Dr Anuradha Batra Gynaecologist

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गर्भवती महिलाओं के लिए अमृत है आंवलानई द‍िल्‍ली: आयुर्वेद‍ में आंवला एक गुणकारी फल माना गया है। इसका सेवन कई रोगों से बच...
17/01/2018

गर्भवती महिलाओं के लिए
अमृत है आंवला

नई द‍िल्‍ली: आयुर्वेद‍ में आंवला एक गुणकारी फल माना गया है। इसका सेवन कई रोगों से बचाने वाला बताया जाता है। वहीं वजन कम करने में भी आंवला सहायक है। साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए आंवले के कई फायदे बताए गए हैं। इसे इंडियन गूसबैरी भी कहते हैं।

प्रेग्‍नेंट लेडी को वैसे भी अपनी डाइट का ख्‍याल रखना चाहिए। दरअसल इस दौरान कई छोटी बातों को नजरअंदाज करना होने वाले बेबी को नुकसान पहुंचा सकता है। आने वाले नन्‍हे मेहमान की अच्‍छी हेल्‍थ के लिए जरूरी है कि होने वाली मां के खाने-पीने में अच्‍छी चीजें शामिल हों और आंवला भी इन्‍हीं में से एक है। हालांकि इसके बारे में एक बार डॉक्‍टर से जरूर परामर्श लेना चाहिए।
1. विटामिन्स का है पावरहाउस
आंवले के बारे में सब जानते हैं कि यह विटामिन सी से भरपूर है और यह आयरन का स्‍तर शरीर में सही बनाता है। अगर गर्भावस्था में आंवले का सेवन किया जाए तो इस दौरान शरीर को जरूरत के मुताबिक आयरन कंज्यूम करने को मिलता है। इससे हिमोग्लोबिन का लेवल भी मेंटेन रहता है।
2. एनीमिया में है लाभदायक
आंवला खून में हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बनाए रखता है। इतना ही नहीं गर्भावस्था के आखिरी तीन महिनों में हाथों और पैरों में आने वाली सूजन में आंवले में पाए जाने वाले गुणों के कारण बहुत हद तक राहत मिलती है।
3. ऑक्‍सीजन फ्लो करता है ठीक
गर्भावस्था में भले ही कई चीजों को खाने से मना किया जाता है लेकिन आंवला के साथ ऐसा नहीं है। इसके सेवन से खून साफ होता है और साथ ही गर्भ में पल रहे बच्‍चे तक खून और ऑक्‍स‍िजन आराम से पहुंचता है।
4. बढ़ाता है प्रतिरोधक क्षमता
अपने गुणों के कारण आंवला शरीर की इम्‍यूनिटी दुरुस्‍त करता है। आंवले में विटामिन सी के चलते इंफेक्शन से बेहतर सुरक्षा मिलती है। द‍िन में एक कच्‍चा आंवला ही शरीर को सुरक्षा देने के लिए पर्याप्‍त है।
5. कब्ज से दिलाता है राहत
फाइबर्स से भरपूर होने की वजह से आंवला कब्ज में आराम देता पहुंचाता है। साथ ही यह ब्‍लड प्रेशर यानी BP को भी मेंटेन रखता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी की पहले तीन महीनों में मॉर्निंग सिकनेस में भी आंवला आराम देता है।
लेकिन रखें इन बातों का ध्‍यान
हालांकि आंवला एक गुणों का भंडार है, लेकिन यह फायदेमंद तभी है जब इसे सही मात्रा में आवश्यकता अनुसार खाया जाए। इसे ज्‍यादा खाने से कब्ज, डायरिया और शरीर में पानी कम होने की शिकायत हो सकती है। साथ ही साथ इससे त्वचा भी रूखी हो सकती है।
कब नहीं खाना चाह‍िए आंवला
सर्दी-जुकाम और कफ होने पर आंवला के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही साथ आंवले में लेक्सीटिव गुण भी होते है, इसलिए डायरिया में इसे भूलकर भी नहीं खाना चाहिए।

दुसरो की ही नहीं, आपकी ज़िन्दगी भी सुरक्षित रखता है रक्त दानहेल्थ डेस्क। ब्लड डोनेशन हर साल लाखों लोगों की ज़िंदगी बचाता ...
17/01/2018

