उमांग शिवशक्ति तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष वास्तु शोध संस्थान कोटा राजस्थान

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उमांग शिवशक्ति तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष वास्तु शोध संस्थान कोटा राजस्थान उमांग शिव शक्ति ज्योतिष वास्तु विशेषज्ञ रामपुरा कोटा राजस्थान 324006 फोन 7976068053 कुण्डली हस्त रेखा फेस रीडिंग ईष्ट कृपा से प्रत्येक समस्या का समाधान
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🌺🏵️🌺महाशिवरात्रि के उपाय और टोटके🌺🏵️🌺                                                                           🌺इस दिन ...
25/02/2025

🌺🏵️🌺महाशिवरात्रि के उपाय और टोटके🌺🏵️🌺
🌺इस दिन अपनी यथाशक्ति अनुसार दान अवश्य करे| शिवरात्रि की एक रात पहले किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को चीनी, चावल, घी, सफ़ेद वस्त्र, तिल, और धन का दान करे| शास्त्रो में ऐसा माना गया है कि इस दिन किए गए दान से सभी जन्मो के पापो का नाश होता है, पितरो का उद्धार होता है और अक्षय पुण्यो की प्राप्ति होती है| 🌺इस दिन किये गए अनाज के दान से सुख समृद्धि, चीनी और घी के दान से मान सम्मान, ऐश्वर्य और पारिवारिक सुख, तिल के दान से आरोग्य, दीर्घायु एवं धन के दान से आकस्मिक आपदाओ से रक्षा होती है|
1.🏵️ अगर आप बाबा भोले से अपनी मनवांछित इच्छा पूरी करवाना चाहते है तो इस दिन बिल्व पत्र के वृक्ष की पूजा करे| उन्हें जल चढ़ाये और उन्हें धुप और अगरबत्ती भी अवश्य करे| इससे भोले बाबा आपकी हर इच्छा पूर्ण करेगे क्योंकि भगवान शिव को बिल्व बहुत ही प्रिय है|
2. 🏵️घर में हर कोई बीमार है या एक ठीक होता है तो दूसरा बीमार हो जाता है तो इस उपाय को अवश्य इस्तेमाल करे| महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोले नाथ की पुरे विधि विधान से पूजा करे और पूजा उपरांत महामृत्युंजय मंत्र का जप 11 माला करे और हर रोज एक माला का पाठ करे| अगर आप शिव मंदिर जा कर मंत्र का जाप करेगे तो बहुत अच्छा होगा|
3.🏵️ वैवाहिक जीवन सुखमय चले इसके लिए शिवरात्रि के दिन इस उपाय को अवश्य करे| भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना के बाद किसी भी सुहागिन को सुहाग का सारा सामान जैसे कि लाल बिंदिया, लाल चुड़िया और लाल साड़ी आदि उपहार स्वरूप दे| इस उपाय के करने से भगवान भोले नाथ और माँ गौरा की असीम कृपा से आपका वैवाहिक जीवन लम्बा और सुखमय चलेगा|
4.🏵️महाशिवरात्रि का दिन अपने शत्रुओ से छुटकारा पाने का सब से बढ़िया दिन है| अगर आप किसी भी तरह के कोर्ट कचहरी और मुकदमो में फंसे हुए है तो इस दिन ज्यादा से ज्यादा रुद्राष्टक का पाठ करे| इसके करने से शत्रु का नाश होगा और मुकदमो में जीत हासिल होगी|
5.🏵️ अगर आपके मन में कोई विशेष कामना है जो आप चाहते है कि पूरी हो तो महाशिवरात्रि के दिन २१ बिल्व पत्र ले और उन पर सफ़ेद या पीले चन्दन से ॐ नमः शिवाय लिखकर भोगवान भोले नाथ को अर्पित करदे और साथ ही उनको एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पित करे| आपकी हर मनोकामना पूरी होगी और सुख और शांति मिलेगी|
🏵️🌺🏵️मनोकामना पूर्ति के लिए करे शिवलिंग से सम्बंधित ये उपाय आप नित्य पुजन में भी कर सकते हैं और शिव वास में करने पर अनंत फलदायक है

कहते है की भगवान शिव की यदि लिंग स्वरुप में यानी की शिवलिंग की पूजा की जाए तो भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते है। हम आपको यहां पर शिवलिंग की पूजा से सम्बंधित कुछ उपाय बता रहे है जिनको करने से आप अभीष्ट फल प्राप्त कर सकते है।

1. 🌺जल चढ़ाते समय शिवलिंग को हथेलियों से रगड़ना चाहिए। इस उपाय से किसी की भी किस्मत बदल सकती है।
2. 🌺जल में केसर मिलाएं और ये जल शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस उपाय से विवाह और वैवाहिक जीवन से जुडी समस्याएं खत्म होती है।

3. 🌺यदि आप बहुत जल्दी सफलता पाना चाहते हैं तो रोज़ पारे से बने छोटे से शिवलिंग की पूजा करें। पारद शिवलिंग बहुत चमत्कारी होता है।

4. 🌺यदि आप लंबी उम्र चाहते है तो शिवलिंग पर रोज़ दूर्वा चढ़ाएं। इससे शिवजी और गणेशजी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।

5.🌺 चावल पकाएं औरठंडा होने के उपरांत, उन चावलों से शिवलिंग का श्रृंगार करें। इसके बाद पूजा करें। इससे मंगलदोष शांत होते हैं।

6.🌺 समय-समय पर शिवजी के निमित सवा किलो, सवा पांच किलो, ग्यारह किलो या इक्कीस किलों गेहूं या चावल का दान करें।

