Dr. Neeraj Naturopathy

Dr. Neeraj Naturopathy प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी / naturopathy)

Nature is Life, Be Natural
Dr. Neeraj Chaudhary
प्राकृतिक आयुर्वेदिक चिकित्सा से डायबिटीज, मोटापा, बी पी, डार्क सर्कल, कब्ज, गैस, एसिडिटी, बबासीर, लिकोरिया, जोड़ों में दर्द, गठिया आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्त होकर स्वस्थ जीवन जियें

Dr. Neeraj Chaudharyप्राकृतिक चिकित्सा से डायबिटीज, मोटापा, बी पी, डार्क सर्कल, कब्ज, गैस, एसिडिटी, बबासीर, लिकोरिया, जो...
02/08/2021

Dr. Neeraj Chaudhary
प्राकृतिक चिकित्सा से डायबिटीज, मोटापा, बी पी, डार्क सर्कल, कब्ज, गैस, एसिडिटी, बबासीर, लिकोरिया, जोड़ों में दर्द, गठिया आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्त होकर स्वस्थ जीवन जियें
व्हाट्सएप 84398 19133

Nature is Life, Be NaturalDr. Neeraj Chaudharyआज की चिकित्सा पद्धति में नेचुरोपैथी को क्यों अपनाना चाहिएआज के समय में ने...
01/03/2021

Nature is Life, Be Natural
Dr. Neeraj Chaudhary
आज की चिकित्सा पद्धति में नेचुरोपैथी को क्यों अपनाना चाहिए
आज के समय में नेचुरोपैथी को अपनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है क्योंकि एलोपैथी की दवाओं को खा खा कर के व्यक्ति अनेक अन्य रोगों का शिकार होता जा रहा है और फिर भी उसकी बीमारी जड़ से समाप्त नहीं हो रही है।
तो कहीं ना कहीं निश्चित रूप से नेचुरोपैथी की आवश्यकता है क्योंकि नेचुरोपैथी में किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं है।
जिस कारण से शरीर के अंदर बीमारी पनप रही है या जिन कारणों से बीमारी उत्पन्न हुई है नेचुरोपैथी उन बीमारियों के कारणों को ही समाप्त कर देता है। और संपूर्ण शरीर को स्वस्थ बनाकर पूर्ण आरोग्य प्रदान करता है।

Nature is Life, Be NaturalDr. Neeraj Chaudharyमोटापे के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं जैसे डायबिटीज, बी पी,...
01/03/2021

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मोटापे के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं जैसे डायबिटीज, बी पी, हृदय रोग, अवसाद, जोड़ों में दर्द, ओस्टियोआर्थराइटिस, स्लीप एपनिया और श्वसन समस्याएं, यूरिनरी स्ट्रेस इंकांटिनेंस, अस्थमा और फेफड़ों की समस्याएं और प्रजनन संबंधी समस्याएं।
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ल्यूकोरिया (Leukorrhea ) या व्हाइट्स डिस्चार्ज इसे हिंदी में श्वेत प्रदर कहा जाता है  या सफ़ेद पानी की समस्या भी कहते हैं...
01/03/2021