दुसरो की ही नहीं,
आपकी ज़िन्दगी भी सुरक्षित रखता है
रक्त दान

हेल्थ डेस्क। ब्लड डोनेशन हर साल लाखों लोगों की ज़िंदगी बचाता है। ये थैलेसीमिया जैसी जानलेवा बीमारी के मरीज़ों की ज़िंदगी के दिनों को सही दवाओं और सर्जरी के साथ बढ़ाने में मदद करता है। इसका मां और शिशु के स्वास्थ्य में भी बड़ा योगदान है। ये बात जानना जरूरी है कि इंसान का खून बनाया नहीं जा सकता, जो लोग इसे डोनेट करते हैं केवल वही इसका स्रोत होते हैं। लेकिन इसके कई और फायदे भी है......

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार रक्त डोनेट करने वाले लोगों में स्ट्रोक, अटैक और कैंसर का खतरा काफी कम होता है और ऐसे लोग जल्दी-जल्दी बीमार भी नहीं होते हैं। रक्त का दान करने से धमनियों को नुकसान कम पहुंचता है जिससे खून के अवरुद्ध होने का खतरा भी काफी कम हो जाता है। रक्त दान करने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा 80 % तक कम हो सकता है।

आयरन की ज़्यादा मात्रा लाल रक्त कोशिकाओं में पायी जाती है और जब रक्त दान किया जाता है तो आयरन कुछ मात्रा में कम हो जाता है लेकिन आयरन की ये मात्रा खाद्य पदार्थों से वापिस मिल जाती है। आयरन के लेवल में होने वाले ऐसे बदलावों को चिकित्सा विशेषज्ञ सेहत के लिए अच्छा मानते हैं क्योंकि आयरन की इस मात्रा के ज़्यादा हो जाने पर धमनियों को नुकसान पहुँच सकता है।

रक्त दान करने से पहले हर व्यक्ति के शरीर के तापमान, रक्तचाप, हार्टबीट के लेवल को जांचा जाता है जिससे ये जानकारी मिलती है कि शरीर को किसी प्रकार की समस्या या रोग का खतरा तो नहीं है और इस तरह रक्त दान करने से मेडिकल चेकअप की सुविधा भी मिल जाती है।

जानिए क्यों झड़ते हैं महिलाओं के बालQUICK BITES:एंड्रोजेनिक एलोपेसिया के कारण झड़ते हैं महिलाओं के बाल। टायफाइड, वायरल स...
17/01/2018

जानिए क्यों झड़ते हैं
महिलाओं के बाल

QUICK BITES:
एंड्रोजेनिक एलोपेसिया के कारण झड़ते हैं महिलाओं के बाल। टायफाइड, वायरल संक्रमण या दवाओं के कारण भी हो सकते हैं कारण। सर्जरी और एनेस्थिसिया का प्रभाव भी पड़ता है बालों पर। प्रीमेनोपॉज या मेनोपॉज अवधि के दौरान ज्यादा झड़ते हैं महिलाओं के बाल।


महिलाओं में एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया को फीमेल पैटर्न बाल्डानेस के रूप में भी जाना जाता है और यह मेल पैटर्न बाल्डनेस की तरह ही सामान्य रूप से पाया जाता है। फीमेल पैटर्न बाल्डनेस बालों के गिरने की आनुवंशिक समस्या है, जिसमें पूरे सिर की त्वचा पर बाल क्रमिक रूप से विरल हो जाते हैं। महिलाओं में एंड्रोलेनेटिक बाल्डनेस पुरूषों की भांति हेयरलाइन पर असर नहीं दिखाता या पूरी तरह से गंजेपन का शिकार नहीं बनाता बल्कि बालों का क्रमिक रूप से कम होते जाना देखने में आता है।महिलाओं के बाल कई कारणों से गिरते हैं। उम्र बढ़ने के साथ पुरूषों और महिलाओं दोनों में ही बालों की मोटाई और सघनता कम होती जाती है, बालों इस तरह पतला होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे इन्वॉजल्यूशनल एलोपेसिया के नाम से जाना जाता है। ऐसा तब होता है जब सामान्य से अधिक मात्रा में बालों के रोमकूप रेस्टिंग फेज में होते हैं और ग्रोथ फेज कम होता है।



