Divya pathology

Divya pathology बढ़ाइए स्वस्थ जीवन की ओर कदम दिव्य पैथोलॉजी के संग

23/07/2020

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23/07/2020

आइए आज हम बरसात के मौसम में होने वाली परेशानियों के बारे में चर्चा करते हैं ये इस प्रकार हैं 1मार्केट में मिलने वाले कटे फलों का यूज न करें। घर पर ताजा फलों का रस निकालकर पीएं।
2. मौसमी फलो व सब्जियों का ही सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्जियों को एग्नोर करें।
3. कच्चे सलाद की जगह स्टीम सलाद व सूप लें।
4. रोड किनारे मिलने वाले समोसे, पकोड़े, कचौड़ी न खाएं। गोल गप्पे खाने से विशेष रूप से बचें।
5. अधिक नमक वाले भोजन का सेवन न करें। इसके कारण शरीर की एंजाइम एक्टिविटी कम हो जाती है।
6. पानी को उबालकर या फिल्टर कर पीएं। ताकि हानिकारक कीटाणुओं को बचा जा सके।
7. हर्बल चाय, ग्रीन टी का अदरक, तुलसी, दालचीनी के साथ लें। इसमें एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती है।
8. ओट्स, ब्राउन राइस, जौ मानसून में लाभदायक होते हैं।
9. नॉनवेज में सी फूड से बचें। क्योंकि मानसून में इनका ब्रीडिंग सीजन होता है।
10. नियमित एक्सरसाइज करें। इससे पसीने के साथ टॉक्सिस वेस्ट, बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
हरिओम सिंह (food technologist)
अमित सिंह (डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह (एम डी)पैथोलॉजिस्ट

कहते हैं मां से बड़ा योद्धा कोई नहीं होता अभी हाल ही में 65 वर्षीय महिला ने अपने बेटे को किडनी दान की  कोरोना से लडने के...
15/07/2020

कहते हैं मां से बड़ा योद्धा कोई नहीं होता अभी हाल ही में 65 वर्षीय महिला ने अपने बेटे को किडनी दान की कोरोना से लडने के बाद,..... दिव्य पैथोलॉजी के परिवार की तरफ से सत सत नमन👏👏👏👏

15/07/2020

सीबीसी: एक खून की जांच बताती है कई बीमारियों के बारे मेंइस जांच में ब्लड में मौजूद लाल रक्त कणिकाएं, सफेद रक्त कणिकाएं और प्लेटलेट्स की संख्या व उनका आकार देखा जाता है।सीबीसी: एक खून की जांच बताती है कई बीमारियों के बारे मेंसीबीसी यानी कम्प्लीट ब्लड काउंट। यह जांच खून से जुड़ी कई बीमारियों की जानकारी देती है। इसमें ब्लड में मौजूद लाल रक्त कणिकाएं, सफेद रक्त कणिकाएं और प्लेटलेट्स की संख्या व उनका आकार देखा जाता है।कब होता यह टैस्ट-थकान, कमजोरी, बुखार, चोट होने परकभी भी करा सकते हैं जांचअचानक वजन घटने, खून की कमी, पॉलिसाइथिमिया, इंफेक्शन, रक्त विकार, सर्जरी से पहले, किसी हिस्से में रक्तस्त्राव होने के अलावा कुछ विशेष कैंसर जैसे लिम्फोमा, ल्यूकेमिया व बोनमैरो से जुड़े रोगों को पता लगाने के लिए यह टैस्ट किया जाता है।कभी भी करा सकते जांच-
अधिकतर टैस्ट से पहले कुछ तैयारी व सावधानी रखनी होती है। लेकिन सीबीसी में कोई परहेज जरूरी नहीं। यह जांच फाइव या थ्री पार्ट डिफरेंशियल मशीन से की जाती है।कैसे होती है जांच -
सीबीसी जांच के लिए ब्लड का सैंपल लेते हैं। ब्लड में सेल्स की संख्या व आकार के साथ हिमोग्लोबिन/हिमैटोक्रिट देखते हैं। इसके आधार पर रोग पकड़ में आता है।
हरिओम सिंह (food technologist)
अमित सिंह( डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह ( एम डी पैथोलॉजिस्ट)

14/07/2020

घर पर सैंपल कलेक्ट करने की सुविधा उपलब्ध कॉल करे 7389361082

28/06/2020

एलर्जी टेस्ट क्या होता है?

