Ayurveda Treatment

Ayurveda Treatment Team of Ayurvedic Doctors

Sciatica pain में देरी ना करें, जलदी ही हमारे डॉक्टर्स को टीम से कांटेक्ट करें 📞 8699 310 310 Dr. Abhinav Mehta, B.A.M.S...
04/06/2025

Sciatica pain में देरी ना करें, जलदी ही हमारे डॉक्टर्स को टीम से कांटेक्ट करें 📞 8699 310 310
Dr. Abhinav Mehta, B.A.M.S
Ayushveda Hospital
💚

डॉ. अभिनव मेहताआयुषवेदा आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म अस्पतालपता: आयुषवेदा Scf 50-51,  KVC स्कूल के सामने, अर्बन एस्टेट फेस 1, ...
27/05/2025

डॉ. अभिनव मेहता
आयुषवेदा आयुर्वेदिक एवं पंचकर्म अस्पताल
पता: आयुषवेदा Scf 50-51, KVC स्कूल के सामने, अर्बन एस्टेट फेस 1, जालंधर पंजाब
संपर्क करें: 8699310310

ਹਾਈ ਅਲਰਟ ਜਾਰੀ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ।29 ਮਈ ਤੋਂ 2 ਜੂਨ ਤੱਕ, ਸਵੇਰੇ 10 ਵਜੇ ਤੋਂ ਦੁਪਹਿਰ 3 ਵਜੇ ਤੱਕ, ਕੋਈ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਬਾਹਰ (ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਅਸਮਾਨ ...
22/05/2025

ਹਾਈ ਅਲਰਟ ਜਾਰੀ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ।

29 ਮਈ ਤੋਂ 2 ਜੂਨ ਤੱਕ, ਸਵੇਰੇ 10 ਵਜੇ ਤੋਂ ਦੁਪਹਿਰ 3 ਵਜੇ ਤੱਕ, ਕੋਈ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਬਾਹਰ (ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਅਸਮਾਨ ਹੇਠ) ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਮੌਸਮ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਤਾਪਮਾਨ 45 ਡਿਗਰੀ ਸੈਲਸੀਅਸ ਤੋਂ 55 ਡਿਗਰੀ ਸੈਲਸੀਅਸ ਤੱਕ ਵੱਧ ਜਾਵੇਗਾ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਦਮ ਘੁੱਟਦਾ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਅਚਾਨਕ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਤੁਰੰਤ ਡਾਕਟਰ ਨਾਲ ਸਲਾਹ ਕਰੋ, ਕਮਰੇ ਦਾ ਦਰਵਾਜ਼ਾ ਖੁੱਲ੍ਹਾ ਰੱਖੋ ਤਾਂ ਜੋ ਹਵਾਦਾਰੀ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਘੱਟ ਕਰੋ, ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਫਟਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ, ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਸਾਵਧਾਨ ਰਹੋ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੂਚਿਤ ਕਰੋ, ਜਿੰਨਾ ਹੋ ਸਕੇ ਦਹੀਂ, ਛਾਛ, ਲੱਕੜ ਦੇ ਸੇਬ ਦਾ ਜੂਸ ਆਦਿ ਵਰਗੇ ਕੋਲਡ ਡਰਿੰਕਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋ।

ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸੂਚਨਾ

ਸਿਵਲ ਡਿਫੈਂਸ ਡਾਇਰੈਕਟੋਰੇਟ ਜਨਰਲ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਅਤੇ ਨਿਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਪ੍ਰਤੀ ਸੁਚੇਤ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਤਾਪਮਾਨ 47 ਤੋਂ 55 ਡਿਗਰੀ ਸੈਲਸੀਅਸ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਵਧਣ ਅਤੇ ਕਿਊਮਿਊਲਸ ਬੱਦਲਾਂ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਕਾਰਨ ਮੌਸਮ ਖਰਾਬ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇੱਥੇ ਕੁਝ ਚੇਤਾਵਨੀਆਂ ਅਤੇ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ।

ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਕਾਰਾਂ ਤੋਂ ਹਟਾ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

1. ਗੈਸ ਸਪਲਾਈ
2. ਲਾਈਟਰ
3. ਕਾਰਬੋਨੇਟਿਡ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਦਾਰਥ
4. ਆਮ ਤੌਰ 'ਤੇ ਪਰਫਿਊਮ ਅਤੇ ਉਪਕਰਣ ਬੈਟਰੀਆਂ
5. ਕਾਰ ਦੀਆਂ ਖਿੜਕੀਆਂ ਥੋੜ੍ਹੀਆਂ ਖੁੱਲ੍ਹੀਆਂ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ (ਹਵਾਦਾਰੀ)
6. ਕਾਰ ਦੇ ਬਾਲਣ ਟੈਂਕ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾ ਭਰੋ
7. ਸ਼ਾਮ ਨੂੰ ਕਾਰ ਵਿੱਚ ਤੇਲ ਭਰੋ
8. ਸਵੇਰੇ ਕਾਰ ਰਾਹੀਂ ਯਾਤਰਾ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਚੋ
9. ਕਾਰ ਦੇ ਟਾਇਰਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਾ ਫੁੱਲੋ, ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਯਾਤਰਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ।

