Herbal Engineer

Herbal Engineer Yashraj is brand under which there are many products like dhoop, hair oil, aura, herbal face pack I mixed up very nicely which is called "Shuri Yashraj Dhoop."

Dr.Pravin Kulkarni:
When I read Jyotish Shastra i saw lots of problem of many people and i analyze it. After long experiment to conquer these of these problems like Vastu, Grahdosh and for all over peice we should do Hawans in our home daily. For this i made a type of Dhoop i which different type of materials which are used to remove different types of problems. If you use Shuri Yashraj Dhoop in daily hawan in your home it removes vastu dosh, Remove Grah Kalah and family members live together with unity and it removes Ghost and negative energy sources. There are piece in your home. You can't imagine its results.. How to use Shuri Yashraj Dhoop
Burn Dhoop morning and evening. At the time of burning this dhoop please take 2 bars of Kapoor and little bit of Shuri Yashraj Dhoop and please don't think that it will give smoke but always remind that dhoop must be completely burn. Shuri Yashraj Dhoop uses as a Sanjeevani

- It removes vastu dosh of your home.
- It romoves small fights on your home.
- It removes useless fights in your home.
- It renovate your piece of home.
- Acomplishment of any mantra done properly.
- For good health of all family members with Shuri Yashraj Dhoop please read Mahamrityunjay Mantra.
- Happiness in your Home.
- It creates good atmosphere in your home by this Wealth stay for long time in your home.
- Negative thinking persons get weak by this Dhoop.
- To Remove problems in the yagya of Kalsarp we shuold read Surya Yogantari mantra with Shuri Yashraj Dhoop.
- If you are not getting your money by any person so take red clothth and tie it with Shuri Yashraj Dhoop and write his name and remind his face for 100 times and say i get my money, and continue this metohd for 21 days.
- To get contiontration of body please read Ganesh Satarottar path with Shuri Yashraj Dhoop.
- Please put Shree kuber Yantra in the direcion of North and arrange his face in the south and in front of this burn Shuri Yashraj Dhoop daily by this you will get richness like Kuber and you will get better opportunities in your life.
- If there are issues between your life partner then at 4 o' cloch at early morning in the East in front of shukra yantra burn Shuri Yashraj Dhoop by this your disputes wiil be removed.
- To get success in your love llife in front of Kamdev yantra write both names and burn Shuri Yashraj Dhoop you will get sure success.
- If you have lots of problems so p[lease keep Satguru Murti always and burn Shuri Yashraj Dhoop you will get energy to solve those problems.
- Please read Mahanvya Mantra when you want to wear Rudrakshand Shuri Yashraj Dhoop gives many effective results. Please take permission to read any mantra before reading any mantra by this your thinkings get new and possitive. But we are normal Human so take Shuri Yashraj Dhoop.
- In the starting of any type of programme use Shuri Yashraj Dhoop by this programme get great energy and your wishes get fulfill.
- To get together Vastu of savat with Shuri Yashraj Dhoop and Coconut do this thing for 31 days.

24/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
निसर्गोपचार तज्ञ.
9226280158

किडनी स्टोन (पथरी) की समस्या काफी दर्दनाक हो सकती है। अगर पथरी का आकार छोटा है, तो सही खान-पान और घरेलू उपायों की मदद से इसे मूत्र मार्ग (Urine) के जरिए बाहर निकाला जा सकता है।
यहाँ किडनी स्टोन के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपाय दिए गए हैं:
सबसे पहले आप हमारा रेकी हिलिंग कोर्स करे। या आप डिस्टन्स हिलिंग भी पा सकते है।
आगे घरेलू उपाय।
1. भरपूर पानी पिएं
यह सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। दिन भर में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पिएं। ज्यादा पानी पीने से पेशाब अधिक आता है, जिससे छोटी पथरी आसानी से बहकर बाहर निकल जाती है।
2. नींबू पानी और जैतून का तेल (Olive Oil)
* नींबू पानी: नींबू में 'साइट्रेट' होता है, जो कैल्शियम जमा होने से रोकता है और पथरी को तोड़ने में मदद करता है।
* उपाय: एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर दिन में दो बार पिएं। कुछ लोग इसमें एक चम्मच जैतून का तेल भी मिलाते हैं, जो पथरी को बाहर निकलने में मदद करता है।
