Jhunjhunu Club

Jhunjhunu Club Jhunjhunu Club is the organization to explore the people of Jhunjhunu District. Jhunjhunu district needs much to be done for its development.

There should be a Defense Research & Development Organisation (DRDO) lab, Agriculture and Livestock Research Institute, Medical and Engineering College, Entrepreneurship and Skill Development Institute, Military School, Defense University, Small and Middle scale Industries, Agro-food processing Industries, Mines and Mineral based Industries, Inclusion of Jhunjhunu in NCR, Network of Roads to each Village, Promotion of science and technology in agriculture, Drinking water for All (free from fluoride, germs etc.), promotion of floriculture, horticulture and forestry, Improved healthcare system and e-healthcare, Enhanced e-governance and people grievance system, welfare and rehabilitation of retired and ex-service persons, more facilities to military persons and for their families, and much is needed to improve in education, administration, child-women empowerment, and for youth employment.

29/11/2025

जीडीपी है कि चमत्कार! क्या दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में महँगाई दर मात्र 0.5% रही? अगर यह सही है, तो इसे महँगाई नहीं, उसके उलट है। ऐसे में रुपये की क़ीमत बढ़ जाती है। यहाँ तो रुपया भी कमज़ोर होता गया है। अगर सच में ऐसा होता, तो सरकार को महँगाई भत्ता क्यों बढ़ाना पड़ता? कमाई, बचत और रोज़गार का हाल सबको पता है। महँगाई न्यूनतम हुई, तो फिर जीडीपी में उछाल कैसे आया?

रतलाम के एक निजी स्कूल में आठवीं कक्षा का तेरह वर्षीय छात्र, जिसने कक्षा में रील बना ली थी, उसे प्रिंसिपल ने बुलाया। कैम...
29/11/2025

रतलाम के एक निजी स्कूल में आठवीं कक्षा का तेरह वर्षीय छात्र, जिसने कक्षा में रील बना ली थी, उसे प्रिंसिपल ने बुलाया। कैमरे में दिखता है कि बच्चा बार-बार माफी मांगता रहा, “सॉरी” कहा, कान पकड़े, डर से कांपता रहा। बताया जाता है कि उसे पिता को बुलाने और निलंबन जैसी कार्रवाई की बात कही गई। कुछ ही मिनटों बाद वह बच्चा तीसरी मंज़िल की ओर भागा और नीचे कूद गया। पिता उसी समय स्कूल के वेटिंग रूम में मौजूद थे। बच्चा बच गया, लेकिन गंभीर रूप से घायल है। यह खबर इसलिए ज्यादा डराती है क्योंकि इसमें हिंसा नहीं है, गाली नहीं है, सिर्फ डर है। और वही डर बच्चे को मौत के मुहाने तक ले गया।

यह घटना हमें चीख-चीख कर बताती है कि बच्चों में बढ़ती आत्मघाती प्रवृत्ति केवल मेंटल हेल्थ का मामला नहीं है, यह हमारे पूरे सामाजिक व्यवहार, शिक्षा व्यवस्था और वयस्कों की संवेदनहीनता का आईना है। हम बच्चों को लगातार बताते हैं कि गलती मत करना, छवि खराब मत करना, भविष्य मत बिगाड़ना। लेकिन हम शायद यह भूल गए हैं कि बच्चा गलती से नहीं, डर से टूटता है। अपराध बोध से नहीं, अपमान से बिखरता है। और जब डर, अपमान और अकेलापन एक साथ मिल जाते हैं, तो तेरह साल का बच्चा भी मृत्यु को समाधान समझने लगता है।

