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R.C.D Homeo Health Care Homoeopathy Treatment

होम्योपैथिक दवाइयों से गुर्दे एवं मूत्राशय की पथरी और लीवर में सूजन के मरीज का मात्र 20 दिनों में सफल इलाज किया गया ।मरी...
23/12/2020

होम्योपैथिक दवाइयों से गुर्दे एवं मूत्राशय की पथरी और लीवर में सूजन के मरीज का मात्र 20 दिनों में सफल इलाज किया गया ।
मरीज का विवरण एवं अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट नीचे संलग्न है

मरीज का नाम - राम शुभ उम्र-50

प्रथम बार मरीज देखने का तारीख-30/11/2020
#समस्या/लक्षण-
# गुर्दे में -6mmपथरी (बांए)
#मूत्राशय में- 11.3mm पथरी एवं लिवर में सूजन की शिकायत।
#लक्षण-
पेट में दर्द, मूत्र मार्ग में जलन,पेशाब बूंद बूंद करके होना
जीभ पर सफेद लेप और गैस बनना।
उपचार के उपरांत -
#होम्योपैथिक दवा द्वारा बिना चीर फाड़ के मात्र 20 दिनों में मूत्राशय एवं गुर्दे की पथरी पूर्ण रूप से निकल गया एवं लीवर की सूजन पूर्ण रूप से समाप्त हो गया और सारे लक्षण भी समाप्त हो गए पूर्ण जानकारी नीचे रिपोर्ट में संलग्न है

डॉ.एस.के.दूबे
(होम्योपैथिक)
Reg no.BHO4630
H.M.B.(Lucknow)
आर.सी. डी होम्यो हेल्थ केयर बहादुरगंज सिद्धार्थनगर
संपर्क सूत्र-9838408278

11/08/2020

लखनऊ । केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य डॉ अनुरूद्ध वर्मा ने सरकार द्वारा एम बी बी एस कोर्स में छात्रों को आयुर्वेद, होम्योपैथी ,यूनानी एवँ प्राकृतिक चिकित्सा की पढ़ाई को भी शामिल किये जाने के निर्णय परआपत्ति व्यक्त की है । प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि आयुष में शामिल सभी पद्धतियाँ स्वतंत्र चिकित्सापद्धतियाँ हैं इनका दर्शन, सिद्धांत, औषधि निर्माण की प्रक्रिया, कार्य करने का तरीका आदि एलोपैथिक पद्धति से भिन्न है तथा इनकी पढ़ाई के लिए अलग से साढ़े पांच वर्षीय पाठ्यक्रम की व्यवस्था है तथा इनके मेडिकल कॉलेज भी अलग से स्थापित हैं जिन्हें आयुष मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है । उन्होंने कहा कि एम बी बी एस कोर्स की पढ़ाई में आयुष पद्धातिओं को शामिल किए जाने का कोई तर्कसंगत औचित्य नहीं प्रतीत होता है तथा इस व्यवस्था से क्रॉस पैथी प्रैक्टिस को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे रोगियों को लाभ के स्थान पर नुकसान की ज्यादा संभावना है ।उन्होंने कहा है कि इससे आयुष पद्धातिओं के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा देश केवल एक पद्धति एलोपैथी का आधिपत्य स्थापित हो जाएगा तथा आयुष पद्धतियाँ गौड़ हो जाएंगी । उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में देश में आयुष पद्धातिओं के विकास के लिए स्वतंत्र मंत्रालय स्थापित है और देश मेँ आयुष पद्धातिओं की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हो रही है इस प्रकार की व्यवस्था आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता को प्रभावित करेंगी । उन्होंने सरकार से देश एवँ जनता के व्यापक हित मेँ एम बी बी एस कोर्स की पढ़ाई में आयुष पद्धातिओं को शामिल किए जाने के निर्णय को वापस लिया जाने की मांग की है जिससे जनता आयुष पद्धातिओं का लाभ उठा सके और इनका विकास भी प्रभवित न हो । डॉ अनुरुद्ध वर्मा। पूर्व सदस्य ,केंद्रीय होम्योपैथी परिषद मो.9415975558

 #डेंगूबुखार में  #होम्योपैथिक औषधि बेहद कारगरइस बुखार में गर्दन व हड्डियों में बेहद दर्द होता है , इसलिए इसे हड्डी – तो...
29/07/2020

