Rollins Healthcare Clinic

Rollins Healthcare Clinic At Rollins Healthcare, your overall health management is our motto. Best Physiotherapy-Rehablitation,Naturopathy & Pharma Clinic. Improvement is guaranteed .

We provide Ortho-Neuro Physiotherapy, Naturopathy, Ayurvedic treatment,Diagnostic Lab and Pharmacy services at our Clinic in Sonipat along with home visit for bed ridden patients. Providing the latest, research-based treatment solution without surgery and medicine for all orthopaedic ailments. No side effects

10/10/2024

भारत के प्रख्यात उद्योगपति, 'पद्म विभूषण' श्री रतन टाटा जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
वह भारतीय उद्योग जगत के महानायक थे। उनका जाना उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका सम्पूर्ण जीवन देश के औद्योगिक और सामाजिक विकास को समर्पित था। वे सच्चे अर्थों में देश के रत्न थे।
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान तथा उनके शोकाकुल परिजनों और प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति!

Happy new year 2024
31/12/2023

Happy new year 2024

वास्तव में दिल की धड़कन कोई रोग नहीं है| किन्तु जब दिल तेजी से धड़कने लगता है तो मनुष्य के शरीर में कमजोरी आ जाती है, मा...
17/10/2022

वास्तव में दिल की धड़कन कोई रोग नहीं है| किन्तु जब दिल तेजी से धड़कने लगता है तो मनुष्य के शरीर में कमजोरी आ जाती है, माथे पर हल्का पसीना उभर आता है तथा पैर लड़खड़ाने लगते है।
*तेजी से दिल धड़कने के घरेलु उपचार*
रोगी को लगता है, जैसे वह गिर जाएगा| दिल धड़कने की क्रिया भय, हानि की आशंका, परीक्षा में असफलता, ट्रेन का अचानक छूटना, किसी प्रिय की मृत्यु आदि घटनाओं को देखने-सुनने के बाद शुरू हो जाती है|
यह एक प्रकार की चिन्ताजन्य घबराहट होती है जिसकी वजह से दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगता है| यदि उसी क्षण मनुष्य मन से चिन्ता तथा भय को निकाल दे तो दिल की धड़कन स्वाभाविक हो जाती है| कई बार तेज दौड़-भाग करने, देर तक व्यायाम करने या रक्तचाप की अधिकता आदि के कारण भी दिल तेजी से धड़कने लगता है| यह रोग बुढ़ापे में बहुत जल्दी लग जाता है| इसलिए इस आयु में व्यक्ति कोई सदैव प्रसन्नचित्त रहना चाहिए तथा जाने-अनजाने व्यर्थ की चिन्ताओं से दूर रहना चाहिए|
*तेजी से दिल धड़कने के आयूर्वेद उपचार*
*गाय का दूध, किशमिश और बादाम*
गाय के दूध में किशमिश तथा बादाम डालकर औटाएं| फिर शक्कर डालकर सहता-सहता घूंट-घूंट पी लें|
*पिस्ता*
पिस्ते की लौज खाने से हृदय की धड़कन ठीक हो जाती है|
*अंगूर*
भोजन के बाद चार चम्मच अंगूर का रस पिएं|
*गुलाब, धनिया और दूध*
गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाकर पीस लें| फिर इसमें धनिया का चूर्ण समभाग में मिलाएं| एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से आधा लीटर दूध पिएं|
*अनार*
अनार के कोमल कलियों की चटनी बनाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह के समय निहार मुंह खाएं| लगभग एक सप्ताह सेवन करने से दिल की धड़कन सही रास्ते पर आ जाती है|
*बेल और मक्खन*
बेल का गूदा लेकर उसे भून लें| फिर उसमें थोड़ा-सा मक्खन या मलाई मिलाकर सहता-सहता लार सहित गले के नीचे उतारें|
*सेब, पानी और मिश्री*
200 ग्राम सेब को छिलके सहित छोटे-छोटे टुकड़े करके आधा लीटर पानी में डाल दें| फिर इस पानी को आंच पर रखें| जब पानी जलकर एक कप रह जाए तो मिश्री डालकर सेवन करें| यह दिल को मजबूत करता है|
*आंवला और मिश्री*
आंवले के चूर्ण में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में भोजन के बाद खाएं| यह दिल की धड़कन सामान्य करता है| इससे रक्तचाप में भी लाभ होता है क्योंकि दिल की धड़कन तेज होने पर रक्तचाप भी बढ़/घट जाता है|
*पपीता*
पके पपीते का रस एक कप की मात्रा में भोजन के बाद सेवन करें|
*गाजर*
आधा कप गाजर का रस गरम करके प्रतिदिन दोपहर के समय पिएं|
*सेब और चांदी*
सेब का मुरब्बा चांदी का वर्क लगाकर खाएं|
*कपूर*
दिल धड़कने पर जरा-सा कपूर जीभ पर रखकर चूसें|
*सेब, कालीमिर्च और सेंधा नमक*
आधे कप सेब के रस में चार कालीमिर्च का चूर्ण तथा एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें|
*इलायची और शहद*
लाल इलायची के दानों को पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से चौथाई चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर खाएं|
*टमाटर और पीपल*
टमाटर के रस में पीपल के पेड़ के तने की छाल का 4 ग्राम चूर्ण मिलाकर सेवन करें| टमाटर के रस की मात्रा आधा कप होनी चाहिए|
*पानी और नीबू*
पानी में आधा नीबू निचोड़ें तथा उसमें दो चुटकी खाने वाला सोडा डालें| इस नीबू-पानी को पीने से दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है|
*अजवायन, सेंधा नमक और पानी*
आधा चम्मच अजवायन तथा एक चुटकी सेंधा नमक – दोनों को पीसकर गुनगुने पानी के साथ खाएं| यह चूर्ण दिल की तेज धड़कन को सामान्य बना देता है| यह एक बेहतरीन नुस्खा माना जाता है|
*अदरक, तुलसी और सेंधा नमक*
अदरक का रस एक चम्मच, तुलसी के पत्तों का रस चौथाई चम्मच, लहसुन का रस दो बूंद तथा सेंधा नमक एक चुटकी – सबको अच्छी तरह मिलाकर उंगली से चाटें| चाटते समय इस बात का ध्यान रखें कि पेट में लार अधिक मात्रा में जाए|
*अनार, कालीमिर्च और सेंधा नमक*
कंधारी अनार का रस कालीमिर्च के चूर्ण तथा सेंधा नमक मिलाकर लेने से दिल की धड़कन स्वाभाविक हो जाती है|
*राई*
राई पीसकर छाती पर मलने से भी दिल को काफी आराम मिलता है|
*तेजी से दिल धड़कने में क्या खाएं क्या नहीं*
सादा तथा सुपाच्य भोजन भूख से कम खाएं| साथ में अधिक चिकने पदार्थ न लें क्योंकि चिकनी चीजें शरीर को बल देने साथ-साथ रक्त को गाढ़ा करती हैं जो दिल धड़कने वाले रोगी के लिए हानिकारक है| मौसमी फल तथा मौसमी हरी सब्जियां अधिक मात्रा में सेवन करे🙏🙏🔥🔥

      (SLE)It’s a systemic disease in which multiple organs and tissues are damaged by pathogenic auto-antibodies and im...
15/10/2022

(SLE)
It’s a systemic disease in which multiple organs and tissues are damaged by pathogenic auto-antibodies and immune complexes.
-Etiology
Unknown; 90 percent of cases occur in females. The abnormal immune response may depend on interactions between a susceptible host and environmental factors. UV-B light is a common inducing factor.
Essentials of diagnosis:
1. Skin: Malar rash, discoid rash, photosensitivity, and oral ulcers.
2. Arthritis: Similar to that of RA but is non-erosive.
3. Serositis: Pleuritis or pericarditis.
4. Renal: Proteinuria.
5. Neuropsychological: Seizures or psychosis.
6. Hematologic: Hemolytic anemia, leukopenia, and thrombocytopenia.
7. Immunologic: Specific anti-ds DNA and anti-SM (anti-histone, anti-SSA) antibodies (+). Anti-ANA (nuclear antibody) has high sensitivity but low specificity. C3 and C4 are decreased; VDRL is false (+).

