Dr. Thukral's Omnicare Health House

Dr. Thukral's Omnicare Health House Defeat the illness
The Master Doctor Department

अगर आप अपनी बीमारी से हार चुके हैं !
रोगों के निदान की दुनिया

13/11/2025

💥 24×7 — Online & Offline!
… पैसा वसूल ! बातें

दुनिया में 8–10% बच्चों को ADHD होता है, लेकिन केवल लगभग 3% को ही सही उपचार मिलता है।
समय पर इलाज न मिले तो ऐसे बच्चों में आक्रामक व्यवहार, कंडक्ट प्रॉब्लम, नशे की आदतें और आगे चलकर कई गंभीर मानसिक बीमारियाँ (major psychotic illnesses) विकसित हो सकती हैं।
शुरुआती पहचान और सही उपचार से बच्चे का पूरा भविष्य बदला जा सकता है।

🌱 Every parent must read this.
🌱 हर parent को यह अवश्य पढ़ना चाहिए।

🌿 **Identify Your Child Early — Prevent Them From Drifting Into Severe Conduct Problems, Emotional Collapse, or Future Personality Damage.

Borderline Intellectual Functioning (Slow Learner)
with ADHD – Combined Type
with Behavioral Disorders Associated with ADHD,
including Oppositional Defiant Disorder (ODD)
with Significant Decline in Academic Performance
with History of a Solitary Acute Symptomatic Seizure (Electric Shock–Induced)
with Mood Dysregulation – Provisional Schizoaffective-like Symptoms / Mood Disorder


Aarav was only eight when small signs began to appear — constant restlessness, inability to focus, forgetting simple instructions, and getting irritated at the slightest call. What looked like innocence at first slowly revealed itself as ADHD. He wanted to do well, but his mind kept running ahead of him.

As the years passed, ADHD quietly shifted into something more intense. Aarav began arguing with everyone — teachers, classmates, even family. If asked to sit, he stood; if corrected, he shouted; if questioned, he blamed others. What began as hyperactivity transformed into true Oppositional Defiant Disorder (ODD).

Soon every room he entered felt tense. The smallest frustration led to explosive anger. He pushed children, hit classmates, threw objects, and refused to accept responsibility for anything. His self-esteem inflated strangely, and his moods swung from sudden laughter to unexpected tears. His sleep broke down. His words repeated. His emotions became unpredictable.

School complaints became endless, and by Class II, he dropped out completely. At home he was restless, impulsive, and emotionally unstable.

A few years earlier he had suffered an electric shock, collapsing unconscious — a memory that still frightened the family. Doctors reassured them it was a single symptomatic seizure, but emotionally his struggles only grew. Treatment was attempted but never completed. Every time the family hesitated, and every time his problems deepened.

By thirteen, Aarav was a child carrying far more weight than he could understand — ADHD, ODD, emotional dysregulation, academic decline, and early mood instability layered upon a vulnerable genetic background.

His story is not about a “bad child.”
It is about a child whose brain was asking for help long before his behaviour began to break.
With timely psychiatric care, patience, and structure, his life could have taken a different path.


🔖 Awareness Points
1️⃣ Early identification saves futures
2️⃣ Behaviour may be brain-based, not intentional
3️⃣ Timely treatment transforms lives



