Shri Krishna Neuro and Mental Health Clinic

Shri Krishna Neuro and Mental Health Clinic Complete treatment of all Neuropsychiatric problem

श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय पर 'मिर्गी दिवस' पर सफल आयोजन! यह महत्वपूर्ण पहल आज के प्रमुख अख़बारों में ...
18/11/2025

श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय पर 'मिर्गी दिवस' पर सफल आयोजन! यह महत्वपूर्ण पहल आज के प्रमुख अख़बारों में प्रकाशित हुई है।
"स्वास्थ्य हमारा संकल्प, जागरूकता हमारा माध्यम।"
#डॉहरिनाथयादव #श्रीकृष्णान्यूरोएवंमानसिकरोगचिकित्सालय

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (17 नवंबर) विशेष ✨मिर्गी लाइलाज नहीं, मिर्गी का इलाज संभव है!*डॉ. हरि नाथ यादव*श्री कृष्णा न्यूरो ...
17/11/2025

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (17 नवंबर) विशेष ✨
मिर्गी लाइलाज नहीं, मिर्गी का इलाज संभव है!
*डॉ. हरि नाथ यादव*
श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय, जौनपुर द्वारा विस्तृत जागरूकता रिपोर्ट
जौनपुर, 17 नवंबर:
राष्ट्रीय मिर्गी दिवस के अवसर पर, श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय, नईगंज, जौनपुर के संचालक और विख्यात मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. हरि नाथ यादव ने मिर्गी (Epilepsy) के बारे में वैज्ञानिक जागरूकता फैलाने और इस रोग से जुड़े सामाजिक कलंक को समाप्त करने के लिए एक विस्तृत और महत्वपूर्ण जागरूकता संदेश जारी किया है।
1. मिर्गी क्या है? (वैज्ञानिक आधार)
मिर्गी मस्तिष्क का एक दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसकी पहचान बार-बार होने वाले अनियंत्रित दौरों से होती है। डॉ. हरि नाथ यादव स्पष्ट करते हैं कि हमारे मस्तिष्क में न्यूरॉन्स विद्युत संकेतों के माध्यम से संवाद करते हैं। मिर्गी की स्थिति में, इन विद्युत संकेतों में अचानक और अस्थायी रूप से गड़बड़ी आ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवहार, गति और चेतना में अल्पकालिक बदलाव आता है। यह विकार किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है।
2. मिर्गी के प्रमुख कारण
मिर्गी के कारणों को अक्सर 'संरचनात्मक' और 'आनुवंशिक' श्रेणियों में बांटा जाता है। कारणों में प्रमुख हैं: मस्तिष्क की संरचनात्मक क्षति (जैसे स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर या सिर की गंभीर चोट), संक्रमण (जैसे मैनिन्जाइटिस, एन्सेफलाइटिस या न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस), आनुवंशिक कारक (जो मिर्गी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाते हैं), और चयापचय संबंधी असामान्यताएं (Metabolic Abnormalities)। कई बार, बच्चों में जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी या प्रसव के दौरान हुई चोट भी मिर्गी का कारण बन सकती है। यह ध्यान देना आवश्यक है कि लगभग 50% मामलों में, विशेषज्ञ भी मिर्गी का कोई स्पष्ट कारण नहीं खोज पाते हैं।
3. मिर्गी के प्रकार और वर्गीकरण
मिर्गी को मुख्य रूप से इस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है कि दौरा मस्तिष्क में कहाँ शुरू होता है:
सामान्यीकृत दौरे (Generalized Seizures): ये दौरे मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्धों को एक साथ प्रभावित करते हैं। इसमें टॉनिक-क्लोनिक दौरे सबसे आम हैं, जहाँ व्यक्ति अचानक चेतना खोकर, शरीर को अकड़ता है (टॉनिक) और फिर अंगों को झटके देता है (क्लोनिक)। एब्सेंस दौरे (Petit Mal) में व्यक्ति बस कुछ सेकंड के लिए टकटकी लगाता है, जो अक्सर बच्चों में देखा जाता है।