3. नारियल पानी
नारियल पानी प्राकृतिक रूप से 'डाईयूरेटिक' होता है, जो पेशाब की मात्रा बढ़ाता है। यह किडनी को डिटॉक्स करने और पथरी को बाहर निकालने में बहुत फायदेमंद है।
4. कुलथी की दाल (Horse Gram)
आयुर्वेद में कुलथी को किडनी स्टोन के लिए रामबाण माना गया है।
* उपाय: कुलथी को रात भर भिगोकर सुबह उसका पानी पिएं या कुलथी का सूप बनाकर लें। यह पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़कर बाहर निकालने में मदद करती है।
5. केले के तने का रस (Banana Stem Juice)
केले के तने का रस किडनी स्टोन के इलाज में बहुत लोकप्रिय है। यह न केवल पथरी को बाहर निकालता है, बल्कि दोबारा पथरी बनने से भी रोकता है।
6. तुलसी का रस
तुलसी में 'एसिटिक एसिड' होता है, जो पथरी को गलाने में मदद करता है।
* उपाय: रोजाना एक चम्मच तुलसी का रस शहद के साथ लेने से काफी राहत मिलती है।
परहेज (क्या न खाएं?):
* नमक कम करें: भोजन में नमक की मात्रा कम रखें।
* ऑक्सालेट वाली चीजें: पालक, टमाटर (बीज के साथ), बैंगन, चॉकलेट और काजू का सेवन कम करें।
* बीज वाली चीजें: जिन फलों या सब्जियों में बीज होते हैं (जैसे अमरूद, भिंडी), उनसे बचें।
* कोल्ड ड्रिंक्स: सोडा और ज्यादा चीनी वाले ड्रिंक्स से परहेज करें।
> जरूरी सलाह: यदि आपको असहनीय दर्द, उल्टी या पेशाब में खून आने जैसी समस्या हो रही है, तो घरेलू उपायों के भरोसे न रहें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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24/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
ज्योतिषाचार्य
9226280158

कन्या राशि (Virgo) के जातकों के लिए वर्ष 2026 उन्नति, जिम्मेदारियों और महत्वपूर्ण बदलावों का वर्ष रहेगा। इस साल आपकी मेहनत का फल मिलने की प्रबल संभावना है।
यहाँ आपका 2026 का विस्तृत भविष्यफल दिया गया है:
1. करियर और नौकरी (Career & Job)
* सफलता के योग: साल की शुरुआत से 2 जून तक गुरु (बृहस्पति) आपके 10 वें भाव में रहेंगे, जिससे करियर में बड़ी तरक्की के योग बनेंगे। आपको पदोन्नति (Promotion) या मनचाहा ट्रांसफर मिल सकता है।
* नई चुनौतियाँ: शनि देव आपके सातवें भाव में रहेंगे, जो कार्यक्षेत्र में आपको अधिक अनुशासित बनाएंगे। मेहनत ज्यादा करनी पड़ सकती है, लेकिन इसके परिणाम स्थायी होंगे।
* जून के बाद: जून के बाद का समय उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो खुद का स्टार्टअप या नया काम शुरू करना चाहते हैं।
2. आर्थिक स्थिति (Finance)
* लाभ का समय: 2 जून को गुरु का गोचर आपकी राशि से 11वें भाव (लाभ स्थान) में होगा। यह समय आर्थिक दृष्टि से 'गोल्डन पीरियड' साबित हो सकता है। आय के नए स्रोत बनेंगे।
* निवेश: शेयर बाजार या प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए जून से अक्टूबर तक का समय शुभ है।
* सावधानी: साल के अंत में (अक्टूबर के बाद) बेतहाशा खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा, अन्यथा बजट बिगड़ सकता है।
3. शिक्षा और विद्यार्थी (Education)
* विद्यार्थियों के लिए यह साल मिला-जुला रहेगा। एकाग्रता (Concentration) बढ़ाने के लिए आपको अतिरिक्त प्रयास करने होंगे।
* जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें राहू के छठे भाव में होने के कारण सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है। आप अपने प्रतिद्वंदियों पर भारी पड़ेंगे।
4. पारिवारिक जीवन और प्रेम (Family & Love)
* वैवाहिक जीवन: शनि की सातवें भाव में उपस्थिति के कारण जीवनसाथी के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। एक-दूसरे पर विश्वास बनाए रखें।
* प्रेम संबंध: प्रेम संबंधों के लिए जून के बाद का समय बहुत रोमांटिक रहेगा। जो लोग सिंगल हैं, उनके जीवन में किसी खास व्यक्ति का आगमन हो सकता है।
* घर-परिवार: परिवार में कोई मांगलिक कार्य (शादी या उत्सव) होने के संकेत हैं। पैतृक संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद सुलझ सकता है।
5. स्वास्थ्य (Health)
* स्वास्थ्य के मामले में आपको सावधान रहने की जरूरत है। पेट से जुड़ी समस्याएं या पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है।
* शनि की दृष्टि के कारण मानसिक तनाव और आलस्य हावी हो सकता है। नियमित व्यायाम और योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
2026 के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय:
* रोज सुबह शाम घर मे यशराज धुप व त्रिपूरवात जलाये। वास्तु ऊर्जा उत्तम बनेगी।
* आप अपनी दाहिने हाथ की करांगुली मे सिद्ध किया हुआ पन्ना पहनीये।
* बुधवार के दिन भगवान गणेश को दूर्वा (घास) अर्पित करें और 'ॐ गं गणपतये नमः' का जाप करें।
* शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
* पक्षियों को सात प्रकार का अनाज (सप्तधान्य) खिलाना आपके लिए शुभ रहेगा।

23/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
ज्योतिषाचार्य.
