Pandit Jai Bharat Sharma - Tirth Purohit Pehowa

Pandit Jai Bharat Sharma - Tirth Purohit Pehowa I perform all Religious Rituals like Pind daan, Gati Diwa Batti, Narayan Bali, Shraddh, Pitra Dosh N

।।आदेश।।आठ मान, बत्तीस धुनी एवं शंखाढाल भंडारे के सफल आयोजन की महंत पीर योगी श्री शेरनाथ महाराज जी एवं डेरा बाबा सिद्ध ग...
28/10/2024

।।आदेश।।
आठ मान, बत्तीस धुनी एवं शंखाढाल भंडारे के सफल आयोजन की महंत पीर योगी श्री शेरनाथ महाराज जी एवं डेरा बाबा सिद्ध गरीब नाथ मठ, पिहोवा की कार्यकारणी व गुजरात से आए भक्तजनों को हार्दिक शुभकामनाएं।
हम भी सौभाग्यशाली है,जो इतनी महान शख्सियतों के दर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ।

28/06/2023

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आज आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि दिनांक 28/06/2023 दिन बुधवार विक्रमी संवत 2080 को प्राचीन माता सरस्वती मंदिर, पिहोवा से संध्या काल आरती के माता सरस्वती जी के भव्य दर्शन। माता सरस्वती आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें।

31/03/2023

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आज चैत्र मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि दिनांक 31/03/2023 दिन शुक्रवार विक्रमी संवत 2080 को प्राचीन माता सरस्वती मंदिर, पिहोवा से संध्या काल आरती के माता सरस्वती जी के भव्य दर्शन। माता सरस्वती आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें।

17/03/2023

पितरों को मोक्ष देने वाला तीर्थ पिहोवा।

कुरुक्षेत्र भूमि पर 360 तीर्थ बताए जाते हैं। इन सभी तीर्थों में पृथुदक (पिहोवा) का अपना विशेष महत्व है। गीता की जन्मस्थली और अर्जुन की रणस्थली रहा पिहोवा प्राचीन तीर्थ ही नहीं, एक ऐतिहासिक नगर भी है। महाभारत, वामनपुराण, पदम पुराण, मत्स्य पुराण, मार्कण्डेय पुराण सहित कई पुराणों में इस तीर्थ का वर्णन है। यहां सरस्वती नदी के तट पर कई पौराणिक मंदिर व तीर्थ हैं। इसका पौराणिक नाम पृथुदक है, जो वर्तमान में पिहोवा नाम से विख्यात है। पृथु+उदक के जोड़ से पृथुदक शब्द बना। यानी जहां भगवान विष्णु के नवम अंश महाराज पृथु ने अपने पित्रों को उदक (जल) दिया था। भगवान कृष्ण के कहने पर महाराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध में मारे गये अपने परिजनों व वीरों की आत्मिक शांति के लिए यहीं पर क्रियाकर्म व पिंडदान किया था। तभी से यहां पर लोग अपने पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए पिंडदान व कर्मकांड कराने आते हैं। तीर्थ पुरोहित पंडित शुभम वत्स जी ने बताया कि पिहोवा तीर्थ पुरोहित समाज भी अपनी पोथियों में यजमान की वंशावली को संजोए रखते हैं। लगभग 300 साल का रिकॉर्ड यहां तीर्थ पुरोहितों के पास है। पिहोवा का मुख्य तीर्थ सरस्वती सरोवर व वशिष्ठ प्राची तीर्थ है। लोग अपने पितरों की गति के लिए वर्षभर यहां आते रहते हैं, लेकिन पित्र पक्ष व श्राद्ध के दिनों में यहां पिंडदान करना अधिक फलदायी माना गया है। पिहोवा पितरों की मोक्ष भूमि है। प्राचीन सरस्वती नदी पिहोवा में ही दिखाई देती है। मान्यता है कि यहां पर सरस्वती ने पूर्व वाहिनी होकर ब्रह्मऋषि वशिष्ठ को विश्वामित्र के शस्त्र प्रहार से बचाया था। क्रोधित होकर विश्वामित्र ने सरस्वती को श्राप दे दिया। ऋषि मुनियों ने सरस्वती को चैत्र चतुर्दशी को उस श्राप से मुक्त किया था। तभी से यहां चैत्र चतुर्दशी को मेला लगता है। इस बार यह मेला 19 से 21 मार्च 2023 तक लगेगा। मुख्य स्नान 20 मार्च को होगा। आस्था स्नेह के इस अनुठे संगम में लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे। इस दौरान सरस्वती सरोवर के चारों ओर हवन यज्ञ होते हैं। लोग भजन-कीर्तन करते हुए पवित्र जल में स्नान करते हैं और पितरों का पिंडदान कर उन्हें तृप्त करते हैं।

