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19/11/2025

वृंदावन से मथुरा जाने के बाद कृष्ण फिर कभी वृंदावन वापस नहीं लौटे।
केवल दो बार वह राधा से मिले थे। एक कुरुक्षेत्र मे और दूसरी बार उस मूसल युद्ध के पहले की जिसमें शराब पीकर आपस में लड़ते हुए सभी यदुवंशी मर गये थे। प्रभास क्षेत्र यादवों का एक बहुत पवित्र स्थल था। ध्यान दीजिए कि विख्यात प्रथम शिवलिंग सोमनाथ प्रभास क्षेत्र में ही है। इस मंदिर का सुसज्जीकरण भी श्रीकृष्ण ने ही कराया था। इसके उत्तर में प्रभास का विस्तृतभू भाग है। इसी स्थान पर मैदान से थोड़ी दूर पर बहेलिये ने श्रीकृष्ण के पैर में बाण मारा था। यहां हर वर्ष एक पूजा समारोह होता था जिसमें यादव गणतंत्र के सभी लोग आबालवृद्ध भाग लेते थे। गोलोक जाने के पहले एक बार श्रीकृष्ण ने समस्त ब्रजवासियों को प्रभास तीर्थ में मिलने के लिए बुलाया था। वृंदावन से जाने के बाद राधा कृष्ण की यही दूसरी और अंतिम भेंट थी। रुक्मिणी भी आई थीं। इस पर सूरदास जी ने एक बहुत भावपूर्ण पद लिखा है.....

रुक्मणि राधा ऐसो भेंटी

बहुत दिनन की बिछुरी जइसे एक बाप की बेटी

इसका बाद राधा कृष्ण का आमना सामना हुआ। मिलते ही राधा ने कहो कृष्ण कैसे हो? कृष्ण हतप्रभ रह गए।अचकचाते हुए कहा क्या कहती हो राधा ?

मैं तुम्हारे लिए कृष्ण कब से हो गया?

मैं तो अब भी तुम्हारे लिए कान्हा ही हूं। राधा ने कहा नहीं कृष्ण अब तुम कान्हा नहीं रहे, बहुत बदल गये हो।

क्या बदलाव आ गया है मुझमें?

राधा- कोई एक हो तब न बताऊं। अगर तुम श्याम होते तो सुदामा के पास तुम जाते। सुदामा को तुम्हारे पास नहीं आना पड़ता।
तुम वनमाली थे। तुम्हारे गले में वनमाला शोभती थी। शायद तुम्हें नहीं मालूम हुआ होगा कि तुम्हारे लिए माला बनाने के लिए मैं और मेरी सखियां ललिता विशाखा अनुराधा कुसुम शैव्या आदि वृंदावन के सात वनों से फूल चुनती थीं। कितनी बार बाहों में खरोंच आई। ओढनियां फट जाती थी।घर पर मार पड़ती थी।पर जब तुम वही वनमाला पहन कर हंसते थे तो आत्मा तृप्त हो जाती थी। लगता था कि लोक परलोक दोनों बन गये। आज तुम्हारे गले की वह वनमाला कहां गई?

आज तुम्हारे गले में हीरे-जवाहरात जड़ित सोने की माला है। जिन हाथों में मुरली शोभायमान होती थी उन हाथों में सुदर्शन चक्र आ गया है। जब तुम मुरली बजाते थे तो मनुष्य क्या पशु पक्षी भी सुनने के लिए जुट जाते थे। आज उन्हीं हाथों से संहार कर रहे हो। लोग कहते हैं कि तुम भगवान हो और ऐसा तुमने भी गीता में कहा है...

मत्तम् परततरंनान्यत किंचिदस्ति धनंजय:
मयि सर्वमदिमश्रोतं सूत्रे मणिगणाइव।

पर मैंने तो तुम्हें ब्रह्म माना ही नहीं। तुम तो मेरे नंद के लाल मुरलीधर श्याम थे एक सामान्य ग्वाला। तुम्हारे इस रूप का तो पता ही नहीं था। तुमने ऊधौ को भेजा था हमें निर्गुण ज्ञान बताने के लिए। ऊधौ ने तो बताया ही होगा कि हमारा प्रेम क्या है और उनकी क्या गति।

कृष्ण सुनते रहे और तब कहा... लेकिन मैं तो तुम्हें अब भी याद करता हूं। तुम्हारी याद आती है तो आंखों आंसू निकलते हैं।

