Ram Baan Ayurveda

Ram Baan Ayurveda Official Page of Ram Baan Ayurveda Contact for all type of rare and old diseases treatment. etc.

Like Kidney or Liver failure, Old Headache, Sinus Problem, Wheat Allergy, Blockage, Joint Pain or Replacement, Diabetes, BP, Kidney or Gallbladder Stone, Tumours, Piles, Digestion Problems, Navel Displacement, Allergies, Infections, Cholesterol, Any Nutritional Deficiencies, Smoking or Drinking Addiction, Height Gain, Weight Gain or Weight Loss, Thyroid, Any Unknown Disease etc.

22/02/2019
कुछ लोग ( राम बाण आयुर्वेदा )( Ram Baan Ayurveda ) के नाम से अलग अलग बिमारियों की दवाई भेजने के बहाने लोगो को लूट रहे है...
04/02/2019

कुछ लोग ( राम बाण आयुर्वेदा )( Ram Baan Ayurveda ) के नाम से अलग अलग बिमारियों की दवाई भेजने के बहाने लोगो को लूट रहे हैं। इस तरह के fraud लोगों से सावधान रहे।
हमारे सिर्फ ये 3 contact नंबर है।
92552-77889, 99922-17444, 720680-5040
अगर कोई भी आप को राम बाण आयुर्वेदा के नाम से इन 3 नंबर के सिवा और किसी भी नंबर से फ़ोन करे मैसेज करे या whatsapp करें तो वो fraud है। जल्द से जल्द उसकी Police complaint करें।
हमारे राम बाण आयुर्वेदा के नाम से अगर कोई भी आप से दवाई या किसी सामान के नाम से पैसे भेजने को कहे तो उसे कोई पैसा ना भेजे।
हमारी फर्म के नाम से अगर आप किसी fraud को पैसा भेजते है तो उस नुकसान के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे।
हम email या और किसी messanger से भी किसी से संपर्क नहीं करते।
हम से संपर्क करने के लिए आप सिर्फ ऊपर दिए गए नंबर या निचे दिए गए हमारे address पर ही संपर्क कर सकते है।
हमारी राम बाण आयुर्वेदा फर्म एक हरयाणा सरकार द्वारा रजिस्टर्ड फर्म है। हम लोग 10 साल से ईमानदारी से काम कर रहे हैं और आज तक किसी को कोई धोका नहीं दिया है।
हमारा क्लिनिक का सिर्फ एक address है। इस के सिवा हमारी और कोई branch नहीं है।
हमारा सिर्फ ये address है।
Ram Baan Ayurveda
Near S.D. School,
Ashri Gate,
Jind - 126102
Haryana
M - 9255277889, 9992217444, 7206805040

नेपाल की असली शिलाजीत आयी हुई हैं। अगर किसी को चाहिए तो संपर्क करें।Ram Baan AyurvedaAshri Gate, Near S.D. School, Jind ...
29/12/2018

नेपाल की असली शिलाजीत आयी हुई हैं। अगर किसी को चाहिए तो संपर्क करें।
Ram Baan Ayurveda
Ashri Gate, Near S.D. School,
Jind - 126102
M - 9255277889
http://fb.com/RamBaanAyurveda

असली शिलाजीत बच्चे, बुज़ुर्ग, जवान और आदमी, औरत सभी के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
स्वस्थ लोग इसे स्वस्थ रहने के लिए और ताकत के लिए खाते हैं।
और बीमार लोग इसे बहुत सी बिमारियों के ईलाज के लिए खाते हैं।
यह बीमार लोगो में एक नयी जान डालने जैसा काम करती है।
आयुर्वेद के पुराने ग्रन्थो में शिलाजीत के बारे में ये कहा गया है की ऐसी कोई बिमारी नही है जिसमे शिलाजीत फायदा ना करें। लगभग सभी बीमारियों में ये एक राम बाण की तरह काम करती है।
जो मनुष्य अपने जीवन में 1 किलो शिलाजीत का सेवन कर लेता है उस को आजीवन कोई बिमारी नही होती और अगर पहले से हो तो वो ख़तम हो जाती है।