11/11/2025


“एक अनसुनी वास्तविक कहानी की दर्दभरी पुकार”
💥नींद का न आना, घबराहट, उलझन, तनाव और उदासी — ये शुरुआती संकेत हैं कि आपका मस्तिष्क और शरीर की स्वस्थता प्रभावित होने लगी है । यह एक अलार्म है, जिसे नज़रअंदाज़ करना भविष्य में हर रोग और  सभी प्रकार के गंभीर रोगों का कारण बन जाता है।
💥 हर बीमारी बाहर भले ही बाद में दिखे, लेकिन उसकी जड़ें अक्सर जन्म के समय से ही हमारे भीतर मौजूद होती हैं। जैसे हम अपने माता-पिता की शारीरिक विशेषताएँ genes के ज़रिये प्राप्त करते हैं, वैसे ही उनके genes में छिपे पीढ़ियों के रोग हमारे आनुवंशिक रूप से हमारे भीतर आते हैं।
💥 इन genes में छिपे रोगों को सक्रिय कर सकते हैं: मस्तिष्क की संरचना, तनावपूर्ण environmental factors, अस्थिर family support, और अचानक उभरने वाले triggers — जैसे आर्थिक संकट, सामाजिक तनाव, गंभीर शारीरिक बीमारियाँ (जैसे COVID-19, टायफॉइड आदि)। ये सभी factors आपके मस्तिष्क और शरीर पर प्रभाव डालता हैं, तो वे मानसिक और शारीरिक रोगों को जन्म दे सकते हैं।
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💢 सिज़ोफ्रेनिया परिवारों में चलता है, एक अनुवांशिक रोग है, लेकिन ये केवल जीन्स से संबंधित ही नहीं है।
Schizophrenia runs in families, but it's not just about genes.
1️⃣ सिज़ोफ्रेनिया क्या है?
What is Schizophrenia?
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Schizophrenia एक गंभीर मानसिक रोग है, जो किसी भी समय पर प्रायः 16 से लेकर 18 साल या 30 से 35 वर्ष की उम्र में भी शुरू हो सकता है।
🧠 मुख्य लक्षण
Key Symptoms
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• Abnormal or Bizarre Behavior – असामान्य या विचित्र व्यवहार: mumbling, smiling, inappropriate talks
• Decline in Social, Occupational & Cognitive Performance – जीवनशैली की क्षमताओं में कमी
• Neglecting Hygiene – नहाने, धोने, साफ-सफाई में अरुचि
• Hallucinations – कानों में आवाजें सुनाई देना
• Delusions – गलत धारणाएँ या शक रहना
• Disorganized Thinking and Speech – विचारों में अव्यवस्था, अस्पष्ट बोलना
• Affective Flattening / Social Withdrawal – भावनात्मक कमी अथवा एकांत या अपने में ही खोए रहना और लोगों से अलग-थलग रहना
🔹 यह रोग पूरी दुनिया में लगभग 1% से 3% लोगों को प्रभावित करता है।
It affects about 1% to 3% of the global population.
2️⃣ सिज़ोफ्रेनिया में अनुवांशिक भूमिका
Role of Genes in Schizophrenia
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• यह रोग Polygenic होता है यानी कई Genes मिलकर Risk बढ़ाते हैं।
• Heritability: 60–80% तक मानी जाती है।
👉 यानी Genes महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन पूरा कारण नहीं हैं।
Genes matter, but they're not the whole story.
3️⃣ परिवार में सिज़ोफ्रेनिया का Risk
Risk of Schizophrenia in Families
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📊 Relation — Estimated Risk of Developing Schizophrenia
• सामान्य व्यक्ति — ~1%
• माता या पिता को Schizophrenia — ~10–13%
• दोनों माता-पिता को Schizophrenia — ~40–50%
• भाई/बहन को Schizophrenia — ~10%
• Identical Twin — ~48%
• Fraternal Twin — ~17%
❗ Note: Even in identical twins, it’s not 100% — environment plays a vital role too.
4️⃣ कौन-कौन से जीन्स शामिल हैं?
Which Genes Are Involved?
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👉 कोई एक “Schizophrenia Genes” नहीं, बल्कि कई Genes मिलकर Risk बढ़ाते हैं:
• COMT – Dopamine breakdown में
• DISC1 – Brain development में
• NRG1 – Neuronal signaling में
• ZNF804A, CACNA1C, GRIN2A – Brain functioning में भूमिका
These genes affect Dopamine and Glutamate neurotransmitter systems, which are altered in Schizophrenia.
5️⃣ Genome-Wide Association Studies (GWAS)
• वैज्ञानिकों ने सैकड़ों Genetic loci पहचाने हैं जो Schizophrenia से जुड़े हैं।
• प्रत्येक Genes का प्रभाव छोटा होता है, लेकिन मिलकर Polygenic Risk Score को बढ़ाते हैं।
• इससे व्यक्ति के Genetic susceptibility का अनुमान लगाया जाता है।
6️⃣ Genes-Environment Interaction
Genes Risk बढ़ा देते हैं — लेकिन बीमारी कब होगी, इसका ट्रिगर Environment से आता है।
⚠️ उदाहरण | Examples:
• Birth complications
• Intrauterine infections (e.g., Flu during pregnancy)
• Childhood psychological trauma
• Urban lifestyle
• Cannabis or drug use during adolescence
🧠 इसे कहते हैं: “Two cause Hypothesis”
• First cause: Genetic Risk
• Second cause: Environmental Stress
7️⃣ Epigenetics and Schizophrenia
Epigenetics यानी Gene expression में बदलाव (बिना DNA sequence बदले):
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• Stress, Substance abuse और Childhood trauma जैसे कारक Gene expression को बदल सकते हैं।
• इसलिए Identical Twins में भी एक को रोग हो सकता है और दूसरे को नहीं।
8️⃣ क्या Schizophrenia Hereditary है?
Is Schizophrenia Directly Hereditary?
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नहीं। यह Eye color की तरह सीधे Genetic inheritance नहीं दिखाता।
➡️ व्यक्ति Genes से Risk प्राप्त करता है, लेकिन बीमारी होगी या नहीं — यह Environment और Life factors पर निर्भर करता है।
9️⃣ परिवारों के लिए उपयोगी बातें
Family Guidance
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• परिजन डरें नहीं, जागरूक बनें।
• परिवार में किसी को रोग होने का मतलब यह नहीं कि सबको होगा।
• Genetic counseling helpful हो सकती है।
• Supportive environment, Early detection और Positive family support से Risk को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
🧠 Final Thoughts
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Schizophrenia एक Complex Brain Disorder है जिसमें Genetics एक अहम भूमिका निभाते हैं।
लेकिन Environment, Trauma, Stress और Lifestyle भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
💥 सिज़ोफ्रेनिया कैसे होता है उत्पन्न:
How Schizophrenia Develops:
1. Genes
2. Brain Structure Abnormalities
3. Neurodevelopmental Disruptions
4. Environmental Factors
5. Family Support (or lack thereof)
6. Childhood Psychological Trauma
7. Birth Complications
8. Prenatal Infections
9. Substance Abuse (Cannabis, Alcohol, etc.)
10. Urban Living / Social Isolation
11. Epigenetic Modifications
12. Stressful Life Events
13. Low Socioeconomic Status
14. Early Cognitive or Behavioral Deviations
15. Lack of Early Intervention
16. Schizophrenia Risk &
17. Long-term Outcome
🙏 शेयर करें, जागरूकता फैलाएं।
Share to spread awareness.