राधा- लेकिन मैं तो तुम्हें कभी याद नहीं करती। याद तो उसको किया जाता है जो कहीं दूर चला गया हो। तुम तो कभी मेरे हृदय से गये ही कहां थे जो याद करना पड़ता। रही मेरे न रोने की बात तो कान्हा मैं इस लिए नहीं रोई कि मेरी आंखों में बसे हुए तुम कहीं आंसुओं के साथ निकल न जाओ। भक्त का भाव देखकर भगवान विह्वल हो गए। बोले राधा तुम जीती मैं हारा।

राधा- याद रखना कृष्ण मेरे बिना अधूरे रहोगे। संसार में जहां भी तुम्हारी पूजा होगी मैं साथ रहूंगी। एक को छोड़कर (जगन्नाथ जी)। कोई ऐसा मंदिर नहीं होगा जहां मैं तुम्हारे साथ नहीं होऊंगी। हमेशा तुम्हारे नाम के पहले मेरा नाम लिया जाएगा ठीक उसी प्रकार जैसे पूर्व में प्रभु श्रीराम के पहले माँ सीता का नाम आया।

भगवान श्रीकृष्ण ने एवमस्तु कहा और एक अंतिम बात कही की राधा अब इस जीवन में मेरी तुम्हारी भेंट नहीं होगी पर मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ, जो भी इच्छा हो मांग लो। राधा ने कहा कन्हैया मुझे तो सब कुछ मिल चुका है और कुछ नहीं चाहिए। मेरा तुम्हारा प्यार अमर रहे। जब तक इस धराधाम पर एक भी प्राणी जीवित रहे मुझे तुम्हारे साथ याद करता रहे। परंतु कहते ही हो तो एक बार वही मुरली की तान एक बार और सुना दो।

भगवान भक्त की इस इच्छा को टाल न सके जबकि सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान कृष्ण इसके भयावह परिणाम को जानते थे। फिर भी उन्होंने बहुत दिनों से संजोकर रखी हुई बांसुरी निकाली और एक अद्भुत अविस्मरणीय तान छेड़ दिया। सारा संसार तरंगित हो उठा। यद्यपि कृष्ण ने अनेकों बार मुरली बजाया था पर यह तान विलक्षण थी, अद्भुत शांति थी और हृदय के तार को झंकृत करने वाली थी। ऐसी धुन न कभी बजी थी और न कभी बजेगी।
सुध-बुध खोकर राधा बंशी की धुन सुनती हुई कृष्ण में ही समा गई।

15/09/2025

*लिपिड प्रोफाइल क्या है ?*

एक प्रसिद्ध डॉक्टर ने लिपिड प्रोफाइल को बहुत ही बेहतरीन ढंग से समझाया और अनोखे तरीके से समझाने वाली एक खूबसूरत कहानी साझा की।

`कल्पना कीजिए कि हमारा शरीर एक छोटा-सा कस्बा है। इस कस्बे में सबसे बड़े उपद्रवी हैं -` *कोलेस्ट्रॉल।*

`इनके कुछ साथी भी हैं। इनका मुख्य अपराध में भागीदार है -` *ट्राइग्लिसराइड।*

इनका काम है - गलियों में घूमते रहना, अफरा-तफरी मचाना और रास्तों को ब्लॉक करना।

*दिल* इस कस्बे का सिटी सेंटर है। सारी सड़कें दिल की ओर जाती हैं।
जब ये उपद्रवी बढ़ने लगते हैं तो आप समझ ही सकते हैं क्या होता है। ये दिल के काम में रुकावट डालने की कोशिश करते हैं।

लेकिन हमारे शरीर-कस्बे के पास एक पुलिस बल भी तैनात है -
*HDL*
वो अच्छा पुलिसवाला इन उपद्रवियों को पकड़कर जेल *(लिवर)* में डाल देता है।
फिर लिवर इनको शरीर से बाहर निकाल देता है – हमारे ड्रेनेज सिस्टम के ज़रिए।

लेकिन एक बुरा पुलिसवाला भी है - *LDL* जो सत्ता का भूखा है।
LDL इन उपद्रवियों को जेल से निकालकर फिर से सड़कों पर छोड़ देता है।
जब अच्छा पुलिसवाला *HDL* कम हो जाता है तो पूरा कस्बा अस्त-व्यस्त हो जाता है।

ऐसे कस्बे में कौन रहना चाहेगा?
क्या आप इन उपद्रवियों को कम करना और अच्छे पुलिसवालों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं?

