ज्ञान वर्धक उपाय

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छाँछ एक ऐसा पेय जिसे अमृत तुल्य कहा जा सकता है।भोजन के अंत मे पानी को विष समान माना गया है परन्तु छाँछ एक ऐसा पेय है जो ...
24/04/2022

छाँछ एक ऐसा पेय जिसे अमृत तुल्य कहा जा सकता है।भोजन के अंत मे पानी को विष समान माना गया है परन्तु छाँछ एक ऐसा पेय है जो पिया जा सकता है।

~भोजन के अंत मे छाँछ पीने से पेट नही फुलता है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।

~छाँछ मे चूना मिलाकर सेवन करने से वजन कम होता है।

~छाँछ मे जीरा,नमक मिलाकर पीने से बल व बुद्धि बढ़ती है।

!! जय श्रीमन्नारायण !!

बुद्धिहीन तनु जानिकै,सुमिरौं पवन कुमार।बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहिं,हरहु कलेश विकार ॥॥जय श्रीराम जय जय विघ्नहरण हनुमान॥
23/04/2022

बुद्धिहीन तनु जानिकै,सुमिरौं पवन कुमार।
बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहिं,हरहु कलेश विकार ॥

॥जय श्रीराम जय जय विघ्नहरण हनुमान॥

भूमे: गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतरः पिता।जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥अर्थ: भूमि से श्रेष्ठ माता है,स्वर्ग से ऊँचे...
22/04/2022

भूमे: गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतरः पिता।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥

अर्थ: भूमि से श्रेष्ठ माता है,स्वर्ग से ऊँचे पिता हैं।माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।

!! शुभ प्रभात !!

जय श्रीराधे जय श्रीकृष्ण

"सफलता का रहस्य"धरती पर मानव एक ऐसा जीव है जिसमे चेतना है,जो प्रकृति द्वारा नियंत्रित नही बल्कि जिसमे स्व नियंत्रण की शक...
21/04/2022

"सफलता का रहस्य"

धरती पर मानव एक ऐसा जीव है जिसमे चेतना है,जो प्रकृति द्वारा नियंत्रित नही बल्कि जिसमे स्व नियंत्रण की शक्ति प्रकृति ने दे रखी है।संसार मे एकमात्र जीव जो आत्मिक उन्नति द्वारा ईश्वरीय अंश सिध्द हो सकता है। "सफलता" एक ऐसा शब्द है जो है तो सामान्य पर अक्सर हर कोई इसके वास्तविक यथार्थ को नही समझ पाता कि इसे किस तरह प्राप्त किया जाए और अक्सर अपने वातावरण से स्वयं को प्रभावित कर अपनी असफलता का सारा दोष वातावरण पर डाल देता है!पर कभी यह विचार आपने किया कि क्या ऐसा करना स्वयं को छलना नही??
सफलता भी वही सही होती है जीवन मे जिसमे सार्थकता का समावेश हो,अर्थात् सफलता के बाद भी जो अपने मूल को कभी ना भूले और समभाव आचरण रखे वही सार्थक सफलता होती है,,,
चलिए समझते हैं कि वास्तव मे "सफलता" है क्या?इसके लिए हम एक लघु कथा को समझने का प्रयास करेंगे जो एक ग्रीक दार्शनिक पर आधारित है:-

बहुत काल पहले एक बार एक शिष्य सुकरात(ग्रीक दार्शनिक)के पास पहुँचा और प्रश्न किया:-"गुरुदेव "सफलता" का रहस्य क्या है?"
सुकरात प्रश्न सुन कुछ क्षण मौन रहे उसके पश्चात् उस शिष्य को बोले कि :-"तुम कल प्रातः मुझे नदी के किनारे आकर मिलो।"
शिष्य ने हामी भरते हुए जाने की आज्ञा ली।
अगले दिन वह शिष्य गुरु के आदेशानुसार नदी के तट पर पहुँचा पर कोई दिखा नही वह किनारे पर चल ही रहा था कि अचानक पीछे से आकर सुकरात ने उसे जोर से गर्दन को पकड़ नदी मे उसका सर डूबो दिया।शिष्य छटपटाने लगा स्वयं को बाहर निकालने के लिए पर सुकरात कुछ समय तक उसे डुबोए रखे।कुछ समय बाद उन्होने शिष्य को छोड़ा वह घबराकर हाँफते हुए तेज गति से श्वास लेकर बाहर आ गया और ऐसे कृत्य कारण पूछा!
सुकरात मुस्कुराकर पूछे:-"यह बताओ कि जब मैंने तुमको नदी के भीतर डुबोया तब क्या विचार आ रहा था??"
शिष्य ने कहा:-"कैसे भी करके केवल और केवल पानी से बाहर निकलकर श्वास लेने का प्रयास था।"
सुकरात पुनः मुस्कुराकर बोले:-"सफलता का रहस्य भी यही है।"

इस कथा का भाव यही है कि अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रता और छटपटाहट,उसे प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प ही सफलता की कुंजी है।सफलता हेतु अक्सर अर्जून बनने की सलाह इसीलिए दी जाती है,केवल और केवल लक्ष्य और कुछ भी नही।

स्वस्थ रहें मस्त रहें।

!! जय श्रीराधे जय श्रीकृष्ण !!

