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OM AstroInfo OM AstroInfo - An Astrological Solution An Integrated Apporach towards the Ancient and Modern Healing Techniques

01/12/2025

सूर्य, शुक्र और मंगल का का गोचर जलीय राशि वृश्चिक में, सूर्य और शुक्र अनुराधा नक्षत्र में , अनुराधा का स्वामी शनि जलीय राशि मीन में गोचर. जलीय आपदाओं का प्रकोप बढ़ेगा

30/11/2025
23/11/2025





















09/11/2025






















05/11/2025

Industrial Vastu treatment and energy enhancement atM I D C Technology Park, Talwade Pune

21/10/2025

धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु जैसे सनातन ग्रन्थ 21 अक्तूबर, मंगलवार को ही दीपावली मनाने का समर्थन करते है, आप सभी को दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

17/10/2025





















17/10/2025
16/10/2025

************************** ***🌹दीपावली पर्व🌹***
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*पांच दिवसीय दीपावली एवं लक्ष्मी पूजन दिवस निर्णय*
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*धन त्रयोदशी*, कुबेर पूजन,यम दीप दान *18 अक्टूबर 2025 शनिवार*

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*नरक चतुर्दशी* दीपदान, श्री धन्वंतरि जयंती श्री हनुमान जयंती- *19 अक्टूबर 2025* रविवार*

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*रूप चतुर्दशी* ,अरुणोदय स्नान *20 अक्टूबर 2025 सोमवार*

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*दीपावली पर्व*, पितृ पार्वण श्राद्ध, महालक्ष्मी पूजन, दीपोत्सव, उल्का दर्शन *21 अक्टूबर 2025* मंगलवार

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अन्नकूट गोवर्धन पूजा ,बलि पूजा ,*22 अक्टूबर 2025 बुधवार*

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*भाई दूज* ,यम द्वितीया *23 अक्टूबर 2025 गुरुवार*

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ज्योतिर्निबन्ध के वचन - *आश्विने कृष्णपक्षे तु द्वादश्यादिषु पञ्चसु। तिथिषूक्तः पूर्वरात्रे नृणां नीराजनो विधिः।* से स्पष्ट होता है कि दीपावली उत्सव पाँच दिवसीय है।

*दिवातत्र न भोक्तव्यमृते वालातुराज्जनात्। प्रदोष समये लक्षमीं पूजयित्वायथाक्रमम्। दीपवृक्षास्तथा कार्याः शक्त्या देवगृहेषु च।* अमावस्या के प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करनी चाहिए।

*इयं प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या। दिनद्वयसत्वासत्वे परा। युग्म वाक्यात्।* दो दिन प्रदोष काल में अमावस्या होने पर परा ही लेने का विधान है।
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पुरुषार्थ चिंतामणि का वचन-
*त्रियामगादर्शतिथिर्भेच्चेत्सार्ध*
*त्रियामा प्रतिपद्धि वृद्धौ* ।
*दीपोत्सवे ते मुनिभि: प्रदिष्टे*
*अतोsन्यथा पूर्व युते विधेयके* ।।
👉 अर्थात जब दूसरे दिन अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक हो, प्रतिपदा वृद्धि गामिनी हो, तब पूर्व दिन प्रदोष व्याप्त अमावस्या का परित्याग करके (पर) दूसरे दिन ही दीपोत्सव होगा, यह स्थिति न होने पर पूर्व में दिन हीं मान्य होगा। इस वर्ष इस नियम अनुसार भारत में सर्वत्र गणना प्राप्त होती है। काशी से निकलने वाले अशुद्ध गणित पंचांगों में भी यह गणना लगभग प्राप्त हो जाती है। *उपरोक्त धर्मशास्त्र प्रमाण वचनों के अनुसार इस वर्ष दीपावली पर्व 21 अक्टूबर 2025 , मंगलवार को ही सिद्ध होता है*।


*दीपदाने अमावास्या प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या। तस्त क्रमकालत्वोक्तेः। दिनद्वये प्रदोषव्याप्तौ परैव। *दण्डैकरजनीयोगो (योगे) दर्शस्य स्यात्कदाचन।* *तथा विहाय पूर्वेद्युः परेह्नि सुखसुप्तिका।* *इति तिथितत्त्वे ज्योतिर्निबन्धवचनात्।*

👉बीएचयू के एक विद्वान के अनुसार सूर्यास्त के बाद संध्याकाल 3 घटी तथा अगली 3 घटी प्रदोष काल होती है। रजनी का आरंभ (मुख) सूर्यास्त के 3 घटी बाद बताया गया। इस कारण दूसरे दिन अगर सूर्यास्त के बाद 3 घटी से अधिक अमावस्या हो तभी दूसरे दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है।

