Future TALES

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16/08/2021

!! मृत्यु के १४ प्रकार !!

राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा:- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा ?
रावण बोला:– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे ?
अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है।

तब अंगद ने मृत्यु के 14 प्रकार बताए !!

कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा।
अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।
सदारोगबस संतत क्रोधी।
विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।
तनुपोषक निंदक अघखानी।
जीवत शव सम चौदह प्रानी।।

1. कामवश:- जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।

2. वाममार्गी:- जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।

3. कंजूस:- अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याणकारी कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृतक समान ही है।

4. अति दरिद्र:- गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वह भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। गरीब आदमी को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है। दरिद्र-नारायण मानकर उनकी मदद करनी चाहिए।

5. विमूढ़:- अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ ही होता है। जिसके पास बुद्धि-विवेक न हो, जो खुद निर्णय न ले सके, यानि हर काम को समझने या निर्णय लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो। ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृतक समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को नहीं समझता।

6. अजसि:- जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर-परिवार, कुटुंब-समाज, नगर-राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।

7. सदा रोगवश:- जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।

8. अति बूढ़ा:- अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों अक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार वह स्वयं और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।

9. सतत क्रोधी:- 24 घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृतक समान ही है। ऐसा व्यक्ति हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता। पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है। क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरकगामी होता है।

10. अघ खानी:- जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है।

11. तनु पोषक:- ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो, ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकी किसी अन्य को मिलें न मिलें, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं। शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है, क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है।

12. निंदक:- अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नजर आती हैं। जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है। ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी न किसी की बुराई ही करे, वह व्यक्ति भी मृत समान होता है। परनिंदा करने से नीच गोत्र का बंध होता है।

13. परमात्म विमुख:- जो व्यक्ति ईश्वर यानि परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं, हम जो करते हैं वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।

14. श्रुति संत विरोधी:- जो संत, ग्रंथ, पुराणों का विरोधी है, वह भी मृत समान है। श्रुत और संत, समाज में अनाचार पर नियंत्रण (ब्रेक) का काम करते हैं। अगर गाड़ी में ब्रेक न हो, तो कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है। वैसे ही समाज को संतों की जरूरत होती है, वरना समाज में अनाचार पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।

अतः मनुष्य को उपरोक्त चौदह दुर्गुणों से यथासंभव दूर रहकर स्वयं को मृतक समान जीवित रहने से बचाना चाहिए।

‼️ मेरे प्रभु मेरे श्रीराम ‼️
‼️ जय श्री सीताराम ‼️
___________________________

इस हिसाब से आप समझ सकते हैँ की तुलसीदास जी ने अपनी विद्वता से पहले ही शोध करके प्रमाणित कर दिया की #वामपंथी भी मृत ही माने जाएं 👍👍👍

13/08/2021

कल नाग पंचमी 13 अगस्त, दिन शुक्रवार को पड़ रहा है।
पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह में 05:49 बजे 08:28 बजे तक का है।
आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिन्हें नाग पंचमी के दिन करने से काल सर्प तथा सर्प दोष के बुरे प्रभाव में कमी आती है और धन- सम्पदा की प्राप्ति होती है।

1- काल सर्प दोष के बुरे प्रभाव के निवारणर्थ नाग पंचमी के दिन से 41 दिन तक लगातार सुबह श्री सर्पसूक्त का पाठ करे अथवा श्रवण करे, यह एक सिद्ध प्रयोग हैं ।

2- काल सर्प दोष से पीड़ित साधक को चाहिए की वह नाग पंचमी के दिन चांदी , ताम्बे अथवा मिटटी का नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाये , इससे कुण्डली में काल सर्प दोष का बुरा प्रभाव कम होता है, साथ ही धन लाभ भी होता है।

