Jyotish Krishna Bhardwaj

Jyotish Krishna Bhardwaj The reactions to life's actions are inescapable by everyone except those who are completely devoted to God (via Bhakti-yoga).

करवा चौथ की कहानी बहुत समय पहले एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम करवा था। करवा अपने भाइयों की बहुत प्यारी...
10/10/2025

करवा चौथ की कहानी

बहुत समय पहले एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम करवा था। करवा अपने भाइयों की बहुत प्यारी थी। जब करवा चौथ का व्रत आया, तो उसने भी अपने सौभाग्य की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा।

शाम को जब चाँद नहीं निकला था, तो करवा बहुत भूख और प्यास से परेशान थी। यह देखकर उसके भाइयों ने उसे छल से व्रत तुड़वाने की योजना बनाई। उन्होंने गाँव के बाहर एक पेड़ पर दीपक जलाकर छलनी के पीछे रख दिया और करवा से कहा — “देखो बहन, चाँद निकल आया है, अब तुम अपना व्रत तोड़ दो।”
करवा ने भाइयों की बात मानकर जल पी लिया और व्रत तोड़ दिया। जैसे ही उसने ऐसा किया, उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। करवा को बहुत दुःख हुआ और वह रोने लगी। उसकी सच्ची श्रद्धा और भक्ति देखकर माता पार्वती उसके सामने प्रकट हुईं और बोलीं — “बेटी, तुम्हारे भाइयों ने छल किया था, इसलिए ऐसा हुआ। अब तुम पूरे नियम और श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत रखो, तुम्हारा पति पुनः जीवित हो जाएगा।”

करवा ने पूरे विधि-विधान से व्रत रखा, जिससे उसका पति जीवित हो गया। तभी से करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करने लगीं।

शुभकामनाएँ:
🌙✨
करवा चौथ के इस पावन अवसर पर,
आपका दांपत्य जीवन सुखमय और मंगलमय रहे।
माँ पार्वती और भगवान शिव से यही प्रार्थना है कि
आपका सुहाग अमर रहे और जीवन में खुशियाँ बनी रहें।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ! 💫❤️

शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन वर्ष की सबसे शीतल और शुभ पूर्णि...
06/10/2025

शरद पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन वर्ष की सबसे शीतल और शुभ पूर्णिमा मानी जाती है, क्योंकि इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ पूर्ण रूप में आकाश में उदित होता है।
🌕 धार्मिक महत्व:
मान्यता है कि इस रात माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जो व्यक्ति जागरण कर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की आराधना करता है, उसे समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है — ‘को जागर्ति?’ अर्थात् “कौन जाग रहा है?” – यह माता लक्ष्मी का प्रश्न माना जाता है। जो इस रात जागरण करता है, उस पर लक्ष्मी कृपा करती हैं।
इस दिन श्रीकृष्ण और राधा जी का महारास वृंदावन में हुआ था, इसलिए यह तिथि भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
🌕 वैज्ञानिक महत्व:
कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्र किरणों में अमृत तत्व होता है। इसलिए इस रात दूध और खीर को चांदनी में रखा जाता है, जिससे उसमें स्वास्थ्यवर्धक गुण आते हैं।
यह ऋतु परिवर्तन का समय होता है, जब मौसम में नमी और ठंडक बढ़ती है। इस कारण चंद्रमा की किरणें शरीर को संतुलन और शीतलता प्रदान करती हैं।
🌕 पारंपरिक मान्यताएँ:
लोग इस दिन व्रत रखते हैं, रातभर जागरण और भजन-कीर्तन करते हैं।
खीर बनाकर चांदनी में रखी जाती है, और अगले दिन उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
यह दिन धन, स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जात...
02/10/2025

दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
राम-रावण की कथा:
इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर सीता जी को मुक्त कराया और अधर्म पर धर्म की जीत सुनिश्चित की। इसलिए इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है।
माँ दुर्गा की विजय:
दूसरी मान्यता के अनुसार, इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था। इसलिए इसे शक्ति की विजय का पर्व भी माना जाता है।
त्योहार का महत्व:
यह पर्व सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना का प्रतीक है।
यह सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी हो, अंततः पराजित होती है।
यह लोगों में साहस, एकता और नैतिकता की भावना जगाता है।
उत्सव की झलक:
देशभर में इस दिन रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें श्रीराम की कथा का मंचन किया जाता है। शाम को रावण दहन का दृश्य सबसे विशेष आकर्षण होता है।

