Brahmand India

Brahmand India AN ORGANISATION WHICH WORKS ON THE COMBINATION OF SPIRITUALITY AND SCIENCE.

From the time immemorial , humans have believed and used spirituality in his daily life. But with the invention of new technology and science , spirituality has become hidden in different parts of the world . But now researchers and scientist have claimed that the things done by the use of spirituality are far more better then science and technology . Our organization BRAHMAND works on the combination of spirituality and technology where all kinds of work in various fields are done irrespective of the field any one is from , whether medical science ,space science ,ayurved , meditation , numerology etc are done. We all know that ancient technology is far more better than todays technology , infact the researches that are going on today have been already discovered and practiced by ancient people . For example our great epic like mahabharat , we come to see technology at its best and too without causing any side effects or pollution. For example Human Cloning is now a topic of research in the world , but this kind of cloning has been perfectly practiced in Mahabharat on kauravs which were 100 in number . Loss of more than 1660020000 people is accounted in Mahabharat in 18 days , for this kind of mass destruction we require a very powerful atomic and nuclear bombs , but the astra used in mahabharat were more powerful and efficient then todays weapons. Highly complicated genetic enginnering can be seen in suryas son karn who was born with a protective jacket
Time travel is the biggest topic of research in world today. But we already have our ancient time travelers like narad muni and several other gods who used to go from one place to another within seconds

There are uncountable facts in which we can find the best use of technology with 100% efficiency .The work of BRAHMAND as an organisation is the study of spirutal things practiced in scientific way in which we can develop a Positive Product Yielding Technology . Where all sectors such as Space science, medical science , Self healing power, meditation as a remedy , awareness in children also to educate them in a very different and effective way, so that they can find a genius in them .

20/10/2025

पारिजात वृक्ष - सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। इसको छूने का हक सिर्फ #उर्वशी को था,,,

समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था,, #पारिजात नाम है इसका,,इसे ही #कल्पवृक्ष भी कहा गया है,,

⚜️ पूरी रात सुगंधी बिखेरता पारिजात,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है!अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता,अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें,अद्भूत ताजगी मिलेगी....

⚜️यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है....

⚜️इंद्र के बगीचे में स्थित इस वृक्ष को सिर्फ उर्वशी को छूने का अधिकार था,,, इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। स्वर्ग में इसको छूने से देव नर्तकी उर्वषी की थकान मिट जाती थी,पारिजात नाम के इस वृक्ष के फूलों को देव मुनि नारद ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था,इन अदभूत फूलों को पाकर सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण से जिद कर बैठी कि पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए!

⚜️सत्यभामा की जिद पूरी करने के लिए जब श्री कृष्ण ने पारिजात वृक्ष लाने के लिए नारद मुनि को स्वर्ग लोक भेजा तो इन्द्र ने श्री कृष्ण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पारिजात देने से मना कर दिया,जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने गरूड पर सवार होकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और परिजात को प्राप्त कर लिया,श्री कृष्ण ने यह पारिजात लाकर सत्यभामा की वाटिका में रोपित कर दिया!

⚜️भगवान श्री कृष्ण ने पारिजात को लगाया तो था सत्यभामा की वाटिका में,परन्तु उसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूकमणी की वाटिका में गिरते थे,एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था!

⚜️यह वृक्ष एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रह सकता है,पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है,जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है,यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है!

⚜️यह वृक्ष आसपास लगा हो खुशबू तो प्रदान करता ही है,साथ ही नकारात्मक उर्जा को भी भगाता है,इस उपयोगी वृक्ष को अवश्य ही घर के आसपास लगाना चाहिए!!!

पारिजात एक पुष्प देने वाला वृक्ष है, इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है...... पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं....इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल और केसरिया डंडी होती है... इसके फूल रात में खिलते है और सुबह सब झड जाते है ...।
पारिजात अत्यंत लाभकारी ओषधि हैं.... जो अनेक रोगों को दूर करने में सहायक है...।
#साइटिका का सफल इलाज...
एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना साइटिका या रिंगण बाय कहलाता है....प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है... मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है.... दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता...... हारसिंगार के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ...... पत्ते को धो कर थोड़ा सा कूट ले या पीस ले.....बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें.....तेज आग पर मत पकाए....चाय की तरह पकाए,चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले... पहली बार मे ही 10% फायदा होगा.... प्रतिदिन 2 बार पिए ... इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पीए,दही लस्सी और आचार न खाएं.

अब यह वृक्ष धरती पर है इस पेड़ के #बीज बनते हैं,, और इसको #कलम विधि के द्वारा पैदा किया जा सकता है।

रात को इसके फूल खिलते हैं,,और गंध इतनी दिव्य है कि इस लोक की लगती ही नहीं है,,, ईश्वर के आशीर्वाद अद्भुत और विचित्र हैं,,

19/10/2025
19/10/2025
11/10/2025

⚜️🌿श्री कृष्ण की 16 कलाएं🌿⚜️
भगवान कृष्ण की 16 कलाएं कौन-कौन सी थी?
भगवान कृष्ण की १६ कलाए इस प्रकार है।

श्री कला- जिसके पास श्री संपदा की कला होगी वह धनी होगा, धनी का मतलब सिर्फ दौलत होना नहीं है. बल्कि मन वचन और कर्म से धनी होना है. जो व्यक्ति किसी भी मदद मांगने वाले को निराश नहीं करता वह समृद्धशाली जीवन जीता है

कृति कला- जिस व्यक्ति की अपनी ख्याति हो, वह लोकप्रिय हो, भरोसेमंद हो और जन कल्याण में पहल करे

वाणी सम्मोहन कला- जिस व्यक्ति की आवाज में जादू हो, अर्थात वह अपनी बातों से किसी का भी मन मोह ले, ना चाहते हुए भी लोग उसकी तारीफ करें, श्री कृष्ण अपनी बातों से किसी का भी मन मोह लेते थे. इसी लिए उन्हें मोहन कहा जाता है ।

भू कला- भू-सम्पदा का अर्थ है जो बड़े भू-भाग का मालिक हो, या किसी बड़े भू-भाग पर राज करता हो।

विद्या कला- जिसके पास विद्या है वह ज्ञानी है. ज्ञान होना और प्राप्त करना भी कला है. ज्ञान की भी कई कलाएं हैं. जैसे वेद ज्ञान, संगीत ज्ञान, युद्ध कला, राजनीति, कूटनीति कला।

विमल कला- जिसके मन में छल-कपट, भेदभाव ना हो वह निष्पक्ष हो, उसमे कोई दोष ना हो, उसके विचार निर्मल हों।

लीला- जिस व्यक्ति के दर्शन से ही आनंद मिले, जिसके व्यक्तित्व में अलग चमक हो।

कांति कला- जिसका चेहरा देखकर आप खो जाएं, उसके सौन्दर्य से प्रभावित हो जाएं। चाहकर भी उसके चेहरे से नज़र ना हटा सकें।

उत्कर्षिनी शक्ति- जो लोगों को अपनी ओर प्रेरित कर ले, उन्हें उनके कर्तव्यों के प्रति जागृत करे, जो दूसरों को उनकी मानिल पाने के लिए उत्साहित करे उनका मार्गदर्शन करे. जब अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में हथियार डाल दिए थे तब श्री कृष्ण ने ही उन्हें गीतोपदेश देकर युद्ध जारी रखने के लिए प्रेरित किया था

नीर-क्षीर विवेक- जो अपने ज्ञान से न्यायोचित निर्णय ले, विवेकशील हो और लोगों को सही मार्ग सुझाने में सक्षम हो

कर्मण्यता- जो सिर्फ उपदेश ना दे बल्कि उन उपदेशों का खुद पालन करे

योगशक्ति- योग-अद्यात्म में निपुण हो, योग का अद्यात्म से सीधा नाता है. जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है. योग भी एक कला है

सत्य धारणा- सच कहना सभी के बस की बात नहीं होती, किसी का दिल दुखे या बुरा लगे तो झूठ बोल दिया जाता है. लेकिन जो सत्य का मार्ग चुनते हैं वह कठिन से भी कठिन परिस्थिति में सत्य का साथ नहीं छोड़ते।

विनय- जिसके अंदर अहंकार ना हो, चाहे वह सर्वज्ञानी हो, सर्व शक्तिमान हो लेकिन अहंकार उसके पास कभी ना भटके। व्यक्तित्व शालीन हो

आधिपत्य- वह किसी पर जोर-जबरजस्ती से अपना आदिपत्य न जमाए, लोग खुद उसका अधिपत्य स्वीकार कर उसे अपना स्वामी मान लें. जिसके अधिपत्य में लोगों को सुरक्षा और संरक्षण मिले

अनुग्रह क्षमता- जो दूसरे के कल्याण के लिए काम करे, परोपकार करे, अपने सामर्थ्य का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए करे

08/10/2025

हनुमान जी के 12 पवित्र नामों का अर्थ और महत्व बताता हूँ –

1. हनुमान – जिनका मुख (हनु) अत्यंत बलवान है। यह नाम स्मरण करने से हर प्रकार का संकट दूर होता है।

2. आञ्जनेय – अंजनी माता के पुत्र। इस नाम से स्मरण करने पर मनुष्य को माता-पिता का आशीर्वाद और स्नेह प्राप्त होता है।

3. वायुपुत्र – पवन देव के पुत्र। इससे जीवन में ऊर्जा, बल और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

4. महाबल – अपार शक्ति वाले। यह नाम स्मरण करने से साहस और आत्मविश्वास मिलता है।

5. रामेष्ट – श्रीराम के परम प्रिय। इस नाम से जीवन में भक्ति, प्रेम और सच्चाई की शक्ति बढ़ती है।

6. फाल्गुनसखा – अर्जुन (फाल्गुन) के मित्र। इससे मित्रता, सहयोग और धर्मरक्षा की शक्ति मिलती है।

7. पिंगाक्ष – जिनकी आँखें सुनहरी-भूरी हैं। यह नाम स्मरण करने से दृष्टि (नजर) और मन की शुद्धि होती है।

8. अमितविक्रम – जिनका पराक्रम असीम है। यह नाम बल, पराक्रम और विजय देने वाला है।

9. उदधिक्रमण – जिन्होंने समुद्र लांघा। यह नाम असंभव को संभव करने की शक्ति देता है।

10. सीताशोकविनाशन – जिन्होंने माता सीता का दुख हर लिया। इससे जीवन में दुख और क्लेश दूर होते हैं।

11. लक्ष्मणप्राणदाता – जिन्होंने लक्ष्मण जी को संजीवनी देकर जीवनदान दिया। यह नाम आयु, स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति देता है।

12. दशग्रीवदर्पहा – जिन्होंने रावण के अभिमान को तोड़ा। यह नाम शत्रु पर विजय और अहंकार नाशक है।

✨ इन नामों का प्रातः और संध्या काल में जप करने से जीवन में सुख, शांति, बल और विजय प्राप्त होती है।

Address

Indore Road
Ujjain
456010

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Brahmand India posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Brahmand India:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram