Dr V N Tripathi-Pediatric specialist Care

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Dr V N Tripathi-Pediatric specialist Care DR V N Tripathi is one of the most Respected Pediatric Specialist in Kanpur,India with over 30 years of experience.

13/01/2024
03/11/2023

*गेहूं को हम खा रहे हैं या गेहूं हमें खा रही है, यह समझना बहुत् ही जरूरी*

पहले लोग बिररा अर्थात चना और गेहूं का मिक्स आटा, किसी भी अनाज की मोटा आटा की रोटी खाते थे जिसमें ज्वार, बाजरा, मक्का, जो, रागी, धान इत्यादि हुआ करते थे जिसको खाने के बाद आदमी अपने कार्य पर निकल जाता था उसे सुस्ती कभी नहीं आती थी और ऊर्जा के साथ काम करता था पर जिस दिन गेहूं की रोटी जो मेहमानों के लिए बनाते थे उनको खाने के बाद एक नशा जैसा होता है जिससे आप को कुछ सुस्ती जैसी आती है इसलिए स्वस्थ रहने के लिए मल्टीग्रेन सभी प्रकार के अनाज इस्तेमाल करें एवं गेहूं को 10% से 20% से ज्यादा नहीं खाना चाहिए और खासकर रोगी को गेहूं कतई नहीं खाना चाहिए और इसके बारे में अधिक जानने के लिए इसको जरूर ध्यान से पढ़ें।

‼️ *गेहूं की तोंद* ‼️
गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है। ये यूरोप से होता हुआ भारत तक आया था ।अमेरिका के एक हृदय रोग विशेषज्ञ हैं डॉ विलियम डेविस उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी 2011 में जिसका नाम था *"Wheat belly"* (Davis also claims that wheat contains a protein called lectin, which can damage the gut lining and lead to inflammation. Inflammation is thought to be a root cause of many chronic diseases.)
गेंहू की तोंद" यह पुस्तक अब फूड हेबिट पर लिखी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक बन गई है। पूरे अमेरिका में इन दिनों गेंहू को त्यागने का अभियान चल रहा है कल यह अभियान यूरोप होते हुये भारत भी आएगा। यह पुस्तक ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं और कोई फ़्री में पढ़ना चाहे तो भी मिल सकती है।

*चौंकाने वाली बात यह है कि डॉ डेविस का कहना है कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया को अगर मोटापे, डायबिटिज और हृदय रोगों से स्थाई मुक्ति चाहिए तो उन्हें पुराने भारतीयों की तरह ज्वार, बाजरा, रागी, चना, मटर, कोदरा, जो, सावां, कांगनी ही खाना चाहिये गेंहू नहीं*..जबकि यहां भारत का हाल यह है कि 1980 के बाद से लगातार सुबह शाम गेंहू खा खाकर हम महज 40 वर्षों में मोटापे और डायबिटिज के मामले में दुनिया की राजधानी बन चुके हैं...*गेंहू मूलतः भारत की फसल नहीं है. यह मध्य एशिया और अमेरिका की फसल मानी जाती है और आक्रांताओ के भारत आने के साथ यह अनाज भारत आया था...उससे पहले भारत में जौ की रोटी बहुत लोकप्रिय थी और मौसम अनुसार मक्का, बाजरा, ज्वार आदि...भारतीयों के मांगलिक कार्यों में भी जौ अथवा चावल (अक्षत) ही चढाए जाते रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों में भी इन्हीं दोनों अनाजों का अधिकतम जगहों पर उल्लेख है...*

जयपुर निवासी प्रशासनिक अधिकारी नृसिंह जी की बहन विजयकांता भट्ट (81 वर्षीय) अम्मा जी कहती हैं कि 1975-80 तक भी आम भारतीय घरों में *बेजड़* (मिक्स अनाज, Multigrain) की रोटी का प्रचलन था जो धीरे धीरे खतम हो गया। 1980 के पहले आम तौर पर घरों में मेहमान आने या दामाद के आने पर ही गेंहू की रोटी बनती थी और उस पर घी लगाया जाता था, अन्यथा बेजड़ की ही रोटी बनती थी। आज घरवाले उसी बेजड़ की रोटी को चोखी ढाणी में खाकर हजारों रुपए खर्च कर देते हैं। *हम अक्सर अपने ही परिवारों में बुजुर्गों के लम्बी दूरी पैदल चल सकने, तैरने, दौड़ने, सुदीर्घ जीने, स्वस्थ रहने के किस्से सुनते हैं। वे सब मोटा अनाज ही खाते थे गेंहू नहीं।*

एक पीढ़ी पहले किसी का मोटा होना आश्चर्य की बात होती थी, *आज 77 प्रतिशत भारतीय ओवरवेट हैं और यह तब है जब इतने ही प्रतिशत भारतीय कुपोषित भी हैं...फ़िर भी 30 पार का हर दूसरा भारतीय अपनी तौंद घटाना चाहता है....*

गेंहू की लोच ही उसे आधुनिक भारत में लोकप्रिय बनाये हुये है क्योंकि इसकी रोटी कम समय और कम आग में आसानी से बन जाती है...पर यह अनाज उतनी आसानी से पचता नहीं है...समय आ गया है कि भारतीयों को अपनी रसोई में 80-90 प्रतिशत अनाज जौ, ज्वार, बाजरे, रागी, मटर, चना, रामदाना आदि को रखना चाहिये और 10-20 प्रतिशत गेंहू को...

*मात्र बीते 40 बरसों में यह हाल हो गया है की हर घर में कोई न कोई डायबिटिक है वाकई गेहूं त्यागना ही पड़ेगा।तो अब भी नहीं चेतोगे फ़िर अगली पीढ़ी के बच्चे डायबिटिज लेकर ही पैदा होंगे। शेष- समझदार को इशारा ही काफी है।*

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

07/06/2023

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Pediatric Specialist Care was created to help Parents choose Experienced Care for their child.DR V N Triapthi is one of the most Respected Pediatricin and a humanitarian in Kanpur.He has worked with patients from all walks of life and has treated thousands of kids.In his 40 years of Pediatric Experience he has seen most conditions and diseases that affect children.He has helped thousand of kids achieve a healthy adulthood and kept them sickess free.We take pride in treating generations of patients and are constantly looking to help others,so if you are looking for a pediatrician or know someone who is looking,please send them our way and we will treat them with the best Care possible.

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