17/09/2025
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली National Human Rights Commission New Delhi (NHRC)में अधिकारियों से मिले मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वॉरियर्सः बोले- बीमारी के चलते दूसरों पर निर्भर थे, चुनौती स्वीकार कर जी रहे जीवन स्वावलंबन फाउंडेशन पाली ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सहयोग से नई दिल्ली स्थित आयोग के परिसर "उम्मीदों की उड़ान" एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से प्रभावित योद्धाओं ने भाग लिया।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और इन योद्धाओं द्वारा अपने संघर्ष के बावजूद हासिल की गई सफलताओं को उजागर करना था। फाउंडेशन आने वाले छह महीनों में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर इसी प्रकार के और कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिनका लक्ष्य प्रभावित व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देना है। यह कार्यक्रम उन योद्धाओं की जीवन यात्रा पर प्रकाश डालता है, जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों के बावजूद उल्लेखनीय लक्ष्यों को हासिल किया हैकार्यक्रम में भाग लेने वाले मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वॉरियर्स में गांधी नगर, गुजरात के सॉफ्टवेयर इंजीनियर करन वैद्य, राजस्थान के जैतारण (पाली) के भरत सोनी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। दकोहा, पंजाब के हरदेव सिंह जो आध्यात्मिक शिक्षक हैं, मथुरा, उत्तर प्रदेश के अभय कुमार जो प्राइवेट होटल में कार्यरत हैं, राजस्थान अजमेर के धीरज साहू MBBS की पढ़ाई कर रहे हैं।राजस्थान सुमेरपुर (पाली) के जेठाराम कुमावत जो टीचर हैं, दिल्ली की पूर्वा मित्तल जो असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, भीलवाड़ा, राजस्थान के गारमेंट व्यवसायी विनोद जैन, फरीदाबाद की नीतूसिंह को निजी कार्मिक हैं। नागौर राजस्थान के मनोज जो नर्सिंग स्टाफ हैं, दिल्ली की मिहिरसिंह जो पढ़ाई कर रहे हैं, जयपुर के दर्शन राणा जो पढ़ाई र रहे हैं, शामिल रहे।मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वॉरियर्स ने बताए अपने अनुभव डेलीगेशन में 5 राज्यों के 12 वारियर्स से भाग लिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि पानी पीने, कपड़े पहने से लेकर दैनिक दिनचर्या के प्रत्येक कार्य के लिए अन्य पर निर्भर रहना पड़ता है। उसके उपरांत भी आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं और चुनौतियों को स्वीकार कर जीवन जी रहे हैं। इस दौरान वॉरियर्स के अभिभावक भी मौजूद थे।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और उसकी चुनौतियां-
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक आनुवांशिक विकार है, जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और क्षय हो जाती है, जिससे प्रभावित व्यक्ति के लिए दैनिक कार्य करना कठिन हो जाता है। इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन उपचार और सही देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एनएचआरसी की संयुक्त सचिव अनिता सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित थे। उन्होंने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वॉरियअनुभव सुने और उनके साहस की सराहना की। उन्होंने सामाजिक जागरूकता और संस्थागत सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
स्वावलंबन फाउंडेशन के डॉ. वैभव भंडारी ने कहा- यह कार्यक्रम केवल जागरूकता फैलाने का एक मंच नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद कोई भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इस तरह के कार्यक्रम समाज में सकारात्मकता और बदलाव लाने के लिए आवश्यक हैं।
कार्यक्रम के पूर्व सुबह आयोजित बैठक में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री के निजी सहायक भरत चौधरी ने सरकार द्वारा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की।
सीएसआईआर-आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद फारूक ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के निदान और शोध पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
बैठक के बाद, वॉरियर्स ने राष्ट्रपति भवन संग्रहालय का दौरा किया। फाउंडेशन की कार्यक्रम समन्वयक सयोनी सोनी, नंदिनी नाग, चंद्रप्रकाश वागोरिया, रमन विश्नोई सहित अन्य उपस्थित थे।
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