शिलाजीत एक natural tonic का काम करती है। इससे बेहतर tonic और कोई नहीं है पूरी दुनिया में।

ये एक natural Multi vitamin और natural Multi Mineral का काम करता है।

सभी पुराने वैद्य बड़ी बिमारियों के रोगियों को शिलाजीत का सेवन करने को ज़रूर कहते है।

bodybuilding करने वाले लोग हमेशा असली शिलाजीत की तलाश में रहते है।
विशेष रूप से इन सभी बिमारियों में शिलाजीत राम बाण की तरह काम करती है :
1. सर दर्द
2. चक्कर आना
3. टेंशन डिप्रेशन
4. साइनस, नजला जुकाम, immunity
5. कमज़ोर दात
6. अस्थमा, दमा, साँस फूलना
7. हाई कोलेस्ट्रोल, blockage, हार्ट प्रॉब्लम
8. खून की कमी
9. calcium की कमी
10. मुत्र सम्बन्धी रोग
11. Testosterone कम बनना
12. हड्डीयो की कमज़ोरी
13. जोड़ों में दर्द या जोड़ खराब होना
14. muscles की कमज़ोरी, muscles बनाने के लिए
15. हाजमा खराब होना, लिवर खराब होना
16. weight gain और weight कम करने के लिए
17. कमर दर्द के लिए
18. immunity बढ़ाने के लिए
19. दिमाग ताकत के लिए
इन सभी बिमारियों के इलावा अन्य बिमारियों में भी बहुत फायदेमंद साबित होती है शिलाजीत

Happy Diwali to all ✨🙏✨
05/11/2018

Happy Diwali to all ✨🙏✨

23/08/2018

As I sat in the park after my morning walk, My wife came and slumped next to me. She had completed her 30-minute jog. We chatted for a while. She said she is not happy in life. I looked up at her sheer disbelief since she seemed to have the best of everything in life.
"Why do you think so?" "I don't know. Everyone tells I have everything needed, but I am not happy."Then I questioned myself, am I happy? "No," was my inner voice reply. Now, that was an eye-opener for me. I began my quest to understand the real cause of my unhappiness, I couldn't find one.

I dug deeper, read articles, spoke to life coaches but nothing made sense. At last my doctor friend gave me the answer which put all my questions and doubts to rest. I implemented those and will say I am a lot happier person.

She said there are four hormones which determine a human's happiness - Endorphins, Dopamine, Serotonin, and Oxytocin. It is important we understand these hormones, as we need all four of them to stay happy.

Let's look at the first hormone the Endorphins. When we exercise, the body releases Endorphins. This hormone helps the body cope with the pain of exercising. We then enjoy exercising because these Endorphins will make us happy. Laughter is another good way of generating Endorphins. We need to spend 30 minutes exercising every day, read or watch funny stuff to get our day's dose of Endorphins.

The second hormone is Dopamine. In our journey of life, we accomplish many little and big tasks, it releases various levels of Dopamine. When we get appreciated for our work at the office or at home, we feel accomplished and good, that is because it releases Dopamine. This also explains why most housewives are unhappy since they rarely get acknowledged or appreciated for their work. Once, we join work, we buy a car, a house, the latest gadgets, a new house so forth. In each instance, it releases Dopamine and we become happy. Now, do we realize why we become happy when we shop?

The third hormone Serotonin is released when we act in a way that benefits others. When we transcend ourselves and give back to others or to nature or to the society, it releases Serotonin. Even, providing useful information on the internet like writing information blogs, answering people's questions on Quora or Facebook groups will generate Serotonin. That is because we will use our precious time to help other people via our answers or articles.

The final hormone is Oxytocin, is released when we become close to other human beings. When we hug our friends or family Oxytocin is released. The "Jhadhoo Ki Jhappi" from Munnabhai does really work. Similarly, when we shake hands or put our arms around someone's shoulders, various amounts of Oxytocin is released.

Now, we can understand why we need to hug a child who has a bad mood.So, it is simple, we have to exercise every day to get Endorphins, we have to accomplish little goals and get Dopamine, we need to be nice to others to get Serotonin and finally hug our kids, friends, and families to get Oxytocin and we will be happy. When we are happy, we can deal with our challenges and problems better.