इसे भी पढ़े: बालों को कैसे बनाए घना

बालों के समय से पहले गिरना एक आनुवंशिक समस्या है जिसे एंड्रोजेनिक एलोपेसिया कहा जाता है। महिलाओं में बाल गिरने का यह एक सामान्य‍ रूप है। लेकिन गंजेपन की शुरूआत होने का समय और प्रतिरूप (पैटर्न) लिंग के अनुसार अलग-अलग होते हैं। इस समस्या से परेशान पुरूषों में बाल गिरने की समस्या किशोर अवस्था से ही हो सकती है, जबकि महिलाओं में इस प्रकार बाल गिरने की समस्या 30 के बाद उत्पन्न, होती है। महिलाओं में एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया को फीमेल पैटर्न बाल्ड नेस के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं के पूरे सिर के बाल कम हो जाते हैं लेकिन हेयरलाइन पीछे नहीं हटती।
हालांकि यह पूरे गंजेपन का कारण थॉयरॉइड बढ़ने का बड़ा इशारा है बालों का झड़ना। थायरॉइड ग्लैंड के अधिक सक्रिय होने या कम सक्रिय होने का संबंध बालों के झड़ने से है पर तसल्ली की बात यह है कि थायरॉइड के उपचार के साथ-साथ यह समस्या अपनेआप कम हो जाती है।कई बार बड़ी सर्जरी के कई महीनों बाद तक भी बालों का झड़ना कम नहीं होता है। इसकी वजह सर्जरी और एनेस्थिसिया का प्रभाव और रिकवरी में देरी हो सकता है।
बहुत लंबे समय तक तेज बुखार, टायफाइड या वायरल संक्रमण के कारण भी बाल अधिक झड़ते हैं। यह कोई स्थायी समस्या नहीं है और इन रोगों के उपचार के साथ-साथ इसे ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ विशेष प्रकार की दवाएं, जैसे रक्त पतला करने के उपचार के दौरान ली जाने वाली दवाएं, विटामिन ए सप्लीमेंट, गठिया, दिल के रोगों से जुड़ी दवाएं, बीपी की गोलियां, कंट्रासेप्टिव दवाएं या नींद की दवाओं के सेवन से भी बालों का झड़ना बढ़ जाता है।

इसे भी पढ़े: अच्छे बालों के लिए खायें ये आहार

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिसकी वजह से भी बाल तेजी से झड़ते हैं। गर्भावस्था के दौरान खानपान पर ध्यान देने से इसे कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
एस्ट्रोबजेन (महिला) और टेस्टोतस्टेरोन (पुरूष) ये दोनों ही प्रकार के हार्मोन पुरूषों और महिलाओं की शरीर प्रणालियों (बॉडी सिस्टमम्स) में पाए जाते हैं लेकिन पुरूषों से महिलाओं में इन दोनो हार्मोनों का स्तर अलग-अलग होता है। महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर टेस्टोस्टेरोन से ज़्यादा होता है जबकि पुरूषों में इसके विपरीत होता है।
एस्ट्रोजेन अनिवार्य हार्मोन हैं जो महिलाओं के प्रजनन अंगों के लैंगिक विकास हेतु जिम्मेदार होते हैं। स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजेन की प्राकृतिक और उच्च उपस्थिति के कारण महिलाओं को पैटर्न बाल्डसनेस से बचाव में मदद मिलती है जो टेस्टोतस्टेहरोन के असर को संतुलित रूप से रोकता है, इस तरह से कुछ सीमा तक बालों के गिरने की आनुवंशिक समस्याअ से राहत मिलती है।
हालांकि हार्मोन संबंधी गड़बड़ियों के कारण जो कि विभिन्न कारणों से हो सकती हैं महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर गिरने से टेस्टोस्टेरोन को टेकओवर करके डीएचटी में परिवर्तित होने का मौका मिल सकता है जो बालों के गिरने का कारण बनता है।


आनुवंशिक कारणों के अलावा, महिलाओं में बाल गिरने की समस्या थॉयराईड हार्मोन्स के असंतुलन, गर्भावस्था, मेनोपॉज, बीमारियों और दवाओं से उपचार के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में बाल गिरने की शुरूआत प्रीमेनोपॉज या मेनोपॉज अवधि के दौरान अधिकतर देखने में आती है जब एक निचले स्थिर स्तर तक पहुंचने के लिए एस्ट्रो जेन का स्तर असंतुलित होता है और टेस्टोस्टेरोन के खिलाफ एस्ट्रोजेन की बचाव क्षमता में कमी हो जाती है।

