।

• सुनहला रत्न का संबंध धन लाभ से भी है। यह चमत्‍कारिक रत्न धन को आकर्षित करने का काम करता है।

• सुनहला रत्न शरीर को ऊर्जा को बढ़ाता है। यह व्‍यक्‍ति के आसपास फैली नकारात्‍मक ऊर्जा को खत्‍म करता है।

• मेडिटेशन, मानसिक जागरूकता और आध्‍यात्‍मिक विकास में यह रत्‍न बहुत लाभकारी होता है।

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सुलेमानी हकीक काले जादू और बुरी नज़र से आपकी रक्षा करता है। अगर आपको करियर या व्‍यापार में किसी भी तरह की परेशानी आ रही ...
16/01/2023

सुलेमानी हकीक काले जादू और बुरी नज़र से आपकी रक्षा करता है। अगर आपको करियर या व्‍यापार में किसी भी तरह की परेशानी आ रही है तो आपको सुलेमानी हकीक जरूर धारण करना चाहिए। इस रत्‍न को धारण करने के बाद आपके अन्दर आकर्षण पैदा होने लगता है और लोग आपको महत्‍व देते हैं।
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04/01/2018

अनेक व्यक्ति किसी पत्रिका, अख़बार व टीवी चैनल पर देखकर ज्योतिषीय उपाय करते है, जो अनेक बार अनजाने मे उनके व उनसे जुड़े व्यक्तिओ का जीवन कठिनाई मे डाल देता है.. जैसे :...

1. व्यक्तिओ की कुंडली मे ग्रहो की स्थापना एक दूसरे व्यक्ति से भिन्न होती है इसलिए कभी भी कुंडली के उच्च के ग्रहों से सम्बंधित वस्तुओ का दान नहीं करना चाहिए और नीच ग्रहों की पूजा नहीं करनी चाहिए।

2. कुछ लोग वार के अनुसार वस्त्र पहनते हैं, यह हर किसी के लिए सही नहीं होता है। कुंडली में जो ग्रह अच्छे हैं उनके वस्त्र पहनना शुभ है लेकिन जो ग्रह शुभ नहीं हैं उनके रंग के वस्त्र पहनना गलत हो सकता है।

3. कई बार किसी से सलाह लिए बिना कुछ लोग मोती पहन लेते हैं, यह गलत है अगर कुंडली में चन्द्रमा नीच का है तो मोती पहनने से व्यक्ति अवसाद में आ सकता है।

4. अक्सर देखा गया है कि किसी की शादी नहीं हो रही है तो ज्योतिषी बिना कुंडली देखे पुखराज पहनने की सलाह दे देते हैं इसका उल्टा प्रभाव होता है और शादी ही नहीं होती। या दांपत्य जीवन मे परेशानी होती है. जब कुंडली में गुरु नीच का, अशुभ प्रभाव में, अशुभ भाव में हो तो पुखराज कभी भी नहीं पहनना चाहिए।

4. अनेक बार कुछ ज्योतिषी मांगलिक व्यक्तिओ को मूंगा रत्न पहनने की सलाह दे देते हैं परन्तु जब कुंडली में मंगल नीच का, अशुभ प्रभाव में, अशुभ भाव में हो तो मूंगा कभी भी नहीं पहनना चाहिए।

5. कई लोग घर में मनी प्लांट लगा लेते हैं यह सुनकर कि इससे घर में धन वृद्धि होगी लेकिन तथ्य तो यह है कि अगर बुध खराब हो तो घर में मनी प्लांट लगाने से घर की बहन-बेटी दुखी रहती हैं।

6. कैक्टस या कांटे वाले पौधे घर में लगाने से शनि प्रबल हो जाता है अतः जिनकी कुंडली में शनि खराब हो उन्हें ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए।

#राजदीपक_ज्योतिषसंसार

04/01/2018
04/01/2018

◆जानिए, कौन सी दस समस्याओं से आपकी रक्षा करते हैं, हनुमानजी●●●

◆सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥
अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते हैं, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।

◆हिन्दू धर्म के सबसे जाग्रत और सर्वशक्तिशाली देवताओं में हनुमानजी की कृपा जिस पर बरसरना शुरू होती है उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। दस दिशाओं और चारों युग में उनका प्रताप है। जो कोई भी व्यक्ति उनसे जुड़ा समझों उसका संकट कटा। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।

◆हनुमानजी इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम हैं। बहुत से लोग किसी बाबा, गुरु, अन्य देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं, क्योंकि वे हनुमानजी की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। हनुमानजी की भक्ति और हनुमान चालीसा पढ़ने से व्यक्ति खुद को इन 10 तरह की बाधाओं से बचा लेता है।

1. भूत-पिशाच :भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥ अर्थ : जहां महावीर हनुमानजी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते। जिसे किसी अनजान शक्ति या भूत पिशाच आदि से डर लगता है वे हनुमानजी का बस नाम ही जपते रहेंगे तो भय‍मुक्त हो जाएंगे।

◆भूत-पिशाच जैसी ऊपरी बाधाओं से परेशान व्यक्ति को बजरंगबाण का पाठ करना चाहिए और नित्य या मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को अगरबत्ती लगाना चाहिए।

◆फैक्ट्री या व्यवसाय-स्थान आदि पर भूत-प्रेतों का साया न पड़े, इसके लिए अपने-अपने प्रतिष्ठानों के ऊपर हनुमान ध्वज (झंडा) लगाना चाहिए। यह ध्वज लाल कलर का हो। बुरी आत्माओं का प्रवेश घर में न हो, इसके लिए द्वार पर सिंदूर से राम-राम लिखकर 7 बिंदु लगा दे जिससे आपका घर सुरक्षित रहेगा। मकान के आसपास शमशान हो या कोई खंडहर भवन हो तो ऐसे में मकान के ऊपर हनुमत-ध्वज की स्थापना कर देनी चाहिए।