एलर्जी टेस्ट द्वारा उन चीजों में एलर्जिक पदार्थ ढूंढने में मदद मिलती है, जिन्हें आप खाते, पीते, छूते या सांस द्वारा अंदर लेते हैं। एलर्जी टेस्ट में आमतौर पर स्किन टेस्ट व ब्लड टेस्ट शामिल होते है। हालांकि, अकेला एलर्जी टेस्ट आमतौर पर काफी नहीं होता। एलर्जी का परीक्षण करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर द्वारा शारीरिक परीक्षण करना और पिछली मेडिकल जानकारियां जानना आवश्यक होता है। अगर शारीरिक परीक्षण और पिछली मेडिकल जानकारियां एलर्जी का संकेत देती हैं, तो एलर्जिक टेस्ट से यह पता लगा लिया जाता है कि आपको किस चीज से या किस प्रकार की एलर्जी है।(और पढ़ें - एलर्जिक राइनाइटिस का इलाज)त्वचा की जांच (स्किन टेस्ट):स्किन टेस्ट के दौरान संदेहयुक्त एलर्जिक पदार्थ को एक छोटी सी मात्रा में मरीज की त्वचा के संपर्क में लाया जाता है, यह देखने के लिए कि प्रतिक्रिया होती है या नहीं। स्किन टेस्ट तीन प्रकार के होते हैं:
(और पढ़ें - एलर्जिक राइनाइटिस के उपाय)
स्किन प्रिक टेस्ट (Skin prick test):
इस टेस्ट में स्किन पर एक एलर्जिक पदार्थ युक्त घोल की बूंदे डाली जाती हैं, घोल को त्वचा के अंदर भेजने के लिए सुई आदि की मदद से त्वचा में छोटे छेद या स्क्रैच किए जा सकते हैं। अगर उस घोल के संपर्क में आने के बाद त्वचा में खुजली, लालिमा या सूजन आदि आती है तो इसका मतलब होता है कि मरीज इन पदार्थो से एलर्जी है। इसे पॉजिटिव रिएक्शन कहा जाता है। (और पढ़ें - खुजली के उपाय)
इंट्राडर्मल टेस्ट (Intradermal test):
इस टेस्ट के दौरान एलर्जिक पदार्थ की एक छोटी सी मात्रा को इंजेक्शन से त्वचा के अंदर डाला जाता है। जब कोई पदार्थ स्किन प्रिक टेस्ट के दौरान प्रतिक्रिया ना कर पाए तो इंट्राडर्मल टेस्ट का उपयोग किया जाता है।
स्किन पैच टेस्ट (Skin patch test):
इस टेस्ट में एलर्जिक पदार्थ को एक पैड पर लगाया जाता है और उस पैड को त्वचा पर 24 से 72 घंटों तक के लिए बांध दिया जाता है। इस टेस्ट का इस्तेमाल कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस नाम एक स्किन एलर्जी का पता करने के लिए किया जाता है, कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस एक सम्पर्क से होने वाला चर्मरोग होता है।
(और पढ़ें - एलर्जिक राइनाइटिस के उपाय)ब्लड टेस्ट (Blood test):
एलर्जी ब्लड टेस्ट द्वारा खून में एंटीबॉडीज नामक पदार्थ की खोज की जाती है। ब्लड टेस्ट इतना संवेदनशील नहीं होता जितना स्किन टेस्ट होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है, जो किसी कारण से स्किन टेस्ट नहीं करवा सकते। ब्लड टेस्ट खून में एक ऐसे एंटीबॉडीज के स्तर को मापता है, जो उन लोगों में अक्सर उच्च होता है, जिनको एलर्जी या अस्थमा आदि की समस्या होती है।
हरिओम सिंह (food technologist)
अमित सिंह (डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह (एम डी) पैथोलॉजिस्ट