11/11/2025

💥 एक सच्ची कहानी हजारों लाखों लोगों की .. !!
💥 20 - 25 का होते ही सबसे पहले
संभाले अपनी उलझन घबराहट तनाव .. !!
ज़िंदगी भर ठीक रहने की गारंटी .. !!
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📍 “सुमति शेषन, उम्र 34, ने अपने जीवन के 8 साल अस्पतालों की लाइन में बिता दिए…”
📍 12 डॉक्टर बदल चुकी थी
🎥 Title: “सुमति की राहत थी एक psychiatrist के पास, जो सुमति को को मंज़ूर न था”
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👩‍⚕️ “सुमति शेषन, उम्र 34, ने अपने जीवन के 8 साल अस्पतालों की लाइन में बिता दिए…”
शुरुआत एक मामूली पेट दर्द से हुई थी…
फिर सिरदर्द, घबराहट, हार्ट बीट तेज़ होना, उलझन…
हर महीने कोई नया लक्षण, कोई नई तकलीफ़।
🔬 12 डॉक्टर बदल चुकी थी —
न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट…
🩺 हर जाँच रिपोर्ट “नॉर्मल” आती थी,
पर तकलीफ़ें असली थीं —
नींद नहीं आती थी, थकान रहती थी, शरीर भारी लगता था।
💊 दवाइयाँ बदलीं, इलाज बदला…
पर राहत नहीं मिली।

📆 सालों बीत गए…
हर कोई यही कहता — “सब ठीक है, तुम्हें कुछ नहीं है।”
पर सुमति को “कुछ था” —
जो दिखता नहीं था, पर जीने नहीं देता था।

💡 और एक दिन…
एक सीनियर डॉक्टर ने कहा:
👉 “अब एक बार मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से मिल लो।”
सुमति चौंकी —
“मैं पागल नहीं हूँ!”
डॉक्टर मुस्कुराए:
“बिलकुल नहीं… पर हो सकता है आपकी तकलीफ़ की जड़ दिमाग़ में हो, शरीर में नहीं।”

🧠 और पहली बार, सुमति ने अपने “मन की बीमारी” को समझा…
Somatoform Disorder —
एक ऐसा मानसिक रोग, जिसमें मन का तनाव शरीर में लक्षण बनकर बाहर आता है।

👨‍⚕️ Psychiatrist ने बात की, सुना, समझा…
और कुछ महीनों की थेरेपी और सही इलाज के बाद —
सुमति मुस्कुरा पाई।
ना जाँच, ना इंजेक्शन, ना स्कैन…
बस सही डायग्नोसिस और सही दिशा।

📣 सबक:
“अगर सालों से शरीर बीमार है, पर जाँच में कुछ नहीं आता —
तो एक बार ‘दिमाग़’ की तरफ भी देखिए।”
👉 Psychiatry कोई अंतिम इलाज नहीं,
बल्कि पहला इलाज हो सकता है आप की राहत ।