◆भयमु‍क्त जीवन :यदि आप अंधेरे, भूत-प्रेत से डरते हैं या किसी भी प्रकार का भय है तो आप 'हं हनुमंते नम:' का रात को सोने से पूर्व हाथ-पैर और कान-नाक धोकर पूर्वाभिमुख होकर 108 बार जप करके सो जाएं। कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे आपमें निर्भीकता का संचार होने लगेगा।

2. शनि और ग्रह बाधा : जिसे लगाता है कि उसको शनि या अन्य किसी ग्रह की बाधा है, साढ़े साती, अढ़ाय्या या राहु की महादशा चल रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं। जिन पर हनुमानजी की जिस पर कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी बाल बांका नहीं कर सकते। आप प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाएं।

◆पहला कारण : चंद्रमा को हनुमानजी ने शनि से बचाया था तो वे चंद्रशेखर कहलाए थे। एक बार रामजप में बाधा डालने के कारण शनिदेव को हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लपेट लिया था और अपना रामकार्य करने लग गए थे।

◆इस दौरान शनिदेव को कई चोटे आई। बाद में जब हनुमानजी को याद आया तो उन्होंने शनिदेव को मुक्त किया। तब शनिदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने कहा कि आज के बाद में रामकार्य और आपके भक्तों भक्तों के कार्य में कोई बाधा नहीं डालूंगा। एक बार हनुनामजनी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था तब शनि भगवान ने वचन दिया था कि मैं आपके किसी भी भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखूंगा।

◆दूसरा कारण : पराशर संहिता में हनुमानजी की शादी का उल्लेख है। माना जाता है कि हनुमानजी का विवाह सूर्य की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। आंध्रप्रदेश के खम्मम में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की भी मूर्ति विराजमान है। शास्त्रों में शनि महाराज को सूर्य का पुत्र बताया गया है। इस नाते हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला शनि महाराज की बहन हुई। और सबके संकट दूर करने वाले हनुमान जी भाग्य के देवता शनि महाराज के बहनोई हुए।

3. रोग और शोक : नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥

◆अर्थ : वीर हनुमानजी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है। यदि आपको शरीर में पीड़ा है या आप किसी रोग से ग्रस्त हैं तो आप हनुमान बाहुक का पाठ करें।

◆हनुमान बाहुक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित स्त्रोत है। जनश्रुति के अनुसार एकबार जब कलियुग के प्रकोप से उनकी भुजा में अत्यंत पीड़ा हुई तो उसके निवारण के लिए तुलसीदास जी ने इस स्त्रोत की रचना की।

◆यदि आप गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक शुभ मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें। हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी।

4. कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन से मुक्ति : हनुमानजी 'बंधी छोड़' बाबा है। उनके अलावा कोई अन्य बंदी छोड़ नहीं है। जो व्यक्ति नित्य सुबह और शाम हनुमान चालीसा पढ़ता रहता है उसे कोई भी व्यक्ति बंधक नहीं बना सकता। उस पर कारागार का संकट कभी नहीं आता। वह मानसिक रूप से भी बंधन से मुक्त हो जाता है।

◆यदि किसी व्यक्ति को अपने कुकर्मों के कारण कारागार (जेल) हो गई है, तो उसे संकल्प लेकर क्षमा-प्रार्थना करना चाहिए और आगे से कभी किसी भी प्रकार के कुकर्म नहीं करने का वचन देते हुए हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें। हनुमानजी की कृपा हुई तो कारागार से ऐसे व्यक्ति मुक्त हो जाते हैं।

◆इसके अलावा यदि आपका कोई केस कोर्ट में चल रहा है तो भी आप जीत जाएंगे। प्रति मंगलवार एवं शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर गुड़ और चना अर्पित करें और घर में सुबह-शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ करने के पहले और बाद में आधे घंटे तक किसी से बात न करें। जब 21 दिन पूरे हो जाएं तो हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। हनुमान जी की कृपा हुई तो आप निश्‍चित ही कोर्ट से बरी हो जाएंगे।

5. मारण-सम्मोहन-उच्चाटन : बहुत से व्यक्ति अपने कार्य या व्यवहार से लोगों को रुष्ट कर देते हैं, इससे उनके शत्रु बढ़ जाते हैं। कुछ लोगों को स्पष्ट बोलने की आदत होती है जिसके कारण उनके गुप्त शत्रु भी होते हैं। यह भी हो सकता है कि आप सभी तरह से अच्छे हैं फिर भी आपकी तरक्की से लोग जलते हो और आपके विरुद्ध षड्‍यंत्र रचते हो।

◆ऐसे समय में यदि आप सच्चे हैं तो श्रीबजरंग बाण आपको बचाता है और शत्रुओं को दंड देता है। बजरंग बाण से शत्रु को उसके किए की सजा मिल जाती है, लेकिन इसका पाठ एक जगह बैठकर अनुष्ठानपूर्वक 21 दिन तक करना चाहिए और हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि हनुमानजी सिर्फ सच्चे और पवित्र लोगों का ही साथ देते हैं। 21 दिन में तुरंत फल मिलता है।