05/08/2018

Forget all tensions and come back to your childhood.

27/07/2018

इस वीडियो को देखने से पहले अपने पास एक रूमाल ज़रूर रख लेना। क्योकी आप अपने आसुओ का सैलाब रोक नहीं पायेगे।
अगर वीडियो अच्छी लगे तो आगे ज़रूर शेयर करें।

26/07/2018

शुगर का बहुत ही असरदार ईलाज ... एक बार ज़रूर करके देखे और बताएं की आप का कितना फायदा हुआ।
आगे share करना ना भूले।

07/07/2018
29/06/2018

बरगद (वट) वृक्ष सैकडों रोगों की अचूक दवा भी है।
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बरगद का पेड़- हिंदू संस्कृति में वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ बहुत महत्त्व रखता है। इस पेड़ को त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में वटवृक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है। वट वृक्ष मोक्षप्रद है और इसे जीवन और मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति दो वटवृक्षों का विधिवत रोपण करता है वह मृत्यु के बाद शिवलोक को प्राप्त होता है। इस पेड़ को कभी नहीं काटना चाहिए। मान्यता है कि निःसंतान दंपति बरगद के पेड़ की पूजा करें तो उन्हें संतान प्राप्ति हो सकती है।

आग से जल जाना – दही के साथ बड़ को पीसकर बने लेप को जले हुए अंग पर लगाने से जलन दूर होती है। जले हुए स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से जलन कम हो जाती है।

बालों के रोग – बरगद के पत्तों की 20 ग्राम राख को 100 मिलीलीटर अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से सिर के बाल उग आते हैं। बरगद के साफ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाकर गर्म कर लें, इस तेल को बालों में लगाने से बालों के सभी रोग दूर हो जाते हैं।

25-25 ग्राम बरगद की जड़ और जटामांसी का चूर्ण, 400 मिलीलीटर तिल का तेल तथा 2 लीटर गिलोय का रस को एकसाथ मिलाकर धूप में रख दें, इसमें से पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश से गंजापन दूर होकर बाल आ जाते हैं और बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।

बरगद की जटा और काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसकर सिर पर लगायें। इसके आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर ऊपर से भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाते रहने से बाल कुछ दिन में ही घने और लंबे हो जाते हैं।

नाक से खून बहना – 3 ग्राम बरगद की जटा के बारीक पाउडर को दूध की लस्सी के साथ पिलाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है। नाक में बरगद के दूध की 2 बूंदें डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।

नींद का अधिक आना – बरगद के कड़े हरे शुष्क पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर पानी में पकायें, चौथाई बच जाने पर इसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से हर समय आलस्य और नींद का आना कम हो जाता है।

जुकाम – बरगद के लाल रंग के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। फिर आधा किलो पानी में इस पाउडर को 1 या आधा चम्मच डालकर पकायें, पकने के बाद थोड़ा सा बचने पर इसमें 3 चम्मच शक्कर मिलाकर सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम और नजला आदि रोग दूर होते हैं और सिर की कमजोरी ठीक हो जाती है।

हृदय रोग – 10 ग्राम बरगद के कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीलीटर पानी में खूब पीसकर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 15 दिन तक सेवन करने से दिल की घड़कन सामान्य हो जाती है। बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिन तक सेवन करने से दिल के रोग में लाभ मिलता है।

पैरों की बिवाई – बिवाई की फटी हुई दरारों पर बरगद का दूध भरकर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में वह ठीक हो जाती है।

कमर दर्द – कमर दर्द में बरगद़ के दूध की मालिश दिन में 3 बार कुछ दिन करने से कमर दर्द में आराम आता है। बरगद का दूध अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करने से कमर दर्द से छुटकरा मिलता है।

शक्तिवर्द्धक – बरगद के पेड़ के फल को सुखाकर बारीक पाउडर लेकर मिश्री के बारीक पाउडर मिला लें। रोजाना सुबह इस पाउडर को 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन से वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि रोग दूर होते हैं।

