Raajeshwar Adiley

Raajeshwar Adiley Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Raajeshwar Adiley, Astrologist & Psychic, purani basti Adiley chowk, Korba.

☎️9111963992
ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जो हमारे नकारात्मक मनोभावों को सकारात्मक मनोभावों में बदलता हैं.
यदि आप किसी गंभीर बीमारी से त्रस्त है।
तो चिकित्सा ज्योतिष का फ्री परामर्श उपलब्ध है।
आप हमारे व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क करें।

06/12/2025

वर्तमान समय में देखा जाए तो एक आम समस्या दिखने लगा है। माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी सी अच्छी शिक्षा देते हैं। शिक्षा ग्रहण करने के बाद, अपने स्किल को डेवलप करने के बाद माता-पिता को छोड़कर बड़े शहर की ओर या फिर विदेश चले जाते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता वृद्धावस्था में अकेले ही घर में रह जाते हैं।बच्चे पैसा तो भेजते हैं। अपने जीवन में सफल भी होते हैं। माता-पिता यह देखकर खुश रहते हैं। परंतु कहीं ना कहीं यह बात जरूर दिल को कचोटा है कि उनके बच्चे उनके पास नहीं है।वृद्धावस्था अकेलेपन का शिकार हो जाता है। आजकल तो ऐसा भी देखने को और सुनने को मिल रहा है की माता-पिता में से कोई अकेला है तो अंतिम समय में उनके पास कोई नहीं होता है । मृत्यु होने के कई दिन बाद पता चलता है। यह स्थिति सबसे ज्यादा भयावाह है। जीन माता-पिता ने अपने बच्चों के परवरिश के लिए अपना सब कुछ लुटा दिया। वे ही अपने जीवन के अंतिम कालखंड में अकेलापन से जूझ रहे हैं।
एक कंडीशन और देखने को मिलता है किसी किसी घर में कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है माता-पिता अपने बच्चों का विवाह करते हैं और विवाह के बाद उनके संतान माता-पिता को छोड़कर अलग रहने चले जाते हैं। इन परिस्थितियों में माता-पिता वृद्धावस्था में अकेले रह जाते हैं। भले ही दोनों कंडीशन में अंतर है। एक कंडीशन में घर से अलग होकर अलग रहना पसंद करते हैं। अपनी आजादी कहे या स्वच्छंदता कहें जिसे पसंद करते हैं। ऐसे युवा दंपति जो परिवार से अलग रहकर अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं।
‌ ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो बच्चों की जन्म कुंडली में विदेश जाने का योग रहता है।
जैसे की-
1, लग्न का स्वामी द्वादश भाव में हो तो जातक को घर से बाहर जाने पर या विदेश में सफलता मिलता है।
2, चतुर्थ भाव हमारे घर का है यदि यह भाव पीड़ित हो इस भाव का स्वामी ग्रह द्वादश भाव में हो तो जातक विदेश जाकर ही सफल हो पता है और वही बस भी जाता है।
3, द्वादश भाव में चंद्र, गुरु, राहु जैसे ग्रह विदेश ले जाते हैं अपनी महादशा अंतर्दशा में।
4, दसवां भाव हमारे कर्म का है और 12वां भाव विदेश का है। दसवें भाव का स्वामी 12वें भाव में हो और 12वीं भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो जातक अपने कार्य के सिलसिले में विदेश चला जाता है।
5, जब पंचम भाव का स्वामी द्वादश भाव में हो तो जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जाता है।
6, जन्म कुंडली का दूसरा भाग परिवार का है और चतुर्थ भाव घर का है जब यह दोनों भाव पीड़ित हो पापी ग्रहों से तो जातक का अपने घर परिवार के लोगों से नहीं बनता इस स्थिति में जातक अपने परिवार से दूर रहने लग जाता है।
वास्तु के दृष्टिकोण से देखा जाए तो
जब कभी भी हमारे घर का वायव्य या पश्चिम दिशा में घर का द्वारा हो वायव्य दिशा के कमरे में बेडरूम हो। पासपोर्ट , यात्रा संबंधित सामान वायव्य कोण के कमरे में हो।
दीवार पर उड़ते हवाई जहाज़, सेलिंग बोट या ग्लोब की तस्वीर वायव्य दिशा के कमरे में हो तो विदेश जाने के योग बढ़ जाते हैं।
जब ईशान कोण और नैऋत्य कोण में वास्तु दोष हो तो घर के सदस्यों का आपस में नहीं बनता है। जिस कारण से संबंध खराब हो जाते हैं। और घर के सदस्य घर से बाहर दो स्थान में रहने चले जाते हैं। जितना अधिक दोष रहता है उतने ही ज्यादा संबंधों में खटास होता है।

