अंतरिक्ष बाबा - Antariksh Baba

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आपको ओर आपका  सपरिवार  एवम साधक, साधिका को,दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं. एवं दीपोत्सव आपके जीवन को...
24/10/2022

आपको ओर आपका सपरिवार एवम साधक, साधिका को,
दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाईदूज
की हार्दिक शुभकामनाएं.
एवं दीपोत्सव आपके जीवन को
सुख, समृद्धि, सुख-शांति, सौहार्द
एवं अपार खुशियों की रोशनी से जग-मग करे...।
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सादर नमस्कार|
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💐💐 भगवान आपकी सभी मनोकामनाये पूर्ण करे ।

💀💀अंतरिक्ष बाबा 💀💀

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26/07/2021

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*💐 ।।ॐ निं निखिलेश्वराय नमः।।💐*
*।।ऊँ नमः शिवाय ऊँ ह्रौं जूं सः ऊँ नमः शिवाय।।*

इस संसार में मनुष्य अपनी चाल नहीं चलता, मनुष्य होकर भेड़ चाल में चलता है।कुछ मिल जाता है, तो उसे सफलता मान लेता है,और जो चाहता है वह नहीं मिलता है तो एकदम निराश, हताश हो जाता है और अपने आपको असफल मान लेता है।इसी सोच के कारण प्रत्येक मनुष्य पल-पल मरता रहता है।पल-पल मरने का यहाँ अर्थ है, नित्य प्रति निराशा का विष थोड़ा-थोड़ा ग्रहण करना और अपने भीतर बैठे भय रुपी विष कुण्ड को और अधिक भरना।विष कुण्ड को हटाकर अमृत कुण्ड स्थापित करने के लिए जीवन में गुरु की आवश्यकता होती है,क्योंकि गुरु ही जीवन में अमृत तत्व से परिचय कराते हैं।राम-राज्य की तरह जीवन, मर्यादित जीवन, बाधाओं के शमन का पराक्रम,हर स्थिति -परिस्थिति में आनन्दित पल,हर क्षण चेतनाशील एवं ईश्वरीय अनुभूति *भगवान शिव स्वरुप गुरु की कृपा* से ही संभव है।

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मोह को त्यागने की आवश्यकता नहीं | You can remain spiritual in a materialistic worldमोह के मूल में प्रेम होता है, और यह प...
21/06/2021

मोह को त्यागने की आवश्यकता नहीं | You can remain spiritual in a materialistic world
मोह के मूल में प्रेम होता है, और यह प्रेम अपनों के लिए अधिक प्रखर होता है। मोह और मेरा दोनों ही संयुक्त है। जो मेरा है उसके प्रति ना सिर्फ हमें प्रेम होता है बल्कि उसे सजाना-संवारना जरूरी लगता है, जितना ही अधिक हमारा मोह किसी उद्देश्य के लिए सुदृढ़ होता है उतना ही अधिक हम उसके प्रति गंभीर और आशावान होते हैं।
यहां पर जरूरी बात आशा है जो हममें आत्मबल का संचार करता है। स्वयं देख लीजिए जिनके प्रति प्रेम या मोह होता है, आप विकट परिस्थितियों में भी उनके लिए उम्मीद से भरे होते हैं। उम्मीद किसी चमत्कार से कम नहीं होता है, जहां आशा होती है वहां पर संकल्प आत्मबल जैसे तत्व स्वयं शामिल हो जाते हैं और इसकी शुरुआत प्रेम भाव से होती है जिसे कई बार मोह भी कहा गया है। मोह ना सिर्फ आपको अतिरिक्त ऊर्जा देता है बल्कि जीवन को जीवंत भी बना देता है।
जहां मोह होता है, वहां हिसाब-किताब नहीं चलता, नापतोल कर कार्य नहीं किया जाता, बल्कि वहां तो जुनून होता है कि लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाए।
मोह के पाश से मुक्त हो जाएं, प्रेम का खुला आकाश आपके स्वागत को तैयार है