ਬਿੱਛੂਆਂ ਅਤੇ ਸੱਪਾਂ ਤੋਂ ਸਾਵਧਾਨ ਰਹੋ ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਖੁੱਡਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣਗੇ ਅਤੇ ਠੰਢੀਆਂ ਥਾਵਾਂ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿੱਚ ਪਾਰਕਾਂ ਅਤੇ ਘਰਾਂ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ।

ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਪੀਓ, ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਓ ਕਿ ਗੈਸ ਸਿਲੰਡਰ ਧੁੱਪ ਵਿੱਚ ਨਾ ਰੱਖੇ ਜਾਣ, ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਓ ਕਿ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਮੀਟਰ ਓਵਰਲੋਡ ਨਾ ਹੋਣ ਅਤੇ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਘਰ ਦੇ ਸਿਰਫ਼ ਬੰਦ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਰੋ, ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਸਿਖਰ ਦੀ ਗਰਮੀ ਦੌਰਾਨ। ਅਤੇ ਦੋ ਤੋਂ ਤਿੰਨ ਘੰਟਿਆਂ ਬਾਅਦ, 30 ਮਿੰਟ ਆਰਾਮ ਦਿਓ। ਬਾਹਰ ਤਾਪਮਾਨ 45-47° ਹੈ, ਘਰ ਵਿੱਚ AC ਨੂੰ 24-25° 'ਤੇ ਰੱਖੋ, ਤੁਹਾਡੀ ਸਿਹਤ ਅਤੇ ਤੰਦਰੁਸਤੀ ਠੀਕ ਰਹੇਗੀ। ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦੇ ਸਿੱਧੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਤੋਂ ਬਚੋ, ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਸਵੇਰੇ 10 ਵਜੇ ਤੋਂ ਦੁਪਹਿਰ 3 ਵਜੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ।

ਅੰਤ ਵਿੱਚ: ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਇਸ ਜਾਣਕਾਰੀ ਨੂੰ ਸਾਂਝਾ ਕਰੋ ਕਿਉਂਕਿ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦੂਜੇ ਨਾ ਜਾਣਦੇ ਹੋਣ ਅਤੇ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਇਸਨੂੰ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਪੜ੍ਹ ਰਹੇ ਹੋਣ।

ਸਤਿਕਾਰ ਸਹਿਤ, ਡਾਇਰੈਕਟੋਰੇਟ ਜਨਰਲ ਸਿਵਲ ਡਿਫੈਂਸ

15/05/2025

Ulcerative colitis Ayurvedic treatment

Avoid non stick utencils
10/01/2025

Avoid non stick utencils

अगर आप सर्दियों में नहाने के नुकसान जानना चाहते हैं तो ये वैज्ञानिक तथ्यों वाली पोस्ट पढ़े। अन्य लोगों का भला करने के लि...
16/01/2023

अगर आप सर्दियों में नहाने के नुकसान जानना चाहते हैं तो ये वैज्ञानिक तथ्यों वाली पोस्ट पढ़े। अन्य लोगों का भला करने के लिए शेयर भी करें। 🙂

जॉर्ज वॉशिंग्टन यूनिवर्सिटी (वॉशिंगटन डीसी, यूएस) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सी ब्रैंडन मिशेल का कहना है कि नहाने से स्किन के नेचुरल ऑयल निकल जाते हैं जिससे गुड बैक्टीरिया भी हट जाते हैं. ये बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम को भी सपॉर्ट करते हैं. इसलिए सर्दियों में हमें हफ्ते में अधिकतम एक या दो दिन ही नहाना चाहिए.

कई स्टडीज में साबित हो चुका है कि स्किन में खुद को साफ करने की बेहतर क्षमता होती है. अगर आप जिम नहीं जाते या रोजाना पसीना नहीं बहाते, धूल-मिट्टी में नहीं रहते तो आपके लिए रोजाना नहाना जरूरी नहीं है.

अगर सर्दियों में गरम पानी से देर तक नहाते हैं तो ये फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला है. इससे स्किन ड्राई हो सकती है. इससे शरीर का नेचुरल ऑयल निकल जाते हैं. शरीर का ये नेचुरल ऑयल हम सभी के लिए बहुत जरूरी है. ये प्रतिरोधक क्षमता का भी काम करता है. साइंस के अनुसार ये ऑयल आपको मॉइश्चराइज्ड और सुरक्षित रखने में सहायक होता है. ज्यादा नहाने से आपके नाखून भी मुलायम हो जाते हैं और टूटने लगते हैं।

अमेरिकी विश्वविद्यालय द यूनिवर्सिटी ऑफ उतह के जेनेटिक्स साइंस सेंटर के एक अध्ययन के अनुसार, “ज्यादा नहाना हमारे मानव शरीर के सुरक्षातंत्र को नुकसान पहुंचाता है. रोगाणुओं-विषाणुओं से लड़ने वाली क्षमताएं कमजोर पड़ जाती हैं. खाना पचाने और उसमें से विटमिन व अन्य पोषक तत्वों को अलग करने की क्षमता भी प्रभावित होती है.”