05/12/2025

स्वेत प्रदर .............
स्वेत प्रदर एक ऐसी बीमारी है जो स्त्री रोग के अंतर्गत आता है। यह रोग मुख्य रूप से मानसिक टेंशन, हार्मोनल इंबैलेंस, यौन उत्तेजना का अधिक होना, मासिक धर्म की अनियमिता, संक्रमण, स्वच्छता का अभाव या असुरक्षित यौन संबंध के कारण लड़की या महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं।
यदि हम इस बीमारी को ज्योतिष की दृष्टिकोण से देखें तो इसके लिए हमें चिकित्सा ज्योतिष के अंतर्गत लग्न कुंडली, चलित कुंडली, द्रेष्काण कुंडली, नवमांश कुंडली, द्वादशांश कुंडली और त्रिशांश कुंडली देखना पड़ता है।
जन्म कुंडली में हमें छठा भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव का विचार करना चाहिए। क्योंकि छठा भाव रोग का है। सप्तम भाव गर्भाशय एवं प्रजनन अंग का है एवं अष्टम भाव मूत्र मार्ग या प्रजनन अंग का है। द्वादश भाव सैया सुख एवं अस्पताल का है। इसके साथ वृश्चिक राशि का भी विचार करना चाहिए। क्योंकि वृश्चिक राशि हमारे प्रजनन अंग से संबंध रखता है।
यदि ग्रहों की बात करें तो चंद्र शुक्र मंगल ग्रह का विशेष विचार करना चाहिए। इन ग्रहों के साथ शनि, राहु, बुध, केतु एवं सूर्य का संबंध रोग को बढ़ाता है।
लग्न कुंडली में यदि सप्तम भाव में कर्क राशि में चंद्रमा और मंगल स्थित हो तो श्वेत प्रदर होने के चांस बढ़ जाते हैं।
छठे भाव में मिथुन राशि में चंद्रमा मंगल हो तो भी श्वेत प्रदर होने के चांस होते हैं।
यदि सप्तम भाव पाप कर्तरी में हो तब भी स्त्री रोग होने के चांस बढ़ जाते हैं।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी एवं द्वादश भाव का स्वामी शुक्र होता है जो यदि नीच के गुरु के साथ स्थित हो और उस पर शनि और बुध जैसे ग्रहों का प्रभाव हो तो भी श्वेत प्रदर हो जाता है।
सप्तम भाव में शुक्र स्थित हो और द्वादश भाव में चंद्र बुध हो जिसे मंगल देख रहा हो सप्तम दृष्टि से तब भी श्वेत प्रदर होने के चांस होते हैं।
सप्तम भाव में जल तत्व की राशि जैसे कि कर्क में चंद्र मंगल हो जिसे राहु नवम दृष्टि से देख रहा हो। यह राहु शुक्र को भी देख रहा हो तो भी श्वेत प्रदर होने के चांस होते हैं।
यदि द्रेष्काण कुंडली में‌ सप्तम भाव में राहु मंगल स्थित हो और यह राहु चंद्रमा और शुक्र को देख रहा हो तब भी श्वेत प्रदर होने के चांस होते हैं।
त्रिशांश कुंडली के लग्न में वृश्चिक राशि हो और वृश्चिक राशि में शुक्र स्थित हो जिसे राहु केतु अपने नवम दृष्टि से देख रहे हो तब भी श्वेत प्रदर होने के चांस होते हैं।
उपरोक्त योगों का विचार लग्न कुंडली, चलित कुंडली, द्रेष्काण कुंडली, नवमांश कुण्डली, द्वादशांश कुंडली और त्रिशांश कुंडली में विचार करें।
जितने ज्यादा यह योग स्थित हो वर्ग कुंडलियों में भी उतने ही अधिक रोग का प्रभाव होता है। यदि दोष किसी एक कुंडली पर ही स्थित हो तो उपचार सुगमता से हो जाता है। नहीं तो जातक को अनेक वर्षों तक रोग से पीड़ित रहना पड़ता है।
अतः किसी स्त्री की कुंडली में ऐसा योग स्थित हो तो उन्हें ग्रहों की भी शांति करना चाहिए इसके साथ ही ग्रहों से संबंधित आवश्यक जड़ी बूटियां का सेवन करें। ताकि ग्रह दोष मिट जाए।
नोट - डॉक्टर का परामर्श जरूर ले यह नहीं की ज्योतिष योग है तो डॉक्टर का परामर्श लेना छोड़ दें। ऐसा शास्त्र सलाह नहीं देता। पूर्व के समय में एक एस्ट्रोलॉजर आयुर्वेदिक चिकित्सक भी होता था। लेकिन वर्तमान में बहुत कम लोग ही आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ एस्ट्रोलॉजर होते हैं। अतः ज्योतिष को सहायक के रूप में इस्तेमाल करें और डॉक्टर को प्राथमिकता दें। जब रोग सही ही ना हो तो ज्योतिष परामर्श लेकर ग्रह नक्षत्र का उपाय कर ले।
✍️ Raajeshwar Adiley