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07/06/2021

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*💐।। ॐ गोरख नाथाय नम :।।💐*

*आज का विचार*
हम अपने जीवन में ईश्वर से जितना अधिक प्राप्त कर रहे हैं तो उसका कुछ अंश अवश्य ही जरुरतमंद लोगों को देना चाहिए।
देने की भावना से ही मनुष्य में देवत्व जाग्रत होता है *समय दीजिये, ज्ञान दीजिये, धन दीजिये, भावना दीजिये, उत्साह दीजिये।
मनुष्य को सबसे अधिक आनन्द तब प्राप्त होता हैजब उस में इतना सामर्थ्य आ जाता है कि वह स्वयं को पालने के साथ-साथ दूसरों का पालन भी कर रहा हो।
जो केवल अपने लिये जीया उसके जीवन का औरों को क्या लाभ?
यदि हमें अपने कर्म द्वारा कुछ प्राप्त हुआ है तो उसका कुछ भाग परोपकार में अवश्य लगाना चाहिए।

*नित्य साधना क्रम मंत्र:-*
_*१) गुरु मंत्र:*- ऊँ गोरख नाथाय नमः_
_*२) गणपति मंत्र:*- ऊँ गं गणपतये नमः_
_*३) भैरव मंत्र:*- ऊँ ह्रीं भं भैरवाय नमः_
_*४) चेतना मंत्र:*- ऊँ ह्रीं मम प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ऊँ नमः_
_*५) गायत्री मंत्र:*- ऊँ भू र्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्_
_*६) अमृत मंत्र:*- ऊँ आत्मप्राण चैतन्य पूर्णत्व सिद्धिं ऐं ह्रीं श्रीं नमः_
_*७) शांति मंत्र:*- सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः मनुष्योमत्प्रसादेन भविष्याति न संशयः_
_*८) प्रायश्चित मंत्र:*- ऊँ भूताय त्वां देह प्रायाश्चितं परिमार्जन देह भूताय फट्।।_

_*वन्दे गुरो !निखिल ! ते चरणारविन्दम्*_

आज का श्लोक: #काक_चेष्टा_बको_ध्यानं_श्वान_निद्रा_तथैव_च। #अल्पहारी_गृह_त्यागी_विद्यार्थी_पंच_लक्षणं  ॥भावार्थ:कौआ की तरह...
02/06/2021

आज का श्लोक:
#काक_चेष्टा_बको_ध्यानं_श्वान_निद्रा_तथैव_च।
#अल्पहारी_गृह_त्यागी_विद्यार्थी_पंच_लक्षणं ॥
भावार्थ:
कौआ की तरह चतुर, बगुला की तरह ध्यान करने वाले, स्वान की तरह कम निंद्रा तथा कम खाने वाला, गृह का त्याग करने वाले ही विद्यार्थी के पांच लक्षण हैं।
भावार्थ 2:
एक विद्यार्थी को कौव्वे की तरह जानने की चेष्टा करते रहना चाहिए, बगुले की तरह मन लगाना(ध्यान करना) चाहिए, कुत्ते की तरह सोना चाहिए, काम से काम और आवश्यकतानुसार खाना चाहिए और गृह-त्यागी होना चाहिए।
यही पांच लक्षण एक विद्यार्थी के होते है
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इस सृष्टि में मूल सत्ताएं तीन ही है- जिन्हें त्रि- रत्न कहा गया है।ये तीन सत्ताएं- *शिव, शक्ति और बिन्दु* है। शिव जीवन क...
02/05/2021

इस सृष्टि में मूल सत्ताएं तीन ही है- जिन्हें त्रि- रत्न कहा गया है।ये तीन सत्ताएं- *शिव, शक्ति और बिन्दु* है। शिव जीवन के अधिष्ठाता है और स्वयं सिद्ध शक्तिमान है।बिन्दु शरीर में स्थित कुण्डलिनी चक्र है और ये भी शिव द्वारा ही अधिष्ठित है और शक्ति ऊर्जा का वह भाव है जो शरीर में स्थित इन बिन्दु चक्रों को स्पर्श करती हुईं उन्हें अपने द्वारा प्रकाशित करती हुईं, चैतन्य करती हुईं सहस्रार में शिव के साथ मिल जाती है।मृत्युंजय रुप में मृत्यु पर विजय का सूत्र समझाने वाले *महाकाल* शिव सृष्टि के आरम्भ से ही पूज्य हैं, और प्रलय काल में सृष्टि उन्हीं में लीन होती है।लिंग रुप हो या फिर विग्रह शिव हर रुप में पूज्य है।

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02/05/2021

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