Vani janch ghar.Pathology Centre,Adlipur, Neora

Vani janch ghar.Pathology Centre,Adlipur,  Neora CONTACT FOR ANY TYPE PATHOLOGICAL TEST AT YOUR DOOR.

09/11/2022
Our new centre in Khagaul .Vani Janch Ghar, Near Dr. Ranjana Pandey, Anandpuri, Khagaul. Mob 9708367731, 7004160565.
07/02/2022

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Vani Janch Ghar, Near Dr. Ranjana Pandey, Anandpuri, Khagaul.
Mob 9708367731, 7004160565.

19/06/2019
09/11/2018

रूबेला वायरस के बारे में कितना जानते हैं आप ? जानें खतरा और लक्षण

देश के 12 राज्यों के 9 महीने से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों को रूबेला का टीका लगवाया जायेगा।


रूबेला वायरस जिसे जर्मन खसरा भी कहा जाता है इसकी चर्चा आजकल भारत में बहुत ज्यादा हो रही है। देश के 12 राज्यों में एक बड़ा अभियान चलाकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा रूबेला से बचने के लिए टीकाकरण करवाया जायेगा। देश के 12 राज्यों के 9 महीने से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों को रूबेला का टीका लगवाया जायेगा।
दल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, असम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, महाराष्ट्र और बिहार में टीकाकरण का प्रोग्राम बन चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह टीका खसरे के टीके के साथ ही बनाया गया है।

कैसे फैलता है रूबेला वायरस
रुबेला एक व्यक्ति के खांसने या छींकने से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यानि यह बीमारी हवा में काफी तेजी से फैलाती है। इसका वायरस सिर्फ इंसानों से ही फैलता है। रुबेला तेजी से फैलने वाली बीमारी है, रुबेला से हल्का बुखार और रैश (लाल दाने) होते है। यह दाने चेहरे और गर्दन से शुरू होते हैं फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं।

रूबेला वायरस के फैलने का डर वहां ज्यादा होता है जहां के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके अलावा जहां के लोग कुपोषण या जीवन स्तर कमजोर होने पर भी इसकी संभावना बढ़ जाती है। इस बीमारी की जद में ज्यादातर बच्चे और महिलाएं आती है। महिलाऔं में उनमें ज्यादा खतरा रहता है जो प्रेगनेंट होती हैं।
प्रेगनेंसी में होता है ज्यादा खतरा

प्रेगनेंसी में इस वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा होता है। इसकी वजह कई बार महिलाओं को गर्भपात भी हो जाता है। अगर लक्षण के तौर पर देखा जाय तो हल्का बुखार और शरीर पर लाल दाने या चकत्ते इसके सामान्य लक्षण होते हैं। सामान्यतया गले और चेहरे से शुरू होने वाले लाल दाने धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इस वायरस के कारण प्रेगनेंट महिलाओं के होने वाले बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्यादातर देखा गया है कि होने वाला बच्चा किसी न किसी अंग को खो देता है। कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि होने वाला बच्चा मानसिक विकलांग होता है। इस वायरस के असर से डायबिटीज की बीमारी के शिकार भी बच्चे गर्भ से ही हो जाते हैं।
क्या हैं लक्षण

छीकने से फैलने वाले इस वायरस के कई लक्षण होते हैं। इसमें कान के पीछे और गले में लिम्फ ग्रंथियां सूज जाती हैं। यह सबसे विशिष्ट लक्षण है। इसके अलावा आंखों में दर्द व संक्रमण, गले में खराश, खांसी, गुलाबी-लाल चकत्ते, नाक बहना, सिर दर्द, हल्का बुखार, हलकी गुलाबी आंखें, सर्दी जुकाम के लक्षण

22/06/2018
22/01/2018

5 लाँख की गाडी मे कभी मिट्टी का तेल नही डालते
क्यों ?
गाडी का इंजन खराब हो जायेगा...
5 लाँख की गाडी की आपको इतनी चिंता है..?
कभी मुँह मे शराब या गुटका डालने के पहले सोचा की किडनी , लिवर खराब हो गया
तो...??
करोडो के इस अनमोल शरीर के इंजन की भी उतनी ही चिंता करो जितनी अपनी गाडी की करते हो...
दुनियाँ के लिए आप एक व्यक्ति हैं , लेकिन परिवार के लिए आप पूरी दूनियाँ हैं
आप अपना ख्याल रखें
गुटखा , बीड़ी , सिग्रेट, शराब जैसे व्यसन से दुर रहीये
यह मेसेज हर इंसान को भेजिए
शायद
किसी की जिंदगी बदल जाये

01/12/2017

*साढ़े तीन मिनिट: डॉक्टर की सलाह!*

डॉ.के.पी.सिंह(Goldmedalist)
कैंसर रोग विशेषज्ञ
दिल्ली

*जिन्हें सुबह या रात में सोते समय पेशाब करने जाना पड़ता हैं उनके लिए विशेष सूचना!!*

हर एक व्यक्ति को इसी साढ़े तीन मिनिट में सावधानी बरतनी चाहिए।

*यह इतना महत्व पूर्ण क्यों है?*
यही साढ़े तीन मिनिट अकस्माक होने वाली मौतों की संख्या कम कर सकते हैं।

जब जब ऐसी घटना हुई हैं, परिणाम स्वरूप तंदुरुस्त व्यक्ति भी रात में ही मृत पाया गया हैं।

ऐसे लोगों के बारे में हम कहते हैं, कि कल ही हमने इनसे बात की थी। ऐसा अचानक क्या हुआ? यह कैसे मर गया?

इसका मुख्य कारण यह है कि रात मे जब भी हम मूत्र विसर्जन के लिए जाते हैं, तब अचनाक या ताबड़तोब उठते हैं, परिणाम स्वरूप मस्तिष्क तक रक्त नही पहुंचता है।

यह साढ़े तीन मिनिट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

मध्य रात्रि जब हम पेशाब करने उठते है तो हमारा ईसीजी का पैटर्न बदल सकता है। इसका कारण यह है, कि अचानक खड़े होने पर मस्तिष्क को रक्त नहीं पहुच पाता और हमारे ह्रदय की क्रिया बंद हो जाती है।

साढ़े तीन मिनिट का प्रयास एक उत्तम उपाय है।

1. *नींद से उठते समय आधा मिनिट गद्दे पर लेटे हुए रहिए।*

2. *अगले आधा मिनिट गद्दे पर बैठिये।*

3. *अगले अढाई मिनिट पैर को गद्दे के नीचे झूलते छोड़िये।*

साढ़े तीन मिनिट के बाद आपका मस्तिष्क बिना खून का नहीं रहेगा और ह्रदय की क्रिया भी बंद नहीं होगी! इससे अचानक होने वाली मौतें भी कम होंगी।

आपके प्रियजनों को लाभ हो अतएव सजग करने हेतु अवश्य प्रसारित करे।

*धन्यवाद!!*

डॉ.के.पी.सिंह(Goldmedalist)
कैंसर रोग विशेषज्ञ दिल्ली

🙏निवेदन एवं आग्रह 🙏

आपको सिर्फ 10 लोगो को ये मैसेज फॉरवर्ड करना है और वो 10 लोग भी दूसरे 10 लोगों को फॉरवर्ड करें ।
बस आपको तो एक कड़ी जोड़नी है देखते ही देखते सिर्फ आठ steps में पूरा देश जुड़ जायेगा। —

अच्छा लगे तो कृपया सभी मित्र के साथ शेयर करें --
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