03/10/2020
रोगी और वैद्य संवाद-1 😊
(उनके लिए जो खोए हैं बड़े-बड़े अस्पतालों में और लंबी-लंबी जांचों में)
रोगी: उम्र लगभग 45 वर्ष, 5.8 इंच की कदकाठी और वजन लगभग 80 किलो के एक व्यक्ति अपने एक सहायक के कंधे का सहारा लेकर पैर को खिसकाते हुए वैद्य जी के चेंबर में प्रवेश करते हुए....
डागटर साहब नमस्कार🙏, आपके बारे में बहुत सुना था फलाने जी से...अब हर जगह से निराश हो चुके हैं आप ही कुछ देखिये शायद आयुर्वेद से कुछ हो जाये! 😩
वैद्य: जी आराम से आइये कुर्सी पर बैठ पाएंगे? दिक्कत हो तो टेबिल पर लेट भी सकते हैं ...
रोगी: नहीं-नहीं बैठ जाएंगे!
वैद्य: बताइये कबसे और क्या-क्या तकलीफ है?
रोगी: अब क्या बताये डाकटर साहब, 10 साल से पैरों में दर्द है, सरकारी-प्राइवेट सभी तरह के बड़े-बड़े अस्पतालों में दिखा लिया लाखों रुपये खर्च हो गए, हर बार नए टेस्ट और दवाई होती है लेकिन परेशानी कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है!
वैद्य: अच्छा दिखाइये अपने पर्चे और रिपोर्ट्स!
रोगी: हाँ, ये लीजिये डाकटर साहब...कल ही पूरे शरीर की जांच करवा ली है एक सस्ता पैकेज था लैब वाले के यहाँ तो सभी करवा लीं (अजीब से दांतों को दबाकर हंसते हुए 😬 वैद्य जी को बता रहा है जैसे इनामी योजना में फ्लैट जीत गया हो)
शुरुआत में एक्स-रे और C.T.Scan भी करवाया था उसमें हड्डी वाले डॉक्टर ने बताया था की हड्डी घिस गई है, बाद में MRI करवाया तो उसमें नस भी दब रही थी, उसके बाद न्यूरो को भी दिखाया है उन्होंने ने कुछ दवाइयां लिखी हैं, दर्द की दवाई खाओ तभी कुछ आराम मिलता है नहीं तो कमर से लेकर पैर तक खिचाव बना रहता है और कभी-कभी तो पैर जैसे जम सा जाता है बिल्कुल हिलता ही नहीं और ऊपर को उठाओ तो उसके बाद का दर्द तो सहन नहीं होता, डॉक्टर साहब ने गठिया का भी टेस्ट करवाया था पर वो सही आया है कह रहे थे कि साइटिका का है!
अब कुछ दिनों से टेंशन से बी.पी. बढ़ जाता है तो M.D. मेडिसिन वाले डॉक्टर ने इसकी दवाई भी शुरू कर दी है, कुछ ताकत की दवाई भी दे रहे हैं इसके बाद भी घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, थकान बनी रहती है...!
वैद्य: कुछ और दिक्कत हो तो बताइये!
रोगी: नहीं-नहीं डाकटर साहब यही सब हैं, आप देखकर जाँच करिये बाकी तो!
वैद्य: पेट साफ रहता है?
रोगी: अरे कहाँ डाकटर साहब पूरा डब्बा खर्च हो जाता है 7 दिन में चूर्ण का (वही वाला जिसका टी.वी. में सारे दिन प्रचार आता है) लेकिन अब इससे कुछ नहीं होता, कुछ दिन पहले पंचरिष्ट भी ली थी शुरू में उससे आराम था अब पता नहीं उससे भी कुछ नहीं होता, बस अब सुबह गर्म पानी, चाय और सिगरेट पीने के बाद ही कुछ हो पाता है।
वैद्य: काम कैसा है आपका, बैठा रहने का या खड़े रहने का?
शराब या मांस-मछली लेते हैं क्या?
रोगी: बस साहब दुकान है अपनी तो खड़ा तो रहना ही पड़ता है और शराब तो महीने में कभी-कभी होती है बस! बाकी शुद्ध शाकाहारी हैं, आप यह बताओ आयुर्वेद से सही हो जाएगा न? गारंटी तो है न?
वैद्य: जो अब तक बेहद सरलता से बैठे थे, थोड़े से गंभीर स्वर में इन प्रश्नों के बाद उस रोगी से बोले अभी जिन विशेषज्ञ डॉक्टर्स से आप इतने वर्षों से उपचार ले रहे हैं उन्होंने कितने दिन की गारंटी ली थी....?
