Herbal World Nursery

Herbal World Nursery Citrus fruit plants available like kinnow, lemon, mausmbi, malta (zafa, Red blood) etc. Approved nur

03/07/2025

सरकारी/निजी संस्थाओं के लिए वाजिब व थोक भाव में छायादार, सजावटी, फलदार,अन्य सभी प्रकार के पौधे उपलब्ध।
9413535900

10/05/2025

सीमावर्ती जिलों में सभी बैंकों की सभी शाखाएं 10 और 11 मई को लेन देन के लिए खुली रहेंगी।
रिज़र्व बैंक के आदेश।

29/04/2025

*गर्मी में गहरी जुताई*🚜🚜
*गर्मी में गहरी जुताई करने से कई लाभ होते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, खरपतवार नष्ट होते हैं,* *कीटों का प्रकोप कम होता है और जलधारण क्षमता में सुधार होता है.*
*गर्मी में गहरी जुताई के लाभ:*
*मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि:*
गहरी जुताई से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ अच्छी तरह से मिल जाते हैं, जिससे पोषक तत्व फसलों को आसानी से उपलब्ध होते हैं.
*खरपतवार नियंत्रण:*
गहरी जुताई से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं, जिससे फसलों को नुकसान नहीं होता है.
*कीटों का नियंत्रण:*
गर्मी में गहरी जुताई करने से मिट्टी में मौजूद कीट और उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं, जिससे अगली फसल में कीटों का प्रकोप कम होता है.
*जलधारण क्षमता में वृद्धि:*
गहरी जुताई से मिट्टी में हवा के लिए जगह बन जाती है, जिससे पानी जमीन में गहराई तक सोख लिया जाता है और मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाती है.
*पौधों की जड़ों का विकास:*
गहरी जुताई से मिट्टी ढीली हो जाती है, जिससे पौधों की जड़ें आसानी से विकसित हो सकती हैं.
*मृदा संरक्षण:*
गहरी जुताई से मिट्टी का कटाव कम होता है और पोषक तत्व मिट्टी के साथ नहीं बहते हैं.
*कीटनाशकों पर खर्च कम:*
गहरी जुताई से कीटों का प्रकोप कम होता है, जिससे कीटनाशकों पर खर्च कम हो जाता है.
*फसल उत्पादन में वृद्धि:*
गहरी जुताई से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, खरपतवार नियंत्रित होते हैं, और कीटों का प्रकोप कम होता है, जिससे फसल का उत्पादन बढ़ता है.
*फसल लागत में कमी:*
गहरी जुताई से कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिससे फसल की लागत कम हो जाती है.
*सूक्ष्मजीवों की वृद्धि:*
गहरी जुताई से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है, जो मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.
*निष्कर्ष:*📌📌
*गर्मी में गहरी जुताई एक महत्वपूर्ण कृषि तकनीक है जो मिट्टी की उर्वरता, खरपतवार नियंत्रण, कीट नियंत्रण, जलधारण क्षमता, और फसल उत्पादन में सुधार करने में मदद करती है। यह किसानों के लिए एक फायदेमंद तकनीक है, जिससे उनकी फसल की पैदावार बढ़ती है और उनकी आय में वृद्धि होती है.*

24/04/2025

Gangnahar Breaking
फ़िरोज़पुर फीडर कि DPR को आज कि मीटिंग में CWC ने दिल्ली में 5 बजे दी हरी झण्डी गंगनहर और पंजाब के किसानों को बधाई किसानों का 10 साल का सपना होगा पूरा अब टेंडर होकर नवंबर में होगा काम शुरू

22/04/2025

मिट्टी की pH और इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी (EC) क्या है और क्यों ज़रूरी है?

1️⃣ मिट्टी की pH (अम्लता या क्षारीयता) क्या है?
मिट्टी की pH बताती है कि आपकी मिट्टी अम्लीय (खट्टी) है या क्षारीय (खारी)।

✅ सही pH: 6.5 से 7.5 (ज़्यादातर फसलों के लिए)
❌ अम्लीय मिट्टी (pH < 6.0): पोषक तत्वों (N, P, K, Ca, Mg) की कमी। पौधों की बढ़वार रुक जाती है।
❌ क्षारीय मिट्टी (pH > 8.5): आयरन, जिंक, मैंगनीज़ की कमी। पत्ते पीले, फसल कमजोर।

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2️⃣ मिट्टी की EC (इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी) क्या है?
EC मिट्टी में लवण (नमक) की मात्रा दर्शाती है।

✅ सही EC: 0.2 से 0.8 dS/m
❌ अधिक EC (> 1.5 dS/m): मिट्टी में नमक अधिक, पौधे पानी नहीं ले पाते, जड़ें जल जाती हैं।

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🧪 pH और EC कैसे जांचें?

1. लैब टेस्ट:

खेत के 15-20 स्थानों से मिट्टी लें, मिलाएं और लैब भेजें।

2. पोर्टेबल मीटर:

₹1000 से ₹3000 के pH और EC मीटर से सीधे खेत में जांच करें।

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⚙️ pH और EC सुधारने की रणनीति

A. खड़ी फसल में सुधार:

🌿 अम्लीय मिट्टी: डोलोमाइट, चुना या कैल्शियम नाइट्रेट (5-10 किग्रा/एकड़)।

🌿 क्षारीय मिट्टी: जिप्सम (100-150 किग्रा/एकड़), सल्फ्यूरिक या फॉस्फोरिक एसिड आधारित खाद।

🌊 ज्यादा EC: खेत में भरपूर पानी दें, ड्रिप इरिगेशन करें ताकि नमक नीचे चला जाए।

B. खाली खेत में मिट्टी सुधार:

🪨 pH कम: 200-400 किग्रा/एकड़ चुना या डोलोमाइट (बुवाई से 1 माह पहले)।

🪨 pH ज्यादा: 200-400 किग्रा/एकड़ जिप्सम + 20-25 किग्रा/एकड़ सल्फर।

🌾 अधिक EC: खेत की गहरी जुताई करें, ड्रेनेज सुधारें, गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें।

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✨ महत्व:
सही pH और EC से:
✅ पौधों की बढ़वार बेहतर
✅ पोषक तत्वों का अवशोषण अच्छा
✅ रोग कम, उपज अधिक

**तकनीकी बुलेटिन: मक्का की वृद्धि अवस्थाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ, और पोषक तत्व आवश्यकताएँ****प्रकाशन तिथि:** 10 अप्रैल, 2025 ...
11/04/2025

**तकनीकी बुलेटिन: मक्का की वृद्धि अवस्थाएँ, प्रबंधन प्रथाएँ, और पोषक तत्व आवश्यकताएँ**

**प्रकाशन तिथि:** 10 अप्रैल, 2025
**विषय:** मक्का (मकई) की वृद्धि को चरण-विशिष्ट प्रबंधन और उर्वरक अनुप्रयोग के माध्यम से अनुकूलित करना

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# # # परिचय
उच्च मक्का उपज प्राप्त करने के लिए, किसानों को फसल की वृद्धि अवस्थाओं को समझना और उचित देखभाल प्रदान करना आवश्यक है, जिसमें सटीक पोषक तत्व प्रबंधन शामिल है। यह बुलेटिन मक्का की प्रमुख वृद्धि अवस्थाओं, उनकी प्रबंधन आवश्यकताओं, और इष्टतम वृद्धि के लिए मानक प्रथाओं के आधार पर अनुशंसित उर्वरक अनुप्रयोग (किग्रा प्रति हेक्टेयर) को रेखांकित करता है।

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# # # 1. उद्भव अवस्था
**विवरण:**
- मक्का का बीज अंकुरित होता है और पौधा मिट्टी से बाहर निकलता है।
- इसके लिए गर्म मिट्टी (न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस) और पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है।
- एकसमान अंकुरण के लिए नरम, अच्छी तरह तैयार मिट्टी आवश्यक है।
- उद्भव में आमतौर पर 12–17 दिन लगते हैं, ठंडी परिस्थितियों में अधिक समय लग सकता है।

**प्रबंधन प्रथाएँ:**
- अच्छे बीज-मिट्टी संपर्क के लिए उचित बीजशय्या तैयार करें।
- जलभराव के बिना मिट्टी की नमी बनाए रखें।
- मिट्टी के तापमान की निगरानी करें और ठंडी परिस्थितियों में बुवाई से बचें।
- प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिए शुरुआत में खरपतवार नियंत्रण करें।

**पोषक तत्व आवश्यकताएँ (किग्रा/हेक्टेयर):**
- **नाइट्रोजन (N):** 30 किग्रा (उदाहरण: 65 किग्रा यूरिया)
- **फॉस्फोरस (P₂O₅):** 60 किग्रा (उदाहरण: 375 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट या 130 किग्रा DAP)
- **पोटाश (K₂O):** 20 किग्रा (उदाहरण: 33 किग्रा म्यूरिएट ऑफ पोटाश)
- **अनुप्रयोग विधि:** प्रारंभिक जड़ और तना विकास को समर्थन देने के लिए बुवाई के समय या आधार खुराक के रूप में लागू करें।