📍 हर सुमति के लिए एक संदेश:
शरीर को नहीं, मन को भी सुनिए।
क्योंकि हर दर्द की वजह मांसपेशियाँ नहीं होतीं —
कभी-कभी यादें, डर, और दबाव भी हो सकते हैं।



















11/11/2025

🛑 काश़ शादी से पहले पता चल जाता …
🧠“Simple Schizophrenia”
जटिल भयभीत करने वाला आनुवंशिक रोग
1️⃣ सबकुछ सामान्य लगता है… लेकिन हैं बहुत ही असामान्य
2️⃣ बच्चा ठीक दिखता है —
पर पिछले 3-4 साल से ना पढ़ाई में रुचि,
ना दोस्तों से जुड़ाव,
ना कोई प्रोडक्टिविटी।
बस एक जगह ठहरा हुआ।
3️⃣ शुरू से ही लगते थे अजीब
पति की शादी को 4 साल हो गए —
7 - 8 बार नौकरी बदली,
कहीं टिकते नहीं,
हर जगह असंतोष।
बोलचाल और व्यवहार थोड़ा जैसे unemotional वाला types ।
शरीर से कुछ बदबू जैसे मरे हुए जानवर की ।
शायद पहले से रही होगी पर शादी से पहले कौन बताता है
4️⃣ लगता है — शायद डिप्रेशन है!
पर नहीं — ये कुछ और है…
5️⃣ 👉 ये हो सकता है Simple Schizophrenia —
जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे सामाजिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक रूप से गिरता चला जाता है…
बिना कोई शोर मचाए, चुपचाप।
6️⃣ अक्सर लोग डॉक्टर के पास तब आते हैं —
जब 8-10 साल निकल जाते हैं…
और तब कहा जाता है —
“हमने अपने जीवन के 10 साल खो दिए…”
🛑 लेकिन अगर आप ध्यान दें — तो ये संकेत 6 महीने में ही दिख जाते हैं।
✅ अगर आप सतर्क हैं —
तो आप अपने बच्चे या परिवार के सदस्य की 10 साल की ज़िंदगी बचा सकते हैं।
🔔 NOTE:
जैसे ही आप सामाजिक, अकादमिक या व्यवहारिक गिरावट देखें —
👉 मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से तुरंत संपर्क करें।
💡 समय पर पहचान = ज़िंदगी की बचत
👉 नोट : किसी भी जानकारी के लिए रिसेप्शन पर संपर्क करें या अपना प्रश्न हमारे फेसबुक पेज- Omnicare Health house , ईमेल आईडी
Surabhiomnicare@gmail.com पर या दिए गए निम्न नंबरों पर भेजें|
सुरभि अवस्थी
-------------------
+91-7985624001 , 9839014550
ओमनी हेल्थ हाउस,
B-20 sector A mahanagar, 226002



