यह संकट अर्थ के संकट से जुड़ा है। बच्चे का जीवन अभी शुरुआत में होता है। उसके पास अनुभव नहीं होता कि एक गलती पूरी जिंदगी नहीं होती। उसके लिए आज का डर ही पूरा संसार होता है। वयस्कों को जहां भविष्य के कई दरवाज़े दिखते हैं, बच्चे को वहां एक बंद दीवार दिखती है। जब हम कहते हैं कि “तुम्हारा करियर खत्म हो जाएगा”, तो बच्चा इसे रूपक की तरह नहीं, सच की तरह लेता है। उसके भीतर यह भाव बैठ जाता है कि अब आगे कुछ नहीं बचा। जीवन का अर्थ उसके लिए इतना संकरा बना दिया जाता है कि एक अनुशासनात्मक नोटिस भी अंत की तरह महसूस होने लगता है।

किशोरावस्था एक बेहद नाजुक समय होता है। इस उम्र में मस्तिष्क का भावनात्मक हिस्सा तेजी से सक्रिय होता है, जबकि तर्क और संतुलन का हिस्सा अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता। इसका मतलब यह है कि बच्चे भावनाओं को बहुत तीव्रता से महसूस करते हैं, लेकिन उनसे निकलने के रास्ते उन्हें नहीं दिखते। शर्म, डर, अपराध बोध और अस्वीकृति की भावना उनके लिए असहनीय हो सकती है। ऐसे में अगर सामने बैठा कोई वयस्क आवाज ऊंची कर दे, धमकी दे दे, या पिता को बुलाने की बात कह दे, तो बच्चे के भीतर एक ही विचार घूमने लगता है: “अब सब खत्म है।”

हम अक्सर कहते हैं, “हमारे जमाने में तो ऐसा नहीं होता था।” यह वाक्य जितना आरामदेह है, उतना ही झूठा भी। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले डर घर और स्कूल की चारदीवारी तक सीमित था। आज डर डिजिटल दुनिया में फैल गया है। आज गलती सिर्फ गलती नहीं रहती, वह रिकॉर्ड हो जाती है, शेयर हो जाती है, चर्चा बन जाती है। बच्चे को लगता है कि उसकी पहचान एक घटना से तय हो जाएगी। उस रील से, उस शिकायत से, उस बुलावे से। यह स्थायित्व की भावना बच्चे को तोड़ देती है।

भावनात्मक रूप से सबसे पीड़ादायक बात यह है कि ऐसे क्षणों में बच्चा खुद को बिल्कुल अकेला महसूस करता है। भले ही उसके माता-पिता पास हों, शिक्षक सामने हों, लेकिन संवाद टूट चुका होता है। बच्चा यह मान लेता है कि अब कोई उसे समझने वाला नहीं है, सिर्फ जज करने वाले हैं। इसी क्षण आत्मघाती विचार जन्म लेते हैं। आत्महत्या हमेशा मरने की इच्छा नहीं होती। अक्सर यह दर्द से बचने की इच्छा होती है। ऐसा दर्द, जो बच्चे को लगता है कि अब सहा नहीं जाएगा।

शिक्षा व्यवस्था पर भी हमें कठोर नजर डालनी होगी। अनुशासन ज़रूरी है, लेकिन भय पैदा करने वाला अनुशासन बच्चों को नहीं सुधारता, तोड़ता है। गलती पर बच्चे को यह सिखाना कि “यह गलत था और इसे ठीक कैसे करना है”, और गलती पर यह जताना कि “तुमने सब बर्बाद कर दिया”, इन दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है। जब स्कूल खुद को सुधार का स्थान नहीं, अदालत की तरह पेश करता है, तो बच्चे खुद को अपराधी मानने लगते हैं, विद्यार्थी नहीं।

यह भी सोचने की जरूरत है कि हम बच्चों के साथ बातचीत किस भाषा में करते हैं। “तुमने इज्जत खराब कर दी”, “पिता को बुलाना पड़ेगा”, “भविष्य का सोचो” जैसे वाक्य हमें साधारण लग सकते हैं, लेकिन बच्चे के मन में ये हथौड़े की तरह गिरते हैं। खासकर तब, जब पिता बाहर वेटिंग रूम में बैठे हों। उस बच्चे के लिए वह क्षण सिर्फ अनुशासन का नहीं, सामाजिक अपमान का बन जाता है। और अपमान का डर कई बार मौत के डर से भी बड़ा हो जाता है।