ल्यूकोरिया (Leukorrhea ) या व्हाइट्स डिस्चार्ज
इसे हिंदी में श्वेत प्रदर कहा जाता है या सफ़ेद पानी की समस्या भी कहते हैं
यह महिलाओं से सम्बंधित समस्या है।
What is Lukoriya ल्यूकोरिया क्या है What is White Discharge व्हाइट डिस्चार्ज क्या है
स्त्री शरीर को हर महीने मासिक धर्म होता है जो 3 से 6 दिन तक रहता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब यह 6 दिन से अधिक समय रक्तश्राव होता रहता है, तो बिगड़ कर प्रदर रोग का रूप धारण कर लेता है।
योनि मार्ग से प्रदर का श्लेष्मिक स्राव नीला गुलाबी सफ़ेद लाल हरा पीला गदा पतला मास के छिछड़े सहित फेनदार लसीला बिना बदबू का बदबूदार कई रूप रंग का होता है।
इस रोग को श्वेतप्रदर या ल्यूकोरिया कहते हैं।
इसके अनेक कारण है और उपचार से यह पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है। यदि समय रहते इसे ठीक नहीं किया गया तो या महिला के पूरे स्वास्थ्य को बर्बाद कर देता है। सफ़ेद पानी का निकलना दो प्रमुख कारणों से होता है।
स्वाभाविक रूप से - स्त्रियों में सफ़ेद पानी का निकलना स्वाभाविक रूप से कुछ मात्रा में होता है ऐसा मासिक धर्म से पहले मासिक धर्म के बाद या सेक्स करने की इच्छा उत्पन्न होने पर कुछ मात्रा में होता है। यह स्वाभाविक रूप से होता है इसमें उपचार की कोई आवश्यकता नहीं होती।
बीमारी के कारण - स्त्री योनि से असामन्य रूप से सफ़ेद पानी का निकलना, या लाल, पीला गाड़ा, पतला, लसीला बिना बदबू का या बदबूदार कई रूप रंग का होता है। जिसके कारण महिलाओं का स्वास्थ्य बहुत कमजोर हो जाता है। गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला यह स्राव कोई बीमारी नहीं है, पर यह योनि या गर्भाशय की बीमारी के लक्षण अवश्य है या प्रजनन अंगो में संक्रमण का संकेत अवश्य है।
यंहा पर आपको इस समस्या से निपटने की सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी।
ल्यूकोरिया की वजह से आपको ऐसा महसूस हो सकता है
हड्डियाँ कमजोर हो जाएँगी
उठते बैठते चक्कर आते हैं
मासपेशिया कमजोर हो जाती हैं
योनि से अधिक स्राव होने पर पेड़ू में दर्द और भार जैसा लगता है।
सिर में चक्कर आते हैं शरीर और हाथ पैरों में दर्द होने लगता है।
उल्टी आने की संभावना सी लगती है।
कमजोरी बहुत बढ़ जाती है।
स्त्री का सौंदर्य नष्ट हो जाता है।
मुँह सूज सा जाता है
आंखों के चारों तरफ काला घेरा बढ़ जाता है।
शरीर पीला पड़ जाता है।

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डायबिटीज यानि शुगर की बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। कई बार कुछ लोगों को इस बीमारी का तब पता चलता है, जब इससे शरीर के क...
01/03/2021

डायबिटीज यानि शुगर की बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। कई बार कुछ लोगों को इस बीमारी का तब पता चलता है, जब इससे शरीर के कुछ भागों (आंखों, किडनी, हार्ट) को नुकसान हो जाता है। इस बीमारी का समय पर पता करना बहुत जरूरी है। डायबिटीज का किडनी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। किडनी का खराब होना जानलेवा हो सकता है। आज हम आपको डायबिटीज के लक्षण बताएंगे, अगर आपको भी अपने शरीर इस तरह के लक्षण नजर आ रहे हैं तो आप शुगर टेस्ट जरूर करवाएं। शुरू में ही शुगर की समस्या पर ध्यान दे दिया जाए तो आप बाकी हेल्थ प्रॉब्लम से बच सकते हैं।
डायबिटीज के लक्षण
बार-बार बाथरूम जाना
जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है तो बार-बार पेशाब आने लगता है। शरीर में इकट्ठा हुआ शुगर पेशाब के जरिए शरीर से बाहर आने लगता है।
थकावट महसूस करना
अगर आप सारा दिन आलसी बने रहते है और थोड़ा-सा काम करने पर थकावट महसूस करने लगते हैं या फिर पूरी रात सोने के बाद भी आपको महसूस होता है कि नींद नहीं पूरी हुई तो अपना शुगर टेस्ट जरूर करवा कर देखें।
खुजली करने पर जख्म बनना
जब कभी शरीर के किसी भी भाग पर खारिश करने से जख्म बन जाता है और जल्दी ठीक नहीं हो पाता तो आपका शुगर लेवल बढ़ा हो सकता है। इस तरह की समस्या होने पर आपको तुरंत ईलाज की जरूरत हो सकती है।
नजर कमजोर होना
डायबिटीज का आंखों पर बहुत जल्दी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे आपको दिखना कम हो सकता है। शुगर के कारण आंखों के पर्दो को नुकसान होता है। शुगर के कारण खत्म हुई नजर दोबारा ठीक नहीं होती
घाव जल्दी न भरना
सब्जी काटते हुए हाथ पर कट लगने और शेविंग करते कट लगने पर घाव जल्दी ठीक नहीं होता या फिर धीरे-धीरे ठीक होता है तो यह भी शुगर के लक्षण हो सकते हैं।
बार-बार भूख लगना
शरीर में शुगर लेवल बढ़ने पर बार-बार भूख लगने लगती है अगर आप पहले से ज्यादा खाना खा रहे हैं और फिर भी पेट भरा नहीं लगता तो आप शुगरग्रसित हो सकते हैं।
वजन का कम होना
भूख में बढौतरी होने पर खाना खाने के साथ वजन भी बढ़ना चाहिए लेकिन शुगर लेवल बढ़ने पर लोग खाना भी बहुत खाते हैं और वजन भी कम रहता है।
स्किन प्रॉबल्म
शुगर लेवल बढ़ने पर स्किन से जुड़ी समस्याएं सामने आने लगती है। फेस पर मुहांसे और ब्लैकहेड्स बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं।
मसूड़ो से खून बहना
दांतों की सफाई करते समय मसूड़ो से खून निकलना

