RAJ KAMAL BHATT

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मार?

06/12/2022
था साथी तेरा घोड़ा चेतक,जिस पर तू सवारी करता था।थी तुझमे कोई खास बात,कि अकबर तुझसे डरता था॥ #पुण्यतिथि पर शत शत नमन
19/01/2022

था साथी तेरा घोड़ा चेतक,
जिस पर तू सवारी करता था।
थी तुझमे कोई खास बात,
कि अकबर तुझसे डरता था॥

#पुण्यतिथि पर शत शत नमन

02/01/2022
जिज्ञासा : विद्वान और विद्यावान में क्या अंतर है ?उत्तर : कई आलेखों में शिक्षित और एज्युकेटेड में बहुत फर्क बताया है । आ...
27/07/2021

जिज्ञासा : विद्वान और विद्यावान में क्या अंतर है ?

उत्तर : कई आलेखों में शिक्षित और एज्युकेटेड में बहुत फर्क बताया है । आज यह सटीक उदाहरण प्रस्तुत है।
विद्वान व विद्यावान में अंतर समझना हो तो हनुमान जी व रावण के चरित्र के अंतर को समझना पडे़गा।प्रारंभ करते हैं,श्री हनुमान चालीसा से।
तुलसी दास जी ने हनुमान को विद्यावान कहा, विद्वान नहीं।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
अब प्रश्न उठता है कि क्या हनुमान जी विद्वान नहीं थे ? जब वे विद्वान नहीं थे तो वे विद्यावान कैसे हुए ??
विद्वान और विद्यावान में वही अंतर है जो Highly Qualified (उच्च शिक्षित) और Well Qualified (सुशिक्षित) लोगों में है। इन दोनों में बहुत ही सूक्ष्म किंतु वास्तविक अन्तर है। उदाहरणार्थ रावण विद्वान है और हनुमानजी विद्यावान हैं।
रावण के बारे में कहा जाता है कि उसके दस सिर थे। वास्तव में यह एक प्रतीकात्मक वर्णन है। चार वेद और छह शास्त्र, दोनों मिलाकर दस होते हैं। इन्हीं को दस सिर कहा गया है। जिसके सिर में ये दसों भरे हों, वही दशशीश है।
रावण वास्तव में विद्वान है किंतु विडम्बना देखिए कि वह सीताजी का हरण कर लाया।
विद्वान प्रायः अपनी विद्वता के कारण दूसरों को शान्ति से नहीं रहने देते। उनका अभिमान, दूसरों की सीता रूपी शान्ति का हरण कर लेता है जबकि हनुमान जी उन्हीं खोई हुई सीता रुपी शान्ति को वापस भगवान से मिला देते हैं।
हनुमान जी ने कहा -
विनती करउँ जोरि कर रावन।
सुनहु मान तजि मोर सिखावन॥
हनुमान जी ने हाथ जोड़कर कहा कि मैं विनती करता हूँ तो प्रश्न उठता है कि क्या हनुमान जी में बल नहीं है?
नहीं ! ऐसी बात नहीं है। विनती दोनों करते हैं - जो "भय" से भरा हो या जो "भाव" से भरा हो।
रावण ने कहा, "तुम हो क्या ! यहाँ देखो, कितने लोग हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़े हैं ?"
कर जोरे सुर दिसिप विनीता।
भृकुटी विलोकत सकल सभीता॥
यही अंतर है विद्वान और विद्यावान में।
हनुमान जी गये थे रावण को समझाने। यहाँ विद्वान और विद्यावान का मिलन है।
रावण के दरबार में देवता और दिग्पाल भय से हाथ जोड़े खड़े हैं और भृकुटी की ओर देख रहे हैं परन्तु हनुमान जी भय से हाथ जोड़कर नहीं खड़े हैं।
रावण ने कहा भी -
कीधौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही।
देखउँ अति असंक शठ तोही॥
"तूने मेरे बारे में सुना नहीं है ? तू बहुत निडर दिखता है!”
हनुमान जी बोले - आवश्यक नहीं कि तुम्हारे सामने जो आये, डरता हुआ ही आये!”
रावण बोला – “देख ! यहाँ जितने देवता और अन्य खड़े हैं, वे सब डरकर ही खड़े हैं।”
हनुमान जी बोले - “उनके डर का कारण है कि वे "तुम्हारी" भृकुटी की ओर देख रहे हैं।”
भृकुटी विलोकत सकल सभीता....
परन्तु मैं भगवान राम की भृकुटी की ओर देखता हूँ। उनकी भृकुटी कैसी है? जानना है ? तो सुनो....
भृकुटी विलास सृष्टि लय होई।
सपनेहु संकट परै कि सोई॥
(जिनकी भृकुटी टेढ़ी हो जाये तो प्रलय आ जाये और उनकी ओर देखने वाले पर स्वप्न में भी संकट न आये। मैं उन श्रीराम जी की भृकुटी की ओर देखता हूँ।
रावण बोला - “यह विचित्र बात है। जब राम जी की भृकुटी की ओर देखते हो तो हाथ हमारे आगे क्यों जोड़ रहे हो?" तुमने ही कहा था न कि
विनती करउँ जोरि कर रावन।
हनुमान जी बोले – “यह तुम्हारा भ्रम है। हाथ मैं तुम्हें नहीं उन्हीं श्री राम जी को जोड़ रहा हूँ।”
रावण बोला - “वह यहाँ कहाँ हैं ?”
हनुमान जी ने कहा कि "यही तो समझाने आया हूँ।" मेरे प्रभु श्री राम जी ने कहा था -
