All India Kashyap Rajput Sabha

All India Kashyap Rajput Sabha AIKRS Kashyap Rajputs is a Hindu caste found in the states of UP, Haryana, Punjab and J&K in India. The Jhinwar are said to be by origin Kahars.

They are also known as Dogra, Mehra,Kashyap,Nishad, Dhimar, Jimar or Jhinwar. They claim to be descended from Kashyap Rishi, who is said to have lived during the time of Lord Ram. Present Circumstances
The community is divided into different clans such as the Antal, Badran, Baison, Bhatiara, Bhatti, Brahia, Khokhar, Chalag, Chauhan, Dhonchak, Dhora, Gadri, Hadda, Inan, Inar, Jalan, Jhoka, Kalan, and Tuar. They are a strictly endogamous, but practice clan exogamy. The community speaks Hindi, Haryanvi, Dogri etc., the Sikh Jhinwar also speaking Punjabi. Traditionally the Jhinwar were water carriers and palanquin bearers, but both these occupations have been abandoned. They are found mainly in Kotli and Mirpur districts. A small number are now farmers, but a greater number are landless agricultural labourers or daily wage labourers. A large number of the community are now operating road side restaurants/dhaba's, a trade that seems to have been monopolized by the Jhinwar / Kashyap Rajputs

Find any difference if you can and if you didn't find then understand we all are same so why all of this violence
04/03/2020

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Akhil Bhartiya Kashyap Mahasangh (Delhi) .......... Holi Milan Samaroh ....Bhaiya Arun Kashyap  Appointed as Yuva Presid...
20/03/2016

Akhil Bhartiya Kashyap Mahasangh (Delhi) .......... Holi Milan Samaroh ....
Bhaiya Arun Kashyap Appointed as Yuva President of Delhi Pradesh.
Congrats Bhaiya

26/12/2015

शामली : नेपाल में मधेशियों के आंदोलन का लाभ उठाकर भारत-नेपाल सीमा के रास्ते आइएस आतंकी यूपी पहुंचकर यहां पर नए साल के जश्न में वारदात को अंजाम दे सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों तथा खासतौर पर वेस्ट यूपी के जनपदों को अलर्ट कर दिया है।

डीजीपी ने सभी जिलों के कप्तानों को निर्देश जारी कर कहा है कि २५ दिसंबर को क्रिसमस तथा नववर्ष के महत्वपूर्ण कार्यक्रम के अवसर पर आइएस के आतंकी प्रदेश के किसी भी हिस्से को दहलाने की साजिश रच रहे हैं। इसलिए किसी भी स्तर से प्राप्त सूचनाओं को नजर अंदाज नहीं किया जाए।

दरअसल, नेपाल में चल रहे मधेशियों के आंदोलन का लाभ आतंकी संगठन आइएस उठाने की फिराक में है। इस आंदोलन का लाभ उठाकर आतंकी संगठन आइएस के सदस्य यूपी में प्रवेश कर सकते हैं।

उधर, अलकायदा के आतंकी जफर मसूद की गिरफ्तारी से भी नववर्ष पर आतंकियों के दहशत फैलाने की योजना के बारे में खुफिया इकाइयों को जानकारी मिली है। पता चला है कि यूपी के तीस से ज्यादा जनपदों में अलकायदा ने पैर जमा लिए हैं। उधर, वेस्ट यूपी में खासकर शामली व मुजफ्फरनगर में इन संगठनों की गहरी जड़ें हैं। ऐसे में आइएस इनके नेटवर्क का प्रयोग कर नए साल पर प्रदेश को दहलाने की साजिश कर रहा है। इसके संकेत मिलने के बाद शाम्ली व मुजफ्फरनगर समेत सभी जनपदों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

पश्चिम में पुराने तंत्र का प्रयोग कर सकता ‘आइएस’

शामली : पुलिस को आशंका है कि आइएस आतंकी इन जिलों में पहले से सक्रिय अपने तंत्र का प्रयोग कर सकते हैं। बता दें कि पाकिस्तान अटारी बार्डर पर हेरोइन के साथ कांधला निवासी साबिर और नसीरन के पकड़े जाने से यहां से पाकिस्तान में बैठे आकाओं से रिश्ते उजागर हुए थे। करीब १० वर्ष पूर्व पहले मुजफ्फरनगर के महलकी निवासी नेत्रहीन कारी सलीम भी ऐसी ही गतिविधियों में गिरफ्तार हो चुका है।

२००५ में एसटीएफ ने यहां से पांच किलो आरडीएक्स व अत्याधुनिक असलहों के साथ तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, यह सभी जम्मू कश्मीर निवासी थे। नकली नोटों के कारोबार में कैराना की भूमिका भी छिपी नहीं है। कैराना निवासी इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा पाकिस्तान में रहकर भारत में नकली नोटों का नेटवर्क संचालित करने में लगे हुए हैं। इसके प्रमाण कई बार खुफिया पुलिस तथा एटीएस को मिल चुके हैं। गठरी उद्योग के जरिये समझौता एक्सप्रेस से कैराना तक पहुंची दर्जनों विदेशी पिस्टलों की खेप यहां बरामद होने से असलहों के अवैध कारोबार के पाकिस्तानी कनेक्शन का भी खुलासा हो चुका है।