11/11/2025

🧠 दवा नहीं, समझ जीती – एक सच्ची कहानी
हुआ लाखों लोगों का का भला
🛑 हकीम ने Psychiatry पढ़ी, पिता को ठीक किया… और ख़ुद भी बन गया मशहूर डॉक्टर
🛑 “इससे पहले पिता पर लाखों रुपये ख़र्च किए , सब जगह दिखाया गया पर दवा फेल हुई |
गूगल के अनुसार दुनियाभर मे 70% से भी अधिक जनसंख्या मनोः अथवा मनोः शारीरिक रोगों से पीड़ित
लगभग 30-35% वयस्क शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं अथवा रोगों का सामना करते हैं।
💢 न्यूरो साइकियाट्रिक डिसऑर्डर्स अथवा मानसिक रोग :
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📍 35% मनोः रोग जैसेः निद्रा समस्याएं, चिंता, उलझन घबराहट, अवसाद, नशे की लत, साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर्स।
📍 35% मनोः रोगों में केवल 3% व्यक्तियों को गंभीर मानसिक रोग होते है :
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर, सिजोफ्रेनिया, मूड विकार, बाइपोलर डिसऑर्डर, ओसीडी, बच्चों की समयाएं- एडीएचडी, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), बार्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर, ईटिंग डिसऑर्डर (जैसे एनोरेक्सिया नर्वोसा और बुलिमिया नर्वोसा), पैरानॉयड डिसऑर्डर, सायकोटिक डिसऑर्डर्स, पर्सनालिटी डिसऑर्डर्स, सिजोएफेक्टिव डिसऑर्डर, डिमेंशिया डिसऑर्डर्स एवं पार्किंसंस रोग।
💢 साइको सोमेटिक डिसऑर्डर्स अथवा मनोः शारीरिक रोग :
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📍 लगभग इतने ही व्यक्त्ति, 35% व्यक्तियों को मनोः शारीरिक रोग होते हैं। मानसिक रोगों के अतिरिक्त ये सभी मनोः शारीरिक बीमारियां जो मानसिक तनाव के कारण होती हैं, जिनमें शामिल हैं जैसेः
📍 पुरानी पेट की समस्याएं, हृदय विकार, त्वचा की समस्याएं, बाल गिरना, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, डर्मेटाइटिस, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस), अल्सरेटिव कोलाइटिस, अस्थमा, पुरानी गठिया, फिट्स (दौरे), बेहोशी, अनेक प्रकार की पुरानी शारीरिक समस्याएं, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, लंबर स्पॉन्डिलाइटिस,
📍 हाइपोकॉन्ड्रियासिस, कन्वर्जन डिसऑर्डर, बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर, क्रोनिक पेन डिसऑर्डर, हिस्टीरिया (फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल सिम्पटम डिसऑर्डर), साइकोसोमैटिक एंडोक्राइनोलॉजिकल डिसऑर्डर, सोरायसिस एक्जिमा आदि।
💢 एडल्ट पॉपुलेशन में 30 प्रतिशत से भी कम लोग ही वास्तविक शारीरिक रोगों से पीड़ित है।
📍 शेष 70 प्रतिशत लोग मानसिक या मनो-शारीरिक विकारों से पीड़ित होते हैं, जो समय पर उपचार न मिलने पर गंभीर शारीरिक रोगों में बदल जाते हैं।
💢 दुनिया में हर रोग का कारण आपकी प्राकृतिक बनावट, उलझन, घबराहट, उदासी और तनाव है। एक संतुष्ट, तनाव मुक्त और स्वस्थ जीवनशैली ही हर रोग से बचने और जीवनभर रोगमुक्त रहने का उपाय है |

