09/11/2018
रूबेला वायरस के बारे में कितना जानते हैं आप ? जानें खतरा और लक्षण
देश के 12 राज्यों के 9 महीने से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों को रूबेला का टीका लगवाया जायेगा।
रूबेला वायरस जिसे जर्मन खसरा भी कहा जाता है इसकी चर्चा आजकल भारत में बहुत ज्यादा हो रही है। देश के 12 राज्यों में एक बड़ा अभियान चलाकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा रूबेला से बचने के लिए टीकाकरण करवाया जायेगा। देश के 12 राज्यों के 9 महीने से 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों को रूबेला का टीका लगवाया जायेगा।
दल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखण्ड, असम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, महाराष्ट्र और बिहार में टीकाकरण का प्रोग्राम बन चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह टीका खसरे के टीके के साथ ही बनाया गया है।
कैसे फैलता है रूबेला वायरस
रुबेला एक व्यक्ति के खांसने या छींकने से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यानि यह बीमारी हवा में काफी तेजी से फैलाती है। इसका वायरस सिर्फ इंसानों से ही फैलता है। रुबेला तेजी से फैलने वाली बीमारी है, रुबेला से हल्का बुखार और रैश (लाल दाने) होते है। यह दाने चेहरे और गर्दन से शुरू होते हैं फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं।
रूबेला वायरस के फैलने का डर वहां ज्यादा होता है जहां के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके अलावा जहां के लोग कुपोषण या जीवन स्तर कमजोर होने पर भी इसकी संभावना बढ़ जाती है। इस बीमारी की जद में ज्यादातर बच्चे और महिलाएं आती है। महिलाऔं में उनमें ज्यादा खतरा रहता है जो प्रेगनेंट होती हैं।
प्रेगनेंसी में होता है ज्यादा खतरा
प्रेगनेंसी में इस वायरस के फैलने का खतरा ज्यादा होता है। इसकी वजह कई बार महिलाओं को गर्भपात भी हो जाता है। अगर लक्षण के तौर पर देखा जाय तो हल्का बुखार और शरीर पर लाल दाने या चकत्ते इसके सामान्य लक्षण होते हैं। सामान्यतया गले और चेहरे से शुरू होने वाले लाल दाने धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इस वायरस के कारण प्रेगनेंट महिलाओं के होने वाले बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्यादातर देखा गया है कि होने वाला बच्चा किसी न किसी अंग को खो देता है। कई मामलों में यह भी देखा जाता है कि होने वाला बच्चा मानसिक विकलांग होता है। इस वायरस के असर से डायबिटीज की बीमारी के शिकार भी बच्चे गर्भ से ही हो जाते हैं।
क्या हैं लक्षण
छीकने से फैलने वाले इस वायरस के कई लक्षण होते हैं। इसमें कान के पीछे और गले में लिम्फ ग्रंथियां सूज जाती हैं। यह सबसे विशिष्ट लक्षण है। इसके अलावा आंखों में दर्द व संक्रमण, गले में खराश, खांसी, गुलाबी-लाल चकत्ते, नाक बहना, सिर दर्द, हल्का बुखार, हलकी गुलाबी आंखें, सर्दी जुकाम के लक्षण