डा.ए के सिंह

डा.ए के सिंह Consultant in Ayurveda
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20/10/2025

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अपनी ही बाडी से बलात्कारपंजाबी फिल्म और बॉडीबिल्डिंग इंडस्ट्री के जाने-माने कलाकार वरिंदर घुम्मन का कार्डियक अरेस्ट के क...
10/10/2025

अपनी ही बाडी से बलात्कार

पंजाबी फिल्म और बॉडीबिल्डिंग इंडस्ट्री के जाने-माने कलाकार वरिंदर घुम्मन का कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। वरिंदर घुम्मन बाजू का माइनर ऑपरेशन करवाने के लिए फोर्टिस अस्पताल अमृतसर गए थे। वह अकेले ही जालंधर बस्ती शेख स्थित घर से निकले थे। क्योंकि यह माइनर ऑपरेशन था जिसमें डे केयर में ही काम होना था। इसलिए उनको आज ही वापस आना था, लेकिन अचानक उनको कार्डियक अरेस्ट आ गया और मौत हो गई।

मतलब साफ है। सिक्स पैक दिखाने वाले बाडी बिल्डर भी स्वस्थ नहीं होते। बल्कि बाडी बनाने के क्रम में कई तरह के फूड सप्लीमेंट लेते हैं जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होते हैं। यही कारण है कि जिम जाने वाले व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों की तुलना में कार्डियक अरेस्ट से मरने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। अतः अपने शरीर का बलात्कार न करें अन्यथा शरीर कभी भी धोखा दे देगा। आगे आपकी मर्जी.....

उदाहरण के लिए बाडी बिल्डर द्वारा क्रिएटीन का सेवन किया जाता है जो ज्यादा मात्रा में काफी नुकसानदायक होता है 👇
📌Barisic N, Bernert G, Ipsiroglu O, Stromberger C, Müller T, Gruber S, et al. (June 2002). "Effects of oral creatine supplementation in a patient with MELAS phenotype and associated nephropathy". Neuropediatrics. 33 (3): 157–61. doi:10.1055/s-2002-33679. PMID 12200746. S2CID 9250579.

📌Thorsteinsdottir B, Grande JP, Garovic VD (October 2006). "Acute renal failure in a young weight lifter taking multiple food supplements, including creatine monohydrate". Journal of Renal Nutrition. 16 (4): 341–5. doi:10.1053/j.jrn.2006.04.025. PMID 17046619

📌Taner B, Aysim O, Abdulkadir U (February 2011). "The effects of the recommended dose of creatine monohydrate on kidney function". NDT Plus. 4 (1): 23–4. doi:10.1093/ndtplus/sfq177. PMC 4421632. PMID 25984094.

🌿✨ ✨🌿

स्वस्थ रहने के लिए अप्राकृतिक तरीके न अपनाएं। आयुर्वेद अपनाएं। आयुर्वेद केवल उपचार पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है – जहाँ भोजन ही औषधि है और जीवनशैली ही स्वास्थ्य का मूलमंत्र। अतः
✔️ दिनचर्या और ऋतुचर्या को अपनाएँ
✔️ प्राकृतिक आहार और योग-साधना से जीवन को संवारें
✔️ रोगों से बचाव और स्वास्थ्य संवर्धन हेतु आयुर्वेद को जीवन का हिस्सा बनाएँ।

डा अजीत कुमार सिंह
आयुर्वेद विशेषज्ञ (एम.डी.)
SH-8/3-19B, राम जानकी धाम कालोनी
गिलट बाजार, शिवपुर बाईपास, वाराणसी।

ओवर द काउंटर आयुर्वेदिक दवाओं से बचें किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करें।😊🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩😊
12/09/2025

ओवर द काउंटर आयुर्वेदिक दवाओं से बचें
किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करें।

😊🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩😊

कुछ शराबखोर मित्र रेड वाइन को हृदय के लिए रेस्वेराट्रॉल के कारण लाभप्रद बताते हैं तो वे एक तथ्य बताना भूल जाते हैं कि रे...
27/07/2025

कुछ शराबखोर मित्र रेड वाइन को हृदय के लिए रेस्वेराट्रॉल के कारण लाभप्रद बताते हैं तो वे एक तथ्य बताना भूल जाते हैं कि रेड वाइन के 125ml में .03 से 1.02 मिलीग्राम रेस्वेराट्रॉल होता है। अब इस हिसाब से देखा जाये तो 200 मिलीग्राम रेस्वेराट्रॉल के लिए 25000 मिलीलीटर (25 लीटर) रेड वाइन पीनी पड़ेगी।

बात यहीं पर समाप्त नहीं होती। रेस्वेराट्रॉल की bioavailability सिर्फ 0.5% है यानि इस हिसाब से 200 गुना यानि 5000 लीटर रेड वाइन पीनी पड़ेगी तब जाकर शरीर को 200 मिलीग्राम रेस्वेराट्रॉल मिलेगा।

शराब हो या रेड वाइन, दोनों ही मनुष्य के लिए नुकसानदायक हैं। पीएं तो मर्जी है आपकी, आखिर शरीर है आपका....

