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20/12/2024

रत्नों को किस अंगुली, किस धातु और किस दिन धारण करना चाहिए...❓

सभी रत्नो को धारण करने के लिए मंत्र - अब रत्न कब धारण किये जा सकते हैं...❓

1. किस अंगुली में, किस मन्त्र के साथ :

सूर्य का रत्न (माणिक) या उपरत्न धारण करने के लिए “ऊँ घृणि सूर्याय नम:” का मंत्र है। (रविवार को धारण करना है) - रिंग फिंगर - अनामिका में।

चंद्रमा (मोती) के लिए “ॐ सों सोमाय नम:” का मंत्र है। (सोमवार को धारण करना है) स्माल फिंगर - कनिष्ठा में।

मंगल (मूंगा) के लिए “ॐ अं अंगारकाय नम:” का मंत्र है। (मंगलवार को धारण करना है) रिंग फिंगर अनामिका में।

बुध (पन्ना) के लिए “ ॐ बुं बुधाय नम:” का मंत्र है। (बुधवार को धारण करना है) स्माल फिंगर - कनिष्ठा में।

बृहस्पति (पुखराज) के लिए “ॐ बृं बृहस्पतये नम:” का मंत्र है।
(बृस्पतिवार को धारण करना है)। इंडेक्स फिंगर तर्जनी (पुखराज का कुछ समय बाद रंग फीका/हल्का पड जाता है यह असली रत्न की विशेषता है)।

शुक्र (हीरा/ओपल) के लिए “ॐ शुं शुक्राय नम:” का मंत्र है। (शुक्रवार को धारण करना है) रिंग फिंगर अनामिका में।

शनि (नीलम) के लिए “ॐ शं शनैश्चराय नम:” का मंत्र है। (शनिवार को धारण करना है) मिडिल फिंगर( मध्यमा में)

राहु (गोमेद) के लिए “ॐ रां राहवे नम:” का मंत्र है। (शुक्र/शनिवार को धारण करना है) स्माल/मिडिल फिंगर (कनिष्ठा/मध्यमा) में।

केतु (लहसुनिया) के लिए “ ॐ कें केतवे नम:” का मंत्र है। (शुक्र/शनिवार को धारण करना है) स्माल/मिडिल फिंगर (कनिष्ठा/मध्यमा) मे।

2. किस धातु में....❓👇

माणिक, मूंगा : सोने, या ताम्बे में।

पुखराज : सोने में । सम्भव न हो, तो पीतल या पंचधातु में।

मोती, नीलम, ओपल, पन्ना, गोमेद, लहसूनिया, फ़िरोज़ा : सोना या चाँदी

3. विधि :

रत्न को पंचामृत या दूध (मूँगा को दूध/दही में नहीं डालें, केवल जल और गंगाजल में डालें) में जल और गंगाजल से स्नान कराकर (उसे कम से कम दो घण्टे, दूध, जल और गंगाजल में रखें), उसे धूप – दीप दिखाएं, फिर रत्न से संबंधित ग्रह के मंत्र का 108 बार जाप करें।

सुबह नहा-धोकर जाप करने के बाद
शुद्ध मन से उसे पहन लें।

(मूँगा को दूध में नहीं, केवल जल और गंगाजल आदि में डुबाएं)

4. कब पहनें..❓👇

1. सभी रत्न शुक्ल पक्ष की पञ्चमी/षष्ठी से लेकर कृष्ण पक्ष की पञ्चमी/षष्ठी तक पहने जा सकते हैं, क्योंकि रत्न धारण में चन्द्रमा का बल भी देखा जाता है। वैसे तो रत्न सूर्योदय के समय, सुबह नहा धोकर, या दोपहर तक पहने जाएं, तो अच्छा है, पर सूर्यास्त तक भी पहन सकते हैं।

कई लोग कुछ रत्नों को शाम को या रात को पहनने की सलाह देते हैं, पर मैं ऐसी सलाह नहीं देता हूँ।

5. किस हाथ में....❓👇

पुरुषों के लिए सभी रत्न दांयें/ सीधे हाथ में और स्त्रियों के लिए बांयें/उलटे हाथ में पहने जातें हैं।

केवल नीलम और मोती इसके उल्टे हैं जो पुरुष बांयें और स्त्री दांयें हाथ में पहने जाएंगे।

वैसे इस से विशेष अंतर नहीं पड़ता, अगर किसी की कोई मज़बूरी हो तो वो दूसरे हाथ में भी पहन सकते हैं जी।

6. विशेष :

ओपल और पन्ना मिलने के बाद एक या दो दिन के लिये कियोकार्पिन आयल में डालें ।

अगर सम्भव न हो, तो वैसलीन, या कोई चिकनी चीज मल दें।

पहनने के बाद, यह अपने-आप शरीर की चिकनाई से ठीक रहते हैं।

अगर लम्बे समय तक बिना पहने ऐसे ही रखे रह जाएँ, तो खुश्की से क्रैक हो सकते हैं।

अगर पहले नहीं रखा, और कुछ दिन रुक कर पहनना हो, तो अंगूठी, या लॉकेट को भी इस तेल में रख लेना चाहिए।

