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25/10/2025

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हमारे भारतीय घरों में मसालों के संदूक का एक छोटा सा, काला सा मगर अत्यंत स्वास्थ्यप्रद बीज " #कलौंजी", (किरायता)... जिसका...
10/03/2025

हमारे भारतीय घरों में मसालों के संदूक का एक छोटा सा, काला सा मगर अत्यंत स्वास्थ्यप्रद बीज " #कलौंजी", (किरायता)... जिसका प्रयोग औषधि, सौन्दर्य प्रसाधन, मसाले तथा खुशबू के लिए पकवानों में किया जाता है.

“निजेला सेटाइवा” को अंग्रेजी में फेनेल फ्लावर, नटमेग फ्लावर, लव-इन-मिस्ट (क्योंकि इसका फूल लव-इन-मिस्ट के फूल जैसा होता है), रोमन कारिएंडर, काला बीज, काला केरावे और काले प्याज का बीज भी कहते हैं.

अधिकतर लोग इसे प्याज का बीज ही समझते हैं क्योंकि इसके बीज प्याज जैसे ही दिखते हैं. लेकिन प्याज और काला तिल बिल्कुल अलग पौधे हैं. उसी प्रकार ये चिरायता और चिलौंजी से भी अलग है.

इसे संस्कृत में #कृष्णजीरा, उर्दू में كلونجى कलौंजी, बांग्ला में #कालाजीरो, मलयालम में करीम जीराकम, रूसी में #चेरनुक्षा, तुर्की में çörek otu कोरेक ओतु, फारसी में शोनीज, अरबी में हब्बत-उल-सौदा, हब्बा-अल-बराकाحبه البركة, तमिल में करून जीरागम और तेलुगु में नल्ला जीरा कारा कहते हैं.

इसका स्वाद हल्का कड़वा व तीखा और गंध तेज होती है. इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों नान, ब्रेड, केक और आचारों में किया जाता है. चाहे बंगाली नान हो या पेशावरी खुब्जा (ब्रेड नान या कश्मीरी) पुलाव हो कलौंजी के बीजों से जरूर सजाये जाते हैं.

कलौंजी में पोषक तत्वों का अंबार लगा है। इसमें 35% कार्बोहाइड्रेट, 21% प्रोटीन और 35-38% वसा होते है. इसमें 100 ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं. इसमें आवश्यक वसीय अम्ल 58% ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), 0.2% ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) और 24% ओमेगा-9 (मूफा) होते हैं. इसमें 1.5% जादुई उड़नशील तेल होते है जिनमें मुख्य निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि हैं. निजेलोन में एन्टी-हिस्टेमीन गुण हैं, यह श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है.

थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है. तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है. कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं. कलौंजी में 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं. ये प्रोटीन के घटक होते हैं और प्रोटीन का निर्माण करते हैं. ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं. शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है.

अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं.

जेफरसन फिलाडेल्फिया स्थित किमेल कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में विद्यमान थाइमोक्विनोन अग्नाशय कैंसर की कोशिकाओं के विकास को बाधित करता है और उन्हें नष्ट करता है. शोध की आरंभिक अवस्था में ही शोधकर्ता मानते है कि शल्यक्रिया या विकिरण चिकित्सा करवा चुके कैंसर के रोगियों में पुनः कैंसर फैलने से बचने के लिए कलौंजी का उपयोग महत्वपूर्ण होगा. थाइमोक्विनोन इंटरफेरोन की संख्या में वृद्धि करता है, कोशिकाओं को नष्ट करने वाले विषाणुओं से स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है, कैंसर कोशिकाओं का सफाया करता है और एंटी-बॉडीज का निर्माण करने वाले बी कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है.

कलौंजी का सबसे ज्यादा कीटाणुरोधी प्रभाव सालमोनेला टाइफी, स्यूडोमोनास एरूजिनोसा, स्टेफाइलोकोकस ऑरियस, एस. पाइरोजन, एस. विरिडेन्स, वाइब्रियो कोलेराइ, शिगेला, ई. कोलाई आदि कीटाणुओं पर होती है. यह ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पोजिटिव दोनों ही तरह के कीटाणुओं पर वार करती है.