15/06/2020

मानसिक और भावनात्‍मक हेल्‍थ की बात करें तो भोजन सबसे अधिक अनदेखी पहलुओं में से एक है। लेकिन सच्चाई यह है कि हेल्‍दी डाइट के बिना आप अपने शरीर के साथ-साथ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को अच्‍छा नहीं रख सकती हैं। शरीर ईंधन के रूप में काम करते हुए, भोजन शरीर को विटामिन, मिनरल, ओमेगा -3 फैटी एसिड, प्रोटीन, आदि जैसे हेल्‍दी पोषक तत्व प्रदान करता है जो ठीक से काम करने के लिए जरूरी होता है। कई शोधों से यह बात साबित हुई है कि एक पौष्टिक आहार कई तरीकों से हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। आत्मानंद वेलनेस सेंटर के वेलनेस डायरेक्टर डॉक्‍टर मनोज कोठारी आज हमें ऐसे कई तरह के फूड्स के बारे बता रहे है जो मेंटल हेल्‍थ को विभिन्‍न तरीके से बढ़ावा देते हैं।कार्बोहाइड्रेट शरीर का ईंधन हैं और यह दो रूपों में पाया जाता है - सिंपल और कॉम्प्लेक्स। सिंपल एक और लत की तरह होता है जो ब्‍लड शुगर लेवल में स्पाइक का कारण बनता है, जबकि कॉम्प्लेक्स बॉडी को धीरे-धीरे ग्लूकोज छोड़ने और लंबे समय तक शरीर को ईंधन देने में हेल्‍प करता है। सिंपल कार्ब्स सफेद आटे, चीनी, आलू, चावल, आदि में पाए जाते हैं। कॉम्प्लेक्स कार्ब्स ऐसी चीजों में पाए जाते हैं जो अधिक नेचुरल और फ्रेश होते हैं जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि, सिंपल कार्ब्स को हटाने और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स को शामिल करने से बॉडी के साथ-साथ मेंटल हेल्‍थ के लिए भी बहुत अच्‍छा होता है। यहा आपको डी-स्‍ट्रेस, डिप्रेशन को कम करने, अच्‍छी नींद और बॉडी के कामों के लिए मसल्‍स को रिलैक्‍स देने में हेल्‍प करता है।ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर के लिए आवश्यक फैट है जो एक सुरक्षात्मक भूमिका निभाता है और हैप्‍पी हार्मोन के काम में हेल्‍प करता है। लेकिन यह फैट किसी भी रूप में शरीर में उत्पन्न नहीं होता है और भोजन के माध्यम से इसका सेवन किया जाता है। फैटी एसिड को मनोभ्रंश को कम करने, ब्रेन के कामकाज को बढ़ाने और डिप्रेशन को कम करने के लिए जाना जाता है। फूड्स जैसे ऑलिव ऑयल, मछली, अंडे, फ्लैक्ससीड्स, अलसी के तेल, नट्स, आदि से पोषण प्राप्त करने के लिए ओमेगा -3 फैटी एसिड अच्छी मात्रा में होते हैं।ऑक्सीडेटिव तनाव और शरीर की सूजन से लड़ने वाले सुपर पोषक तत्वों को एंटीऑक्सीडेंट कहा जाता है। यह ताजे और कलर फलों और सब्जियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्‍स से लड़ने के लिए जिम्मेदार होते हैं और सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे अच्छे महसूस करने वाले केमिकलों को छोड़ने में हेल्‍प करते हैं। आहार में स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, नींबू, कीनू आदि जैसे एंटीऑक्सीडेंट युक्त भोजन शामिल करने से शरीर को तनाव मुक्त होने और मानसिक रूप से अनुभव करने की क्षमता में सुधार होता है!विटामिन बी, सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्‍पी हार्मोन के रिलीज और बैलेंस में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। विटामिन बी की कमी से ब्रेन का बुरा असर पड़ता है और आपको डिप्रेशन और स्‍ट्रेस जैसी प्रॉब्‍लम्‍स हो सकती है। लेकिन विटामिन बी से भरपूर डाइट जैसे साबुत अनाज, मछली, पोल्ट्री, अंडे, डेयरी, पनीर, मशरूम, फोर्टीफाइड अनाज, पोषण खमीर आदि विटामिन बी से भरपूर आहार हैं। विटामिन बी हैप्‍पी हार्मोन को बैलेंस कर शारीरिक फिटनेस, भावनात्मक संतुलन और मानसिक हेल्‍थ के लिए जरूरी होता है।
हरिओम सिंह food technologist
अमित सिंह (डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह ( एम डी) पैथोलॉजिस्ट