माता-पिता की भूमिका भी यहाँ बेहद संवेदनशील है। हम अंक, अनुशासन और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्यार से ऊपर रख देते हैं। बच्चे को यह भरोसा नहीं दे पाते कि “गलती हो भी जाए, तो मैं तुम्हारे साथ हूं।” जब यह भरोसा कमजोर पड़ जाता है, तो बच्चा संकट के समय सहारा नहीं खोजता, रास्ता खोजता है। और कभी-कभी वह रास्ता बहुत अंधेरा होता है।

यहाँ यह प्रश्न भी उठता है कि क्या हम बच्चों को जीने का मूल्य सिखा रहे हैं या सिर्फ सफल होने का? अगर जीवन का मूल्य सिर्फ उपलब्धियों से जोड़ा जाएगा, तो असफलता मौत जैसी लगेगी। बच्चे को यह सिखाना होगा कि उसका महत्व उसके अस्तित्व से है, उसके नंबरों, व्यवहार रिपोर्ट या सोशल इमेज से नहीं। जीवन कोई रिज़ल्ट शीट नहीं है। यह बात बच्चों को तभी समझ आएगी, जब वयस्क इसे अपने व्यवहार में दिखाएंगे।

समाधान का रास्ता सरल नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं। स्कूलों में डर की जगह संवाद को रखना होगा। शिक्षकों को मनोवैज्ञानिक संवेदनशीलता की ट्रेनिंग देनी होगी। अनुशासनात्मक कार्रवाई से पहले बच्चे की मानसिक स्थिति को समझना होगा। माता-पिता को बच्चों के साथ ऐसा रिश्ता बनाना होगा जिसमें सबसे बड़ा सहारा भरोसा हो, न कि डर। और समाज को यह मानना होगा कि गलती मनुष्य होने का प्रमाण है, अपराध नहीं।

सबसे जरूरी बात यह है कि हमें हर बच्चे को यह एहसास दिलाना होगा कि कोई भी डांट, कोई भी सजा, कोई भी गलती जीवन से बड़ी नहीं है। अगर एक तेरह साल का बच्चा यह सोचने लगे कि मर जाना आसान है, तो यह उसकी कमजोरी नहीं, हमारी सामूहिक असफलता है। बच्चों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति कोई निजी समस्या नहीं है। यह हमारी शिक्षा, हमारी संवेदना और हमारी मानवता की परीक्षा है। और इस परीक्षा में पास होना अब नैतिक अनिवार्यता है, विकल्प नहीं।

29/11/2025
28/11/2025

केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने एक अहम फैसले में लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर से मौजूदा डेलीगेटेड फाइनेंशियल पावर छीन ली हैं, जिनका इस्तेमाल अब भारत सरकार का गृह मंत्रालय करेगा।

27/11/2025

ये वीडियो जरूर देखिये सुनिये और इस पर अपनी राय रखिये.…

वैसे तो पिछले ग्यारह बारह सालों में RSS के शिक्षा और संस्कृति के सरकारी क्षेत्रों में ज़बरदस्त नियंत्रण से ऐसा ही हो रहा...
27/11/2025

वैसे तो पिछले ग्यारह बारह सालों में RSS के शिक्षा और संस्कृति के सरकारी क्षेत्रों में ज़बरदस्त नियंत्रण से ऐसा ही हो रहा है लेकिन अब बीजेपी के विधायक सांसद इसको खुलकर कह रहे हैं!