9226280158

सिंह राशि (Leo) के जातकों के लिए वर्ष 2026 बदलाव, आत्म-मंथन और महत्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्ष रहेगा। ग्रहों की चाल, विशेषकर शनि और राहु का गोचर, आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालेगा।
यहाँ 2026 का विस्तृत भविष्यफल दिया गया है:
1. करियर और व्यवसाय (Career & Business)
वर्ष की शुरुआत करियर के लिहाज से अच्छी रहेगी।
* प्रगति: जून के बाद का समय आपके पेशेवर जीवन में बड़ी सफलता ला सकता है। अगर आप नौकरी बदलने की सोच रहे हैं, तो साल का मध्य भाग अनुकूल है।
* व्यापार: व्यापारियों के लिए यह वर्ष थोड़ा उतार-चढ़ाव वाला हो सकता है। नए निवेश करने से पहले अनुभवी लोगों की सलाह जरूर लें। पार्टनरशिप में काम करने वालों को पारदर्शिता बरतनी होगी।
* सावधानी: राहु के प्रभाव के कारण कार्यक्षेत्र में राजनीति का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए अपनी योजनाओं को गुप्त रखें।
2. आर्थिक स्थिति (Finance)
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष मिला-जुला रहेगा।
* आय: धन का आगमन निरंतर बना रहेगा, लेकिन खर्चे भी उसी गति से बढ़ सकते हैं।
* निवेश: शेयर बाजार या संपत्ति में निवेश करते समय सावधानी बरतें। अक्टूबर के बाद आकस्मिक लाभ के योग बन रहे हैं।
* बचत: इस साल आपको बचत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि भविष्य की योजनाओं में कोई बाधा न आए।
3. शिक्षा और विद्यार्थी (Education)
विद्यार्थियों के लिए यह वर्ष कड़ी मेहनत का संकेत दे रहा है।
* प्रतियोगी परीक्षा: जो छात्र सरकारी नौकरी या उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें सफलता के लिए सामान्य से अधिक प्रयास करने होंगे।
* विदेश यात्रा: विदेश जाकर पढ़ाई करने का सपना देख रहे छात्रों के लिए साल का दूसरा भाग (अगस्त के बाद) बेहद फलदायी हो सकता है।
4. पारिवारिक और प्रेम जीवन (Family & Love)
पारिवारिक मोर्चे पर धैर्य की आवश्यकता होगी।
* रिश्ते: शनि की दृष्टि के कारण परिवार के सदस्यों के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। वाणी पर संयम रखें।
* प्रेम: अविवाहित लोगों के लिए विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। जो लोग प्रेम संबंध में हैं, उनके लिए यह वर्ष रिश्ते को शादी में बदलने का सही समय है।
* संतान: संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है, जिससे घर में खुशी का माहौल रहेगा।
5. स्वास्थ्य (Health)
स्वास्थ्य के मामले में आपको थोड़ा सतर्क रहना होगा।
* मानसिक तनाव: अधिक काम के बोझ के कारण मानसिक थकान और तनाव महसूस हो सकता है। योग और ध्यान (Meditation) को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
* पुराने रोग: यदि आपको हड्डी या पेट से जुड़ी कोई पुरानी समस्या है, तो उसे नजरअंदाज न करें। खान-पान पर नियंत्रण रखें।
उपयोगी उपाय (Remedies)
सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं। अपने साल को बेहतर बनाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं:
* हर दिन घर मे सुबह श्याम यशराज धुप और त्रिपूरवात जलाये।
इससे समस्याये हल होने मे मदत मिलेगी।
* प्रतिदिन सुबह सूर्य देव को अर्घ्य दें।
आपके हाथ मे सिद्ध किया गया शुद्ध मोती पहने।
* शनिवार के दिन गरीबों को काली दाल या तिल का दान करें।
* आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।

22/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
ज्योतिषचार्य.
9226280158

कर्क राशि के जातकों के लिए वर्ष 2026 एक परिवर्तनकारी (Transformational) साल होने वाला है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जून 2026 में गुरु (बृहस्पति) का आपकी ही राशि में प्रवेश करना आपके आत्मविश्वास और व्यक्तित्व में एक नई चमक लेकर आएगा।
यहाँ आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए विस्तृत भविष्यफल दिया गया है:
1. करियर और व्यवसाय (Career & Business)
वर्ष 2026 आपके करियर में "धीमी लेकिन स्थिर" प्रगति का संकेत दे रहा है।
* नौकरीपेशा: साल के शुरुआती महीनों में काम का दबाव अधिक रह सकता है। जून के बाद जब गुरु का गोचर आपकी राशि में होगा, तो प्रमोशन और नई जिम्मेदारियों के योग बनेंगे। अगर आप नौकरी बदलने की सोच रहे हैं, तो अगस्त से नवंबर का समय उत्तम रहेगा।
* व्यापार: व्यापारियों के लिए यह साल विस्तार का है। विदेशी संपर्कों या ऑनलाइन माध्यमों से लाभ मिल सकता है। पार्टनरशिप में काम करने वालों को पारदर्शिता बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
2. आर्थिक स्थिति (Finance & Wealth)
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष मिला-जुला रहेगा।
* आय के स्रोत: जून के बाद धन आगमन के नए रास्ते खुलेंगे। निवेश (जैसे प्रॉपर्टी या सोना) से लंबी अवधि में लाभ मिल सकता है।
* सावधानी: जनवरी से मई के बीच राहु और शनि की स्थिति के कारण अनावश्यक खर्च बढ़ सकते हैं। इस दौरान जोखिम भरे निवेश (जैसे शेयर मार्केट) से बचें।
3. प्रेम और वैवाहिक जीवन (Love & Marriage)
रिश्तों के मामले में 2026 भावनात्मक स्थिरता लेकर आएगा।