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एलाइन लारसन ने एक अध्ययन किया था, “रोजाना नहाने से स्‍कीन रूखी और कमजोर पड़ जाती है. इससे संक्रमण का खतरा बहुत तेजी से बढ़ता है. इसलिए रोज नहीं नहाना चाहिए.”

मोरल ऑफ द स्टोरी ये है की.. ज्यादा नहाने से ज्यादा बीमार पड़ोगे, संक्रमण ज्यादा होगा, नाखून गिरेंगे, पाचन क्रिया खराब होगी। ऐसा मैं नही दुनियां भर के वैज्ञानिक कहते हैं। और पानी की भयंकर बर्बादी तो है ही। बाकी देख लो अपना अपना.

03/10/2020

रोगी और वैद्य संवाद-1 😊
(उनके लिए जो खोए हैं बड़े-बड़े अस्पतालों में और लंबी-लंबी जांचों में)
रोगी: उम्र लगभग 45 वर्ष, 5.8 इंच की कदकाठी और वजन लगभग 80 किलो के एक व्यक्ति अपने एक सहायक के कंधे का सहारा लेकर पैर को खिसकाते हुए वैद्य जी के चेंबर में प्रवेश करते हुए....
डागटर साहब नमस्कार🙏, आपके बारे में बहुत सुना था फलाने जी से...अब हर जगह से निराश हो चुके हैं आप ही कुछ देखिये शायद आयुर्वेद से कुछ हो जाये! 😩

वैद्य: जी आराम से आइये कुर्सी पर बैठ पाएंगे? दिक्कत हो तो टेबिल पर लेट भी सकते हैं ...

रोगी: नहीं-नहीं बैठ जाएंगे!

वैद्य: बताइये कबसे और क्या-क्या तकलीफ है?

रोगी: अब क्या बताये डाकटर साहब, 10 साल से पैरों में दर्द है, सरकारी-प्राइवेट सभी तरह के बड़े-बड़े अस्पतालों में दिखा लिया लाखों रुपये खर्च हो गए, हर बार नए टेस्ट और दवाई होती है लेकिन परेशानी कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है!

वैद्य: अच्छा दिखाइये अपने पर्चे और रिपोर्ट्स!

रोगी: हाँ, ये लीजिये डाकटर साहब...कल ही पूरे शरीर की जांच करवा ली है एक सस्ता पैकेज था लैब वाले के यहाँ तो सभी करवा लीं (अजीब से दांतों को दबाकर हंसते हुए 😬 वैद्य जी को बता रहा है जैसे इनामी योजना में फ्लैट जीत गया हो)
शुरुआत में एक्स-रे और C.T.Scan भी करवाया था उसमें हड्डी वाले डॉक्टर ने बताया था की हड्डी घिस गई है, बाद में MRI करवाया तो उसमें नस भी दब रही थी, उसके बाद न्यूरो को भी दिखाया है उन्होंने ने कुछ दवाइयां लिखी हैं, दर्द की दवाई खाओ तभी कुछ आराम मिलता है नहीं तो कमर से लेकर पैर तक खिचाव बना रहता है और कभी-कभी तो पैर जैसे जम सा जाता है बिल्कुल हिलता ही नहीं और ऊपर को उठाओ तो उसके बाद का दर्द तो सहन नहीं होता, डॉक्टर साहब ने गठिया का भी टेस्ट करवाया था पर वो सही आया है कह रहे थे कि साइटिका का है!
अब कुछ दिनों से टेंशन से बी.पी. बढ़ जाता है तो M.D. मेडिसिन वाले डॉक्टर ने इसकी दवाई भी शुरू कर दी है, कुछ ताकत की दवाई भी दे रहे हैं इसके बाद भी घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, थकान बनी रहती है...!

वैद्य: कुछ और दिक्कत हो तो बताइये!

रोगी: नहीं-नहीं डाकटर साहब यही सब हैं, आप देखकर जाँच करिये बाकी तो!

वैद्य: पेट साफ रहता है?

रोगी: अरे कहाँ डाकटर साहब पूरा डब्बा खर्च हो जाता है 7 दिन में चूर्ण का (वही वाला जिसका टी.वी. में सारे दिन प्रचार आता है) लेकिन अब इससे कुछ नहीं होता, कुछ दिन पहले पंचरिष्ट भी ली थी शुरू में उससे आराम था अब पता नहीं उससे भी कुछ नहीं होता, बस अब सुबह गर्म पानी, चाय और सिगरेट पीने के बाद ही कुछ हो पाता है।

वैद्य: काम कैसा है आपका, बैठा रहने का या खड़े रहने का?
शराब या मांस-मछली लेते हैं क्या?

