18/10/2025
।। धनत्रयोदशी शुभाशया:।।
भगवान धनवंतरी विष्णु-अवतार रूपी ('विष्णु' शब्द 'विष्' धातु से निष्पन्न है और उसका अर्थ व्यापनयुक्त/सर्वव्यापक है); (ज्ञान स्वरूप) समुद्र-मंथन से उत्पन्न वो रत्न हैं, जिनके ४ मनमोहक हाथ हैं-
एक हाथ में शंख ( शुभ स्रोतस- maintaining health),
एक हाथ में चक्र (जिससे दानव/रोग समूह का नाश करते हैं)
एक हाथ में जलौका ( शरीर से दुष्ट रक्त बाहर निकाल देती है, क्योंकि रक्त जो कि जीव का अधिष्ठान है, वह भी दूषित होने पर शरीर की हानि करता है)
और एक हाथ में (आयुर्वेद स्वरूपी) अमृत-कलश (आयुर्वेदो अमृतानाम् श्रेष्ठं) है!
उनके हृदय से सूक्ष्म, निर्मल प्रकाश झरता है - जो उनके मस्तक व कमलनेत्रों (जिससे वे समस्त जगत को शीतलता- emotional support प्रदान करते हैं) को प्रकाशित करता है;
श्याम वर्ण (रोग-रूपी) समुद्र में उनका उज्ज्वल शरीर (स्वास्थ्यदायक) तरंगवत तैरता प्रतीत होता है!
जो पीतांबर वस्त्र धारण किए हैं (पीतवर्ण सूर्य की तरह इस जगत को अपने ज्ञान से देदीप्यमान करते हैं);
तथा समस्त रोगों के समूह स्वरूप वन को (अपने ज्ञान की) अग्नि से नष्ट कर देते हैं!
आज हम उस धनवंतरी देव को नमन करते हैं!
(अर्थात, एक वैद्य को इन उपर्युक्त गुणों को आत्मसात करने का सदैव प्रयास करते रहना चाहिए)
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः।सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम्॥कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम्।वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढ़दावाग्निलीलम्॥
We bow to The Lord Dhanvantari, holding in his graceful four hands a Conch shell (maintaining health), a Wheel (to destroy all diseases), a Leech (to suck out vitiated blood, that may cause any disorder) and a pot of heavenly nectar (named Ayurveda). Within whose heart shines the most pure and gentle beautiful blaze of light, which surrounds his head and emanates from his lotus eyes. On the (disease depicting) dark water whose body (symbolising health) is luminous and gleaming. Waist and thighs are covered in yellow cloth (the colour of sun, that enlightens this world by the light of his knowledge) and by whose mere play All diseases are vanquished as if by a mighty forest-fire!
🌱ॐ धन्वंतरये नमः॥ 🌿