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लोबिया (चवला) — छोटा दाना, बड़े फायदेक्या आप जानते हैं ये सफेद-भूरे रंग की लोबिया सिर्फ दाल नहीं बल्कि एक सुपरफूड है? इस...
26/10/2025

लोबिया (चवला) — छोटा दाना, बड़े फायदे
क्या आप जानते हैं ये सफेद-भूरे रंग की लोबिया सिर्फ दाल नहीं बल्कि एक सुपरफूड है?
इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है।

लोबिया खाने के फायदे:
✅ रोजाना लोबिया खाने से कमज़ोरी और एनीमिया (खून की कमी) दूर होती है।
✅ इसमें मौजूद फाइबर पेट साफ रखता है और गैस, कब्ज जैसी दिक्कतें दूर करता है।
✅ डायबिटीज़ वालों के लिए वरदान — यह ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद करती है।
✅ वजन घटाने वालों के लिए भी बेस्ट — पेट देर तक भरा रखती है।
✅ त्वचा और बालों के लिए पौष्टिक तत्वों का खज़ाना है।

उपयोग के तरीके:
इसे उबालकर सलाद या चाट में मिलाएं।
लोबिया करी, लोबिया पराठा या लोबिया पुलाव बनाएं – स्वाद और सेहत दोनों का मज़ा लें!

लोबिया का पानी यानी भिगोई हुई लोबिया (चवला) का पानी — एक बहुत ही जबरदस्त फायदेमंद घरेलू टॉनिक है।
अगर आप रोज़ सुबह खाली पेट इसका सेवन करते हैं, तो शरीर को अंदर से पोषण मिलता है।

कैसे बनाएं:
रात में 1 मुट्ठी लोबिया को साफ पानी से धोकर 1 गिलास पानी में भिगो दीजिए।
सुबह उस पानी को छानकर पी लीजिए (दाने बाद में सलाद या सब्जी में भी खा सकते हैं)।

लोबिया का पानी पीने के फायदे
1. शरीर में ताकत बढ़ाता है:
लोबिया में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, आयरन और फोलिक एसिड होता है। ये तत्व खून को बढ़ाते हैं, मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखते हैं।

2. चेहरा निखारता है:
लोबिया के पानी से शरीर का टॉक्सिन (विष) बाहर निकलता है।
जब पाचन और खून साफ रहता है, तो चेहरा प्राकृतिक रूप से चमकदार और ग्लोइंग बनता है।

3. पाचन को दुरुस्त करता है:
इसमें मौजूद फाइबर पेट को साफ रखता है, जिससे त्वचा पर मुंहासे और दाग-धब्बे कम होते हैं।

नियमित सेवन:
रोज़ाना सुबह खाली पेट लोबिया का पानी 10–15 दिन पीने से फर्क साफ दिखने लगेगा —
शरीर में जोश, चेहरे पर निखार और मन में स्फूर्ति!

अगर आप भी चाहते हैं शरीर में ताकत, चेहरा दमकता और पेट रहे एकदम फिट,
तो आज से ही लोबिया का पानी अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

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मसूर के लाभ सभी तक पहुंचायेंआप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायेंमसूर दाल के फायदे, उप...
25/10/2025

मसूर के लाभ सभी तक पहुंचायें
आप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायें
मसूर दाल के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण
हर घर में लोग मसूर की दाल खाते हैं। अनेक लोग मसूर की दाल के पकौड़े बनाकर भी खाते हैं। आपने भी मसूर की दाल से बने व्यंजन जरूर खाएं होंगे। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है। क्या आपको पता है कि रोगों का इलाज करने में भी मसूर की दाल के फायदे मिलते हैं, और आप मसूर की दाल से एक-दो नहीं, बल्कि कई बीमारी की रोकथाम या इलाज कर सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, मसूर की दाल एक उत्तम जड़ी-बूटी भी है। इससे अनेक रोग ठीक होते हैं। आइए जानते हैं।

1 मसूर क्या है?
2 अन्य भाषाओं में मसूर के नाम
3 मसूर के फायदे
3.1 चेहरे की रौनक बढ़ाने के लिए मसूर का उपयोग लाभदायक
3.2 चेहरे की झाई हटाने में मसूर का प्रयोग फायदेमंद
3.3 मुंह के छाले में मसूर के फायदे
3.4 पैरों की जलन में मसूर के फायदे
3.5 त्वचा रोग में मसूर के फायदे
3.6 आंखों की बीमारी में मसूर से लाभ
3.7 दांतों के रोग में मसूर से लाभ
3.8 सांसों की बीमारी में मसूर से लाभ
3.9 साइनस में मसूर के औषधीय गुण से फायदा
3.10 उल्टी रोकने के लिए मसूर का उपयोग फायदेमंद
3.11 घाव भरने में मसूर का औषधीय गुण फायदेमंद
3.12 स्तनों के दर्द में मसूर का गुण लाभदायक
3.13 मसूर दाल से कमर और पीठ दर्द का इलाज
3.14 कब्ज की समस्या में मसूर के औषधीय गुण से फायदा
3.15 कमजोरी दूर करने के लिए मसूर की दाल का सेवन
3.16 दस्त में मसूर दाल के सेवन से फायदा
3.17 पेचिश में मसूर का सेवन फायदेमंद
3.18 आंतों के रोग में मसूर का सेवन लाभदायक
3.19 बवासीर में मसूर का औषधीय गुण फायदेमंद
3.20 गले के रोग में मसूर का औषधीय गुण लाभदायक
3.21 अण्डकोष की सूजन में फायदेमंद मसूर का इस्तेमाल
3.22 चेचक के इलाज में मसूर से फायदा
3.23 हृदय रोग में फायदेमंद मसूर का इस्तेमाल
4 मसूर के उपयोगी भाग
5 मसूर का इस्तेमाल कैसे करें?
6 मसूर कहां पाया या उगाया जाता?
मसूर क्या है?
मसूर को लगभग सभी लोग जानते होंगे। मसूर का प्रयोग दाल के रूप में पूरे भारत में किया जाता है। मसूर का पौधा लगभग 15-75 सेमी ऊंचा होता है। मसूर के लेप का इस्तेमाल रंग को सुंदर करने के लिए, त्वचा रोग को ठीक करने के लिए और कफ-विकार, रक्त-विकार तथा पित्त-विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके साथ ही मसूर मूत्र रोग, दर्द, पेट की गैस और बुखार में भी उपयोग में लाया जाता है।