7. 🌺शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय काले तिल मिलाएं। इस उपाय से शनि दोष और रोग दूर होते हैं।

8. 🌺बीमारियों के कारण परेशानियां खत्म ही नहीं हो रही हैं तो पानी में दूध और काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। ये उपाय रोज़ करें।

9.🌺 मनचाही गाडी चाहते हैं तो शिवलिंग पर रोज़ चमेली के फूल चढ़ाएं और शिव मन्त्र (ॐ नमः शिवाय) का जप 108 बार रोज़ करें।

10.🌺 लक्ष्मी की स्थाई कृपा चाहते हैं तो शिवलिंग पर रोज़ चावल चढ़ाएं। चावल पुरे यानी अखंडित होने चाहिए।

11🌺. बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखें। इसके बाद इन पत्तों की माला बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।

12.🌺 शिवलिंग पर रोज़ धतूरा चढाने से घर और संतान से जुडी समस्याएं दूर होती है। ये उपाय संतान को सभी कार्यों में सफलता दिलवाता है।

13.🌺 नियमित रूप से आंकड़े के फूलों की माला बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाते है तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

14. नियमित रूप से ऐसे शिव मंदिर में दीपक जलाएं जो सुनसान स्थान पर हो।

15.🌺 कच्चे दूध में शक्कर मिलाएं और तांबें के लोटे से शिवलिंग पर रोज़ चढ़ाएं। इस उपाय से दिमाग तेज चलेगा और ज्ञान बढ़ेगा। 🌺🔥🌺हरहर_महादेव घर घर महादेव 🌺🔥🌺
🌺🔱🌺{महाशिवरात्रि विशेष}🌺🔱🌺
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🌺🔥🌺महाशिवरात्रि पूजन विधि और सामिग्री🔥🌺
फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें. फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें.

महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.फिर शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्‍त्र आदि अर्पित करें. शिव जी के समुख दीप जलाएं और केसर युक्त खीर का भोग लगाएं. ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय, रूद्राय शम्भवाय भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें..शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.दीप और कर्पूर जलाएं.साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें.

🌺🔥प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि;🌺🔥🌺
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें...

🌺🔥🌺प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’

🌺🔥🌺दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’

🌺🔥🌺तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’

🌺🔥🌺चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। मंत्र का जाप करना चाहिए.

इसके साथ ही व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी, करनी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए. अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.
अस्तु भोलेनाथ और माँ गौरी आप सभी का कल्याण करें🌺🏵️,🌺 रावण कृत शिव तांडवस्रोत 🌺 🏵️🌺
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥


जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।

विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥

अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
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जय महामाया 🔥जय महाकाल 🔥 जय गुरुदातार

25/02/2025
25/02/2025

🌺🔱🌺हर हर महादेव शिव शंकर शंभू महाकाल शिव शंकर शंभू महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं 🌺🔱🌺

🌺🌸नवग्रह, इनके रत्न उपरत्न और जड़ी 🌺🌸🌺🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸🌺🔱🌺ज्योतिष में रत्नों और उपरत्नों का महत्व है क्योंकि इन्हें सकारात...
22/02/2025

🌺🌸नवग्रह, इनके रत्न उपरत्न और जड़ी 🌺🌸🌺🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸💐🌸

🌺🔱🌺ज्योतिष में रत्नों और उपरत्नों का महत्व है क्योंकि इन्हें सकारात्मक शक्तियों का वाहक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, हर ग्रह का एक विशेष रत्न होता है. अगर कोई रत्न नहीं पहना जा सकता, तो उसका उपरत्न पहना जा सकता है. 🌺🔱🌺

🌺🌸रत्न और उपरत्न से जुड़ी कुछ खास बातेंः🌸🌺

🌺🔱🌺ज्योतिष शास्त्र में 84 रत्नों का उल्लेख मिलता है. इनमें से 9 रत्न प्रमुख होते हैं. 🌺🔱🌺

रत्नों को पहनने से सकारात्मक असर पड़ता है.
रत्नों का सीधा संबंध ग्रहों से होता है.
रत्न और उपरत्न धारण करने के लिए ज्योतिष के बताए गए समय और दिन का पालन करना चाहिए.
रत्न पहनते समय संबंधित ग्रह के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
रत्न अपना प्रभाव कुछ महीनों के बाद कम कर देते हैं.

🌺🔱🌺कुछ रत्न और उनके उपरत्न🌺🔱🌺

हीरे का उपरत्न ओपल होता है.
पुखराज का उपरत्न सुनहरा होता है.
पन्ने का उपरत्न ओनेक्स होता है.
मोती का उपरत्न मून स्टोन होता है.
नीलम का उपरत्न नीली होता है.
माणिक्य का उपरत्न तामड़ा होता है.
मूंगा का उपरत्न संगमूंगी होता है.
लाजवर्त का उपरत्न लेहसुनिया होता है.

