29/06/2021
महर्षि मेंही हेल्दी लाइफ क्लिनिक की ओर से आप लोगों को होम्योपैथिक इलाज के बारे में आखिर होम्योपैथी है क्या होम्योपैथिक इलाज के क्या फायदे हैं उनके क्या तरीके हैं होम्योपैथिक दवा कैसे काम करती है होम्योपैथिक दवा में परहेज क्या है इन सब का संपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आप लोगों के लिए कारगर सिद्ध होगा इसी आशा के साथ प्रस्तुत है यह जानकारी:-
19 वीं शताब्दी से ही होम्योपैथिक दवाओं और डॉ हैनिमैन द्वारा तैयार की गई दवा की प्रणाली पर लोगों का भरोसा लगातार बढ़ता गया है। वर्तमान में विश्व भर में लगभग 20 करोड़ लोग होम्योपैथिक दवाओं या उपचारों को अपनाते हैं और भारत में होम्योपैथी चिकित्सा की दूसरी सबसे लोकप्रिय प्रणाली है।
होमियोपैथी व्यक्ति के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर बल देती है। यह दवा की एक ऐसी प्रणाली है जो शरीर की स्वयं को ठीक कर लेने की क्षमता का सम्मान करती है तथा इस कार्य में सहायक बनती है। हमें उम्मीद है कि होमियोपैथी चिकित्सा या होम्योपैथिक इलाज के संबंध में आपके मन में उठने वाले कई सवालों के जवाब इस महर्षि मेंही हेल्दी लाइफ क्लीनिक पेज पर प्राप्त हो जायेंगे।
इस लेख में महर्षि मेंही हेल्दी लाइफ क्लिनिक की ओर से होम्योपैथिक इलाज क्या है, होम्योपैथिक इलाज के फायदे, होम्योपैथिक इलाज के तरीके, होम्योपैथिक दवा कैसे बनती है, होम्योपैथिक दवा लेने के नियम, होम्योपैथिक दवा का असर, होम्योपैथिक दवा का परहेज के साथ होम्योपैथिक इलाज की संपूर्ण जानकारी दी गयी है।
होम्योपैथी क्या है :-
होम्योपैथी जर्मनी में 1796 में डॉ सैमुअल हैनीमैन द्वारा खोजी गई दवा की एक प्रणाली है। 'होम्योपैथी' शब्द ग्रीक शब्दों “homoios” जिसका अर्थ है 'लाइक' (समान) और “patheia” जिसका अर्थ 'सफ्रिंग' (पीड़ा) से बना है। यह उपचार के प्राकृतिक नियम 'सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरान्टूर' पर आधारित है, जिसका अनुवाद इंग्लिश में 'लाइक आर क्योर्ड बाए लाइक्स' होता है।
संस्कृत में इसी को “सम: समं समयति” या “विषस्य विषमौषधम्” कहा गया है अर्थात विष ही विष की औषधि है। इसका अर्थ यह है कि अधिक मात्रा में शरीर में जाने पर स्वस्थ व्यक्ति में हानिकारक लक्षण उत्पन्न करने वाले पदार्थ यदि बीमार व्यक्तियों को कम खुराक में दिए जाए तो समान हानिकारक लक्षणों को ठीक कर सकते हैं।
होम्योपैथी चिकित्सा में विभिन्न रोगों का इलाज करने के लिए पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों की नैनो खुराक का उपयोग होता है। ये उपचार अचानक होने वाली और साथ ही पुरानी स्थितियों, बुखार और खांसी से लेकर गठिया तथा मधुमेह जैसी जीवन शैली की बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। एक समग्र चिकित्सा होने के नाते, यह केवल व्यक्तिगत लक्षणों का इलाज नहीं करती है, बल्कि संपूर्ण उपचार के लिए व्यक्तित्व के साथ-साथ व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर भी ध्यान देती है।
होम्योपैथिक इलाज के फायदे :-
होम्योपैथी एक सुरक्षित और सौम्य चिकित्सीय तरीका है जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है। इसकी आदत नहीं पड़ती है अर्थात रोगी को होम्योपैथिक दवाओं की लत नहीं लगती है। यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए सुरक्षित है। यह उन व्यक्तियों द्वारा भी ली जा सकती है जिन्हें मधुमेह या लैक्टोज असहिष्णुता है।