अन्य भाषाओं में मसूर के नाम
आमतौर पर मसूर को देश भर में मसूर के नाम से ही जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी मसूर के कई और नाम भी हैं, जो भारत के साथ-साथ देश-विदेश में जाना जाता है। मसूर का वानस्पतिक नाम लेन्स कुलिनेरिस (Lens culinaris Medik., Syn-Ervum lens Wall.), फैबेसी (Fabaceae)हैं लेकिन इसके अन्य नाम ये भी हैंः-

हिंदी – मसूर, मसूरक, मसूरी
इंग्लिश – लेन्टील (Lentil), स्पलिट पी (Slit pea)
संस्कृत – पित्तभेषज, मङ्गल्यक, मसूर, रागदालि, मङ्गल्य, पृथुबीजक, सूर, कल्याणबीज, गुरुबीज, मसूरक, ताम्बूलराग, मसूरा, माङ्गल्या
Urdu – मसूर (Masur)
Kannada – मसूर (Masur), चनान्गी (Chanangi)
Gujarati – मसूर (Masur), मसूरा (Masura)
Tamil (masoor dal in tamil) – मसूर (Masur), मिसुर (Misur)
Telugu – मसूरालु (Masuralu), मिसूर पप्पु (Misur pappu)
Bengali – बुरो-मुस्सूर (Buro-mussur), मसुरि (Masuri)
Nepali – मुसुर (Musur)
Punjabi – मसूर (Masur), मसारा (Masara)
Marathi – मसूरा (Masura), मसूर (Masur)
Malayalam – चनमपयार (Chanampayar), वट्टूपपरूम (Vattupprum)
Arabic – अदस् (Adas);
Persian – बनो सुर्ख नेव सुर्ख (Bano surkh neiv surkh), विसुक (Visuk)
मसूर के फायदे
अब तक आपने जाना कि मसूर क्या है, और इसके कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि मसूर का औषधीय प्रयोग कैसे किया जाता है। इसकी मात्रा एवं विधियां क्या होनी चाहिएः-

चेहरे की रौनक बढ़ाने के लिए मसूर का उपयोग लाभदायक
आप मसूर का प्रयोग कर चेहरे पर निखार ला सकते हैं। मसूर को भूनकर, छिलका हटा लें। इसे दूध के साथ पीस लें। इसमें मधु और घी मिलाकर मुंह में लेप के रूप में लगाएं। इससे चेहरे के दाग-धब्बे खत्म हो जाते हैं, और चेहरे की कांति बढ़ती है।
रक्तचंदन, मंजिष्ठा, कूठ, लोध्र, प्रियंगु, वटांकुर तथा मसूर को पीस लें। इसे चेहरे पर लेप के रूप में लगाएं। इससे चेहरे पर रौनक तो आती ही है, साथ ही चेहरे के दाग-धब्बे ठीक हो जाते हैं।

चेहरे की झाई हटाने में मसूर का प्रयोग फायदेमंद
चेहरे की झाई में मसूर को घी से पीस लें। इसमें दूध मिला लें, या दूध से पीसकर चेहरे पर लेप करें। इससे चेहरे की झाई की समस्या ठीक होती है।
बरगद के पत्ते और मसूर को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इससे लेप करने से चेहरे की झाई या दाग-धब्बे ठीक हो जाते हैं।

मुंह के छाले में मसूर के फायदे
मुंह के छाले में मसूर की भस्म के बराबर मात्रा में कत्था मिलाकर पीस लेंं। इसे मुंह के छाले पर लगाएं। इससे मुंह के छाले मिटते हैं।

पैरों की जलन में मसूर के फायदे
कई लोगों को पैरों के तलवों में जलन की परेशानी होती है। ऐसा ऊच्च रक्तचाप के कारण भी हो सकता है। इसमें मसूर को पीसकर पैरों के तलवों पर लगाएं। पैरों की जलन मिट जाती है।

त्वचा रोग में मसूर के फायदे
विसर्ग जैसे त्वचा रोग में चेहरे या त्वचा पर लाल-लाल-सा दाग हो जाता है। रोगग्रस्त अंगों में सूजन के साथ दर्द भी होने लगता है। यह फोड़े के रूप में भी हो सकता है। इसके लिए मसूर को पीस लें। इसमें घी मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