🌺🔱🌺ज्योतिष शास्त्रमें 84 रत्नों का उल्लेख मिलता है। इनमें से 9 रत्न प्रमुख होते हैं जो नव ग्रहों से संबंधित होते हैं। वहीं, अन्य रत्न उपरत्न कहलाते हैं। 🌺🔱🌺

🌺🌷🌺जब रत्न पहनना संभव न हो तब उपरत्न पहनकर ग्रहों की शुभता पाई जा सकती है और जीवन की परेशानियो को यथा संभव दूर किया जा सकता है

🌺🔱🌺ग्रहों के रत्न और उपरत्न क्या हैं?🌺🔱🌺

🌺रत्न ज्योतिष के मुताबिक, नौ ग्रहों के लिए नौ रत्न बताए गए हैं. इनके अलावा, हर रत्न के उपरत्न भी होते हैं. रत्न शास्त्र के मुताबिक, उपरत्न भी रत्नों जितने ही प्रभावशाली होते हैं. 🌺

🌺🔱🌺🔱🌺ग्रहों के रत्न 🌺🔱🌺🔱🌺

सूर्य ग्रह के लिए माणिक्य
चंद्र ग्रह के लिए मोती
मंगल ग्रह के लिए मूंगा
बुध ग्रह के लिए पन्ना
गुरु ग्रह के लिए पुखराज
शुक्र ग्रह के लिए हीरा
शनि ग्रह के लिए नीलम
राहु ग्रह के लिए गोमेद
केतु ग्रह के लिए लहसुनिया

🌺🔱🌺🔱🌺ग्रहों के उपरत्न 🌺🔱🌺🔱🌺

माणिक्य का उपरत्न स्पाइनल होता है.
मोती के स्थान पर चांदी में मूनस्टोन धारण करना अच्छा होता है.
मूंगे के लिए लाल हकीक उपरत्न है.
पन्ने के लिए मरगज सबसे अच्छा उपरत्न है.
पुखराज की जगह सुनैला पहना जा सकता है.
हीरे की जगह सफ़ेद ज़र्कन या सफ़ेद ओपल पहना जा सकता है.
नीलम की जगह नीलमणि पहना जा सकता है.
लहसुनिय के स्थान पर लाजवृत पहना जा सकता है.
🔱नवरत्नों की भांति 75 मुख्य उपरत्न हैं🌺🔱🌺

1. फिरोजा (TURQUOISE)- आसमानी रंग का यह रत्न प्रायः मुसलमानों द्वारा ही अधिक धारण किया जाता है।

2. ओपल / पोलकी (OPAL)- विविध वर्णों से युक्त।

3. तुरमली (TOURMALINE)- पाँच प्रकार के वर्णों वाला, पुखराज जाति का रत्न है।

4. कटैला (AMETHYST)- बैंगनिया वर्ण से युक्त।

5. तामड़ा (GARNET)- स्याही जैसे लाल वर्ण से युक्त।

6. सिंदुरिया (SCARLET)- श्वेत रक्त मिश्र वर्ण।

7. जजेमानी (ZAZEMANI)- जर्दी लिए भूरा रंग, रेखा सहित।

8. सुलेमानी (AGATE)– काले रंग पर सफेद रेखा।

9. आलेमानी (AALEMANI)- भूरे रंग पर रेखा।

10. कुदूरत (KUDOORAT) – काले रंग का, श्वेत जर्द दागों से युक्त।

11. हकीक कलबहार (CORNELIAN) यह जल में उत्पन्न होता है। इसकी माला बनाई जाती है। अनेक वाला, लकड़ों को मूठ में अधिक उपयोगी होता है।

12. सौजरी (STZREE)-श्वेतवर्ष का इस पर काले रंग के वृक्ष का रूप बना होता है।

13. मुबेनज्फ(MUBENJUFF)- श्वेत वर्ण का बाल के समान रेखा से प्रभावित होता है।

14. हालन (HAALAN) गुलाबी रंग का, जिसे हिलाने पर इसका रंग भी हिलता है।

15. संगवारी (SUNGHASRI)- आंखों के निर्मित सुरमा बनाने में प्रयुक्त होता है।

16. हरीद (HAREED) — काला भूरापन वर्ण का वजन में भारी होता है। इसकी माला बनाई जाती है।

17. सिफरी (SIFRI)-आसमानी वर्ण का कुछ हरापन लिए।

18. हवास (HAWAS)-हरे वर्ण का कुछ सुनहरा सा होता है।

19. अमलीया (UMLIYA )- घोड़ा कालापन लिए गुलाबी, इसके खरल: बनाए जाते हैं।

20. हकीक(AGALIC)- प्रायः सभी वर्णों में होता है। इसके खिलौने, मूठे और प्याले बनते हैं।

21. सुरमा(ANTIMONY)- काले रंग होता है।

22. हजरते ऊद (HAZRATE YOUD)- श्याम वर्ण का। इसका प्रयोग नेत्रों की औषधि के लिए किया जाता है।

23. रवात (RAVAAT) रक्त वर्णीय होता है। यदि रात्रि में ज्वर चढ़े तो बगल में बांधने से लाभ होता है। यह नीले रंग का भी होता है, जिसका औषधि बनाने में उपयोग किया जाता है।

24. जहेरमोहरा (ZAHER MOHRA) कुछ हरापन लिए सफेद होता है। इसके प्याले में घातक विष भी अपने कुप्रभाव को खो बैठता है।

25. मरगज (JADE)- बिना पानी का, हरित वर्ण से युक्त।

26. बैरुज (AQUAMARINE)- हल्के हरे एवं पन्ने जैसा वर्ण वाला।

27. जबरजद्द (PERIDAT)– सब्जी, निर्मण वर्ण का। इसमें सूत नहीं होता।

28. सितारा (GOLD STONE) सुवर्ण जैसे डीटी वाला, वर्ण का।

29. मकनातीस (FLINT)- श्वेत व श्याम वर्ण से युक्त इसे चकमक

30. आवरी (AABRI)- श्याम वर्ण का सुवर्ण सा।

31. अहवा (AHWA)-बड़े-बड़े छोटों वाला, गुलाबी वर्ण से युक्त।

32. नरम (APINAL RUBY)- लाल, जर्दपन एवं श्याम वर्ण वाला।

33. बासी (BASEE)-हल्के हरे वर्ण का संगसन से नरम होता है। इसकी पॉलिश अच्छी होती है।

