17/01/2021
उम्र दराज व्यक्ति को भी सेक्स की इच्छा होती है।
वह उसे दबा कर जीता रहता है , लोग क्या कहेंगे ,बहू बेटी और बच्चे क्या सोचेंगे।
पत्नी है तो दूरी बनाए रखती है ,विधवा विधुर है तो शादी नहीं कर सकते , लोग क्या सोचेंगे , बहुत बड़ी विडंबना है।
अतृप्त मनुष्य का भजन में मन क्या लगेगा।
दिमागी संतुलन ना बना पाने वाला मनुष्य बेटी बहन बहू पर हाथ
डालेगा, सब चिल्लायेंगे की बूढ़ा पगला गया है, कोई उसकी समस्या को नहीं समझ पाता है।
जिस तरह मरते दम तो शरीर के भोजन चाहिए, उसी तरह सेक्स भी, वह अपने शारीरिक बल या कुशल कौशल से एक दूजे को तृप्त करेंगे । तभी शांति से मर पाएंगे और मोक्ष प्राप्त करेंगे ।
मोक्ष है क्या ? मौत , चिंता ग्रस्त आदमी मरने पर अतृप्त आत्मा बन भटकता है, और शांत चित्त मौत जब
तृप्त व्यक्ति पाता है तो मोक्ष पाता है ।
इच्छाओं से अतृप्त व्यक्ति मोक्ष पा ही नहीं सकता,
साधना का सबसे सहज मार्ग है, जहां मनुष्य प्रेम मय हो कर बड़ी से बड़ी चिंताओं से मुक्त हो जाता है ।
चिंताओं से भरा व्यक्ति साधना में मन लगा ही कैसे पाएगा।
किन्तु प्रेम एक ऐसा माध्यम है जहां मनुष्य अपने सारे दुखों की आहुति दे सकता है ।
प्रेम का मतलब मात्र सम्भोग ना समझा जाय , सम्भोग के लिए कोई भी अक्षम हो सकता पर ,आलिंगन के लिए एक अपंग और कमजोर भी सक्षम होता है।
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