आंखों की बीमारी में मसूर से लाभ
आंखों के रोग में मसूर दाल का सेवन फायदा पहुंचाता है। किसी व्यक्ति को आंखों से संबंधित परेशानी है तो उसे मसूर की दाल का सेवन करना चाहिए।

दांतों के रोग में मसूर से लाभ
दांतों के रोग में मसूर की दाल सेवन लाभ पहुंचाता है। मसूर की दाल को जलाकर भस्म बना लें। इस भस्म को दांतों पर रगड़ने से दांतों के विकार का ठीक होता है।

सांसों की बीमारी में मसूर से लाभ
सांसों से संबंधित नलिका (श्वसनतंत्र) से संबंधित परेशानी को ठीक करने के लिए मसूर से बने जूस (दाल का पानी) को 20-40 मिली की मात्रा में सेवन करना चाहिए। इससे श्वसनतंत्र में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।

साइनस में मसूर के औषधीय गुण से फायदा
साइनस रोग में मसूर तथा अनार के छिलके को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे साइनस में लाभ मिलता है।

उल्टी रोकने के लिए मसूर का उपयोग फायदेमंद
उल्टी रोकने के लिए मसूर के आटे को 50 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें 100 मिलीग्राम अनार का रस मिला लें। इसे मथें। इसे पीने से उल्टी पर रोक लगती है।

घाव भरने में मसूर का औषधीय गुण फायदेमंद
पुराने घाव को भी मसूर के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। मसूर की भस्म बना लें। भस्म में भैंस का दूध मिलाकर सुबह और शाम घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है।

स्तनों के दर्द में मसूर का गुण लाभदायक
अनेक महिलाओं को स्तनों में दर्द की शिकायत रहती है। इस रोग में मसूर का उपयोग फायदेमंद होता है। मसूर को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों का दर्द ठीक हो जाता है।

मसूर दाल से कमर और पीठ दर्द का इलाज
कमर दर्द की परेशानी बहुत लोगों को होती रहती है। इसके लिए मसूर को सिरके के साथ पीस लें। इसे हल्का गुनगुना करके कमर और पीठ पर लगाएं। कमर और पीठ का दर्द ठीक होता है।

कब्ज की समस्या में मसूर के औषधीय गुण से फायदा
कब्ज की समस्या में मसूर के दाल का पानी पिएं। इससे कब्ज की बीमारी ठीक होती है। सेवन की मात्रा 20-40 मिली होनी चाहिए।

कमजोरी दूर करने के लिए मसूर की दाल का सेवन
मसूर शारीरिक कमजोरी दूर करने के साथ-साथ खून को बढ़ाने का भी काम करता है। जिस व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी या खून की कमी हो, वह मसूर की दाल का सेवन कर लाभ पा सकते हैं।

दस्त में मसूर दाल के सेवन से फायदा
दस्त रोकने के लिए 5 किग्रा मसूर चूर्ण तथा 12 लीटर को पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उसमें 400 ग्राम बेल फल मज्जा तथा 750 ग्राम घी मिलाकर फिर पकाएं। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इसेस दस्त पर रोक लगती है।

पेचिश में मसूर का सेवन फायदेमंद
पेचिश में भी मसूर के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। बराबर मात्रा में सोंठ तथा बेल मज्जा के पेस्ट को मसूर की दाल के पानी के साथ सेवन करें।
इसी तरह मसूर के 10-20 मिली काढ़ा में 2 ग्राम बेल गिरी चूर्ण मिलाकर पीने से भी पेचिश में लाभ होता है।

आंतों के रोग में मसूर का सेवन लाभदायक
आंतों के रोग को ठीक करने के लिए मसूर का इस्तेमाल करना अच्छा होता है। आप मसूर की दाल का पानी लें। इसकी मात्रा 20-40 मिली होनी चाहिए। इसका सेवन करें। इससे आंतों की बीमारी ठीक होती है।
मसूर से तैयार जूस (20-40 मिली) का सेवन करने से आंतों के रोग में लाभ होता है।
बवासीर में मसूर का औषधीय गुण फायदेमंद
बवासीर में मसूर का उपयोग करना फायदेमंद होता है। मसूर (masoor daal) की दाल को छाछ के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में होने वाले रक्तस्राव पर रोक लगता है।

गले के रोग में मसूर का औषधीय गुण लाभदायक
गले के दर्द और सूजन को ठीक करने के लिए मसूर के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे गले की सूजन तथा गले का दर्द ठीक होता है।

अण्डकोष की सूजन में फायदेमंद मसूर का इस्तेमाल
मसूर की दाल तथा अनार की छाल को पीस लें। दोनों को मिलाकर हल्का गुनगुना करके अण्डकोष पर लगाएं। इससे अण्डकोष की सूजन ठीक हो जाती है।

चेचक के इलाज में मसूर से फायदा
चेचक के इलाज के लिए मसूर की बीज का पेस्ट बना लें। इसे लेप के रूप में लगाएं। इसको लगाने से चेचक की पीड़ा से आराम मिलता है।

हृदय रोग में फायदेमंद मसूर का इस्तेमाल
ह्रदय रोग में मसूर के बीजों का जूस (दाल का पानी) बनाकर पिएं। सेवन 20-40 मिली मात्रा में करना चाहिए।