📣महत्वपूर्ण :

हर 15/20 दिन बाद, या एक/दो महीने में कम से कम एक बार, रत्नों को शुद्ध व् पुनःजागृत करने के लिए (3) वाला तरीका दोहराएं :

रत्न को पंचामृत या दूध (मूँगा को दूध/दही में नहीं डालें, केवल जल और गंगाजल में डालें) में जल और गंगाजल से स्नान कराकर (उसे कम से कम दो घण्टे, दूध, जल और गंगाजल में रखें), उसे धूप-दीप दिखाएं, फिर रत्न से संबंधित ग्रह के मंत्र का 108 बार जाप करें. जाप करने के बाद सुबह नहा-धोकर शुद्ध मन से उसे पहन लें।
(मूँगा को दूध में नहीं, केवल जल और गंगाजल आदि में डुबाएं)

शुद्ध करने का काम शुक्ल पक्ष और उसी वार में किया जाये, तो बेहतर है, वर्ना कभी भी कर लें।

मन्त्र जाप कर लिया जाये, तो बेहतर है, वर्ना ऐसे भी चलेगा।

📣📣 एक बात मेरी हमेशा याद रखना आप सभी की ओरिजनल स्टोन में कोई न कोई दाग धब्बा रेशा आदि होगा ही। बिल्कुल साफ रत्न या तो बहुत महंगे होते हैं उनकी कीमत लाखो में होती है(पुखराज,नीलम महारत्न हैं ये अक्सर महंगे ही होंगे) या फिर वो नकली होते हैं जी....

11/10/2024

मां अंबेगौरी एक हिंदू देवी है, जो महाराष्ट्र में बहुत पूजा की जाती है। उनका नाम "अम्बा" का मतलब है "माँ" और "गौरी" का मतलब है "गोरी या श्वेत"।

कथा: मां अंबेगौरी की कथा शिव पुराण से जुड़ी है। उनका जन्म हिमालय पर हुआ था। उन्हें शिव की अर्धांगिनी, पार्वती के अवतार के रूप में माना जाता है।

उनका विवाह शिव से हुआ था, और उनको पति धर्म का पालन करने के लिए प्रेरणा दी। उन्हें शिव के साथ मिलकार राक्षसों को हरया और धर्म की रक्षा की।

माँ अम्बेगौरी की महिमा: माँ अम्बेगौरी की महिमा बहुत अधिक है। उनको शक्ति, प्रेम और करुणा की देवी के रूप में पूजा की जाती है।

उनके मंदिर: मां अंबेगौरी के मंदिर महाराष्ट्र में बहुत हैं। उनके सबसे प्रसिद्ध मंदिर अम्बेजोगाई, औरंगाबाद में है।

पूजा विधि: मां अंबेगौरी की पूजा विधि: 1. उनके मंदिर में जा कर पूजा करें।
2. उन्हें लाल चुनरी, हल्दी, कुमकुम, और फूल चढ़ाएं।
3. उनके सामने गहरी जलाएं.
4. उनकी आरती करें.

आरती: माँ अम्बेगौरी की आरती: "जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुमको नमन, तुमको नमन जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी"

10/10/2024

माता कालरात्रि की कहानी हिंदू धर्म में बहुत प्रसिद्ध है। माता कालरात्रि देवी दुर्गा के नौ रूपों में से सातवें रूप हैं। उनकी पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है।

कहानी:

राक्षस महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य नहीं मार सकता। इससे उसे बहुत अभिमान हो गया और उसने स्वर्ग और पृथ्वी पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।

देवताओं ने माता दुर्गा से मदद मांगी। माता दुर्गा ने कालरात्रि के रूप में अवतरित होकर महिषासुर का वध किया।

माता कालरात्रि का वर्णन:

माता कालरात्रि का रंग काला है, इसलिए उन्हें कालरात्रि कहा जाता है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो में तलवार और ढाल हैं। उनकी तीसरी भुजा में वरदान मुद्रा है, और चौथी भुजा में अभय मुद्रा है।

माता कालरात्रि की पूजा:

नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन लोग मंदिरों में जाकर माता की पूजा करते हैं और उन्हें फूल, फल और अन्य चीजें चढ़ाते हैं।

माता कालरात्रि के महत्व:

माता कालरात्रि की पूजा से व्यक्ति को शक्ति और साहस मिलता है। यह पूजा व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद करती है।

क्या आप माता कालरात्रि से संबंधित कोई विशिष्ट जानकारी चाहते हैं?