गायब पाकिस्तानी व बांग्लादेशी भी बने सिरदर्द : आइएस आतंकियों की शामली में आमद का खतरा हवाई नहीं है। इससे पहले भी जिले के जलालाबाद में आतंकियों ठहरने के प्रमाण एटीएस को मिले थे। उधर, हाल ही में जिले से गायब हुआ एक पाकिस्तानी तथा दो बांग्लादेशी भी पुलिस के शक की सुई पर हैं।

18/11/2015

जब हम सृष्टि विकास की बात करते हैं तो इसका मतलब है जीव, जंतु या मानव की उत्पत्ति से होता है। ऋषि कश्यप एक ऐसे ऋषि थे जिन्होंने बहुत-सी स्त्रीयों से विवाह कर अपने कुल का विस्तार किया था। आदिम काल में जातियों की विविधता आज की अपेक्षा कई गुना अधिक थी।

ऋषि कश्यप ब्रह्माजी के मानस-पुत्र मरीची के विद्वान पुत्र थे। मान्यता अनुसार इन्हें अनिष्टनेमी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता 'कला' कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी।

कश्यप को ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माना गया हैं। पुराणों अनुसार हम सभी उन्हीं की संतानें हैं। सुर-असुरों के मूल पुरुष ऋषि कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहाँ वे परब्रह्म परमात्मा के ध्यान में लीन रहते थे। समस्त देव, दानव एवं मानव ऋषि कश्यप की आज्ञा का पालन करते थे। कश्यप ने बहुत से स्मृति-ग्रंथों की रचना की थी।

कश्यप कथा :
पुराण अनुसार सृष्टि की रचना और विकास के काल में धरती पर सर्वप्रथम भगवान ब्रह्माजी प्रकट हुए। ब्रह्माजी से दक्ष प्रजापति का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के निवेदन पर दक्ष प्रजापति ने अपनी पत्नी असिक्नी के गर्भ से 66 कन्याएँ पैदा की।

इन कन्याओं में से 13 कन्याएँ ऋषि कश्यप की पत्नियाँ बनीं। मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए। ऋषि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने जाते हैं। विष्णु पुराणों अनुसार सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार रहे हैं- वसिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।

श्रीमद्भागवत के अनुसार दक्ष प्रजापति ने अपनी साठ कन्याओं में से 10 कन्याओं का विवाह धर्म के साथ, 13 कन्याओं का विवाह ऋषि कश्यप के साथ, 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ, 2 कन्याओं का विवाह भूत के साथ, 2 कन्याओं का विवाह अंगीरा के साथ, 2 कन्याओं का विवाह कृशाश्व के साथ किया था। शेष 4 कन्याओं का विवाह भी कश्यप के साथ ही कर दिया गया।

*कश्यप की पत्नीयाँ : इस प्रकार ऋषि कश्यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनी आदि पत्नियाँ बनीं।

1.अदिति : पुराणों अनुसार कश्यप ने अपनी पत्नी अदिति के गर्भ से बारह आदित्यों को जन्म दिया, जिनमें भगवान नारायण का वामन अवतार भी शामिल था।

माना जाता है कि चाक्षुष मन्वन्तर काल में तुषित नामक बारह श्रेष्ठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में जन्म लिया, जो कि इस प्रकार थे- विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)।

ऋषि कश्यप के पुत्र विस्वान से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, प्रान्शु, नाभाग, दिष्ट, करूष और पृषध्र नामक दस श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई।

2.दिति : कश्यप ऋषि ने दिति के गर्भ से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र एवं सिंहिका नामक एक पुत्री को जन्म दिया। श्रीमद्भागवत् के अनुसार इन तीन संतानों के अलावा दिति के गर्भ से कश्यप के 49 अन्य पुत्रों का जन्म भी हुआ, जो कि मरुन्दण कहलाए। कश्यप के ये पुत्र निसंतान रहे। जबकि हिरण्यकश्यप के चार पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद।

3.दनु : ऋषि कश्यप को उनकी पत्नी दनु के गर्भ से द्विमुर्धा, शम्बर, अरिष्ट, हयग्रीव, विभावसु, अरुण, अनुतापन, धूम्रकेश, विरूपाक्ष, दुर्जय, अयोमुख, शंकुशिरा, कपिल, शंकर, एकचक्र, महाबाहु, तारक, महाबल, स्वर्भानु, वृषपर्वा, महाबली पुलोम और विप्रचिति आदि 61 महान पुत्रों की प्राप्ति हुई।

4.अन्य पत्नीयाँ : रानी काष्ठा से घोड़े आदि एक खुर वाले पशु उत्पन्न हुए। पत्नी अरिष्टा से गंधर्व पैदा हुए। सुरसा नामक रानी से यातुधान (राक्षस) उत्पन्न हुए। इला से वृक्ष, लता आदि पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का जन्म हुआ। मुनि के गर्भ से अप्सराएँ जन्मीं। कश्यप की क्रोधवशा नामक रानी ने साँप, बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए।