11/06/2020

एसिडिटी की समस्या सबसे आम समस्या है लेकिन इसकी वजह से इंसान परेशान बहुत होता है। कुछ लोगों को तो एसिडिटी की वजह से पेट फूलेने की समस्या भी हो जाता है। कुछ लोगों को गैस व एसिडिटी की समस्या दोनों एक साथ हो जाती है। एसिडिटी की वजह से पेट हमेशा भरा-भरा लगता है जिससे इंसान सही से खाना-पीना भी नहीं कर पाता है।एसिडिटी की समस्या से परेशान लोग दवाओं के उपयोग की जद में भी आ जाते हैं जो बाद में पेट की कई अन्य बीमारियों को भी न्योता देते हैं। कई शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि अगर आप ज्यादा दिन तक गैस व एसिडिटी की दवा खाते हैं तो आपके पाचन पर असर पड़ता है। एसिडिटी और गैस की परेशानी को अगर हमेशा के लिए दूर करना है तो आपको अपने डाइट प्लान पर ध्यान देना होगा। हम यहां पूरे दिन में कब कैसे खाद्य पदार्थ खाने हैं उसके हिसाब से डाइट प्लान बता रहे हैं।एसिडिटी और ब्लोटेड स्टमक यानि पेट फूलने की समस्या से बचने के लिए आपके आहार में फाइबर और फॉलिक एसिड वाले आहार भरपूर होने चाहिए। फाइबरयुक्त आहार से आंतों में चिपकी हुई गंदगी साफ होती है और ये मल को नरम बनाता है जिससे आपको मल त्याग के दौरान पेट दर्द का सामना नहीं करना पड़ता है। फॉलिक एसिड वाले आहार से और हल्के-फुल्के सुपाच्य आहार से आपके लिवर पर ज्यादा जोर नहीं आता है और वो खाना आसानी से पचा पाता है जिससे पेट फूलने की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है।सुबह के नाश्ते में आप ऐसा आहार लें जिससे आपको प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में मिले जैसे- फल, ड्राई फ्रूट्स, इडली, पोहा आदि। इसके अलावा गाय का दूध भी आपके सुबह के नाश्ते के लिए परफेक्ट है क्योंकि इसमें कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है और ये भैंस के दूध के मुकाबले सुपाच्य होता है।दोपहर के खाने में आप दाल जरूर शामिल करें क्योंकि इसमें प्रोटीन और फाइबर होता है। इसके अलावा आप ब्राउन राइस, टोफू, चीज करी आदि भी ले सकते हैं। ब्लोटिंग स्टमक के लिए खाने में मिर्च-मसालों का प्रयोग कम करें और नमक का प्रयोग भी सामान्य करें। इसके अलावा खाना कम तेल में पकाएं और ज्यादा से ज्यादा उबली हुई सब्जियां आहार में शामिल करें।होना चाहिए। इसके अलावा कोशिश करें कि रात का खाना आप सोने से कम से कम 2 घंटे पहले खा लें। खाने में आपको मीठी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। रात के खाने में आप हरी या रंगीन सब्जियां जो उबाल कर बनाई गई हों या कम तेल में बनाई गई हों, ग्रिल्ड चिकन और रोटियां ले सकते हैं। रात का खाना भूख से कम खाएं और रात में सलाद और दूध या दूध से बने पदार्थों का सेवन न करें।
हरिओम सिंह food technologist
अमित सिंह (डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह ( एम डी) पैथोलॉजिस्ट