11/11/2025


#राजा_की_बीमारी
🌟 अगर आप स्मृतिभ्रंश अथवा डिमेंशिया (Dementia) से हार चुके हैं!
🌍 वर्ल्ड अल्ज़ाइमर डे – Video on Youtube Channel Dainik Jagran Medical Guru -
https://youtu.be/pSaJc7PXljE?si=FNGkva0C0LTOWtKb
👉 🧠 किसी भी उम्र में हो सकता है डिमेंशिया
केवल अल्ज़ाइमर डिमेंशिया ही नहीं, कुछ अन्य डिमेंशिया भी आनुवंशिक हो सकते हैं।
👉 😟 अत्यधिक भूलना, स्मृतिभ्रंश अथवा डिमेंशिया
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⚠️ अपने भूलने की आदत को गंभीरता से लें और इसका मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराएँ…
क्योंकि डिमेंशिया की शुरुआत इसके लक्षणों के दिखने से 5–10 साल पहले ही हो जाती है।
👉 🧬 स्मृतिभ्रंश या डिमेंशिया – एक जटिल रोग
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🧠 डिमेंशिया मस्तिष्क को धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त करता है, जिससे मस्तिष्क की क्षमताएँ कम होती जाती हैं और अंततः मस्तिष्क क्षीण और जर्जर हो जाता है।
⚠️ इसके लक्षण दिखने से कई वर्ष पहले ही बीमारी शुरू हो चुकी होती है।
👉 🧠 डिमेंशिया के लिए सबसे पहले मस्तिष्क को जानें
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🌍 पृथ्वी ने मस्तिष्क के निर्माण में लगभग 6.5 अरब साल लिए हैं।
💡 मस्तिष्क में लगभग 100 करोड़ न्यूरॉन्स होते हैं और प्रत्येक न्यूरॉन की मेमोरी क्षमता लगभग 80 GB होती है।
👴 लोग सोचते हैं कि उम्र के साथ मस्तिष्क कमजोर हो जाता है, पर सच यह है कि सही देखभाल से इसे 7 से 73 वर्ष की उम्र तक भी स्वस्थ रखा जा सकता है।
🌱 तनाव-रहित, नशा-रहित, अपेक्षा-रहित, पाप-रहित एवं परोपकार-सहित जीवनशैली और सही खान-पान मस्तिष्क को आजीवन स्वस्थ रख सकते हैं।
👉 🇮🇳 भारत में डिमेंशिया
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📊 2016 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 41 लाख लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं।
इनमें शामिल हैं:
1️⃣ अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease)
2️⃣ लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia, LBD)
3️⃣ वास्कुलर डिमेंशिया (Vascular Dementia)
4️⃣ फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD)
5️⃣ पार्किन्सन रोग से संबंधित डिमेंशिया
6️⃣ क्रूट्सफेल्ड-जेकब रोग
7️⃣ नॉर्मल प्रेशर हाइड्रोसेफेलस
8️⃣ हंटिंगटन रोग
9️⃣ वेर्निक-कोर्साकोफ सिंड्रोम
👨‍👩‍👦 हर 16 परिवारों में से 1 परिवार में कोई न कोई सदस्य डिमेंशिया से पीड़ित पाया जाता है।
👉 ❓ डिमेंशिया क्या है
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📝 डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि लक्षणों का समूह (Syndrome) है।
💭 इसमें भूलने के अलावा भी कई समस्याएँ होती हैं:
🔹 नई बातें याद न रहना
🔹 तर्क समझने में कठिनाई
🔹 व्यवहार में बदलाव
🔹 सामान्य काम न कर पाना
🔹 भावनाओं पर नियंत्रण खोना
👉 ⚠️ डिमेंशिया के लक्षण
🔹 हाल की घटनाएँ भूल जाना
🔹 बार-बार एक ही बात दोहराना
🔹 बैंक या दुकान में घबराना
🔹 नए मोबाइल का उपयोग न समझना
🔹 ज़रूरी निर्णय न ले पाना
🔹 लोगों या वस्तुओं को न पहचान पाना
🔹 खाना खाकर फिर से मांगना कि अभी नहीं खाया
🔹 शक करना कि लोग चोरी या नुकसान कर रहे हैं
🔹 चुपचाप रहना या अधिक उत्तेजित रहना
🔹 बिना वजह रोना या अनुचित हरकतें करना
👉 🤔 भारत में डिमेंशिया से जुड़ी भ्रांतियाँ
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🙈 लोग इसे उम्र बढ़ने या तनाव का असर समझते हैं।
🙊 शर्म के कारण मरीज अपने लक्षण छुपाते हैं।
😔 परिवार इसे चरित्र की समस्या या हठ समझ लेता है।
👉 👩‍⚕️ डिमेंशिया का समय पर निदान क्यों ज़रूरी
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🩺 हर भूलना डिमेंशिया नहीं होता।
✅ कुछ मामलों में कारण (जैसे थायरॉयड की कमी, डिप्रेशन) का इलाज होने पर स्मृति वापस आ सकती है।
💊 कुछ प्रकार के डिमेंशिया में दवाओं से लक्षण नियंत्रित रहते हैं और मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
👉 🌏 डिमेंशिया किसी को भी हो सकता है
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👶 यह केवल बुज़ुर्गों में ही नहीं, बल्कि 30–40 वर्ष की उम्र में भी हो सकता है।
📈 WHO के अनुसार, 65 वर्ष से कम उम्र में होने वाला डिमेंशिया कुल मामलों के 6–9% तक पाया जाता है।
👉 डिमेंशिया रोगियों की देखभाल ज़रूरी
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❤️ उचित देखभाल से मरीज और परिवार दोनों की खुशहाली बनी रहती है।
💊 दवा की भूमिका सीमित है पर अब नई शोध आधारित दवाएँ उपलब्ध हैं जो मदद कर सकती हैं।
🤝 परिवार के सहयोग और सही जानकारी से रोगी का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है।
🌟 याद रखें:
🧠 भूलने को हल्के में न लें — लक्षणों को गंभीरता से लें।
👩‍⚕️ जल्द से जल्द मनोचिकित्सक से परामर्श करें।
🌱 जीवनशैली में सुधार से मस्तिष्क की सेहत बनाए रखें।
✍️ अनुसन्धान एवं लेखन: सुरभि अवस्थी
📞 संपर्क करें: +91-9839014550, 7985624001

11/11/2025

🛑 #तांत्रिक, #पीर, #फकीर, #मौलाना, #ज्योतिषी, #साधु, #ओझा, #बापू, #नागा, #मज़ार, #मंदिर — सब जब इलाज से हार गये तो मेरी ‘ #पर्ची’ निकाली, पर #इलाज नहीं किया। 🛑

“कुछ मनोरोग और मनोरोगी नाटकीय होते हैं।
मनोचिकित्सक भी कचरा*जाता है —
और फिर 👉 “जाओ, नोचवाओ मेरे कू क्या” 🐸
✍️ दवाखाने से 🥁” - Dr Ashok Singh, Neuro-Psychiatrist

11/11/2025






❤️मास्टर डॉक्टर विभाग❤️
🌟 😒अगर आप बीमारी से हार चुके हैं… 😒🌟
🧠 मानसिक रोग: उलझन-घबराहट, अवसाद, अनिद्रा , अशांत मन, बेचैनी, हर समय डर लग लगना की कही कोई दुर्घटना ना घट जाए
🤯🫆न्यूरो साइकियाट्रिक रोग एवं गंभीर मानसिक रोग
जैसे – सिज़ोफ्रेनिया, मूड डिसऑर्डर, ओ.सी.डी., स्मृतिभ्रंश अथवा डिमेंशिया, पार्किन्सन्स रोग, मिर्गी–बेहोशी–दौरे, कठिन सिरदर्द, मंदबुद्धिता, ए.डी.एच.डी., ऑटिज्म, नशा रोग, यौन रोग,
🫣मनो-शारीरिक रोग जैसे – मनोः-पेट, मनोः-हृदय, वायुविकार (गैस), आई.बी.एस., क्रोनिक पेन डिसऑर्डर, लेट कोविड न्यूरो-कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट एवं सोमेटोफॉर्म प्रॉब्लम्स, सोमेटोफॉर्म डिसऑर्डर, मनोः-दौरे / बेहोशी, हिस्टीरिया।
🌿 अब समय है — फिर से जीवन को जीतने का!
👁️विश्वभर में लगभग 70% रोगी मानसिक (psychiatric एवं neuro - psychiatric) और मनोदैहिक (psychosomatic) बीमारियों से पीड़ित हैं।
👣अपने मरीजों से कहता हूँ कि नामजप भले ही सीधे
भगवद्-प्राप्ति न करा पाए पर मन को गहरी शांति देता है, जो सभी रोगों से बचा सकती है।
वास्तविक शारीरिक रोग :
🧠मानसिक शांति 70% मानसिक व 🫀🫁 मनोदैहिक रोगों को दूर करती है और उन 👩‍🦼‍➡️30% वास्तविक शारीरिक बीमारियों को भी रोक सकती है, जो इन्हीं अशांत मन से उत्पन्न होती हैं।
🌸🙏💖















11/11/2025

💥 24×7 — Online & Offline!
… पैसा वसूल ! बातें

11/11/2025


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हर दिन छप्पन भोग क्यों खाये जाए
कम से कम 30 तरह के फल रोज खाये ... !!!
💩 “स्वस्थ माइक्रोबायोम चाहिए? तो रोज़ बदलते फल 🍎🥭 … और कभी-कभी ज़रूरत पड़ सकती है किसी स्वस्थ व्यक्ति के ‘पूप’ से बने कैप्सूल की!” 💩
🌱 हमारा शरीर और माइक्रोबायोम 🌱
1️⃣ 23,000 जीन्स — हमारे शरीर की हर गतिविधि को नियंत्रित करते हैं।
2️⃣ इन जीन्स को सक्रिय रखने के लिए चाहिए लगभग 30–40 ट्रिलियन (30–40 खरब) लाभकारी बैक्टीरिया — जो संख्या मानव शरीर की कुल कोशिकाओं के लगभग बराबर है।
3️⃣ इन बैक्टीरिया को संतुलित रखने के लिए रोज़ाना चाहिए 30–40 तरह के फल, सब्ज़ियाँ और पौध-आधारित आहार — और ये भी हर सप्ताह बदलने चाहिए, ताकि बैक्टीरिया को विविध पोषण मिल सके।
4️⃣ प्रदूषण, कीटनाशक, प्रोसेस्ड फूड और बार-बार दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स इन अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।
5️⃣ अब चिकित्सा-जगत में विकसित हुई है तकनीक:
👉 F***l Microbiota Transplantation (FMT) — स्वस्थ, स्क्रीन किए गए डोनर के मल से लिए गए लाभकारी सूक्ष्मजीवों को कैप्सूल के रूप में प्रोसेस किया जाता है।
👉 अमेरिका FDA ने 2023 में “Vowst” नामक पहला ओरल FMT कैप्सूल अनुमोदित किया — C. difficile संक्रमण की पुनरावृत्ति रोकने के लिए।
👉 ये कैप्सूल अत्यंत कड़ी स्क्रीनिंग, सुरक्षा व वैज्ञानिक निगरानी के बाद ही उपयोग किए जाते हैं।
6️⃣ शोध से संकेत मिले हैं कि स्वस्थ माइक्रोबायोम गट-ब्रेन एक्सिस को मज़बूत कर सकता है और इस पर अध्ययन जारी है कि इसका लाभ पार्किन्सन, डिमेंशिया व अन्य न्यूरोलॉजिकल रोगों में भी हो सकता है।
✨ डॉ. निक्की डाइनेन्जा (Therapy in a Nutshell) कहती हैं:
“स्वस्थ माइक्रोबायोम ही हमारे मस्तिष्क, प्रतिरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखता है।”
🌿 संदेश:
👉 रोज़ाना अलग-अलग तरह के फल-सब्ज़ियाँ खाएँ 🥦🍎🥭
👉 प्रदूषण, प्रोसेस्ड फूड और अनावश्यक एंटीबायोटिक्स से बचें 🚫🍟
👉 चिकित्सक की सलाह से सही प्रोबायोटिक्स या FDA-अनुमोदित माइक्रो-कैप्सूल (FMT) अपनाएँ 💊
👉 माइक्रोबायोम को बचाएँ — ताकि दिमाग़ व शरीर दोनों सुरक्षित रहें।