अपवित्रः पवित्रो वा,सर्वावस्थां गतोऽपि वा।यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं,स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥अर्थ : कोई अपवित्र हो या पवित्...
21/04/2022

अपवित्रः पवित्रो वा,
सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं,
स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

अर्थ : कोई अपवित्र हो या पवित्र, किसी भी अवस्था में क्यों न हो, जो कमलनयन भगवान का स्मरण करता है, वह बाहर और भीतर से सर्वथा पवित्र हो जाता है।

!! जय श्रीमन्नारायण !!

राहु और केतु ग्रह हेतु श्रीगणेश और खाटु श्याम बाबा की आराधना उत्तम मानी जाती है।बाकी स्वस्थ रहें मस्त रहें।🔆जय विघ्नहर्त...
20/04/2022

राहु और केतु ग्रह हेतु श्रीगणेश और खाटु श्याम बाबा की आराधना उत्तम मानी जाती है।

बाकी स्वस्थ रहें मस्त रहें।

🔆जय विघ्नहर्ता🔆

19/04/2022

अक्सर जानकारी के अभाव मे प्राकृतिक भीमसेनी कर्पूर की जगह हवन-पूजन और औषधीय प्रयोगों मे रासायनिक कर्पूर का उपयोग कर लिया जाता है जो उचित नही!इसी संदर्भ मे वह मूलभूत अंतर बताता विडियो जिसके माध्यम से आप आसानी से प्राकृतिक कर्पूर पहचान सकेंगे और यह जानकारी अधिक से अधिक शेयर भी करें।

!! जय सोमनाथ !!

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।को करि तर्क बढ़ावै साखा ।।अस कहि लगे जपन हरि नामा।गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ।।!! जय रघुनंदन जय...
19/04/2022

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा ।।
अस कहि लगे जपन हरि नामा।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ।।

!! जय रघुनंदन जय सियाराम !!

ऋतु परिवर्तन की वजह से अक्सर सर्दी-जुखाम की समस्या होती है।इसका कारण होता है शरीर मे जल की मात्रा का बढ़ जाना।शरीर से जल...
18/04/2022

ऋतु परिवर्तन की वजह से अक्सर सर्दी-जुखाम की समस्या होती है।इसका कारण होता है शरीर मे जल की मात्रा का बढ़ जाना।शरीर से जल का ओवरफ्लो होने लगता है,जल ही कफ बनकर बाहर निकलने लगता है।इसके लिए जल की मात्रा कम करके तथा भोजन में परिवर्तन कर समाप्त किया जा सकता है।

-दूध में हल्दी,कालीमिर्च व अदरक को डालकर उबालकर पी लो।

-तुलसी,कालमेघ के पत्तों का काढ़ा,काली मिर्च डालकर उबालकर पी लो। यह को-*रोना को भी जड़ से ठीक कर देती है।

-इसके साथ ही मुलेठी का काढ़ा, बहेड़ा का चूर्ण,ये जमे हुए कफ को बाहर निकाल देता है।

शरीर एक एडवांस साइंटिफिक मशीनरी की तरह काम करता है,जो शरीर के लिए उपयोगी न हो उसे खाँसकर बाहर निकालता है,इसलिए यह प्रक्रिया अच्छे के लिए ही होती है।

स्वस्थ रहें मस्त रहें!

!! जय बाबा वैद्यनाथ !!

गौमाता अर्थात् साक्षात् 33 कोटि देवी-देवता की प्रतिनिधि।गोवंश की सेवा यानि गौमाता की सेवा से सभी 33 कोटि देवी-देवता के ल...
17/04/2022

गौमाता अर्थात् साक्षात् 33 कोटि देवी-देवता की प्रतिनिधि।गोवंश की सेवा यानि गौमाता की सेवा से सभी 33 कोटि देवी-देवता के लिए किए जाने वाले यज्ञ जितना पुण्य फल मिलता है।गौमाता के सींगो मे विष्णु और महेश विराजित हैं,तो गले मे राहू और केतु।आँखो में सूर्य व चंद्र विराजित हैं तो मूत्र मे गंगाजी व गोबर मे महालक्ष्मी समेत 33 प्रकार के देवी-देवताओ का वास गौमाता मे होता है।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं – “गवां मध्ये वसाम्हम्।।” अर्थात् मैं गौ के मध्य ही बसता हूँ। गौ माता के मुख मे वेदो का वास होता है।गोवंश के पीठ मे सूर्यकेतु नाड़ी पाई जाती है जो सूर्य की दैवीय ऊर्जा को सीधे ग्रहण करती है।गौमाता की सेवा से सभी तरह के ग्रह जनित दोष का निवारण हो जाता है।अतः गोवंश की सेवा सीधे ही त्रिदेव समेत सभी देव-देवियों की सेवा है।ऐसे मे यदि गोवंश की सेवा सीधे न प्राप्त हो अर्थात् गौपालन न कर पाएं तो गौ सेवा किस प्रकार की जाए इसी विषय को इस लेख के माध्यम से जानें।