ताम्रा ने बाज, गिद्ध आदि शिकारी पक्षियों को अपनी संतान के रूप में जन्म दिया। सुरभि ने भैंस, गाय तथा दो खुर वाले पशुओं की उत्पत्ति की। रानी सरसा ने बाघ आदि हिंसक जीवों को पैदा किया। तिमि ने जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया।

रानी विनता के गर्भ से गरुड़ (विष्णु का वाहन) और वरुण (सूर्य का सारथि) पैदा हुए। कद्रू की कोख से बहुत से नागों की उत्पत्ति हुई, जिनमें प्रमुख आठ नाग थे-अनंत (शेष), वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक।

रानी पतंगी से पक्षियों का जन्म हुआ। यामिनी के गर्भ से शलभों (पतंगों) का जन्म हुआ। ब्रह्माजी की आज्ञा से प्रजापति कश्यप ने वैश्वानर की दो पुत्रियों पुलोमा और कालका के साथ भी विवाह किया। उनसे पौलोम और कालकेय नाम के साठ हजार रणवीर दानवों का जन्म हुआ जो कि कालान्तर में निवातकवच के नाम से विख्यात हुए।

माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम था। समूचे कश्मीर पर ऋषि कश्यप और उनके पुत्रों का ही शासन था। कश्यप ऋषि का इतिहास प्राचीन माना जाता है। कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। उक्त इलाके में ही दक्ष राजाओं का साम्राज्य भी था। कश्यप ऋषि के जीवन पर शोध किए जाने की आवश्यकता है।

08/11/2015

अति महत्वपूर्ण सन्देश भारत सरकार. की आपसे (जनता) अपील -

साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटाए जाने के पीछे राष्‍ट्रीय-अंतराष्‍ट्रीय साजिश काम कर रही है !
*
साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार लौटाने का यह जो खेल चल रहा है, आप लोग इसे हल्‍के मे न ले।

भारत सरकार पर किए गए इस वार मे पर्दे के पीछे खांग्रेस पार्टी-अंतरराष्‍ट्रीय एनजीओ-मीडया का बडा नेक्‍सस काम कर रहा है।

जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार- सरकार ने खुफिया विभाग से इसकी जांच कराई है और प्रारंभिक जांच मे यह पता चला है कि है, देश मे चल रहे इस कोलाहल मे अमेरिका- सउदीअरब- पाकिस्‍तान तक शामिल है।

बकायदा इसके लिए एक अंतरराष्‍ट्रीय पीआर एजेंसी को हायर किया गया है।

पुरस्‍कार लौटाने का खेल तब शुरू हुआ जब खांग्रेस के कुछ बडे नेता, जेएनयू के कुछ प्रोफेसर और कुछ अंग्रेजी पत्रकार साहित्‍य अकादमी के पुरस्‍कार लौटाऊ साहित्‍यकारो से मिले और उन्‍हे इसके लिए राजी करने का प्रयास किया और अखलाक मामले को मुददा बनाकर पुरस्‍कार लौटाने को कहा।

पहले इसके विरोध मे होने वाली प्रतिक्रिया के भय से कई साहित्‍यकार तैयार नही थे, जिसके बाद नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल को आगे किया गया।

इसके बाद वो साहित्‍यकार तैयार हुए, जिनके एनजीओ को विदेशी संस्‍थाओ से दान मिल रहा था, जो भारत सरकार द्वारा जांच के दायरे मे है और जिनकी बाहर से होने वाली फंडिंग पूरी तरह से रोक दी गयी है।

अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर 150 से अधिक साहित्‍यकारो व पत्रकारो को इस पर लेख लिख कर, भारत को असहिष्‍णु देश साबित करने के लिए, अमेरिका- सउदी अरब- पाकिस्‍तान के पक्ष मे एक बडी अंतरराष्‍ट्रीय फंडिंग एजेंसी ने एक अंतरराष्‍ट्रीय पी आर एजेंसी को हायर किया है, जिस पर करोडो रुपए खर्च किए गए है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ मे भारत की दावेदारी को रोकने लिए अमेरिकी, सउदी अरब व पाकिस्‍तान मिलकर काम कर रहे है।

इसके लिए भारत को मानवाधिकार पर घेरने और उसे असहिष्‍णु देश साबित करने की रूपरेखा तैयार की गई है।

इसके लिए पहले अमेरिका ने अपनी धार्मिक रिपोर्ट जारी कर भारत को एक असहिष्‍णु देश के रूप में प्रोजेक्‍ट किया और उसमे गिन-गिन कर भाजपा के नेताओ व उनके वक्‍तव्‍यो को शामिल किया गया।

इस समय सउदी अरब का राजपरिवार संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग का अध्‍यक्ष है और पाकिस्‍तान के हित मे वह शीघ्र ही भारत को मानवाधिकार उल्‍लंघन के कटघरे मे खडा करने वाला है।

यह रिपोर्ट भी सरकार के पास है। जांच मे यह भी पता चला है कि, उस अंतरराष्‍ट्रीय पीआर एजेंसी ने बडे पैमाने पर भारत के पत्रकारो, मीडिया हाउसो व साहित्‍यकारो को फंडिंग की है और इस पूरे मामले को बिहार चुनाव के आखिर तक जिंदा रखने को कहा गया है।

गोटी यह है कि, यदि भाजपा बिहार मे हार गयी तो उसके बाद उसे बडे पैमाने पर अल्‍पसंख्‍यको के अधिकारो का उल्‍लंघन करने वाली सरकार के रूप मे अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रोजेक्‍ट किया जाएगा।

संभवत: इससे सरकार हमेशा के लिए बैकफुट पर आ जाएगी, जिसके बाद गो-वध निषेध जैसे हिंदूत्‍व के सारे मुददो को ताक पर रख दिया जाएगा।

अमेरिका खुद डरा हुआ है कि वहां क्रिश्‍चनिटी खतरे मे है और बड़ी संख्‍या मे लोगो का रुझान हिन्दू धर्म की ओर बढ रहा है।

यदि भाजपा बिहार में जीत गयी तो राष्‍ट्रीय- अंतरराष्‍ट्रीय साजिशकर्ता मिलकर देश मे बडे पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दे सकते है, और सरकार को पांच साल तक सांप्रदायिकता मे ही उलझाए रख सकते है।

सरकार पूरी तरह से चौकन्‍नी है और वह स्थिति का आकलन कर रही है।

संभवत: बिहार चुनाव के बाद बडे पैमाने पर जांच शुरू हो, जिसे रोकने के लिए भी देश मे कोहराम मचाए जाने की सूचना है।

इसलिए सभी भारतवासियों से हाथ जोड कर अपील है कि, विदेशी साजिश का हिस्‍सा न बने और सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने में मद करे।

यह देश आपका है, प्‍लीज अमेरिका-सउदी अरब-पाकिस्‍तान के हित मे अपने देश को बदनाम न करें।

धन्यवाद ! पी.एम.ओ. भारत सरकार

आपसे अनुरोध है की 1 मिनट का समय निकालकर आपके जितने भी ग्रुप है सब में पोस्ट करे
ये भी नैतिकता के तोर पर आपकी भी जिमनेदारी बनती है सत्य से अवगत कराने की

satya vachan
05/11/2015

satya vachan

28/10/2015

भारत में १८ करोड़ से भी जयादा गैर बराबरी की शिकार निषाद वंशीय जातियों जैसे - कश्यप, निषाद, मल्लाह ,बिन्द ,खर्विंद ,बेलदार भोई, बाथम, तुरहा ,केवट,सिंघरिया ,सिंघदिया,झालोमालो कैवर्ता, नामोशुद्र ,जालिक ,जलिया, धीवर, धीमर ,झिन्वर, झीमर , अदि सभी की सामाजिक शेक्षिक और आर्थिक स्तिथि अत्यंत ही दयनीय है इन जातियों को सभी राजनेतिक पार्टियों ने ठगने का काम किया है चुनाव के समय तमाम सामाजिक ,एव राजनेतिक संघटन कुकुरमुत्ते की तरह आने लगते है इनके वोट बेंक का प्रयोग करके सत्ता की मलाई काटते रहते है यह सिलसिला ६० वर्षो से लगातार चल रहा है ये सभी जातिया जस की तस निम्न स्तर का जीवन जीने को मजबूर है. इन जातियों के रोजगार के साधन नहीं है। भुखमरी के शिकार लोग गन्दगी भरा जीवन जीने के लिए मजबूर है। इन्हे कोई रास्ता दिखने वाला नहीं है। शिक्षा का स्तर निम्न है और समाज कुछ लोग जो पढ़े लिखे है भी तो अपनी जाती छुपाना पसंद करते है , अन्धविश्वास के शिकार लोग भटके हुए है अत : समाज के पढ़े लिखे लोगो को इनके उत्थान के लिए एक मंच पर आने की जरुरत है।

Its Time to be One.........
27/10/2015

Its Time to be One.........

13/10/2015

विश्व में कुल जनसंख्या 750 करोड़ है।

जिसमे मुसलमानों की कुल आबादी 162 करोड़ हैँ ।

दुनिया मेँ 53 इस्लामिक देश हैँ.

आइये,इन इस्लामिक देशोँ की असली औकात
देखते है …

1. कई इस्लामिक देश इतने छोटे हैँ कि उनसे ज्यादा
बड़ा तो हमारा गोवा राज्य है
2. ज्यादातर इस्लामिक देश भुख मरी से जूझ
रहेँ हैँ....
3. पाकिस्तान के अलावा कोई मुस्लिम देश
परमाणुं संपन्न नहीँ है....
4. इन 53 इस्लामिक देशोँ की सारी सेनाओँ को जोड़
लिया जाये तो लगभग 19.62 लाख सैनिक है.
जब कि भारत के पास 16.82 लाख आर्मी और
11.31 लाख रिजर्व सैनिक है.....
5. किसी इस्लामिक देश के पास विमान
वाहक युद्धपोत नहीँ है. भारत के पास 5 युद्धपोत
है....
6. किसी इस्लामिक देश के पास Anti Balastic
Missile नहीँ हैँ. चीन,जर्मनी के बाद भारत दुनिया
का तीसरा देश है जिसके पास मिसाईल्स को हवा
मेँ नष्ट करने की शक्ति है....
7. किसी इस्लामिक देश के पास1200Km सेज्यादा
की मारक शक्ति वाली मिसाईल नहीँ हैँ. भारत के पास
7000Km तक दुश्मनोँ को मारने वाली पृथ्वी-5
मिसाईल है....
8. किसी इस्लामिक देश के पास सुपर सोनिक
मिसाईल नहीँ है. भारत के पास ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाईल है. ये शक्ति सिर्फ अमेरिका,जर्मनी, चीन और
रूस के पास है.....
दुनिया मेँ कुल आतंकवादियोँ की संख्या 2.13 लाख
है .CIA के अनुसार मान लिया कि सारे इस्लामिक
देश आतंकवादियोँ के साथ मिलकर भारत के साथ
युद्धकरते हैँ तो भी भारतीय सेना मात्र 14 दिनोँ मेँ
सारे इस्लामिक देशोँ मेँ तिरंगा फैराने की हिम्मत
रखती हैँ...... हमेँ विदेशियोँ से ज्यादा दिक्कत नहीँ है.
जरूरत है आस्तिन के साँपोँ का मुंह कुचलने की और
हमें विश्वास हैकि वर्तमान भारत सरकार
जल्दी कर देँगी.....
जय हिन्दू राष्ट्र
धर्म के नाम पर पाकिस्तान बना आज भी रोटी को तरसता है और उसके बच्चे आतंकवाद की ट्रेनींग लेते है ।

आज कुछ देश द्रोही भारत को पाकिस्तान / अफगानीस्तान / लिबीया बनाने की तरफ कट्टर धर्म का सहारा ले रहे हैं ।

ये मत भूलो हमारा देश आजादी के बाद कट्टर धार्मिक नही बना इस लिए हमारे बच्चे

DR/ IAS/ IPS / ER / IIT / IIM / GRANTED SCHOOLS GRANTED COLLEGES /
MEDICAL COLLEGES /
ER COLLEGES / ARMY / AIRFORCE / NAVY बनी तो कोई एवरेस्ट पहुँचा तो कोई मंगल और चाँद तक पहुँचा आज देश में तोप टैंक जहाज भी बनते हैं ।

बैंको में क्रांती ATM 24 घंटे रकम जमा करो और निकालने की सुविधा --
दूध की श्वेत क्रांती अमूल जैसी दूध उत्पादक कंपनीयाँ और ग्रामीण स्तर पर दूध उत्पादक संघ ।

और जँहा लोग झाडा उल्टी से गाँव के गाँव मरते थे ।

आज वँहा टीवी / केंसर / के इलाज और किडनी + हृदय ट्रांसप्लान्ट होते हैं और ये काम करने वाले भी भारतीय ही हैं । इतने जानकार बने भारतीय ।

** राष्ट्रीय + आंर्तराष्ट्रीय एयर पोर्ट देश भर में बने । नदीओं पर जगह जगह पुल बने पानी बचाने के डेम - बांध भी देश भर में बने । **

दुनिया में ६०% से अधिक IT इन्जीनीयर भारत से जाते हैं क्यो कि धर्म के पाखंड और कट्टरता के पाकिस्तानी रास्ते को हमने नही चुना था

simplycity
25/09/2015

simplycity

24/09/2015

परिचय

कश्यप ऋषि प्राचीन वैदिक ॠषियों में प्रमुख ॠषि हैं जिनका उल्लेख एक बार ॠग्वेद में हुआ है। अन्य संहिताओं में भी यह नाम बहुप्रयुक्त है। इन्हें सर्वदा धार्मिक एंव रहस्यात्मक चरित्र वाला बतलाया गया है एंव अति प्राचीन कहा गया है। ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार उन्होंने 'विश्वकर्मभौवन' नामक राजा का अभिषेक कराया था। ऐतरेय ब्राह्मणों ने कश्यपों का सम्बन्ध जनमेजय से बताया गया है। शतपथ ब्राह्मण में प्रजापति को कश्यप कहा गया है:

"स यत्कुर्मो नाम। प्रजापतिः प्रजा असृजत। यदसृजत् अकरोत् तद् यदकरोत् तस्मात् कूर्मः कश्यपो वै कूर्म्स्तस्मादाहुः सर्वाः प्रजाः कश्यपः।"
महाभारत एवं पुराणों में असुरों की उत्पत्ति एवं वंशावली के वर्णन में कहा गया है की ब्रह्मा के छः मानस पुत्रों में से एक 'मरीचि' थे जिन्होंने अपनी इच्छा से कश्यप नामक प्रजापति पुत्र उत्पन्न किया। कश्यप ने दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया। दक्ष की इन पुत्रियों से जो सन्तान उत्पन्न हुई उसका विवरण निम्नांकित है:

