Buddha Charitable Clinic

Buddha Charitable Clinic Weight Loss /, weight Gain And Disease Managment. Based on Individual Need of A Person.

Buddha Charitable Clinic is a Ayurvedic, Neturopathy, Yoga therapy, Diat Therapy Clinic Providing Full Body Detoxification, Pain Management services, Weight Managment.

04/11/2025
04/11/2025

*आयुर्वेद के अनुसार - पीपल का पेड़ बहुत महत्वपूर्ण है*
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#पीपल का पेड़ हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है आप इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि आयुर्वेद में पीपल का पेड़ भी बहुत मान्य रखता है। आयुर्वेद में पीपल के पेड़ को एक खास औषधीय पेड़ के रूप में स्थान प्राप्त है और इसकी मदद से सामान्य से गंभीर और अति गंभीर रोगों का निवारण किया जा सकता है।

ज्यादा प्यास लगने की समस्या में आराम दिलाए

अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोगों को सामान्य से ज्यादा प्यास लगती है, ऐसे में उन्हें ज्यादा पानी लेने की वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएँ होने की आशंका बनी रहती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप पीपल के पेड़ की सूखी हुई छाल को जला कर उसका कोयला बना लें और फिर उसे पानी में डालकर ठंडा कर लें। इसके बाद आप उस पानी को साफ़ कर के पी लें। आप दिन भर में इसका एक गिलास ही लें। आपको जल्द से इस समस्या से आराम मिलना शुरू हो जायगा। इस पानी को आप ज्यादा लें, कई बार इसकी वजह से हिचकी आने की समस्या हो जाती है।

फटी एड़ियो से छुटकारा दिलाए –

आपने कभी न कभी फटी एड़ियों की समस्या का सामना जरूर किया होगा या आपने किसी न किसी को इस समस्या से जूझते हुए जरूर देखा होगा जिसके जिसके लिए वह कई तरह की क्रीम भी करते होंगे। लेकिन इस समस्या से पीपल की छाल आपको छुटकारा दिला सकती है। दरअसल, पीपल की छाल में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जिस कारण इसे फूट क्रीम (पैरों के लिए) को तैयार करने में भी इस्तेमाल किया जाता है।

डायरिया की समस्या में आराम दिलाए

डायरिया एक ऐसी समस्या है जो कि जिस व्यक्ति को हो जाए उसे काफी थका देती है और इस समस्या से छुटकारा पाने में भी काफी समय लगता है। इस समस्या में पतले दस्त आते हैं और यह दिन भर आते रहते हैं, जिसकी वजह से शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिसको पूरा करने के लिए पानी पीते रहना जरूरी होता है। पानी पीने से शरीर में डायरिया की वजह से हुई पानी कमी तो पूरी हो जाती है, लेकिन डायरिया से छुटकारा नहीं मिलता। ऐसे में आप पीपल की छल की मदद से इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। दरअसल, पीपल की छाल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। अगर इसकी छाल से निकलने वाले अर्क का सेवन किया जाए, तो यह डायरिया की समस्या को प्रभावी रूप से ठीक कर सकता है। आप पीपल की छाल से बने काढ़े का सेवन कर के भी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। बस ध्यान रहे काढ़ा दवाई होती है इसे पानी की तरह न लें।

भूख बढ़ाने में मदद करे –

अगर आपको या आपके बच्चे को भूख कम लगती है और आप इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आ इसके लिए दवाओं की जगह पीपल का पेड़ इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको पीपल के पके हुए फलों का सेवन करना होगा जिससे आपको भूख से जुड़ी समस्या में आराम मिलना शुरू हो जायगा। अगर आपको पीपल के ताज़ा फल नहीं मिलते तो आप इसके सूखे या फलों से बने चूर्ण का भी सेवन कर सकते हैं। लेकिन इसकी कितनी मात्रा लेनी है इस बारे में डॉक्टर से बात करें।

हृदय को रखे स्वस्थ –

अगर आप अपने दिल को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आप इसके लिए पीपल के पेड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध में यह सिद्ध हुआ है कि पीपल के पत्ते दिल को स्वस्थ रखने में काफी मददगार होते हैं। अध्यन के अनुसार अगर पीपल का पत्ता रात भर भिगोकर रखा जाए और अगले दिन अर्क का सेवन तीन बार किया जाए, तो दिल से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता हैं। इसके अलावा पीपल ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और सूजन को भी कम करता है साथ ही इसमें कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण (हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करने का गुण) भी पाया जाता हैं, जिससे के बार यह फिर साबित होता है कि यह पेड़ दिल के लिए काफी फायदेमंद ह.