समस्त देश व प्रदेश वासियों को होलिका दहन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।इस पावन पर्व पर आपके समस्त दुःखों क...
07/03/2023

समस्त देश व प्रदेश वासियों को होलिका दहन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

इस पावन पर्व पर आपके समस्त दुःखों का अंत हो, खुशियों के नए द्वार खुले और जीवन में सुख, समृद्धि एवं धन-वैभव का आगमन हो।

ॐ नम: शिवाय॥समस्त देशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान शिव जी की कृपा सभी पर बनी रहे।   ...
18/02/2023

ॐ नम: शिवाय॥

समस्त देशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान शिव जी की कृपा सभी पर बनी रहे।

#महाशिवरात्रि

वतन से इस कदर वो मोहब्बत निभा गए,मोहब्बत के दिन वतन पर वो जान लुटा गए!14 फरवरी पुलवामा अटैक आतंकी हमले में शहीद हुए वीर ...
14/02/2023

वतन से इस कदर वो मोहब्बत निभा गए,
मोहब्बत के दिन वतन पर वो जान लुटा गए!

14 फरवरी पुलवामा अटैक आतंकी हमले में शहीद हुए वीर जवानों को शत-शत नमन भावपूर्ण श्रद्धांजलि!!

21/01/2023

मौनी अमावस्या 2023: भारतीय पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 21 जनवरी 2023 (शनिवार) को आ रहा है। ऐसे में इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा तथा उपाय करने से बहुत से कार्य सिद्ध किए जा सकते हैं।
मौनी अमावस्या पर ये हैं पूजा के मुहूर्त (मौनी अमावस्या 2023 तिथि पूजा मुहूर्त)
ज्योतिषियों के अनुसार अमावस्या शनिवार को लगेगी और रविवार की रात का समापन होगा। इस तिथि पर द्विपुष्कर योग भी बन रहा है। शनि अमावस्या के मुहूर्त में निम्न प्रकार होंगे।

मौनी अमावस्या पर स्नान मंत्र (Mauni Amavasya Snan Mantra)
स्नान के वक्त ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः इस खास मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे व्यक्ति स्वर्ग में स्नान प्राप्त करता है. ये मंत्र हर कार्य में सफलता प्रदान करता है. शनिश्चरी अमावस्या के संयोग में गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है.

अमावस्या स्नान मंत्र - गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

माघ अमावस्या व्रत के क्या नियम हैं?
मौनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. इस दिन व्रत का संकल्प लेने के बाद मौन रहने का प्रयास करना चाहिए.

इस दिन भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं. माघी अमावस्या के दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए. मान्यताओं के मुताबिक माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मौनी अमावस्या प्रारंभ होने का समय – 21 जनवरी 2023 को सुबह 6.17 बजे
शनि अमावस्या के समापन का समय – 22 जनवरी 2023 को रात 2.22 बजे