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# # # 2. स्वावलंबन अवस्था (V4–V5: 4 से 5 पत्तियाँ)
**विवरण:**
- पौधा नई जड़ें विकसित करता है ताकि पानी और पोषक तत्व स्वतंत्र रूप से अवशोषित कर सके।
- बीज में संग्रहीत भोजन समाप्त हो जाता है, और पौधा मिट्टी के पोषक तत्वों पर निर्भर करता है।
- पौधों की संख्या स्थिर हो जाती है; इस समय होने वाली हानि स्थायी होती है।
- जड़ विकास के लिए फॉस्फोरस महत्वपूर्ण है।

**प्रबंधन प्रथाएँ:**
- कीटों और रोगों की निगरानी करें, क्योंकि युवा पौधे संवेदनशील होते हैं।
- जड़ विकास को समर्थन देने के लिए पर्याप्त मिट्टी नमी सुनिश्चित करें।
- पोषक तत्वों और प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए खरपतवार नियंत्रण करें।
- विशेष रूप से फॉस्फोरस की कमी की निगरानी करें।

**पोषक तत्व आवश्यकताएँ (किग्रा/हेक्टेयर):**
- **नाइट्रोजन (N):** 40 किग्रा (उदाहरण: 87 किग्रा यूरिया)
- **फॉस्फोरस (P₂O₅):** 20 किग्रा (उदाहरण: 125 किग्रा SSP या 44 किग्रा DAP)
- **पोटाश (K₂O):** 10 किग्रा (उदाहरण: 17 किग्रा म्यूरिएट ऑफ पोटाश)
- **अनुप्रयोग विधि:** वानस्पतिक वृद्धि और जड़ स्थापना को समर्थन देने के लिए साइड-ड्रेस या टॉप-ड्रेस करें।

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# # # 3. भुट्टा प्रारंभ अवस्था (V8–V10: 8 से 10 पत्तियाँ)
**विवरण:**
- पौधा भुट्टे (दाने रखने वाला हिस्सा) बनाना शुरू करता है, जिससे दानों की पंक्तियों की संख्या निर्धारित होती है।
- तेजी से वानस्पतिक वृद्धि के कारण पानी और पोषक तत्वों की मांग बढ़ जाती है।
- ठंड, कम धूप, या शाकनाशी चोट जैसे तनावों के प्रति संवेदनशील।
- इस अवस्था में तनाव उपज की संभावना को काफी कम कर सकता है।

**प्रबंधन प्रथाएँ:**
- पानी की कमी से बचने के लिए नियमित सिंचाई करें।
- पोषक तत्वों की कमी की निगरानी करें और उर्वरक तुरंत लागू करें।
- कीटों (जैसे तना छेदक) और रोगों से बचाव करें।
- पौधे को तनाव देने वाले शाकनाशी अनुप्रयोगों से बचें।

**पोषक तत्व आवश्यकताएँ (किग्रा/हेक्टेयर):**
- **नाइट्रोजन (N):** 50 किग्रा (उदाहरण: 109 किग्रा यूरिया)
- **फॉस्फोरस (P₂O₅):** 20 किग्रा (उदाहरण: 125 किग्रा SSP या 44 किग्रा DAP)
- **पोटाश (K₂O):** 20 किग्रा (उदाहरण: 33 किग्रा म्यूरिएट ऑफ पोटाश)
- **अनुप्रयोग विधि:** प्रजनन वृद्धि के दौरान उच्च मांग को पूरा करने के लिए नाइट्रोजन और पोटाश का टॉप-ड्रेसिंग करें।

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# # # 4. गुच्छा दृश्य अवस्था (VT)
**विवरण:**
- गुच्छा (नर फूल) पौधे के शीर्ष पर उभरता है, जो प्रजनन विकास का संकेत देता है।
- पौधा दानों (अंडाणुओं) की संख्या निर्धारित करता है, जिसमें ~90% अंडाणु बन जाते हैं।
- दाने बनने को समर्थन देने के लिए पानी और नाइट्रोजन की उच्च मांग।
- पोषक तत्व या पानी की कमी से दानों की संख्या और उपज कम हो सकती है।