रोगी: अरे मत पूछो साहब, बस बिल बनता है जांच होती है और कुछ न सुनते है ज्यादा न कहते हैं कुछ बस यही दवाइयां खाओ कहते हैं!
हाँ एक बात बताना भूल ही गए कल की जांच में कैल्शियम और विटामिन-डी दोनों ही और कम आ गए है, हड्डी वाले डॉक्टर ने कुछ दवाइयां दे रखी हैं फिर भी समझ नहीं आ रहा ऐसा क्यों हो रहा है।
वैद्य: सभी जाँच देखने के बाद, जिनमें रोगी ने जो बताया उसके अतरिक्त कुछ और नहीं था.... देखिए आपका क्या ट्रीटमेंट चला उसे अब एक किनारे रख दीजिए, अब यदि कुछ परहेज व सही से उपचार लेंगे तो लाभ होगा, गारंटी यह है कि आप करेंगे तो सही और नहीं करेंगे तो देश के सबसे बड़े अस्पतालों के सबसे बड़े डॉक्टर्स के चक्कर तो आप लगा ही रहे हैं! कर पाएंगे नियम व धैर्य के साथ पालन?
रोगी: जी सर, बताइये जरूर करेंगे, क्या करना है, आपको क्या लगता है इन रिपोर्ट्स को देखकर!
वैद्य: (रोगी की कुछ सामान्य शारीरिक जैसे SLRT व नाड़ी जांच के बाद...)
जी आपको पहले आपके रोग के बारे में बता देते हैं फिर परहेज और उपचार बताएंगे!
समझिये: >>>
हमारे शरीर में बहुत सारे कार्य एक साथ चलते हैं, जैसे खून का एक जगह से दूसरी जगह जाना, कुछ खाते हैं तो वह गले तक हम पहुँचा देते है लेकिन उसके बाद अपने आप प्राकृतिक रूप से आगे बढ़ते जाना, हाथ-पैरों का हिलना, आंखों का हिलना, हमारा बोलना आदि...
यह सभी गतियां शरीर में प्राकृतिक रूप से होती हैं, इसे हम आयुर्वेद की भाषा में वात कहते हैं और सामान्य रूप से वायु बोलते हैं...जब हम गलत खान-पान या गलत दिनचर्या में रहते है तो इस प्राकृतिक वात में विकृति आने लगती है और फिर यह शरीर के उन जगहों पर ठहरने या रुकने लगती है जहां हम ज्यादा जोर डालते हैं....
जैसे आपकी स्थिति में आप लगातार खड़े रहते हैं, रूखा खान-पान भी नियमित रूप से लेते हैं जैसे सिगरेट, शराब, ज्यादा चाय, अब शराब लेते है तो भर-भर के चखने में नमकीन और कोल्ड्रिंक्स भी लेते होंगे, इन्हीं सब से आपका वजन भी बढ़ा है और जिस तरह से आप अपने इलाज में खर्च कर रहे हैं उससे लगता है कि आप आर्थिक रूप से सम्पन्न भी है तो लगातार घर और दुकान में A. C., कूलर में भी रहते होंगे? इन्हीं सब दूषित चीजों से शरीर के अच्छे एंजाइम भी प्रभावित होते हैं, शरीर के अंदर के स्रोत भी दूषित होते है और जब पहले ही इन सभी से शरीर में केमिकल बिगड़े होते हैं, उसके उपचार भी उन दवाओं से करते हैं जो केमिकल से बनी होती हैं, अब इतना केमिकल लेंगे तो इससे एक तो लाभ अस्थाई या लक्षण को दबाने वाला होता है और दूसरे तरह के रोग होने लगते हैं वो अलग....रूखापन बढ़ने के कारण ही आंतो में भी रूखापन बढ़ जाता है जिससे कब्ज होती है जिसका उपचार टी. वी. पर बिकने वाले चूरन से नहीं होता!!
इसके साथ-साथ जब हमें सही लाभ नहीं मिलता तो स्ट्रेस हॉर्मोन भी बढ़ने लगता है तो गुस्सा-चिड़चिड़ापन भी आता है, बाकी परहेज कर पाएं तो आगे कुछ बताऊं?..
रोगी: जी सर, A.C. के बिना तो रहा नहीं जाता अब 😔 गुस्सा तो इतना आता है कि कोई कुछ थोड़ा भी गलत कह दे तो पटक देने का मन करता है, कभी-कभी तो लगता है मर जाएं...😢 आप एकदम सही से पकड़ें है परेशानी को, समझ भी आ रहा है मुझे अब.... आप बताइए सर मन से और ईमानदारी से परहेज करेंगे सर पक्का!
वैद्य: (जब रोगी भिषकवस्य होता है तभी तो वह निदान परिवर्जन करता है 😊💭 - वैद्य जी मन में सोचते हुए)
ठीक है तो आपको शराब, सिगरेट बंद करनी होगी, चाय एक बार से ज्यादा नहीं लेनी है वो भी कम पत्ती वाली, तला-भुना-मिर्च-मसाले वाला नहीं खाना है, देर से पचने वाला आहार जैसे मैदा, राजमा, छोले आदि का सेवन नहीं करना है, आपके शरीर में मौजूद दूषित चीजों को पहले धीरे-धीरे बाहर करेंगे इसे शोधन (पंचकर्म) कहते हैं, इसके बाद कुछ दवायें देंगे, तबतक दर्द में तत्काल लाभ के लिए एक तेल लिख रहे हैं, इसको गुनगुना करके हल्के हाथ से मालिश करिएगा और इसके बाद सिकाई...और पंखे की सीधी हवा में नहीं लेटियेगा और अपने A.C. को 28 से कम पर ले जाने से बचिएगा, जरूरत लगे तो 26 तक कर सकते हैं वो भी कुछ देर के लिए, और जैसे ही दर्द में कुछ आराम आना शुरू हो तो सुबह खाली पेट टहलना शुरू करिएगा! बोलिये कर पाएंगे आप?
रोगी: जी सर सबकुछ करेंगे बस एक प्रश्न था कि वो न्यूरो वाले डॉक्टर तो कह रहे थे कि तेल नहीं लगाना और फिजियो करवाना !
वैद्य: मुस्कुराते हुए, आराम मिला आपको उससे, कभी करवाया क्या?
रोगी: हाँ सर कई बार करवाया है लेकिन जब तक कराओ तभी तक और उसके बाद फिर वैसे ही, बहुत पैसा खर्च हो जाता है इसके सेशन में वो अलग!
वैद्य: देखिये यह जांच और टेस्ट से थोड़ा दूर रहिये और ज्यादा पैसे हों तो थोड़ा उन लोगों में दान कर देना जिन्हें इसकी वास्तविकता में जरूरत होती है, इससे आपका नाम और सम्मान तो होगा और जिसे आप देंगे उसका भला भी होगा और उसकी दुआएं मिलेगी वो अलग...टेस्ट भी वही करवाया करिये जिनकी जरूरत होती है, बाकी एक सामान्य बात बताइये जब सर्दियों में किसी कारण से हमारे शरीर में रुखापन या खुरदुरापन आता है तब आप क्या करते हैं? और जब आपकी गाड़ी चलते-चलते कुछ दिक्क्त करने लगती है तब क्या करते हैं?
रोगी: साहब वैसलीन या बोरोलीन या नारियल का तेल लगाते हैं और गाड़ी ख़राब होने पर उसकी सर्विस करवाते हैं!
वैद्य: बस अभी आपको बताया न कि कैसे आपके शरीर में रूखापन अंदर तक बढ़ा है तो उसको दूर करने के लिए अंदर से शोधन और चिकनापन (स्नेहन) तो बढाएंगे ही साथ में बाहर से भी इसको कम करेंगे! जैसे सुखी लकड़ी को मोड़ो तो वह टूट जाती है और चिकनी लकड़ी को मोड़ने पर वह आसानी से नहीं टूटती! पंचकर्म की इन प्रक्रियाओं को एक तरह से अपने शरीर की सर्विस समझ लीजिये इनसे सभी दूषित चीज़ें बाहर निकल जायेंगी और आपको हल्कापन भी लगने लगेगा व अभी तत्काल लाभ के लिये आप हमारे यहां एक छोटी सी अग्निकर्म की प्रक्रिया भी (अग्निकर्म आयुर्वेद में दर्द की समस्याओं में तत्काल लाभ के लिए एक बेहतरीन विकल्प है) करवा लीजिए और साथ में जो अन्य चीजें बता रहे हैं वह भी करिये, अच्छा लाभ होगा!
रोगी: जो सर कैल्शियम और बाकी दवाइयां खा रहे हैं उनका क्या करना है?
वैद्य: उनको बंद करवा रहे हैं आज से सिर्फ दर्द और बी.पी. दवा लेना वह भी तब जब आपको दिक्कत हो, और इनको भी इसलिए एकदम से बंद नहीं करवा रहे क्योंकि आप घबरा जाएंगे एकदम से दवाओं के सूनेपन से 😂 इतने वर्षों से खा रहे हैं और एकदम से सारे साथी चले गए आपके पास से 😊 तो आपको उसकी घबहराहट हो सकती है, बाकी हमारे अग्निकर्म विशेषज्ञ वैद्य जी से इसकी एक सिटिंग ले लीजिये फिर आगे का पर्चा लिखते हैं।
रोगी: अग्निकर्म विशेषज्ञ से सिटिंग के बाद, अब बिना किसी के कंधे के सहारे के वैद्य जी के चेंबर में आते हुए, वाह सर इतना जल्दी आराम सुना भी नहीं था और सोचा भी नहीं था, दवा का पर्चा और अन्य प्रक्रियाएं बता दीजिए कृपया!