यदि गोवंश की सेवा घर मे रखकर नही कर सकते हैं तो नीचे वर्णित प्रकारों के द्वारा द्वारा गौमाता की सेवा की जा सकती है –

✴क्रियात्मक गौ सेवा✴

गौमाता की क्रियात्मक सेवा तन से होती है।जैसे आस-पास की गौशाला मे जाकर सफाई करना।गौ माता को स्नान कराना,उनके शरीर को ब्रश आदि से साफ करना।गौ माता की मालिश करना।गोवंश को ताजा हरा गोग्रास,पानी,रोटी,गुड़ आदि परोसना उनकी क्रियात्मक गौ सेवा अंतर्गत सेवा होगी।

✴रचनात्मक गौ सेवा✴

पूजा,उपासना,हवन-यज्ञ आदि मे, भोजन व आहार में गौमाता के पञ्चगव्य उत्पादों का उपयोग करना।अपनी आय का एक अंश गौसेवा मे लगाना।परिचित लोगों को भी पञ्चगव्य उत्पादो के लिए प्रेरित करना।गौ सेवा हेतु अन्यो को भी प्रेरित करना आदि गोवंश की रचनात्मक गौ सेवा होती है।

✴सृजनात्मक गौ सेवा✴

गोचर गोभूमि को गौमाता के लिए आरक्षित करवाना तथा उसका विकास करना।भारतीय गोवंश के संवर्धन के लिए कार्य करना।पञ्चगव्य विनियोग के लिए कार्य करना(संकलन,वितरण)आदि।

✴भावनात्मक गौ सेवा✴

अपने इष्ट आराध्य देव देवी से प्रार्थना करना गौरक्षा,गौसेवा,गौपालन के लिए।यह विचार करना की गौमाता का गोवंश सुखी हो,दुखी न हो आदि, भावनात्मक गौ सेवा के अंतर्गत आते हैं।
गौमाता की इन प्रकारो मे से किसी भी तरह की नित निरंतर सेवा करने से बड़े से बड़े यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है।इसका कारण है गोवंश मे समाहित 33 कोटि देवी देवता।यज्ञ आदि के माध्यम से हम देवताओ को हविष्य प्रदान कर भोग लगाते हैं जबकि गौमाता को गोग्रास देने मात्र से यज्ञ मे अर्पित हविष्य जैसा पुण्य मिलता है।
जीवन की हर बाधा,हर तनाव,हर समस्या का समाधान है गौमाता क्योंकि ये साक्षात् प्रतीक हैं ईश्वर की।आज संसार मे जो भी दुःख,संकट और पीड़ा छाई है तो उसका कारण भी गोवंश की उपेक्षा ही है।

✴सतयुग मे सबसे अमूल्य धन थी हमारी गौमाता ✴

वेदो और सृष्टि की रचना के बाद पृथ्वी पर सबसे अमूल्य धन थी गौ माता।ऋग्वेद मे इसे ‘अघन्या’ अर्थात् जिसे मारा न जा सके बताया गया है।गोवंश की संख्या के आधार पर धनिक और निर्धन की गणना होती थी।बड़े-बड़े युद्ध भी गौमाता के लिए लड़े जाते थे।गोवंश का वध महा पाप और कठोरतम दण्ड का कृत्य था।भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं मुझे पाना है तो गौ सेवा करो मै उनके ही बीच बसता हूँ!

!! जय श्रीराधे जय श्रीकृष्ण !!

"सब सुख लहैं तुम्हारी सरना,तुम रक्षक काहू को डरना।"आंजनेय, पवनपुत्र, महावीर, रामदूत,भक्ति की पराकाष्ठा  रुद्रावतार श्रीह...
16/04/2022

"सब सुख लहैं तुम्हारी सरना,तुम रक्षक काहू को डरना।"

आंजनेय, पवनपुत्र, महावीर, रामदूत,भक्ति की पराकाष्ठा रुद्रावतार श्रीहनुमान जी के जन्मोत्सव की सभी को अनंत कोटि शुभकामनाएँ।

!! जय श्रीराम !!

कर्तव्यनिष्ठता,प्रेम,धर्म और भावनात्मक विश्वास व समर्पण ये पाँच स्तम्भ है।!! शुभ प्रभात !!
15/04/2022

कर्तव्यनिष्ठता,प्रेम,धर्म और भावनात्मक विश्वास व समर्पण ये पाँच स्तम्भ है।

!! शुभ प्रभात !!

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