देह अपनी चिकित्सा खुद ही करती है ...कोल्ड फ़्लू होते ही कफ़ बनता है, गला सूज जाता है और शरीर में ज्वर हो जाता है. यह शरीर ...
03/11/2025

देह अपनी चिकित्सा खुद ही करती है ...
कोल्ड फ़्लू होते ही कफ़ बनता है, गला सूज जाता है और शरीर में ज्वर हो जाता है. यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का परिणाम है.
शरीर का कोई हिस्सा कहीं जोर से टकरा जाए तो तुरंत ही वहां एक गुमड़ा बन जाता है.
चोटिल टिशूज की मरम्मत के लिए हजारों कोशिकाएं वहाँ भेज दी जाती हैं. तुरंत...तत्क्षण !
किसी अन्य मदद आने के बहुत पहले !
कोई घाव हो तो देखिए वह धीरे-धीरे सूखता है. एक दो दिन उसमें पपड़ी बनती है. फिर कोई बीस पच्चीस दिन में वह पपड़ी स्वतः ही झड़ जाती है. और ताज़ा त्वचा प्रकट हो जाती है.
एक बहुत ही कौशल से भरा, सजग और ध्यानस्थ चिकित्सक हमारे भीतर मौजूद है.

वह बोलता नही है.
उसकी भाषा..संकेत है.

अगर ज़रा सी उठ बैठ में थकान लगे.. तो यह संकेत है कि शरीर को विश्राम चाहिए.
भूख का कम लगना, संकेत है कि शरीर को अल्प-आहार चाहिए.
ठंड लगे तो कुछ ओढ़ कर शरीर को ऊष्मा दी जाए.
वह भीतरी डॉक्टर, बोलकर नहीं बल्कि संकेत की भाषा में सजेशन देता है.
कब क्या खाना है, कितना व्यायाम, कितनी ऑक्सीजन, कितनी धूप चाहिए.. वह इशारा कर देता है.
चाहे हृदय की चिकित्सा हो कि मस्तिष्क चिकित्सा,
आहार नली का संक्रमण हो कि ओवरियन सिस्ट..दुनिया का सबसे काबिल डॉक्टर हमारा शरीर खुद ही है.

किसी वायरस या बैक्टीरिया का आक्रमण होता है अथवा किसी खाद्य दोष से संक्रमण होता है.. तो शरीर, तत्क्षण उससे जूझने में प्रवृत्त हो जाता है.
हमें तो ख़बर तब लगती है.. जब इस भीतरी युद्ध के परिणाम..ज्वर, श्लेषमा (कफ, ब्लगम), ठंड, कमज़ोरी के रूप में बाहरी शरीर पर उजागर होते हैं.
अगर देह की सांकेतिक भाषा को सुनने का अभ्यास हो, तो बहुत आरंभ में ही रोग का नाश किया जा सकता है.

चाहे कितना ही जटिल रोग क्यों न हो, उपचार की सर्वोत्तम व्यवस्था शरीर में ही मौज़ूद है.
उसे हमसे कुछ सहयोग और रसद आपूर्ति की दरकार है.
ऑक्सीजन भरपूर, ठीकठाक पानी , पथ्य-कुपथ्य, चित्त की प्रफुल्लता आदि,
और हम बड़े से बड़े रोग को मात दे सकते हैं.. कैंसर को भी.

देह की हमसे कुछ न्यूनतम अपेक्षाएं भी हैं.
पहला, कि देह में अपशिष्ट और टॉक्सिंस इकट्ठे न हों.
और अगर हो जाएं, तो उनका पूरी तरह उत्सर्जन भी हो.
दूसरा, मन में भी अपशिष्ट और टॉक्सिंस न हों.
क्योंकि ज्यादातर रोग, मनोदैहिक होते हैं.
पहले विचार बीमार होता है फिर शरीर बीमार होता है ....