05/12/2025

शुक्र के साथ चतुर्थेश, पंचमेश, नवमेश, दशमेश एवं लग्नेश का संबंध हो तो वैवाहिक जीवन सुख पूर्वक रहता है।
इसके विपरीत यदि शुक्र के साथ छठेश, अष्टमेश और द्वादशेश का संबंध हो तो वैवाहिक जीवन में कष्ट अधिक रहते हैं।
इसके साथ आपको यह भी देखना है कि शुक्र पर शुभ ग्रह का प्रभाव है की पापी ग्रहों का प्रभाव है।

04/12/2025

गुरु शनि युति
गुरु और शनि की युति धर्म कर्म योग बन जाता है। क्योंकि शनि कर्म का कारक है और गुरु धर्म का कारक है। काल पुरुष के जन्म कुंडली में गुरु जहां भाग्य स्थान का स्वामी है जिस धर्म स्थान भी कहते हैं। वहीं पर शनि कर्म स्थान का स्वामी है। इसी कारण से धर्म कर्म योग कहा जाता है। गुरु जहां भाग्य, धर्म, भक्ति ,अध्यात्म, ज्ञान, शिक्षा , संतान, धन, खजाना, पति का कारक होता है। वहीं पर शनि न्याय, एकांत, कर्म , पीड़ा, दुख, दीर्घ रोग, अनुशासन, मजदूर, दीर्घायु, कठोर परिश्रम आदि का कारक है।
अतः जब कभी भी यह दोनों ग्रह एक साथ युति करते हैं किसी भी भाव में तो जातक अपने कारक तत्वों एवं भाव के अनुसार अपना फल देते हैं।
जैसे कि गुरु और शनि लग्न में हो काल पुरुष की कुंडली में तो ऐसे जातक ज्ञानवान, गंभीर, न्याय प्रिय होते हैं। ऐसे जातक राजनीति में भी सफल होते हैं। यदि मंगल की दृष्टि लग्न पर हो तो शनि का नीचे भंग राजयोग बन जाता है। ऐसे जातक सुनने से स्टार्ट कर संघर्ष के बल पर सफलता को प्राप्त करते हैं।

04/12/2025
सर्दी जुकाम ....…....…..ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छठा भाव रोग का होता है। अष्टम भाव रोग की वृद्धि को दिखाता है। यह भी कह...
03/12/2025

सर्दी जुकाम ....…....…..
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छठा भाव रोग का होता है। अष्टम भाव रोग की वृद्धि को दिखाता है। यह भी कह सकते हैं कि अष्टम भाव असाध्य रोग को भी दिखता है। जबकि द्वादश भाव अस्पताल को दिखाता है। सर्दी जुकाम जैसे रोग में चंद्रमा, बुध और गुरु का विशेष रोल है। बुध जहां त्रिदोष प्रकृति को दिखाता है। वही चंद्रमा और गुरु कफ प्रकृति के हैं। शनि रोग में वृद्धि करता है। क्योंकि शनि ठंडी हवा है। ऐसे ही राहु भी रोग को बढ़ा देता है। राहु केतु को वायरस संबंधित बीमारियों से जोड़कर देखा जाता है। कर्क राशि हमारे फेफड़ों को दिखाता है।
अतः आपके जन्म कुंडली में चंद्र राहु का संबंध लग्न छठे भाव कर्क राशि अष्टम भाव या द्वादश भाव में हो तो सर्दी जुकाम लगा रहता है। यहां यह जरूर याद रखें की ग्रह किस राशि में स्थित है। सर्दी जुकाम होने के लिए वायु तत्व , पृथ्वी तत्व एवं जल तत्व की राशि में ग्रह होना चाहिए। क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार जब वायु तत्व और जल तत्व असंतुलित हो या फिर पृथ्वी तत्व और जल तत्व असंतुलित हो तब कफ रोग होते हैं।
यदि गुरु छठे भाव में हो अष्टम भाव में हो तब भी जातक को सर्दी जुकाम से संबंधित समस्या आता है।
ऐसे ही सूर्य और शनि कर्क राशि में स्थित हो और सूर्य से शनि अस्त हो चतुर्थ या दशम भाव में तब भी सर्दी जुकाम की समस्या बनता है। यहां जब सूर्य शनि से अस्त होता है कर्क राशि में तो फेफड़ों में ठंड घुस जाता है।