(वैद्य जी से पाचन व स्नेहन की प्रक्रिया को समझने के बाद, अब विदा ले रहे हैं)
8 दिनों बाद रोगी: जी सर अब पहले से थोड़ा आराम है वह भी सिर्फ 2 दवाओं से, और अब पेट भी थोड़ा साफ हो रहा है, अब आगे क्या करना है?
वैद्य: आगे अब आपका यहाँ कुछ दिन पंचकर्म करेंगे, और उसके बाद कुछ वात को कम करने वाली दवाइयां!
रोगी 15 दिन बाद: वाह सर अब हल्कापन बढ़ गया है और दर्द भी 20-30% है।
वैद्य: बस ऐसे ही परहेज करते रहिये, आशा है कि पूरी तरह स्वस्थ होंगे!
रोगी 1 माह बाद: वाह सर कमाल हो गया अब लगभग पूरी तरह स्वस्थ हूँ और वजन भी 5 KG कम हुआ है, अंदर से हल्का भी खूब लगता है और मन भी अच्छा रहता है, और 3-4 किलोमीटर सुबह टहल भी आता हूँ, आयुर्वेद के इस पूरे उपचार में इतना कम समय तो लगा ही साथ ही मेरा पूरे माह का खर्च भी ब्लड जांच और अन्य रिपोर्ट्स के खर्चे से कम ही हुआ है, आयुर्वेद और आपका आभार!
नोट: यह संवाद वास्तविक अनुभवों पर आधारित है व किसी भी पद्धति, सिस्टम या विशेषज्ञ की छवि को खराब या छोटा दिखाने के उद्देश्य से साझा नहीं किया गया है, इसको साझा करने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि शरीर का एक प्राकृतिक सिद्धान्त होता है उसमें जब कभी कोई रोग होता है तो उसका उपचार भी इन्हीं सिद्धान्तों के इर्द-गिर्द किया जाता है न कि लंबी-लंबी उल-जुलूल की जांचों या केमिकल से बनी दवाइयों से! आयुर्वेद में रोगी एक केस नहीं एक पीड़ित व्यक्ति होता है जिसे पैसा कमाने की मशीन नहीं समझा जाता अपितु उसके कष्ट में कुछ कमी की जा सके इसके लिए ईमानदारी से प्रयास होता है... क्योंकि हमारा मानना होता है कि रोगी जब स्वस्थ होता है तो वह चिकित्सक को उपचार का खर्च स्वतः ही देता है! (हालांकि कुछ छद्मचर अपवाद स्वरूप सभी जगह पाए जाते हैं)
इसके साथ-साथ आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसा चिकित्सा तंत्र है जिसके माध्यम से रोग का शरीर को किसी भी अन्य नुकसान को पहुचायें बिना कम समय में भी उपचार संभव है, इसलिए जब भी आपके रोग के लिए दवाओं से उपचार की बात आये तो अपने करीब के आयुर्वेद चिकित्सक से अवश्य मिलें! आप कभी निराश नहीं होंगे ...!!
हाँ चिकित्सा से पहले अपने रोग, शरीर की प्रकृति और दिए जा रहे उपचार की विस्तृत जानकारी अवश्य लें, जो आयुर्वेद के नाम पर ढ़ोंग करने वाले लोग होंगे वे आपको सही जानकारियां कभी नहीं दे पाएंगे, इससे आप आयुर्वेद के नाम पर गलत उपचार से भी बच सकेंगे 😊
(इस रोग से सम्बंधित रोगियों का डायग्नोसिस ग्रध्रसी बनता है, चिकित्सा सूत्र में निदान परिवर्जन सबसे महत्त्वपूर्ण होता है साथ में पाचन, वात अनुलोमन, स्नेहन, सामान्य शोधन के पश्चात... रसायन व वात शामक औषधियों के प्रयोग से स्थाई लाभ दिया जा सकता है)
(संवाद थोड़ा लम्बा हो गया है, लेकिन तर्कसंगत है इसलिए आशा है कि संभवतः आपको इसके लम्बे होने की शिकायत नही होगी🤷♂️)
आयुर्वेद का सामान्य जनमानस के बीच में सही प्रस्तुतीकरण हो इसलिए इस लेख को साझा अवश्य करें! 🙏