Differential diagnosis
Pregnancy with SLE:
Fertility rates are normal but spontaneous abortions and still-births are increased, which may be associated with antiphospholipid antibody and placental infarcts. This is treated with low molecular weight heparin (LMWH), and
steroids may be used safely to suppress the SLE flare. All pregnant patients with lupus need to be screened for SSA or anti-Ro antibody, because they cross the placenta and can cause neonatal lupus. Drug-induced lupus:
It’s a limited form of lupus occurring with exposure to certain drugs, commonly including procainamide, hydralazine, isoniazid, and methyldopa. It primarily presents with a rash and anti-histone antibody without major
organ-system involvement, and resolves after the offending drug is removed.

Treatment
1. Avoid sun exposure or use sunscreen as needed.
2. NSAIDs are used initially for mild arthritis. Chloroquine is effective for the rash. Steroids are helpful with acute exacerbations with major organ involvement. Pulse IV cytotoxics (azathioprine or cyclophosphamide) is the option of therapies for refractory cases with renal damage.
Prognosis SLE has a varied clinical course, ranging from a mild illness to a rapidly progressive disease. Clinical remission after appropriate therapy is common. Poor prognostic factors include renal disease (e.g., diffuse proliferative glomerulonephritis), hypertension, male s*x, younger or older age, antiphospholipid antibody (+), low socioeconomic status, black race, and high overall disease activity.

*कर सकते हैं कैल्शियम की कमी को दूर, दूध से चिढ़ते हैं तो यह जानकारी आपके लिए है* 1. पानी में अदरक डाल कर उबालें। इस पान...
15/10/2022

*कर सकते हैं कैल्शियम की कमी को दूर, दूध से चिढ़ते हैं तो यह जानकारी आपके लिए है*
1. पानी में अदरक डाल कर उबालें। इस पानी में शहद और हल्का नींबू निचोड़ें। सुबह 20 दिन तक पिएं। कैल्शियम की आपूर्ति होगी।
2. प्रति दिन 2 चम्मच तिल का सेवन करें। आप इसे लड्डू या चिक्की के रूप में भी ले सकते हैं।
3. एक चम्मच जीरे को रात भर पानी में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। 15 दिन में लाभ दिखेगा।
4. 1 अंजीर व दो बादाम रात में गलाएं और सुबह इसका सेवन करें। शर्तिया फायदा होगा।
5. रागी का हफ्ते में एक बार किसी ना किसी रूप में सेवन करें। दलिया, हलवा या खीर बनाकर ले सकते हैं। किसी भी प्रकार से रागी कैल्शियम का विश्वसनीय स्त्रोत हैं।
6. नींबू पानी दिन भर में एक बार अवश्य लें।
7. अंकुरित अनाज में कैल्शियम प्रचूर मात्रा में होता है। अगर आप अंकुरित आहार नहीं ले सकते हैं तो हफ्ते में एक बार सोयाबीन ले सकते हैं।
ऐसे और भी अनेक बिना हानिकारक प्रभावों के प्राकृतिक तरीक़े निखार पाने के लिए आयुर्वेदिक ओर घरेलु माने हुए है ।

Plantar fasciitis ( Diagnosis , Treatment )Plantar fasciitis is a degenerative condition of the plantar fascia that resu...
13/10/2022

Plantar fasciitis ( Diagnosis , Treatment )

Plantar fasciitis is a degenerative condition of the plantar fascia that results in heel pain with symptoms ranging from mild to severe.
It is slightly more common in women than men with peak incidence at age 40-60 years. It is reported to account for 11%-15% of all foot symptoms requiring professional care among adults.
The exact cause is unknown but a common theory is repetitive microtrauma from prolonged walking or running.