6. घटना-दुर्घटना से बचना : घटना-दुर्घटना को राहु-केतु और शनि अंजाम देते हैं। जैसे अचानक आग लग जाना, आपकी गाड़ी का एक्सिडेंट हो जाना या किसी मुसीबत का अचानक आ जाना।

◆हनुमानजी आपको सभी तरह की घटना और दुर्घटना से बचा लेते हैं। इसके लिए आप सदा उनकी शरण में रहकर प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ते रहें। कभी कभी सुंदरकांड भी पढ़ें और बजरंग बाण भी। इसके अलावा साबर मंत्रों को भी ज्ञान प्राप्त कर लें।

◆हनुमान जी का शाबर मंत्र अत्यंत ही सिद्ध मंत्र है। इसके प्रयोग से हनुमानजी तुरंत ही आपके मन की बात सुन लेते हैं। यह मंत्र आपके जीवन के सभी संकटों और कष्टों को तुरंत ही चमत्कारिक रूप से समाप्त करने की क्षमता रखता है। हनुमानजी के कई शाबर मंत्र हैं तथा अलग-अलग कार्यों के लिए हैं।

7. मंगल दोष : बहुत से लोग मंगलदोष के भय से ग्रसित हैं। शादी के लिए मंगल को जिन स्‍थानों पर देखा जाता है वे 1,4,7,8 और 12 भाव हैं। ज्योतिषियों अनुसार इनमें से केवल आठवां और बारहवां भाव सामान्‍य तौर पर खराब माना जाता है। सामान्‍य तौर का अर्थ है कि विशेष परिस्थितियों में इन स्‍थानों पर बैठा मंगल भी अच्‍छे परिणाम दे सकता है। ऐसा माना जाता है कि 28 वर्ष की उम्र के बाद यह दोष समाप्त होना शुरू हो जाता है।

◆मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिंदूर से हनुमानजी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगली दोष शांत होता है। इसके अलावा लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल का अमंगल दूर होता है।

8 . कर्ज से मुक्ति : यदि किसी कारणवश आप कर्ज में डूब गए हैं या कर्ज से परेशान हैं तो हनुमान भक्ति से कर्ज से छुटकारा पा सकते हैं। कर्ज से मुक्त होना आसान नहीं लेकिन कठिन भी नहीं। हनुमानजी की कृपा हुई तो तुरंत ही इससे मुक्त हो जाएंगे।

◆मंगलवार का दिन हनुमानजी का माना जाता है। यह दिन कर्ज से मुक्ति के लिए सबसे उत्तम है। यदि किसी से कर्ज लिया है तो उसे मंगलवार के दिन चुकाने के बारे में सोचे। बुधवार और रविवार को कभी किसी को उधार न दें। मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमान मंदिर में नारियल रखना अच्छा माना जाता है।

◆ मंगलवार को इन चीजों के प्रयोग व दान का विशेष महत्व है- तांबा, मतान्तर से सोना, केसर, कस्तूरी, गेहूं, लाल चंदन, लाल गुलाब, सिन्दूर, शहद, लाल पुष्प, शेर, मृगछाला, मसूर की दाल, लाल कनेर, लाल मिर्च, लाल पत्थर, लाल मूंगा।

◆आटे के बने दीपक को बढ़ के पत्ते पर रखकर जलाएं। ऐसे पांच पत्तों पर पांच दीपक रखें और उसे ले जाकर हनुमानजी के मंदिर में रख दें। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार को करें।

◆शुक्लपक्ष के किसी मंगलवार की रात को हनुमानजी के मंदिर में दो दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें। पहला देसी घी का छोटा दीपक लगाएं। दूसरा 9 बत्तियों वाला एक बड़ा दीप लगाएं जिसमें सरसों का तेल हो और दो लोंग डाली गई हो और जो रातभर जलता रहे। छोटा दीपक आपके दाहिनी ओर रहेगा और बड़ा दीपक हनुमानजी के सामने। ऐसा आप पांच मंगलवार करें।

9 .नौकरी और रोजगार : आप बेरोजगार है या आपका व्यापार नहीं चल रहा है तो आप मंदिर में मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करें। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें और प्रति मंगालवार को हनुमानजी के मंदिर जाएं। हो सके तो पांच शनिवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। यदि यह संभाव नहीं हो तो पांच बार कभी भी किसी भी शनिवार को चोला चढ़ाएं।

◆आप अपने संस्थान में एक लाल कपड़े में नारियल को नाड़े से बंधकर एक ओर लटका दें। दूसर यदि आप नौकरी पाना चाहते हैं तो नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं, तो जेब में लाल रूमाल या कोई लाल कपड़ा रखें। संभव हो, तो शर्ट भी लाल पहनें। आप जितना अधिक लाल रंग का प्रयोग कर सकते हैं, करें। लेकिन यह याद रखें कि लाल रंग भड़कीला ना लगे सौम्य लगे।

10. तनाव या चिंता : बहुत से लोगों को अनावश्यक भय और चिंता सताती रहती है जिसके कारण वे तनाव में रहने लगते हैं। तनाव में रहने की आदत भी हो जाती है जिसके चलते व्यक्ति कई तरह के रोग से भी घिर सकता है।

◆ऐसे व्यक्ति को मन ही मन हनुमानजी के मंत्र 'ॐ हनुमते नम:' या 'ॐ हनुमंते नम:' का जप करते रहना चाहिए। रात में सोते समय उसे 108 बार इस मंत्र का जप करके सो जाना चाहिए और सुबह उठकर नित्यकर्म से निपटने के बाद एक आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करना चाहिए। धीरे-धीरे भय, चिंता, तनाव और आशंका मिटने लगेंगे।
#राजदीपक_ज्योतिषसंसार

26/09/2017

पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ? :-
क्यों पितृ दोष के उपाय करने के बाध भी परेशानियां कम नहीं होती ?
पितृदोष क्या है और इसका वास्तु से क्या संबंध है ? :-
जन्म कुंडली में पितृदोष होने के बाद हमारे घर में वास्तु दोष कहां उत्पन होता है, और कैसे इस वास्तु दोष को हटाकर हम पितृदोष के प्रभावों को 90% तक कम कर सकते हैं ?
सबसे पहले हम यह जानेंगे की पित्रदोष बनता कैसे हैं ? :-
सूर्य हमारे पितृ है, और जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ता है (तब सूर्य यानि की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है ) यानि की जब राहू सूर्य के साथ बैठा हो , या राहु पंचम भाव में हो , या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो , या पंचम भाव का उप नक्ष्त्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तब ऐसी परिस्थिति में पितृदोष उत्पन होता है |
ऐसा माना जाता है कि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है और उनका सही तरीके से श्राद ना किया गया हो तब उस परिवार में जन्म लेने वाले संतान में पितृ दोष आ जाता है ( खासकर पुत्र संतान मै ) जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है |
जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में है पूर्ण पितृदोष होता है उन्हें पुत्र संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है |
आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो कि मेडीकल के अनुसार स्वस्थ होते हैं लेकिन फिर भी संतान की प्राप्ति नहीं होती और डॉक्टर बताते हैं कि मेडिकल से उन्हें कोई परेशानी नहीं है फिर भी उन्हें संतान का सुख नहीं मिल पाता या कई लोगों के सिर्फ पुत्री ही होती हैं पुत्र धन की प्राप्ति नहीं हो पाता |
ऐसी परिस्थिति में उनकी कुंडली में पितृदोष जरूर होता है और उनके घर में ईशान कोण या नैत्रत्य कोण में शौचालय जरूर होता है |
कई बार पितृ दोष का प्रभाव इतना बढ़ जाता है व्यक्ति का सारा जमीन जायदाद एवं संपत्ति तक बिक जाता है और वह नई संपत्ति खरीद भी नहीं पाता|
आपने ऐसे कई लोगों को ऐसे देखा होगा या सुना होगा जो बहुत बड़े जमींदार होते थे उनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता था लेकिन आज उनके पास कुछ भी नहीं है यहाँ तक की अपना घर तक नहीं है इसका मुख्य कारन पितृदोष होता है |
अब हम यह जानेंगे की पितृदोष का वास्तु से क्या सम्बन्ध है, :-
घर में पितृ का स्थान दक्षिण और पश्चिम का कोना है यानी कि नैत्रत्य कोण है । जन्म कुंडली में जब भी पूर्ण पितृदोष बनता है यानी की राहु (जो की नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत्र है ) मजबूत हो जाता है, और जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में नकारात्मक उर्जा मजबूत होता है उस घर में भी उसका प्रभाव देखने को मिलता है
घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह ईशान कौन से होता है और नकारात्मक उर्जा का प्रवाह नैत्रत्य कोण से होता है , जब जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है यानी कि राहु मजबूत होता है ऐसी परिस्थिति में वह व्यक्ति जिस घर में रहता है उस घर के नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होता है
नैत्रत्य कोण के मुख्यतः वास्तु दोष निम्नलिखित हैं :-
नैत्रत्य कोण में शौचालय का होना , डस्टबिन का होना , नाली का होना , दक्षिण पश्चिम में गंदगी होना (जो की राहु की नकारात्मक उर्जा को 100 गुना बढ़ा देता है ),
दक्षिण पश्चिम में पृथ्वी की उर्जा होती है अगर यहां पर पेड़ - पौधे रखे हों या दीवार का रंग हरा हो तो भी पृथ्वी की उर्जा समाप्त हो जाती है जिससे भी यहाँ पर वास्तुदोष पैदा होते हैं ।
वैवाहिक जीवन पर प्रभाव :-
घर में नैत्रत्य कोण रिश्ते का स्थान भी है , और अगर यहां पर वास्तु दोष होता है तो वैवाहिक जीवन में बहुत सारी परेशानियां आती हैं यहां तक कि कई बार बात तलाक तक पहुंच जाती है और जिसका कोई खास वजह नहीं होता , अगर किसी व्यक्ति के घर में आपसी रिश्ते खराब हो और बिना किसी कारन के बार-बार झगड़े होते हैं तो नैत्रत्य कोण में वास्तु दोष जरूर होगा ।उचित उपाय से अवश्य समस्या का समाधान होता है।अपने घर के वास्तुदोष और कुंडली के पितृदोष को जानने और उसका सटीक समाधान पाने के आप मुझे संपर्क कर सकते है।

26/09/2017

1. मंगल को शुभ बनाने के लिए हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें.
2. मिट्टी के घड़े में गुड़ डालकर मंगलवार को सुनसान स्‍थान में रख आएं.
3. लाल रंग के वस्त्रों का ज्यादा उपयोग करें.
4. मंगलवार का व्रत रखें.
5. सिद्ध मंगल यंत्र धारण करें.

दूसरे भाव में मंगल
कुण्डली के दूसरे खाने में मंगल बैठा हो तो जातक 9 वर्षों तक रोग से पीड़ित रहता है. यदि जातक अपने भाइयों से छोटा है तो बड़े भाई की मृत्यु का योग बनता है. विवाहित जीवन में पति-पत्नी में आपसी क्लेश बना रहेगा. मंगल अशुभ हो तो जातक की मृत्यु लड़ाई-झगड़े में होने की आशंका रहती है.
उपाय और टोटके
1. दोपहर के समय बच्चों को फल बांटें.
2. मंगलवार का व्रत रखें.
3. लाल रूमाल सदैव अपने पास रखें.
4. सवा किलो या सवा पांच किलो रे‍वड़ियां बहते जल में प्रवाहित करें.
5. पांच छुहारे जल में उबालकर नदी में प्रवाहित करें.