लड़कियां ही पढ़े, गर्भवती होने पर भूल से भी ना खाएं ये चीजेंगर्भवती होना हर महिला का सपना होता है. गर्भवती होने पर महिला...
15/01/2018

लड़कियां ही पढ़े,
गर्भवती होने पर भूल से भी ना खाएं ये चीजें

गर्भवती होना हर महिला का सपना होता है. गर्भवती होने पर महिला को बड़ी सावधानी के साथ रहना पड़ता है क्यूंकि जो भी महिला कहती है या पीती है उसका सीधा असर उसके पेट में पल रहे बच्चे पर होता है और आज मै आपको कुछ ऐसी ही बाते बताने जा रही हु जो हर गर्भवती महिला को पता होना चाहिए.

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गर्भवती होने पर कभी भी कॉफी, चाय, या जंक फूड जैसी चीज़े कभी ना खाये क्योंकि मां के ज्यादा कॉफी, चाय, या जंक फूड लेने से बच्चे के विकास पर बुरा असर होता है, इसीलिए गर्भवती होने पर ध्यान रखे की ये सब चीज़े न खाये.
गर्भवती होने पर विटामिन की चीज़े खानी चाहिए ये तो आपको पता ही होगा लेकिन विटामिन ए से भरपूर चीजें जैसे की कलेजी, लाल मिर्च और चुकंदर ज़रूरत से ज़्यादा न खाये.
अक्सर घर में खाना कम पड़ जाने पर बाहर से मंगा कर मैदे से बनी ब्रेड खा लेते है लेकिन ये सब चीज़े सेहत के लिए काफी हानिकारक होती है.गर्भवती होने पर मैदे से बनी ब्रेड व अन्य मैदे से बनी चीजों से परहेज रखें.
गर्भवती होने पर मीठे से भरपूर चीज और जरुरत से ज्यादा मसालेदार खाना लेने से गर्भपात का कारण बन सकता है, इसीलिए ज़्यादा मीठी चीज़े न खाए.

सभी को तहे दिल से मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं
12/01/2018

सभी को तहे दिल से मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

इस तरह गोरा रंग पाने के लिए अपनाये ये नुश्खेडेस्क- ब्लीच चेहरे को सुंदर बनाने के लिए बहुत ही अच्छी है लेकिन इससे नुकशान ...
11/01/2018

इस तरह गोरा रंग पाने के लिए अपनाये ये नुश्खे
डेस्क- ब्लीच चेहरे को सुंदर बनाने के लिए बहुत ही अच्छी है लेकिन इससे नुकशान बहुत है अगर आप ब्लीच करवाते हैं तो आपकी त्वचा बहुत ही खराब हो जाती है और दूसरा ये ब्लीच बहुत महंगे भी आते हैं ऐसे में हम आज आप को घर पर ही बनने वाले ऐसे ब्लीच के बारे में बता रहे हैं जिनसे आपकी त्वचा 15 मिनट में गोरी हो जाएगी और कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं आएगा।
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-मसूर दाल को पानी में भिंगोकर कुछ देर के लिए छोड़ दें उसके बाद इसे महीन पीस लें आप चाहें तो इसमें कुछ मात्रा में कच्चा दूध भी मिला सकती हैं इसके बाद इस पैक को चेहरे पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें सूखने के बाद चेहरा धो लें आपको खुद ही फर्क नजर आने लगेगा।
-दो छोटे चम्मच बेसन में आधा छोटा चम्मच हल्दी और 8-10 बूंदे गुलाब जल और थोड़ा सा निम्बू मिला कर पतला लेप बना ले नहाने से पहले ये लेप चेहरे पर लगाये और सूखने के बाद इसको धो ले।
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-आप चाहें तो दही में बेसन मिलाकर भी चेहरे की रंगत निखार सकती हैं ये भी एक बेहतरीन नेचुरल ब्लीच है दो चम्मच दही में एक चम्मच बेसन अच्छी तरह मिला लें उसके बाद इस पेस्ट को चेहरे पर समान रूप से लगाएं जब ये पैक सूख जाए तो चेहरे को साफ गुनगुने पानी से धो लें आपका चेहरा साफ हो जाएगा।
-नींबू और शहद को बराबर मात्रा में मिला लें इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने से पहले चेहरे को साफ पानी से धो लें इस मिश्रण को चेहरे पर 15 मिनट तक लगाकर सूखने दें उसके बाद चेहरे को हल्के गुनगुने पानी से धो लें चेहरे की रंगत खिल उठेगी इस पैक को हफ्ते में दो से तीन बार लगाकार आप और भी बेहतर रिजल्ट पा सकती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क। ज्यादा खाना खाने से पेट पर चर्बी जमा हो जाती है, जिसके कारण आप मोटे लगते हैं। इसलिए आज हम आपको वजन को ...
10/01/2018