07/06/2020

कोरोना संक्रमित मरीजों को प्रतिदिन 2 हजार कैलोरी का पौष्टिक आहार देना होगा। डायबटिक मरीज को ब्रेड नहीं देनी होगी। कोरोना पॉजिटिव मरीज को चावल, दही, केला और खट्टे फल और कच्चा सलाद नहीं देना होगा। इससे उन्हें खांसी आने का खतरा है। हां, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हल्दी मिलाकर दूध जरूर दिया जा सकता है। फल में सेब दे सकते हैं। कटे फल कतई न दें। क्यों इससे संक्रमण बढ़ने का जोखिम है। क्वारंटाइन बेड पर जिन मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी हैं, उन्हें चावल, दही व केला दिया जा सकता है। कोरोना संक्रमित मरीजों को मांसाहारी भोजन देने की मनाही है।डायटीशियन कमेटी की रिपोर्ट को सभी कोविड अस्पतालों में लागू करने के निर्देश सरकारी और निजी मेडिकल कालेजों व चिकित्सा संस्थानों में बने कोविड- 19 के अस्पतालों में पौष्टिक आहार दिए जाने का प्रोटोकॉल बनाने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल कालेजों के डायटीशियन की एक कमेटी बनाई। इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने सभी मेडिकल कालेजों और चिकित्सा संस्थानों के प्रमुखों को कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए सबेरे का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम की चाय और रात का भोजन देने के निर्देश दिए हैं। फैकल्टी को बनाना होगा किचन कमेटी का प्रभारी आगरा, मेरठ व सहारनपुर सरीखे मेडिकल कालेजों में कोरोना मरीजों को गुणवत्तायुक्त भोजन न मिलने की शिकायतों के बाद विभाग ने यह डॉयट प्रोटोकॉल जारी किया है। इसके तहत मेडिकल कालेजों को अपने एक फैकल्टी के सदस्य को किचन कमेटी का प्रभारी बनाया जाना है। उस कमेटी में मेडिकल कालेज की डायटीशियन भी शामिल किया जाएगा। मरीजों का ब्रेक फास्ट हैवी होना चाहिए
निर्देशों के तहत खाने में खड़े गरम मसाले का प्रयोग किया जाएगा। कोरोना पॉजिटिव मरीज को कार्बोहाइड्रेट के लिए आलू, फाइबर के लिए प्रोटीन के लिए पनीर, अरहर की दाल, सोयाबरी दी जा सकती है। भोजन फाइबर युक्त होना चाहिए। इसमें गाजर की सब्जी, राजमा और चने की दाल दी जानी चाहिए। मरीज का ब्रेक फास्ट 800-900 कैलोरी का हैवी होना चाहिए। सुबह के नाश्ते में जिन मरीजों को डायबिटीज नहीं है। उन्हें ब्रेड मक्खन, दलिया, उपमा और पोहा दिया जाना चाहिए। उबला अंडा भी दिया जा सकता है। साथ में एक कप दूध भी हो। उसके बाद सेब और केला दिया जा सकता है। शाम की चाय के साथ लईया और बिस्कुट भी दें।

06/06/2020

वजन बढ़ना एक आम समस्या है। खराब लाइफस्टाइल और खानपान पर ध्यान न देने के कारण लोग तेजी से मोटापे के शिकार हो रहे हैं। वजन घटाने के लिए लोग एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट सहित कई अन्य तरीके अपनाते हैं। लेकिन ये तरीके सभी पर काम नहीं करते हैं जिससे वजन कंट्रोल नहीं हो पाता है। दरअसल, हर व्यक्ति का ब्लड ग्रुप अलग होता है। यही कारण है कि एक तरह की डाइट या एक्सरसाइज हर व्यक्ति पर काम नहीं करती है। कई बार लोग वजन घटाने वाली दवाओं का भी सेवन करते हैं। लेकिन इनका भी असर नहीं दिखता है। आमतौर पर न्यूट्रिशनिस्ट और डायटिशियन भी मोटापा घटाने के लिए ब्लड ग्रुप के मुताबिक डाइट लेने की सलाह देते हैं। आइये जानते हैं वजन घटाने के लिए ब्लड ग्रुप के अनुसार कौन से फूड खाने चाहिए।अगर आपका ब्लड ग्रुप A है, तो वजन घटाने के लिए आपको फल खाना चाहिए। दरअसल, A ब्लड ग्रुप वाले लोगों का इम्युन सिस्टम काफी सेंसिटिव होता है। इसलिए उन्हें हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ ही सलाद और फल का सेवन करने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा मीट का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। ब्लड ग्रुप A वालों के लिए बीन्स, अनाज और फलियां फायदेमंद होती हैं। इनका सेवन करने से वजन तेजी से घटता है। ब्लड ग्रुप B वाले लोगों को कम वसा युक्त डेयरी प्रोडक्ट और अधिक प्रोटीन युक्त फूड का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा अपनी डाइट में सोयाबीन, अंडे, दाल और विभिन्न प्रकार की सब्जियों को शामिल करना चाहिए। ब्लड में कार्टिसोल की मात्रा बढ़ जाने से व्यक्ति में डायबिटीज और सूजन का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए ब्लड ग्रुप B वाले लोगों को वजन घटाने के लिए प्रोटीन युक्त हेल्दी फूड का सेवन करना चाहिए। यदि आपका ब्लड ग्रुप AB है तो आपको टोफू, सी फूड, डेयरी प्रोडक्ट के साथ अधिक से अधिक हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इस ब्लड ग्रुप के लोगों में एसिडिटी और पाचन से जुड़ी समस्याएं पायी जाती हैं। इसलिए AB ब्लड ग्रुप वाले लोगों को एल्कोहल, धूम्रपान, कैफीन और मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए। इससे वजन घटाने में आसानी होती है इस ब्लड ग्रुप के लोगों को प्रोटीन युक्त फूड का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही मीट, बीन्स और अनाज का कम सेवन करना चाहिए। ब्लड ग्रुप O वाले लोगों को एसिडिटी से बचना चाहिए। हेल्दी डाइट पर ध्यान देने के साथ ही नियमित एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। चूंकि ब्लड ग्रुप O वाले लोगों को थायरायड की संभावना अधिक होती है इसलिए तनाव लेने से भी बचना चाहिए।