विभिन्न प्रयोगशालाओं में इसकी कीटाणुरोधी क्षमता ऐंपिसिलिन के बराबर आंकी गई. यह फंगस रोधी भी होती है.

कलौंजी में मुख्य तत्व थाइमोक्विनोन होता है. विभिन्न भेषज प्रयोगशालाओं ने चूहों पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला है कि थाइमोक्विनोन टर्ट-ब्यूटाइल हाइड्रोपरोक्साइड के दुष्प्रभावों से यकृत की कोशिकाओं की रक्षा करता है और यकृत में एस.जी.ओ.टी व एस.जी.पी.टी. के स्राव को कम करता है.

कई शोधकर्ताओं ने वर्षों की शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में उपस्थित उड़नशील तेल रक्त में शर्करा की मात्रा कम करते हैं.

कलौंजी दमा, अस्थिसंधि शोथ आदि रोगों में शोथ (इन्फ्लेमेशन) दूर करती है. कलौंजी में थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेत रक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में अवरोध पैदा करते हैं, सूजन कम करते हैं ओर दर्द निवारण करते हैं। कलौंजी में विद्यमान निजेलोन मास्ट कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करती है, श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला कर दमा के रोगी को राहत देती हैं.

शोधकर्ता कलौंजी को पेट के कीड़ो (जैसे टेप कृमि आदि) के उपचार में पिपरेजीन दवा के समकक्ष मानते हैं. पेट के कीड़ो को मारने के लिए आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच सिरके के साथ दस दिन तक दिन में तीन बार पिलाते हैं. मीठे से परहेज जरूरी है.

मिस्र के वैज्ञानिक डॉ॰ अहमद अल-कागी ने कलौंजी पर अमेरीका जाकर बहुत शोध कार्य किया, कलौंजी के इतिहास को जानने के लिए उन्होंने इस्लाम के सारे ग्रंथों का अध्ययन किया. उन्होंने माना कि कलौंजी, जो मौत के सिवा हर मर्ज को ठीक करती है, का बीमारियों से लड़ने के लिए अल्ला ताला द्वारा हमें दी गई प्रति रक्षा प्रणाली से गहरा नाता होना चाहिये. उन्होंने एड्स के रोगियों पर इस बीज और हमारी प्रति रक्षा प्रणाली के संबन्धों का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किये. उन्होंने सिद्ध किया कि एड्स के रोगी को नियमित कलौंजी, लहसुन और शहद के केप्स्यूल (जिन्हें वे कोनीगार कहते थे) देने से शरीर की रक्षा करने वाली टी-4 और टी-8 लिंफेटिक कोशिकाओं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. अमेरीकी संस्थाओं ने उन्हें सीमित मात्रा में यह दवा बनाने की अनुमति दे दी थी.

मिस्र, जोर्डन, जर्मनी, अमेरीका, भारत, पाकिस्तान आदि देशों के 200 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 1959 के बाद कलौंजी पर बहुत शोध कार्य हुआ है. 1996 में अमेरीका की एफ.डी.ए. ने कैंसर के उपचार, घातक कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ करने के लिए कलौंजी से बनी दवा को पेटेंट पारित किया था.

कलौंजी दूग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है. कलौंजी जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है. कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है.

लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फायदा पहुंचाती हैं. दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है. यह बवासीर, पाइल्स, मोतिया बिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है. कलौंजी को विभिन्न बीमारियों में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है.

कैंसर के उपचार में कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें. लहसुन भी खुब खाएं. 2 किलो गेहूँ और 1 किलो जौ के मिश्रित आटे की रोटी 40 दिन तक खिलाएं. आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें.

खाँसी व दमा छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें.

अवसाद और सुस्ती में एक गिलास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें. आप को बहुत फर्क महसूस होगा.

स्मरणशक्ति और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें.