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बवासीर या पाइल्स या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसक...
01/03/2021

बवासीर या पाइल्स या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। कहीं पर इसे महेशी के नाम से जाना जाता है।
1- खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।
2-बादी बवासीर :- बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे फिशर कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।

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84398 19133

21/05/2020
नेचुरोपैथी आपके पूरे शरीर को ही स्वस्थ करती है
24/02/2020

नेचुरोपैथी आपके पूरे शरीर को ही स्वस्थ करती है

प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी / naturopathy) एक चिकित्सा-दर्शन है।मानव शरीर खुद रोगों से लडऩे में सक्षम होता है बस विधि...
18/02/2020

प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी / naturopathy) एक चिकित्सा-दर्शन है।

मानव शरीर खुद रोगों से लडऩे में सक्षम होता है बस विधि का ज्ञान होना चाहिए।
नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा उपचार के लिए पंच तत्वों आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा सम्पन्न की जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच महाभूतत्वों (मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश) पर आधारित है। डॉक्टर से सलाह लेकर घर पर ही इलाज संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द, ऑर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका, पाइल्स, कब्ज, गैस, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, फैटी लीवर, कोलाइटिस, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, श्वांस रोग, दमा, ब्रॉनकाइटिस, सीओपीडी (क्रॉनिक, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व त्वचा संबंधी रोगों का सफलतम उपचार होता है।

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प्राचीन काल से ही पंच महाभूतों -पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु एवं आकाश तत्व की महत्ता को स्वीकारा है। हमारा शरीर इन्ही पंचतत्वों से निर्मित है, प्रकृति के नियमों की अवहेलना एवं अप्राकृतिक खान-पान से हमारा शरीर रोगग्रस्त हो रहा । प्रकृति का नियम है कि – प्रकृति ने जो वस्तु जिस रुप में दी है उसे उसका रुप बिगाडे बिना प्रयोग किया जाय । परन्तु आज के इस आपाधापी के युग में ऐसा सम्भव नही हो पाता परिणामस्वरुप व्यक्ति रोगी हो जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा रोग को दबाती नही बल्कि यह समस्त आधि-व्याधियों एवं साघ्य असाघ्य रोगों को जड़ मूल से मिटा सकती है। अन्य चिकित्सा विधियों से तो सिर्फ रोगो की आक्रामकता को कुछ समय के लिए रोका/दबाया जा सकता है, परन्तु समस्त रोगों का उपचार तो प्रकृति ही करती है। प्राकृतिक चिकित्सा एक चिकित्सा पद्धति ही नही बल्कि जीवन जीने की कला भी है जो हमें आहार,निद्रा,सूर्य का प्रकाश, स्वच्छ पेयजल,विशुद्ध हवा, सकारात्मकता एवं योगविज्ञान का समुचित ज्ञान कराती है। प्राकृतिक चिकित्सा मानती है कि सभी रोग एक हैं,सबके कारण एक हैं और उनकी चिकित्सा भी एक है रोगों का कारण है अप्राकृतिक खान-पान,अनियमित दिनचर्या एवं दूषित वातावरण ; इन सब के चलते शरीर में विजातीय द्रव्य ( विष की मात्रा ) बढ़ जाती है।जब यह विष किसी अंग विशेष या पूरे शरीर पर ही अपना प्रभुत्व जमा लेता है तब रोग लक्षण प्रगट होते हैं इन रोग लक्षणों को औषधियों से दबाना कदापि उचित नहीं हैं बल्कि प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा विकसित वैज्ञानिक उपचारों के सहयोग से शरीर के प्रमुख मल निष्कासक अंग -त्वचा,बड़ी आंत,फेफडे एवं गुर्दों के माध्यम से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना उचित है तभी हम सम्पूर्ण निरोगता की ओर अग्रसर हो सकेंगे।