तीसरे भाव में मंगल
कुण्डली में तीसरे खाने में मंगल बैठा हो तो जातक शराबी होता है. जातक चालबाज एवं धोखेबाज होता है. मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक ब्लड प्रेशर का रोगी हो सकता है. मंगल अशुभ होकर जातक की हत्या भी करवा सकता है. मंगल की अशुभता के कारण जातक अपना काम स्वयं बिगाड़ लेता है.
उपाय एवं टोटके
1. चापलूस मित्रों से दूर रहें.
2. साढ़े पांच रत्ती मूंगा (रत्न) सोने की अंगूठी में जड़वाकर मंगलवार के दिन धारण करें.
3. मूंगा धारण करने की शक्ति (क्षमता) न हो तो 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करें.
4. हाथी दांत से बनी वस्तुएं घर में न रखें.
5. चांदी की अंगूठी बाएं हाथ की उंगली में धारण करें.

चौथे भाव में मंगल
कुण्डली में चौथे खाने में मंगल बैठा हो तो जातक मांगलिक होता है. जातक संतानहीन हो सकता है. जातक रोग से पीड़ित रहता है. क्रोध के कारण स्वयं की हानि होती है. विवाह में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. जातक वृद्धावस्था में अंधा हो सकता है. मंगल चौथे खाने में हो और बुध 12वें हो तो जातक पूर्ण रूप से दरिद्र होता है.
उपाय एवं टोटके
1. त्रिधातु की अंगूठी धारण करें.
2. 'सिद्ध मंगल यंत्र' गले में अथवा दाहिने बाजू पर धारण करें. सिद्ध किया हुआ मंगल यंत्र शीघ्र शुभ फल प्रदान करता है.
3. देवताओं की मूर्तियां घर में स्‍थापित न करें.
4. अपने बिस्तर, तकिया आदि पर लाल रंग का कवर चढ़ाएं.

पांचवें भाव में मंगल
कुण्डली के पांचवें खाने (भाव) में मंगल बैठा हो तो जातक (जिसकी जन्म कुण्डली हो), पाप कर्म में लिप्त शराबी हो सकता है. जीवन में अनेक परेशानियां आएंगी. मिरगी का रोगी भी हो सकता है. जातक नेत्र रोगी भी हो सकता है. जातक की स्त्री गर्भस्राव रोग से परेशान हो सकती है.
उपाय एवं टोटके
1. रात को सिरहाने तांबे के लोटे में पानी भरकर रखें और सुबह उठकर उस जल को पीपल के वृक्ष की जड़ में डाल दें.
2. आंगन में नीम का पेड़ लगाएं.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' गले में धारण करें या सवा पांच रत्ती मूंगा की अंगूठी बनवाकर दाहिने हाथ की उंगली में मंगलवार के दिन धारण करें.
4. मंगलवार का व्रत रखें.
5. मंगलवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा बांटें.
6. वैदिक विधि से 'मंगल शांति पाठ' कराएं.

छठे भाव में मंगल
जिसकी कुण्डली में मंगल छठे भाव में होता है वैसा जातक बवासीर या ब्लडप्रेशर का रोगी हो सकता है. जातक कामुक स्वभाव होता है और पराई स्त्रियों पर बुरी नीयत रखता है. मंगल छठे भाव में हो और बुध आठवें भाव हो तो जातक की छोटी उम्र में ही उसकी माता का देहान्त हो जाने की आशंका रहती है. मंगल छठे और बुध 12वें भाव में हो तो जातक के भाई-बहनों की स्थि‍ति दयनीय होती है.
उपाय एवं टोटके
1. चार सूखे खड़कते ना‍रियल मंगलवार के दिन नदी में प्रवाहित करें.
2. मंगलवार के दिन हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाएं और पीले लड्डू का प्रसाद चढ़ाकर लोगों को बांटें.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करने से अशुभता का नाश होगा और शुभ फल मिलेगा.
4. हनुमान चालीसा या हनुमान स्त‍ुति बांटें.
5. कुंवारी कन्याओं का पूजन करें.

सातवें भाव में मंगल
कुण्डली के सातवें घर (भाव) में मंगल बैठा हो तो जातक की स्त्री क्रोधी स्वभाव की होगी. जातक स्वयं क्रोध के कारण अपना नुकसान कर लेता है. जातक प्राय: पुत्रहीन होता है. ऐसे जातकों की पराई स्त्री से संबंध होते हैं.
उपाय एवं टोटके
1. चांदी की ठोस गोली बनवाकर सदैव अपनी जेब में रखें.
2. मंगलवार के दिन लस्सी जरूर पियें.
3. लाल रूमाल अपनी जेब में रखें.
4. बहन को मंगलवार के दिन अपने हाथ से मिठाई खिलाएं.
5. 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करें.
6. हनुमानजी का व्रत रखें, हनुमान चालीसा बांटें.