“दशहरा हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन से अहंकार, क्रोध, और असत्य को समाप्त करें और सत्य, प्रेम और सदाचार के मार्ग पर चलें।”

नवरात्रि का आठवाँ दिन (अष्टमी तिथि) ✨नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ महागौरी को अष्टमी ...
30/09/2025

नवरात्रि का आठवाँ दिन (अष्टमी तिथि) ✨

नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ महागौरी को अष्टमी की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इनका रूप अत्यंत शांत, सौम्य और करुणामयी है। महागौरी माँ को अन्नपूर्णा का स्वरूप भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से माँ की पूजा करने पर जीवन के समस्त कष्ट दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

🔸 माँ महागौरी का स्वरूप
माँ का वर्ण श्वेत है, वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनके गले में रत्नजटित हार है। माँ के चार भुजाएँ हैं — दाहिने हाथ में त्रिशूल और वरमुद्रा तथा बाएँ हाथ में डमरू और अभयमुद्रा।

🔸 माँ महागौरी का मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

🔸 व्रत एवं पूजन का महत्व
इस दिन कन्या पूजन (कन्याओं को भोजन कराना) का विशेष महत्व है।

भक्तजन उपवास रखते हैं और माँ को श्वेत वस्त्र, सफेद पुष्प, नारियल, दूध से बने पकवान आदि अर्पित करते हैं।
ऐसा करने से घर में शांति, सुख और समृद्धि का वास होता है।

नवरात्रि का नवां दिन – माँ सिद्धिदात्री की उपासना 🌺नवरात्रि के नवें दिन माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जात...
30/09/2025

नवरात्रि का नवां दिन – माँ सिद्धिदात्री की उपासना 🌺

नवरात्रि के नवें दिन माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इन्हें सभी सिद्धियों की दात्री और कल्याणकारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

✨ माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
इनकी चार भुजाएँ होती हैं।
हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल धारण किए रहती हैं।
इनका वाहन सिंह है।
वे साधकों को अष्टसिद्धि और नवनीधियाँ प्रदान करती हैं।
भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से "अर्धनारीश्वर" रूप प्राप्त किया था।

पूजा विधि
प्रातः स्नान कर लाल या पीले वस्त्र पहनें।
माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा/चित्र पर पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
लाल फूल और कमल का अर्पण विशेष फलदायी माना जाता है।
मंत्र और स्तुति का जाप कर माँ का ध्यान करें।

🌸 मंत्र 🌸

बीज मंत्र:
🔸 ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।
अर्थ: यह शक्तिशाली बीज मंत्र साधक को शक्ति, साहस, विजय और शांति प्रदान करता है।
नवरात्रि नवमी मंत्र:
🔸 ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः ।
अर्थ: हे माँ सिद्धिदात्री, आपको नमस्कार है। आप सभी सिद्धियाँ और कल्याण देने वाली हैं।
🌟 फल और महत्व
इस दिन की साधना से भक्त को सभी सिद्धियाँ (आठों सिद्धियाँ) और नव निधियाँ प्राप्त होती हैं।
यह दिन साधना का परिपूर्ण चरण माना जाता है।
माँ सिद्धिदात्री की कृपा से जीवन के समस्त दुख, रोग और संकट समाप्त हो जाते हैं।
साधक को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी मिलता है।

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है। माँ कात्यायनी को शक्तिशाली और अत्यंत तेजस्विनी देवी ...
27/09/2025

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है। माँ कात्यायनी को शक्तिशाली और अत्यंत तेजस्विनी देवी माना जाता है। वे असुरों का संहार कर भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करती हैं। इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से विवाह और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता की उपासना करते हैं।

🌸 माँ कात्यायनी का स्वरूप 🌸
सिंहवाहिनी,
चार भुजाएँ,
ऊपर का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में,
ऊपर का बायाँ हाथ वरद मुद्रा में,
नीचे के दोनों हाथों में कमल और तलवार।

माँ कात्यायनी मंत्र

"ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥"
या विस्तृत रूप में –
"चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यान्महायोगिन्यशस्विनी॥"

आज का महत्व — स्कंदमाता पूजानवरात्रि के पाँचवें दिन देवी दुर्गा के पाँचवें स्वरूप — स्कंदमाता की पूजा होती है। “स्कंदमात...
27/09/2025

