Sparsh Organ Donation Awareness Programme

Sparsh Organ Donation Awareness Programme NGO "Sparsh Welfare Society" is working on Organ Donation Awareness since last 14 Years to save lives

दूसरे को जीवन देने से ज्यादा सार्थक कार्य कोई और नहीं हो सकता; इसी बात को मूल मंत्र मानते हुए संस्था स्पर्श वेलफेयर सोसाइटी विगत पांच वर्षो से कई सारे सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनो एवं स्वाथ्य संस्थाओं के साथ मिलकर अंगदान /देहदान जागरूकता पर कार्य कर रही है। रक्तदान, नेत्रदान जैसे महादान के लिए लोगो में जागरूकता बढ़ी है परन्तु मृत शरीर के उपयोगी अंगों को किसी जरूरतमंद को दान देने की परिपाटी अभी भी पूरी तरह से चलन में नहीं आ पायी है।

भारत में हर आठ मिनट में मार्ग दुर्घटना में मृत्यु होती है। यदि स्पेन की तर्ज़ पर क़ानून बनाकर इन सभी शवों को सरकार को सौंप दिया जाए तो प्रत्येक व्यक्ति से दस दस लोगो को जीवन मिल सकता है।

स्पेन में मार्ग दुर्घटना के बाद ब्रेन डेड घोषित व्यक्ति का शरीर सरकार की संपत्ति होता है। इससे अंगदान कर वहां एक ब्रेन डेड शरीर से दस लोगो की जान बचाई जाती है। दुर्घटना के बाद अस्पताल पहुंचे मरीज़ों की मृत्यु होने पर वे ब्रेन या कार्डिएक डेथ की स्थिति में होते हैं। एक ब्रेन डेड शरीर में दो आँखें, दो किडनी,एक लिवर,दो फेफड़े,एक दिल, एक पैंक्रियास व आंत का प्रत्यारोपण कर दस लोगों को नयी जिंदगी दी जा सकती है।

उत्तर प्रदेश की आबादी बीस करोड़ है लेकिन अंगदान/देहदान के मामले में यहाँ अत्यधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए दो विधियां हैं - एक तो जीवित व्यक्ति का अंग लेकर उनका प्रत्यारोपण कराया जाता है। ऐसे दान दाताओं को लिविंग यानी जीवित डोनर कहा जाता है। इसके अंतर्गत अंगदाता को सामान्यतः अंग की आवश्यकता वाले व्यक्ति का रिश्तेदार होना जरुरी होता है। और फिर अंग प्रत्यारोपण की अनुमति की प्रक्रिया भी खासी जटिल होती है। दूसरा डिसीज़्ड डोनेशन, जिसमे मस्तिष्क काम करना बंद कर देने (ब्रेन डेथ )या हृदय काम करना बंद कर देने ( कार्डियक डेथ )की स्थिति में शरीर दान कर दिया जाता है। लिविंग डोनेशन को लेकर तमाम समस्याएं व जटिलताएं सामने आने के कारण पूरी दुनिया में डिसीज़्ड डोनेशन पर जोर दिया जा रहा है। भारत में भी इस दिशा में सक्रियता आई है किन्तु उत्तर प्रदेश में इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जाने की जरुरत है। उत्तर प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण बीमारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

चिकित्स्कीय आकलन के अनुसार उत्तर प्रदेश में हर वर्ष एक लाख लोगों के गुर्दे किसी न किसी बीमारी के शिकार बनते हैं। इनमे से चार हज़ार लोगों को गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। अंग उपलब्ध न होने के कारण लोग डायलिसिस पर रहने को विवश हैं। इसी प्रकार प्रदेश में हर वर्ष औसतन छः हजार दिलों - फेफड़ों की जरूरत होती है। गुर्दा रोगियों को तो डायलिसिस के सहारे रखा जा सकता है किन्तु दिल के प्रत्यारोपण वाले मरीज़ों की तो बस इस इंतज़ार में मौत ही हो जाती है। चिकित्सकों के मुताबिक लिवर ख़राब होने की समस्या सर्वाधिक चिंताजनक है। हर वर्ष औसतन पंद्रह हज़ार मरीज़ो के लिवर प्रत्यारोपण की स्थिति में होते हैं जो अंगदान के अभाव में असमय मौत के मुँह में समां जाते हैं।

एक समाचार पत्र में प्रकाशित तथ्यों के आधार पर प्रदेश सरकार का अंगदान प्रोत्साहित करने हेतु सकारात्मक कदम उठाने का फैसला उन तमाम मरीज़ों को नई ज़िन्दगी देगा जो अंग प्रत्यारोपण की कतार खड़े हैं। संस्था स्पर्श वेलफेयर सोसाइटी अंगदान / देहदान जागरूकता के इस अभियान में अपना योगदान देना चाहती है तथा इस प्रदेश को भारत में अंगदान / देहदान जागरूक प्रदेश बनाकर हज़ारों लाखों चेहरों पर मुस्कान लाना चाहती है।

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Gomti Nagar
Lucknow
226010

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