19/10/2025
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में, आर्किटेक्ट दंपति नम्रता कंडवाल और गौरव दीक्षित ने दो साल की अथक मेहनत से देश का पहला 'हिमालयन हेम्प इको-स्टे' तैयार किया है। ऋषिकेश से 35 कि.मी. दूर फलदाकोट मल्ला गाँव में, यह 800 वर्ग फुट का होमस्टे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शानदार और टिकाऊ विकल्प है।
क्यों है यह ख़ास?
ईको-फ्रेंडली निर्माण: पारंपरिक सीमेंट को छोड़कर, इस होमस्टे के फर्श, दीवारों, छत और यहां तक कि अंदर के सामान में भी मुख्य रूप से हेम्पक्रीट (H**pcrete) का उपयोग किया गया है। हेम्पक्रीट, भांग के पौधे के रेशों, चूना और फ्लाई ऐश के मिश्रण से बनता है।
प्राकृतिक सुरक्षा कवच: हेम्पक्रीट न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि अपनी प्राकृतिक संरचना के कारण यह भूकंप, बाढ़ और आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में भी सक्षम है।
जीरो-एनर्जी मॉडल: यह होमस्टे 3-किलोवाट रूफटॉप सोलर पैनल से बिजली और 4,000 लीटर टैंक में बारिश के पानी के संचयन (Rainwater Harvesting) पर चलता है, जो इसे जीरो-एनर्जी मॉडल बनाता है।
स्वच्छ हवा और आरामदायक तापमान: हेम्प-लाइम रूफ इंसुलेशन सर्दियों में घर को गर्म और गर्मियों में ठंडा रखता है। साथ ही, दीवारों में लगा चूना हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके हवा को शुद्ध करता है, जिससे घर समय के साथ और भी मजबूत होता जाता है।
कचरे का सदुपयोग: नम्रता और गौरव ने अपने स्टार्टअप Gohemp Agroventures के माध्यम से, किसानों द्वारा फेंक दिए जाने वाले भांग के पौधे के कचरे का उपयोग करके फाइबर तैयार किया है, जिसके लिए उन्होंने पानी रहित प्रोसेसिंग मशीन भी विकसित की है।
नम्रता और गौरव का यह प्रोजेक्ट (Himalyan H**p Eco-Stay) सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि यह साबित करता है कि टिकाऊ, एंटी-बैक्टीरियल और इको-फ्रेंडली निर्माण सामग्री का उपयोग करके भी आधुनिक घर बनाए जा सकते हैं।