आज का महत्व — स्कंदमाता पूजा
नवरात्रि के पाँचवें दिन देवी दुर्गा के पाँचवें स्वरूप — स्कंदमाता की पूजा होती है।
“स्कंदमाता” नाम इसलिए क्योंकि ये देवी भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं।
इनके स्वरूप में वह सिंह पर विराजमान होती हैं और चार भुजाएँ होती हैं।
पूजा करने से भक्त को स्वास्थ्य, ज्ञान, संकल्प शक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।

- स्कंदमाता बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमाते नमः॥

- स्कंदमाता ध्यान मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

- स्कंदमाता स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि के चौथे दिन माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा की जाती है। इन्हें ब्रह्माण्ड की सृष्टि करने वाली देवी माना...
25/09/2025

नवरात्रि के चौथे दिन माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा की जाती है। इन्हें ब्रह्माण्ड की सृष्टि करने वाली देवी माना जाता है। माँ कूष्माण्डा की आठ भुजाएँ हैं और इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। इनके हाथों में कमल, धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, जपमाला आदि शस्त्र-सामग्री होती है।
माना जाता है कि माँ कूष्माण्डा की आराधना करने से आयु, स्वास्थ्य और संपत्ति की प्राप्ति होती है। भक्तों को अंधकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन मिलता है और जीवन में ऊर्जा तथा सकारात्मकता का संचार होता है।
पूजा विधि –
इस दिन सुबह स्नान करके माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर पूजन किया जाता है। उन्हें बेलपत्र, गंध, धूप, फूल और विशेष रूप से मालपुए का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ के मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी के सम...
24/09/2025

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ के मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी के समान चिन्ह विराजमान होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं जिनमें विविध अस्त्र-शस्त्र तथा कमल पुष्प सुशोभित हैं।
🙏 माना जाता है कि माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को साहस, शौर्य और निर्भयता की प्राप्ति होती है। इनके प्रभाव से साधक के जीवन से सभी प्रकार की बाधाएँ, भय और दुख दूर हो जाते हैं।
✨ इस दिन साधक को पीले या सुनहरे वस्त्र पहनकर माँ की आराधना करनी चाहिए और सुगंधित पुष्प, धूप, दीप अर्पित करना शुभ माना जाता है।
👉 मंत्र
"ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः"

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है।माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की प्रतीक मान...
23/09/2025

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है।
माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की प्रतीक मानी जाती हैं। इनके हाथ में जपमाला और कमंडल रहता है, जो ज्ञान, साधना और त्याग का प्रतीक है।
इस दिन माँ की उपासना से साधक को तप, त्याग, सदाचार और संयम की शक्ति प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से जीवन में धैर्य, शांति और सफलता प्राप्त होती है।
🔹 इस दिन का रंग: सफेद (शांति और पवित्रता का प्रतीक)
🔹 विशेष महत्व: कठिन तप और साधना करने की प्रेरणा मिलती है।
🙏 इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक के जीवन में ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का संचार होता है।

**नवरात्रि का पहला दिन (Navratri Day 1) - हिंदी में विवरण:****नवरात्रि** का पहला दिन **मां शैलपुत्री** को समर्पित होता ह...
22/09/2025

**नवरात्रि का पहला दिन (Navratri Day 1) - हिंदी में विवरण:**

**नवरात्रि** का पहला दिन **मां शैलपुत्री** को समर्पित होता है। मां शैलपुत्री नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप हैं। उनका नाम 'शैल' (पर्वत) और 'पुत्री' (बेटी) से बना है, यानी वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। पूर्व जन्म में यही सती थीं जिन्होंने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया था और अगले जन्म में शैलराज हिमालय के घर में जन्म लिया, इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

🌸 **नवरात्रि का पहला दिन - प्रमुख जानकारी:

* **माता का स्वरूप:** शैलपुत्री
* **वाहन:** वृषभ (बैल)
* **हथियार:** त्रिशूल और कमल
* **पूजा का रंग (2025 के अनुसार):** *(यह हर वर्ष बदल सकता है, तिथि आधारित होता है; चाहें तो मैं देख सकता हूँ)*
* **तिथि (2025):** 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
मंत्र (मां शैलपुत्री)
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।

या

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढा शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

Address

2204, Housing Board Colony, Konsiwas Roard
Rewari
123401

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