शीघ्रपतन – सूर्योदय से पहले बरगद़ के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक यह प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर आदि रोग ठीक हो जाते हैं और यह प्रयोग बलवीर्य वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी है।

यौनशक्ति बढ़ाने हेतु – बरगद के पके फल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बराबर मात्रा की मिश्री के साथ मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट और सोने से पहले एक कप दूध से नियमित रूप से सेवन करते रहने से कुछ हफ्तों में यौन शक्ति में बहुत लाभ मिलता है।

नपुंसकता – बताशे में बरगद के दूध की 5-10 बूंदे डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से नपुंसकता दूर होती है। 3-3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोंपले (मुलायम पत्तियां) और गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें फिर इसे तीन बार मुंह में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से खत्म हुई शक्ति लौट आती है।

प्रमेह – बरगद के दूध की पहले दिन 1 बूंद 1 बतासे डालकर खायें, दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद ऐसे 21 दिनों तक बढ़ाते हुए घटाना शुरू करें। इससे प्रमेह और स्वप्न दोष दूर होकर वीर्य बढ़ने लगता है।

वीर्य रोग में – बरगद के फल छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। गाय के दूध के साथ यह 1 चम्मच चूर्ण खाने से वीर्य गाढ़ा व बलवान बनता है।

25 ग्राम बरगद की कोपलें (मुलायम पत्तियां) लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब एक चौथाई पानी बचे तो इसे छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें। इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 6 ग्राम चीनी मिलाकर सिर्फ 7 दिन तक पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से वीर्य के शुक्राणु बढ़ते है।

उपदंश (सिफलिस) – बरगद की जटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध्र व हल्दी को समान मात्रा में लेकर पानी में पीसकर लेप लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं। बरगद का दूध उपदंश के फोड़े पर लगा देने से वह बैठ जाती है। बड़ के पत्तों की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से उपदंश रोग में लाभ होता है।

पेशाब की जलन – बरगद के पत्तों से बना काढ़ा 50 मिलीलीटर की मात्रा में 2-3 बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है। यह काढ़ा सिर के भारीपन, नजला, जुकाम आदि में भी फायदा करता है।

स्तनों का ढीलापन – बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर बने लेप को रोजाना सोते समय स्तनों पर मालिश करके लगाते रहने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है। बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल तन्तुओं को पीसकर लेप करने से स्तनों के ढीलेपन में फायदा होता है।

गर्भपात होने पर – 4 ग्राम बरगद की छाया में सुखाई हुई छाल के चूर्ण को दूध की लस्सी के साथ खाने से गर्भपात नहीं होता है। बरगद की छाल के काढ़े में 3 से 5 ग्राम लोध्र की लुगदी और थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से गर्भपात में जल्द ही लाभ होता है। योनि से रक्त का स्राव यदि अधिक हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में छोटे कपड़े को भिगोकर योनि में रखें। इन दोनों प्रयोग से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।

योनि का ढीलापन – बरगद की कोपलों के रस में फोया भिगोकर योनि में रोज 1 से 15 दिन तक रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि टाईट हो जाती है।

गर्भधारण करने हेतु – पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद की कोपलों का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-स्राव काल में प्रात: पानी के साथ 4-6 दिन खाने से स्त्री अवश्य गर्भधारण करती है, या बरगद की कोंपलों को पीसकर बेर के जितनी 21 गोलियां बनाकर 3 गोली रोज घी के साथ खाने से भी गर्भधारण करने में आसानी होती है।

गर्भकाल की उल्टी – बड़ की जटा के अंकुर को घोटकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से सभी प्रकार की उल्टी बंद हो जाती है।

रक्तप्रदर – 20 ग्राम बरगद के कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर रक्तप्रदर वाली स्त्री को सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी बंद हो जाता है।

भगन्दर – बरगद के पत्ते, सौंठ, पुरानी ईंट के पाउडर, गिलोय तथा पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण समान मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर लेप करने से भगन्दर के रोग में फायदा होता है।