लाइफस्टाइल डेस्क। ज्यादा खाना खाने से पेट पर चर्बी जमा हो जाती है, जिसके कारण आप मोटे लगते हैं। इसलिए आज हम आपको वजन को कम करने और फ्लैट टमी पाने के बारें में बताएगें। यदि आप फ्लैट टमी पाना चाहते हैं तो आपको इन बातों को ध्यान में रखना होगा। तो आइए जानते है इनके बारे में…

• सुबह का नाश्ता
पेट की चर्बी कम करने के लिए सुबह का नाश्ता कभी न छोड़ें। यदि आप ऐसा करते हैं तो पेट कम होने की जगह बढ़ जाता है। भोजन को नियमित समय पर खाएं। दिन में एक बार पेट भर खाना खाने की जगह कुछ समय बाद थोड़ा-थोड़ा खाएं।

• खाद्य पदार्थो
फ्लैट टमी पाने के लिए आपको अपने खाने में इन खाद्य पदार्थो का इस्तेमाल करने से बचना चाहिएं। जैसे कि मछली, शैलफिश, लीन मीट आदि। असल में ये खाद्य पदार्थ पेट के लिए स्वस्थ नहीं है। इसलिए अगर आप फ्लैट टमी पाना चाहते हैं तो आपको मीट नहीं खाना चाहिएं।

• पानी
पानी का सेवन करने से हमारे शरीर के सारे विषैले पदार्थों बाहर निकाल जाते हैं। जिसकी वजह से हमारा वजन कम होता है। इसलिए हर रोज दिन में 8-10 गिलास पानी के जरूर पीने चाहिएं।

महिलाओं के शरीर के बारे मे ये बाते नही पता होंगी आपको,दोस्तो जैसा कि आप लोगो को पता है कि महिला का शरीर पुरुष के शरीर के...
10/01/2018

महिलाओं के शरीर के बारे मे
ये बाते नही पता होंगी आपको,

दोस्तो जैसा कि आप लोगो को पता है कि महिला का शरीर पुरुष के शरीर के मुकाबले बिल्कुल भिन्न होता है। अगर आप ये सोच रहे है कि महिला का शरीर पुरुष के शरीर से कमजोर होता है तो आप बिलकुल गलत सोच रहे है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातों के बारे मे बताएंगे जिनके बारे मे आपको पता नही होगा।

* महिलाओं का शरीर पुरुष के शरीर के मुकाबले बहुत लचीला होता है पुरुषों की तुलना में, महिलाओं की मांसपेशियां हल्की और अधिक लचीली होती हैं प्रकृति ने उसकी मांसपेशियों को इस तरह से बनाया है ताकि उनका शरीर गर्भावस्था के दौरान आसानी से बदल सकें और बच्चे की प्रसव के बाद आकृति में वापस आ सकें।

* महिलाओं का दिल पुरुषों के दिल से ज्यादा तेज़ धड़कता है। उनके दिल का औसत वजन 118 ग्राम है जबकि पुरुषों के वजन का वजन अगर महिलाओं की तुलना में 60 ग्राम अधिक है

*महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक दर्द सहन कर सकती हैं एक महिला का शरीर पुरुषों की तुलना में अधिक दर्द सहन कर सकता है महिला के शरीर में अधिक दर्द रिसेप्टर होता है जिससे उसे पुरुषों की तुलना में अधिक दर्द और बहुत जल्दी महसूस होता है। लेकिन इसके बाद भी, वे अधिक दर्द सहन कर सकते हैं। यही कारण है कि वे सिरदर्द और शरीर के दर्द के साथ काम कर सकती हैं।

ल्यूकोरिया को बीमारी न बनने देंल्यूकोरिया महिलाओं में होने वाली आम शिकायत है। ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) सदैव किसी बीमारी ...
10/01/2018

ल्यूकोरिया को बीमारी न बनने दें

ल्यूकोरिया महिलाओं में होने वाली आम शिकायत है। ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) सदैव किसी बीमारी की वजह से नहीं होता।