34. मकड़ा (SPIDER)- हल्का काला, ऊपर मकड़ी का जाला होता है।

35. पित्तौनिया (BLOOD STONE)-हरित वर्ण का रत्न, जिस पर रक्त वर्णीय छोटे होते हैं।

36. सावोर (SAVORE) – भूरे रंग के डोरे से युक्त, हरे रंग का

37. दाना फिरंग (KIDNEY STONE)– पिस्ते के समान आभा वाला।

38. कसोटी (BASANITE) काले रंग का, सुवर्ण की परीक्षा के निमित्त उपयोग में आने वाला।

39. गूदड़ी (GUDRI)- यह रत्न कई प्रकार का होता है, इसे फकीर लोग पहनते हैं।

40. गौदंता (MOON STONE)- गाय के दांत के समान थोड़ा जर्दपन।

41. धुनेला (SMOKY QUARTZ)- सुवर्ण वर्ण का कुछ धुआंपन लिए।

42. दुर्वेनजक (DURVENZAK)- कच्चे धान के समान, इस पर पॉलिश

43. तुरसावा (TURSAWA)- गुलाबी रंग में कुछ जर्दी लिए, बहुत नरम

44. पारस (PARAS)- श्याम वर्ण का, लोहे को स्पर्श से सोना बना देने वाला।

45. संगसन (WHITE JODE)- श्वेत एवं अंगूरो वर्ण से युक्त।

46. चित्ती (CHITTY)– श्याम वर्ण का, इसके ऊपर सोने का सा डोरा होता है।

47. लारु (LAARU)- यह जात मारवर की भांति होता है।

48. मारवर (MARVER)- लाल, सफेद एवं बांस के रंग जैसा।

49. सींगली (SINGLE)- श्यामता लिए यह माणिक्य जाति का उपरत्न है।

50 सीया (Black Stone)- काले रंग का होता हैं। इसकी मूर्तियां बनती हैं।

51. टेडी (THEDI)- काले रंग का रत्नीय पत्थर जिसके खरल और प्याले बनते हैं।

52. सोमरक (SYMREK) लाल रंग का पीलापन लिए।

53. मूसा (MOOSA)- सफेद मटियाले रंग का इसके खरल हैं।

54. टूर (DOOR)-कई रंग का इसके खरल बनते हैं।

55. खारा (KHARA)- काला, हरापन लिए। इसके भी खरल बनाए बनते हैं।

56. मीरखड़ी (GYPSUM)- मिट्टी जैसे वर्ण का इसके खिलौने जाते हैं।

57. पारा जहेर (PAARA ZAHER)- श्वेत बांस जैसा होता है। घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। विषैले घावों के लिए विशेष लाभप्रद है।

58. पनघन (PUNGHAN)- काले रंग का कुछ हरापन लिए होता है।

59. लिलियर (LILIAR)- काले रंग का रत्नीय पत्थर, जिस पर सफेद

60. सोहनमक्सी (SOHAN MAKHEE)- सफेद मिट्टी के समान होता है। मूत्ररोग में लाभकारी है।

61. सुनेहला (CITRINE)- सोने के रंग के समान हल्का होता है।

62. मरियस (MARIUS)- यह सफेद रंग का होता है। इसकी पॉलिश अच्छा होती है।

63. नीली (NELEE)- यह नीलम जाति का है, किंतु नीलम से कुछ नरम एवं कुछ गर्दा लिए होता है।

64. लूधया (LOODHYA)- मजीठ के समान रक्त वर्णीय होता है।

65. स्फटिक (ROCK CRYSTAL)- यह श्वेत बिल्लौर होता है।

66. कहरुवा (AMBER)- यह रक्त वर्णीय होता है। इसकी माला बनती है। यह माणिक्य का उपरत्न है।

67. क्षना (AKSHNA) मटिया वर्ण का होता है। इसमें पानी देने से झड़ जाता है।

68. दांतला (DANTALA)- पीलापन लिए जूता शंख के समान होता है।

69. संगीया (SUNGIA) शंख के समान स्वेत वर्ण का होता है। इसके घड़ी के लकिट बनते हैं।

70. कामला (KAMLAA)- श्वेत व हरापन लिए वर्ण का।

71. गौरी (GOURI)- बहुत से वर्णों का होता है। इस पर श्वेत सूत होता व या है। इसके प्याले तथा जवाहरात तोलने के बांट बनाए जाते हैं।

72. रोमनी (ROMNI)- यह गहरे लाल रंग का तथा कुछ स्थामलता लिए होता है।

73. लालड़ी (LALRI)- गुलाब के पुष्प जैसे वर्ण का होता है और माणिक्य के स्थान पर इसे धारण किया जाता है।

74. लाजवर्त (LOZIS LAZULI)- नीले रंग का नरम पत्थर, जिसे पहले नीलम हो समझा जाता था। इसके श्वेत जर्द दाग होते हैं।

75. दारचना (DARCHANA)- इस रत्नीय पत्थर के अंदर एक श्वेत वर्ण की मुंडी होती है। यह दालचीनी के वर्ण
🌺रत्न और उपरत्न के बारे में ज़रूरी बातें🌺

रत्न और उपरत्न दोनों ही शुद्ध होने चाहिए.
रत्न ज़्यादा लंबे समय तक काम करते हैं, जबकि उपरत्न कम समय के लिए प्रभावशाली होते हैं.