मसूर के उपयोगी भाग
मसूर का औषधीय इस्तेमाल इस तरह किया जाना चाहिएः-

मसूर के पत्ते

मसूर के बीज

मसूर का इस्तेमाल कैसे करें?
मसूर का औषधीय इस्तेमाल इतनी मात्रा में किया जाना चाहिएः-

यूष – 20-40 मिली

काढ़ा – 20 मिली

अगर आप बीमारियों में मसूर का औषधीय इस्तेमाल कर भरपूर लाभ लेना चाहते हैं तो चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन करें।

मसूर कहां पाया या उगाया जाता?
भारत में सभी स्थानों पर मसूर की खेती की जाती है। इसकी खेती मुख्यतः लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई तक की जाती है।

“अजीनोमोटो” — स्वाद का जादू या सेहत का छिपा हुआ खतरा?” क्या आपने कभी सोचा है कि मैगी, मंचूरियन या चाइनीज़ फ्राइड राइस इत...
19/10/2025

“अजीनोमोटो” — स्वाद का जादू या सेहत का छिपा हुआ खतरा?”

क्या आपने कभी सोचा है कि मैगी, मंचूरियन या चाइनीज़ फ्राइड राइस इतना लाजवाब क्यों लगता है?

इसका रहस्य है — अजीनोमोटो (Monosodium Glutamate - MSG)
जिसे जापानी वैज्ञानिक किकुनाए इकेडा ने साल 1909 में खोजा था।
उन्होंने इसे “Umami Taste” नाम दिया — यानी “स्वादिष्टता का सुखद एहसास”।

🍽️ कहाँ-कहाँ इस्तेमाल होता है अजीनोमोटो?

आज यह केवल चाइनीज़ नहीं — बल्कि लगभग हर फ़ास्ट फूड में शामिल है:

नूडल्स

सूप

चिप्स

सॉस

पैक्ड स्नैक्स और रेड़ी-टू-ईट प्रोडक्ट्स

यानी जब भी आप स्वाद में “वाह!” कहते हैं — वो अक्सर MSG की देन होती है।

अजीनोमोटो की पहचान

यह छोटे-छोटे चमकीले क्रिस्टल जैसा दिखता है,
स्वाद में हल्का नमकीन और मीठेपन का मिश्रण देता है।
इसका काम है — “खाने के स्वाद को कई गुना बढ़ा देना!”

लोग इसे क्यों पसंद करते हैं?

क्योंकि यह जीभ को ऐसा “सुखद स्वाद” देता है
कि मस्तिष्क बार-बार उसी स्वाद की मांग करता है —
यानी स्वाद की लत लग जाती है!

लेकिन... हर स्वाद का एक अंधेरा पहलू भी होता है!

MSG = Slow Poison (धीमा ज़हर)

अगर इसे लंबे समय तक खाते रहें तो यह शरीर को भीतर से कमजोर कर देता है —

1️⃣ थायरॉइड और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा
2️⃣ आंखों की रेटिना को नुकसान 👁️
3️⃣ इंसुलिन लेवल बढ़ना और डायबिटीज की शुरुआत
4️⃣ माइग्रेन और सिरदर्द की समस्या
5️⃣ स्मृति और नर्व सिस्टम पर असर

वैज्ञानिक क्या कहते हैं?

अधिक मात्रा में MSG खाने से रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ता है,
जो न्यूरॉन्स को ओवर-एक्टिव कर देता है —
यानी शरीर और दिमाग धीरे-धीरे थकने लगते हैं।

स्वाद चाहिए, पर सेहत भी ज़रूरी है!

घर का ताज़ा खाना खाएं
प्राकृतिक स्वाद के लिए नींबू, हींग, अदरक, काली मिर्च जैसे विकल्प अपनाएं
बच्चों को पैक्ड फूड्स से दूर रखें

याद रखें —
अजीनोमोटो “स्वाद का राजा” नहीं, सेहत का चुपचाप चोर है!

आयुर्वेद के आदि देव भगवान धन्वंतरि जी को सादर वंदना
18/10/2025

आयुर्वेद के आदि देव भगवान धन्वंतरि जी को सादर वंदना

https://youtu.be/wEr46YDXo4Q?si=aVY0oD3i8EOmY24o
12/10/2025

https://youtu.be/wEr46YDXo4Q?si=aVY0oD3i8EOmY24o

काम और जिम्मेदारियों का बोझ बुढ़ापा आते-आते कमर झुका देता है. लेकिन वक्त रहते थोड़ी सावधानी बरती जाए तो बुढ़ापे की ....