11/11/2025

💥 24×7 — Online & Offline!
… पैसा वसूल ! बातें
💥 मानसिक मंदता (Intellectual Disability) + दौरे का रोग (Seizure Disorder) 🌟
🧠✨ Omnicare की संवेदनशील पहल — “Brain को Heal करना, not only to control Seizures, but to Heal the Brain.”
इन बच्चों का इलाज सिर्फ़ दवाओं से नहीं होता —
👉 दवाएँ मरीज़ को स्थिर करती हैं, उनके दौरे (Seizures) को नियंत्रित करती हैं और साथ ही मस्तिष्क की क्षमताओं को बढ़ाने (Enhance) में मदद करती हैं।
💡 Even medicines for Seizures (दौरों की दवाएँ) बहुत सोच-समझकर चुनी जाती हैं, ताकि वे सिर्फ़ दौरे को नियंत्रित न करें, बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता और मानसिक क्षमताओं को भी निखारें।
हम हमेशा वही दवाएँ चुनते हैं जो Brain Function को सक्रिय और Sharp बनाती हैं। 🧠⚡
✨ यह इलाज का एक ऐसा पहलू है जो सबसे आसानी से दिखाई देता है,
पर असली लक्ष्य है मरीज़ को आत्मनिर्भर (Independent) बनाना।
इसके लिए आवश्यक है कि सबसे उत्तम दवाओं और सर्वोत्तम थेरैपीज़ का चयन किया जाए, ताकि बच्चे का विकास निरंतर, संतुलित और सार्थक रहे। 🌿💖
बाक़ी सुधार थेरैपीज़ और प्रशिक्षण से आता है —
1️⃣ Hyperbaric Oxygen Therapy (HBOT) 🫧 – मस्तिष्क की कोशिकाओं में नई ऊर्जा और ऑक्सीजन भरती है।
2️⃣ Behavioural & Occupational Therapy 🤝 – ध्यान, व्यवहार और सीखने की क्षमता को निखारती है।
3️⃣ Speech & Counselling Therapy 🗣️ – संवाद, आत्मविश्वास और सामाजिक जुड़ाव को मजबूत करती है।
4️⃣ Special Schooling & Daily Training at Omnicare 🏫 – जहाँ हर बच्चे को उसकी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार शिक्षा दी जाती है, ताकि वह जीवनभर स्वावलंबी (Independent) रह सके।
🎯 AIM:
हमारा उद्देश्य सिर्फ़ बीमारी को कंट्रोल करना नहीं है — बल्कि Brain को Heal करना, Seizures को नियंत्रित करना, और बच्चे का जीवन आत्मनिर्भर बनाना है।
क्योंकि जब माता-पिता नहीं रहेंगे, तब भी उसे अपने पैरों पर खड़ा रहना होगा। 💖
🌿✨ यही है Omnicare का उद्देश्य —
“Heal the Brain, Control the Disease, and Make Every Child Independent.”
🧩 Best Medicines + Best Therapies + 100% करुणा ❤️ = सम्पूर्ण उपचार

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Dr. Ramesh Kumar Thukral

Practice of Neuropsychiatry in Omnicare House, B-20, Sec-A, Mahanagar, Lucknow since last 15teen years and Consultant Neuropsychiatry in 'Sahara Hospital' and also worked for 3D SPECT for Human Behaviour since last 2 years.