**प्रबंधन प्रथाएँ:**
- परागण और दाने बनने को समर्थन देने के लिए पर्याप्त सिंचाई सुनिश्चित करें।
- नाइट्रोजन की कमी (पत्तियों का पीलापन) की निगरानी करें और तुरंत सुधार करें।
- गुच्छों को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों (जैसे आर्मीवर्म) को नियंत्रित करें।
- खेत में कार्यों के दौरान पौधों को यांत्रिक क्षति से बचाएँ।

**पोषक तत्व आवश्यकताएँ (किग्रा/हेक्टेयर):**
- **नाइट्रोजन (N):** 60 किग्रा (उदाहरण: 130 किग्रा यूरिया)
- **फॉस्फोरस (P₂O₅):** 10 किग्रा (उदाहरण: 63 किग्रा SSP या 22 किग्रा DAP)
- **पोटाश (K₂O):** 20 किग्रा (उदाहरण: 33 किग्रा म्यूरिएट ऑफ पोटाश)
- **अनुप्रयोग विधि:** प्रजनन वृद्धि के दौरान उच्च मांग को पूरा करने के लिए नाइट्रोजन और पोटाश का टॉप-ड्रेसिंग करें।

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# # # 5. मादा फूल अवस्था (R1: सिल्किंग)
**विवरण:**
- भुट्टों से सिल्क (बाल) निकलते हैं, जो गुच्छों से पराग प्राप्त करते हैं।
- पानी की कमी के प्रति अत्यंत संवेदनशील, जो परागण और दाने भरने को प्रभावित कर सकता है।
- पोषक तत्वों की उपलब्धता, विशेष रूप से नाइट्रोजन, सिल्क विकास और दाने बनने को समर्थन देता है।
- इस समय खराब प्रबंधन से बंजर भुट्टे या कम दाने हो सकते हैं।

**प्रबंधन प्रथाएँ:**
- सूखे तनाव को रोकने के लिए नियमित सिंचाई बनाए रखें।
- सफल परागण सुनिश्चित करने के लिए पराग गिरने और सिल्क स्वास्थ्य की निगरानी करें।
- सिल्क या विकासशील दानों को नुकसान पहुँचाने वाले कीटों (जैसे ईयर वर्म) को नियंत्रित करें।
- परागण में बाधा डालने वाले पर्णीय छिड़काव से बचें।

**पोषक तत्व आवश्यकताएँ (किग्रा/हेक्टेयर):**
- **नाइट्रोजन (N):** 40 किग्रा (उदाहरण: 87 किग्रा यूरिया)
- **फॉस्फोरस (P₂O₅):** 10 किग्रा (उदाहरण: 63 किग्रा SSP या 22 किग्रा DAP)
- **पोटाश (K₂O):** 20 किग्रा (उदाहरण: 33 किग्रा म्यूरिएट ऑफ पोटाश)
- **अनुप्रयोग विधि:** दाने विकास को समर्थन देने के लिए नाइट्रोजन और पोटाश की अंतिम टॉप-ड्रेसिंग।

---

# # # उर्वरक अनुप्रयोग पर सामान्य टिप्पणियाँ
- **मिट्टी परीक्षण:** मौजूदा पोषक तत्व स्तरों के आधार पर उर्वरक दरों को समायोजित करने के लिए रोपण से पहले मिट्टी परीक्षण करें।
- **उर्वरक प्रकार:**
- यूरिया (46% N), DAP (18% N, 46% P₂O₅), SSP (16% P₂O₅), म्यूरिएट ऑफ पोटाश (60% K₂O)।
- स्थानीय रूप से उपलब्ध उर्वरक संरचना के आधार पर मात्रा समायोजित करें।
- **अनुप्रयोग समय:** विभाजित अनुप्रयोग (आधार + टॉप-ड्रेसिंग) पोषक तत्व उपयोग दक्षता में सुधार करते हैं और हानि को कम करते हैं।
- **सूक्ष्म पोषक तत्व:** कमी की निगरानी करें (जैसे जस्ता, बोरॉन) और आवश्यक होने पर विशेष रूप से कमी वाली मिट्टियों में पर्णीय छिड़काव करें।
- **पर्यावरणीय विचार:** पोषक तत्व बहाव और पर्यावरणीय नुकसान को रोकने के लिए अति-अनुप्रयोग से बचें।

---

# # # पोषक तत्व आवश्यकताओं का सारांश (किग्रा/हेक्टेयर)
| अवस्था | नाइट्रोजन (N) | फॉस्फोरस (P₂O₅) | पोटाश (K₂O) |
|-------------------------|---------------|------------------|-------------|
| उद्भव | 30 | 60 | 20 |
| स्वावलंबन (V4–V5) | 40 | 20 | 10 |
| भुट्टा प्रारंभ (V8–V10) | 50 | 20 | 20 |
| गुच्छा दृश्य (VT) | 60 | 10 | 20 |
| मादा फूल (R1) | 40 | 10 | 20 |
| **कुल** | **220** | **120** | **90** |