09/05/2024

आज मुझे एक पांच साल पुराना मित्र मिला , मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई क्योंकी मैं तो उसका नाम भी भूल गया था क्योंकि बहुत छोटी सी मुलाकात में हमारी दोस्ती हुई थी फिर हम अपने ज़िन्दगी की जद्दोजेहद में ऐसे उलझे की कभी मिलने मौका भी नहीं हुआ। उस ने मुझे याद दिलाया की वो मोहन (काल्पनिक नाम) परन्तु वो तो यारो का यार था उसे बहुत प्यार था मुझ से उसने मुझे झट से पहचान लिया। उसे मेरा नाम भी याद था और और तो और मेरा घर कहाँ है इतना भी याद था उसको। मैं अंदर ही अंदर आत्मग्लानि से भरा जा रहा था। एक और चोट उसने तब कर दी जब मुझे पता लगा की वो हमारा दूर का रिश्तेदार भी है उसे पता था। बस अब तो मैं उस से माफ़ी ही मांगनी वापिस रह गयी थी पर उसने एहसास नहीं होने दिया की की उसको बुरा लगा हो बल्कि उसने मुझ से मेरा हाल चाल पूछा माँ बाप का हाल चाल पूछा बल्कि किसि चीज़ की कोई जरुरत हो तो मदद का भी प्रस्ताव दिया।
उसने मेरे साथ सेल्फी ली और मेरा मोबाइल नंबर माँगा जो मैंने दे दिया। अभी कुछ देर पहले मैंने देखा की मुझे तीन चार नए व्हाट्सप्प ग्रुप्स ने अपने समूह में शामिल कर लिया है और वो मेरी और मेरे मित्र की तस्वीर भी है उस ग्रुप में जिसमें लिखा था बड़े भाई का साथ। और मुझे एकदम से याद आ गया की उस मित्र के साथ गुजरे पांच साल पहले के वो बाईस दिन जब चुनाव थे। तभी हमारी मुलाकात हुई थी और तभी हमारी मित्रता। उसके बाद जब उनके दल की विजय हुई तो उसका न तो कोई फ़ोन आया न मुलाकात हुई। उस समय मोहन के कारन मेरे कुछ अभिन्न मित्र जो इनके दाल का समर्थन नहीं करते थे उनसे मेरी तू तू मैं मैं भी हुई। बहुत दिनों तक मेरी उन मित्रो से बात भी नहीं हुई जो पिछले तीस साल से हमारे साथ थे, रोज़ हमारा मिलना जुला होता था। सिर्फ मोहन के कारन। मुझे बहुत दुःख हुआ था तब थोड़े दिन जब इसने मुझे फ़ोन नहीं किया परन्तु फिर मेरे उन्ही पुराने मित्रो ने कहा छोड़ दोस्त हम हैं न और हम पुराने मित्र ऐसे ही एक दुसरे के साथ और पांच साल आगे बढ़ गए।
आज अचानक पांच साल के बाद फिर से मोहन ने ज़िन्दगी में कदम रखा है। और इस बार तो उसने मुझे बड़ा भाई भी बना लिया है। कितने डाउन टू अर्थ हैं मोहन। इतना बड़ा आदमी और इतने बड़े ग्रुप में जिसमें हज़ारो लोग भी सदस्य हैं उसमें मेरे को बड़ा भाई लिख रहा है। मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं तो फूला नहीं समां रहा था। पर अचानक उसी ग्रुप में तीस से चालीस और बड़े भाइयों की बहनो की माओं की तस्वीरें भी आने लगी। अचानक मुझे पता चला की मोहन का कितना बड़ा परिवार है और मेरा तो पांच छः मित्रो का छोटा सा और इसकी वजह से मैं उनसे भी झगढ़ गया और इसने पांच साल मुझे पूछा भी नहीं।
मैंने अचानक से सभी ग्रुप्स में से एग्जिट किया और अपने मित्रो के ग्रुप में लिखा चुनाव से मित्रता में तनाव नहीं आना चाहिए।

Chal kahin door nikal jaayein
09/04/2023

Chal kahin door nikal jaayein

21/06/2022

" चापलूस एवं आलोचक में केवल इतना अंतर है कि चापलूस अच्छा बनकर बुरा करता है और आलोचक बुरा बनकर अच्छा करता है..."

https://www.astrotaare.com/

26/04/2022

"ईश्वर ने दुसरो को क्या दिया है, ये देखने मे हम इतने व्यस्त होते है, कि ईश्वर ने हमे क्या दिया है वो देखने का हमे वक्त ही नही होता..."

11/02/2022

"कल्पना के साथ साथ प्रयास अवश्य किया जाना चाहिए सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है सीढ़ियों पर चढ़ना आवश्यक है..."

09/02/2022

"जब हम भूखे होते हैं तब ही भोजन के स्वाद का आनंद लिया जा सकता है ठीक उसी तरह जब हम अकेले होते हैं तब ही सच्चे लोगों का साथ और उनके प्यार को समझ पाते हैं..."

08/02/2022

"असफलताएं सीमित हैं, हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए परन्तु आशाएं अनन्त हैं, जो हमें कभी नहीं छोड़नी चाहिए,आशा ही जीवन है..."

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