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ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि सूर्यास्त के बाद प्रदोष आरंभ होता है। संध्याकाल जिसमें केवल जप किया जाता है उस काल की 3 घटी (कुछ ग्रंथों के अनुसार नक्षत्रों के दिखने तक के काल) में भोजनादि का निषेध है, इसलिए व्रत-पूजन आदि कार्य 3 घटी बाद के प्रदोष काल में ही करना चाहिए। यह निर्णय नक्त व्रत निर्णय के लिए केवल विचार किया गया है अन्यत्र नहीं, यह उनकी मनमानी परिभाषा थी जो सभी पर व्यक्तिगत रूप से प्रक्षेपित की जा रही थी।
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*निर्णय* - रात्रि के प्रथम प्रहर में - प्रदोष काल का आरंभ सूर्यास्त के बाद से मान कर एवं संबंधित नियमों का अनुसरण करते हुए इस वर्ष *परा अमावस्या* ही ग्रहण किया है। अर्थात *21 अक्टूबर 2025 को ही लक्ष्मी पूजन* का निर्णय धर्म शास्त्रीय वचनों का आदर करते हुए दृश्य पंचांग कारों ने किया है।
तदनुसार-
*धन त्रयोदशी पर्व*
*श्री कुबेर पूजा पर्व*
कार्तिक कृष्ण द्वादशी शनिवार दिनांक 18 अक्टूबर 2025 मध्यान्ह में धन्वंतरि पूजा सायं काल प्रदोष 17:45 से 20:55 के मध्य यम दीप दान, रात्रि में कुबेर पूजा शुभ है।
*नरक चतुर्दशी*
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी रविवार तारीख 19 अक्टूबर 2025 श्री नरक काली दीपदान सायं काल प्रदोष 17:42 से 20:55 के मध्य शुभ है ।
*रूप चतुर्दशी अरुणोदय स्नान* कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी सोमवार तारीख 20 अक्टूबर 2025 अरुणोदय स्नान रात्रि शेष स्टै. टा. 29:44 से 6:06 मिनट के मध्य अरुणोदय के समय में तिल तेल लगाकर के स्नान करना, इस समय दरिद्रता का संहार कारक होता है ।धर्मशास्त्र के वचनों के अनुसार इस दिन जल में गंगा जी का निवास रहता है, तिल के तेल में लक्ष्मी जी का निवास रहता है, इसलिए अरुणोदय पर तिल का तेल लगा करके स्नान करना चाहिए, यह स्नान लक्ष्मी पूजन से पूर्व पितरों के पार्वण श्राद्ध के लिए एवं पश्चात लक्ष्मी पूजन के लिए प्रशस्ति होता है। इससे दरिद्रता का शमन होता है। अरुणोदय स्नान करने के बाद व्यक्ति को संपूर्ण दिन पूर्णतया व्रत करना चाहिए ,संभव हो तो दुग्ध जल से ही करें, अन्न का आहार या अन्य आहार सर्वथा वर्जित है ।अपराह्न काल में पार्वण श्राद्ध करके, प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए,यह भी धर्मशास्त्र का अनिवार्य नियम है।
*रूप चतुर्दशी अमावस्या*
*संयोग काली ,चामुंडा ,चंडी पूजा का विधान है* अर्ध रात्रि के समय भगवती महाकाली, महालक्ष्मी, दुर्गा की भगवान महेश्वर के साथ पूजा अर्चना करने से समस्त कष्टो से मुक्ति होती है, इस दिन मंत्र, तंत्र ,साधन करने का भी शास्त्रीय विधान प्राप्त होता है।
*महालक्ष्मी पूजा दीपावली पर्व*
कार्तिक कृष्ण *अमावस्या मंगलवार तारीख 21 अक्टूबर 2025* को *अपराह्न में पितृ पार्वण श्राद्ध* का समय 13:09 से 15:26 के मध्य है, इस दिन इस पार्वण श्राद्ध करने का विशिष्ट महत्व होता है । पार्वण श्राद्ध किए बिना लक्ष्मी पूजन नहीं करना चाहिए ,धर्मशास्त्र पहले पितृ पूजन के लिये आज्ञा देता है फिर महालक्ष्मी पूजन का विधान कथन करता है। इसके बाद सायं काल में प्रदोष समय 17:42 से 20:52 के मध्य महालक्ष्मी आवाहन ,पूजन ,दीपदान , छत पर खड़े होकर आकाश में पितरों के लिए उल्का दर्शन कराना शुभ होता है। तत्पश्चात मध्य रात्रि में निशीथ काल में भगवती त्रिपुर सुंदरी, महाकाली ,महालक्ष्मी आदि की विशिष्ट साधनाएं, वृषभ लग्न ,सिंह लग्न ,निशीथ काल में करने का धर्मशास्त्र आदेश देता है ।
*अन्नकूट गोवर्धन पूजा* कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बुधवार तारीख 22 अक्टूबर 2025 को मध्यान्ह 10:00 बजे से 2:00 के मध्य श्री गोवर्धन पूजा ,बलि पूजा ,अन्नकूट शुभ है ।
*भाई दौज ,यम द्वितीया* कार्तिक शुक्ल द्वितीया गुरुवार तारीख 23 अक्टूबर 2025 को भाई दौज ,यम द्वितीया है। इस दिन बहन के घर जाकर भाई के द्वारा भोजन ग्रहण करना, तिलक लगवाना, बहन का आशीर्वाद प्राप्त करना आदि कर्तव्य धर्मशास्त्र संगत है। धर्म शास्त्रीय वचनों के अनुसार इस दिन भाई के साथ बहन को यमुना स्नान करना चाहिए, इससे भाई का यम यातना का भय दूर होता है। और भाई दीर्घायु होता है।
धर्मशास्त्र के वचनों के अनुसार यह पांच दिवसीय पर्व संपूर्ण भारत में उपरोक्त तिथियो में ही सिद्ध होता है।