🌺🔱भारतीय ज्योतिष शास्त्र और धर्म के मुताबिक, 84 रत्न होते हैं.इनमें से माणिक, हीरा, नीलम, पन्ना, मोती, मूंगा, पुखराज, और लहसुनिया को नवरत्न माना जाता है.बाकी के रत्नों को उपरत्न कहा जाता है.🔱🌺

🌺🔱🌺🌷🌷नवरत्न 🌷🌷🌺🔱🌺

माणिक्य, नीलम, हीरा, पुखराज, पन्ना, मूंगा, मोती, गोमेद, लहसुनिया.

🌺🌷रत्नों के बारे में ज़्यादा जानकारी 🌷🌺

माणिक्य को रत्न शिरोमणि कहा जाता है. यह सूर्य ग्रह से प्रभावित होता है.

हीरा श्वेत, पीला, और नीला रंग का होता है. यह शुक्र ग्रह से प्रभावित होता है.

पन्ना हरे रंग का होता है. यह बुध ग्रह से प्रभावित होता है.
नीलम गहरा नीला और आसमानी रंग का होता है. यह शनि ग्रह से प्रभावित होता है.

मोती सफ़ेद और लाल रंग का होता है. यह चंद्र ग्रह से प्रभावित होता है.

मूंगा लाल सिंदुरिया रंग का होता है. यह मंगल ग्रह से प्रभावित होता है.

पुखराज पीला, सफ़ेद, और नीला रंग का होता है. यह बृहस्पति (गुरु) ग्रह से प्रभावित होता है.

गोमेद लाल और धूमिल रंग का होता है. यह राहु ग्रह से प्रभावित होता है.

लहसुनिया लहसुन की तरह रंग का होता है. यह केतु ग्रह से प्रभावित होता है.

🌺🔱🌜ज्योतिष शास्त्र एवं धार्मिक ग्रंथों में रत्नों की उत्पत्ति बारे में अनेकों कहानियाँ मिलती है. 🌺🔱🌺

🌺अग्नि पुराण में रत्नों की उत्पत्ति का संबंध वृत्रासुर के वध से जुडा़ है. इस दैत्य का वध करने के लिए महामुनि दधीचि के शरीर की हड्डियों का हथियार बनाया गया था. इस अस्त्र के निर्माण के समय दधीचि की हड्डियों के कुछ अंश धरती पर गिर गए थे. जहाँ-जहाँ यह गिरे वहाँ हीरे की खानें बन गई.

🌺एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने दैत्यराज बलि का वध करने के लिए वामन अवतार लिया था और तीन पग भूमि भिक्षा में माँगकर राजा बलि से पृथ्वी, आकाश तथा पाताल छीन लिए थे. राजा बलि ने भगवान के जब चरण स्पर्श किए थे तब उनका सारा शरीर रत्नों का बन गया था. इन्द्र ने जब राजा बलि पर वार किया तो रत्नों से बना शरीर पृथ्वी पर बिखर गया और विभिन्न प्रकार की रत्नों की खानें बन गई. राजा बलि के शरीर से ही 84 प्रकार के रत्नों की उत्पत्ति मानी जाती है.

🌺रत्नों के संबंध में राजा बलि से ही मिलती कहानी बलासुर की है. गरुड़ पुराण के अनुसार बलासुर ने इन्द्र को युद्ध में हरा दिया था. यह दैत्य था लेकिन अपने वचन का पक्का और महादानी था. उसके इसी गुण के कारण इन्द्र ने इसे ठगा. इन्द्र ने ब्राह्मण वेश में देवताओं के यज्ञ के लिए बलासुर का शरीर माँग लिया. अग्नि में इसका शरीर भस्म होने के बाद धरती पर जहाँ-जहाँ इसके अँग गिरे वहाँ विविध प्रकार के रत्नों की खानें बन गई.

🌺अन्त में रत्नों के संबंध में प्रचलित एक अन्य मुख्य कथा है. रत्नों से जुडी़ यह समुद्र मंथन की कथा है. देवों तथा राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था. उस दौरान बहुत सी वस्तुएँ समुद्र से निकली थी. इनमें 14 प्रकार के रत्न पदार्थ भी निकले. समुद्र मंथन से निकले अमृत पर देवों तथा असुरों में संघर्ष हुआ. इस संघर्ष में अमृत की बूँदे पृथ्वी पर जहाँ गिरी वहाँ रत्न बन गए.

🌺🔱🌺रत्नों को धारण करने का कारण 🌺🔱🌺

🌺🌷🌺ग्रहों की शांति हेतु तथा जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए रत्नों को धारण किया जाता है. रत्नों को धारण करने का जब प्रश्न आता है तब बहुत सी बातें हमारे मन में उठती हैं. कौन सा रत्न धारण करना चाहिए. कौन सा रत्न अनुकूल फल प्रदान करेगा. क्या रत्न धारण करने से लाभ होगा, आदि अनेक बातें हैं. यदि अपने जन्म का पूरा विवरण पता है तब कुण्डली में स्थित शुभ ग्रहों के आधार पर रत्न धारण कर सकते हैं. माना कुण्डली में लग्न अथवा लग्न का स्वामी ग्रह निर्बल है और उसके कारण आपको जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तब आप इनसे संबंधित रत्न धारण कर सकते हैं.

🌺🌷🌺भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है या कुण्डली के शुभ ग्रह कमजोर होकर स्थित है अथवा कुण्डली में त्रिकोण भाव के स्वामी निर्बल है तब आप उनका रत्न धारण कर सकते हैं. रत्न धारण करने से संबंधित ग्रह को बल मिलता है और वह शुभ फल देने में सहायक होता है.