3- काल सर्प दोष से पीड़ित साधक नाग पंचमी के दिन रोली / कुमकुम से भोजपत्र पर स्वास्तिक बनाकर पूजन करें। स्वास्तिक पर बेल पत्र अर्पित कर ॐ नागेन्द्रहाराय नमः मंत्र का तथा अपने इष्ट मंत्र का 108 जाप करें। उस अभिमंत्रित स्वास्तिक को कण्ठे में लाल धागे से गले में धारण करें। ऐसा करने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है ,धन लाभ होता है।

4- जिस व्यक्ति की कुण्डली में राहु-केतु की महादशा के कारण बने हुए काम बिगड़ रहे हों।उन्हें इस नाग पंचमी पर चांदी या पंच धातु के नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

5- नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर या मिट्टी से नाग देवता की आकृति बना कर उनका पूजन करें और इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और सर्प दोष, सर्प भय से मुक्ति प्रदान करते हैं और घर में समृद्धि का आगमन होता है।
ॐ नवकुलाय विद्महे, विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात

6- नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के वासुकी नाग और भगवान विष्णु के शेषनाग का पूजन करने से भी सभी संकट दूर होते हैं ।

How bangles can change your life?An Astrological AspectConsidered as a part of Solah Shringhar, bangles have been worn i...
27/07/2021

How bangles can change your life?

An Astrological Aspect
Considered as a part of Solah Shringhar, bangles have been worn in Indian tradition for ages. Be it someone’s marriage or any other festive occasion it is considered incomplete without these beautiful ornaments. They add to the beauty of a woman’s hands and also have health benefits. For the latter reason, men also wear it in the form of a bracelet. But apart from the above mentioned two benefits, they are also supposed to be a symbol of luck and fortune. In addition, they can change one’s destiny and fill one’s life with happiness. However, the lucky color of bangles varies and is different for each Zodiac Sign. In this article, we will be reading, which colored bangles each zodiac should wear and also about the benefits of wearing bangles.

Aries
The red color is lucky for you. Hence, wearing the red colored bangles will enhance your luck and change yours as well as your beloved’s life for good.

Ta**us
Wearing golden or brown colored bangles is highly beneficial to you. It will lead to the success of your husband or if you are unmarried will bring you luck.

Gemini
The girls or women of Gemini zodiac should always wear at least two bangles of pink color in each of their hands. It will bring good luck and fortune in their life.

Cancer
Wearing yellow or orange color is highly beneficial for Cancer women. This color brings happiness, enhances your luck, and fill it with brightness.

Leo
Leo women should wear green colored bangles as it will bring wealth and prosperity in their families. Also, it is good for unmarried girls as it is beneficial for those having delay in marriage.

Virgo
Wearing violet or purple colored bangles are highly beneficial for Virgo women and girls. It will eradicate all the troubles of their life and bring them happiness.

Libra
Wearing light green colored bangles is highly beneficial for Libra. It will be beneficial and will bring them luck.

Scorpius
Wearing eight orange-colored are considered beneficial for Scorpius women. This color brings happiness, enhances your luck, and is considered auspicious.

Sagitarrius
The girls or women of Sagitarrius zodiac should wear nine yellow bangles as it is considered auspicious for them. It is believed to bring them good luck and fortune.

Capricorn
These women should always wear dual-colored. Any two-colored bangles could be fused and worn as it is beneficial for them. This opens the door to endless opportunities and makes one’s life hassle-free.

Aquarius
The girls or women of this zodiac sign should avoid wearing light colors and wearing dark-colored ones is advisable for them. It will strengthen your relations with your acquaintances and bring sweetness to your life.

Pisces
Wearing at least two bangles of orange color in their hand is considered good for women with this zodiac sign. They can also wear any other color along with orange. This will bring happiness and luck in their life.

Benefits
From earlier times, bangles have been considered a symbol of beauty and good luck for women. Not only it adds beauty to their hands, but it also keeps them healthy and maintains mental stability. Mostly circular in shape, they are symbolic of planet Jupiter, Mercury, and the moon. Also, wearing them ensures a successful married life as well as success in a career.