आंशिक या फोकल दौरे (Focal Seizures): ये दौरे मस्तिष्क के केवल एक हिस्से में शुरू होते हैं। इन्हें चेतना के आधार पर आगे विभाजित किया जाता है: फोकल अवेयर दौरे (Focal Aware) में व्यक्ति होश में रहता है लेकिन शरीर के एक हिस्से में झटके या अजीब भावनाएँ महसूस करता है; जबकि फोकल इम्पेयर्ड अवेयरनेस दौरे (Focal Impaired Awareness) में चेतना आंशिक रूप से या पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है।
4. मिर्गी से जुड़ी भ्रांतियाँ (Myth Busting)
सामाजिक कलंक को समाप्त करने के लिए भ्रांतियों को दूर करना अत्यंत आवश्यक है। डॉ. हरि नाथ यादव ने निम्नलिखित भ्रांतियों पर प्रकाश डाला:
भ्रांति: मिर्गी छूने से फैलती है। सत्य: मिर्गी संक्रामक नहीं है; यह एक न्यूरोलॉजिकल असामान्यता है।
भ्रांति: दौरा पड़ने पर मरीज़ के मुँह में चम्मच, जूता या प्याज देना चाहिए। सत्य: यह बेहद खतरनाक है! मुँह में कुछ भी डालने से गला अवरुद्ध हो सकता है या दाँत टूट सकते हैं।
भ्रांति: मिर्गी किसी बुरी आत्मा या जादू-टोना का परिणाम है। सत्य: यह एक चिकित्सा स्थिति है जिसका उपचार दवाओं से संभव है।
5. दौरे के दौरान सही बचाव और प्राथमिक उपचार
दौरे के दौरान मरीज़ को चोट लगने से बचाना ही सबसे महत्वपूर्ण है। प्राथमिक उपचार के लिए ये कदम उठाएँ:
शांत रहें और घबराएँ नहीं।
व्यक्ति को ज़मीन पर करवट (Recovery Position) में लिटा दें, ताकि साँस लेने का रास्ता साफ रहे।
उनके सिर के नीचे कोई मुलायम वस्तु (जैसे मुड़ा हुआ कपड़ा या जैकेट) रखें।
कसने वाले कपड़े (टाई, कॉलर) ढीले कर दें।
कभी भी मुँह में कुछ न डालें, और दौरे को जबरदस्ती रोकने की कोशिश न करें।
दौरा खत्म होने तक उनके साथ रहें।
6. मिर्गी का उपचार और प्रबंधन
मिर्गी का इलाज 90% से अधिक मामलों में संभव है, और यह लाइलाज नहीं है। उपचार के प्रमुख भाग हैं:
एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग्स (AEDs): ये मुख्य उपचार हैं, जो दौरों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करते हैं। सही दवा के चुनाव के लिए विशेषज्ञ से परामर्श आवश्यक है।
जीवनशैली प्रबंधन: पर्याप्त नींद लेना, तनाव कम करना और शराब/नशीले पदार्थों से दूर रहना उपचार में महत्वपूर्ण हैं।
विशेष उपचार: यदि दवाएँ काम नहीं करती हैं, तो कुछ मामलों में सर्जरी या कीटोजेनिक आहार जैसे विकल्प भी उपलब्ध होते हैं।
7. डॉ. हरि नाथ यादव का संदेश: डॉक्टर को न दिखाने का सीधा असर
डॉ. हरि नाथ यादव ने मिर्गी से पीड़ित और उनके परिवारों को एक सीधा संदेश दिया: "मिर्गी का दौरा पड़ने के बाद डॉक्टर से सलाह लेने में देरी या खुद से इलाज करने की कोशिश का सीधा असर आपके दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। अनियंत्रित दौरे मस्तिष्क को स्थायी क्षति पहुँचा सकते हैं और चोट लगने का खतरा बढ़ा सकते हैं। मिर्गी का उपचार संभव है, इसलिए विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें। साथ ही, सामाजिक कलंक के कारण पैदा होने वाले अवसाद और चिंता के लिए मानसिक स्वास्थ्य परामर्श अवश्य लें। मिर्गी को नज़रअंदाज़ न करें; विज्ञान में विश्वास रखें!"
इस अवसर पर अस्पताल के समस्त स्टाफ, श्रीमती प्रतिमा यादव,डॉक्टर सुशील यादव, मरीज एवं उनके परिजन उपस्थित रहे।

 #स्वास्थ्य_अलर्ट:  #सर्दियों_में_स्ट्रोक_से_रहें_सावधान!       न्यूरो मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. हरि नाथ यादव की तरफ से स...
17/11/2025

#स्वास्थ्य_अलर्ट: #सर्दियों_में_स्ट्रोक_से_रहें_सावधान!