*🙏OM AstroInfo🙏*

13/10/2025





















11/10/2025





















01/10/2025

*{{महत्वपूर्ण जानकारी व्रत और पारणा की}}*
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*प्रश्न :- व्रत का पारण न हो और*
*अगला व्रत आ जाय तो क्या करें ?*
*उत्तर :- विना पारण के अगला व्रत*
*प्रारम्भ नही होगा।*

*व्रतराज मे लिखते हैं-*
*************
*पारणान्तं व्रतं ज्ञेयं व्रतान्ते विप्र भोजनम्।*
*असमाप्ते व्रते पूर्वे कुर्यान्नैव व्रतान्तरम्।।*
*{व्रतराज पृ.12}*
*व्रत के पारण तक व्रत ही जानना चाहिये। पारण के बाद ब्राह्मण भोजन कराना चाहिये। पहले व्रत के पारण के बिना। अगला व्रत प्रारंभ नहीं करना चाहिये। ऐसा अधिकतर वार के व्रत में होता है। जैसे एकादशी के बाद सोमवार का व्रत, प्रदोष के बाद सोमवार का व्रत, नवरात्रि के बाद गुरुवार का व्रत आना, तो ऐसी स्थिति में क्या करे ?*

*जल से (भगवान के चरणामृत से) पारण करें ।इसका शास्त्रीय आधार क्या है -निर्णय सिन्धु एकादशी निर्णय पृष्ट 81 माधवीय मे देवल का बचन उद्धृत करते हुये कहते है-*

*संकटे विषमे प्राप्ते द्वादश्यां पारयेत् कथम्।*
*अद्भिस्तु पारणा कुर्यात् पुनर्भुक्तं न दोषकृत्।।*

*यदि विषम संकट प्रप्त हुआ हो तो(यहां विषम संकट से मतलब है द्वादशी समाप्त होकर त्रयोदशी आ रही हो) तो ऐसी दशा मे जल से (भगवान के चरणामृत से) पारण कर लें फिर अपने समय से भोजन करें तो कोई दोष नही होगा।*

*इसका बड़ा उदाहरण श्रीमद् भागवत में नवम स्कन्ध के चौथे अध्याय में अम्बरीष का कथानक है। अम्बरीष हमेशा एकादशी का व्रत करते थे। एक दिन दुर्वासा आये और अम्बरीष ने उनको भोजन का निमंत्रण दे दिया। वे स्नान करने के लिए चले गये। अब द्वादशी निकल रही थी तो क्या करें ? त्रयोदशी में पारण नही होता, अत: उन्होंने ब्राह्मणों से विचार विमर्श किया और कहा -*

*अम्भसा केवलेनाथ करिष्ये व्रतपारणम्।*
*प्राहुरब्भक्षणं विप्रा ह्यशितं नाशितं च तत्।।*
*{श्रीमद्भागवत 9/04/40}*
*हे ब्राह्मणों ! श्रुतियों में ऐसा कहा गया है कि जल पी लेना भोजन करना भी है और भोजन न करना भी है, इसलिये इस समय केवल जल से यानी भगवान के चरणामृत से पारण किये लेता हूं।*

*इत्यप: प्राश्य राजर्षिश्चिन्तयन् मनसाच्युतम्।*
*{श्रीमद्भागवत 9/04/41}*
*ऐसा निश्चय करके मन ही मन भगवान का चिंतन करते हुये जल से पारण कर लिया।इसलिये तिथियों के व्रत (एकादशी, प्रदोष आदि) के बाद वार का व्रत आ रहा है तो प्रातः काल भगवान के चरणामृत से प्रदोष का, एकादशी का, नवरात्रि का, पारण कर लें और फिर दिन का व्रत प्रारंभ करें और सूर्यास्त के बाद वार के व्रत समाप्त हो जाते हैं तो भोजन कर ले इस तरह से दोनों व्रतों का पालन हो जायेगा।*

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C-512 Bhumi Allium, Kokane Chowk, Pimple Saudagar
Pune
411017

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