* अविवाहित: विवाह योग्य जातकों के लिए जून के बाद प्रबल "विवाह योग" बन रहे हैं। कोई नया और गंभीर रिश्ता शुरू हो सकता है।
* विवाहित: जीवनसाथी के साथ सामंजस्य बढ़ेगा। हालांकि, साल की शुरुआत में पारिवारिक कलह के कारण थोड़ा तनाव हो सकता है, लेकिन शांत रहकर आप इसे सुलझा लेंगे।
4. स्वास्थ्य (Health)
स्वास्थ्य के प्रति आपको इस वर्ष थोड़ा अधिक सजग रहने की आवश्यकता है।
* मानसिक स्वास्थ्य: काम के बोझ के कारण तनाव या अनिद्रा की समस्या हो सकती है। योग और ध्यान को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
* शारीरिक: खान-पान का विशेष ध्यान रखें, खासकर साल के मध्य में पेट से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। अपनी माता के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें।
5. शिक्षा और छात्र (Education)
छात्रों के लिए यह वर्ष काफी उम्मीदें लेकर आएगा।
* प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को फरवरी और जून के बीच सफलता मिल सकती है।
* जो छात्र विदेश जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं, उनके लिए जून के बाद का समय अनुकूल है।
विशेष ज्योतिषीय उपाय (Remedies)
वर्ष को और भी शुभ बनाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं:
* रोज सुबह श्याम घर मे यशराज धूप व त्रिपूरवात जलाने से रोज नयी एनर्जी मिलेगी।
* आपके लिये एकाक्षी नारियल की साधना कारणा जरुरी है।
* भगवान शिव की उपासना: सोमवार को शिवलिंग पर जल या दूध अर्पित करें।
* हनुमान चालीसा: मानसिक शांति और बाधाओं को दूर करने के लिए नियमित पाठ करें।
* दान: शनिवार के दिन छाया दान या काली उड़द की दाल का दान करना शुभ रहेगा।
> महत्वपूर्ण टिप: 2026 आपके लिए खुद को पहचानने और अपनी क्षमताओं पर भरोसा करने का साल है। भावनाओं में बहकर बड़े फैसले न लें।
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21/12/2025

श्री व्यंकटेश स्तोत्र का डॉ. प्रवीण कुलकर्णी द्वारा हिंदी अनुवाद
यहाँ 'श्री देवीदास' द्वारा रचित 'श्री व्यंकटेश स्तोत्र' का भावार्थ और अनुवाद प्रस्तुत है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु (व्यंकटेश) की स्तुति, अपने पापों की क्षमा और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना है। इसे रोज रात्री 12 बजे स्नान कर घर के भगवान सम्मुख बैठ कर लगातार 42 दिन पढे।
।। श्री व्यंकटेश स्तोत्र ।।
श्री गणेशाय नम: । श्री व्यंकटशाय नम: ।
१. ॐ नमो जी हेरंबा (गणपति)। आप सभी के आदि और प्रारंभ हैं। आपकी सुंदर छवि का स्मरण करते हुए मैं भावपूर्वक वंदन करता हूँ।
२. हे हंसवाहिनी, वरदायिनी, विलासिनी सरस्वती माता, आपको मेरा नमन है। यह ग्रंथ कहने (लिखने) के लिए मुझे बुद्धि दें, जो भावार्थ की खान है।
३. हे प्रकाशस्वरूप गुरुवर स्वामी, आपको मेरा नमन है। ग्रंथ कहने के लिए मुझे स्फूर्ति (प्रेरणा) दें, जिससे सुनने वालों को सुख मिले।
४. मेरा नमन सभी संत-सज्जनों, योगियों, मुनियों और सभी श्रोतागणों को है। आप सभी को मेरा साष्टांग प्रणाम है।
५. यह ग्रंथ 'प्रार्थना शतक' (सौ प्रार्थनाएं) सुनिए, जो महादोषों को जलाने वाला है। इससे वैकुंठनायक (भगवान विष्णु) प्रसन्न होकर सभी मनोरथ पूर्ण करेंगे।
६. हे व्यंकटरमणा, आपकी जय हो! हे दयासागर, परिपूर्ण, परंज्योति और प्रकाश के भंडार, मैं प्रार्थना करता हूँ, कृपया सुनें।
७. आपने मुझे माता की तरह पाला, पिता की तरह संभाला। सभी संकटों से रक्षा की और मुझे पूर्ण प्रेम-सुख दिया।
८. इसे अलौकिक माना जाए, तो यह सारा जगत आपने ही रचा है। माता-पिता का भाव आपके स्वभाव में ही सहज रूप से है।
९. हे दीननाथ! प्रेम के कारण आपने संकट में भक्तों की रक्षा की। भक्तों के भजन के लिए आपने प्रेम की अपूर्व लीलाएं रचीं।
१०. हे कृपालु लक्ष्मीरमण! अब मेरी विनती सुनें। मुझे गर्भ में डालकर आपने शरीर की अलौकिक रचना दिखाई।
११. आपको न जानने के कारण मैं दुखी हुआ। अब मैंने आपके चरणों को कसकर पकड़ लिया है। हे जगत के स्वामी! हे कृपालु! मेरे अपराधों को अपने पेट में डाल लें (क्षमा करें)।
१२. मेरे अपराधों का ढेर गगन (आकाश) को भेदकर ऊपर चला गया है। हे दयावान हृषीकेश! अपने नाम (ब्रीद) की लाज रखते हुए मुझे अपनाएं।
१३. पुत्र के हजारों अपराधों का माता खेद (बुरा) नहीं मानती। वैसे ही हे गोविंद! आप कृपालु हैं और मेरे माता-पिता हैं।
१४. उड़द की दाल में काले और गोरे दाने क्या छांटना? (अर्थात हम सभी जीव आपके ही हैं)। कड़वे पेड़ों (कुचला) के फल मीठे कहाँ से होंगे?
१५. हे कृपावंता! कांटेदार झाड़ी (अराटी) में कोमलता कहाँ से आएगी? पत्थर पर फूल और लताएं कैसे फूटेंगी? (भाव: मैं पापी हूँ, आप ही उद्धार करें)।
१६. मैं सिर से पैर तक अन्यायी हूँ, लेकिन अब आपकी शरण में (पल्ले) पड़ा हूँ। अब नाना प्रकार के उपायों से मेरी रक्षा करना आपको ही उचित है।
१७. समर्थ (अमीर) के घर के कुत्ते को भी सब मान देते हैं। मैं तो आपका 'दीन' कहलाता हूँ, फिर यह अपमान किसका है? (मेरा नहीं, आपका है)।
१८. लक्ष्मी आपके चरणों में रहती हैं, फिर भी हम भीख के लिए झोली फैला रहे हैं। हे गोविंद! इससे आपकी कीर्ति (ब्रीदावळी) कैसे रहेगी?
१९. कुबेर आपका भंडारी है, फिर भी आप हमें दर-दर भटका रहे हैं। हे मुरारी! इसमें आपको क्या पुरुषार्थ (बड़प्पन) मिला?