रोगी: बस साहब दुकान है अपनी तो खड़ा तो रहना ही पड़ता है और शराब तो महीने में कभी-कभी होती है बस! बाकी शुद्ध शाकाहारी हैं, आप यह बताओ आयुर्वेद से सही हो जाएगा न? गारंटी तो है न?

वैद्य: जो अब तक बेहद सरलता से बैठे थे, थोड़े से गंभीर स्वर में इन प्रश्नों के बाद उस रोगी से बोले अभी जिन विशेषज्ञ डॉक्टर्स से आप इतने वर्षों से उपचार ले रहे हैं उन्होंने कितने दिन की गारंटी ली थी....?

रोगी: अरे मत पूछो साहब, बस बिल बनता है जांच होती है और कुछ न सुनते है ज्यादा न कहते हैं कुछ बस यही दवाइयां खाओ कहते हैं!
हाँ एक बात बताना भूल ही गए कल की जांच में कैल्शियम और विटामिन-डी दोनों ही और कम आ गए है, हड्डी वाले डॉक्टर ने कुछ दवाइयां दे रखी हैं फिर भी समझ नहीं आ रहा ऐसा क्यों हो रहा है।

वैद्य: सभी जाँच देखने के बाद, जिनमें रोगी ने जो बताया उसके अतरिक्त कुछ और नहीं था.... देखिए आपका क्या ट्रीटमेंट चला उसे अब एक किनारे रख दीजिए, अब यदि कुछ परहेज व सही से उपचार लेंगे तो लाभ होगा, गारंटी यह है कि आप करेंगे तो सही और नहीं करेंगे तो देश के सबसे बड़े अस्पतालों के सबसे बड़े डॉक्टर्स के चक्कर तो आप लगा ही रहे हैं! कर पाएंगे नियम व धैर्य के साथ पालन?

रोगी: जी सर, बताइये जरूर करेंगे, क्या करना है, आपको क्या लगता है इन रिपोर्ट्स को देखकर!

वैद्य: (रोगी की कुछ सामान्य शारीरिक जैसे SLRT व नाड़ी जांच के बाद...)
जी आपको पहले आपके रोग के बारे में बता देते हैं फिर परहेज और उपचार बताएंगे!
समझिये: >>>
हमारे शरीर में बहुत सारे कार्य एक साथ चलते हैं, जैसे खून का एक जगह से दूसरी जगह जाना, कुछ खाते हैं तो वह गले तक हम पहुँचा देते है लेकिन उसके बाद अपने आप प्राकृतिक रूप से आगे बढ़ते जाना, हाथ-पैरों का हिलना, आंखों का हिलना, हमारा बोलना आदि...
यह सभी गतियां शरीर में प्राकृतिक रूप से होती हैं, इसे हम आयुर्वेद की भाषा में वात कहते हैं और सामान्य रूप से वायु बोलते हैं...जब हम गलत खान-पान या गलत दिनचर्या में रहते है तो इस प्राकृतिक वात में विकृति आने लगती है और फिर यह शरीर के उन जगहों पर ठहरने या रुकने लगती है जहां हम ज्यादा जोर डालते हैं....
जैसे आपकी स्थिति में आप लगातार खड़े रहते हैं, रूखा खान-पान भी नियमित रूप से लेते हैं जैसे सिगरेट, शराब, ज्यादा चाय, अब शराब लेते है तो भर-भर के चखने में नमकीन और कोल्ड्रिंक्स भी लेते होंगे, इन्हीं सब से आपका वजन भी बढ़ा है और जिस तरह से आप अपने इलाज में खर्च कर रहे हैं उससे लगता है कि आप आर्थिक रूप से सम्पन्न भी है तो लगातार घर और दुकान में A. C., कूलर में भी रहते होंगे? इन्हीं सब दूषित चीजों से शरीर के अच्छे एंजाइम भी प्रभावित होते हैं, शरीर के अंदर के स्रोत भी दूषित होते है और जब पहले ही इन सभी से शरीर में केमिकल बिगड़े होते हैं, उसके उपचार भी उन दवाओं से करते हैं जो केमिकल से बनी होती हैं, अब इतना केमिकल लेंगे तो इससे एक तो लाभ अस्थाई या लक्षण को दबाने वाला होता है और दूसरे तरह के रोग होने लगते हैं वो अलग....रूखापन बढ़ने के कारण ही आंतो में भी रूखापन बढ़ जाता है जिससे कब्ज होती है जिसका उपचार टी. वी. पर बिकने वाले चूरन से नहीं होता!!
इसके साथ-साथ जब हमें सही लाभ नहीं मिलता तो स्ट्रेस हॉर्मोन भी बढ़ने लगता है तो गुस्सा-चिड़चिड़ापन भी आता है, बाकी परहेज कर पाएं तो आगे कुछ बताऊं?..

रोगी: जी सर, A.C. के बिना तो रहा नहीं जाता अब 😔 गुस्सा तो इतना आता है कि कोई कुछ थोड़ा भी गलत कह दे तो पटक देने का मन करता है, कभी-कभी तो लगता है मर जाएं...😢 आप एकदम सही से पकड़ें है परेशानी को, समझ भी आ रहा है मुझे अब.... आप बताइए सर मन से और ईमानदारी से परहेज करेंगे सर पक्का!