---

# # # निष्कर्ष
सफल मक्का उत्पादन के लिए प्रत्येक वृद्धि अवस्था पर सावधानीपूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिसमें पानी, पोषक तत्व, और कीट नियंत्रण उपायों का समय पर अनुप्रयोग शामिल है। इस बुलेटिन में उल्लिखित अनुशंसित उर्वरक दरों और प्रथाओं का पालन करके, किसान मक्का की वृद्धि को अनुकूलित कर सकते हैं, दाने की उपज को अधिकतम कर सकते हैं, और स्वस्थ फसल सुनिश्चित कर सकते हैं।

अधिक सहायता के लिए, अपने स्थानीय कृषि विस्तार कार्यालय या कृषि वैज्ञानिक से संपर्क करें।

---

**अस्वीकरण:** पोषक तत्व अनुशंसाएँ सामान्य प्रथाओं पर आधारित हैं और मिट्टी के प्रकार, मक्का की किस्म, और क्षेत्रीय परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। हमेशा स्थानीय विशेषज्ञों से साइट-विशिष्ट सलाह लें।

गर्मी के मौसम में किन्नौ के पौधों को बचाना बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि तेज़ धूप और उच्च तापमान फलों की गुणवत्ता और पौधो...
05/04/2025

गर्मी के मौसम में किन्नौ के पौधों को बचाना बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि तेज़ धूप और उच्च तापमान फलों की गुणवत्ता और पौधों की सेहत दोनों पर बुरा असर डाल सकते हैं। नीचे कुछ असरदार तरीके दिए गए हैं जिनसे आप किन्नौ को गर्मी से बचा सकते हैं:

1. मल्चिंग (Mulching) करें:

पेड़ों के चारों ओर घास, भूसा, लकड़ी की बुरादे या काली पॉलीथिन से मल्चिंग करें।

इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और जड़ों पर गर्मी का असर कम होता है।

2. प्रोपर सिंचाई (Irrigation):

गर्मियों में नियमित सिंचाई बहुत जरूरी है।

ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करें ताकि पानी सीधे जड़ों तक पहुँचे और वेस्टेज न हो।

सुबह या शाम के समय ही पानी दें, दोपहर में बिलकुल न दें।

3. शेड नेट या व्हाइट वॉश:

छोटे पौधों के लिए शेड नेट लगाएं ताकि तेज़ धूप सीधे पौधों पर न पड़े।

बड़े पेड़ों की शाखाओं को सफेद चूने (lime) से वाइट वॉश करें, इससे सूरज की गर्मी रिफ्लेक्ट होती है और शाखाएं नहीं जलतीं।

4. फोलियर स्प्रे:

गर्मियों में पौधों पर ज़िंक, बोरॉन और पोटाश का फोलियर स्प्रे करें। इससे पौधों की स्ट्रेस सहन करने की क्षमता बढ़ती है।

5. अंतरवर्ती फसलें (Intercropping):

किन्नौ के बाग में मूंग, उड़द जैसी दलहनी फसलें लगाएं जो ज़मीन की नमी बनाए रखने में मदद करें।

6. घास या झाड़ियों का उपयोग:

पेड़ों के चारों ओर हरी घास या झाड़ियाँ रखें ताकि जड़ों की सतह ढकी रहे और नमी बनी रहे।

किसान पशुपालकों भाइयों के लिए साइलेज बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी।
15/01/2025

किसान पशुपालकों भाइयों के लिए साइलेज बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी।

किसान भाईयों जो पशुपालन करते हैं उन के लिए साइलेज बनाने की महत्वपूर्ण जानकारी।
15/01/2025

किसान भाईयों जो पशुपालन करते हैं उन के लिए साइलेज बनाने की महत्वपूर्ण जानकारी।

सब्ज़ी किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी।
10/01/2025

सब्ज़ी किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी।

किसानों एवम नर्सरी मालिकों को थोक रेट पर उपलब्ध
12/07/2023

किसानों एवम नर्सरी मालिकों को थोक रेट पर उपलब्ध

सभी तरह के पौधें उपलब्ध है।
01/04/2023

सभी तरह के पौधें उपलब्ध है।

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