२०. हे अनंत! हे भाग्यवंत! आप द्रौपदी को वस्त्र दे रहे थे (अनंत वस्त्र दिए), फिर हमारे लिए यह कंजूसी (कृपणता) कहाँ से ले आए?
२१. आपने माया की द्रौपदी सती बनाकर, मध्यरात्रि में ऋषियों की पंगत को क्षण भर में भोजन से तृप्त कर दिया।
२२. हे जगदीश! अन्ना के लिए आप हमें दसों दिशाओं में भटका रहे हैं। हे कृपालु परमपुरुष! आपको करुणा क्यों नहीं आती?
२३. हे मणियों में श्रेष्ठ! मुझे स्वीकार करें। मैं मधुर वचनों से प्रार्थना करता हूँ। एक बार स्वीकार करने के बाद, मेरा हाथ मत छोड़ना।
२४. समुद्र ने बड़वानल (अग्नि) को स्वीकार किया, जिससे वह अंदर ही अंदर जलता रहता है, फिर भी उसने उसे हमेशा अपने भीतर ही रखा (त्यागा नहीं)।
२५. कूर्म (कछुए) ने पृथ्वी का भार लिया, उसने अपना बड़प्पन नहीं छोड़ा। इतने बड़े ब्रह्मांड के गोले को उसने अपने अंग पर स्वीकार किया।
२६. शंकर जी ने हलाहल विष धारण किया, जिससे उनका गला नीला हो गया। फिर भी हे भक्तवत्सल गोविंद! उन्होंने उसे त्यागा नहीं।
२७. मेरी वाणी मेरे अपराधों का वर्णन करते हुए थक गई है। मैं दुष्ट, पतित, दुराचारी और अधम से भी अधम हूँ।
२८. मैं विषयासक्त, मंदबुद्धि, आलसी, कंजूस, बुरी आदतों वाला और मन से मैला हूँ। मैं सदा सज्जनों से द्रोह करता हूँ।
२९. मेरी वाणी मधुर नहीं है, मैं लोगों के प्रति अत्यंत निष्ठुर हूँ। मैं पामरों (नीच) में भी पामर हूँ, और व्यर्थ ही जग में अपनी बड़ाई करता हूँ।
३०. काम, क्रोध, मद और मत्सर ने मेरे शरीर को अपना घर (बिढार) बना लिया है। काम-वासना ने यहाँ दृढ़ स्थान बना लिया है।
३१. यदि अठारह भार वनस्पतियों की कलम बनाऊं और पूरे समुद्र को स्याही बना लूं, और धरती को कागज मानकर मेरे अवगुण लिखूँ, तो भी वे लिखे नहीं जा सकेंगे।
३२. मैं ऐसा पतित (गिरा हुआ) हूँ, यह सच है। पर हे गदाधर! आप 'पतितपावन' हैं। यदि आप मुझे स्वीकार कर लेंगे, तो फिर मेरे दोष-गुण कौन गिनेगा?
३३. यदि कोई नीच स्त्री राजा को प्रिय हो जाए, तो उसे कौन दासी कहेगा? लोहे का स्पर्श पारस से हो जाए, तो उसकी पुरानी स्थिति (लोहापन) कैसे रहेगी?
३४. गाँव के गंदे नाले जब गंगा में मिलते हैं, तो गंगाजल हो जाते हैं। कौवे की बीट से अगर पीपल का पेड़ उगे, तो उसे निंदनीय कौन कहेगा?
३५. वैसे ही मैं कुजाति और अमंगल हूँ, पर केवल आपका कहलाता हूँ। जैसे किसी कुल में कन्या दे दी, तो फिर (उसके पुराने घर का) क्या विचार करना?
३६. मनुष्य को अपराधी जानते हुए भी आपने क्यों अंगीकार (स्वीकार) किया? और समर्थ को एक बार स्वीकार करने के बाद त्यागना (अव्हेर) नहीं चाहिए।
३७. हे गोविंद! दौड़कर आओ। हाथ में गदा लेकर मेरे कर्मों को कुचल डालो (चेंदा करो)। हे सच्चिदानंद श्रीहरि!
३८. आपके नाम की शक्ति अपरिमित है, उसके सामने मेरे पाप कितने हैं? हे कृपालु लक्ष्मीपति! अपने चित्त में अच्छी तरह विचार करें।
३९. आपका नाम पतितपावन है, कलयुग के मैल को जलाने वाला है। आपका नाम भवसागर से तारने वाला और संकटों का नाश करने वाला है।
४०. हे कमलापति! अब प्रार्थना सुनिए। मेरी बुद्धि सदैव आपके नाम में रहे। हे परंज्योति व्यंकटेश! मैं बार-बार यही मांगता हूँ।
४१. आप अनंत हैं, आपके अनंत नाम हैं। उनमें से जो अत्यंत सुगम हैं, उन्हें मैं अल्पमति प्रेम से स्मरण करके प्रार्थना कर रहा हूँ।
४२-४५. (यहाँ भगवान के नामों का स्मरण है) श्री व्यंकटेश, वासुदेव, प्रद्युम्न, अनंत, केशव, संकर्षण, श्रीधर, माधव, नारायण, आदिमूर्ति, पद्मनाभ, दामोदर, प्रकाशगहन, परात्पर, विश्वंभर, जगदुद्धार, जगदीश, कृष्ण, विष्णु, हृषीकेश, अनिरुद्ध, पुरुषोत्तम, परेश, नृसिंह, वामन, परशुराम, बुद्ध, कलंकी, अनाथरक्षक, आदिपुरुष, पूर्णब्रह्म, सनातन, निर्दोष, सकल मंगलों के स्वामी, सज्जनों के जीवन और सुखमूर्ति...
