15/11/2025
बीजेपी ऐसे लड़ती है चुनाव!
दृश्य -1 25 अक्टूबर को बक्सर के एक होटल में मैं अपनी टीम के साथ डिनर कर रहा था. दूसरी टेबल पर बीजेपी का पटका डाले कुछ नेता टाइप के लोग बैठे थे. उनमें से एक सज्जन बार-बार मेरी तरफ देख रहे थे. मैं भी उन्हें पहचानने की कोशिश कर रहा था. तभी वे मेरे पास आए और बोले - “मैं सतीश गौतम, अलीगढ़ से बीजेपी का सांसद हूं.” मैंने पूछा - “आप यहां?” उन्होंने कहा - “मैं एक महीने से बक्सर में हूं. इस बार हम बक्सर जीतेंगे.”
संक्षिप्त बातचीत के बाद वो अपनी सीट पर चले गए. मैं सोचने लगा कि बीजेपी कैसे चुनाव लड़ती है, इसका नमूना ये है कि अलीगढ़ का एक सांसद कई लोगों के साथ बक्सर में कैंप करके बैठा है. जाहिर है और भी बहुत से लोग होंगे. बक्सर आखिर जीत ही गई बीजेपी.
दृश्य -2 अगले दिन वहां से आरा होते हुए पटना लौट रहा था तो सड़क के किनारे झुग्गी बस्तियों में कुछ लोग बीजेपी के पर्चे बांटते दिखे. तभी मेरी नजर यूपी बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पर पड़ी. मैंने थोड़ा आगे जाकर गाड़ी रोकी और पलटकर देखने गया कि वाकई स्वतंत्र देव सिंह ही हैं कि कोई और है. पता चला कि स्वतंत्र देव सिंह कुछ लोगों के साथ सड़क के किनारे दुकानदारों और बस्ती वालों से बात करते चल रहे थे. जरा सोचिए उत्तर प्रदेश भाजपा का एक कद्दावर नेता सड़क के किनारे कुछ कार्यकर्ताओं के साथ धूल फांकता हुआ प्रचार कर रहा था. कोई कैमरा नहीं, कोई पब्लिसिटी नहीं, कोई रील नहीं.
दृश्य - 3 पहले दौर के चुनाव के बाद मैं किशनगंज के दफ्तरी पैलेस होटल के बाहर गाड़ी से सामान निकाल रहा था, तभी एक सज्जन आकर मिले. सूरत के कारोबारी के रुप में अपना परिचय दिया और कहा कि “मैं कुछ दिनों तक तेघरा में तैनात था. वहां हम लोगों ने रजनीश कुमार की जीत के लिए दिन-रात काम किया है. “मैं कुछ दिनों तक तेघरा में तैनात था. वहां हम लोगों ने रजनीश कुमार की जीत के लिए दिन-रात काम किया है.”
गुजराती सज्जन ने पूरा हिसाब किताब समझाया कि कैसे रजनीश कुमार को 110000 से ज्यादा वोट मिलेंगे और काफी मार्जिन से जीतेंगे. उन्होंने अपना नंबर दिया और दावा किया कि नतीजों के दिन आप चाहें तो फोन कर लीजिएगा. अभी देख रहा हूं कि रजनीश कुमार 112000 वोट पाकर 35 हजार वोट से जीत गए हैं. सीपीआई के मौजूदा विधायक चुनाव हार गए हैं. उन्होंने कहा कि अब हम किशनगंज जिले में काम करने आ गए हैं. उन्होंने बड़े उत्साह के साथ ये भी बताया कि कैसे गुजरात के बहुत से लोग अलग-अलग इलाकों में आकर महीने भर से डटे हैं.
ऐसे न जाने कितने लोग बीजेपी के लिए महीने दो महीने से बिहार में काम कर रहे थे. दर्जन भर मुख्यमंत्री, दर्जनों कैबिनेट मंत्री, दो सौ से ज्यादा सांसद और अलग-अलग राज्यों से आए हजारों बीजेपी कॉडर के लोग बिहार में डटे थे. बिहार में एनडीए की जीत की व्याख्या करते वक्त इसे भी समझना होगा कि बीजेपी चुनाव लड़ती कैसे है?
~ अजीत अंजुम