Evaluation

The diagnosis should be made based on the clinical exam; the following history and physical exam findings may be used to help
support the diagnosis:
plantar medial heel pain (worse after a period of inactivity and with prolonged weight-bearing)
heel pain following recent increase in weight-bearing activity
tenderness and pain with palpation of proximal insertion of plantar fascia
positive windlass test
negative results on tests for posterior tarsal tunnel syndrome
limited active and passive talocrural joint dorsiflexion range of motion
abnormal foot posture (such as pes planus)
heel pain in nonathletic person with high body mass index

Management

Initial treatments:

Acetaminophen or nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDs) are often used to reduce pain in patients with plantar fasciitis; for mild to moderate pain, acetaminophen (up to 4 g/day) is oral analgesic of choice due to adverse effects associated with NSAIDs.
Use plantar fascia-specific and gastrocnemius/soleus stretching for short-term (1 week-4 months) pain relief. Heel pads may increase the benefits of stretching (Strong recommendation).

Taping:

Use antipronation taping for immediate (up to 3 weeks) pain reduction and improved function (Strong recommendation).
Additionally, elastic therapeutic tape applied to gastrocnemius may be used for short-term (1 week) pain relief (Strong recommendation).
Use manual physical therapy (joint and soft tissue mobilization) procedures to treat deficits in lower extremity joint mobility and calf flexibility in order to decrease pain and improve foot function in patients with plantar fasciitis (Strong recommendation).
Treatments for persistent pain:
Use a 1- to 3-month program of night splints for patients with plantar fasciitis who consistently have pain with first step in the morning (Strong recommendation).
Corticosteroid and other local injections:
Intralesional corticosteroid injections are typically mixed with local anesthetic and injected using the medial approach.
They are not typically recommended as a first-line treatment in patients with plantar fasciitis as the benefits have not been shown to offset the potential harms, including long-term disability (Weak recommendation).
May be indicated for patients with success with NSAIDs or cortisone injections elsewhere in the body.
Iontophoresis and phonophoresis:
Consider iontophoresis with acetic acid or dexamethasone for short-term (2-4 weeks) pain relief and improved function in patients with plantar fasciitis (Weak recommendation).
Consider phonophoresis with ketoprofen gel to reduce pain in patients with plantar fasciitis (Weak recommendation).
Consider platelet-rich plasma injections to reduce persistent plantar fasciitis pain.
Extracorporeal shock wave therapy (ESWT) may also be considered for patients with chronic plantar fasciitis not responsive to other nonoperative interventions.
Reserve surgical plantar fascia release for patients with severe symptoms refractory to at least 6-12 months of conservative management.

10/10/2022

आपके किचन में ही मौजूद हैं ये पेनकिलर (दर्दनाशक).....

दांतों में दर्द हो या सिर दर्द से फटा जा रहा हो, पेनकिलर दवाएं घर हों ही, ऐसा जरूरी नहीं। ऐसे में दर्द से तुरंत आराम के लिए आपका किचन भी प्राकृतिक पेनकिलर के खजाने से कम नहीं है।

अगर आप भी किसी दर्द से परेशान हैं तो अपने किचन में मौजूद इन सात पेनकिलर को ट्राइ करें, जिनसे दर्द से राहत तो मिलेगी ही साथ ही कोई साइडएफेक्ट भी नहीं होगा।

1. लौंग....
दांतों का दर्द हो या मसूड़े में सूजन, लौंग के सेवन से दर्द से तुरंत राहत मिलती है। इसमें मौजूद यूजेनॉल नामक तत्व प्राकृतिक पेनकिलर का काम करता है, यही वजह है कि डेन्टस्ट में दांतों के दर्द में लौंग का तेल लगाने की सलाह देते हैं।

2. अदरक....
मांसपेशियों के दर्द, जोड़ों में अकड़न और शरीर जकड़ने पर अदरक का सेवन बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद जिन्जेरॉल नामक तत्व में मांसपेशियों और जोड़ों से दर्द में आराम दिलाने की शक्ति होती है।

3. लहसुन......
लहसुन में मौजूद जर्मेनियम, सेलेनियम और लस्फर जैसे तत्व कान के दर्द में राहत पहुंचाते हैं। आयुर्वेद में लहसुन को तेल के साथ उबालकर कानों पर लगाने की सलाह दी जाती है। इससे कानों के पकने या सूजन से होने वाले दर्द में भी तुरंत आराम मिलता है।

