06/12/2025
वर्तमान समय में देखा जाए तो एक आम समस्या दिखने लगा है। माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी सी अच्छी शिक्षा देते हैं। शिक्षा ग्रहण करने के बाद, अपने स्किल को डेवलप करने के बाद माता-पिता को छोड़कर बड़े शहर की ओर या फिर विदेश चले जाते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता वृद्धावस्था में अकेले ही घर में रह जाते हैं।बच्चे पैसा तो भेजते हैं। अपने जीवन में सफल भी होते हैं। माता-पिता यह देखकर खुश रहते हैं। परंतु कहीं ना कहीं यह बात जरूर दिल को कचोटा है कि उनके बच्चे उनके पास नहीं है।वृद्धावस्था अकेलेपन का शिकार हो जाता है। आजकल तो ऐसा भी देखने को और सुनने को मिल रहा है की माता-पिता में से कोई अकेला है तो अंतिम समय में उनके पास कोई नहीं होता है । मृत्यु होने के कई दिन बाद पता चलता है। यह स्थिति सबसे ज्यादा भयावाह है। जीन माता-पिता ने अपने बच्चों के परवरिश के लिए अपना सब कुछ लुटा दिया। वे ही अपने जीवन के अंतिम कालखंड में अकेलापन से जूझ रहे हैं।
एक कंडीशन और देखने को मिलता है किसी किसी घर में कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है माता-पिता अपने बच्चों का विवाह करते हैं और विवाह के बाद उनके संतान माता-पिता को छोड़कर अलग रहने चले जाते हैं। इन परिस्थितियों में माता-पिता वृद्धावस्था में अकेले रह जाते हैं। भले ही दोनों कंडीशन में अंतर है। एक कंडीशन में घर से अलग होकर अलग रहना पसंद करते हैं। अपनी आजादी कहे या स्वच्छंदता कहें जिसे पसंद करते हैं। ऐसे युवा दंपति जो परिवार से अलग रहकर अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं।
ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो बच्चों की जन्म कुंडली में विदेश जाने का योग रहता है।
जैसे की-
1, लग्न का स्वामी द्वादश भाव में हो तो जातक को घर से बाहर जाने पर या विदेश में सफलता मिलता है।
2, चतुर्थ भाव हमारे घर का है यदि यह भाव पीड़ित हो इस भाव का स्वामी ग्रह द्वादश भाव में हो तो जातक विदेश जाकर ही सफल हो पता है और वही बस भी जाता है।
3, द्वादश भाव में चंद्र, गुरु, राहु जैसे ग्रह विदेश ले जाते हैं अपनी महादशा अंतर्दशा में।
4, दसवां भाव हमारे कर्म का है और 12वां भाव विदेश का है। दसवें भाव का स्वामी 12वें भाव में हो और 12वीं भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो जातक अपने कार्य के सिलसिले में विदेश चला जाता है।
5, जब पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में हो तो जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जाता है।
6, जन्म कुंडली का दूसरा भाग परिवार का है और चतुर्थ भाव घर का है जब यह दोनों भाव पीड़ित हो पापी ग्रहों से तो जातक का अपने घर परिवार के लोगों से नहीं बनता इस स्थिति में जातक अपने परिवार से दूर रहने लग जाता है।
वास्तु के दृष्टिकोण से देखा जाए तो
जब कभी भी हमारे घर का वायव्य या पश्चिम दिशा में घर का द्वारा हो वायव्य दिशा के कमरे में बेडरूम हो। पासपोर्ट , यात्रा संबंधित सामान वायव्य कोण के कमरे में हो।
दीवार पर उड़ते हवाई जहाज़, सेलिंग बोट या ग्लोब की तस्वीर वायव्य दिशा के कमरे में हो तो विदेश जाने के योग बढ़ जाते हैं।
जब ईशान कोण और नैऋत्य कोण में वास्तु दोष हो तो घर के सदस्यों का आपस में नहीं बनता है। जिस कारण से संबंध खराब हो जाते हैं। और घर के सदस्य घर से बाहर दो स्थान में रहने चले जाते हैं। जितना अधिक दोष रहता है उतने ही ज्यादा संबंधों में खटास होता है।