🌺🌷🌺यह आवश्यक नही है कि आप सभी को अपने जन्म विवरण की पूरी जानकारी हो.. ऎसी स्थिति में आपको जो परेशानी या बाधा आ रही है, उससे संबंधित कारक ग्रह का रत्न धारण किया जा सकता है. जैसे किसी को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तब संतान के कारक ग्रह बृहस्पति का रत्न धारण किया जा सकता है. किसी को विवाह में देरी का सामना करना पड़ रहा है तब शुक्र से संबंधित रत्न को धारण किया जा सकता है.

🌺🔱🌺रत्न ज्योतिष उपाय के अनुसार मूंगा सहित इन 8 रत्नों को धारण करने से खत्म होते हैं सभी ग्रहों के अशुभ प्रभाव🌺🔱🌺

🌺🔱🌺 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की शांति के लिए रत्नों को धारण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। अपनी राशि के अनुसार रत्नों को धारण करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।

🌺🔱🌺इन रत्नों को पूरे नियम के साथ धारण किया जाता है। क्योंकि बिना नियम के पहनने पर इसके प्रभाव प्रतिकूल भी हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप भी रत्न पहनने जा रहे हैं तो सबसे पहले इनसे जुड़े हुए नियमों को अवश्य जान लें।

🌺🔱🌺🌷आइए जानते हैं किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न पहनना फलदायी होगा और इसको धारण करने के क्या हैं नियम।🌷🌺🔱🌺

🌸🌺🌸मोती 🌸🌺🌸

चंद्रमा की शांति के लिए मोती रत्न धारण किया जाता है। इस रत्न को सोने या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनें। ध्यान रखें कि अंगूठी का वजन 4 रत्ती से कम का न हो।

🌸🌺🌸माणिक्य रत्न🌸🌺🌸

सूर्य ग्रह की मजबूती के लिए माणिक्य रत्न पहना जाता है। इस रत्न को 3 रत्ती से ऊपर वजनी का पहनें। इसे कम से कम 5 रत्ती की सोने की अंगूठी में जड़वाएं।

🌸🌺🌸पन्ना रत्न 🌸🌺🌸

बुध ग्रह की शांति के लिए पन्ना रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। आप कम से कम 6 रत्ती का पन्ना धारण करें।

🌸🌺🌸मूंगा रत्न 🌸 🌺 🌸

मंगल ग्रह को शांत करने के लिए कम से कम 8 रत्ती का मूंगा पहनें। रत्न को कम से कम 6 रत्ती की सोने की अगूठी में मढ़वाएं। बता दें कि मूंगा 3 बरस तक प्रभावी होता है।

🌸🌺🌸पुखराज रत्न 🌸🌺🌸

गुरु का आशीर्वाद पाने के लिए कम से कम 4 रत्ती का पुखराज रत्न धारण करें। इसे सोने या चांदी की बनी अंगूठी में जड़वाकर पहनें।

🌸🌺🌸हीरा रत्न 🌸🌺🌸

शुक्र ग्रह को मजबूत बनाने के लिए हीरा धारण करना चाहिए। बता दें कि 1 रत्ती हीरे को कम से कम 7 रत्ती सोने की अंगूठी में पहनना चाहिए। इसका प्रभाव करीब 7 साल तक रहता है।

🌸🌺🌸नीलम रत्न 🌸🌺🌸

जिसका शनि भारी है उसे 4 या इससे अधिक रत्ती का नीलम पहनना चाहिए। नीलम को लोहे की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसका प्रभाव 5 साल तक रहता है।

🌸🌺🌸गोमेद रत्न🌸🌺🌸

राहु की शांति के लिए गोमेद रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे 4 रत्ती से ऊपर की अष्टधातु या चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए।

🌸🌺🌸लहसुनिया रत्न 🌸🌺🌸

केतु की शांति के लिए लहसुनिया रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। आपको कम से कम 4 रत्ती लहसुनिया रत्न को धारण करना चाहिए। इसे कम से कम 7 रत्ती वजन की पंचधातु या लोहे की अंगूठी में मढ़वाकर धारण करना चाहिए।

🌺🔱💐राशि के हिसाब से कौन सा रत्न पहना फायदेमंद होगा।💐🔱🌺

मेष💥- इस राशि के लोगों का स्वामी मंगल ग्रह होता है। इसे देखते हुए इन जातकों को मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है।

वृषभ-💥 इन जातकों का स्वामी शुक्र माना जाता है। इसलिए इन लोगों को हीरा पहनने की सलाह दी जाती है।

मिथुन- 💥इस राशि के लोगों का स्वामी बुध होता है। इस वजह से इन्हें हरे रंग का पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है।

कर्क- 💥कर्क राशि के जातकों का स्वामी चंद्रमा है। इसलिए इन लोगों को मोती धारण करने की सलाह दी जाती है।

सिंह- 💥इन राशि के लोगों का स्वामी सूर्य ग्रह है। ऐसे में इन्हें माणिक धारण करने की सलाह दी जाती है।

कन्या-💥 इस जातकों की राशि के लोगों का स्वामी बुध है। इस वजह से इन्हें हरे रंग का पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है।

तुला- 💥इन राशि के लोगों का स्वामी शुक्र है। ऐसे में इन्हें हीरा धारण करने की सलाह दी जाती है।

वृश्चिक- 💥इनका स्वामी मंगल ग्रह है। इसलिए इन्हें लाल रंग का मूंगा धारण करना चाहिए।

धनु- 💥धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है। ऐसे में इन्हें पीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।