मधुमेह में एक कप कलौंजी के बीज, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके और आधा कप पित्तपापड़ा को पीस कर चूर्ण बना लें. आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक महीने तक लें.

गुर्दे की पथरी और मूत्राशय की पथरी में पाव भर कलौंजी को महीन पीस कर पाव भर शहद में अच्छी तरह मिला कर रख दें. इस मिश्रण की दो बड़ी चम्मच को एक कप गर्म पानी में एक छोटी चम्मच तेल के साथ अच्छी तरह मिला कर रोज नाश्ते के पहले पियें.

उल्टी और उबकाई एक छोटी चम्मच कार्नेशन और एक बड़ी चम्मच तेल को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लें.

हृदय रोग, रक्त चाप और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें, रोज सुबह लहसुन की दो कलियां नाश्ते के पहले लें और तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। यह उपचार एक महीने तक लें.

सफेद दाग और कुष्ठ रोग 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें.

कमर दर्द और गठिया हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें. 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा.

सिर दर्द में माथे और सिर के दोनों तरफ कनपटी के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और नाश्ते के पहले एक चम्मच तेल तीन बार लें कुछ सप्ताह बाद सर दर्द पूर्णतः खत्म हो जायेगा.

अम्लता और आमाशय शोथ एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल एक प्याला दूध में मिलाकर रोज पांच दिन तक सेवन करने से आमाशय की सब तकलीफें दूर हो जाती है.

बाल झड़ना बालों में नीबू का रस अच्छी तरह लगाये, 15 मिनट बाद बालों को शैंपू कर लें व अच्छी तरह धोकर सुखा लें, सूखे बालों में कलौंजी का तेल लगायें एक सप्ताह के उपचार के बाद बालों का झड़ना बन्द हो जायेगा.

नेत्र रोग और कमजोर नजर रोज सोने के पहले पलकों ओर आँखो के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और एक बड़ी चम्मच तेल को एक प्याला गाजर के रस के साथ एक महीने तक लें.

दस्त या पेचिश में एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच दही के साथ दिन में तीन बार लें दस्त ठीक हो जायेगा.

रूसी 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल और 30 ग्राम पिसी मेहंदी को मिला कर गर्म करें. ठंडा होने पर बालों में लगाएं और एक घंटे बाद बालों को धो कर शैंपू कर लें.

मानसिक तनाव एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं.

इसके अतिरिक्त सुन्दर व आकर्षक चेहरे के लिए, एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच जैतून के तेल में मिला कर चेहरे पर मलें और एक घंटे बाद चेहरे को धोलें. कुछ ही दिनों में आपका चेहरा चमक उठेगा.

एक बड़ी चम्मच तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे.

कलौंजी के बारे में कई प्राचीन ग्रन्थों में बताया गया है कि कलौंजी एक महान औषधि है जिसमें हर रोग से लड़ने की अपार, असिमित और अचूक क्षमता है.

अन्त में #कलौंजी की महिमा इस एक शेर में..

"खुदा ने क्या खूब ये कलौंजी बनाई है.
जो मौत के सिवा हर मर्ज की दवाई है.."

कलौंजी के बीज कहते है कि ..."हम काले है तो क्या हुआ, गुण वाले हैं.." 👍👍

01/03/2025
🍈 Muskmеlon, often referred to as cantaloupе or swееt mеlon, offers sеvеral bеnеfits that can support weight loss effort...
01/03/2025