विकासशील देशों में सिर्फ़ भारत ही ऐसा है जहाँ के सरकार समर्थित एक निजी औद्योगिक घराने ने ऐसी तरक़्क़ी की हो । हमारी मौजू...
27/11/2025

विकासशील देशों में सिर्फ़ भारत ही ऐसा है जहाँ के सरकार समर्थित एक निजी औद्योगिक घराने ने ऐसी तरक़्क़ी की हो । हमारी मौजूदा सरकार की नीति ऐसे ही चंद उद्योगपतियों को देश के सारे संसाधनों का मालिक बना देने की है और बाकी लोगों के लिए सिर्फ़ एक विकल्प बचता है कि वे कैसे सस्ते से सस्ते लेकिन skilled कामगार बनें ! ऐसे दौर में प्रतियोगिता खत्म हो जाती है और आविष्कार की भूख दम तोड़ देती है !

2014 में अडानी ग्रुप की कुल परिसंपत्तियों (ग्रॉस एसेट्स) का सटीक आंकड़ा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रिपोर्ट्स में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है, लेकिन समूह के वित्तीय विस्तार से अनुमानित मूल्यांकन लगभग ₹1-1.5 लाख करोड़ के आसपास था। यह अनुमान समूह के तत्कालीन प्रमुख अधिग्रहणों (जैसे धामरा पोर्ट ₹5,500 करोड़ में) और बिजनेस कैपेसिटी (जैसे पावर में 9,280 MW) पर आधारित है। समूह का फोकस उस समय कोयला-आधारित ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स पर था, जिससे परिसंपत्तियों का मूल्यांकन मुख्य रूप से इन क्षेत्रों से जुड़ा था।

2014 तक अडानी ग्रुप मुख्य रूप से तीन प्रमुख बिजनेस क्लस्टर्स पर केंद्रित था: संसाधन (Resources), लॉजिस्टिक्स (Logistics), और ऊर्जा (Energy)। यहाँ प्रमुख क्षेत्रों और उनके स्तर का विवरण है:
• पोर्ट्स और लॉजिस्टिक्स (Adani Ports & SEZ): भारत का प्रमुख निजी पोर्ट ऑपरेटर। मुंद्रा पोर्ट मुख्य था, और 2014 में धामरा पोर्ट (ओडिशा) का अधिग्रहण किया गया। कुल कार्गो हैंडलिंग क्षमता लगभग 100-150 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) के आसपास, जिसमें मुंद्रा सबसे बड़ा था। यह समूह का प्रमुख राजस्व स्रोत था।
• पावर जनरेशन (Adani Power): भारत का सबसे बड़ा निजी थर्मल पावर प्रोड्यूसर। कुल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 9,280 MW थी, मुख्य रूप से कोयला-आधारित प्लांट्स (जैसे मुंद्रा, तेलंगाना)। यह क्षेत्र समूह की कुल परिसंपत्तियों का बड़ा हिस्सा था।
• माइनिंग और कोयला ट्रेडिंग (Adani Enterprises के तहत): कोयला आयात-निर्यात और माइनिंग में मजबूत। ऑस्ट्रेलिया में कार्माइकल कोल माइन प्रोजेक्ट (लागत $21.5 बिलियन) की शुरुआत 2014 में हुई। भारत में एकीकृत संसाधन प्रबंधन (IRM) के माध्यम से कोयला ट्रेडिंग प्रमुख थी।
• अन्य: सीमित रूप से रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर पार्क की शुरुआत) और ट्रेडिंग, लेकिन कोर फोकस ऊपर वाले तीन पर। कुल राजस्व का 60% से अधिक कोयला-संबंधित बिजनेस से आता था।