सारिवा (Sarsaparilla / Hemidesmus indicus) – रक्तशोधक और शीतल आयुर्वेदिक अमृत आयुर्वेद में सारिवा को “अनंतमूल” भी कहा जा...
06/10/2025

सारिवा (Sarsaparilla / Hemidesmus indicus) – रक्तशोधक और शीतल आयुर्वेदिक अमृत

आयुर्वेद में सारिवा को “अनंतमूल” भी कहा जाता है। यह एक सुगंधित जड़ी-बूटी है, जिसका स्वाद मधुर, कड़वा और गुण शीतलकारी होते हैं।
चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और भावप्रकाश निघंटु में इसका उल्लेख रक्तशोधक, पित्तशामक और विषनाशक औषधि के रूप में मिलता है।

सारिवा का परिचय

संस्कृत नाम: सारिवा / अनंतमूल

वैज्ञानिक नाम: Hemidesmus indicus

गुणधर्म: मधुर-कषाय रस, शीतवीर्य, रक्तशोधक

प्रकृति: शीतल, पित्त व रक्त दोष को संतुलित करने वाली

सारिवा के प्रमुख लाभ (Main Benefits)

1. रक्तशोधक (Blood Purifier)

खून की अशुद्धि, त्वचा रोग, फोड़े-फुंसी, एक्ज़िमा में लाभकारी।

2. पित्त दोष शांत करती है

शरीर की गर्मी, जलन, नाक से खून आना, पेट की जलन में उपयोगी।

3. मूत्रल और विषनाशक

गुर्दे और मूत्र विकारों को ठीक करती है, पेशाब की जलन व पथरी में लाभकारी।

4. शीतल व ताजगी देने वाली

गर्मी, प्यास, बुखार, थकान में तुरंत राहत देती है।

5. एलर्जी और त्वचा रोगों में लाभकारी

रक्त की शुद्धि कर त्वचा की खुजली, लाल दाने, एलर्जी को दूर करती है।

6. हृदय और रक्तसंचार में सहायक

रक्त को ठंडक देकर हृदय को मज़बूत करती है और ब्लड प्रेशर संतुलित करती है।

7. सुगंधित पेय व टॉनिक

इसे शरबत या काढ़े के रूप में प्रयोग करने से शरीर को ठंडक और ऊर्जा मिलती है।

सेवन विधि (How to Take)

1. सारिवा का शरबत – 10 ग्राम सारिवा जड़ को 1 गिलास पानी में उबालकर ठंडा करके पीएँ।
2. सारिवा चूर्ण – 3 से 5 ग्राम चूर्ण, दिन में 2 बार पानी/दूध के साथ।
3. काढ़ा – 10 ग्राम सारिवा, 400 ml पानी में उबालकर 100 ml सुबह-शाम लें।
4. सारिवाद्यासन (Classical Yog) – सारिवा से बना यह योग त्वचा रोगों में प्रयोग किया जाता है।
5. सारिवा दूध के साथ – शरीर को पोषण और शीतलता देने हेतु।
6. सारिवा अर्क – बाजार में उपलब्ध सारिवा अर्क को चिकित्सक की सलाह अनुसार लें।
7. फ्रेश ड्रिंक – गर्मियों में सारिवा की जड़ को पानी में भिगोकर उसका सुगंधित जल पी सकते हैं।

सावधानियाँ (Precautions)

अत्यधिक ठंड प्रकृति वाले लोग सीमित मात्रा में लें।

गर्भवती महिलाएँ और छोटे बच्चों को केवल आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से दें।

हमेशा ताजा औषधि का प्रयोग करें।

निष्कर्ष

सारिवा रक्तशोधक, पित्तशामक और शीतलता प्रदान करने वाली औषधि है।
यह न सिर्फ त्वचा और रक्त विकारों को दूर करती है, बल्कि शरीर को अंदर से ठंडक और ताजगी देती है।
इसलिए इसे आयुर्वेद में “रक्तशोधक शीतल अमृत” कहा गया है।

गोक्षुर चूर्ण – मूत्र व वीर्य संबंधी रोगों का अमृत उपचार गोक्षुर (Tribulus terrestris) एक अद्भुत औषधि है, जिसका उल्लेख च...
05/10/2025

गोक्षुर चूर्ण – मूत्र व वीर्य संबंधी रोगों का अमृत उपचार

गोक्षुर (Tribulus terrestris) एक अद्भुत औषधि है, जिसका उल्लेख चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदयम् में किया गया है। इसे आयुर्वेद में "शुक्रवर्धक" और "मूत्रविकार नाशक" औषधि कहा गया है।

गोक्षुर चूर्ण के प्रमुख लाभ (Benefits in Ayurveda):

1. मूत्र रोग नाशक – पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब आना या रुक-रुक कर आना जैसी समस्याओं में यह अत्यंत लाभकारी है।

2. किडनी की सफाई करता है – मूत्र मार्ग को शुद्ध करता है व पथरी (Kidney Stone) को गलाने में मदद करता है।

3. वीर्य व शुक्रवृद्धि – पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने, कमजोरी दूर करने में मददगार।

4. हृदय बलवर्धक – हृदय को स्वस्थ रखता है, रक्तचाप को संतुलित करता है।

5. स्नायु व मांसपेशियों को मजबूत बनाता है – थकान, कमजोरी, और मांसपेशियों के दर्द में राहत।

6. सूजन व जलोदर में उपयोगी – शरीर की सूजन, जल एकत्र होने पर अत्यंत प्रभावी।

7. प्रजनन शक्ति बढ़ाता है – पुरुषों और स्त्रियों दोनों में प्रजनन शक्ति को प्रोत्साहित करता है।

गोक्षुर चूर्ण बनाने की विधि (Preparation Method):

1. सूखे गोक्षुर (Tribulus terrestris) फल या बीज को एकत्र करें।

2. उन्हें धूप में सुखाकर हल्का भून लें।

3. मिक्सर या खरल में बारीक पीसकर चूर्ण तैयार करें।

4. महीन छलनी से छानकर वायुरोधक शीशी में भरें।

सेवन विधि (Dosage & Usage):