🍈 Muskmеlon, often referred to as cantaloupе or swееt mеlon, offers sеvеral bеnеfits that can support weight loss efforts. Hеrе is a dеtailеd look at how muskmеlon can contribute to a healthier wеight:
1. Low In Caloriеs
Muskmеlon is a low-caloriе fruit, making it a smart choice for thosе aiming to reduce caloriе intakе. By incorporating muskmеlon into your diеt, you can еnjoy a swееt and satisfying trеat without significantly impacting your daily caloriе limit.
2. High Watеr Contеnt
With its high watеr contеnt, muskmelon hеlps kееp you hydratеd, and thе watеr contеnt contributes to a fееling of fullnеss. Staying hydratеd is еssеntial for ovеrall hеalth and can prevent overeating by rеducing hungеr and cravings.
3. Rich In Diеtary Fibеr
Muskmеlon is a good sourcе of diеtary fibеr, particularly solublе fibеr. Fibеr aids in digеstion, hеlps maintain bowеl rеgularity and promotеs a sеnsе of fullnеss. This can be especially beneficial for weight management by reducing the likelihood of overeating.
4. Low In Fat
Muskmеlon is naturally low in fat, making it a hеalthy snack option for those looking to cut down on fat consumption. It providеs a swееt and nutritious altеrnativе to high-fat snacks and dеssеrts.
5. Natural Sugars
Whilе muskmеlon is swееt, it contains natural sugars, which arе hеalthiеr than added sugars found in many procеssеd foods. Choosing muskmеlon ovеr sugary snacks can help satisfy sweet cravings without thе nеgativе impact on wеight and ovеrall health.
6. Vitamins And Minеrals
Muskmеlon is rich in еssеntial vitamins and minеrals, including vitamin A, vitamin C, potassium, and folatе. Thеsе nutriеnts arе crucial for various bodily functions and can support ovеrall hеalth during a weight loss journey.
7. Antioxidant Propеrtiеs
Muskmеlon contains antioxidants, such as bеta-carotеnе and vitamin C, which help combat oxidativе strеss in the body. Antioxidants play a role in ovеrall wеll-bеing and may indirectly contribute to weight loss by supporting metabolic processes.
8. Vеrsatility In Culinary Usе
Muskmelon is vеrsatilе and can bе еnjoyеd in various ways. Whеthеr slicеd, dicеd, addеd to salads, or blеndеd into smoothiеs, its vеrsatility makes it еasy to incorporatе into a balancеd and enjoyable weight loss diеt.

👇👇🏻 #शतावरी - नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं।सतावर (शतावरी) की जड़ का उपयोग मुख्य ...
21/01/2025

👇👇🏻 #शतावरी - नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं।
सतावर (शतावरी) की जड़ का उपयोग मुख्य रूप से ग्लैक्टागोज के लिए किया जाता है जो स्तन दुग्ध के स्राव को उत्तेजित करता है। इसका उपयोग शरीर से कम होते वजन में सुधार के लिए किया जाता है तथा इसे कामोत्तेजक के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जड़ का उपयोग दस्त, क्षय रोग (ट्यूबरक्लोसिस) तथा मधुमेह के उपचार में भी किया जाता है। सामान्य तौर पर इसे स्वस्थ रहने तथा रोगों के प्रतिरक्षण के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे कमजोर शरीर प्रणाली में एक बेहतर शक्ति प्रदान करने वाला पाया गया है।
शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए।
इस प्रकार प्रत्येक देवी #आयुर्वेद की भाषा में मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन उचित एवं साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करती है। अत: मनुष्य को इनकी आराधना एवं सेवन करना चाहिए।

शतावरी एक औषधीय पौधे का नाम जो लिली परिवार का सदस्य है। इस पौधे को औषधीय नाम इसलिए दिया गया है क्‍योंकि यह जड़ से लेकर अपने शीर्ष तक बहुत ही पोषक गुणों से भरा हुआ है। यह हरे रंग का खाद्य पदार्थ है जिसे सुपर फूड ( ) की श्रेणी में रखा जाता है।

शतावरी बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर होती है। उन्हीं पोषक तत्वों में से एक ग्‍लूटाथियोन (glutathione) है जो शतावरी में अच्छी मात्रा में होता है। यह डिटोक्सिफाइंग (detoxifying) यौगिक होता है जो कैंसर के बैक्‍टीरिया को मार सकता है। ग्‍लूटाथियोन हमारी प्रतिरक्षा शक्ति (Immunity power) को बढ़ाने का काम करता है।
आहार फोलेट अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहते है। यदि आहार फोलेट का उपयुक्‍त मात्रा में सेवन किया जाए तो यह कोलोन (colon), पेट, अग्‍नाशयी (pancreatic) और ग्रीवा (cervical) के #कैंसर को रोकने में मदद करता है। वे महिलाएं जो फोलेट का पर्याप्‍त सेवन नहीं करती उनमें स्‍तन कैंसर (Breast cancer) होने की संभावना ज्‍यादा रहती है।