वैद्य: (जब रोगी भिषकवस्य होता है तभी तो वह निदान परिवर्जन करता है 😊💭 - वैद्य जी मन में सोचते हुए)
ठीक है तो आपको शराब, सिगरेट बंद करनी होगी, चाय एक बार से ज्यादा नहीं लेनी है वो भी कम पत्ती वाली, तला-भुना-मिर्च-मसाले वाला नहीं खाना है, देर से पचने वाला आहार जैसे मैदा, राजमा, छोले आदि का सेवन नहीं करना है, आपके शरीर में मौजूद दूषित चीजों को पहले धीरे-धीरे बाहर करेंगे इसे शोधन (पंचकर्म) कहते हैं, इसके बाद कुछ दवायें देंगे, तबतक दर्द में तत्काल लाभ के लिए एक तेल लिख रहे हैं, इसको गुनगुना करके हल्के हाथ से मालिश करिएगा और इसके बाद सिकाई...और पंखे की सीधी हवा में नहीं लेटियेगा और अपने A.C. को 28 से कम पर ले जाने से बचिएगा, जरूरत लगे तो 26 तक कर सकते हैं वो भी कुछ देर के लिए, और जैसे ही दर्द में कुछ आराम आना शुरू हो तो सुबह खाली पेट टहलना शुरू करिएगा! बोलिये कर पाएंगे आप?

रोगी: जी सर सबकुछ करेंगे बस एक प्रश्न था कि वो न्यूरो वाले डॉक्टर तो कह रहे थे कि तेल नहीं लगाना और फिजियो करवाना !

वैद्य: मुस्कुराते हुए, आराम मिला आपको उससे, कभी करवाया क्या?

रोगी: हाँ सर कई बार करवाया है लेकिन जब तक कराओ तभी तक और उसके बाद फिर वैसे ही, बहुत पैसा खर्च हो जाता है इसके सेशन में वो अलग!

वैद्य: देखिये यह जांच और टेस्ट से थोड़ा दूर रहिये और ज्यादा पैसे हों तो थोड़ा उन लोगों में दान कर देना जिन्हें इसकी वास्तविकता में जरूरत होती है, इससे आपका नाम और सम्मान तो होगा और जिसे आप देंगे उसका भला भी होगा और उसकी दुआएं मिलेगी वो अलग...टेस्ट भी वही करवाया करिये जिनकी जरूरत होती है, बाकी एक सामान्य बात बताइये जब सर्दियों में किसी कारण से हमारे शरीर में रुखापन या खुरदुरापन आता है तब आप क्या करते हैं? और जब आपकी गाड़ी चलते-चलते कुछ दिक्क्त करने लगती है तब क्या करते हैं?

रोगी: साहब वैसलीन या बोरोलीन या नारियल का तेल लगाते हैं और गाड़ी ख़राब होने पर उसकी सर्विस करवाते हैं!

वैद्य: बस अभी आपको बताया न कि कैसे आपके शरीर में रूखापन अंदर तक बढ़ा है तो उसको दूर करने के लिए अंदर से शोधन और चिकनापन (स्नेहन) तो बढाएंगे ही साथ में बाहर से भी इसको कम करेंगे! जैसे सुखी लकड़ी को मोड़ो तो वह टूट जाती है और चिकनी लकड़ी को मोड़ने पर वह आसानी से नहीं टूटती! पंचकर्म की इन प्रक्रियाओं को एक तरह से अपने शरीर की सर्विस समझ लीजिये इनसे सभी दूषित चीज़ें बाहर निकल जायेंगी और आपको हल्कापन भी लगने लगेगा व अभी तत्काल लाभ के लिये आप हमारे यहां एक छोटी सी अग्निकर्म की प्रक्रिया भी (अग्निकर्म आयुर्वेद में दर्द की समस्याओं में तत्काल लाभ के लिए एक बेहतरीन विकल्प है) करवा लीजिए और साथ में जो अन्य चीजें बता रहे हैं वह भी करिये, अच्छा लाभ होगा!

रोगी: जो सर कैल्शियम और बाकी दवाइयां खा रहे हैं उनका क्या करना है?