सो अनन्य जाकें असि, मति न टरइ हनुमन्त।
मैं सेवक सचराचर, रूप स्वामी भगवन्त॥
" भगवान ने कहा है कि सबमें मुझको देखना। इसीलिये मैं तुम्हें नहीं, *बल्कि तुझमें भी भगवान को ही देख रहा हूँ।”
रावण ने पूछा कि तब तुमने ये क्यों कहा ....तुमने मुझे प्रभु व स्वामी क्यों कहा ....
खायउँ फल प्रभु लागी भूखा।
सबके देह परम प्रिय स्वामी॥
यहाँ हनुमान जी रावण को प्रभु और स्वामी कहते हैं ! जबकि रावण हनुमानजी को खल और अधम कहकर सम्बोधित करता है।
मृत्यु निकट आई खल तोही।
लागेसि अधम सिखावन मोही।
विद्यावान का लक्षण यही है। अपने को गाली देने वाले में भी जिसे भगवान दिखाई दे, वही विद्यावान है।
विद्यावान के लक्षण बताते हुए ही कहा गया है -
विद्या ददाति विनयं।
विनयात् याति पात्रताम्.....
शिक्षा प्राप्त करके जो विनम्र हो जाये, वह विद्यावान है पर जो पढ़ लिखकर अपनी विद्वता के घमंड में अकड जाये, वह विद्वान तो हो सकता है लेकिन विद्यावान नहीं
तुलसी दास जी कहते हैं:-
बरसहिं जलद भूमि नियराये।
जथा नवहिं वुध विद्या पाये॥
(जैसे बादल जल से भरने पर नीचे आ जाते हैं, वैसे ही विचारवान व्यक्ति विद्या पाकर विनम्र हो जाते हैं।)*
इसी प्रकार हनुमान जी हैं "विनम्र" और रावण है - "विद्वान।"
"विद्वान कौन" के उत्तर में कहा गया है कि जिसकी मानसिक क्षमता तो उच्च हो किन्तु वैचारिक स्तर निम्न हो, साथ ही हृदय में अभिमान भी मल की भाँति भरा हुआ हो .....
अब प्रश्न है कि विद्यावान कौन ?
उत्तर है कि जिसके हृदय में भगवान हो और जो दूसरों के हृदय में भी भगवान को बैठाने की बात करे, जो किसी को भी कभी अपने से कमतर नहीं आंके, वही सच्चे अर्थों में विद्यावान है।
हनुमान जी ने कहा– “रावण ! तुम विद्वान तो हो किन्तु तुम्हारा हृदय उत्तम नहीं है। यदि तुम अपने हृदय में सुधार करना चाहते हो तो मेरा परामर्श मानो ...
राम चरन पंकज उर धरहू।
लंका अचल राज तुम करहू॥
(अपने हृदय में राम जी को बैठा लो और फिर आनंदपूर्वक लंका में राज करो।)
यहाँ हनुमान जी रावण के हृदय में भगवान को बैठाने की बात करते हैं, इसलिये वे विद्यावान हैं।
मनुष्य को केवल विद्वान नहीं अपितु सदैव विद्यावान बनने का प्रयत्न करना चाहिए। इसी तरह ऊंची - ऊंची उपाधियां प्राप्त कर कोई विद्वान तो बन सकता है किन्तु विद्यावान नहीं बन सकता। ऊंची - ऊंची उपाधियां प्राप्त कर आप Highly Qualified तो कहला सकते हैं किन्तु Well Qualified नहीं।
पुस्तकों से जो कुछ आप प्राप्त करते हैं, वह मात्र सूचना(Information) भर है। जब आप इन सूचनाओं को अपने आचरण में उतारते हैं, पढ़ी हुई बातों के अनुसरण में जीवन जीने का प्रयास करते हैं, तभी वह ज्ञान है।
किसी ने सच ही कहा है कि उपाधियां (Degrees) तो मात्र कागज का टुकडा़ भर है; योग्यता तो वह है, जो आपके आचरण में, आपके व्यवहार में झलकती है। इतना ही नहीं आपने सुना होगा कि knowledge is power, आपने गलत और अधूरा सुना है;
knowledge is not a power, applied knowledge is power यानि ज्ञान को जब आचरण व व्यवहार में उतारा जाता है, तभी वह आपकी शक्ति बनती है।
यदि आप वास्तव में Qualified हैं तो आपको कभी किसी को बताने की आवश्यकता नहीं पडे़गी कि आप कितने Qualified हैं। आपका Qualification आपके व्यवहार व आचरण में झलक जाता है। अतः हम चाहे Highly Qualified बने या न बने, हमे Well Qualified बनने का प्रयास अवश्य करना चाहिए..!!
🙏🏻🙏🏼🙏🏿
जय श्री राम
🙏🏽🙏🙏🏾
साभार

27/07/2021

हॉलीवुड फिल्म का वह दृश्य....जिसमें मानव जाति को संभावित खतरे से पूरी सच्चाई से आगाह कर दिया है।

27/07/2021

भारत की समस्या केवल उसकी जनसंख्या ही नहीं है। क्योंकि यदि ऐसा होता तो चीन अंतराष्ट्रीय भिखारी देश होता और नेपाल जैसा छोटा देश सुपर पावर होता।

कहानी का सार ये है कि खुजली कहीं और हो रही है,लेकिन खुजलाया कहीं और जा रहा है।

#असक्षम नेतृत्व👍

26/07/2021

फेसबुक मित्रों में लगातार वृद्धि हो रही है,मित्र सूची ने अधिकतम संख्या को छू लिया है।इसलिए पेज बनाने की जरूरत महसूस हुई।

Welcome ALL FRIENDS 💝🙏

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