आप अपने दैनिक आहार में शतावरी को शामिल कर फोलेट और अन्‍य कैंसर रोधी तत्‍वों के प्रभाव को बढ़ा कर कैंसर के प्रभाव को कम कर सकते है। इस तरह शतावरी का उपयोग कैंसर के लिए फायदेमंद होता है

शतावरी का उपयोग हम अपने शरीर में #शुगर की उच्‍च मात्रा को कम करने के लिए कर सकते है। शतावरी टाइप-2 #डायबिटीज को रोकने में सहायता करता है क्‍योंकि इसमें प्रतिरोधक क्षमता वाले पोषक तत्‍व बड़ी मात्रा में उपलब्‍ध रहते है। शतावरी में क्रोमियम (chromium) खनिज भी होता है जो खून में चीनी की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यह मधुमेह विरोधी होने के साथ इंसुलिन स्राव को भी रोकने में मदद करता है।
उच्‍च रक्‍तचाप से ग्रसित लोगों के लिए शतावरी का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है
बहुत लोग #तनाव और मानसिक बीमारीयों से ग्रसित है, जो कि अवसाद को परिभाषित करता है। ऐसा मस्तिष्‍क में होमोसाइस्टिन (Homocystein) की वृद्धि के कारण होता है। शतावरी में उपस्थित फोलेट होमोसाइस्टिन की उत्पत्ति को नियंत्रित करता है जो अवसाद (Depression) का शुरुआती कारण होता है। होमोसाइस्टिन खून और अन्य जरूरी तत्वों को मस्तिष्क तक पहुंचने में अवरोध बनता है। इस कारण सेरोटोनिन, डोपामाइन और नोरेपीनेफ्राइन जैसे अच्छे हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है जो मूड़, नींद, भूख और होमोसाइस्टिन आदि को नियंत्रित करते है। शतावरी का सेवन करने से इन सभी समस्याओं की संभावना कम हो जाती है। शतावरी का उपयोग आपके स्वस्थ मस्तिष्क के लिए लाभकारी होता है

#दिल को स्‍वस्‍थ रखने के लिए शतावरी का सेवन कर सकते है। यह आपके दिल से संबंधित कई विकारों को दूर करने की क्षमता रखता है। शतावरी में विटामिन B अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहते है। जो होमोसिस्‍टीन को नियंत्रित करते है। यदि यह निश्चित मात्रा से ज्‍यादा होते है तो रक्‍त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते है। होमोसिस्‍टीन की अधिक मात्रा दिल की समस्‍याओं को जन्‍म दे सकती है और कोरोनरी धमनी (coronary artery) रोग का कारण बन सकती है। शतावरी का सेवन आपको इन सभी खतरों से दूर रखता है

शतावरी खाने में #पौष्टिक होने के साथ साथ #पाचन क्रिया को मजबूत करने में भी हमारी मदद करती है। शतावरी में इन्‍यूलिन (inulin) होता है जो एक कार्बोहाइड्रेट होता है यह हमारे पेट पेट में उपस्थित अच्‍छे बैक्टीरिया लैक्‍टोबैसिलि का पोषण बनता है। शतावरी हमारी आंतों की कार्य क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। शतावरी के सेवन से पेट की सूजन और कब्‍ज आदि को रोकने में मदद मिलती है क्‍योंकि इसमें फाइबर अच्‍छी मात्रा में रहते है।

यदि आप #मूत्ररोग (Urinary disease) और मूत्र अंगों की समस्‍या से परेशान है, तो शतावरी का नियमित सेवन प्रारंभ कर दें क्‍योंकि यह आपकी इन समस्‍याओं को दूर करने में आपकी मदद कर सकते है। शतावरी में एमिनो एसिड अच्‍छी मात्रा में होते है जो इसे प्राकृतिक मूत्रवर्धक बनाते है। यदि इसका पर्याप्‍त सेवन किया जाए तो यह आपके मूत्र पथ में होने वाले संक्रमणों को रोक सकती है। शतावरी में उपस्थित पोषक तत्‍वों के द्वारा इन संक्रमणों को रोका जा सकता है क्‍योंकि मूत्र पथ के स्‍वस्‍थ होने से खराब बैक्‍टीरिया को बाहर निकालने में मदद मिलती है
#गर्भावस्‍था के समय महिलाओं के स्‍वास्‍थ पर विशेष ध्‍यान दिया जाना चाहिए क्‍योंकि यह स्थिति उनके लिए खतरनाक हो सकती है। गर्भअवस्‍था के समय होने वाले संक्रमण भ्रुण को भी संक्रमित कर सकते है। इसलिए स्‍वस्‍थ बच्‍चे के जन्‍म के लिए मां का स्‍वस्‍थ होना जरूरी है। गर्भवती महिलाओं को स्‍वस्‍थ रखने के लिए उन्‍हे नियमित रूप से शतावरी का सेवन कराना चाहिए। क्‍योंकि इसमें उपस्थित एंटीऑक्सिडेंट महिला को होने वाले संक्रमणों को रोकने में मदद करते है। शतावरी में फोलेट भी होता है जो गर्भ में तंत्रिका- ट्यूब को स्‍वस्‍थ रख उनके दोषों को दूर करता है। फोलेट #विटामिनB12 और विटामिन C के साथ मिलकर नए प्रोटीन बनाने में मदद करता है। साथ ही फोलेट हीमोग्‍लाबिन और डीएनए का आंशिक रूप से उत्‍पादन करता है। इसलिए गर्भवती महिला को स्‍वस्‍थ रहने के लिए शतावरी का सेवन लाभकारी होता है।
शतावरी में एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में होते है। इसमें एंथोकाइनिन (anthocyanins) अधिक मात्रा में होते है जो फलों और सब्जियों को लाल,नीले और बैंगनी रंग देने के साथ उन्‍हें एंटीऑक्सिडेंट शक्ति देता है जो हमारे शरीर को संक्रमणों से लड़ने की शक्ति देते है। इसका उपयोग करते समय इसके किसी भी भाग को अलग न करें और इसे ज्यादा न उबाले। ज्यादा उबालने से इसके पोषक तत्व कम हो सकते है।

शतावरी में उपस्थित #एंटीऑक्सिडेंट ग्‍लूटाथियोन आपके बढ़ते बुढ़ापे को रोकने में मदद कर सकता है। शतावरी में उपस्थित फोलेट और विटामिन B12 बुढ़ापे के लक्षणों को रोकने में प्रभावी होते है।

आप अपनी #त्‍वचा को स्‍वस्‍थ सुंदर और चमकदार बना सकते है इसके लिए आपको शतावरी का नियमित सेवन करना होगा। इसमें उपस्थित ग्‍लूटाथियोन (Glutathione) सूर्य के प्रभाव और प्रदूषण से त्‍वचा को बचाता है। इसका उपयोग करने से आपकी त्‍वचा में नमी बनी रहती है साथ ही यह आपके चेहरे में उपस्थित दागों को आंशिक रूप से कम करने में मदद करता है

शतावरी प्राकृतिक #मूत्रवर्धक (natural diuretic) माना जाता है। यह हमारे शरीर से अनुपयोगी नमक और हानिकारक तरल पदार्थ को मूत्र पथ के द्वारा बाहर निकालने में मदद करती है। जो कि एडीमा और हाई ब्‍लड प्रेशर से पीडित लोगों के लिए लाभकारी होता है। साथ ही यह किड़नी में उपस्थित हानिकारक पदार्थो को दूर करने में भी मदद करता है। इस तरह #पथरी के उपचार के लिए शतावरी लाभकारी होती है।

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