05/06/2020

महिला हो या पुरुष हर किसी को चमकती त्वचा और चेहरे की चाहत होती है। आप कहीं भी जाते हैं, तो सबसे पहले आपका चेहरा ही आकर्षण का केंद्र बनता है। वो बात और है कि इन दिनों बढ़ते प्रदूषण और तनाव भरी जिंदगी के कारण आपका चेहरा प्राकृतिक चमक खोने लगता है। परिणामस्वरूप त्वचा संबंधी परेशानियां घेरने लगी हैं। इस कारण से आप तरह-तरह की क्रीम, लोशन, स्किन केयर प्रोडक्ट, मेकअप और स्किन ट्रीटमेंट पर पानी की तरह पैसा बहाते हो। हालांकि, इनका असर कुछ वक्त तक तो रहता है, लेकिन कई बार साइड इफेक्ट का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में कभी आपने सोचा है कि चमकती त्वचा के लिए आहार भी बहुत मायने रखता है।आपको नीचे कुछ टिप्स दे रहे हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।खाली पेट पानी पीना जरूरी है। साथ ही आप एलोवेरा जूस, हल्दी पाउडर या नींबू के रस का सेवन कर सकते हैं।जब भी आप सुबह कहीं बाहर जाएं, तो पहले नाश्ता जरूर करें।अपने आहार में सही मात्रा में फल, सब्जियों और प्रोटीन को शामिल करें।सही स्नैक्स का चुनाव करें जैसे – फलों का रस, दही, छाछ या फिर नारियल पानी।ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो आपके पेट और लिवर के लिए अच्छे हो।उन खाद्य पदार्थों से बचें, जिनसे आपको एलर्जी हो सकती है, जैसे कि डेयरी उत्पाद, सी फूड इत्यादि।
आप अपने आहार में स्वाद लाने के लिए हल्के-फुल्के मसाले और हर्ब्स मिला सकते हैं।
हरिओम सिंह(food technologist)
अमित सिंह ( डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह (एम डी) पैथोलॉजिस्ट

03/06/2020

Weight Gain Diet Chart
सेहतमंद रहना है, तो वजन का संतुलित रहना जरूरी है। जिन लोगों का वजन उनकी आयु व कद के अनुसार संतुलित होता है, वो स्वस्थ जीवन का आनंद लेते हैं। इसलिए, जितना जरूरी मोटापा कम करना है, उतना ही महत्व वजन बढ़ाने का भी है। अक्सर लोग मोटापा कम करने की सलाह तो देते हैं, लेकिन कम वजन को बढ़ाने की बात कोई नहीं करता। कम वजन के लोग न सिर्फ कमजोर दिखते हैं, बल्कि उनका व्यक्तित्व भी आकर्षक नजर नहीं आता।स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे। हम दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाने का डाइट चार्ट लेकर आए हैं, जिसे फॉलो करने से उन्हें अपना वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, हम कुछ अन्य टिप्स भी देंगे शरीर का वजन काफी हद तक कैलोरी पर निर्भर करता है। जहां वजन कम करने के लिए कम कैलोरी की जरूरत होती है, वहीं वजन बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में कैलोरी लेनी चाहिए। अगर आप कम वजन से परेशान हैं, तो नियमित रूप से 2000-2200 कैलोरी ले सकते हैं।आप अपनी डाइट में ब्रोकली, बंदगोभी, गाजर, पालक, कद्दू व बैंगन को शामिल करें।
रेड मीट को भी भोजन में शामिल करने से फायदा हो सकता है। ध्यान रहे कि इसे जरूरत से ज्यादा न खाएं, वरना आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है।आप जो भी सलाद खाएं उस पर थोड़ा-सा जैतून का तेल जरूर डालें। इससे न सिर्फ सलाद का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ जाएगी।
प्रतिदिन डेयरी उत्पादों का सेवन करने से भी आपको पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिल सकती है। आप हमेशा वसा युक्त दूध व दही का सेवन करें।
हरिओम सिंह (food technologist)
अमित सिंह (डायरेक्टर)
डॉ आर पी सिंह (एम डी) पैथोलॉजिस्ट

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