चिकित्सा का 200 साल पुराना विज्ञान होने के बावजूद, होम्योपैथिक चिकित्सा से किसी भी स्वास्थ्य संबंधी खतरे को साबित करने वाले अध्ययन सामने नहीं आया हैं। होम्योपैथी के योग्य और पंजीकृत चिकित्सक अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की तरह अपने पेशे की सीमाओं के भीतर कार्य करते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय दिशानिर्देशों द्वारा विनियमित किया जाता है।
शोध अध्ययनों ने होम्योपैथी की प्रभावकारिता को सिद्ध किया है। हालाँकि, विभिन्न परिस्थितियों में इसके लाभों को साबित करने के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त अधिक बड़े अध्ययनों की आवश्यकता है।
यद्यपि, होम्योपैथी पारंपरिक चिकित्सा को प्रतिस्थापित करने में अभी सक्षम नहीं है, लेकिन इसका उपयोग विभिन्न स्थितियों और सामान्य बीमारियों के लिए सुरक्षित और प्रभावी रूप से किया जा सकता है। यह पारंपरिक चिकित्सा के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती है और पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है।
होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग सर्जरी के बाद जल्दी ठीक होने के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ या अकेले किया जा सकता है। एक शोध में पाया गया कि होम्योपैथी चिंता और हल्के से गंभीर अवसाद के उपचार में उपयोगी है। एक अन्य अध्ययन से संकेत मिलता है कि होम्योपैथिक उपचार ने न केवल कैंसर से पीड़ित लोगों में थकान को कम किया बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में समग्र रूप से सुधार किया।
यह याद रखें कि होम्योपैथी मामूली रोजमर्रा की बीमारियों के लिए एक सुरक्षित और आसान उपाय तो है, लेकिन इसे किसी योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए। चिकित्सक कई कारकों पर विचार करते हैं, जिसमें आपकी आयु, स्थिति, बीमारी की गंभीरता, चरण और आपके पिछले इतिहास को शामिल करके सही दवा की पहचान करते हैं, जो आपके तेजी से ठीक होने के लिए सबसे अच्छा है।
होम्योपैथी कैसे काम करती है?
होम्योपैथी कैसे काम करती है, इसे समझने के लिए आइए एक उदाहरण की मदद लें। हम जानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति प्याज काटता है, तो वे कुछ सेकंड के भीतर ही आंखों में जलन पैदा कर देते हैं और उस व्यक्ति की नाक बहने लगती है। लेकिन इन्हीं प्याज से बना होमियोपैथिक उपचार एलियम सेपा इन लक्षणों से राहत दिला सकता है।
इसी तरह, कोबरा के काटने से हृदय और नसों पर असर पड़ता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है तथा हृदय और सांस लेने वाली मांसपेशियों में लकवा मार जाता है। कोबरा के जहर से बना होम्योपैथिक उपाय नाजा त्रिपुडिअन्स, सांप के काटने या इसी तरह के लक्षण पैदा करने वाली अन्य स्थितियों के मामले में राहत दे सकता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि होमियोपैथिक चिकित्सा उन्हीं ऊतकों पर कार्य करती है जो रोग से प्रभावित होते हैं और लक्षणों के उपचार के लिए शरीर की अपनी चिकित्सा प्रणाली को उत्तेजित करती हैं।
होम्योपैथी चिकित्सा रोगी की शारीरिक शिकायतों, वर्तमान और पिछला चिकित्सा इतिहास, व्यक्तित्व और वरीयताओं सहित विस्तृत इतिहास को ध्यान में रखती है। चिकित्सा की यह प्रणाली व्यक्ति की बीमारी को ही नहीं बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक करने पर केंद्रित होती है|
होमियोपैथी इस विश्वाश पर चलती है कि शरीर खुद को ठीक कर सकता है। इसी सिद्धांत को मानते हुए होमियोपैथिक दवाओं को तैयार किया जाता हैं जो एलोपैथी दवाओं की तरह व्यक्ति की बीमारी को नहीं दबाती बल्कि उसे जड़ से खत्म करने के लिए शरीर की सेल्फ हीलिंग क्षमता को सक्रिय करती हैं।
होमियोपैथिक दवाओं के बारें में संपूर्ण जानकारी इस लेख में आगे विस्तार पूर्वक दी गयी है:-
होम्योपैथिक दवाएं कैसे बनती हैं?
होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करके बनाई जाती हैं, उदाहरण के लिए, पौधों (सिंहपर्णी, प्लांटेन, फॉक्सग्लोव), खनिज तत्व (नमक, लोहा, फास्फोरस) और पशु उत्पादों (मधुमक्खी का जहर, सांप का जहर) इत्यादि। कुछ होम्योपैथिक दवाएं पेनिसिलिन और एस्पिरिन जैसी दवाओं से भी बनाई जाती हैं।
ये दवाएं केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, भारत सरकार और संबंधित देशों में अन्य सरकारी संगठनों द्वारा निर्धारित गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) के अनुसार बनाई जाती हैं। होम्योपैथिक दवाओं के निर्माण को संबंधित देशों के होम्योपैथिक फार्माकोपिया के अनुसार नियंत्रित किया जाता है। होम्योपैथिक फार्माकोपिया में प्राकृतिक पदार्थों को इकट्ठा करने और होम्योपैथिक दवा के लिए उनके प्रसंस्करण के सटीक दिशा-निर्देश होते हैं।
कोई भी होम्योपैथिक उपचार के शुरू करने के लिए, फार्माकोपिया के अनुसार प्राकृतिक पदार्थ को पानी और अल्कोहल के निर्धारित अनुपात के साथ मिलाकर एक टिंचर बनाया जाता है। यह टिंचर सही से घोलने और पतला बनाने के लिए निर्धारित तरीके से हिलाया जाता है। एक निश्चित बिंदु के बाद, मूल पदार्थ की कोई भी पता लगने योग्य मात्रा घोल में नहीं दिखती है।
सभी दवाएं सख्त दिशानिर्देशों और गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं का उपयोग करके बनाई जाती हैं जो भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा विनियमित होती हैं।
होम्योपैथिक दवा लेने के नियम:-
होम्योपैथिक दवाओं की खुराक
होम्योपैथिक दवाओं को कई रूपों में बनाया जाता है, जैसे कि गोलियां, पिल्स और ड्रॉप्स जो उनकी खुराक के पैटर्न को निर्धारित करती हैं। डॉक्टर आपको आपकी विशिष्ट स्थिति, उसकी गंभीरता और अवस्था, आपकी उम्र और अन्य कारकों के आधार पर खुराक की मात्रा तथा कितनी बार लेनी है इसके बारे में सलाह देगा। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं तब ली जानी चाहिए जब आपका मुंह साफ हो और मुँह में कोई अन्य स्वाद या भोजन न हो। इससे रक्तप्रवाह में तेजी से दवा का अवशोषण होता है।
क्या होम्योपैथी घर पर ली जा सकती है?
छोटी बीमारियों के लिए, होम्योपैथी को घर पर लिया जा सकता है। लेकिन नियमित दवा लेने के बावजूद ठीक नहीं होने वाली पुरानी बीमारियों और आम रोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि चिकित्सक आपके अंतर्निहित “मिआस्म” को समझे और उसका सही इलाज करे। मिआस्म (miasm) शब्द की उत्पत्ति मिआस्मा (miasma) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ प्रदूषण है। मिआस्म होम्योपैथिक उपचार दर्शन की एक महत्वपूर्ण आधारशिला हैं। डॉ. हैनीमैन ने महसूस किया कि कुछ अंतर्निहित बल हैं जो उचित उपचार के बावजूद कुछ लोगों में बीमारी के पूर्ण समाधान को रोकते हैं। यही बल कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक बीमार बनाता है और उन लोगों में नई बीमारियों का कारण बनता है जिन्होंने किसी अन्य स्थिति के लिए कुछ उपचार प्राप्त किया था।
डॉ. हैनीमैन ने इस बल को मिआस्म कहा तथा तीन अलग-अलग प्रकार के मिआस्म जैसे कि, सोरा (psora), साइकोसिस (sycosis) और सिफलिस (syphilis) बताएं। अपनी पुस्तक, क्रॉनिक डिज़ीज़ में, वे बताते हैं कि कुछ लोगों और परिवारों में अपनी बीमारी का 'मूल’ होता है जो इलाज के बावजूद बीमारी को ठीक होने से रोकता है या एक विशेष बीमारी या बीमारी के प्रकार की प्रवृत्ति में वृद्धि करता है। उन्होंने किसी व्यक्ति और उसके परिवार में देखी जाने वाली बीमारियों के बीच के पैटर्न या इसी तरह की विशेषताओं पर ध्यान दिया। उन्होंने महसूस किया कि जब तक इसकी जड़ का इलाज नहीं किया जाता और इसे हटाया नहीं जाता, तब तक व्यक्ति अपने जीवन में एक या दूसरी बीमारी से ग्रस्त होता रहेगा।