अदिति से आदित्य (देवता) दिति से दैत्य दनु से दानव काष्ठा से अश्व आदि अनिष्ठा से गन्धर्व सुरसा से राक्षस इला से वृक्ष मुनि से अप्सरागण क्रोधवशा से सर्प सुरभि से गौ और महिष सरमा से श्वापद (हिंस्त्र पशु) ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि तिमि से यादोगण (जलजन्तु) विनता से गरुड़ और अरुण कद्रु से नाग पतंगी से पतंग यामिनी से शलभ
भागवत पुराण, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार कश्यप की बारह भार्याएँ थीं। उनके नाम हैं: अदिति, दनु, विनता, अरष्ठा, कद्रु, सुरशा, खशा, सुरभी, ताम्रा, क्रोधवशा, इरा और मुनि इन से सब सृष्टि हुई। कश्यप एक गोत्र का भी नाम है। यह बहुत व्यापक गोत्र है। जिसका गोत्र नहीं मिलता उसके लिए कश्यप गोत्र की कल्पना कर ली जाती है, क्योंकि एक परम्परा के अनुसार सभी जीवधारियों की उत्पत्ति कश्यप से हुई।

एक बार समस्त पृथ्वी पर विजय प्राप्त कर परशुराम ने वह कश्यप मुनि को दान कर दी। कश्यप मुनि ने कहा-'अब तुम मेरे देश में मत रहो।' अत: गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम ने रात को पृथ्वी पर न रहने का संकल्प किया। वे प्रति रात्रि में मन के समान तीव्र गमनशक्ति से महेंद्र पर्वत पर जाने लगे।

सतयुग में दक्ष प्रजापति की दो कन्याएं थी- कद्रु तथा विनता। उन दोनों का विवाह महर्षि कश्यप के साथ हुआ। एक बार प्रसन्न होकर कश्यप ने उन दोनों को मनचाहा वर मांगने को कहा। कद्रु ने समान पराक्रमी एक सहस्त्र नाग-पुत्र मांगे तथा विनता ने उसके पुत्रों से अधिक तेजस्वी दो पुत्र मांगे। कालांतर में दोनों को क्रमश: एक सहस्त्र, तथा दो अंडे प्राप्त हुए। 500 वर्ष बाद कद्रु के अंडों के नाग प्रकट हुए। विनता ने ईर्ष्यावश अपना एक अंडा स्वयं ही तोड़ डाला। उसमें से एक अविकसित बालक निकला जिसका ऊर्ध्वभाग बन चुका था, अधोभाग का विकास नहीं हुआ थां उसने क्रुद्ध होकर मां को 500 वर्ष तक कद्रु की दासी रहने का शाप दिया तथा कहा कि यदि दूसरा अंडा समय से पूर्व नहीं फोड़ा तो वह पूर्णविकसित बालक मां को दासित्व से मुक्त करेगा। पहला बालक अरुण बनकर आकाश में सूर्य का सारथि बन गया तथा दूसरा बालक गरुड़ बनकर आकाश में उड़ गया।

विनता तथा कद्रु एक बार कहीं बाहर घूमने गयीं। वहाँ उच्चैश्रवा नामक घोड़े को देखकर दोनों की शर्त लग गयी कि जो उसका रंग गलत बतायेगी, वह दूसरी की दासी बनेगी। अगले दिन घोड़े का रंग देखने की बात रही। विनता ने उसका रंग सफेद बताया था तथा कद्रु ने उसका रंग सफेद, पर पूंछ का रंग काला बताया था। कद्रु के मन में कपट था। उसने घर जाते ही अपने पुत्रों को उसकी पूंछ पर लिपटकर काले बालों का रूप धारण करने का आदेश दिया जिससे वह विजयी हो जाय। जिन सर्पों ने उसका आदेश नहीं माना, उन्हें उसने शाप दिया कि वे जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जायें। इस शाप का अनुमोदन करते हुए ब्रह्मा ने कश्यप को बुलाया और कहा-'तुमसे उत्पन्न सर्पों की संख्या बहुत बढ़ गयी है। तुम्हारी पत्नी ने उन्हें शाप देकर अच्छा ही किया, अत: तुम उससे रूष्ट मत होना।' ऐसा कहकर ब्रह्मा ने कश्यप को सर्पों का विष उतारने की विद्या प्रदान की। विनता तथा कद्रु जब उच्चैश्रवा को देखने अगले दिन गयीं तब उसकी पूंछ काले नागों से ढकी रहने के कारण काली जान पड़ रही थी। विनता अत्यंत दुखी हुई तथा उसने कद्रु की दासी का स्थान ग्रहण किया।