Which Bangles to wear?
The plastic bangles attract the negativity from the surroundings hence it is not at all advisable to wear plastic bangles while the glass ones are considered to bring good luck. The shingling sound of the glass bangles is also believed to fill the environment with positive energy. Wearing gold or silver is also beneficial as it increases one’s vigor and also adds some more years to one’s life span. When they come in contact with one’s body, this element strengthens it and hence is beneficial in improving health conditions. Science also believes in the importance of bangles and recommends wearing the ones made from natural elements. Wearing bangles made of natural metals strengthens one’s bones, removes the negative energy from home, and ensures the longevity of their husband.

11/03/2021

🚩🌹🔱ॐ नमः शिवाय 🙏आशुतोष शशांक शेखर चंद्र मौली चिदंबरा ! कोटि कोटि प्रणाम शंभु कोटि नमन दिगम्बरा॥ निर्विकार ॐ कार अविनाशी तुम्हीं देवाधिदेव! जगत सृजक प्रलयकर्ता शिवम सत्यम सुंदरा॥ निरंकार स्वरुप कलेश्वर महा योगीश्वर! दयानिधि दानीश्वर जय जटाधार अभयंकरा॥ शूल पाणी त्रिशूलधारी औघडि बाघम्बरी!जय महेश त्रिलोचनायम विश्वनाथ विशम्भरा॥ नाथ नागेश्वर हरो हर पाप श्राप अभिशापतम! महादेव महान भोले सदाशिव शिव शंकरा॥ जगत पती अनुरक्ति भक्ति सदैव तेरे चरण हो! क्षमा हो अपराध सब जय जय जयती जगदीश्वरा॥ जनम जीवन जगत क़ा संताप ताप मिटै सभी ॐ नमः शिवाय मन जपता रहे पन्चाक्षरा॥ आशुतोष शशांक शेखर चंद्रमौली चिदंबरा कोटि कोटि प्रणाम शंभु कोटि नमन दिगम्बरा॥🔱🌹🙏🚩

03/03/2021

जय श्री कृष्णा

12/12/2020

*"घर को तपोवन बनाने के लिए गृह पति को स्वयं तपस्वी बनना पड़ता है। भीतर से और बाहर से जैसा सांचा होगा, वैसे ही सिक्के ढलते चले जाएंगे। दर्पण में वैसी ही आकृति दीखेगी जैसी कि स्वयं की होगी। परिवार का स्वरूप और वातावरण उत्कृष्ट स्तर का बनाने के लिए अपने को ऐसा बनाया जाना चाहिए जिसका अनुकरण परिवार के सदस्यगण स्वयं ही करने लगे।"*🙏

23/11/2020
05/11/2020

प्राचीन अरबों ने सिन्ध को सिन्ध ही कहा तथा भारतवर्ष के अन्य प्रदेशों को हिन्द निश्चित किया। सिन्ध से हिन्द होने की बात बहुत ही अवैज्ञानिक है। इस्लाम मत के प्रवर्तक मोहम्मद के पैदा होने से 2300 वर्ष पूर्व यानि लगभग 1800 ईश्वी पूर्व भी अरब में हिंद एवं हिंदू शब्द का व्यवहार ज्यों का त्यों आज ही के अर्थ में प्रयुक्त होता था।

अरब की प्राचीन समृद्ध संस्कृति वैदिक थी तथा उस समय ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, धर्म-संस्कृति आदि में भारत (हिंद) के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध थे। हिंद नाम अरबों को इतना प्यारा लगा कि उन्होंने उस देश के नाम पर अपनी स्त्रियों एवं बच्चों के नाम भी हिंद पर रखे ।