ND ND
योनि मार्ग में लैकटोबेसिलस नामक तत्व के कारण एक हल्का पारदर्शी पानी सरीखा गीलापन बना रहता है। लैकटोबेसिलस योनि मार्ग के पानी की अम्लता को एक संतुलित स्थिति में बरकरार रखता है। इसी अम्लता की वजह से हानिकारक जीवाणुओं की वृद्धि नहीं हो पाती, पर कुछ स्थितियों में योनि मार्ग में सफेद पानी का आना बढ़ जाता है। इस स्थिति को ल्यूकोरिया और आम भाषा में सफेद पानी कहा जाता है।
श्वेत प्रदर का निकलना इन स्थितियों में बढ़ सकता है :

* मासिक चक्र के पहले।
* दो मासिक चक्र के बीच के दिनों में।
* उत्तेजना के समय व इसके बाद।
* कॉपर टी. या मल्टीलोड गर्भ-निरोधक लगा होने पर।
* गर्भावस्था में।
* लड़कियों में मासिक चक्र शुरू होने के बाद।

असामान्य स्थिति
जब श्वेत प्रदर अधिक गाढ़ा, मटमैला और लालिमा लिए हुए हो, इसमें चिपचिपापन और बदबू आती हो, तब यह समझना चाहिए कि ल्यूकोरिया असामान्य स्थिति में पहुँच चुका है। इसके अलावा जलन, खुजली और चरपराहट होती है। घाव भी हो सकते हैं। इस स्थिति में तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

संक्रमण से बचाव

* शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें।
* सूती अंतःवस्त्र पहनें।
* मासिक चक्र के समय स्वच्छ व स्टरलाइज पैड का प्रयोग करें।
* 35 वर्ष की उम्र के बाद हर वर्ष पानी की जाँच कराएँ।

लिकोरिया के कारण और लक्षण Causes, Symptoms of Leucorrhea in Hindiडायबिटीज, एंटीबायोटिक के द्वारा किसी रोग के इलाज़ के बाद...
10/01/2018

लिकोरिया के कारण और लक्षण Causes, Symptoms of Leucorrhea in Hindi

डायबिटीज, एंटीबायोटिक के द्वारा किसी रोग के इलाज़ के बाद भी लिकोरिया हो सकता है।

गर्भावस्था में योनी से सफ़ेद-पीला, बदबूरहित, गाढ़ा चीज़ के छोटे टुकड़े जैसा डिस्चार्ज हो सकता है।

जब किशोरवस्था में पीरियड्स की शुरुवात होती है तो भी सफ़ेद पानी की समस्या हो सकती है।

लिकोरिया जो इन्फेक्शन के कारण होता है उसमें योनी से निकलने वाला फ्लूइड या पदार्थ गाढ़ा, पीला, हरा, होता है जिसमें बदबू आती है तथा योनी क्षेत्र में खुजली, जलन, दर्द, सूजन आदि लक्षण भी पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त पीठ में दर्द, बुखार तथा अन्य लक्षण भी हो सकते है।

लिकोरिया जो की इन्फेक्शन के कारण होता है उसमें शामिल है ट्राईकोमोनस, कैंडीडीयासिस, और बैक्टीरियल वैजिनोसिस।

ट्राईकोमोनस trichomoniasis (caused by trichomonas vaginalis) एक यौन रोग है जिसमें पेशाब और जनन अंगों में इन्फेक्शन हो जाता है। ट्राईकोमोनस में होने वाला स्राव बहुत ज्यादा, पतला, पीला-हरा, झागदार और बदबूदार होता है। इसमें योनी के आस पास काफी खुजली होती है। इसमें वजाईना वाल पर बहुत से स्ट्राबेरी स्पॉट देखे जा सकते हैं। इसके अन्य लक्षणों में शामिल है पेशाब में दर्द, जलन, आदि। ट्राईकोमोनस, के कारण अबोर्शन, पेल्विस में सूजन, समयपूर्व बच्चे का जन्म, और इनफर्टिलिटी या बाँझपन हो सकता है।