होम्योपैथी के अनुसार, हम में से प्रत्येक व्यक्ति एक या एक से अधिक प्रकार के मिआस्म के साथ पैदा होता है, जो कुछ प्रकार की बीमारियों की आशंका बढ़ाता है। मिआस्म के नाम उन बीमारियों के साथ बहुत ही ढीले संबंध रखते हैं, जिन पर उनका नामकारण हुआ है। यह समझना जरुरी है कि मिआस्म कोई जादू नहीं करते हैं और कभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो सकते हैं। जब वे अनुपात से बाहर निकलते हैं तभी होम्योपैथिक उपचार से उनको केवल संतुलित किया जाता है। मिआस्म का उपचार उनकी रोग पैदा करने की क्षमता को कम करने में मदद करता है और जीवन-निर्वाह बल को मजबूत करता है, जिसे 'वाइटल फाॅर्स' भी कहा जाता है।
केवल वर्षों के अनुभव और समझ से ही होम्योपैथिक चिकित्सक पुरानी व जटिल बीमारियों के इलाज में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं। यह क्रिया घर पर हम स्वयं नहीं कर सकते हैं।
होम्योपैथी के साइड इफेक्ट्स और जोखिम:-
होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक तत्वों से बनी होती हैं, लेकिन उनका इतना महीन घोल (डाइल्यूट) बनाया जाता है कि मूल पदार्थ का तत्व नगण्य हो जाता है। इससे होम्योपैथी दवाएं बेहद सुरक्षित रहती है। किसी भी अध्ययन से आज तक किसी गंभीर जोखिम या होम्योपैथी के दुष्प्रभावों की सूचना नहीं मिली है। कोक्रेन डेटाबेस ऑफ़ सिस्टमैटिक रिव्यूज़ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग अध्ययनों ने कैंसर के रोगियों में होम्योपैथिक दवाओं के प्रभाव का विश्लेषण किया। इन अध्ययनों में होम्योपैथिक दवाओं से कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं पाया गया।
स्विटजरलैंड में स्विस फेडरल ऑफिस ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि होम्योपैथी और पारंपरिक दवा लेने वाले 3126 मरीजों में से होम्योपैथी लेने वाले रोगियों में 2 से 3 गुना कम दुष्प्रभाव हुए और पारंपरिक दवाएं वालो की तुलना में उनका संतुष्टि का स्तर उच्च था।
हालाँकि, होम्योपैथी काफी हद तक सुरक्षित है, लेकिन नियमित उपचार के बावजूद यदि लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो शीघ्र उपचार के लिए संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श करना जरूरी है।
इसके अलावा, वैक्सीन के रूप में होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता अभी सिद्ध नहीं हुई है। इसीलिए, बच्चों को आसानी से रोके जाने योग्य घातक रोगों से बचने के लिए देश के राष्ट्रीय टीकाकरण सूची के अनुसार टीकाकरण करवाया जाना चाहिए।
होम्योपैथी में परहेज :-
क्या होम्योपैथी के अनुसार किसी बीमारी के इलाज के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता है?
सामान्य विचार के विपरीत, कॉफी, लहसुन और प्याज जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से होम्योपैथिक दवाओं का असर कम नहीं होता है। उपचार लेते समय किसी भी समस्या से बचने के लिए खाद्य पदार्थों के संबंध में एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह का पालन करना सबसे बेहतर रहता है।
होम्योपैथी चिकित्सा नियामक प्राधिकरण :-
क्या होम्योपैथी किसी भी प्राधिकरण द्वारा विनियमित है?
हाँ, अधिकांश देशों में सरकार द्वारा होम्योपैथी को विनियमित किया जाता है। भारत में, यह आयुष मंत्रालय, केंद्रीय होम्योपैथी परिषद और एफडीए द्वारा विनियमित है। अमेरिका में, यह यूएस एफडीए द्वारा विनियमित है। होम्योपैथिक दवाओं का निर्माण किसी देश के फार्माकोपिया के अनुसार किया जाता है, जिसमें प्राकृतिक पदार्थों के चयन के साथ ही उनके प्रसंस्करण और अंतिम उपयोग हेतु घोल बनाने के लिए विस्तृत दिशा निर्देश होते हैं।
होम्योपैथिक इलाज की अन्य जानकारी:-
होम्योपैथी दो सदियों से भी अधिक पुरानी चिकित्सा पद्धति है। यह आम बीमारियों, जीवनशैली संबंधी विकारों और पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए काफी हद तक सुरक्षित, प्रभावी तथा जेब के अनुकूल विकल्प है। हालांकि, एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद ही यह चिकित्सा ली जानी चाहिए|
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उचित सलाह लेने के लिए योग्य चिकित्सक
महर्षि मेंही हेल्दी लाइफ क्लिनिक
डॉ दीपक कुमार
( होम्योपैथिक फिजीशियन) से संपर्क करें, और इस पेज को लाइक ,कमेंट ,और शेयर करें आपका बहुत-बहुत धन्यवाद|
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