अरबी काव्य संग्रह ग्रंथ ‘ सेअरूल-ओकुल’ के 253वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम की कविता है जिसमें उन्होंने हिन्दे यौमन एवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया है । ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता नयी दिल्ली स्थित मन्दिर मार्ग पर श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) की वाटिका में यज्ञशाला के लाल पत्थर के स्तम्भ (खम्बे) पर काली स्याही से लिखी हुई है, जो इस प्रकार है -

” कफविनक जिकरा मिन उलुमिन तब असेक ।

कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू ।1।

न तज खेरोहा उड़न एललवदए लिलवरा ।

वलुकएने जातल्लाहे औम असेरू ।2।

व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादेव ओ ।

मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व सयत्तरू ।3।

व सहबी वे याम फीम कामिल हिन्दे यौमन ।

व यकुलून न लातहजन फइन्नक तवज्जरू ।4।

मअस्सयरे अरव्लाकन हसनन कुल्लहूम ।

नजुमुन अजा अत सुम्मा गबुल हिन्दू ।5।

अर्थात् – (1) वह मनुष्य, जिसने सारा जीवन पाप व अधर्म में बिताया हो, काम, क्रोध में अपने यौवन को नष्ट किया हो। (2) अदि अन्त में उसको पश्चाताप हो और भलाई की ओर लौटना चाहे, तो क्या उसका कल्याण हो सकता है ? (3) एक बार भी सच्चे हृदय से वह महादेव जी की पूजा करे, तो धर्म-मार्ग में उच्च से उच्च पद को पा सकता है। (4) हे प्रभु ! मेरा समस्त जीवन लेकर केवल एक दिन भारत (हिंद) के निवास का दे दो, क्योंकि वहाँ पहुँचकर मनुष्य जीवन-मुक्त हो जाता है। (5) वहाँ की यात्रा से सारे शुभ कर्मो की प्राप्ति होती है, और आदर्श गुरूजनों (गबुल हिन्दू) का सत्संग मिलता है

22/08/2020
20/08/2020

दो महिलाएं एक पेपर सॉल्व करती हैं।
एक शहरी है और अपने घर के बाहर बनी दुकान संभालती है।
दूसरी ग्रामीण है और खेत में काम करती है!

प्रश्नपत्र कुछ ऐसा है।
1.नेस्ले कम्पनी कौन कौन से प्रोडक्ट बनाती है?
2.सुपरमैक्स ब्लेड पैकेट की क्या कीमत है?
3.वोडाफोन का कस्टमर केयर नम्बर बताइये।
4.हमारे देश का क्या नाम है?
5.गाय और भैंस के दूध में से फैट किसमें अधिक होता है?

स्वाभाविक है, शहरी महिला अधिक नम्बर लाएगी।

अब प्रश्नपत्र थोड़ा बदल देते हैं।
1.मूंग की बुवाई किस ऋतु में होती है?
2.फसल काटने के औजारों के नाम लिखिए।
3.टिटहरी अपने अंडे कहाँ देती है?
4.हमारे देश का क्या नाम है?
5.गाय और भैंस के दूध में से किसमें फैट अधिक होता है?

इस बार ग्रामीण महिला बाजी मार जाएगी।
देश के कम्पीटिशन एग्जाम में भी वस्तुपरकता होनी चाहिए।

जब बात उच्चतम श्रेणी की आईएएस वगैरह परीक्षाओं की हो जहां गलाकाट स्पर्धा होती है, वहाँ एक वर्ग को ऐसा विषय चयन करने की छूट दी गई है, जिसके बारे में दूसरे बिल्कुल अंधे हैं, तब वस्तुपरकता समाप्त हो जाती है।

तटस्थता, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, पारदर्शिता जैसी शब्दावली पर वामपंथियों ने जुगाली तो बहुत की है लेकिन अंदर ही अंदर पूरा इंतजाम इस बात का किया गया है कि उनके इकोसिस्टम से इतर, अन्य कोई घुसपैठ न कर सके।

