07/10/2025
*पवारणा दिवस की आप सभी देशवासियों को हार्दिक अन्नान शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं।*
*आज दिनाँक 7 अक्टूबर 2025 को बुद्ध विहार साधना केंद्र संस्थान, जूही, कानपुर में पुजनीय भदन्त दीपांकर महास्थविर जी की अध्यक्षता में बौद्ध भिक्खुओं का वर्षावास समाप्त (पवारणा) किया गया*
इसी कड़ी में *दिनाँक 12 अक्टूबर 2025 को धम्मदीक्षा एवं वर्षावास समापन समारोह, बुद्ध विहार साधना केन्द्र संस्थान ,जूही, कानपुर में होने जा रहा है।*
भिक्खुओं के एकांत एक स्थान पर धर्माभ्यास के समाप्ति का दिन, यानि वर्षावास के समाप्ति का दिन होता है. इस दिन धम्म देशना… पूजा… ध्यानाभ्यास के साथ बौद्ध जनता द्वारा भिक्खु संघ यानि बौद्ध भिक्खुओं को चीवर दान, भोजन दान और उपहार दिए जाते हैं. बुद्ध विहारों को सजाया जाता है. यथा सामर्थ्यनुसार बौद्ध जनता धम्मोत्सव का आयोजन करती है. वर्षावास काल मे चार माह- आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन मास- की पूर्णमासी पड़ती है. इन चारों माह की पूर्णमासी का बौद्ध परंपरा में उपरोक्त घटनाओं के कारण बुद्ध शासन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है.
• बौद्ध परंपरा में इसे “वस्सावास” (Vassa) कहा जाता है।
• यह भी तीन महीने (आषाढ़ से आश्विन तक) का वर्षा ऋतु का निवासकाल होता है।
• समापन के दिन भिक्षु संघ “कठिन-चिवरदान” (नए वस्त्र अर्पण) का आयोजन करता है।
• इसे “पवारणा दिवस” (Pavāraṇā Day) भी कहते हैं, जब भिक्षु एक-दूसरे को अपने दोष बताने और सुधारने की अनुमति देते हैं।
यहाँ एक “वर्षावास समापन गाथा” (जैन परंपरा के अनुसार) दी गई है, जो सामान्यतः वर्षावास की समाप्ति के अवसर पर वर्षावास पूर्ण होने पर, समाज के भावों को व्यक्त करता हूं — श्रद्धा, कृतज्ञता और मंगलकामना के रूप में।
वर्षावास की वेला आई, साधु रुकें प्रभु ध्यान लगाई।
चार महीनों तक किया निवास, अब आया विहार का काल।
क्षमा, मैत्री का भाव बढ़े, हर जीव के मन से द्वेष झड़े।
वर्षावास समापन का दिन, मंगलमय हो जीवन–दिन।
गुरुवर बढ़ें नव विहार को, शुभाशीष दें संसार को।
हम सब मनाएँ हर्ष अपार, जय हो धर्म, जय हो अहिंसाकार।
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