4. नमक.....
गले में खराश या दर्द से तुरंत आराम के लिए नमक बहुत काम की चीज है। गर्म पानी में नमक मिलाकर कुल्ला करने से गले में होने वाले दर्द से तुरंत आराम मिलता है और संक्रमण खत्म होता है।

5. हल्दी.....
चोट पर एंटीसेप्टिक से लेकर जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए हल्दी से बढ़िया कुछ और नहीं। हल्दी से न सिर्फ दर्द दूर होता है बल्कि सूजन भी कम होती है। खासतौर पर गठिया के दर्द में यह बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद कुरक्यूमिन नामक तत्व प्राकृतिक पेनकिलर है।

6. ओट्स.....
ओट्स मैग्नीशियम का बड़ा स्रोत हैं जो पीरियड्स के दौरान पड़ने वाले क्रैंप और दर्द को कम करने में मददगार है। इसलिए जिन्हें पीरियड्स में दर्द अधिक होता है वे अपनी डाइट में ओट्स जरूर शामिल करें। ओट्स के बिस्किट की बाज़ार में मिलते है.

7. पेपरमिंट.....
शरीर के दर्द और ऐंठन में आराम पहुंचाने के ‌लिए पेपरमिंट बहुत फायदेमंद है। गर्म पानी में पेपरमिंट तेल की कुछ बूंदे डालकर सेंकाई करने से शरीर की जकड़न खुल जाती है और दर्द में तुरंत आराम होता है।

8. आंवला....
आंवला एक ऐसा फल है जिसे सुखाने से भी विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में बना रहता है। पौष्टिक है और शोधक रक्त विकार दूर करता है, नेत्र ज्योति बढ़ाता है। आंवला के रोज सेवन से बाल काले रहते हैं। आंवला का प्रयोग रोज सभी को किसी न किसी रूप में करना चाहिए।

9. तुलसी......
तुलसी ज्वरनाशक है तथा शीत प्रधान रोग में यह विशेष रूप से काम में ली जाती है। इसका काढ़ा बनाकर पिलाते हैं। यह कृमिनाशक व वायुनाशक है।

10. अजवाइन.....
कफ, वातनाशक एवं पित्तवर्धक है। अजवाइन के तेल की मालिश से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। खांसी एवं श्वास रोग में इसका चूर्ण या नमकीन सूखा अजवाइन मुँह में रखने से आराम मिलता है। यह भूख बढ़ाता है। अजीर्ण, अपच एवं उदरशूल मिटाता है। जीवाणु वृद्धि को भी रोककर एंटीबायोटिक की भूमिका निभाता है।

11.धनिया......
धनिया का गुण ठंडक पहुंचाना है। यह नेत्र ज्योति बढ़ाता है। इसकी पंजेरी बनाकर गर्मी में रोज खाना चाहिए।

12. छोटी हरड़......
भोजन के बाद लेने से गैस नहीं बनती, पाचन ठीक रहता है व भोजन ठीक से हजम होता है, खाना खाने के बाद एक छोटी हरड़ चूसना चाहिए।

13. लेंडीपीपल......
यह पौष्टिक और पाचक है। प्रातः दूध और शहद के साथ लें तो बलवर्धक है। बच्चों की पसली चलने पर भूनी पीपल का जरा सा चूर्ण शहद में मिलाकर खिलाने से आराम मिलता है। जिगर बढ़ना, तिल्ली बढ़ना, अफरा, अपच, वमन, अजीर्ण तथा श्वास खाँसी में लाभदायक है।

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01/10/2022

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18/09/2022

सरसो का तेल.....