४६-५१. हे गुणातीत, गुणज्ञ, निजबोधरूप, शुद्ध सात्विक, सुज्ञ, गुणप्राज्ञ परमेश्वर! श्रीनिधि, श्रीवत्सलांछन धारी, भयनाशक, गिरिधर, दुष्ट दैत्यों के संहारक! हे निखिल, निरंजन, निर्विकार, विवेक की खान! मधु-कैटभ और मुर दैत्य का संहार करने वाले! शंख-चक्र-गदाधारी, गरुड़वाहन, भक्तप्रिय! गोपीमनरंजन! नाना नाटकों के सूत्रधार, जगद्व्यापक, कृपासागर! शेषशैया पर सोने वाले, वैकुंठवासी, भक्तों के रक्षक! इस समय हमें दर्शन दें (पाव आम्हां)।
५२. ऐसी प्रार्थना करके देवीदास ने अंतर्मन में श्री व्यंकटेश का स्मरण किया। स्मरण करते ही हृदय में ईश्वर प्रकट हुए, उस सुख का कोई पार नहीं था।
५३. हृदय में मूर्ति प्रकट हुई, उस सुख की स्थिति अलौकिक थी। स्वयं श्रीपति (विष्णु) मेरी वाणी से बुलवा रहे हैं।
५४. वह स्वरूप अत्यंत सुंदर है, श्रोतागण आदरपूर्वक सुनें। सांवला सुकुमार शरीर है और चरण-कमल कुमकुम जैसे लाल हैं।
५५. अंगुलियाँ सुरेख और सीधी हैं, नाखून चंद्ररेखा जैसे हैं। एड़ियाँ (घोटीव) सुंदर और नीली हैं, जैसे इंद्रनील मणि हो।
५६. चरणों में वाजेब और घागरिया (घुंघरू) हैं, ऊपर वाकी (आभूषण) और गुजरिया हैं। पिंडलियाँ (पोटरिया) कदली (केले) के स्तंभ जैसी सुडौल और सुंदर हैं।
५७. घुटने, जांघें और कमर में विशाल करधनी (किंकिणी) है। नीचे विश्व की उत्पत्ति का स्थान है और ऊपर पीतांबर (सोनसळा) झलकता है।
५८. कमर के ऊपर नाभिस्थान है, जहाँ से ब्रह्मा उत्पन्न हुए। पेट पर षट-खंड मांस पेशियां ( सिक्स पॅक) (त्रिवली) गहन शोभा दे रही हैं, जिनमें तीनों लोक समाए हैं।
५९. वक्षस्थल (छाती) पर पदक शोभायमान है, जिसे देखकर चंद्रमा भी लज्जित (अधोमुख) हो जाता है। वैजयंती माला बिजली की तरह चमक रही है।
६०. हृदय पर 'श्रीवत्स' का चिन्ह है, जिसे भगवान भूषण की तरह धारण करते हैं। उसके ऊपर कंठ है, जिसे मुनिजन निहारते हैं।
६१. दोनों भुजाएं सीधी (दंड समान) हैं। नाखून चंद्रमा से भी अधिक तेजस्वी हैं। दोनों हाथ लाल कमल (रातोत्पल) की तरह शोभायमान हैं।
६२. कलाई में कंगन और बांहों में बाजूबंद (बाहुभूषण) हैं। गले में ऐसे आभूषण पहने हैं जैसे सूर्य की किरणें उग आई हों।
६३. कंठ के ऊपर मुखकमल है, ठुड्डी अत्यंत सुंदर और नीली आभा लिए है। मुखचंद्रमा अति निर्मळ है। हे गोविंद, आप भक्तों के स्नेही हैं।
६४. दोनों होंठों के बीच दातों की पंक्ति है, जीभ लावण्य की ज्योति जैसी है। अधरामृत (होंठों का रस) का सुख केवल लक्ष्मी जी जानती हैं।
६५. नाक (नासिका) सीधी और सुंदर है, जहाँ पवन को भी सुख मिलता है। गालों (गंडस्थळ) का तेज अधिक है जो दोनों ओर चमक रहा है।
६६. तीनों लोकों का तेज एक जगह इकट्ठा हुआ है, सुंदरता सीमा (शिगेसी) पर है। दोनों पलकों के बीच श्रीहरि के नेत्रों का तेज है।
६७. व्यंकटेश की भौहें नीली और सुंदर हैं। दोनों कानों की लीला अद्भुत है। कुंडलों की आभा (कळा) फैल रही है, यह सुखद दृश्य अलौकिक है।
६८. माथा विशाल और सुंदर है, उस पर कस्तूरी तिलक शोभता है। मस्तक पर अलौकिक घुंघराले बाल शोभा दे रहे हैं।
६९. सिर पर मुकुट और किरीट है, जिसके चारों ओर झालर (झिळमिळ्या) की दाटी है। उस पर मोरपंख का घेरा (वेटी) है। ऐसे 'जगजेठी' (जगदीश्वर) के मैंने दर्शन किए।
७०. हे देवाधिदेव! हे गुणातीत वासुदेव! आप ऐसे हैं। मेरी भक्ति के कारण आप सगुण रूप होकर प्रकट हुए।
७१. हे जगज्जीवन अधोक्षज! अब मैं आपकी पूजा करता हूँ। मेरा यह भोला-भाला (आर्ष) भावार्थ आपको अर्पण है।
७२. पंचामृत स्नान और फिर शुद्ध जल डालकर, मैं पुरुषसूक्त का पाठ करते हुए आपका मंगल स्नान करता हूँ।
७३. वस्त्र और यज्ञोपवीत (जनेऊ) आपको प्रीतिपूर्वक अर्पित करता हूँ। बहुत सी गंध, अक्षत और पुष्प आपको समर्पित करता हूँ।
७४. धूप, दीप, नैवेद्य, फल, तांबूल (पान) और दक्षिणा, साथ ही वस्त्र, आभूषण, गोमेद और पद्मराग मणियाँ अर्पित करता हूँ।
७५. हे भक्तवत्सल गोविंद! हे परमानंद! इस पूजा को स्वीकार करें। आपके चरण कमलों को नमस्कार करके मैंने प्रदक्षिणा शुरू की।