गरुड़ ने सर्पों से पूछा कि कौन-सा ऐसा कार्य है जिसको करने से उसकी माता को दासित्व से छुटकारा मिल जायेगा? उसके नाग भाइयों ने अमृत लाकर देने के लिए कहा। गरुड़ ने अमृत की खोज में प्रस्थान किया। उसको समस्त देवताओं से युद्ध करना पड़ा। सबसे अधिक शक्तिशाली होने के कारण गरुड़ ने सभी को परास्त कर दिया। तदनंतर वे अमृत के पास पहुंचा। अत्यंत सूक्ष्म रूप धारण करके वह अमृतघट के पास निरंतर चलने वाले चक्र को पार कर गया। वहां दो सर्प पहरा दे रहे थे। उन दोनों को मारकर वह अमृतघट उठाकर ले उड़ा। उसने स्वयं अमृत का पान नहीं किया था, यह देखकर विष्णु ने उसके निर्लिप्त भाव पर प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि कह बिना अमृत पीये भी अजर-अमर होगा तथा विष्णु-ध्वजा पर उसका स्थान रहेगा। गरुड़ ने विष्णु का वाहन बनना भी स्वीकार किया। मार्ग में इन्द्र मिले। इन्द्र ने उससे अमृत-कलश मांगा और कहा कि यदि सर्पों ने इसका पान कर लिया तो अत्यधिक अहित होगा। गरुड़ ने इन्द्र को बताया कि वह किसी उद्देश्य से अमृत ले जा रहा है। जब वह अमृत-कलश कहीं रख दे, इन्द्र उसे ले ले। इन्द्र ने प्रसन्न होकर गरुड़ को वरदान दिया कि सर्प उसकी भोजन सामग्री होंगे। तदनंतर गरुड़ अपनी मां के पास पहुंचा। उसने सर्पों को सूचना दी कि वह अमृत ले आया है। सर्प विनता को दासित्व से मुक्त कर दें तथा स्नान कर लें। उसने कुशासन पर अमृत-कलश रख दियां जब तक सर्प स्नान करके लौटे, इन्द्र ने अमृत चुरा लिया था। सर्पों ने कुशा को ही चाटा जिससे उनकी जीभ के दो भाग हो गए, अत: वे द्विजिव्ह कहलाने लगे।

इन्द्र को बालखिल्य महर्षियों से बहुत ईर्ष्या थी। रूष्ट होकर बालखिल्य ने अपनी तपस्या का भाग कश्यप मुनि को दिया तथा इन्द्र का मद नष्ट करने के लिए कहा। कश्यप ने सुपर्णा तथा कद्रु से विवाह किया। दोनों के गर्भिणी होने पर वे उन्हें सदाचार से घर में ही रहने के लिए कहकर अन्यत्र चले गये। उनके जाने के बाद दोनों पत्नियां ऋषियों के यज्ञों में जाने लगीं। वे दोनों ऋषियों के मना करने पर भी हविष्य को दूषित कर देती थीं। अत: उनके शाप से वे नदियां (अपगा) बन गयीं। लौटने पर कश्यप को ज्ञात हुआ। ऋषियों के कहने से उन्होंने शिवाराधना की। शिव के प्रसन्न होने पर उन्हें आशीर्वाद मिला कि दोनों नदियां गंगा से मिलकर पुन: नारी-रूप धारण करेंगी। ऐसा ही होने पर प्रजापति कश्यप ने दोनों का सीमांतोन्नयन संस्कार किया। यज्ञ के समय कद्रु ने एक आंख से संकेत द्वारा ऋषियों का उपहास किया। अत: उनके शाप से वह कानी हो गयी। कश्यप ने पुन: ऋषियों को किसी प्रकार प्रसन्न किया। उनके कथनानुसार गंगा स्नान से उसने पुन: पुर्वरूप धारण किया

24/09/2015

महर्षि कश्यप पिंघले हुए सोने के समान तेजवान थे। उनकी जटाएं अग्नि-ज्वालाएं जैसी थीं। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। उन्होने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। वे निर्भिक एवं निर्लोभी थे। कश्यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश करते थे, जिनके कारण उन्हें ‘महर्षि’ जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई। समस्त देव, दानव एवं मानव उनकी आज्ञा का अक्षरशः पालन करते थे। उन्ही की कृपा से ही राजा नरवाहनदत्त चक्रवर्ती राजा की श्रेष्ठ पदवी प्राप्त कर सका।
महर्षि कश्यप अपने श्रेष्ठ गुणों, प्रताप एवं तप के बल पर श्रेष्ठतम महाविभूतियों में गिने जाते थे। महर्षि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने गए। सप्तऋषियों की पुष्टि श्री विष्णु पुराण में इस प्रकार होती है:-
वसिष्ठः काश्यपोऽयात्रिर्जमदग्निस्सगौतमः।
विश्वामित्रभरद्वाजौ सप्त सप्तर्षयोऽभवन्।।
(अर्थात् सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार हैं, वसिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।)

हमारा समाज जीवन और जीव की सरचना की उत्पति जीतना ही पुराना है हर युग में हमें एक नया नाम मिला, लेकिन हमारा अस्तित्व रामायण काल में श्री राम और मह्रिषी कश्यप के द्वारा किये गए कार्य से सामने आया जिसका विवरण हमे रामायण में व्र्तांत से मिलाता है , हर युग में हमने समाज की सेवा की है महाभारत काल में भी समाज के अन्य नाम का विवरण है जैसे की मेहरा, कश्यप, निषाद, कहार, कश्यप राजपूत, धीवर, झिन्वर, केवट, मल्लाह, धुरिया, डोंगरा, साहानी, रायकवार, बाथम,तुराहा,कीर,गौर, मांझी, एकलव्य आदि हमारा अतीत कुछ भी हो आज हम आतमनिर्भर है हम आज आदर्श जीवन वय्तित कर रहे है , वेदों में पुरानो में हमे मह्रिषी कश्यप को हमारा पूर्वज बताया गया है हमे इनसे जुड़ना चाहिए और अपने बटे हुए समाज को एक सूत्र में जुड़ना चाहिए ताकि और समाज की तरह हमारा समाज भी एकसूत्र में बधकर अच्छी तरह से फल फूल सके , प्रिय दोस्तों समाज जुड़ने से बनता है न की अलग अलग चलने से आज हमे आज जो नाम (कश्यप) मिला है उसी का अनुसरण करते हुए आगे बढना चाहिए,
कश्यप कथा :
पुराण अनुसार सृष्टि की रचना और विकास के काल में धरती पर सर्वप्रथम भगवान ब्रह्माजी प्रकट हुए। ब्रह्माजी से दक्ष प्रजापति का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के निवेदन पर दक्ष प्रजापति ने अपनी पत्नी असिक्नी के गर्भ से 66 कन्याएँ पैदा की।