आठवें भाव में मंगल
कुण्डली में आठवें भाव (घर) में मंगल बैठा हो तो मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक अल्प आयु वाला तथा दरिद्र होता है. जातक के लिए 28 वर्षों तक मौत का फंदा बना रहता है. मंगल आठवें भाव में हो और बुध छठे भाव में हो तो जातक की माता की मृत्यु जातक के बचपन में हो जाने की आशंका रहती है. जातक 'मर्डर केस' में फंस सकता है. जातक रोगी होता है.
उपाय एवं टोटके
1. विधवा स्त्री की सेवा करें.
2. चांदी की चेन धारण करें.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' जरूर धारण करें.
4. त्रिधातु की अंगूठी धारण करें.
5. हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा हनुमानजी के मंदिर में जाकर बांटें.
6. लाल रूमाल सदैव अपने पास रखें.

नौवें भाव में मंगल
कुण्डली में नवम् भाव में मंगल हो तो जातक क्रोधी स्वभाव का होता है. विद्या अधूरी रह जाती है. जातक झूठा होता है. ईमानदार हो फिर भी बदनामी मिलती है. जीवन के क्षेत्र में सफलता कम मिलती है. ऐसा जाकत स्त्री की कमाई पर जीवन-यापन करता है.
उपाय एवं टोटका
1. मंगलवार को 21, 51 या 101 हनुमान चालीसा बांटें.
2. मंगलवार को हनुमानजी को सिंदूर एवं लड्डू चढ़ाएं.
3. 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करें.
4. तांबे के सात चौकोर टुकड़े बनाकर मिट्टी के नीचे दबा दें.
5. प्रतिदिन 'हनुमान स्तुति' का पाठ करें.

दसवें भाव में मंगल
दसवें खाने में अगर मंगल बैठा हो तो जातक को चोरी के आरोप में जेल जाना पड़ सकता है. मंगल दसवें, सूर्य चौथे, बुध छठे खाने में हो तो जातक एक आंख का काना हो सकता है. मंगल के साथ कोई पापी ग्रह हो तो जातक बर्बाद हो जाता है. मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक 15 वर्ष तक बीमारी से पी‍ड़ित हो सकता है. उपाय
उपाय एवं टोटका
1. संतानहीन की सेवा करें.
2. घर में हिरण पालें.
3. मंगलवार को मीठा भोजन करें.
4. हनुमानजी को लड्‍डू चढ़ाएं.
5. मंगलवार को हनुमान चालीसा बांटें.

ग्‍यारहवें भाव में मंगल
मंगल ग्यारहवें भाव में हो तो जातक कर्जदार रहता है. जातक की संतान झगड़ालू होती है. जातक को मित्रों से धोखे मिलते हैं. शिक्षा में विघ्न बाधाएं उत्पन्न होती हैं. आजीविका के लिए कठोर संघर्ष करना पड़ सकता है.
उपाय एवं टोटका
1. बिना जोड़ वाला सोने का छल्ला धारण करें.
2. काला कुत्ता पालें.
3. केसर का तिलक लगाएं.
4. कर्ज से मुक्ति के लिए प्रभावकारी 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करें.
5. मंगल व्रत रखें और पीले लड्‍डू का प्रसाद बांटें.

बारहवें भाव में मंगल
कुण्डली में बारहवें भाव में अगर मंगल हो तो जातक को शत्रुओं से हानि की आशंका रहती है. लाभ से अधिक व्यय होगा. घर में चोरी होने का भय बना रहता है. पत्नी से अनबन की संभावना प्रबल रहती है. जातक संतानहीन हो सकता है.
उपाय एवं टोटका
1. चांदी की चेन धारण करें.
2. लाल रूमाल सदैव अपने पास रखें.
3. एक किलो पतासे मंगल के दिन बहते जल में प्रवाहित करें.
4. 'सिद्ध मंगल यंत्र' धारण करने से शुभ लाभ होगा.
5. तंदूर में मीठी रोटी सेंककर कुत्ते को खिलाएं.
6. साढ़े पांच रत्ती मूंगा सोने की अंगूठी में जड़वाकर धारण करें.
#राजदीपक_ज्योतिषसंसार_9646_297_297

26/04/2017

अलग अलग ब्लड ग्रुप के व्यक्ति का स्वभाव ....

ये हम सब जानतें है कि चार प्रकार के ब्लड ग्रुप होते हैं A, B, AB और O, जिन्हें A+, A- , B+ , B- , AB+, AB-, O+ और O- समूहों में बांटा गया हैl परन्तु आप इस बात से वाकिफ नहीं होंगे कि ये ब्लड ग्रुप हमारे स्वभाव के बारे में भी बताते हैंl

*क्या अपने कभी अपना ब्लड ग्रुप चेक करवाया है*, अगर नहीं तो करवा लें क्योंकि इस लेख के बाद आपको अपने आसपास के लोगों के बारे में और भी काफी जानकारी मिल जाएगीl वैज्ञानिक तौर पर भी यह प्रमाणित किया जा चुका है कि अगर व्यक्ति अपनी डाइट ब्लड ग्रुप के हिसाब से ले तो कम बिमारियों का शिकार होंगे और अंदरूनी तौर पर भी मजबूत रहेंगेl वास्तव में ब्लड ग्रुप के आधार पर लोगों की पर्सनालिटी को बताना जापानी ज्योतिष विद्या का हिस्सा है।
*सबसे पहले शुरू करते है O ब्लड ग्रुप से :*