मात्रा: 3–5 ग्राम चूर्ण

सेवन समय: दिन में दो बार – सुबह व शाम

सहपान: गुनगुना दूध या शहद के साथ

अवधि: निरंतर 1–2 महीने सेवन करने पर श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं

सावधानी:

गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक की सलाह से ही सेवन कराना चाहिए।

अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है।

गोक्षुर चूर्ण – पुरुषत्व, मूत्र स्वास्थ्य और शरीर की शक्ति का आयुर्वेदिक कवच

एक अध्ययन में अश्वगंधा (विदानिया सोम्निफेरा) से मिलने वाले विथाफेरिन ए को टीबी के इलाज में सहायक पाया गया है। विथाफेरिन ...
05/10/2025

एक अध्ययन में अश्वगंधा (विदानिया सोम्निफेरा) से मिलने वाले विथाफेरिन ए को टीबी के इलाज में सहायक पाया गया है। विथाफेरिन ए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है साथ ही टीबी के खिलाफ जंग में ये प्रभावी साबित हुआ है।

पपीता बीज – शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक अमृत! आयुर्वेद में पपीता (Carica papaya) को "देहशुद्धिकर" यानी शरीर को भीतर...
05/10/2025

पपीता बीज – शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक अमृत!

आयुर्वेद में पपीता (Carica papaya) को "देहशुद्धिकर" यानी शरीर को भीतर से शुद्ध करने वाली औषधि कहा गया है।
जहाँ इसका फल स्वादिष्ट और पाचक माना गया है, वहीं इसके बीज (Papita Beej) एक गुप्त लेकिन अत्यंत शक्तिशाली औषधि के रूप में प्रसिद्ध हैं।

आयुर्वेदिक गुण (Ayurvedic Properties)

रस (Taste): कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा)

गुण (Quality): लघु (हल्का), तीक्ष्ण (तेज़)

वीर्य (Potency): उष्ण (गर्म)

दोष प्रभाव: वात-कफ नाशक

मुख्य क्रिया: अग्निदीपक, कृमिघ्न, यकृतशोधक

पपीता बीज के प्रमुख लाभ (Main Benefits of Papaya Seeds)

1. कृमिनाशक (Worm Cleanser)

पपीता बीज में पपाइन एंज़ाइम होता है जो आँतों में मौजूद कीड़े, परजीवी व हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है।

2. यकृत (Liver) की सफाई

नियमित सेवन से यह लीवर को डिटॉक्स करता है, फैटी लिवर व पीलिया जैसे रोगों में सहायक है।

3. पाचन तंत्र सुधारक

गैस, अपच, पेट दर्द, और पेट भारीपन को दूर करता है।
यह अग्नि को तेज कर भोजन का पाचन पूर्ण करता है।

4. रक्त शुद्धिकरण (Blood Purifier)

पपीता बीज का सेवन शरीर से विषाक्त तत्वों (toxins) को बाहर निकालकर त्वचा को निखारता है।

5. ⚖️ वजन घटाने में सहायक

बीज में मौजूद प्राकृतिक एंज़ाइम्स शरीर की अतिरिक्त चर्बी को गलाने में मदद करते हैं।

6. त्वचा और बालों के लिए उपयोगी

त्वचा पर इनका पेस्ट लगाने से दाग, पिंपल और डार्क स्पॉट्स में राहत मिलती है।
बालों में लगाने पर डैंड्रफ खत्म होती है और जड़ें मजबूत बनती हैं।

7. रक्तचाप व शुगर नियंत्रण

नियमित व सीमित मात्रा में सेवन ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल दोनों को नियंत्रित रखता है।

उपचार व सेवन विधि (Treatment & Sevan Vidhi)

1. कृमि रोग (Worms Infection) में

1 चम्मच सूखे पपीता बीज का पाउडर

1 चम्मच शहद के साथ सुबह खाली पेट लें
7 दिन तक लगातार सेवन करें।

2. लीवर शुद्धि हेतु (Liver Detox)

5–6 ताजे बीज पीसकर 1 गिलास नींबू पानी में मिलाएँ

रोज़ सुबह खाली पेट पिएँ
15 दिन तक सेवन करें।

3. पाचन सुधार हेतु

भोजन के बाद 3–5 बीज चबाकर खाएँ

या गर्म पानी के साथ निगल लें

4. वजन घटाने हेतु

1 चम्मच पपीता बीज पाउडर गुनगुने पानी के साथ रोज़ लें

या स्मूदी में मिलाकर पी सकते हैं

5. त्वचा के लिए फेसपैक

1 चम्मच पपीता बीज पाउडर + 1 चम्मच मुल्तानी मिट्टी + गुलाबजल

चेहरे पर 10 मिनट लगाएँ, फिर धो लें
त्वचा साफ, चमकदार और पिंपल रहित होती है।

पपीता बीज पाउडर बनाने की विधि (Banane ki Vidhi)

1. पके हुए पपीते के बीज निकालें
2. इन्हें छांव में 2–3 दिन सुखाएँ
3. पूरी तरह सूख जाने पर मिक्सर में बारीक पीसें
4. शीशे की बोतल में भरकर रखें

यह पाउडर 3 महीने तक सुरक्षित रहता है।

सावधानी (Precautions)