इन कन्याओं में से 13 कन्याएँ ऋषि कश्यप की पत्नियाँ बनीं। मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए। ऋषि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने जाते हैं। विष्णु पुराणों अनुसार सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार रहे हैं- वसिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज।

श्रीमद्भागवत के अनुसार दक्ष प्रजापति ने अपनी साठ कन्याओं में से 10 कन्याओं का विवाह धर्म के साथ, 13 कन्याओं का विवाह ऋषि कश्यप के साथ, 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ, 2 कन्याओं का विवाह भूत के साथ, 2 कन्याओं का विवाह अंगीरा के साथ, 2 कन्याओं का विवाह कृशाश्व के साथ किया था। शेष 4 कन्याओं का विवाह भी कश्यप के साथ ही कर दिया गया। कश्यप की पत्नीयाँ : इस प्रकार ऋषि कश्यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनी आदि पत्नियाँ बनीं।

अदिति : पुराणों अनुसार कश्यप ने अपनी पत्नी अदिति के गर्भ से बारह आदित्यों को जन्म दिया, जिनमें भगवान नारायण का वामन अवतार भी शामिल था।
माना जाता है कि चाक्षुष मन्वन्तर काल में तुषित नामक बारह श्रेष्ठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में जन्म लिया, जो कि इस प्रकार थे- विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)।

ऋषि कश्यप के पुत्र विस्वान से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, प्रान्शु, नाभाग, दिष्ट, करूष और पृषध्र नामक दस श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई।2.दिति : कश्यप ऋषि ने दिति के गर्भ से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र एवं सिंहिका नामक एक पुत्री को जन्म दिया। श्रीमद्भागवत् के अनुसार इन तीन संतानों के अलावा दिति के गर्भ से कश्यप के 49 अन्य पुत्रों का जन्म भी हुआ, जो कि मरुन्दण कहलाए। कश्यप के ये पुत्र निसंतान रहे। जबकि हिरण्यकश्यप के चार पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद।

दनु : ऋषि कश्यप को उनकी पत्नी दनु के गर्भ से द्विमुर्धा, शम्बर, अरिष्ट, हयग्रीव, विभावसु, अरुण, अनुतापन, धूम्रकेश, विरूपाक्ष, दुर्जय, अयोमुख, शंकुशिरा, कपिल, शंकर, एकचक्र, महाबाहु, तारक, महाबल, स्वर्भानु, वृषपर्वा, महाबली पुलोम और विप्रचिति आदि 61 महान पुत्रों की प्राप्ति हुई।

अन्य पत्नीयाँ : रानी काष्ठा से घोड़े आदि एक खुर वाले पशु उत्पन्न हुए। पत्नी अरिष्टा से गंधर्व पैदा हुए। सुरसा नामक रानी से यातुधान (राक्षस) उत्पन्न हुए। इला से वृक्ष, लता आदि पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का जन्म हुआ। मुनि के गर्भ से अप्सराएँ जन्मीं। कश्यप की क्रोधवशा नामक रानी ने साँप, बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए।

ताम्रा ने बाज, गिद्ध आदि शिकारी पक्षियों को अपनी संतान के रूप में जन्म दिया। सुरभि ने भैंस, गाय तथा दो खुर वाले पशुओं की उत्पत्ति की। रानी सरसा ने बाघ आदि हिंसक जीवों को पैदा किया। तिमि ने जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया।

रानी विनता के गर्भ से गरुड़ (विष्णु का वाहन) और वरुण (सूर्य का सारथि) पैदा हुए। कद्रू की कोख से बहुत से नागों की उत्पत्ति हुई, जिनमें प्रमुख आठ नाग थे-अनंत (शेष), वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक।रानी पतंगी से पक्षियों का जन्म हुआ। यामिनी के गर्भ से शलभों (पतंगों) का जन्म हुआ। ब्रह्माजी की आज्ञा से प्रजापति कश्यप ने वैश्वानर की दो पुत्रियों पुलोमा और कालका के साथ भी विवाह किया। उनसे पौलोम और कालकेय नाम के साठ हजार रणवीर दानवों का जन्म हुआ जो कि कालान्तर में निवातकवच के नाम से विख्यात हुए।

माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम था। समूचे कश्मीर पर ऋषि कश्यप और उनके पुत्रों का ही शासन था। कश्यप ऋषि का इतिहास प्राचीन माना जाता है। कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। उक्त इलाके में ही दक्ष राजाओं का साम्राज्य भी था।

महर्षि कश्यप जी को कोटि-कोटि वन्दन एवं नमन!!

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