*O+ ब्लड ग्रुप*
- इस ग्रुप के लोग दूसरों की मदद करने में विश्वास रखते हैंl
- इनका मन आईने की तरह साफ होता है और दूसरों की सहायता में यह अपना जीवन भी बिता सकते हैंl
- ये काफी मिलनसार और बातें करने वाले इंसान होते हैंl
- ये काफी हसमुख होते हैं और मस्त रहते हैंl
*खामियां*
- यह लोग नये विचारों को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते हैंl
- खुद के अलावा दुसरो को ज्यादा अहमियत नहीं देते हैंl
O+ ब्लड ग्रुपवाले लोग उन सभी को ब्लड दे सकते हैं, जिनका ब्लड ग्रुप पॉज़िटिव है और O+ ब्लड ग्रुपवाले O- ग्रुपवाले से ब्लड ले सकते हैंl

*O- ब्लड
- इस ग्रुप के लोग भी लोगो की मदद करने में विश्वास रखते हैंl
- वे मिलनसार और हसमुख होते हैं और इनकी सोच संकरी होती हैl
*खामियां*
- इस ग्रुप वाले लोग दूसरों के बारे में अधिक सोचते नहीं है क्योंकि खुद के अलावा दूसरों के बारें में इनको खयाल नही रहता हैl
- ये लोग नए विचारों को भी आसानी से स्वीकार नही कर पाते हैंl
- ये लोग बिना लाग-लपेट की बातें करते हैं इसलिए आलोचना के शिकार होते हैंl
O- ब्लड ग्रुपवाले लोगों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता हैl इस ग्रुप के लोग किसी भी ब्लड ग्रुप के लोगों को ब्लड दे सकते है परन्तु केवल O- ग्रुप से ही ब्लड ले सकते हैंl

*A+ ब्लड ग्रुप*
- इस ब्लड ग्रुप के लोगों में अच्छे लीडर होने के गुण होते हैं और अच्छी नेतृत्व क्षमता भी देखी जाती हैंl
- ये सबको साथ लेकर चलते हैंl
- सबका विश्वास भी हासिल करने में यकीन रखते हैंl
- ये लोग काफी बुद्धिमान होते हैंl
*खामियां*
- इस ग्रुप के लोग बिना लाग-लपेट की बातें करते हैं इसलिए आलोचना के शिकार होते हैंl
- इन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है परन्तु यह क्षणिक होता हैl
- बहुत खर्चीले होते हैंl
A+ और AB+ ग्रुपवालों को ब्लड दे सकते हैंl परन्तु क्या आप जानते उन्हें A, O+ और O- ब्लड चढ़ाया जा सकता हैl

*A-ब्लड ग्रुप*
- इस ग्रुप के लोग मेहनती होते हैं और इनको लगता है कि मेहनत से हर काम सफल होता हैl
- यह कठिन से कठिन काम करने में पीछे नहीं हटते हैं और लगातार काम करने से कोई परहेज़ भी नही करते हैंl
- कुछ भी काम करने से पहले प्लान करते हैं, इसीलिए सफल होते हैंl
- अन्दर से काफी मजबूत होते हैं और छवि भी आकर्षक होती हैl
*खामियां*
- इन लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है परन्तु यह क्षणिक होता हैl
- ये लोगों के बहकावे में जल्दी आ जाते हैंl
- ये लोग पैसे भी बहुत खर्च करते है l
A, AB+ और AB- ग्रुपवालों को ब्लड दे सकते हैं l परन्तु A और O- से ब्लड ले सकते है l
*B+ ब्लड ग्रुप*
- इस ग्रुप के लोग इमोशनल होते हैंl
- ये लोग दूसरों की मदद करने में पीछे नहीं हटते हैंl यहाँ तक की दूसरों के लिए बलिदान भी दे सकते हैंl
- रिश्तों को काफी अहमियत देते हैंl
- ये लोग काफी खुबसूरत और स्मार्ट होते हैंl
*खामियां*
- बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है परन्तु यह क्षणिक होता हैl
- पैसे बहुत खर्च करते हैं l
B और AB+ को ब्लड दे सकते हैंl परन्तु B, O+ और O- से ब्लड ले सकते हैंl
जानें दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र कहाँ स्थित है
*B-ब्लड ग्रुप*
- ये लोग खुबसूरत और स्मार्ट होते हैंl
- काफी मेहनती होते हैं और अपनी मेहनत से हर चीज पा लेते हैं।
खामियां
- इस ब्लड ग्रुप के लोगों की प्रवृत्ति ठीक नहीं मानी जाती हैंl
- ये लोग खुद के बारे में ही सोचते हैं, इसीलिए स्वार्थी होते हैंl
- इस ग्रुप के लोग किसी की सहायता करने में भी विश्वास नही रखते हैंl
B, AB+ और AB- को ब्लड दे सकते हैंl B और O- से ब्लड ले सकते हैं l

*AB+ ब्लड ग्रुप*
- इस ग्रुप के लोग जेंटलमेन और केयरिंग होते हैंl
- आमतोर पर रिज़र्व रहते हैंl
- बुद्धिमान भी होते हैंl
*खामियां*
- इस ब्लड समूह वाले लोगों को आसानी से समझा नहीं जा सकता है, क्योंकि इनकी प्रकृति कभी एक जैसी नहीं होती हैl
- अगर ये लोग किसी भी बात पर मन बना लेते है तो फिर बदलते नहीं हैl
इस ब्लड ग्रुप के लोगों को यूनिवर्सल रेसिपिएंट्स कहा जाता है, क्योंकि इन्हें किसी भी ग्रुप का ब्लड चढ़ाया जा सकता हैl ये AB+ को ही ब्लड दे सकते हैं l