वर्तमान (2025) में परिसंपत्तियाँ और व्यापार के क्षेत्र
2025 में अडानी ग्रुप की कुल परिसंपत्तियाँ (ग्रॉस एसेट्स) H1 FY26 (सितंबर 2025 तक) में ₹6.77 लाख करोड़ ($76 बिलियन) तक पहुँच गई हैं। FY25 के अंत में यह ₹6.1 लाख करोड़ ($71.2 बिलियन) थी। समूह ने H1 में ₹67,870 करोड़ के नए एसेट्स जोड़े, जो FY26 के पूरे वर्ष के ₹1.5 लाख करोड़ कैपेक्स टारगेट की ओर इशारा करता है। रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) 15.1% है, जो इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में वैश्विक स्तर पर उच्च है।

वर्तमान में समूह 10+ लिस्टेड कंपनियों के माध्यम से विविधीकृत है, जिसमें कोर इंफ्रास्ट्रक्चर (यूटिलिटीज, ट्रांसपोर्ट, इंफ्रा) से 83% EBITDA आता है। प्रमुख क्षेत्र और स्तर:
• पोर्ट्स और लॉजिस्टिक्स (Adani Ports & SEZ): भारत का सबसे बड़ा निजी पोर्ट ऑपरेटर। H1 2025 में 244 MMT कार्गो हैंडल किया, जिसमें कंटेनर वॉल्यूम 20% बढ़ा। 13 पोर्ट्स, SEZ, और इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स; श्रीलंका में कोलंबो टर्मिनल भी।
• पावर जनरेशन (Adani Power): थर्मल पावर में 12,000+ MW कैपेसिटी। H1 में ₹11,761 करोड़ नए एसेट्स जोड़े।
• रिन्यूएबल एनर्जी (Adani Green Energy): एशिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल पोर्टफोलियो, 17.5 GW ऑपरेशनल कैपेसिटी (सोलर, विंड, हाइब्रिड)। H1 में ₹12,314 करोड़ नए एसेट्स; 25 GW टारगेट की ओर।
• ट्रांसमिशन और गैस (Adani Energy Solutions, Adani Total Gas): पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (CGD)। टोटल एनर्जीज के साथ JV।
• एयरपोर्ट्स (Adani Enterprises के तहत): 7 प्रमुख एयरपोर्ट्स (मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ आदि) का संचालन। H1 में 43% EBITDA ग्रोथ।
• माइनिंग और IRM (Adani Enterprises): कोयला माइनिंग (ऑस्ट्रेलिया सहित), कमर्शियल माइनिंग। H1 में वॉल्यूम में गिरावट लेकिन मजबूत।
• नए ऊर्जा इकोसिस्टम (Adani New Industries): ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर मैन्युफैक्चरिंग। विंड टर्बाइन सप्लाई 87% बढ़ी।
• अन्य: सीमेंट (अंबुजा और ACC, $10.5 बिलियन अधिग्रहण), FMCG (अडानी विल्मर - फॉर्च्यून ब्रांड), रोड्स, डेटा सेंटर्स, डिफेंस (एंटी-सबमरीन सोनोबॉयज मैन्युफैक्चरिंग), रियल एस्टेट, एग्रीबिजनेस।

समूह का फोकस अब सस्टेनेबिलिटी और नेशनल इंफ्रा पर है, जिसमें 90% EBITDA AA+ रेटेड एसेट्स से आता है। डेट कॉस्ट 7.9% पर कम हुई है।

उपरोक्त विवरणों में अडानी समूह के विदेशों में पार्क परिसंपत्तियों / कैश का लेखाजोखा शामिल नहीं है । गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी उसे सँभालते हैं और भारत में ऐसेट्स अधिग्रहण करते समय अनेक बार उनके द्वारा दुनिया के टैक्स हैवेन्स में खोली गई कंपनियों के जाल से निवेश आता है ।देश के अनेक राजनीतिक नेताओं का पैसा इन सब में लगे होने की सरगोशियां आम हैं लेकिन देश में किसी जांच के खतरे से बाहर फ़िलहाल यह तरक़्क़ी निर्बाध जारी है ।