*चलना* शुरू कीजिए!
हर कदम के साथ *HDL* बढ़ेगा, और *कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड* और *LDL* जैसे उपद्रवी कम होंगे।
आपका शरीर (कस्बा) फिर से जीवंत हो उठेगा।

आपका दिल – सिटी सेंटर – उपद्रवियों की ब्लॉकेज *(हार्ट ब्लॉक)* से सुरक्षित रहेगा।
और जब दिल स्वस्थ होगा तो आप भी स्वस्थ रहेंगे।
इसलिए जब भी मौका मिले – चलना शुरू कीजिए!
*स्वस्थ रहें...* और
*अच्छे स्वास्थ्य* की कामना
*यह लेख HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाने और LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) कम करने का बेहतरीन तरीका बताता है यानी चलना।*

हर कदम HDL को बढ़ाता है।
इसलिए – *चलो, चलो और चलते रहो।*

`यह चीजें कम करें:-`
1. नमक
2. चीनी
3. ब्लीच किया हुआ मैदा
4. डेयरी उत्पाद
5. प्रोसेस्ड फूड्स

*यह सब रोज खाएं:-*
1. सब्जियां
2. दालें
3. बीन्स
4. मेवे
5. कोल्ड प्रेस्ड तेल
6. फल
7. Omega 3 ya fish oil

*तीन चीजें जिन्हें भूलने की कोशिश करें:*
1. अपनी उम्र
2. अपना अतीत
3. अपनी शिकायतें

*चार जरूरी चीजें जिन्हें अपनाएं:*
1. अपना परिवार
2. अपने दोस्त
3. सकारात्मक सोच
4. स्वच्छ और स्वागत भरा घर

*तीन मूलभूत बातें जिन्हें अपनाना चाहिए:*
1. हमेशा मुस्कराएं
2. अपनी गति से नियमित शारीरिक गतिविधि करें
3. अपने वजन की जांच और नियंत्रण करें

*छः आवश्यक जीवन-शैली जो आपको अपनानी चाहिए:*
1. पानी पीने के लिए तब तक प्रतीक्षा न करें जब तक आप प्यासे न हों।
2. आराम करने के लिए तब तक प्रतीक्षा न करें जब तक आप थके नहीं।
3. चिकित्सीय परीक्षणों के लिए तब तक प्रतीक्षा न करें जब तक आप बीमार न हों।
4. चमत्कारों की प्रतीक्षा न करें, भगवान पर भरोसा रखें।
5. कभी भी अपने आप पर से विश्वास न खोएं।
6. सकारात्मक रहें और हमेशा एक बेहतर कल की आशा रखें।

यदि आपके मित्र हैं इस आयु सीमा में *(45-80 वर्ष)* कृपया उन्हें यह भेजें।

इसे आप सभी नागरिकों को भेजें जिन्हें आप जानते हैं।

हर हर महादेव
22/07/2025

हर हर महादेव

25/06/2025
19/09/2024

भादों का महीना और कौव्वे का गहरा राज़ है जो ऋषियों को पता था !!!

------पढ़ कर शेयर जरूर करना मेरे बन्धु-----

ऐसा क्या था कि हमारे ऋषि मुनि कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे?
और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?

हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।

*यह है सही कारण।*

तुमने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....

बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।

कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।

यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं।

उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।

पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2 छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।

देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?

मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।

तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी।

जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......

इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।

घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।

🙏सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ। जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...? अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये🙏

साभार : फेसबुक

08/01/2024

🙏 गायत्री मंत्र कब ज़रूरी है
☀सुबह उठते वक़्त 8 बार ❕✋✌👆❕अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !!

🍚🍜 भोजन के समय 1 बार❕👆❕ अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !!

🚶 बाहर जाते समय 3 बार ❕✌👆❕समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !!

👏 मन्दिर में 12 बार ❕👐✌❕
प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !!

😢छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण ☝1 बार अमंगल दूर करने के लिए !!

सोते समय 🌙 7 बार ❕✋✌ ❕सात प्रकार के भय दूर करने के लिए !!

कृपया सभी बन्धुओं को प्रेषित करें 👏👏 !!!ॐ , ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,

"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,

"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना।

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।

ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

जानीए

ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
और
अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...