न्यूरो मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. हरि नाथ यादव की तरफ से सर्दियों में स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) के बढ़ते जोखिम पर महत्वपूर्ण सुझाव:
⚠️ ठंड में स्ट्रोक का खतरा क्यों बढ़ता है?
BP हाई: ठंड से नसें सिकुड़ती हैं, जिससे रक्तचाप (BP) तेजी से बढ़ता है।
रक्त का गाढ़ापन: ठंडे तापमान में रक्त गाढ़ा हो सकता है, थक्के (Clots) बनने का जोखिम बढ़ता है।
डॉ. हरि नाथ यादव चेतावनी देते हैं: अनियंत्रित BP स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है!
🎯 स्ट्रोक के प्रकार, जो आपको पता होने चाहिए:
इस्कीमिक स्ट्रोक (87%): कारण – धमनी में थक्का जमना।
हेमोरेजिक स्ट्रोक (13%): कारण – अनियंत्रित उच्च BP से रक्त वाहिका का फटना।
✅ सर्दियों में स्ट्रोक से बचाव के लिए डॉ. हरि नाथ यादव के सुझाव:
BP रखें नियंत्रण में: अपनी दवाएँ समय पर लें और BP की नियमित जांच करते रहें।
गर्म कपड़े पहनें: अत्यधिक ठंड से बचें। सिर, कान, हाथ और पैर को ढक कर रखें।
धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान स्ट्रोक के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है।
हल्का व्यायाम: ठंड के मौसम में सुबह जल्दी कठोर व्यायाम करने से बचें; घर के अंदर हल्का व्यायाम करें।
लक्षण पहचानें (FAST): चेहरे का लटकना (Face), हाथ की कमजोरी (Arm), बोलने में कठिनाई (Speech) होने पर तुरंत समय (Time) न गवाएं, डॉक्टर से मिलें।
डॉ. हरि नाथ यादव का संदेश: "जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। सर्दियों में अपने न्यूरो स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।"

*Jaunpur News: सर्दियों के मौसम में मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है: डा. हरिनाथ यादव*
16/11/2025

*Jaunpur News: सर्दियों के मौसम में मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है: डा. हरिनाथ यादव*

Jaunpur News: सर्दियों के मौसम में मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है: डा. हरिनाथ यादव

*Jaunpur News: सर्दियों के मौसम में मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है: डा. हरिनाथ यादव*
16/11/2025

*Jaunpur News: सर्दियों के मौसम में मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है: डा. हरिनाथ यादव*

Jaunpur News The risk of brain stroke increases in the winter season Dr. Harinath Yadav

स्वास्थ्य अलर्ट: सर्दियों में स्ट्रोक से रहें सावधान!​       ​न्यूरो मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. हरि नाथ यादव की तरफ से सर्...
16/11/2025

स्वास्थ्य अलर्ट: सर्दियों में स्ट्रोक से रहें सावधान!

​न्यूरो मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. हरि नाथ यादव की तरफ से सर्दियों में स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) के बढ़ते जोखिम पर महत्वपूर्ण सुझाव:
​⚠️ ठंड में स्ट्रोक का खतरा क्यों बढ़ता है?
​BP हाई: ठंड से नसें सिकुड़ती हैं, जिससे रक्तचाप (BP) तेजी से बढ़ता है।
​रक्त का गाढ़ापन: ठंडे तापमान में रक्त गाढ़ा हो सकता है, थक्के (Clots) बनने का जोखिम बढ़ता है।
​डॉ. हरि नाथ यादव चेतावनी देते हैं: अनियंत्रित BP स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है!
​🎯 स्ट्रोक के प्रकार, जो आपको पता होने चाहिए:
​इस्कीमिक स्ट्रोक (87%): कारण – धमनी में थक्का जमना।
​हेमोरेजिक स्ट्रोक (13%): कारण – अनियंत्रित उच्च BP से रक्त वाहिका का फटना।
​✅ सर्दियों में स्ट्रोक से बचाव के लिए डॉ. हरि नाथ यादव के सुझाव:
​BP रखें नियंत्रण में: अपनी दवाएँ समय पर लें और BP की नियमित जांच करते रहें।
​गर्म कपड़े पहनें: अत्यधिक ठंड से बचें। सिर, कान, हाथ और पैर को ढक कर रखें।
​धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान स्ट्रोक के जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है।
​हल्का व्यायाम: ठंड के मौसम में सुबह जल्दी कठोर व्यायाम करने से बचें; घर के अंदर हल्का व्यायाम करें।
​लक्षण पहचानें (FAST): चेहरे का लटकना (Face), हाथ की कमजोरी (Arm), बोलने में कठिनाई (Speech) होने पर तुरंत समय (Time) न गवाएं, डॉक्टर से मिलें।
​डॉ. हरि नाथ यादव का संदेश: "जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। सर्दियों में अपने न्यूरो स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।"

आप सभी को देव दीपावली एवं कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹🌹
05/11/2025

आप सभी को देव दीपावली एवं कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹🌹

आज की भाग दौड़ जिंदगी में इंटरनेट की उपयोगिताडिजिटल जीवन का दो-धारी तलवार (The Double-Edged Sword of Digital Life)​ मैं ...
24/10/2025

आज की भाग दौड़ जिंदगी में इंटरनेट की उपयोगिता

डिजिटल जीवन का दो-धारी तलवार (The Double-Edged Sword of Digital Life)
​ मैं जानता हूँ कि आप सभी अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। आज के समय में, यह सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि हमारी मजबूरी और शक्ति दोनों है।
​पहला पहलू: हमारी शक्ति (The Power - Why We Need It)
​इसे 'उपयोगिता' नहीं, बल्कि 'शक्ति' समझिए। ये हमें देते हैं:
​ज्ञान की विशालता: मिनटों में कोई भी जानकारी पाना, ऑनलाइन कोर्स करना। यह हमें सशक्त (empower) बनाता है।
​सुरक्षा कवच: GPS, आपातकालीन संपर्क (emergency contacts), ऑनलाइन बैंकिंग—ये हमारी सुरक्षा और सुविधा के लिए ज़रूरी हैं।
​विकास का मंच: व्यवसाय, मार्केटिंग, और दूर-दराज के सहयोग (collaboration) का माध्यम।
​*(यह पहलू दर्शाता है कि हम इसे पूरी तरह छोड़ नहीं सकते।)
​दूसरा पहलू: हमारी कमज़ोरी (The Weakness - The Hidden Cost)
​जब यह शक्ति हमारी आदत और लत बन जाती है, तो यह हमें कमज़ोर करने लगती है:
​मानसिक स्वास्थ्य का क्षरण (Erosion of Mental Health): लगातार नोटिफिकेशन और तुलना करने की आदत से तनाव, बेचैनी (Anxiety) और अपनी ज़िंदगी से असंतोष (Dissatisfaction) बढ़ता है। हम हमेशा 'ऑन-ड्यूटी' रहते हैं, जिससे दिमाग को आराम नहीं मिलता।
​नींद का अपहरण (Sleep Kidnapping): रात को फ़ोन देखने से मेलाटोनिन (Melatonin) हार्मोन बाधित होता है, जिससे नींद की गुणवत्ता (quality) खराब होती है। कम नींद यानी कमज़ोर मन और शरीर।
​रिश्तों में दूरी: परिवार के साथ होते हुए भी फ़ोन में खोए रहना। तकनीक हमें दूर रहने वालों से जोड़ती है, पर पास के लोगों से दूर कर देती है।
​खोया हुआ समय: घंटों रील्स या अनावश्यक सामग्री (irrelevant content) देखने में बर्बाद करना। यह समय आपके करियर, परिवार या स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में लग सकता था।
​समाधान: हमें 'नियंत्रक' बनना है, 'गुलाम' नहीं
​याद रखिए: आप मोबाइल के मालिक हैं, मोबाइल आपका नहीं।
​सोने से 1 घंटा पहले: फ़ोन को दूसरे कमरे में रखें।
​काम के दौरान: अनावश्यक ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद करें।
​एक सप्ताह में एक दिन: 1-2 घंटे के लिए फ़ोन को पूरी तरह 'फ्लाइट मोड' पर रखें और प्रकृति के साथ समय बिताएँ।
​यह संतुलन ही आपको इस दो-धारी तलवार का सही उपयोग करने में मदद करेगा।
​यह पुनर्संरचना (restructure) उपयोगिता को 'शक्ति' और दुरुपयोग को 'कमज़ोरी' के रूप में प्रस्तुत करती है, जो मानसिक स्वास्थ्य पर इसके गहरे प्रभावों को उजागर करती है।

आज डॉक्टर हरिनाथ यादव न्यूरो मानसिक रोग विशेषज्ञ दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में 12:00 बजे से 1:00 बजे के बीच म...
23/10/2025

आज डॉक्टर हरिनाथ यादव न्यूरो मानसिक रोग विशेषज्ञ दैनिक जागरण के हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में 12:00 बजे से 1:00 बजे के बीच में उपस्थित रहेंगे आप सभी लोग न्यूरो मानसिक बीमारियों से संबंधित सवाल पूछ सकते हैं।

समस्त देशवासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामना, आप एवं आप सभी के परिवार पर माता रानी की कृपा बनी रहे,आप लोग स्...
20/10/2025

समस्त देशवासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामना, आप एवं आप सभी के परिवार पर माता रानी की कृपा बनी रहे,आप लोग स्वस्थ हो, सुखी हो, समृद्ध हो यही हमारी कामना है🙏🌹🌹💐💐

Happy dhanteras
18/10/2025

Happy dhanteras

11/10/2025

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