सरसों का तेल खाने के लिए उत्तम है,आयुर्वेद में सरसों के तेल कों तिल के तेल के समान ही उत्तम माना जाता है

सरसों के तेल में कोलैस्ट्राल का स्तर कम होने के कारण ह्रदय रोगों में भी यह लाभदायक बताया जाता है

हाथों की खुश्की-

हाथों में खुशकी और खुदरापन होने की स्थिति में सरसों के तेल से हल्की मालिश करें , त्वचा मुलायम हो जाएगी

शरीर दर्द और थकान-

शीत मौसम में धूप में बैठकर सभी उम्र के लोगों को तेल की मालिश करनी चाहिए | शिशुओ को धूप में लिटाकर इस तेल से मालिश करने से उनकी थकान दूर होती है , नींद अच्छी आती है, तथा शरीर के दर्द से राहत मिलती है

सरसों का तेल वातनाशक और गर्म होता है । इसी कारण शीतकाल में वातजन्य दर्द को दूर करने के लिए इस तेल की मालिश की जानी चाहिए । जोडों का दर्द , मांसपेशियों का दर्द , गठिया , छाती का दर्द, ब्रोंकाइटिस आदि की पीड़ा भी सरसों के तेल से दूर हो जाती है ।

उबटन-

बेसन में सरसों का तेल मिलाकर उबटन की तरह त्वचा पर मलने से त्वचा गोरी हो जाती है तथा उसमें कमल के समान ताजगी आ जाती है ।

मसूड़ों के रोग-

सरसों के तेल में मधु ( शहद ) मिलाकर दांतों एंव मसूडों पर हल्के हल्के मलते रहने से मसूड़ों के सभी रोग भाग जाते है , तथा दांत भी मजबूत होते है।

जुखाम-

जुकाम होने या नाक के बंद होने पर दो बूंद सरसों तेल नाक के छिद्रों में डाल कर सांस जोर सें खीचने पर बंद नाक खुल जाती है और जुकाम से भी राहत मिलती है

पुरुषो के गुप्तांग-

लिंग में ढीलापन हो या टेढापन हो सरसों के तेल की लगातार मसाज से ठीक हो जाता है

वक्षस्थल का ढीलापन-

महिलाओ के छातियों में ढीलापन आ गया हो तो सरसों तेल में लहसुन की कली जलाकर बनाए तेल से मसाज करें , सुबह खाली पेट लहसुन की चार पाँच कलीयाँ भी खांए , बहुत लाभ होगा।

कान दर्द-

कान में सरसों तेल गर्म करके डालने से कान दर्द ठीक होता है , अगर कोई कीडा वगैरा घुस गया हो तो वो भी बाहर निकल जाता है , अगर सरसों तेल में लहसुन की कली जलाकर ओर नीम का तेल मिलाकर डाला जाय तो बहरापन में बहुत उपयोगी सिद्ध होगा ।

दाँत-

सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दांतों पर मलने से दांतों से खून आना , मसूड़ों की सूजन, दांतों के दर्द में आराम मिलता है ,साथ ही दांत चमकीेले ओर सुन्दर भी बनते है ।

आँख-

पैरों के तलवों एव अंगूठों में सरसों का तेल लगाते रहने से नेत्र ज्योति बढ़ती है

नींद-

रात को हाथ पाँवों में तेल लगा कर सोने से मच्छर नही काटते , नींद अच्छी आती है ।

बाल-

बालों में सरसों का तेल लगाते रहने से बाल मजबूत होते है , मोटे घने होते है । सिर दर्द भी नही होता ।

सूजन-

शीतकाल में पैरों की उंगलीयों में सूजन आ जाती है । ऐसी अवस्था में सरसों का तेल में थोड़ा सा पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर गर्म करलें । ठंडा होने पर उंगलियों पर लेप लगा कर रात में सों जाएं । कुछ ही दिनों मे आराम दिखाई देगा ।

पेट के रोग-

हाने से पूर्व नित्य नाभि में दो बूंद सरसों का तेल लगाने से पेट से संबंधित रोग कम ही होते है । पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है , होठ नही फटते ।

11/09/2022

" के लिए हरे पत्ते वाले #धनिये की ताजा चटनी "