*AB- ब्लड ग्रुप*
- इस ग्रुप के लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं और इनका दिमाग काफी तेज चलता हैl ये उन बातों को भी समझ जातें हैं जिन्हें लोग नज़रंदाज़ कर देते हैंl
*खामियां*
- इन लोगों के दोस्त बहुत होते हैं लेकिन ये जल्द किसी पर भरोसा नहीं करते हैंl
- अगर ये कोई निर्णय लेते है तो बार-बार नहीं बदलते हैंl
AB+ और AB- दोनों को ब्लड दे सकते है l A, B, AB और O- से ब्लड ले सकते हैं l
इस लेख से हमें यह जानकारी मिलती है कि कैसे ब्लड ग्रुप लोगों के स्वभाव को प्रभावित करता हैं और हम विभिन्न व्यक्तियों के ब्लड ग्रुप को जानकर बिना देखे ही उनके स्वभाव के बारे में अंदाज़ा लगा सकते हैl इसके अलावा आपको यह भी जानकारी प्राप्त हो गई होगी कि किस ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को किस ब्लड ग्रुप का ब्लड चढ़ाया जा सकता है l

04/04/2017

अंगारक योग

अंगारक योग की वैदिक ज्योतिष में प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में मंगल का राहु अथवा केतु में से किसी के साथ स्थान अथवा दृष्टि से संबंध स्थापित हो जाए तो ऐसी कुंडली में अंगारक योग का निर्माण हो जाता है जिसके कारण जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातकों के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ संबंध भी खराब हो जाते हैं। कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि किसी कुंडली में अंगारक योग बन जाने पर ऐसा जातक अपराधी बन जाता है तथा उसे अपने अवैध कार्यों के चलते लंबे समय तक जेल अथवा कारावास में भी रहना पड़ सकता है।

किन्तु यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि वास्तविकता में किसी जातक को अंगारक योग के साथ जोड़े जाने वाले अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब कुंडली में अंगारक योग बनाने वाले मंगल, तथा राहु अथवा केतु दोनों ही अशुभ हों तथा कुंडली में मंगल तथा राहु केतु में से किसी के शुभ होने की स्थिति में जातक को अधिक अशुभ फल प्राप्त नहीं होते और कुडली में मंगल तथा राहु केतु दोनों के शुभ होने की स्थिति में इन ग्रहों का संबंध अशुभ फल देने वाला अंगारक योग न बना कर शुभ फल देने वाला अंगारक योग बनाता है।
उदाहरण के लिए किसी कुंडली के तीसरे घर में अशुभ मंगल का अशुभ राहु अथवा अशुभ केतु के साथ संबंध हो जाने की स्थिति में ऐसी कुंडली में निश्चय ही अशुभ फल प्रदान करने वाले अंगारक योग का निर्माण हो जाता है जिसके चलते इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अधिक आक्रामक तथा हिंसक होते हैं तथा कुंडली में कुछ अन्य विशेष प्रकार के अशुभ प्रभाव होने पर ऐसे जातक भयंकर अपराधी जैसे कि पेशेवर हत्यारे तथा आतंकवादी आदि बन सकते हैं। दूसरी ओर किसी कुंडली के तीसरे घर में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा जिसके प्रभाव में आने वाले जातक उच्च पुलिस अधिकारी, सेना अधिकारी, कुशल योद्धा आदि बन सकते हैं जो अपनी आक्रमकता तथा पराक्रम का प्रयोग केवल मानवता की रक्षा करने के लिए और अपराधियों को दंडित करने के लिए करते हैं।
Rajdeepak astroworld...9646-297-297

26/03/2017

पिता सूर्य है माता चन्द्रमा है मंगल भाई है
बुध बहिन बुआ बेटी है
गुरु खुद जीव है
शुक्र जीवन साथी है
पुरुष के लिये स्त्री और स्त्री के लिये पुरुष मे है
शनि बुजुर्ग लोग भी है राहु ससुराल है
केतु साले भानजे भतीजे लडके आदि है।
यह ग्रह चलते फ़िरते है। यही ग्रह शरीर के अन्दर है
सूर्य से पहिचान हड्डियों का ढांचा नाम पहिचान
आंखो की द्रिष्टि है तो चन्द्रमा से शरीर मे
पानी की मात्रा और मन है जो हमेशा पानी और चन्द्र्मा की तरह से चलायमान है,
मंगल शरीर मे खून मे शामिल है
जितना अच्छा मंगल होता है
उतनी ही अच्छी शक्ति मिलती है
अच्छी जाति और अच्छी कुल
की बात भी मंगल से देखी जाती है
इसी प्रकार से बुध जो शरीर मे बोलने के लिये वाणी के रूप मे
सुनने के लिये कानो के रूप मे समझने के लिये बुद्धि के रूप मे और
सूंघने के लिये नाक के रूप मे भी शामिल है गुरु वायु के
रूप मे जिन्दा रखने के लिये समझने के लिये रिस्तो के रूप मे और
जीवित रहने के लिये प्राण वायु के द्वारा कार्य करने के
लिये है शुक्र का रूप शरीर मे जननेन्द्रिय के रूप मे है
शरीर की पहिचान को सुन्दर या बदशूरत बनाने के लिये है,
शनि शरीर मे खाल और बालो के रूप मे
है जिससे शरीर की सर्दी गर्मी बरसात मे
रक्षा होती है बाहरी वातावरण के अनुसार
शनि ही रक्षा करने वाला होता है।
राहु आकस्मिक बचाव करने वाला है जिसे विचार की श्रंखला मे बदलाव करने वाला किसी एक या अधिक क्षेत्रो मे जाने
की धुन सवार करने के लिये और केतु शरीर
मे जोडों के रूप मे हाथ पैर शरीर के अंगो को प्रयोग करने
के लिये अपनी शक्ति को देने वाला है।
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