मकर- 🔥इन जातकों के लोगों का स्वामी शनि ग्रह है। इसलिए इन्हें नीलम धारण करनी की सलाह दी जाती है।

कुंभ- 💥इन राशि के लोगों का स्वामी शनि है। ऐसे में इन्हें भी नीलम धारण करने के लिए कहा जाता है।

मीन- 💥इन राशि के जातकों के शासक राहु और शनि दोनों हैं। ऐसे में ये लोग पीला पुखराज, मोती और मूंगा धारण कर सकते हैं

🌺🔱🌺।ज्योतिष के मुताबिक, अलग-अलग ग्रहों के लिए अलग-अलग जड़ियां इस्तेमाल की जाती हैं. इन जड़ियों को धारण करने से ग्रहों का शुभ फल मिलता है और ग्रह दोष दूर होते हैं. 🌺🔱🌺

🌺🔱🌺ग्रहों की जड़ियां 🌺🔱🌺

सूर्य ग्रह के लिए बेलपत्र की जड़

चंद्र ग्रह के लिए खिरनी या खजूर की जड़

मंगल ग्रह के लिए नाग जिह्नवा या अनंत मूल की जड़

बुध ग्रह के लिए विधारा की जड़

बृहस्पति ग्रह के लिए भृंगराज या केले की जड़

शुक्र ग्रह के लिए सरपोंखा या गूलर की जड़

शनि ग्रह के लिए बिच्छू घास या शमी की जड़

राहु ग्रह के लिए सफ़ेद चंदन की जड़

केतु ग्रह के लिए अश्वगंधा की जड़

🌺🔱🌺जड़ियां धारण करने का तरीका 🌺🔱🌺

🌸💐🌸जड़ी को संबंधित ग्रह के रंग के धागे में बांधकर धारण करें
पुरुषों को दाहिनी भुजा पर और महिलाओं को गले में धारण करना चाहिए🌸💐🌸

🌺जड़ी धारण करने से पहले संबंधित ग्रह को निमंत्रण देना चाहिए

🌺जड़ी को गंगा जल से धोकर पूजा के बाद धारण करना चाहिए

🌺जड़ी को इनके ग्रह मंत्रों से सिद्ध अभिमंत्रित करवाए फिर इनकी होता या वार पर शुभ मुहूर्त में धारण करे

🌺🔱🌺🌸लेख विशेष आपसे करबद्ध निवेदन हे ,कि की भी ग्रह विशेष से संबंधित रत्न उपरत्न और जड़ी किसी योग्य ज्योतिषी के परामर्श से ही धारण करे, अन्यथा इनके दुष्प्रभाव भी होते है, इन्हें इनके ग्रह मंत्रों से सिद्ध अभिमंत्रित करवा कर धारण करे, सभी रत्न उपरत्न की एक निश्चित आयु होती हैं इसके उपरांत ये फल नहीं देते,🌸🌺🔱🌺

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🌺🔱🌺🔱🌺गुप्त नवरात्रि विशेष 🌺🔱🌺🔱🌺🌺🔱🌺गुप्त नवरात्रि का अर्थ, 🌺🔱🌺💥माना जाता है आषाढ़ और माघ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त न...
25/01/2025

🌺🔱🌺🔱🌺गुप्त नवरात्रि विशेष 🌺🔱🌺🔱🌺

🌺🔱🌺गुप्त नवरात्रि का अर्थ, 🌺🔱🌺

💥माना जाता है आषाढ़ और माघ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि नाम इसलिए दिया गया है, क्योकि इसमें गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं. इसमें अघोरी तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने लिए विशेष पूजा करते है साथ ही यह मोक्ष की कामना के लिए भी यह महत्वपूर्ण मानी जाती है.

🌺🔱 दश महाविद्या देवियों की जाती है पूजा🔱🌺

💥मान्यता के अनुसार, चैत्र और शारदीय नवरात्रि में जहां नौ शक्तियों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दस देवियों का पूजा की जाती है. इन दस देवियों के नाम इस प्रकार है माता कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माता बगलामुखी, माता मातंगी, माता कमला देवी हैं.

💥गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की साधना की जाती है. यह साधना आम नवरात्रि की तुलना में कठिन होती है. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा-पाठ के साथ-साथ तंत्र साधनाएं भी की जाती हैं. गुप्त नवरात्रि में साधना करने का मकसद किसी खास सिद्धि को पाना होता है.

🌺🔱गुप्त नवरात्रि से जुड़ी कुछ खास बातें🔱🌺

💥गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा बिना हर्ष-उल्लास और दिखावे के की जाती है.
गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा के लिए कलश स्थापना की जाती है.
गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा को लाल पुष्प और चुनरी अर्पित की जाती है.
गुप्त नवरात्रि में पूजा के दौरान माता को लोंग और बताशे का भोग लगाया जाता है.
गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा के लिए दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.
गुप्त नवरात्रि में माता काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, ध्रूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी की पूजा की जाती है

🌺🔱🌺गुप्त नवरात्रि में साधना कैसे करें?🌺🔱🌺

💥नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं। गुप्त नवरात्रि अंतिम दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें। मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, अक्षत चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।

🌺🔱गु🌺प्त नवरात्रि में करे ये उपाय 🌺🔱🌺

💥गुप्त नवरात्रि में एक फिटकरी ओर कपूर को काले कपड़े में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर बांधें. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और धन आगमन होता है.

💥गुप्त नवरात्रि में पीपल के पत्ते पर राम लिखकर उस पर कुछ मीठा रखें और किसी हनुमान मंदिर में चढ़ाएं. इससे धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं.