1. ॐ और थायराॅयडः-
ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

2. ॐ और घबराहटः-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

3. ॐ और तनावः-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

4. ॐ और खून का प्रवाहः-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5. ॐ और पाचनः-
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

6. ॐ लाए स्फूर्तिः-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

7. ॐ और थकान:-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

8. ॐ और नींदः-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

9. ॐ और फेफड़े:-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

11. ॐ दूर करे तनावः-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे। साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है।

🙏 आपके घर का वास्तु -                      आज बात करते हैं हमारे घर  के ब्रह्म स्थान की ! जिस प्रकार हमारे शरीर में नाभि...
23/12/2023

🙏 आपके घर का वास्तु -
आज बात करते हैं हमारे घर के ब्रह्म स्थान की ! जिस प्रकार हमारे शरीर में नाभि हमारे शरीर का सेण्टर भाग हैं और इससे पुरे शरीर की कायापलट हो सकती हैं, उसी प्रकार से ब्रह्म स्थान हमारे घर का मध्य भाग होता हैं ! किसी भी भवन के भीतर ब्रह्म स्थान का न केवल वास्तु की दृष्टि से बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी बहुत जयादा महत्तव हैं, शास्त्र मान्यता है कि इस स्थान का सम्बन्ध ब्रह्मा जी से हैं, तो भवन बनाते समय और भवन बनाने के बाद इस स्थान का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इस स्थान का सम्बद्ध हमारे घर कि सुख समृद्धि से भी होता हैं ! आज जबकि घरों के अंदर खुले आँगन कि परम्परा समापत होती जा रही हैं तो लोग अक्सर इस नियम कि अनदेखी करते हैं, जिसके कारन पैदा होने वाले वास्तु दोष कि वजह से पैदा होने वाली परशानियों से उन्हें जिंदगी भर उलझना पड़ता हैं !
वास्तु के अनुसार ब्रह्म स्थान को ईशान कोण कि भांति हमेशा साफ सुथरा और पवित्र रखना चाहिए ! ब्रह्म स्थान पर जूते, चप्पल, गन्दगी या कोई भी भारी वस्तुएं न रखें अन्यथा इससे बहुत बड़े वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं जिसका खामियाजा घर के अन्य सदस्यों को झेलना पड़ता हैं !
ब्रह्म स्थान को हल्का सा ऊँचा बनाना चाहिए ताकि यहाँ पानी डालते ही वो चरों तरफ बिखर जाये, परन्तु इस स्थान को ज्यादा ऊँचा नहीं करना चाहिए अन्यथा ये राक्षस मुखी भूमि हो जाती हैं ,इसकी चर्चा कभी भूमि के 17 प्रकार कोनसे हैं उस टॉपिक में करेंगे ! वास्तु शास्त्र के अनुसार ब्रह्म स्थान को खुला रखना चाहिए ताकि हवा के साथ आने वाली सकारात्मक ऊर्जा के परवाह में बाधा न आये ! बहम स्थान कि छत को यथासंभव ऊँचा बनाये व् इस स्थान पर कम से कम दीवारें बनायें !
!! जय माता दी !!

जय माता दी
23/12/2023

जय माता दी

20/12/2023

🙏आज के दिन का विशेष उपाय -
जैसे जैसे परीक्षा नजदीक आती है, बच्चों का मन डोलने लगता है, घबराहट बढ़ने लगती है, याद किया हुआ भी भूलने लगता है ! निम्नलिखित उपायों से इन समस्यायों से माता रानी की कृपा से, उस अनंत शक्ति की कृपा से निजात पाई जा सकती है -
1 पढ़ते समय बच्चे का मुख उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा की तरफ होना चाहिए !
2 तीन पीले रंग के फूल मां सरस्वती के सामने रखकर बच्चे अपने स्वर्णिम भविष्य की कामना करें और
प्रार्थना करने के बाद उन तीन फूलों में से दो फूल अपने स्टडी टेबल पर रखें !
3 पढ़ने से पहले 11 बार गायत्री मंत्र या मूल मंत्र का जाप करें !
4 स्टडी रूम में साफ़ सफाई रखें !
5 माता पिता और बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करें !
6 एग्जाम देने के लिए जाने से पहले अपनी माता या बहन के हाथों से दही और चीनी खा कर जाएँ !
!! जय माता दी !!

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