विचार बीमार है..तो जीने के ढंग में नुक्स होगा,
आप जल्दबाज होंगे तो जल्दी खाएंगे..जल्दी चबाएंगे ...
इस तरह रोज-रोज, अनचबा पेट में ढकेलेंगे तो देर सबेर पेट, आंत और लीवर की बीमारी का आना लाजमी है ....

बीमार जीना, बीमारी लाता है.
सजग जीना, स्वास्थ्य लाता है.
सजगता का अर्थ सिर्फ खाना पीना और सोने उठने में सजगता नहीं है बल्कि,
धनाकांक्षा, दिखावा, कामुकता, संसाधन जुटाने की हवस ..ऎसे हर मनोभाव और प्रवृति के प्रति सजगता है ....
मन में गांठ है, तो कैंसर की गांठ बहुत दूर नहीं
विचारों में जकड़न है तो जोड़ों में जकड़न अवश्यंभावी है ...

देह और मन की सफाई हर रोग का खात्मा है ...
बाहरी चिकित्सा कितनी ही एडवांस क्यों न हो, वह देह की बुनावट और उसके रेशों का रहस्य, उतना नहीं जानती जितना देह स्वयं जानती है !
बाहरी चिकित्सक कितना ही अनुभवी और योग्य क्यों न हो, शरीर में मौजूद 'परम चिकित्सक' के सम्मुख अभी विद्यार्थी ही है !

देह को सहयोग करें और वह अपनी चिकित्सा स्वयं ही कर लेगी ....

कृपया ध्यान दें... आपकी अच्छी या बुरी स्वास्थ्य स्थिति का एकमात्र कारण आप ही हैं।
01/11/2025

कृपया ध्यान दें... आपकी अच्छी या बुरी स्वास्थ्य स्थिति का एकमात्र कारण आप ही हैं।

31/10/2025
31/10/2025
मखाना  : -ठंड के मौसम में सूखे मेवे की मांग स्वतः ही बढ़ जाती है, पर मखाना की मांग दिन प्रतिदिन कम पड़ती जा रही है.... ज...
26/10/2025

मखाना : -
ठंड के मौसम में सूखे मेवे की मांग स्वतः ही बढ़ जाती है, पर मखाना की मांग दिन प्रतिदिन कम पड़ती जा रही है....
जिसका मुख्य कारण मखाना के गुणकारी पक्ष को न जानना लगता है....
मखाना की प्रजाति हुबहु कमल से मिलती जुलती है,अंतर इतना की मखाना के पौधे बहुत कांटेदार होते हैं ,
इतने कंटीले कि उस जलाशय में कोई जानवर भी पानी पीने के लिए नहीं जाता है ....
यह तालाब,नदी,और खेतो में पानी भरकर भी पैदा किया जा सकता है ....... ।

इसकी खेती मुख्य रूप से मिथिलांचल में होती है...

बिहार मिथिलांचल की पहचान के बारे में कहा जाता है- 'पग-पग पोखरि माछ मखान' यानी इस क्षेत्र की पहचान पोखर (तालाब), मछली और मखाना से जुड़ी हुई है।
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया सहित 10 जिलों में मखाना की खेती होती है.....
देश में बिहार के अलावा असम, पश्चिम बंगाल और मणिपुर में भी मखाने का उत्पादन होता है,
मगर देशभर में मखाने के कुल उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है......

मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया है ....जन्म हो या मृत्यु,शादी हो या गोदभराई.....व्रत उपवास हो या यज्ञ हवन मखाने का हर जगह विशेष महत्व रहता है .....
इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं .....क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है।

अधिकांशतः ताकत की दवाइयाँ मखाने के योग से बनायी जाती हैं,
मखाने से अरारोट भी बनता है. ....मखाना बनाने के लिए इसके बीजों को फल से अलग कर धूप में सुखाते हैं. ....
बीजों को बड़े-बड़े लोहे के कढ़ावों में सेंका जाता है. ...कढ़ाव में सिंक रहे बीजों को 5-7 की संख्या में हाथ से उठा कर ठोस जगह पर रख कर लकड़ी के हथोड़ो से पीटा जाता है. ....
इस तरह गर्म बीजों का कड़क खोल तेजी से फटता है और बीज फटकर लाई (मखाना) बन जाता है.
जितने बीजों को सेका जाता है.....उनमें से केवल एक तिहाई ही मखाना बनते हैं....।

औषधीय उपयोग

किडनी को मजबूत बनाये ..... मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है...
डाइबिटीज रोगी इसका सेवन कर लाभ पा सकते है...
मखाना कैल्शियम से भरपूर होता है इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेषकर अर्थराइटिस के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है....
मखाने के सेवन से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है। रात में सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या दूर हो जाती है.....
मखानों का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है और हमारा शरीर सेहतमंद रहता है.....
मखाना शरीर के अंग सुन्‍न होने से बचाता है तथा घुटनों और कमर में दर्द पैदा होने से रोकता है.....
गर्भवती महिलाओं और प्रसूति के बाद कमजोरी महसूस करने वाली महिलाओं को मखाना खाना चाहिये.....
मखाना को दूध में मिलाकर खाने से दाह (जलन) में आराम मिलता है।
नपुंसकता ...मखाने में जो प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेड, फैट, मिनरल और फॉस्फोरस आदि पौष्टिक तत्व होते हैं वे कामोत्तेजना को बढ़ाने का काम करते हैं।
साथ ही शुक्राणुओं के क्वालिटी को बेहतर बनाने के साथ-साथ उसकी संख्या को भी बढ़ाने में सहायता करते हैं...।
कई लोग आज भी शक्तिवर्धक के रूप में विदेशी प्रोडक्ट को चुनते है
वही अमेरिकन हर्बल फ्रुड प्रोडक्ट एशोसिएशन ने मखाना को क्लास वन का फूड प्रोडक्ट घोषित किया हुआ हैं...।

कमजोर होती हड्डियों का छिपा खतरा :-- आनंद से आगे बढ़ें, बलपूर्वक नहीं- हरी सब्ज़ियों और किण्वित खाद्य पदार्थों का आनंद ल...
25/10/2025

कमजोर होती हड्डियों का छिपा खतरा :-

- आनंद से आगे बढ़ें, बलपूर्वक नहीं
- हरी सब्ज़ियों और किण्वित खाद्य पदार्थों का आनंद लें
- नींद की उपचारात्मक शक्ति का लाभ उठाएँ
- उद्देश्य के साथ चलें, तनाव के साथ नहीं
- हड्डियों की मजबूती के लिए मसालेदार भोजन
- हार्मोन संतुलन के लिए सांस लें

*-- डॉ. अविनाश कुमार वर्मा*
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 7897948155

Imagine standing taller, your spine strong, each step steady with newfound energy. Osteoporosis affects 54% of women over 50 and 25% of men, silently weakening bones. Rate your bone health confidence from 1-10—hold that number. Feel like a simple stumble could steal your freedom? Dr. Shigeaki Hino...

25/10/2025

*प्राकृतिक चिकित्सा - १८*

*भाप स्नान*

पूरे शरीर पर भाप लगाकर पसीना निकालने की क्रिया को भाप स्नान या वाष्प स्नान (स्पा) कहा जाता है। यह आयुर्वेद की स्वेदन क्रिया का आधुनिक रूप है। इसका उद्देश्य शरीर विशेषकर त्वचा और खून की सफाई करना है। इससे त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं और पसीने के रूप में शरीर की बहुत सी गन्दगी बाहर निकल जाती है। अतः इस क्रिया से सभी रोगों में लाभ होता है। मोटापा घटाने का भी यह अच्छा सहायक उपाय है।

भाप स्नान के लिए प्रायः एक विशेष प्रकार का लकड़ी का बॉक्स बनवाया जाता है, जिसमें एक स्टूल पर मरीज सारे कपड़े उतारकर बैठ जाता है और बॉक्स का ढक्कन बन्द कर देने पर केवल उसका सिर अर्थात् गले से ऊपर का भाग बॉक्स के बाहर रहता है, शेष भाग बॉक्स में भीतर रहता है। भाप स्नान लेने से पहले रोगी को एक गिलास शीतल जल पिलाया जाता है और उसके सिर पर ठंडे पानी में भिगोयी हुई तौलिया रखी जाती है, ताकि उसको चक्कर न आयें।