लेकिन जैसे राहु ने अमृतपान करने को बनाई विष्णुजी की लाइन में छल से घुसपैठ कर दी, ठीक वैसे ही देश के भाइजान वर्ग ने इसमें भी जुगत भिड़ा दी।

जहां एक एक अंक की गलाकाट स्पर्द्धा है, वहां इन्होंने #इस्लामिक_स्टडीज नाम से एक पूरा पेपर ही ऑप्शन में ऐड करा दिया है। बाकी देश में माहौल ही ऐसा है कि एक बच्चे को तो रोने से भी पहले, स्तन उसके मुँह में ठूँस दिया जाता है और दूसरा रो रो के मर जाये तो भी पूछने वाला कोई नहीं!!

UPSC में मुस्लिम स्टडीज विषय शामिल करने से सभी गैर मुस्लिम स्वाभाविक रूप से पिछड़ जाते हैं और इस तरह वे ठगा सा महसूस करते हैं, इसलिए अब इन्हें कोर्ट की शरण लेकर इस विषय को हटवाना चाहिए।

यह जो तर्क दिया जाता है कि बदले में हिन्दू स्टडीज अथवा वेद अध्ययन को शामिल किया जाए, यह बहुत फूहड़ तर्क है। इसमें हिन्दू पक्का मात खायेगा क्योंकि ये विषय इतने विस्तृत हैं कि वर्तमान में 99%लोगों के लिए स्लामिक स्टडीज से भी ज्यादा दुरूह हैं।

हिन्दू क्या कोई छोटा मोटा दर्शन है जो एक पेपर में शामिल हो जाये। वेद क्या कोई कुरान जैसी किताब है जो आप झट से रट्टा मार लेंगे? हिन्दू एक जीवन शैली है, जीवन शैली अनेक अंतर्विरोधों से भरी हुई होती है और उसे किसी फिक्स साँचे में नहीं ढाला जा सकता।
हिन्दू स्टडीज सुनते ही सारे मठ-महंत अपने अपने पंथ को सम्मिलित कराने में लट्ठ भांजने लगेंगे। अतः यह कलह लगाने का नासमझी का कदम सोचना भी नहीं चाहिए।
अस्तु.....

इसकी बजाय, इस्लामिक स्टडीज के बदले घरेलू और लोकल बिजनेस के पेपर होने चाहिए, किसी शास्त्र के एक अंश या जीवनशैली जिससे वैसा का वैसा बैलेंस स्थापित हो। मान लो कि वेद हो तो वेद के भी एक विषय, केवल पुरूष सूक्त पर एक अलग पेपर हो, या कठोपनिषद पर एक अलग पेपर हो, या वाक्यपदीय पर ही एक पेपर हो।
मैं तो कहता हूँ, केवल हनुमान चालीसा ही स्वयं में एक पूरा ग्रंथ है, उस पर पेपर होना चाहिये।

याद तो होगा न कि जब एक समुदाय अपनी इबादत सड़कों पर करने निकला तो बदले में सड़क पर हनुमान चालीसा शुरू किया और संतुलन बन गया।

लेकिन यदि इतनी हिम्मत नहीं है और जानकारी भी नहीं है और इच्छा शक्ति भी नहीं है तो कोर्ट की शरण लेकर इस बैकडोर एंट्री के दरवाजे को रोका जा सकता है।
बाद में यदि जोर होगा तो पुरानी भर्तियों को भी स्थगित करवाया जा सकता है।
आज प्रयत्न करेंगे तो आगे में कुछ करने की स्थिति में होंगे।

"निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता और तटस्थता वाले वामपंथी" तो आजकल सोशल मीडिया से ही विदा ले रहे हैं किंतु हमारी लड़ाई यहीं तक नहीं रुकनी चाहिए।
इतने भर से संतुष्ट नहीं होना।
हिसाब किताब पूरा करना चाहिए।

साभार JAI PRAKASH TRIPATHI

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