एक बडा चम्मच एक गिलास पानी में घोल कर पीए रोजाना....एक दम ठीक हो जाएगा (बस धनिया देसी हो उसकी सुगन्ध अच्छी हो)
आहार चिकित्सा ***
सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,दही,नारियल का पानी,मौसमी फल, तजि हरी साग – सब्जियां, अंकुरित गेंहूँ, चोकर सहित आंटे की रोटी को अपने भोजन में शामिल करें |
परहेज:-
मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस, अंडा जैसे खाद्यों से परहेज रखें | अगर आप सफ़ेद नमक (समुन्द्री नमक) खाते है तो उसे तुरन्त बंद कर दे और सैंधा नमक ही खाने में प्रयोग करे
1 – गले की गर्म-ठंडी सेंक
साधन :– गर्म पानी की रबड़ की थैली, गर्म पानी, एक छोटा तौलिया, एक भगौने में ठण्डा पानी |
विधि :— सर्वप्रथम रबड़ की थैली में गर्म पानी भर लें | ठण्डे पानी के भगौने में छोटा तौलिया डाल लें | गर्म सेंक बोतल से एवं ठण्डी सेंक तौलिया को ठण्डे पानी में भिगोकर , निचोड़कर निम्न क्रम से गले के ऊपर गर्म-ठण्डी सेंक करें -
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– १ मिनट ठण्डी
३ मिनट गर्म ——————– ३ मिनट ठण्डी
इस प्रकार कुल 18 मिनट तक यह उपचार करें | इसे दिन में दो बार – प्रातः – सांय कर सकते हैं |
2- गले की पट्टी लपेट :-
साधन :- १- सूती मार्किन का कपडा, लगभग ४ इंच चौड़ा एवं इतना लम्बा कि गर्दन पर तीन लपेटे लग जाएँ |
२- इतनी ही लम्बी एवं ५-६ इंच चौड़ी गर्म कपडे की पट्टी |
विधि :- सर्वप्रथम सूती कपडे को ठण्डे पानी में भिगोकर निचोड़ लें, तत्पश्चात गले में लपेट दें इसके ऊपर से गर्म कपडे की पट्टी को इस तरह से लपेटें कि नीचे वाली सूती पट्टी पूरी तरह से ढक जाये | इस प्रयोग को रात्रि सोने से पहले ४५ मिनट के लिए करें |
3 -गले पर मिटटी कि पट्टी:-
साधन :- १- जमीन से लगभग तीन फिट नीचे की साफ मिटटी |
२- एक गर्म कपडे का टुकड़ा |
विधि :- लगभग चार इंच लम्बी व् तीन इंच चौड़ी एवं एक इंच मोटी मिटटी की पट्टी को बनाकर गले पर रखें तथा गर्म कपडे से मिटटी की पट्टी को पूरी तरह से ढक दें | इस प्रयोग को दोपहर को ४५ मिनट के लिए करें |
विशेष :- मिटटी को ६-७ घंटे पहले पानी में भिगो दें, तत्पश्चात उसकी लुगदी जैसी बनाकर पट्टी बनायें |

योग चिकित्सा ***
उज्जायी प्राणायाम :-
पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें | अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे | इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें |
प्राणायाम प्रातः नित्यकर्म से निवृत्त होकर खाली पेट करें |
थायरायड की एक्युप्रेशर चिकित्सा ::
एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार थायरायड व् पैराथायरायड के प्रतिबिम्ब केंद्र दोनों हांथो एवं पैरों के अंगूठे के बिलकुल नीचे व् अंगूठे की जड़ के नीचे ऊँचे उठे हुए भाग में स्थित हैं
थायरायड के अल्पस्राव की अवस्था में इन केन्द्रों पर घडी की सुई की दिशा में अर्थात बाएं से दायें प्रेशर दें तथा अतिस्राव की स्थिति में प्रेशर दायें से बाएं [ घडी की सुई की उलटी दिशा में ] देना चाहिए | इसके साथ ही पियुष ग्रंथि के भी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए |
विशेष:-
प्रत्येक केंद्र पर एक से तीन मिनट तक प्रतिदिन दो बार प्रेशर दें |
पियुष ग्रंथि के केंद्र पर पम्पिंग मैथेड [ पम्प की तरह दो-तीन सेकेण्ड के लिए दबाएँ फिर एक दो सेकेण्ड के लिए ढीला छोड़ दें ]

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Kailash Colony, Behind Surgical
Sonipat
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