#डेंगूबुखार में #होम्योपैथिक औषधि बेहद कारगर

इस बुखार में गर्दन व हड्डियों में बेहद दर्द होता है , इसलिए इसे हड्डी – तोड़ या गर्दन तोड़ बुखार भी कहतें हैं l

● हड्डियों में बहुत अधिक दर्द, ठण्ड लगे तो पीठ व हाथ – पैरों में दर्द l पित्त विकार, उल्टी-दस्त – (युपेटोरियम पर्फ 30, दिन में 3 -4 बार)

● मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द, सुस्ती, ऊँघना या नींद सी आई रहना, चुपचाप लेटे रहने की इच्छा – (जल्सेमियम 30, दिन में 3 -4 बार)

● आँख व चेहरा लाल, तेज सिर दर्द व बुखार, कमर दर्द – (बेलाडोना 30, दिन में 3 – 4 बार)

● शरीर दर्द, बेचैनी, हिलने – डुलने से आराम – (रस टाक्स 30, दिन में 3 -4 बार)

● अधिक प्यास, शरीर दर्द, हिलने-डुलने से रोग बढे – (ब्रायोनिया 30, दिन में 3 बार)
Dr.S.K.Dubey
R.C.D.Homeo Health Care
Mb9838408278

16/07/2020
  के संक्रमण की तरह यदि   का भी सही समय पर पता चल जाए तो इससे बचा जा सकता है। अगर आपको वायरस के संक्रमण का कोई भी लक्षण ...
14/07/2020

के संक्रमण की तरह यदि का भी सही समय पर पता चल जाए तो इससे बचा जा सकता है। अगर आपको वायरस के संक्रमण का कोई भी लक्षण महसूस हो, तो अपने डॉक्टर से तुरन्त सलाह लें।
जानकारी दें, सतर्क रहें।

23/02/2020

टॉन्सिल में सूजन आ जाने को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं।

कारण : खाने-पीने, सर्दी अथवा नजला-जुकाम आदि से टॉन्सिल फूल जाते हैं।

लक्षण : गला दुखना, बुखार, निगलने में गले मे दर्द आदि।

● प्रथम अवस्था मे जब सूखी ठंड लगने से टॉन्सिल सूज जाए। तेज बुखार, बेचैनी व घबराहट हो - (एकोनाइट 30, दिन में 3 बार)

● टॉन्सिल चमकीले लाल रंग के, फुले हुए(उनमें जख्म भी हो सकता है), जलन व डंक लगने जैसा दर्द; टॉन्सिल खुश्क महसूस हो पर प्यास न हो - (एपिस मेल 30, दिन में 3 बार)

● जब बार बार टॉन्सिलाइटिस हो, बच्चा शर्मीली प्रकृति का हो - (बैराइटा कार्ब 30 या 200, दिन में 3 बार)

● गला व टॉन्सिल लाल, सूजे हुए, निगलने में दर्द, बुखार - (बेलाडोना 30, दिन में 3 बार)

● जब बुखार के कारण रोगी सुस्त हो व चुपचाप लेटना चाहे, प्यास न हो, टॉन्सिल पर सुरसुराहट हो - (जलसेमियम 30, दिन में 3 बार)

● जब टॉन्सिल पकने के कारण असह्य दर्द हो, गला छूने तक से डर लगे, रोगी ठंडी प्रकृति का हो- (हिपर सल्फ 30, दिन में 3 बार)

● टॉन्सिल पर जख्म, सांस बदबूदार, खूब लार बहे, रात में दर्द व बुखार बढ़े - (मर्क सॉल 30, दिन में 3 बार)

● जब टॉन्सिल बार बार परेशान करे - (बैसिलिनम 1M या ट्यूरबरकुलाइनम 1M, की 1 खुराक 2-3 सफ्ताह के अंतर से दें)

● जब गले मे स्ट्रेप्टोकोकाई इंफेक्शन (Streptococci infection) हो - (स्ट्रेप्टोकोकस 200, 2-3 खुराक)

● जब गले मे स्टेफाइलोकोकाई इंफेक्शन (Staphylococci infection) हो - (स्टेफाइलोकोकस 200, 2-3 खुराक)

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