शनि अमावस्या से जुड़ी ये संधियां हैं
लोक परंपराओं के अनुसार इस दिन सभी पवित्र नदियां और सरोवरों का जल अमृत के समान हो जाता है। इसलिए इस दिन पवित्र सरोवरों और नदियों में स्नान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति की शनि की दशा हो या जन्मकुंडली में शनि अशुभ हो तो उसे भी इस दिन उपाय करना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय (मौनी अमावस्या के उपाय)
इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध-त्रयस्थ और पिंडदान करना चाहिए। इससे पितरों की मुक्ति होती है एवं उनका आशीर्वाद मिलता है। यदि संभव हो तो इस दिन घर में श्रीमद्भगवतगीता का पाठ भी करना चाहिए। इससे सभी प्रकार की भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

घर में रात 9 बजे के बाद घर में राम दरबार स्थापित करें। तत्पश्चात् हनुमानजी की आराधना करें एवं सुंदरकांड का सस्वर पाठ करें। इससे घर में हो रहे विभिन्न प्रकार के क्लेशों से मुक्ति मिलेगी और घर में सुख-शांति भी आएगी।

यदि जन्मकुंडली में कोई भी अशुभ स्थिति में है तो मौनी अमावस्या पर उसका निमित्त उपाय करने से तुरंत लाभ होगा। यही नहीं, इस दिन अलग-अलग योजनाओं के निमित्त दान-पुण्य करने से उनका अशुभ प्रभाव दूर होता है। साथ ही सभी ग्रह जातक को अनुकूल प्रभाव भी देते हैं।
#मौनीअमावस्य
पंडित शुभम वत्स
तीर्थ पुरोहित पिहोवा
8901300050

🙏🏻जय बाबा ब्रह्मचारी जी🙏🏻यह फोटो मेरे पडबाबा ब्रह्मचारी जी की है। जिनकी मान्यता पांच गांवो में पूजाईमान है। उनके बारे मे...
01/01/2023

🙏🏻जय बाबा ब्रह्मचारी जी🙏🏻
यह फोटो मेरे पडबाबा ब्रह्मचारी जी की है। जिनकी मान्यता पांच गांवो में पूजाईमान है। उनके बारे में कोल्ले माजरा के प्रोफेसर दलजीत सिंह जी ने मेरे पास भेजा पढ़कर बहुत गर्व महसूस हुआ। आप भी पढ़िए।

ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਚਾਰੀ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਵਡੇਰੇ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਗਰਾਹੀ ਕਰਨ ਲਈ ਆਇਆ ਕਰਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਪਿਹੋਵਾ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਪੰਡਤ ਸਨ। ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਚਾਰੀ ਜੀ ਵੀ ਆਪਣੇ ਵਡੇਰਿਆਂ ਨਾਲ ਬਚਪਨ ਤੋਂ ਹੀ ਗਰਾਹੀ ਕਰਨ ਲਈ ਆਇਆ ਕਰਦੇ ਸਨ। ਇਕ ਵਾਰ ਜਦੋਂ ਗਰਾਹੀ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਉਹ ਪਿੰਡ ਹਰਪਾਲਪੁਰ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚੇ ਤੇ ਉਹ ਇਥੇ ਹੀ ਵੱਸ ਗਏ। ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਚਾਰੀ ਜੀ ਨੂੰ ਬਚਪਨ ਤੋਂ ਹੀ ਪ੍ਰਭੂ ਭਗਤੀ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਸੀ। ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ਪ੍ਰਭੂ ਭਗਤੀ ਵਿਚ ਲੀਨ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਜਲਦੀ ਹੀ ਬ੍ਰਹਮ ਗਿਆਨ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ। ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਹੀ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਲੋਕ ਸੇਵਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਵੱਖ ਵੱਖ ਥਾਵਾਂ ਤੇ ਜਾਂਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਪਿੰਡ ਮੰਡੋਲੀ ਅਤੇ ਕੁੱਤਾ ਖੇੜੀ ਵੀ ਗਏ।ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਪਿੰਡ ਕੋਹਲੇ ਮਾਜਰਾ ਪਹੁੰਚੇ ਤੇ ਉਥੇ ਰਹਿਣ ਲੱਗ ਪਏ। ਪਿੰਡ ਕੋਹਲੇ ਮਾਜਰਾ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਗੁਰੂ ਘਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ਇਸ ਲਈ ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਚਾਰੀ ਜੀ ਨੇ ਪਿੰਡ ਦੀ ਧਰਮਸ਼ਾਲਾ ਉੱਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਵਾਇਆ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਰਵਾਇਆ। ਬਾਬਾ ਬਰਮਚਾਰੀ ਜੀ ਇਕਾਦਸ਼ੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਸੰਗਤਾਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਵੰਡਿਆ ਕਰਦੇ ਸਨ। ਉਹੋ ਸਭ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਵੰਡਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਨੂੰ ਢੱਕ ਕੇ ਰੱਖਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਸ਼ਾਮ ਤੱਕ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਵੰਡਦੇ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਕਿ ਸੰਗਤ ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਨਹੀਂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ। ਉਹ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਖੇਤਾਂ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਮਨਾਹੀ ਕਰਦੇ ਸਨ। ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਪਿੰਡ ਵਾਲਿਆ ਨੂੰ ਬਖ਼ਸ਼ਿਸ਼ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਮੀਂਹ ਕਾਕੜੇ ਵਿੱਚ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਗੜੇਮਾਰੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ। ਜਦੋਂ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਅੰਤਿਮ ਪਲ ਨਜ਼ਦੀਕ ਆਉਣ ਲੱਗੇ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਜਾਣ ਦਾ ਸਮਾਂ ਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਸੰਗਤ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸੇ ਨੇ ਉੱਠ ਕੇ ਬਾਬਾ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਹੁਣ ਪੰਜਕਾਂ ਦੇ ਦਿਨ ਚੱਲ ਰਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪੰਜਕਾਂ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਮੌਤ ਨੂੰ ਮਾੜਾ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਬਾਬਾ ਬਰਮਚਾਰੀ ਜੀ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜੇਕਰ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਇਹ ਵਿਸ਼ਵਾਸ਼ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਪੰਜਕਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਚਲੇ ਜਾਣਗੇ। ਪੰਜਕਾਂ ਦੇ ਦਿਨ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੋਹ ਦੀ ਇਕਾਦਸ਼ੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਬਾਬਾ ਜੀ ਲੋਕ ਤੋਂ ਪਰਲੋਕ ਵੱਲ ਨੂੰ ਚਲੇ ਗਏ। ਉਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਿੰਡ ਕੋਹਲੇ ਮਾਜਰਾ ਦੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਹਰ ਸਾਲ ਪੋਹ ਦੀ ਇਕਾਦਸ਼ੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਸ੍ਰੀ ਅਖੰਡ ਪਾਠ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਭੋਗ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਲੰਗਰ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜੋ ਵੀ ਬਾਬਾ ਜੀ ਦੇ ਦਰ ਉੱਤੇ ਸੱਚੇ ਦਿਲੋਂ ਮੰਨਤ ਮੰਗਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਇੱਛਾ ਪੂਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।

आप सभी प्रदेशवासियों को मेरी व मेरे परिवार की ओर से महापर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। 🎆🎇
24/10/2022

आप सभी प्रदेशवासियों को मेरी व मेरे परिवार की ओर से महापर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। 🎆🎇

Thank you for reaching us 1000+ Likes. Big thanks to all for your support.
30/08/2022

Thank you for reaching us 1000+ Likes. Big thanks to all for your support.

ॐ श्री सद्गुरुदेवाय नमः 🌺🙏गुरु कृपा ही केवलं, शिष्यस्य परम मंगलम !गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की आप सभी को बहुत-बहुत शुभक...
13/07/2022

ॐ श्री सद्गुरुदेवाय नमः 🌺🙏
गुरु कृपा ही केवलं, शिष्यस्य परम मंगलम !
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
गुरु जी के चरणो में कोटि-कोटि नमन।

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