अधिक मात्रा में सेवन से पेट में जलन या उल्टी हो सकती है

गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए

दिन में अधिकतम 1–2 ग्राम से अधिक न लें

निष्कर्ष (Conclusion)

पपीता बीज आयुर्वेद की वह औषधि है जो शरीर को भीतर से शुद्ध, हल्का और ऊर्जावान बनाती है।
यह एक प्राकृतिक डिटॉक्स, कृमिनाशक और लीवर टॉनिक है।

अर्जुन छाल – हृदय रक्षक और आयुर्वेदिक जीवनदायिनी आयुर्वेद में अर्जुन की छाल को "हृदय का मित्र" कहा गया है। यह हृदय रोगों...
02/10/2025

अर्जुन छाल – हृदय रक्षक और आयुर्वेदिक जीवनदायिनी

आयुर्वेद में अर्जुन की छाल को "हृदय का मित्र" कहा गया है। यह हृदय रोगों में रामबाण औषधि मानी जाती है। प्राचीन ग्रंथों में अर्जुन छाल को रक्त शुद्ध करने, घाव भरने और शक्ति प्रदान करने वाली सर्वोत्तम दवा बताया गया है।

अर्जुन छाल के प्रमुख लाभ (Benefits)

1. हृदय रक्षक – दिल की धड़कन संतुलित रखती है और हृदय को बल देती है।

2. रक्तचाप नियंत्रक – उच्च रक्तचाप (BP) को सामान्य करने में सहायक।

3. कोलेस्ट्रॉल कम करे – हानिकारक वसा को घटाकर धमनियों को साफ करता है।

4. रक्त शुद्धि – खून को शुद्ध कर त्वचा रोगों को दूर करता है।

5. घाव व अल्सर में लाभकारी – घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करता है।

6. पाचन सुधारक – भूख बढ़ाता है और पेट की गड़बड़ी को ठीक करता है।

7. ज्यादा पसीना व कमजोरी दूर करे – शरीर को ऊर्जा और ताजगी प्रदान करता है।

अर्जुन छाल से होने वाले उपचार (Treatment Uses)

हृदय रोग, एनजाइना (छाती में दर्द)

हाई ब्लड प्रेशर

कोलेस्ट्रॉल और मोटापा

खून की कमी व त्वचा रोग

पेट का अल्सर व दस्त

अत्यधिक पसीना व थकान

घाव और चोट

सेवन विधि (How to Take Arjun Chhal)

1. अर्जुन छाल का क्वाथ (काढ़ा) – 20–30 ml सुबह-शाम।

2. अर्जुन छाल चूर्ण – 2–3 ग्राम शहद या गुनगुने पानी के साथ।

3. अर्जुनारिष्ट – 15–20 ml बराबर पानी मिलाकर।

4. अर्जुन छाल दूध में उबालकर – हृदय रोग व उच्च रक्तचाप में।

5. अर्जुन घृत – शक्ति और हृदय बल के लिए।

6. अर्जुन छाल का पेस्ट – घाव व अल्सर पर लगाने के लिए।

7. अर्जुन छाल पानी में भिगोकर – ठंडक व रक्त शुद्धि हेतु।

नोट – अर्जुन छाल को आयुर्वेद में "हृदय का कवच" माना गया है। यह हृदय रोगियों के लिए वरदान है, परंतु इसे उचित मात्रा में और चिकित्सक की देखरेख में लेना श्रेष्ठ है।

आंवला – आयुर्वेद का अमृतफल आयुर्वेद में आंवले को “दिव्य औषधि” और “रसायन” कहा गया है। यह विटामिन C का प्राकृतिक भंडार है ...
01/10/2025

आंवला – आयुर्वेद का अमृतफल

आयुर्वेद में आंवले को “दिव्य औषधि” और “रसायन” कहा गया है। यह विटामिन C का प्राकृतिक भंडार है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अमृत समान है। चरक संहिता में इसे यौवन बनाए रखने और रोगों से बचाने वाला फल बताया गया है।

आंवला के प्रमुख लाभ (Benefits of Amla)

1. इम्युनिटी बूस्टर – रोग प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना बढ़ाता है।

2. पाचन सुधारक – भूख बढ़ाता है, कब्ज दूर करता है और गैस-अपच मिटाता है।

3. त्वचा और बालों के लिए अमृत – झुर्रियाँ कम करता है, बाल काले और घने बनाता है।

4. नेत्र ज्योति वर्धक – आंखों की रोशनी बढ़ाता है।

5. हृदय रोग निवारक – रक्तचाप नियंत्रित करता है, कोलेस्ट्रॉल घटाता है।

6. मधुमेह में सहायक – ब्लड शुगर को संतुलित रखता है।

7. हड्डियों को मज़बूत करता है – प्राकृतिक कैल्शियम और मिनरल्स से समृद्ध।

8. यकृत (लिवर) की रक्षा – लिवर को डिटॉक्स करता है और पीलिया में लाभकारी।

9. मूत्र रोगों में लाभकारी – पेशाब की जलन और संक्रमण कम करता है।

10. दीर्घायु और यौवन रक्षक – नियमित सेवन से शरीर को शक्ति और दीर्घायु प्रदान करता है।

आंवला से रोगों का उपचार (Treatment Uses)