वैद्य: उनको बंद करवा रहे हैं आज से सिर्फ दर्द और बी.पी. दवा लेना वह भी तब जब आपको दिक्कत हो, और इनको भी इसलिए एकदम से बंद नहीं करवा रहे क्योंकि आप घबरा जाएंगे एकदम से दवाओं के सूनेपन से 😂 इतने वर्षों से खा रहे हैं और एकदम से सारे साथी चले गए आपके पास से 😊 तो आपको उसकी घबहराहट हो सकती है, बाकी हमारे अग्निकर्म विशेषज्ञ वैद्य जी से इसकी एक सिटिंग ले लीजिये फिर आगे का पर्चा लिखते हैं।

रोगी: अग्निकर्म विशेषज्ञ से सिटिंग के बाद, अब बिना किसी के कंधे के सहारे के वैद्य जी के चेंबर में आते हुए, वाह सर इतना जल्दी आराम सुना भी नहीं था और सोचा भी नहीं था, दवा का पर्चा और अन्य प्रक्रियाएं बता दीजिए कृपया!
(वैद्य जी से पाचन व स्नेहन की प्रक्रिया को समझने के बाद, अब विदा ले रहे हैं)

8 दिनों बाद रोगी: जी सर अब पहले से थोड़ा आराम है वह भी सिर्फ 2 दवाओं से, और अब पेट भी थोड़ा साफ हो रहा है, अब आगे क्या करना है?

वैद्य: आगे अब आपका यहाँ कुछ दिन पंचकर्म करेंगे, और उसके बाद कुछ वात को कम करने वाली दवाइयां!

रोगी 15 दिन बाद: वाह सर अब हल्कापन बढ़ गया है और दर्द भी 20-30% है।

वैद्य: बस ऐसे ही परहेज करते रहिये, आशा है कि पूरी तरह स्वस्थ होंगे!

रोगी 1 माह बाद: वाह सर कमाल हो गया अब लगभग पूरी तरह स्वस्थ हूँ और वजन भी 5 KG कम हुआ है, अंदर से हल्का भी खूब लगता है और मन भी अच्छा रहता है, और 3-4 किलोमीटर सुबह टहल भी आता हूँ, आयुर्वेद के इस पूरे उपचार में इतना कम समय तो लगा ही साथ ही मेरा पूरे माह का खर्च भी ब्लड जांच और अन्य रिपोर्ट्स के खर्चे से कम ही हुआ है, आयुर्वेद और आपका आभार!

नोट: यह संवाद वास्तविक अनुभवों पर आधारित है व किसी भी पद्धति, सिस्टम या विशेषज्ञ की छवि को खराब या छोटा दिखाने के उद्देश्य से साझा नहीं किया गया है, इसको साझा करने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि शरीर का एक प्राकृतिक सिद्धान्त होता है उसमें जब कभी कोई रोग होता है तो उसका उपचार भी इन्हीं सिद्धान्तों के इर्द-गिर्द किया जाता है न कि लंबी-लंबी उल-जुलूल की जांचों या केमिकल से बनी दवाइयों से! आयुर्वेद में रोगी एक केस नहीं एक पीड़ित व्यक्ति होता है जिसे पैसा कमाने की मशीन नहीं समझा जाता अपितु उसके कष्ट में कुछ कमी की जा सके इसके लिए ईमानदारी से प्रयास होता है... क्योंकि हमारा मानना होता है कि रोगी जब स्वस्थ होता है तो वह चिकित्सक को उपचार का खर्च स्वतः ही देता है! (हालांकि कुछ छद्मचर अपवाद स्वरूप सभी जगह पाए जाते हैं)

इसके साथ-साथ आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसा चिकित्सा तंत्र है जिसके माध्यम से रोग का शरीर को किसी भी अन्य नुकसान को पहुचायें बिना कम समय में भी उपचार संभव है, इसलिए जब भी आपके रोग के लिए दवाओं से उपचार की बात आये तो अपने करीब के आयुर्वेद चिकित्सक से अवश्य मिलें! आप कभी निराश नहीं होंगे ...!!
हाँ चिकित्सा से पहले अपने रोग, शरीर की प्रकृति और दिए जा रहे उपचार की विस्तृत जानकारी अवश्य लें, जो आयुर्वेद के नाम पर ढ़ोंग करने वाले लोग होंगे वे आपको सही जानकारियां कभी नहीं दे पाएंगे, इससे आप आयुर्वेद के नाम पर गलत उपचार से भी बच सकेंगे 😊
(इस रोग से सम्बंधित रोगियों का डायग्नोसिस ग्रध्रसी बनता है, चिकित्सा सूत्र में निदान परिवर्जन सबसे महत्त्वपूर्ण होता है साथ में पाचन, वात अनुलोमन, स्नेहन, सामान्य शोधन के पश्चात... रसायन व वात शामक औषधियों के प्रयोग से स्थाई लाभ दिया जा सकता है)
(संवाद थोड़ा लम्बा हो गया है, लेकिन तर्कसंगत है इसलिए आशा है कि संभवतः आपको इसके लम्बे होने की शिकायत नही होगी🤷‍♂️)
आयुर्वेद का सामान्य जनमानस के बीच में सही प्रस्तुतीकरण हो इसलिए इस लेख को साझा अवश्य करें! 🙏

बेईमानी का पैसा पेट की एक-एक आंत फाड़कर निकलता है।        *एक सच्ची कहानी।*रमेश चंद्र शर्मा, जो पंजाब के 'खन्ना' नामक शह...
24/07/2020