IIT-NEET का आकाशजब बात मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी की हो, तो एक ही नाम सबसे पहले और सबसे ऊँचा गूँजत...
27/11/2025

IIT-NEET का आकाश

जब बात मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी की हो, तो एक ही नाम सबसे पहले और सबसे ऊँचा गूँजता है – आकाश इंस्टीट्यूट।
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1988 से शुरू हुई यह यात्रा आज भारत के कोने-कोने में 350+ सेंटर्स, लाखों सफल छात्र और अनगिनत AIR-1 के साथ दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे विश्वसनीय कोचिंग चेन बन चुकी है।

NEET में टॉप-10 में से 7-8 रैंक और JEE में टॉप-100 में दर्जनों रैंकें हर साल यही साबित करती हैं कि आकाश सिर्फ़ कोचिंग नहीं, बल्कि डॉक्टरी-इंजीनियरिंग के सपनों का सबसे मजबूत पुल है।
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श्री जे.सी. चौधरी, ग्रुप फाउंडर, ने एक साधारण गाँव के लड़के से लेकर शिक्षा जगत के दिग्गज तक का सफ़र तय किया है। वे BITS पिलानी के गोल्ड मेडलिस्‍ट थे।

उनकी दूरदृष्टि और अनुशासन ने आकाश को भारत का नंबर-1 कोचिंग ब्रांड बनाया। आज भी 76 साल की उम्र में वे हर नए सेंटर का उद्घाटन खुद करते हैं और छात्रों को प्रेरित करते हैं।

उनकी के सुपुत्र श्री आकाश चौधरी आज इस ग्रुप को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने आकाश इंसिटीट्यूट को डिजिटल बनाया- iTutor, Aakash Live और 24×7 डाउट सॉल्विंग ऐप लॉन्च किए।

लेकिन मेरे पसंदीदा शख्स चंद्रशेखर जी. रेड्डी हैं। शिक्षा क्षेत्र का उनका अनुभव 35 बरस से ज्यादा है। मणिपाल ग्रुप में शानदार ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। बायजू से आकाश के इन्वॉल्वमेंट के बाद, अगस्त 2025 में ही उन्होने आकाश की कमान संभाली है।
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लेकिन बेस्ट सेंटर, दिल्ली का गौरव- उत्तम नगर सेंटर है। बायलॉजी के जो छात्र, विशेषकर बॉटनी में दिक्कत है, तो उनके लिए यह एक रिलमन्डेड सेंटर है।

यहाँ फेकल्टी का NCERT की हर लाइन को जीवंत करने का तरीका, डायग्राम की जादूगरी और 200+ मार्क्स दिलाने वाला क्वेश्चन सिलेक्शन, ये सब उत्तम नगर को दिल्ली का सबसे पावरफुल NEET सेंटर बनाता है।

छात्र प्यार से कहते हैं – “उत्तम नगर में बॉटनी पढ़ लो, NEET तो अपने आप हो जाएगा!”
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आकाश इंस्टीट्यूट सिर्फ़ एक कोचिंग नहीं, बल्कि एक विश्वास है। जो पाठक एडमिशन, शैक्षणिक गुणवत्ता, फेकल्टी का उत्साहवर्धन, या अन्य किसी जरूरी मसले पर, रेड्डी साहब या आकाश चौधरी से बात करना हों।

वे ईमेल मुझसे ले सकते हैं।

यदि ज्यादा जरूरत हो तो फोन नम्बर भी मुझसे इनबॉक्स में ले सकते है। लेकिन पहले आपको वादा करना होगा कि आप कोई डिस्काउंट नही मांगेंगे।
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मैं विश्वास दिलाता हूँ। आकाश इंस्टीट्यूट में दाखिला लेना मतलब – अपने सपने को टॉप रैंक की गारंटी देना!

जय हिंद, जय आकाश
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डिस्क्लेमर- यह आकाश वालो का उधार चुकाने हेतु एक पेड प्रमोशन है।

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