बादी बवासीर – 20 ग्राम बरगद की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, पकने पर आधा पानी रहने पर छानकर उसमें 10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी मिलाकर गर्म ही खाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर में लाभ होता है।

खूनी बवासीर – बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर खूनी बवासीर के रोगी को पिलाने से 2-3 दिन में ही खून का बहना बंद होता है। बवासीर के मस्सों पर बरगद के पीले पत्तों की राख को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर लेप करते रहने से कुछ ही समय में बवासीर ठीक हो जाती है।

बरगद की सूखी लकड़ी को जलाकर इसके कोयलों को बारीक पीसकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ रोगी को देते रहने से खूनी बवासीर में फायदा होता है। कोयलों के पाउडर को 21 बार धोये हुए मक्खन में मिलाकर मरहम बनाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से बिना किसी दर्द के दूर हो जाते हैं।

खूनी दस्त – दस्त के साथ या पहले खून निकलता है। उसे खूनी दस्त कहते हैं। इसे रोकने के लिए 20 ग्राम बरगद की कोपलें लेकर पीस लें और रात को पानी में भिगोंकर सुबह छान लें फिर इसमें 100 ग्राम घी मिलाकर पकायें, पकने पर घी बचने पर 20-25 ग्राम तक घी में शहद व शक्कर मिलाकर खाने से खूनी दस्त में लाभ होता है।

दस्त – बरगद के दूध को नाभि के छेद में भरने और उसके आसपास लगाने से अतिसार (दस्त) में लाभ होता है। 6 ग्राम बरगद की कोंपलों को 100 मिलीलीटर पानी में घोटकर और छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाने से और ऊपर से मट्ठा पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।

बरगद की छाया मे सुखाई गई 3 ग्राम छाल को लेकर पाउड़र बना लें और दिन मे 3 बार चावलों के पानी के साथ या ताजे पानी के साथ लेने से दस्तों में फायदा मिलता है। बरगद की 8-10 कोंपलों को दही के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते हैं।

आंव – लगभग 5 ग्राम की मात्रा में बड़ के दूध को सुबह-सुबह पीने से आंव का दस्त समाप्त हो जाता है।

मधुमेह – 20 ग्राम बरगद की छाल और इसकी जटा को बारीक पीसकर बनाये गये चूर्ण को आधा किलो पानी में पकायें, पकने पर अष्टमांश से भी कम बचे रहने पर इसे उतारकर ठंडा होने पर छानकर खाने से मधुमेह के रोग में लाभ होता है। लगभग 24 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकूट करें और उसे आधा लीटर पानी के साथ काढ़ा बना लें। जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उसे आग से उतारकर छाने और ठंडा होने पर पीयें। रोजाना 4-5 दिन तक सेवन से मधुमेह रोग कम हो जाता है। इसका प्रयोग सुबह-शाम करें।

उल्टी – लगभग 3 ग्राम से 6 ग्राम बरगद की जटा का सेवन करने से उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।

मुंह के छाले – 30 ग्राम वट की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर गरारे करने से मुंह के छाले खत्म हो जाते हैं।

घाव – घाव में कीड़े हो गये हो, बदबू आती हो तो बरगद की छाल के काढ़े से घाव को रोज धोने से इसके दूध की कुछ बूंदे दिन में 3-4 बार डालने से कीड़े खत्म होकर घाव भर जाते हैं। साधारण घाव पर बरगद के दूध को लगाने से घाव जल्दी अच्छे हो जाते हैं। अगर घाव ऐसा हो जिसमें कि टांके लगाने की जरूरत पड़ जाती है। तो ऐसे में घाव के मुंह को पिचकाकर बरगद के पत्ते गर्म करके घाव पर रखकर ऊपर से कसकर पट्टी बांधे, इससे 3 दिन में घाव भर जायेगा, ध्यान रहे इस पट्टी को 3 दिन तक न खोलें। फोड़े-फुन्सियों पर इसके पत्तों को गर्मकर बांधने से वे शीघ्र ही पककर फूट जाते हैं।।
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Address

Ram-Baan Ayurveda, Near S. D. School, Ashri Gate, Jind/
Jind
126102

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Wednesday 10am - 8pm
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