बेईमानी का पैसा पेट की एक-एक आंत फाड़कर निकलता है।

*एक सच्ची कहानी।*
रमेश चंद्र शर्मा, जो पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे, उन्होंने अपने जीवन का एक पृष्ठ खोल कर सुनाया जो पाठकों की आँखें भी खोल सकता है और शायद उस पाप से, जिस में वह भागीदार बना, उस से भी बचा सकता है।

रमेश चंद्र शर्मा का पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर था जो कि अपने स्थान के कारण काफी पुराना और अच्छी स्थिति में था। लेकिन जैसे कि कहा जाता है कि धन एक व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट कर देता है और यही बात रमेश चंद्र जी के साथ भी घटित हुई।

रमेश जी बताते हैं कि मेरा मेडिकल स्टोर बहुत अच्छी तरह से चलता था और मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी। अपनी कमाई से मैंने जमीन और कुछ प्लॉट खरीदे और अपने मेडिकल स्टोर के साथ एक क्लीनिकल लेबोरेटरी भी खोल ली। लेकिन मैं यहां झूठ नहीं बोलूंगा। मैं एक बहुत ही लालची किस्म का आदमी था क्योंकि मेडिकल फील्ड में दोगुनी नहीं बल्कि कई गुना कमाई होती है।

शायद ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे कि मेडिकल प्रोफेशन में 10 रुपये में आने वाली दवा आराम से 70-80 रुपये में बिक जाती है। लेकिन अगर कोई मुझसे कभी दो रुपये भी कम करने को कहता तो मैं ग्राहक को मना कर देता। खैर, मैं हर किसी के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं।

वर्ष 2008 में, गर्मी के दिनों में एक बूढ़ा व्यक्ति मेरे स्टोर में आया। उसने मुझे डॉक्टर की पर्ची दी। मैंने दवा पढ़ी और उसे निकाल लिया। उस दवा का बिल 560 रुपये बन गया। लेकिन बूढ़ा सोच रहा था। उसने अपनी सारी जेब खाली कर दी लेकिन उसके पास कुल 180 रुपये थे। मैं उस समय बहुत गुस्से में था क्योंकि मुझे काफी समय लगा कर उस बूढ़े व्यक्ति की दवा निकालनी पड़ी थी और ऊपर से उसके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं थे।

बूढ़ा दवा लेने से मना भी नहीं कर पा रहा था। शायद उसे दवा की सख्त जरूरत थी। फिर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा, "मेरी मदद करो। मेरे पास कम पैसे हैं और मेरी पत्नी बीमार है। हमारे बच्चे भी हमें पूछते नहीं हैं। मैं अपनी पत्नी को इस तरह वृद्धावस्था में मरते हुए नहीं देख सकता।"

लेकिन मैंने उस समय उस बूढ़े व्यक्ति की बात नहीं सुनी और उसे दवा वापस छोड़ने के लिए कहा। यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि वास्तव में उस बूढ़े व्यक्ति की दवा की कुल राशि 120 रुपये ही बनती थी। अगर मैंने उससे 150 रुपये भी ले लिए होते तो भी मुझे 30 रुपये का मुनाफा ही होता। लेकिन मेरे लालच ने उस बूढ़े लाचार व्यक्ति को भी नहीं छोड़ा।

फिर मेरी दुकान पर खड़े एक दूसरे ग्राहक ने अपनी जेब से पैसे निकाले और उस बूढ़े आदमी के लिए दवा खरीदी। लेकिन इसका भी मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। मैंने पैसे लिए और बूढ़े को दवाई दे दी।

समय बीतता गया और वर्ष 2009 आ गया। मेरे इकलौते बेटे को ब्रेन ट्यूमर हो गया। पहले तो हमें पता ही नहीं चला। लेकिन जब पता चला तो बेटा मृत्यु के कगार पर था। पैसा बहता रहा और लड़के की बीमारी खराब होती गई। प्लॉट बिक गए, जमीन बिक गई और आखिरकार मेडिकल स्टोर भी बिक गया लेकिन मेरे बेटे की तबीयत बिल्कुल नहीं सुधरी। उसका ऑपरेशन भी हुआ और जब सब पैसा खत्म हो गया तो आखिरकार डॉक्टरों ने मुझे अपने बेटे को घर ले जाने और उसकी सेवा करने के लिए कहा। उसके पश्चात 2012 में मेरे बेटे का निधन हो गया। मैं जीवन भर कमाने के बाद भी उसे बचा नहीं सका।

2015 में मुझे भी लकवा मार गया और मुझे चोट भी लग गई। आज जब मेरी दवा आती है तो उन दवाओं पर खर्च किया गया पैसा मुझे काटता है क्योंकि मैं उन दवाओं की वास्तविक कीमत को जानता हूं।

एक दिन मैं कुछ दवाई लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर गया और 100 रु का इंजेक्शन मुझे 700 रु में दिया गया। लेकिन उस समय मेरी जेब में 500 रुपये ही थे और इंजेक्शन के बिना ही मुझे मेडिकल स्टोर से वापस आना पड़ा। उस समय मुझे उस बूढ़े व्यक्ति की बहुत याद आई और मैं घर चला गया।

मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि ठीक है कि हम सभी कमाने के लिए बैठे हैं क्योंकि हर किसी के पास एक पेट है। लेकिन वैध तरीके से कमाएं, ईमानदारी से कमाएं । गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है, क्योंकि नरक और स्वर्ग केवल इस धरती पर ही हैं, कहीं और नहीं। और आज मैं नरक भुगत रहा हूं।

*पैसा हमेशा मदद नहीं करता। हमेशा ईश्वर के भय से चलो। उसका नियम अटल है क्योंकि कई बार एक छोटा सा लालच भी हमें बहुत बड़े दुख में धकेल सकता है।*
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 #एकलघुकहानी~  अच्छी सीख  ~पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले,वे दूर खेतों की तरफ निकल आये, तभी पुत्र ने देखा कि रास्ते म...
24/07/2020

#एकलघुकहानी
~ अच्छी सीख ~

पिता और पुत्र साथ-साथ टहलने निकले,वे दूर खेतों की तरफ निकल आये, तभी पुत्र ने देखा कि रास्ते में, पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते उतरे पड़े हैं, जो ...संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे.

पुत्र को मजाक सूझा. उसने पिता से कहा ~ क्यों न आज की शाम को थोड़ी शरारत से यादगार बनायें,आखिर ... मस्ती ही तो आनन्द का सही स्रोत है. पिता ने असमंजस से बेटे की ओर देखा.

पुत्र बोला ~ हम ये जूते कहीं छुपा कर झाड़ियों के पीछे छुप जाएं.जब वो मजदूर इन्हें यहाँ नहीं पाकर घबराएगा तो बड़ा मजा आएगा.उसकी तलब देखने लायक होगी, और इसका आनन्द मैं जीवन भर याद रखूंगा.

पिता, पुत्र की बात को सुन गम्भीर हुये और बोले ~ बेटा ! किसी गरीब और कमजोर के साथ उसकी जरूरत की वस्तु के साथ इस तरह का भद्दा मजाक कभी न करना. जिन चीजों की तुम्हारी नजरों में कोई कीमत नहीं,
वो उस गरीब के लिये बेशकीमती हैं. तुम्हें ये शाम यादगार ही बनानी है, तो आओ .. आज हम इन जूतों में कुछ सिक्के डाल दें और छुप कर देखें कि ... इसका मजदूर पर क्या प्रभाव पड़ता है.पिता ने ऐसा ही किया और दोनों
पास की ऊँची झाड़ियों में छुप गए.

मजदूर जल्द ही अपना काम ख़त्म कर जूतों की जगह पर आ गया. उसने जैसे ही एक पैर जूते में डाले उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ, उसने जल्दी से
जूते हाथ में लिए और देखा कि ...अन्दर कुछ सिक्के पड़े थे.

उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और वो सिक्के हाथ में लेकर बड़े गौर से उन्हें देखने लगा.फिर वह इधर-उधर देखने लगा कि उसका मददगार शख्स कौन है ? दूर-दूर तक कोई नज़र नहीं आया, तो उसने सिक्के अपनी जेब में डाल लिए. अब उसने दूसरा जूता उठाया, उसमें भी सिक्के पड़े थे.

मजदूर भाव विभोर हो गया.

वो घुटनो के बल जमीन पर बैठ ...आसमान की तरफ देख फूट-फूट कर रोने लगा. वह हाथ जोड़ बोला ~
हे भगवान् ! आज आप ही किसी रूप में यहाँ आये थे, समय पर प्राप्त इस सहायता के लिए आपका और आपके माध्यम से जिसने भी ये मदद दी,उसका लाख-लाख धन्यवाद.
आपकी सहायता और दयालुता के कारण आज मेरी बीमार पत्नी को दवा और भूखे बच्चों को रोटी मिल सकेगी.तुम बहुत दयालु हो प्रभु ! आपका कोटि-कोटि धन्यवाद.

मजदूर की बातें सुन ... बेटे की आँखें भर आयीं.
पिता ने पुत्र को सीने से लगाते हुयेे कहा ~क्या तुम्हारी मजाक मजे वाली बात से जो आनन्द तुम्हें जीवन भर याद रहता उसकी तुलना में इस गरीब के आँसू और
दिए हुये आशीर्वाद तुम्हें जीवन पर्यंत जो आनन्द देंगे वो उससे कम है, क्या ?

पिताजी .. आज आपसे मुझे जो सीखने को मिला है, उसके आनंद को मैं अपने अंदर तक अनुभव कर रहा हूँ.
अंदर में एक अजीब सा सुकून है.
आज के प्राप्त सुख और आनन्द को मैं जीवन भर नहीं भूलूँगा. आज मैं उन शब्दों का मतलब समझ गया
जिन्हें मैं पहले कभी नहीं समझ पाया था.आज तक मैं मजा और मस्ती-मजाक को ही वास्तविक आनन्द समझता था, पर आज मैं समझ गया हूँ कि ~
~ लेने की अपेक्षा देना ~
कहीं अधिक आनंददायी है.

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