७६. इस प्रकार हृदय में भगवान की षोडशोपचार (१६ उपचारों से) विधिपूर्वक पूजा की। फिर वरदान मांगने के लिए बहुत प्रार्थना की।
७७-८०. हे श्रुति-शास्त्र-आगम के स्वामी, गुणातीत परब्रह्म, हृदयवासी राम, जगद्गुरु, कमलनयन, कमलाधीश, पूर्णपरेश, भक्तरक्षक, वैकुंठनायक, जगपालक, निरंजन, निर्गुण प्रभु! आपकी जय हो! मेरी एक विनती सुनें।
८१. मुझे ऐसा वरदान दें, जिससे परोपकार हो। मैं बार-बार आपसे यही मांगता हूँ, यह मेरी सच्ची प्रार्थना है।
८२. जो व्यक्ति इस ग्रंथ का पाठ करेगा, उसे संसार में कोई दुःख न हो। इसके पाठ मात्र से वह चराचर जगत में विजयी हो।
८३. विवाह के इच्छुक का विवाह हो, धन चाहने वाले को धन मिले। पुत्र की इच्छा रखने वाले के मनोरथ पूर्ण हों और उसे पुत्र प्राप्त हो।
८४. वह पुत्र विजयी, पंडित, शतायु (१०० वर्ष जीने वाला), भाग्यवान और पितृभक्त हो, जिसका चित्त सर्वदा सेवा में लगा रहे।
८५. हे गोविंद! भक्तों को उदार और सर्वज्ञ पुत्र दें। बीमारों (व्याधिष्ठ) की पीड़ा तत्काल हर लें।
८६. क्षय, मिर्गी (अपस्मार), कुष्ठ आदि रोग इस ग्रंथ के पाठ से दूर हो जाएं। योगाभ्यास करने वालों को पाठ मात्र से योग सिद्ध हो।
८७. इस ग्रंथ के पाठ से दरिद्र (गरीब) भाग्यवान हो जाए, शत्रुओं का नाश हो और पूरी सभा वश में हो जाए।
८८. विद्यार्थी को विद्या मिले, युद्ध में शस्त्र का घाव न लगे। इसके पाठ से जगत में 'साधु-साधु' कहकर कीर्ति फैले।
८९. हे कृपानिधि गोविंद! मेरी प्रार्थना पर ध्यान दें कि अंत समय में उसे मोक्ष की प्राप्ति हो। मैं इतना ही वरदान मांगता हूँ।
९०. व्यंकटरमण प्रसन्न हुए और देवीदास को वरदान दिया। (भगवान बोले:) "इस ग्रंथ के अक्षर मेरा ही वचन हैं, इसे निश्चय ही सत्य जानो।"
९१. "जो विश्वास रखकर दिन-रात इसका पाठ करेगा, उस पर मैं जगदीश एक क्षण के लिए भी विमुख नहीं रहूँगा (हमेशा साथ रहूँगा)।"
९२. "जो इच्छा रखकर इसका पाठ करेगा, उसका प्रमाण मैं बताता हूँ। 'एक मंडल' (निश्चित अवधि, प्राय: ४०-४८ दिन) पाठ करने से सभी कामनाएं सिद्ध होंगी।"
९३. "पुत्र चाहने वाला तीन मास, धन चाहने वाला इक्कीस दिन और कन्या चाहने वाला छह मास तक आदरपूर्वक इस ग्रंथ को बांचे (पढ़े)।"
९४. "क्षय, मिर्गी, कुष्ठ आदि रोगों के लिए एक मंडल पाठ करने से कार्यसिद्धि होगी।"
९५. श्री भगवान बोले, "यह मेरा वाक्य अटल (नेमस्त) है। जो चित्त में इसे सच नहीं मानेगा, उसका निश्चय ही अध:पतन होगा।"
९६. "जो ग्रंथ पठन में विश्वास रखेगा, उस पर चक्रपाणि (विष्णु) कृपा करेंगे। कृपा करके जो वर दिया है, वह अनुभव से ही पता चलेगा।"
९७. गजेंद्र (हाथी) की पुकार पर जैसे हृषीकेश दौड़कर आए, और प्रह्लाद के भाव के कारण वे खंभे से प्रकट हुए।
९८. इंद्र के वज्र से बचाने के लिए, हे गोविंद! हे परमानंद! आपने गोवर्धन पर्वत को उखाड़ लिया (उठा लिया) और उस समय सभी को सुखी किया।
९९. जैसे बछड़े के लिए गाय मोह से दूध बहाती (पन्हाती) है, माता के स्नेह की तुलना में वैसे ही यह (भक्त व भगवान का प्रेम) घटित हुआ है।
१००. हे प्रभु! आप मेरे ऐसे दाता हैं। आप भक्तों पर कृपा की छाया (पाखर) डालते हैं। यह पक्का है, क्योंकि आपका नाम 'अनाथनाथ' है।
१०१. श्री चैतन्य की अलौकिक कृपा से वैकुंठनायक संतोष पाकर यह अलौकिक वरदान दिया है, जिससे सबको सुख मिले।
१०२. यह ग्रंथ लिखते समय, 'गोविंद और मुझमें भेद है', ऐसा विचार मन में न लाएं। हृदय में परमानंद बसता है, यह सबको अनुभवसिद्ध है।
१०३. विष्णुदास (कवि) ने इस ग्रंथ का इतिहास भावपूर्वक बताया है। इसके लिए और कोई प्रयास नहीं करने पड़ते, केवल पाठ मात्र से कार्यसिद्धि होती है।
१०४. कैलासनायक (शिवजी) ने पार्वती को उपदेश दिया कि यह पूर्णानंद और प्रेमसुख है। इसका पार ब्रह्मा आदि भी नहीं जानते, मुनि और देवता भी चकित हैं।
१०५. वनमाळी (विष्णु) प्रत्यक्ष प्रकट होंगे। तीनों लोक तीनों काल में उन्हें भजते हैं। योगी और चंद्रमौळी (शिव) उनका ध्यान करते हैं। वे शेषाद्रि पर्वत (तिरुपति) पर खड़े हैं।
