16/10/2025
मिली हैं रूहें तो, रस्मों की बंदिशें क्या है,
यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है, फिर रंजिशें क्या हैं ।
है छोटी सी ज़िन्दगी तकरारें किस लिए,
रहो एक दूसरे के दिलों में ,
यह दीवारें किस लिए ।
खुशी के फूल उन्हीं के दिलों में खिलते हैं,
जो इंसान की तरह इंसानों से मिलते हैं ।।