Homoeo Tarang

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18/05/2024

*दाद-खाज हो जाएगा जड़ से साफ*

*स्कीन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है! ऐसी ही एक समस्या है एक्जीमा या दाद पर होने वाली खुजली और जलन दाद से पीडि़त व्यक्ति का जीना मुश्किल कर देती है! अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है*

*दाद पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है!*

*दाद को खुजला कर दिन में चार बार नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं!*

*केले के गुदे में नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाता है!*

*चर्म रोग में रोज बथुआ उबालकर निचोड़कर इसका रस पीएं और सब्जी खाएं!*

*गाजर का बुरादा बारीक टुकड़े कर लें! इसमें सेंधा नमक डालकर सेंके और फिर गर्म-गर्म दाद पर डाल दें!*

*कच्चे आलू का रस पीएं इससे दाद ठीक हो जाते हैं!*

*नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिस कर लगाएं! पहले तो कुछ जलन होगी फिर ठंडक मिल जाएगी, कुछ दिन बाद इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है!*

*हल्दी तीन बार दिन में एक बार रात को सोते समय हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जाता है!*

*दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें! एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा!*

*अजवाइन को पानी में मिलाकर दाद धोएं!*

*दाद होने पर गुलकंद और दूध पीने से फायदा होगा!*

*नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जड़ से साफ हो जाते है!*

02/12/2023

*सब औजार होने के बावजूद भी हमारे बुजुर्ग प्याज को फोड़ कर ही क्यों खाते थे*

दोस्तों क्या आपने कभी खुद से सवाल किया है कि सारे औजार होने के बावजूद हमारे बुजुर्ग प्याज को फोड़ कर ही क्यों खाते थे, काट कर क्यों नहीं खाते थे तो उसका उत्तर इस प्रकार है:-

प्याज पिछले 5000 साल से भारत भर में व आजकल सारे विश्व में उगाया व खाया जाता है। दोस्तो प्याज के काटने पर जितनी तेजी से उस में पाये जाने वाले पदार्थ रासायनिक क्रिया करते हैं उतणी किसी अन्य खाद्य पदार्थ के नहीं करते। प्याज में सल्फर की मात्रा अधिक होती है अतः रासायनिक प्रक्रिया का जो अंतिम उत्पाद बणता है वो होता है सल्फ्युरिक अम्ल (H2SO4), यह अम्ल एक्वा रिजिया के बाद पाया जाने वाला सबसे शक्तिशाली अम्ल होता है जो सोने व प्लेटिनम को छोड़ किसी भी धातु के साथ क्रिया कर उसे नष्ट कर सकता है।

दूसरी बात प्याज की हर परत पर ऊपर व नीचे एक झिल्ली होती है यो कि अपाच्य होती है। वह झिल्ली फोड़णे से ही अलग हो पाती है, काटणे पर वह साथ में कट जाती है। इसलिए प्याज को किसी भी धातु से काटणा उचित नहीं है। खुद को आधुनिक दिखाने के लिए इसे काटकर नहीं फोड़ कर खाना चाहिए. आप भी आगे से ऐसा ही कीजिये.

यह सल्फर युक्त पदार्थ गंठे (प्याज) की ऊपरी परतों में सबसे ज्यादा होता है तथा बीच में नाम मात्र का होता है। Wageningen विश्वविद्यालय, नीदरलैंड्स की खोज के अनुसार गंठे (प्याज) के बीच में पाये जाने वाला quercetin बहुत ही प्रभावी ऐंटिऑक्सिडेंट है जो कि जवानी को बरकरार रखता है तथा विटामिन ई का मुख्य स्त्रोत है। वैसे तो यह पदार्थ चाय व सेब में भी पाया जाता है लेकिन गंठे (प्याज) के बीच में पाया जाने वाला पदार्थ चाय के पदार्थ से दो गुणा व सेब में पाये जाने वाले इसी पदार्थ से तीन गुणा जल्दी हजम होता है। 100 ग्राम गंठे (प्याज) में यह 22.40 से 51.82 मिलीग्राम तक होता है।

Bern विश्वविद्यालय स्वीट्जरलैंड ने चूहों को प्रति दिन एक ग्राम प्याज खिलाया तो उन की हड्डी 17% तक मजबूत हो गई। प्याज का बीच वाला हिस्सा पेट का अल्सर व सभी प्रकार के हृदय रोगों को ठीक करती है। गंठे (प्याज) व इसके बीच के हिस्से पर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है लेकिन आज के लिए बस इतणा ही।

तो दोस्तों प्याज को कभी भी काटकर सलाद बनाकर ना खाएं. उसको मुक्का मारकर, या किसी चीज से फोड़कर खाए इससे आपको काफी हेल्थ बेनिफिट होंगे और आंसू भी नहीं आएंगे. हमारे बुजुर्ग प्याज को फोड़कर ही खाते थे या फिर खेत से डायरेक्ट हरे पत्ते वाला प्याज लेते थे और बिना फोड़े ही डायरेक्ट खाते थे, जैसे आप सेब और अमरूद खाते थे.

10/11/2023
  नींद न आना एक प्रकार का मानसिक रोग है, बहुत कम दशा में ही शारीरिक कारणों से लोग अनिद्रा के शिकार होते हैं। जो अच्छा शा...
15/05/2023

नींद न आना एक प्रकार का मानसिक रोग है, बहुत कम दशा में ही शारीरिक कारणों से लोग अनिद्रा के शिकार होते हैं। जो अच्छा शारीरिक परिश्रम करते हैं, दिल व दिमाग को प्रसन्न रखते हैं उनको कभी नींद की शिकायत नहीं रहती. https://www.poojanews.com/insomnia-if-this-is-the-reason-for-not-being-able-to-sleep-aaja-re-nindia-from-the-sweet-words-of-homeopathy/ |

Insomnia: मेरे मतानुसार बच्चों के दाँत निकलने के दिनों अनिद्रा की शिकायत हो जाये तो एक्टिया रेसिमोसा- 200 दें.हड्डियों में...

09/02/2020
10/03/2018

📢📢सफल होमियो चिकित्सा अनुभव __७०🔊🔊 🚑🚑🚑होमियो तरंग🚑🚑🚑. 🙋🙋🙋डॉ. वेद प्रकाश.🙋🙋🙋 🏡🏡🏡नवादा(बिहार).🏡🏡🏡 📱📱मो. न._ 8051556455📱📱 अनेक स्त्रीयॉ अत्याधिक रक्त स्राव की शिकार होती हैं; साधारण तौर पर चिकित्सक औषधियों द्वारा या गर्भाशय को सर्जरी के द्वारा निकाल कर इसका इलाज करना चाहते हैं ! परन्तु होमियोपैथ के पास इसका इलाज है! मेरा ( डॉ. वेद प्रकाश,mob. No. _8051556455) मानना है कि अगर स्त्री के जननांगों से रूधिर(खून)का प्रवाह किसी भौतिक साधन के कारण नहीं है, तो होमियोपैथ के पास इसको रोकने की अनेक औषधियॉ हैं ! जैसे_____ जब गर्भाशय से रूधिर लगातार रिस रहा हो,कभी कभी यह रिसना बढकर प्रवाह का रूप धारण कर ले रोगनी इतनी कमजोर हो जाय जिसकी आशा नहीं करनी चाहिए तब *इपिकॉक*देना चाहिए. ! जब चमकिले खून के साथ रोगनी को मृत्यु का भय सताय तब *एकोनाईट* देना चाहिए ! जब प्रजनन के समय रूधिर प्रवाह हो और रोगनी को बर्फ खाने की इच्छा हो तब *फासफोरस* देना चाहिए ! जब रूधिर से काले काले थक्के निकले तब *सिकेल कौर* देना चाहिए ! कुछ वर्ष पहले मेरे मित्र का रात मे कॉल आया और बोले कि मेरी पत्नी ४४ वर्ष की है ! कई माह से उसे भयंकर रक्त स्राव हो रहा है ! कई लेडी डॉ. को दिखाया , कोई लाभ नहीं हुआ ! उसके मूत्र मे एलब्यूमिन की मात्रा काफी अधिक है ! मैने रोगी से बातचीत किया तो बताई कि रक्त स्राव इतना अधिक है मानो रक्त मे तैर रही हो ! मैने उसे मन मारकर सो जाने को कहा ,तब वो बोली कि सोने के बाद और अधिक स्राव होने लगता है ! उस समय मैने उसे *लैकेसिस _२००* लेने को कह दिया ! क्योकि उसके लच्छण सोने के बाद बढ़ जाते थे ! यह भी इस औषधि का लच्छण है !
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07/03/2018

संजीवनी नास्ता

ये है 3 औषधियों का संजीवनी नाश्ता जो 100 वर्षों तक जवां बनाकर सभी रोगों से दूर रखेगी, जरूर पढ़े!!
आज हम आपको ऐसे भोजन के बारे में बताने जा रहें है, जिसको अगर संजीवनी भी कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। बल बुद्धि और वीर्य बढाने में ये रामबाण है। इसके सेवन से आप खांसी जुकाम से लेकर कैंसर तक आप हर बीमारी से बच सकते हैं। ये भोजन स्वस्थ व्यक्ति को निरोगी बनाये रखता है, कमजोरों को शक्तिशाली, बच्चों को चैंपियन, बूढों को जवान, और जवानो को 100 वर्ष तक जवान बना कर रखता है। इसके फायदे अनगिनत हैं। आइये जाने चार चम्मच गेंहू के दाने , 2 चम्मच मूँग और एक चम्मच मेथी दाना से बना ये संजीवनी भोजन।
चार चम्मच गेंहू के दाने, 2 चम्मच मूँग और एक चम्मच मेथी दाना ले कर चार पांच बार अच्छी तरह साफ़ जल से धो लीजिये। इस के बाद एक गिलास पानी में डालकर चौबीस घंटे रखें। फिर इनको पानी से निकालकर एक मोटे गीले कपडे में बांधकर अंकुरित होने के लिए चौबीस घंटे तक हवा में लटका दीजये। गर्मियों में बीच बीच में पानी के छींटे मारते रहें।
जिस पानी में गेंहू के दाने, मूँग दाने और मेथी दानो को भिगोया था उस पानी में आधा निम्बू निचोड़ कर दो ग्राम सौंठ का चूर्ण डाल दीजिये। इसमें दो चम्मच शहद घोलकर सुबह खाली पेट लें। यह पेय बहुत शक्तिवर्धक, पाचक, और सफुर्तिदायक होता है। इसको संजीवनी पेय कहते हैं।
अभी जो गेंहू के दाने ,मूँग और मेथी के दाने अंकुरण के लिए लटकाए थे, जब उनमे अंकुर फूट जाए (औसतन गर्मियों में चौबीस या अड़तालीस घंटों में अंकुरित हो जाते हैं) इनको सुबह नाश्ते में पीसी काली मिर्च और सेंधा नमक बुरककर खूब चबा चबा कर खाएं। इस नाश्ते को संजीवनी नाश्ता कहते हैं। जो व्यक्ति अंकुरित अन्न को चबा ना सके वो इसको ग्राइंड कर के इसका लाभ लें। अन्यथा उनको ऊपर पानी तक ही सीमित रहना पड़ेगा।
जिन लोगों में खून की कमी है, ब्लड शुगर है (डायबिटीज), कफ़ की अधिक समस्या है, अस्थमा का प्रकोप है, शरीर कमज़ोर है, मोटापा अधिक है, कमजोरी रहती है, पूरा दिन आलस रहता है, खून में धक्के जमे हुए है, कमज़ोर दृष्टि है, नपुंसकता है, शीघ्रपतन की समस्या है, कैंसर, हृदय रोगों, लीवर के रोगों, किडनी के रोगों के लिए, स्त्रियों के श्वेत प्रदर और रक्त प्रदर में, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए, खिलाडियों के लिए ऊर्जावान, यौवन को बरक़रार रखने वाला, चेहरे को कश्मीरी सेब जैसा खिला रखने वाला, 100 वर्ष तक भी निरोगी रखने वाला चमत्कारिक भोजन है। इसको हर आयु का व्यक्ति खा कर रक्त में जवानी का अहसास कर सकता है। कुल मिला कर इसको सर्व रोगों के लिए एक दवा कहा जा सकता है।
अंकुरण के लिए बढ़िया से बढ़िया अनाज का उपयोग करना चाहिए, और गर्मियों में जहाँ अंकुरण एक दो दिन में हो जाता है, वहीँ सर्दियों में यह 3 से 4 दिन ले सकता है। इसलिए धैर्य रखें। और हर रोज़ आप ये नाश्ता कर सकें। इस लिए जब तक अंकुरण फूटे नहीं, तब तक हर रोज़ नया गेंहू , मूँग और मेथीदाना अंकुरित करते रहें। इस से तीन चार दिनों के बाद आपको निरंतर अंकुरित नाश्ता मिलना शुरू हो जायेगा।

अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें

मेरी दिल की तम्मना है हर इंसान का स्वस्थ स्वास्थ्य के हेतु समृद्धि का नाश न हो इसलिये इन ज्ञान को अपनाकर अपना व औरो का स्वस्थ व समृद्धि बचाये। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जो भाई बहन इन सामाजिक मीडिया से दूर हैं उन्हें आप व्यक्तिगत रूप से ज्ञान दें।

07/03/2018

साइलेंट अटैक” आने से पहले देता है ये 5 संकेत, आप भी जान लीजिए…

बीते दिन बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी का निधन हो गया।

उनकी मौत का कारण कार्डिक अटैक यानि साइलेंट हार्ट अटैक बताया जा रहा है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार हार्ट अटैक के मामलों में 45 प्रतिशत मामले साइलेंट अटैक के ही होते हैं। बता दें कि इससे पहले जयललिता की मौत भी ऐसे ही साइलेंट अटैक के कारण हुई थी।

विशेषज्ञों के अनुसार साइलेंट अटैक का मतलब ये नहीं कि सभी को हार्ट डिसीज रही हो। कई बार हार्ट डिसीज न होने पर भी आपको साइलेंट अटैक आ सकता है। महिलाओं की तुलना में पुरूषों में साइलेंट अटैक के मामले ज्यादा देखने को मिलता है।

क्या है साइलेंट हार्ट अटैक-

हार्ट विशेषज्ञ डॉ.राम राजावत के अनुसार साइलेंट हार्टअटैक को साइलेंट मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर सीने में दर्द महसूस नहीं होता। हालांकि कुछ ऐसे संकेत होते हैं, जो अटैक आने से पहले मिलने लगते हैं।

क्यों महसूस नहीं होता दर्द-

साइलेंट अटैक में सीने में दर्द न होने की वजह न्यरोपैथी से जुड़ी है। कई बार ब्रेन तक दर्द का अहसास करानी वाली स्पाइनल कॉर्ड में परेशानी के कारण या फिर साइकोलॉजिकल कारणों से दर्द महसूस नहीं हो पाता। इसके अलावा ज्यादा उम्र के लोगों में ऑटोनाूमिक न्यूरोपैथी के कारण भी दर्द का अहसास नहीं होता।

🍀🍀🍀🍀🍀 5 संकेत-

विशेषज्ञों के अनुसार साइलेंट अटैक आने से पहले व्यक्ति को पांच संकेत जरूर महसूस होते हैं। अगर इन संकतों को वह महसूस कर ले तो काफी हद तक मौत को रोका जा सकता है।
– गैस्ट्रिक प्रॉब्लम या पेट की खराबी
– बिना वजह हो रही कमजोरी और सुस्ती
– थोड़ी सी मेहनत में थकान लगना।
– अचानक ठंडा पसीना आना।
– बार-बार सांस फूलना।

साइलेंट अटैक के कुछ कारण

जो लोग ज्यादा ऑयली, फैटी और प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, उन्हें साइलेंट किलर की समस्या आती हैं। साथ ही जो लोग फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते , उन्हें भी ये बीमारी घेर लेती है। शराब और सिगरेट पीने वाले, डायबिटीज और मोटापे से ग्रसित लोगों के साथ जो लोग टेंशन और स्ट्रेस के शिकार होते हैं उन्हें साइलेंट अटैक आने की संभावना ज्यादा रहती है।

साइलेंट अटैक से बचने के लिए करें ये उपाय-
जिन लोगों को ये सब परेशानी रहती हैं, उन्हें अपनी डाइट में सलाद और सब्जियां शामिल करनी चाहिए। रैग्यूलर वॉक, योगासन और व्यायाम भी इसके लिए बहुत जरूरी है। ऐसे लोगों को स्ट्रेस और टेंशन से कोसों दूर रहना चाहिए।

नोट : इस आर्टिकल में दी गई जानकारियां रिसर्च पर आधारित हैं । इन्‍हें लेकर यह दावा नहीं किया जा रहा कि ये पूरी तरह सभी पर लागू होगी।अतः अपने विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

*होमियोपैथिक दवा से मानव शरीर पर कोई कुप्रभाव नहीं होता।__डां. वेद प्रकाश*होमियोपैथिक दवा से मानव शरीर पर कोई कुप्रभाव न...
28/01/2018

*होमियोपैथिक दवा से मानव शरीर पर कोई कुप्रभाव नहीं होता।__डां. वेद प्रकाश*

होमियोपैथिक दवा से मानव शरीर पर कोई कुप्रभाव नहीं होता। इससे जटिल से जटिल बीमारी का इलाज संभव है। इसका कोई रिएक्शन नहीं होता है। यह चिकित्सा पद्धति सबसे सस्ती है। होमियोपैथिक दवा बीमारी को जड़ से मिटाती है। दवा का चयन अगर बेहतर हो गया तो बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जायेगी। होमियोपैथिक चिकित्सकों को गंभीरता पूर्वक रोगों का निदान करना चाहिए। इससे उन पर लोगों का और भी विश्वास बढ़ेगा। उक्त बातें डॉक्टर वेद प्रकाश ने आर्य समाज, नवादा में चल रहे दो दिवसीय निशुल्क चिकित्सा शिविर केअंतिम दिन के समापन सत्र के दौरान कही। डॉक्टर वेद ने कहा कि होमियोपैथ के जनक डॉ. हेनिमैन को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था पर उन्हें सफलता मिली थी। इसका परिणाम है कि आज होमियोपैथिक चिकित्सा विश्व में दूसरे नम्बर की पैथी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में चल रही समस्याओं का इससे जुड़े लोग सामना करें। सफलता मिलेगी। बिहार में होमियोपैथिक चिकित्सक जितने अच्छे हैं उतने विश्व के किसी कोने में नहीं है। सरकार को चाहिए कि वे इन चिकित्सकों को प्रोत्साहित करे। होमियोपैथिक दवा कम खर्च में सुलभ मिल जाती है। मरीज के लक्षण को पूरी तरह सही पकड़कर डॉक्टर इलाज करें। इससे लोगों में विश्वास बढ़ेगा और धीरे-धीरे यह हर लोगों की जुबान पर होगी। डॉक्टर वेद प्रकाश ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि होमियोपैथी सिस्टम को खत्म करने की साजिश रची जा सकती है ।इसे बचाना होगा। यह आज पूरे विश्व में दो नम्बर की पैथ है। इसे नम्बर वन पर लाना है। डॉक्टर वेद ने कहा कि होमियापैथिक दवा का लगातार सेवन करने वाले लोग हमेशा निरोग रहते हैं। लोगों में विश्वास जगाना होगा। लोगों की धारणा को बदलना होगा। होमियोपैथिक में छोटे से छोटे लक्षणों को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है। यह अन्य किसी प्रणाली में नहीं होती है। यही कारण है कि इससे असाध्य रोगों का इलाज सहज तरीके से होता है। उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय निशुल्क चिकित्सा शिविर में हरियाणा, झारखंड व पूरे बिहार के विभिन्न जिले से आये हुए लगभग २०० व्यक्तियों ने भाग लिया।

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