कैंडीडीयासिस candidiasis/ moniliasis (caused by candida albicans) , एक यीस्ट इन्फेक्शन है जो कैंडिडा के कारण होता है। यीस्ट इन्फेक्शन में होने वाला डिस्चार्ज ज्यादा, गाढ़ा-दही जैसा सफ़ेद एवं खुजली के साथ होता है। यह उन स्त्रियों में भी हो सकता है जिन्हें डायबिटीज हो या जिनमे एंटीबायोटिक किसी रोग के उपचार के लिए लम्बे समय तक प्रयोग किया गया हो। यह ओरल कॉण्ट्रासेप्टिव पिल लेने से और प्रेगनेंसी में भी हो सकता है। इसमें भी पेशाब में जलन और दर्द होता है।

बैक्टीरियल वैजिनोसिस bacterial vaginosis (caused by variety of mixed pathogens like Staphylococcus, Streptococcus, E. coli etc.) में योनी क्षेत्र में हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या बहुत बढ़ जाती है। इसमें स्राव सफ़ेद, मिल्की होता है जिसका pH ४.५ से ज्यादा होता है।

इसके अलावा, कमजोरी, थकान, कुपोषण, पुरानी बीमारी, अनुचित आहार, कब्ज और सफाई का ध्यान न रखना भी लिकोरिया के लिए जिम्मेदार है।

ल्यूकोरिया (सफ़ेद स्राव): लक्षण और कारणलक्षणगाढ़ा और चिपचिपा योनि स्राव।खुजली, दर्द, जलन या बेचैनी, या ऊतकों की लालिमा।कमर...
10/01/2018

ल्यूकोरिया (सफ़ेद स्राव):
लक्षण और कारण

लक्षण

गाढ़ा और चिपचिपा योनि स्राव।
खुजली, दर्द, जलन या बेचैनी, या ऊतकों की लालिमा।
कमर और पैरों के घुटनों तथा टखने के बीच के हिस्से में दर्द होता है।
आलस
कमजोरी
कब्ज
बार-बार सिरदर्द

कारण

ल्यूकोरिया का कारण बैक्टीरिया, फफूंद या अन्य सूक्ष्मजीवियों का संक्रमण हो सकता है।
उचित स्वच्छता ना होना
हार्मोन सम्बन्धी असंतुलन।
कब्ज और अपच।
तीव्र खुजली के कारण घाव होना।
भारी, तले, ठन्डे, मीठे और गाढ़े आहारों का अधिक सेवन।
दूध, मक्खन, दही, और पनीर का अत्यधिक प्रयोग।
यौन कार्य में अति सक्रियता।
बार-बार गर्भपात होना या करवाना।
रक्ताल्पता और अन्य रोग, जैसे कि मधुमेह।
मानसिक तनाव और चिंता।

उम्र बढऩे के साथ बढ़ जाता है डिमेंशिया खतरानींद का नहीं आना या फिर बिस्तर पर काफी देर पड़े रहने के बाद भारी मशक्कत से नी...
10/01/2018

उम्र बढऩे के साथ बढ़ जाता है डिमेंशिया खतरा

नींद का नहीं आना या फिर बिस्तर पर काफी देर पड़े रहने के बाद भारी मशक्कत से नींद का आना। यह एक ऐसी समस्या है, जिससे अमूमन शहरी जीवनशैली बिताने वाला हर शख्स जूझ रहा है। वहीँ एक नए रिसर्च में यह चेताया गया है कि बेचैनी भरी नींद से ग्रस्त लोगों में भविष्य में पार्किन्सन बीमारी या मनोभ्रंश (डिमेंशिया) होने का खतरा बढ़ जाता है।

डेनमार्क की आरहुस यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि रैपिड आई मूवमेंट स्लीप बिहेवियर डिसॉर्डर (आरबीडी) के मरीजों में डोपामाइन की कमी होती है और उनमें मस्तिष्क शोथ का एक प्रकार मौजूद होता है।

उन्होंने बताया कि इसका अर्थ है कि ऐसे लोगों में उम्र बढऩे के साथ पार्किन्सन बीमारी या डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन दर्शाता है कि आरबीडी से पीडि़त मरीजों में भविष्य में पार्किन्सन बीमारी और डिमेंशिया होने का खतरा होता है क्योंकि उनके मस्तिष्क में पहले से ही डोपामाइन की कमी होती है।

पार्किन्सन बीमारी मुख्य रूप से इसिलए होती है क्योंकि डोपामाइन बनाने वाली मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं का समूह काम करना बंद कर देता है। आरबीडी निद्रा विकार में नींद के उस हिस्से में दिक्कतें आती हैं जिसमें सपने आते हैं।

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