27/06/2017
दांत #निकलना: #निर्दोष #दांत..
"" शिशु के दांत निकलना ""
अधिकांश भारतीय परिवार एक बेहद अहम् प्रक्रिया मानकर चलते हैं। जो कि दरअसल अहम् है भी किंतु जिस रूप में इसे अहम् माना जाता है वह बहुत सी परंपरागत बरसों से चली आ रही भ्रांतियों का प्रतिबिंब भी है।आज आपको विस्तार से शिशु के दांत सम्बंधित तथ्य और उनसे जुड़ी भ्रांतियों के सच बताता हूँ। #देर #से #दांत #निकलना:पहले तो समझ लें क़ि शिशु का पहला दांत सामान्यतः 6 माह से लेकर 13 माह की उम्र तक निकलता है।पड़ोसी लालाइन के बेटे का पहला दांत 6 माह पर निकले और अग्रवालन के बेटे का 12 माह पर , तो अग्रवालन को दुखी होने की ज़रूरत नहीं। यह कोई प्राकृतिक प्रतियोगिता या स्वास्थ्य, प्रतिभा को परिलिक्षित करने वाली घटना नहीं। दोनों शिशु उस लिहाज़ से बराबर हैं क्योंकि दोनों के दांत सामान्य टाइम रेंज में निकले हैं।हां 13 माह की उम्र तक भी दांत न निकलने पर चिकित्सकीयजांच की आवश्यक्ता है क्योंकि 13 माह के बाद भी दाँत न निकलना कुछ बीमारियों ज़ैसे रिकेट्स (*विटामिन डी की कमी)अथवा हाइपोथायरायडिज्म का लक्षण हो सकता है।किंतु 13 माह के पहले कुछ भी नहीं करना है। #दांत #निकलने #पर #दर्द, #चिड़चिड़ा #पन #होना: दवा की ज़रूरत?दांत निकलना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया है । इस समय दर्द बेहद मामूली औऱ कुछ दिन ही होता है। इस समय किसी भी दवा , दर्दनिवारक इत्यादि की ज़रूरत नहीं।
दांत पौधे नहीं कि आप किसी दवा की सिंचाई करें । पी गयी कोई भी दवा किसी भी वैज्ञानिक मैकेनिज्म से दांत तक पंहुचकर उन्हें आसानी से निकालने का काम नहीं कर सकती।पहले से दांत को लेकर व्याप्त भ्रम की वज़ह से कुछ लोगों ने दाँतों के नाम पर ही सिरप इत्यादि बना कर अवैज्ञानिक पदार्थों की मार्केटिंग की है। दुनिया में सभी स्तनधारियों के दांत होंगे किंतु सिर्फ़ मनुष्य को दांत निकालने दवा दी ज़ाती है । जो कि अवैज्ञानिक, अप्राकृतिक है।
#दांत निकलने पर #दस्त #होना:
दांत और आँत का आपस में कोई सीधा संबंध नहीं। दांत निकलने से दस्त नहीं होते। 6 माह से 13 माह के बीच शिशु हर चीज़ ,औऱ गंदे हाथ भी मुंहमें डाल रहे होते हैं जिससे दस्त संक्रमण से हो सकते हैं। और उसी 6 माह से 13 माह के बीच दांत भी निकल रहे होते हैं। जिस वज़ह से यह भ्रान्ति घर कर गयी कि दांत निकलने से ही दस्त हो रहे हैं। जबकि दोनों में संबंध मात्र एक ही समयकाल मात्र का था।
इसी तरह दांत की वजह से बुखार इत्यादि कुछ भी नहीं होता ।आप कह सकते हैं दांत निर्दोष होते हैं।
दांतों के लिए टीथर इत्यादि न दें। संक्रमण करवा सकते हैं।बच्चे हर चीज़ दांतों की वजह से मुंह में नहीं डालते वरन यह एक विकासक्रम का रिफ्लेक्स है। जिससे हर सेंसेशन से प्रकृति से सीखनेकी कोशिश शिशु कर रहा होता है।अंत में #विकासक्रममें अब हमें 32 दांतों की ज़रूरत नहीं होती। क्योंकि हम पका ,नरम खाने लगे।
इसलिए #आधुनिक ुष्यों_के_दांतों_की_संख्या_में_कमीआते दिख रही है।
जबड़े छोटे हो रहे हैं।दांतों का आँखों की रोशनी से भी कोई सीधा संबंध नहीं।
जबलपुर के आसपास के गाँव और शहरी बस्तियों में एक भ्रान्ति #चोरदांतनाम की समस्या की है। और घर घर गहरे से व्याप्त भ्रान्ति है,दृढ विश्वास के रूप में। चोर दांत, वे मानते हैं क़ि तालू में होते हैं जिसकी वजह से बच्चा दूध नहीं पीता और खूब रोता है।इसे वे दाई से दबवाते हैं।मैं उन्हें बताता हूँ कि हां चोर दांत होते हैं लेकिन तालू में नहीं।दिमाग में होते हैं और उन्हें दबाने की नहीं निकालने की ज़रूरत है।ऐसे ही अनगिनत चोर दांत हमारे मस्तिष्क में धंसे हुए हैं। जो कि नफ़रत, धर्मयुद्ध, क़त्ल तक करवाते रहते हैं। आओ इन्हें पहचानें औऱ निकालने वाले प्लम्बर बनें।