कब्ज – आंवला चूर्ण शहद के साथ

बाल झड़ना/सफेद होना – आंवला तेल या आंवला रस का सेवन

पीलिया और लिवर रोग – आंवला रस + हल्दी

आँखों की कमजोरी – आंवला रस + शहद

मधुमेह – आंवला रस + करेले का रस

सेवन विधि (How to Take Amla)

* आंवला रस – 10–20 ml सुबह खाली पेट
* आंवला चूर्ण – 3–5 ग्राम गुनगुने पानी या शहद के साथ
*आंवला मुरब्बा – 1–2 नग प्रतिदिन
* आंवला का अचार/चटनी – भोजन के साथ
* त्रिफला चूर्ण (आंवला + हरड़ + बहेड़ा) – रात को सोने से पहले गुनगुने पानी से

सावधानियाँ

आंवला शीतल होता है, इसलिए सर्दी-जुकाम वाले व्यक्ति को अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए।

हमेशा ताज़ा या सूखे आंवले का ही सेवन करें, बाजार की कृत्रिम मिठाइयों से बने आंवला उत्पाद से बचें।

रोचक तथ्य

आंवला एकमात्र ऐसा फल है जो पकने पर भी विटामिन C नष्ट नहीं करता।

इसे आयुर्वेद में "दोष नाशक" यानी वात-पित्त-कफ संतुलित करने वाला फल कहा गया है।

च्यवनप्राश, त्रिफला, और आंवलारस आदि इसके प्रमुख योग हैं।

इसलिए आंवले को सही मायनों में “आयुर्वेद का सुपरफूड और अमृतफल” कहा जाता है।

वचा  – स्मृति और वाणी की अद्भुत औषधि आयुर्वेद में वचा (वैज्ञानिक नाम: Acorus calamus) को “स्मृति वर्धक” और “वाणी सुधारक”...
01/10/2025

वचा – स्मृति और वाणी की अद्भुत औषधि

आयुर्वेद में वचा (वैज्ञानिक नाम: Acorus calamus) को “स्मृति वर्धक” और “वाणी सुधारक” औषधि माना गया है। संस्कृत में इसे “वाक” कहते हैं, जिसका अर्थ है वाणी। यही कारण है कि यह औषधि बुद्धि, स्मरणशक्ति और बोलने की क्षमता को सुधारने में विशेष प्रसिद्ध है।

वचा के प्रमुख लाभ (Benefits)

1. स्मरण शक्ति बढ़ाए – पढ़ने वाले छात्रों और याददाश्त कमज़ोर लोगों के लिए उत्तम।

2. वाणी दोष में लाभकारी – हकलाना, तोतलापन और बोलने की कठिनाई में मददगार।

3. मानसिक रोगों में सहायक – अवसाद, अनिद्रा और तनाव में लाभकारी।

4. पाचन शक्ति सुधारे – गैस, अपच और भूख न लगने पर असरदार।

5. श्वास रोग में उपयोगी – खाँसी, दमा और बलगम कम करने में मदद करता है।

6. त्वचा रोगों में सहायक – कुष्ठ, खुजली और फोड़े-फुंसियों में लाभकारी।

7. बच्चों में बुद्धि विकास – छोटे बच्चों को यह औषधि याददाश्त और वाणी सुधार के लिए दी जाती है।

वचा से उपचार (Treatment)

हकलाना/तोतलापन – वचा चूर्ण शहद के साथ चाटने से लाभ।

कमज़ोर याददाश्त – वचा घी के साथ सेवन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

अवसाद/तनाव – वचा का लेप माथे पर लगाने से मानसिक शांति मिलती है।

दमा/खाँसी – वचा का काढ़ा पीने से कफ कम होता है।

त्वचा रोग – वचा पाउडर का लेप खुजली और चकत्तों पर लाभ देता है।

अपच और गैस – वचा चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पाचन सुधरता है।

बच्चों का बुद्धि विकास – वचा की कलम को चूसाने या अल्प मात्रा में शहद के साथ देने से लाभ।

सेवन विधि (How to Take Vacha)

1. चूर्ण रूप में – 125 से 250 मिलीग्राम वचा चूर्ण शहद या घी के साथ।

2. काढ़ा – वचा जड़ को उबालकर सुबह-शाम सेवन।

3. लेप – माथे पर या त्वचा पर पेस्ट बनाकर।

4. घी/तेल में – वचा घृत या वचा तेल मानसिक और स्नायु रोगों में उपयोगी।

5. बच्चों के लिए – बहुत कम मात्रा में शहद के साथ।

6. धूम्रपान (धूप रूप में) – श्वास रोगों में वचा धूप से लाभ।

7. आधुनिक रूप में – कैप्सूल/टेबलेट चिकित्सक की सलाह अनुसार।

सावधानियाँ

अधिक मात्रा में सेवन से मितली और उल्टी हो सकती है।

गर्भवती महिलाओं और बहुत छोटे बच्चों को बिना चिकित्सक की सलाह के न दें।

उचित मात्रा और अवधि वैद्य की देखरेख में ही उपयोग करें।

संक्षेप में, वचा (Vacha) एक अद्भुत बुद्धिवर्धक, स्मृतिवर्धक और वाणी सुधारक औषधि है। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए उपयोगी है, विशेषकर मानसिक शक्ति और वाणी दोष में तो यह अमृत समान है।

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