१०६. देवीदास चतुर श्रोताओं से विनती करते हैं कि इस 'प्रार्थना शतक' का पाठ करें। मोक्ष के मंदिर जाने के लिए और कोई प्रयास नहीं लगेंगे।
१०७. एकांत में एकाग्रचित्त होकर मध्यरात्रि में अनुष्ठान करें। स्वस्थ चित्त से बैठने पर साक्षात् मूर्ति प्रकट होगी।
१०८. तब देहभाव का कोई स्थान नहीं रहेगा, केवल चतुर्भुज देव दिखेंगे। उनके चरणों में भाव रखकर अपना वरदान मांग लेना चाहिए।
इति श्री देवी दास विरचितं श्री व्यंकटेश स्तोत्रं संपूर्णम ।
(इस प्रकार श्री देवीदास द्वारा रचित श्री व्यंकटेश स्तोत्र पूर्ण हुआ।)
।। श्री व्यंकटेशार्पणमस्तु ।।
(यह श्री व्यंकटेश को अर्पण हो।)

20/12/2025

डॉ. प्रवीण कुलकर्णी
ज्योतिषाचार्य.
9226280158
मिथुन राशि (Gemini) के जातकों के लिए वर्ष 2026 परिवर्तन, नई संभावनाओं और बौद्धिक विकास का वर्ष रहने वाला है। ग्रहों की स्थिति बताती है कि इस साल आपकी संवाद शैली (communication) और निर्णय लेने की क्षमता आपकी सबसे बड़ी ताकत बनेगी।
यहाँ 2026 का विस्तृत भविष्यफल दिया गया है:
1. करियर और व्यवसाय (Career & Business)
वर्ष की शुरुआत थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन फरवरी के बाद स्थितियाँ आपके पक्ष में बदलने लगेंगी।
* नौकरीपेशा: 12 साल बाद आपकी राशि में सूर्य और गुरु की युति होने जा रही है, जो पदोन्नति और सम्मान के द्वार खोलेगी। मीडिया, मार्केटिंग, लेखन, टेक्नोलॉजी और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह साल "गोल्डन" साबित हो सकता है।
* व्यवसाय: यदि आप किसी नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, तो मध्य वर्ष में वह सफलता प्राप्त करेगा। जून के बाद आय के नए स्रोत बनेंगे। हालांकि, जुलाई के समय किसी बड़े निवेश से बचें।
2. आर्थिक स्थिति (Finance)
आर्थिक दृष्टि से यह वर्ष मिला-जुला रहेगा।
* बचत और निवेश: बृहस्पति (Jupiter) के गोचर से धन की आवक बढ़ेगी, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। लेकिन राहु-केतु के प्रभाव के कारण अचानक खर्च भी आ सकते हैं।
* सावधानी: शेयर बाजार या सट्टेबाजी में बिना सोचे-समझे निवेश न करें। सितंबर के बाद का समय निवेश के लिए अधिक अनुकूल है।
3. प्रेम और वैवाहिक जीवन (Love & Marriage)
2026 आपके रिश्तों में परिपक्वता लेकर आएगा।
* अविवाहित: जो लोग सिंगल हैं, उनकी जिंदगी में कोई ऐसा व्यक्ति आ सकता है जो आपके सपनों का सम्मान करेगा। जून के बाद विवाह के प्रबल योग बन रहे हैं।
* वैवाहिक जीवन: जीवनसाथी के साथ तालमेल अच्छा रहेगा। अप्रैल से अगस्त के बीच आपको पार्टनर का पूरा सहयोग मिलेगा। संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों को खुशखबरी मिल सकती है।
4. शिक्षा (Education)
छात्रों के लिए यह वर्ष अनुशासन और कड़ी मेहनत की मांग करता है।
* प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अप्रैल से जून तक का समय बहुत महत्वपूर्ण है।
* उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे जातकों को साल के मध्य में सफलता मिल सकती है।
5. स्वास्थ्य (Health)
सेहत के मामले में यह साल आपको थोड़ा सतर्क रहने की सलाह देता है।
* मानसिक स्वास्थ्य: काम के दबाव के कारण तनाव और थकान हो सकती है। योग और ध्यान (Meditation) को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
* सावधानी: मार्च-अप्रैल और साल के अंत में मौसम जनित बीमारियों और पाचन संबंधी समस्याओं का ध्यान रखें।
2026 के लिए विशेष उपाय
अपनी सफलता को और मजबूत करने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
हर दिन घर के भगवान के संमुख यशराज धूप व त्रिपूरवात जलाये। इससे वास्तु मे पॉजिटिव्ह एनर्जी मिलेगी।
* बृहस्पति की कृपा: गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
* बुध ग्रह: बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं।
* रत्न: यदि संभव हो, तो किसी विशेषज्ञ की सलाह पर 'पन्ना' रत्न धारण करें।

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