💥गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा को हर रोज 7 लौंग, पान और लाल अनार चढ़ाने से घर और व्यापार में नेगेटिव एनर्जी का प्रभाव नहीं होता.

💥गुप्त नवरात्रि में लाल कपड़े में केसर युक्त,अक्षत, चांदी का सिक्का और कुछ कौड़ी बांधकर घर की तिजोरी में रखें. धन आगमन होता रहेगा

💥गुप्त नवरात्रि में विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए माता पार्वती को 7, 9 या 11 हल्दी की गांठें अर्पित करें.

💥गुप्त नवरात्रि में रोजाना सुबह स्नान करने के बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और पूजा करें.
गुप्त नवरात्रि में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मोर पंख घर लाएं. केसर युक्त खीर का भोग लगाए

💥गुप्त नवरात्रि में हनुमान चालीसा , अष्टक, जंजीरा पढ़े हनुमान जी को पान तुलसी या पीपल की माला फल भेंट करे
💥गुप्त नवरात्रि में भैरव जी का दर्शन ज़रूर करें. भैरव नामावली के पाठ करे पान के पत्ते पर लौंग , इलायची पताशा, उड़द की कचौड़ी इमरती भेंट करे

💥गुप्त नवरात्रि के पहले दिन 9 गोमती चक्र लेकर मां दुर्गा के पास रख दें। नवरात्रि के अंतिम दिन की पूजा करने के बाद गोमती चक्र को लाल कपड़े में बांधकर धन के स्थान या तिजोरी में रख दें। मान्यता है इससे आर्थिक संकट दूर होता है।

💥गुप्त नवरात्रि में रोजाना रात्रि काल यानी निशिता काल मुहूर्त में देवी दुर्गा के आगे घी का दीपक जलाएं। मान्यता है इससे आर्थिक संकट, शत्रु बाधा का नाश होता है।
अगर आपके परिवार का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है तो इस गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।

💥गुप्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के 12वें अध्याय के 21 बार पाठ करें और लौंग कपूर के साथ आरती करें।
नवरात्रि के दौरान रात के समय भैरव बाबा को जलेबी, इमरती का भोग लगाएं। ये उपाय राहु-केतु, शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

🌺🔱🌺नवरात्रि में लौंग के कई टोटके किए जाते हैं. लौंग की तीखी खुशबू नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है. माना जाता है कि लौंग में देवी दुर्गा की कृपा निहित होती है. नवरात्रि में लौंग के कुछ टोटके ये रहे: 🌺🔱🌺

💥आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए, नवरात्रि के नौ दिनों तक रोज़ाना शाम को घर के मुख्य द्वार पर लौंग के तेल का दीपक जलाएं.

💥नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आरती करते समय, उस दीपक में बाती के आगे दो लौंग रखें.

💥नवरात्रि में, एक पीले कपड़े में लौंग का जोड़ा, 5 इलाइची, और 5 सुपारी रखकर मां दुर्गा को अर्पित करें.
नवरात्रि के दौरान, रोज़ाना अपने घर में लौंग और कपूर का धुंआ करें.

💥नवरात्रि के दौरान, राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए, हर रोज़ एक लौंग का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करें.
अगर आपको किसी से अपना काम निकलवाना है, तो शनिवार की रात को लौंग का टोटका अपनाएं.

🌺🔱🌺कौन सी महाविद्या किस ग्रह को नियंत्रित करती है?🌺🔱🌺

💥दस महाविद्याएँ और 9 ग्रह। काली (शनि), तारा (बृहस्पति), षोडशी (बुध), भुवनेश्वरी (चंद्रमा), भैरवी (समय या लग्न), छिन्नमस्ता (राहु), धूमावती (केतु), बगलामुखी (मंगल), मातंगी (सूर्य), और कमला ( शुक्र).

🌺🔱🌺महाविद्या मंत्र🌺🔱🌺

🔥काली मंत्र
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिका क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥

🔥तारा मंत्र
ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट्॥

🔥त्रिपुर सुंदरी या षोडशी मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

🔥भुवनेश्वरी मंत्र
ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:॥

🔥भैरवी मंत्र
ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा॥

🔥छिन्नमस्ता मंत्र
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट् स्वाहा॥

🔥धूमावती मंत्र
ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा॥

🔥बगलामुखी मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः॥

🔥मातंगी मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा॥

🔥कमला मंत्र
ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः॥

🌺🔱🌺दस महाविद्या की प्रार्थना से भोग और मोक्ष की प्राप्ति🌺🔱🌺

💥दस महाविद्या की प्रार्थना बेहद विशेष है धर्म ग्रंथों के अनुसार अनेक कर्म करते हुए जब हमें कर्मानुसार भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति नहीं होती तब मन दुखी हो जाता है। इससे चित्त भटकने लगता है, और लक्ष्य प्राप्ति के लिए हम एक से दूसरी उपासना की तरफ आकर्षित होने लगते हैं। लेकिन हम जहां जाते हैं, वह स्वयं ही जाग्रत या सिद्ध नहीं हुआ करते। यह विशेषता केवल दश महाविद्या में ही है कि वह सिद्ध और जाग्रत हैं।

🔥💥🔥 गुप्त नवरात्रि में दश महाविद्या यंत्र माला दुर्गा बीसायंत्र, भैरव ओर हनुमान यंत्र सिद्ध किए जाएंगे, साथ ही विशेष रूप से सिद्ध अभिमंत्रित रक्षा कवच पंच धातु के ताबीज में भरे जाएंगे इच्छुक जातक फोन करे

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