27/10/2025
🌸 त्योहार: रिश्तों की ऊष्मा और बचपन की मुस्कानें 🌸
— नवकार आयुर्वेदा, सिंगोली
त्योहारों का मौसम सिर्फ मिठाइयों, सजावट और रोशनी का नहीं होता — यह मन के भीतर बसे रिश्तों को फिर से जगाने का भी मौसम होता है। 🎊
आज की व्यस्त दिनचर्या में जहाँ बच्चे मोबाइल और स्क्रीन की दुनिया में सिमट गए हैं, वहीं त्योहार एक ऐसा सुनहरा अवसर देते हैं जब वे अपने उन रिश्तेदारों से मिलते हैं जिनसे महीनों बात तक नहीं होती। दादा-दादी की गोद, मामा-मामी की हँसी, चाचू की शरारतें — ये सब मिलकर बच्चों के भीतर फिर से अपनापन और सामाजिक जुड़ाव की भावना जगाते हैं। ❤️
अब जब त्योहारों ने रिश्तों को फिर से नई ऊष्मा दी है, तो माता-पिता का यह कर्तव्य बनता है कि वे बच्चों को प्रेरित करें —
👉 वे इन रिश्तों में वही ताजगी, वही आत्मीयता बनाए रखें।
👉 केवल त्योहारों में नहीं, हर दिन थोड़ा-सा समय परिवार के लिए निकालें।
✨ क्योंकि रिश्ते तभी जीवित रहते हैं जब उनमें संवाद, स्नेह और समय का निवेश हो।
त्योहार बीत जाएंगे, लेकिन उनका दिया यह भावनात्मक उपहार जीवनभर साथ रहेगा। 🌼
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