28/09/2025
मेरे पास इनायत आई तो उसके स्वर में थकान और मन में बोझ था।
उसने कहा: “लोग मुझे अहंकारी और दबंग कहते हैं, जबकि मैं जानती हूँ कि मैं वैसी नहीं हूँ। मेरी छोटी बहन तान्या तो हर बार मुझे अपनी कहानी का खलनायक बना देती है।”
शुरुआत में ऐसा लगा कि इनायत बस सफाई चाहती है — कोई यह माने कि वह निर्दोष है। लेकिन जैसे-जैसे सेशंस आगे बढ़े, परतें खुलने लगीं और गहरी समझ सामने आई।
बचपन में तान्या को हमेशा सुना गया।
उसकी बातों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाता था, पर उसे बार-बार यह कहा जाता था: “अब आगे बढ़ो, रोने से क्या होगा?”
यानी उसकी भावनाओं को आधी जगह मिलती थी — सुनी जातीं, पर पूरी स्वीकार नहीं होतीं।
नतीजा यह हुआ कि तान्या वहीं अटक गई। उसने अपने भीतर यह पैटर्न बसा लिया कि वह खुद को आगे बढ़ाना ही नहीं चाहती, बल्कि दूसरों को दोष देना आसान है।
इनायत की स्थिति
इनायत पर बड़ी बहन होने का दबाव था।
वह सुनती तो तान्या कहती: “तुम मुझे धकेलती हो।”
वह चुप रहती तो तान्या कहती: “तुम मुझे समझती ही नहीं।”
हर हाल में इनायत को दोषी ठहराया जाता।
धीरे-धीरे इनायत को यह महसूस हुआ कि तान्या की उम्मीदें इतनी ऊँची हैं कि चाहे वह कुछ भी करे, वह उसकी कहानी में विलेन ही बनेगी।
Inner child work में इनायत ने तान्या को छोटी बच्ची के रूप में देखा —
ध्यान माँगती हुई, पर लगातार धकेली जाती हुई।
उस पल इनायत को समझ आया:
"उसकी लड़ाई मुझसे नहीं है, उसकी अपनी अधूरी जगह से है।"
इस बोध के बाद इनायत के भीतर हल्कापन आया। वह ग़ुस्से या अपराध-बोध में नहीं रही, बल्कि स्पष्टता में आई।
इनायत ने कहा:
✨ “मैं उसे दोष नहीं देती और अब अपने लिए दोष भी नहीं लूँगी।
मैं अपनी individuality चाहती हूँ।
मैं अपनी boundaries बनाती हूँ — ताकि न मैं आहत होऊँ, न वह मेरी वजह से आहत हो।”
यह केस दर्शाता है कि रिश्तों में खलनायक कोई व्यक्ति नहीं होता, बल्कि पुराने पारिवारिक पैटर्न होते हैं।
तान्या को बचपन में सुना तो गया, लेकिन आगे बढ़ने के लिए बार-बार दबाव डाला गया। इसी कारण उसने अपनी ऊर्जा blame और victimhood में अटका दी।
इनायत लगातार उसकी कहानी की “विलेन” बनी रही — जब तक कि उसने थेरेपी में यह नहीं समझा कि blame स्वीकार करना उसकी ज़िम्मेदारी नहीं है।
इनायत की healing यही थी:
उसने दूसरों की उम्मीदों से खुद को अलग किया। blame से बाहर निकलकर अपनी individuality चुनी।
और boundaries बनाईं — जो न केवल उसे बल्कि तान्या को भी सुरक्षित रख सकती हैं।
इस केस का सार यही है —
थेरेपी हमें दोष लेने या देने से बाहर निकालती है और यह सिखाती है कि स्वस्थ रिश्ते केवल तभी बन सकते हैं जब दोनों पक्षों को अपनी भावनाओं के लिए जगह मिले, और हर कोई अपनी सीमाओं के साथ जीना सीखे।
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