27/11/2025

यदि आपके जन्म कुंडली में सूर्य शनि की युति है तो आपको दृढ निश्चयी, अनुशासित जीवन शैली के साथ धैर्य पूर्वक अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करना चाहिए।
यही आपका कर्म सिद्धांत होना चाहिए। तब आप जीवन में बड़े गोल को अचीव कर पाएंगे।

एक तरफ़ा प्यार ....................ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा और शुक्र प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। चंद्रमा जहां निश्छल प...
26/11/2025

एक तरफ़ा प्यार ....................
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा और शुक्र प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। चंद्रमा जहां निश्छल प्रेम को दिखाता है। वही शुक्र रूहानियत रोमांटिक प्रेम को प्रदर्शित करता है। जब कभी भी जन्म कुंडली में यह दोनों ग्रह पापी ग्रहों से पीड़ित हो तो जातक को एक तरफा प्रेम हो जाता है।
हमारे जन्म कुंडली का पंचम भाव भी प्रेम को दिखाता है। सप्तम भाव पति या पत्नी के प्रेम को दिखाता है। जब जन्म कुंडली में पंचम भाव और पंचम भाव के स्वामी कमजोर हो या पापी ग्रहों से पीड़ित हो तो भी जातक एक तरफा प्रेम करता है।
जन्म कुंडली में मंगल साहस का प्रतीक है। जब कभी भी जातक को किसी से प्रेम होता है तो उस प्रेम को व्यक्त करने के लिए साहस की आवश्यकता होता है और यह साहस हमें मंगल से प्राप्त होता है। अतः जन्म कुंडली में मंगल निर्बल हो तो जातक अपने भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाता है।
जैसे कि मान लेते हैं तुला लग्न की कुंडली है और पंचम भाव का स्वामी शनि सूर्य से अस्त है। यह 6 8 12 में स्थित हो पापी ग्रहों के साथ या पापी ग्रहों का दृष्टि पड़ रहा हो। ऐसे ही पंचम भाव पर राहु की दृष्टि हो। तब ऐसा जातक यदि किसी कन्या से प्रेम कर बैठता है तो जातक अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाता है। इसके साथ ही इस अवस्था में मंगल ग्रह जो कि सप्तम भाव एवं द्वितीय भाव का स्वामी है कर्क राशि में नीच का होकर निर्बल हो तो जातक अपने प्रेम को व्यक्त ही नहीं कर पाएगा। जब मंगल कमजोर होगा तो जातक अपनी पत्नी से या पति से भी अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाएगा। भले प्रेम संबंधी सारी जिम्मेदारी को निभाएं। यहां शुक्र की स्थिति को भी हम देखेंगे शुक्र नैसर्गिक रूप से रुहानीयत रोमांटिक प्यार का प्रतिनिधित्व करता है। अतः यदि बारहवें भाव में कन्या राशि में स्थित हो तो जातक को प्रेम में सफलता नहीं मिलता है ।
इस बात को यदि हम सामान्य रूप से समझने की कोशिश करें तो पाते हैं कि एक तो आप प्रेम के लिए पहल नहीं करते हैं और यदि करते हैं तो विपरीत लिंग आपके प्रति इंटरेस्ट नहीं दिखता है। आपसे बात नहीं करता है।
आप अपने रिश्ते को निभाने के लिए हमेशा सैक्रिफाइस करते हैं। गलती ना हो तो भी गलती मान लेते हैं।
रिश्ते को चलाने के लिए आप हमेशा कोशिश करते हैं। सारी जवाबदारी निभाते इसके बावजूद पार्टनर आपके इस बात पर ध्यान नहीं देता है। आपके द्वारा किए गए प्रयास को नजर अंदाज कर देता है।
आप हमेशा अपनी पार्टनर का परवाह करते हो। उसके छोटी-छोटी बातों एवं जरूरतों का ख्याल रखते हो। फिर भी आपके इस व्यवहार पर भी उसका नजरे इनायत नहीं होता है।
कभी-कभी ऐसा भी होता है की आप गुपचुप तरीके से किसी को पसंद करते हैं परंतु अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण सामने वाला व्यक्ति आपके दिल की गहराई में छुपे हुए जज्बात को समझ नहीं पाता है।
यह भी हो सकता है कि आपके जीवन में कोई आए ही ना या आपका विवाह ही ना हो। ऐसे जन्म कुंडली में ज्योतिष योग होने के कारण ।

11/11/2025

पूरे हिंदुस्तान का नया Crush वर्ल्ड चैंपियन 'हरलीन देओल' वर्ल्डकप जीतने के बाद ट्रॉफी उठाने में... See more

06/11/2025

इंगला पिंगला नाड़ी

05/11/2025

पर्वत योग

Address

Purani Basti Adiley Chowk
Korba

Telephone

+919111963992

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Raajeshwar Adiley posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram