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खुजली का खात्मा कामयाब होम्योपैथिक दवाये..खुजली एक संक्रामक रोग है जो माइट्स नामक छोटे कीड़ों से होता है, मुख्यतः 'मानव ...
06/08/2025

खुजली का खात्मा
कामयाब होम्योपैथिक दवाये..
खुजली एक संक्रामक रोग है जो माइट्स नामक छोटे कीड़ों से होता है, मुख्यतः 'मानव खुजली माइट'। जहाँ माइट्स अंडे देते हैं, वहाँ छोटे-छोटे छाले बन जाते हैं। आपको रात में तेज़ खुजली के लक्षण महसूस हो सकते हैं । खुजली आमतौर पर उँगलियों, बगलों, कोहनी और जांघों के अंदरूनी हिस्से में होती है। लेकिन अब खुजली का होम्योपैथिक इलाज उपलब्ध है।
यह रोग स्पर्श से फैल सकता है; संक्रमित व्यक्ति के साथ प्रसाधन सामग्री साझा करना या सोना, ये सभी इस रोग के प्रसार में योगदान करते हैं। त्वचा के बिलों में मौजूद माइट्स के अंडे और मल ही खुजली का कारण बनते हैं। अंडे और मल आमतौर पर त्वचा पर एलर्जी पैदा करते हैं।
खुजली की समस्या के लिए होम्योपैथिक उपचार..
1. कार्बो-वेज: यह होम्योपैथिक दवा शरीर पर अचानक होने वाले सूखे दाने के लिए कारगर है। खुजली के लक्षण रात में, खासकर कपड़े उतारते समय, बढ़ जाते हैं। संक्रमित जगह से आमतौर पर बदबूदार स्राव निकलता है।

2. आर्सेनिक एल्बम: इस होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल घुटनों के मोड़ पर होने वाले खुजली के दाने के इलाज के लिए किया जाता है। रात में जलन और खुजली की समस्या और भी बढ़ जाती है।
3. कॉस्टिकम: इस होम्योपैथिक दवा का उपयोग खुजली के लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है, जिसमें दुर्गंधयुक्त मवाद के साथ गीले दाने शामिल हैं। इस स्थिति में, त्वचा पर मस्से के साथ-साथ पीलापन भी आ जाता है । खांसने और छींकने से अनैच्छिक पेशाब हो सकता है।

4. हेपर सल्फ: हेपर सल्फ एक होम्योपैथिक दवा है जिसका उपयोग हाथों, त्वचा की सिलवटों और पैरों पर पपड़ीदार फुंसियों के लक्षण दिखाई देने पर किया जाता है। त्वचा ठंड के मौसम के प्रति संवेदनशील हो जाती है और फुंसियों से पनीर जैसा स्राव होता है।
5. लाइकोपोडियम: खुजली की समस्या के लिए प्रभावी होम्योपैथिक उपचार। इसका उपयोग जननांगों, खोपड़ी और पेट पर होने वाली खुजली के लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है। किसी भी गर्म चीज़ के संपर्क में आने से स्थिति बिगड़ सकती है और खुजली बढ़ सकती है। ये दाने नम और पीले-भूरे रंग के होते हैं। त्वचा किसी भी ठंडी चीज़ के संपर्क में आने पर आमतौर पर खुजली कम हो जाती है।
डॉo तमसील मिर्ज़ा

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सभी सम्मानित साथियो का एडवांस टेक् हैल्थ पेज पर स्वागत है आप सभी के लिए एक यूट्यूब चैनल की शुरुआत की है जिसके द्वारा आपको इलाज और दवाइयों की जानकारी मिलती रहेगी सभी साथियों से अनुरोध है हमारे चैनल को subscribe और like ज़रूर करें । धन्यवाद
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चिंता,तनाव और अवसाद,घबराहट,उदासी मन न लगना,रोने का मन होना,नकारात्मक विचारों का आना,सोते हुए झटको का महसूस होना,प्रेम मे...
21/10/2022

चिंता,तनाव और अवसाद,घबराहट,उदासी मन न लगना,रोने का मन होना,नकारात्मक विचारों का आना,सोते हुए झटको का महसूस होना,प्रेम में निराशा होने पर आत्महत्या के विचारों का हावी होना,किसी भी काम मे दिल न लगना,खुद को थका हुआ महसूस करना ,रात रात भर जागना ये सभी असामान्य और सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार हैं. यद्यपि आपके दिमाग में कुछ ऐसा के रूप में अनदेखा किया जा सकता है, लेकिन इन विकारों से आपके स्वास्थ्य और आपके जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. अब एडवांस होम्योपैथी बिना साइड इफेक्ट्स के साथ चिंता, तनाव और अवसाद जैसे विकारों का इलाज करने का एक प्रभावी तरीका है.

चिंता को भय या आशंका की सामान्य भावना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. चिंता विकार सामान्य चिंता, भय और जुनूनी बाध्यकारी विकारों के रूप में देखा जा सकता है. चिंता के लक्षण आमतौर पर स्पोरैडिक होते हैं और पैटर्न सेट नहीं करते हैं. एक बार विकार के कारण की पहचान हो जाने के बाद होम्योपैथी दवाइयों द्वारा उपरोक्त सभी लक्षणों का इलाज हम पूर्ण रूप से करते कोई भी स्त्री या पुरुष उपरोक्त लक्षणों से पीड़ित है दिये गये नम्बर से संपर्क कर सकते है
डॉo तमसील मिर्ज़ा,सहारनपुर
BHMS, DHPh

24/04/2021

अगर किसी भी वजह से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गयी हो साँस लेने में तकलीफ महसूस हो तो घबराये नही।
होम्योपैथिक दवाई Aspidosperma Q की 10 बूंद हर 3 घण्टे में लेते रहें और आयुर्वेदिक अमृत धारा ओषधि को भी सूंघते रहें।
अमृतधारा बनाने की सामग्री
अजवाइन सत 5 ग्राम
कपूर,भीमसेनी सत 5 ग्राम
पुदीना सत 5 ग्राम
ये सारी सामग्री 5-5 ग्राम के अनुपात में ले और बोतल में डाल दे 15-20 मिनट के बाद ये एक तरल द्रव के रूप में हो जायेगा बस अमृत धारा तैयार हो गया।
अमृतधारा बनाने का तरीका
अमृतधारा बनाने के लिए एक काँच की बोतल को गर्म पानी से धोकर सूखा लें।
अब इस साफ बोतल में अजवाईन सत , कपूर सत व पुदीना का सत डालकर ढक्कन टाईट बन्द कर दें।
काँच की शीशी में सारा सामान मिलाकर हिला लें।
थोड़ी देर में सारा सामान पिघल जाएगा इन्हें हिलाकर अच्छी तरह मिक्स कर लें।
अमृतधारा बनकर तैयार हैं। जब भी उपयोग में लेना हो तो हिलाकर जरूरत के अनुसार कुछ बूंदे काम में ले सकते हैं।
अमृतधारा के उपयोग-
1. बदहजमी, पेटदर्द, दस्त, उल्टी में 3-4 बूंद थोड़े पानी में मिलाकर सेवन करें।
2 सिरदर्द में 2 बूँद सिर, माथे और कान के आस पास मलें।
3. छाती का दर्द मीठे (तिल) तेल में अमृतधारा मिलाकर मलने से ठीक हो जाता है।
4. सूँघने पर साँस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है।
सावधानी : इसको आखो के पास ना लगाये बहुत ही दर्द और जलन होगी।

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