अब किसी उपाय से बॉक्स में भाप भेजी जाती है। जब यह भाप पूरे शरीर पर लगती है, तो शरीर गर्म हो जाता है और बहुत पसीना आता है। भाप स्नान लेते हुए रोगी अपने हाथों से शरीर की हल्की मालिश भी करता रहता है।आवश्यक समय तक भाप लगाने के बाद बाहर निकलकर ठंडे पानी से स्नान कर लिया जाता है। स्नान करते समय किसी तरह का साबुन नहीं लगाया जाता, बल्कि गीले कपड़े से शरीर को रगड़ा जाता है।

भाप स्नान के लिए बॉक्स की व्यवस्था सभी जगह नहीं हो सकती। परन्तु इसके बिना भी भाप स्नान लिया जा सकता है। इसके लिए प्लास्टिक या मोटे कपड़े का एक पेटीकोट के आकार का कवर बनवाया जाता है, जिसमें ऊपर नाड़ा पड़ा होता है। यह कवर इतना बड़ा होना चाहिए कि रोगी स्टूल पर बैठकर उससे चारों तरफ से पूरी तरह ढक जाये और उसका कुछ भाग जमीन से छूता रहे। नाड़ा खींचकर रोगी के गले पर धीरे से कस दिया जाता है, ताकि भाप बाहर न निकले। इससे नीचे का सारा शरीर बॉक्स की तरह कवर में बंद हो जाता है। एक नली से भाप को उस कवर के अन्दर इस प्रकार पहुंचाया जाता है कि सीधे शरीर में न लगे, ताकि वह जले नहीं। शेष क्रिया बॉक्स वाले स्नान की तरह होती है।

भाप या तो बिजली की केतली से बनाई जा सकती है या गैस के चूल्हे पर कुकर रखकर उसकी टोंटी में सीटी की जगह रबड़ की नली लगाकर भाप को बॉक्स या कवर के अन्दर पहुंचाया जा सकता है।

भाप स्नान लेने से बहुत पसीना निकलता है, जिससे शरीर की अच्छी सफाई हो जाती है। अधिक सफाई के लिए गीले तौलिये के टुकड़े से शरीर को अच्छी तरह रगड़ा जाता है। भाप स्नान से खून की सफाई होती है, शरीर की फालतू चर्बी कम होती है और शरीर मजबूत होता है।

भाप स्नान सामान्यतया सप्ताह में एक बार लिया जाता है। आवश्यक होने पर दो बार भी लिया जा सकता है। यदि भाप स्नान के अगले दिन पूरे शरीर पर सरसों के तेल की मालिश कर ली जाये, तो बहुत लाभ होता है।

*-- डॉ. अविनाश कुमार वर्मा*
प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य
मो. 7897948155

मौन संकट: गुर्दे के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं :-संकेत -1: झागदार मूत्र प्रोटीन की समस्या का संकेत देता हैसंकेत - 2: सू...
22/10/2025

मौन संकट: गुर्दे के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं :-
संकेत -1: झागदार मूत्र प्रोटीन की समस्या का संकेत देता है
संकेत - 2: सूजे हुए टखने द्रव संबंधी समस्याओं का संकेत देते हैं
संकेत - 3: लगातार थकान आपकी ऊर्जा को खत्म कर देती है
संकेत -4: खुजली वाली त्वचा विषाक्त पदार्थों की अधिकता का संकेत देती है
संकेत -5: बार-बार पेशाब आना आपके दिन को बिगाड़ देता है
संकेत -6: उच्च रक्तचाप तनाव की चेतावनी देता है
संकेत -7: धातु जैसा स्वाद विष निर्माण का संकेत देता है
संकेत -8: सांस फूलना असंतुलन का संकेत है

Ever feel off but can’t pinpoint why? Imagine sipping cool water, its crisp clarity soothing your body as your kidneys quietly thank you. Did you know 1 in 7 adults over 45 faces kidney issues, often unnoticed? Rate your energy on a scale of 1-10—hold that number. What if your body’s sending s...

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