डा. अजीत कुमार सिंह
एम.डी.(आयु.)
परामर्शदाता -आयुर्वेद
वैदिक स्वास्थ्य, पहड़िया, वाराणसी।
मोबाईल: 9610888990

मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा पोषण स्रोत होता है। इसमें पानी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और आवश्यक एंजाइम होते है...
27/07/2025

मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा पोषण स्रोत होता है। इसमें पानी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और आवश्यक एंजाइम होते हैं जो बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। लेकिन खराब खानपान और पर्यावरणीय प्रदूषण की वजह से मां के दूध में जहरीले तत्व मिल रहे हैं, जो शिशुओं को बीमार कर सकते हैं।

भास्कर द्वारा कराए गई जांच में मां के दूध में डिटर्जेंट, यूरिया, मेलामाइन, फॉर्मेलिन, सल्फेट, और कीटनाशक जैसे पदार्थ मिले। डिटर्जेंट और यूरिया जैसे तत्व दूध में नकली प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं, जो बच्चे के लिए हानिकारक हैं। मेलामाइन एक रासायनिक पदार्थ है जो दूध के पाउडर और डेयरी उत्पादों में मिलता है। यह किडनी रोग और पेट की बीमारियों का कारण बन सकता है। फॉर्मेलिन, जो मछली और सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए इस्तेमाल होता है, मां के शरीर में पहुंचकर दूध को प्रदूषित कर देता है।

ये जहरीले पदार्थ खराब खानपान, प्रदूषित पानी, कीटनाशकों के प्रयोग, और प्रदूषित वातावरण के कारण शरीर में पहुंच रहे हैं। बाहर का तला-भुना और अस्वस्थ भोजन, कीटनाशक दवाओं के उपयोग वाले फल-तरकारी, और प्रदूषित जल सेवन से मां के शरीर में ये हानिकारक तत्व जमा हो जाते हैं, जो बाद में दूध के जरिए शिशु तक पहुंचते हैं।

स्तनपान कराने वाली महिलाएं अपने दूध की गुणवत्ता बनाए रखने और कीटनाशक व अन्य रसायनों से मुक्त रखने के लिए योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लें तो उनके बच्चे का भविष्य और विकास सुरक्षित हो सकेगा।

डा. अजीत कुमार सिंह
एम.डी.(आयु.)
परामर्शदाता -आयुर्वेद
वैदिक स्वास्थ्य, पहड़िया, वाराणसी।
मोबाईल: 9610888990

25/07/2025
हिन्दू धर्म में खास मौकों पर उपवास रखना सदियों से चला आ रहा है जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। व्रत रखने से आत्मशु...
22/06/2025

हिन्दू धर्म में खास मौकों पर उपवास रखना सदियों से चला आ रहा है जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। व्रत रखने से आत्मशुद्धि, आत्मानुशासन और आध्यात्मिक विकास होता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि व्रत रखना शरीर के लिए कितना फायदेमंद होता है। व्रत से शरीर और मन दोनों को लाभ पहुंचाता है। इससे आत्मा शुद्ध होती है और आध्यात्मिक विकास होता है। व्रत रखने से आप में अनुशासन बढ़ता है और इससे आपमें आत्म-विश्वास की वृद्धि होती है।

"...जब मानव शरीर भूखा होता है, तो वह खुद को खा जाता है, जिससे सभी बीमार और बूढ़ी कोशिकाएँ निकल जाती हैं

जब आपका पेट खाली रहता है, तो आपका शरीर सिर्फ़ खाने की लालसा नहीं कर रहा होता है - यह विज्ञान में ज्ञात सबसे शक्तिशाली उपचार प्रक्रियाओं में से एक को सक्रिय कर रहा होता है। इसे ऑटोफैगी कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "स्वयं खाना।" लेकिन घबराएँ नहीं। यह कोई बुरी बात नहीं है। वास्तव में, यह एक प्राकृतिक सेलुलर डिटॉक्स तंत्र है जहाँ आपका शरीर आपकी कोशिकाओं के अंदर क्षतिग्रस्त या पुराने घटकों को तोड़ता है और उनका पुनर्चक्रण करता है। इसे अपने अंदरूनी हिस्सों की वसंत सफाई की तरह समझें। जब आप कई घंटों तक बिना खाए रहते हैं - खासकर 14-16 घंटे के बाद - तो आपके शरीर का इंसुलिन का स्तर गिर जाता है। यह आपकी कोशिकाओं को भोजन पचाने से लेकर अपने आंतरिक गंदगी को साफ करने के लिए प्रेरित करता है। वे निष्क्रिय माइटोकॉन्ड्रिया, गलत तरीके से मुड़े हुए प्रोटीन और विषाक्त पदार्थों को तोड़ना शुरू कर देते हैं, उन्हें उपयोग करने योग्य पदार्थों में बदल देते हैं या उन्हें पूरी तरह से साफ कर देते हैं। परिणाम? आपको ताज़ी, अधिक कुशल कोशिकाएँ मिलती हैं और अल्जाइमर, पार्किंसंस और टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों का संभावित रूप से कम जोखिम होता है।

यह कोई मामूली स्वास्थ्य विचार नहीं है - यह गंभीर शोध द्वारा समर्थित है। डॉ. योशिनोरी ओहसुमी ने ऑटोफैगी कैसे काम करती है, इसकी खोज के लिए 2016 में नोबेल पुरस्कार भी जीता था। अध्ययनों से पता चलता है कि उपवास चक्रों से गुजरने वाले चूहे लंबे समय तक जीवित रहे, उनकी उम्र कम हुई और उनमें बीमारी के लक्षण कम थे। कुछ मानव अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि रुक-रुक कर उपवास करने जैसी प्रथाएँ - 16 घंटे तक कुछ न खाना और 8 घंटे की अवधि में सभी भोजन करना - हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, सूजन को कम कर सकता है और संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ा सकता है। कभी-कभार किया जाने वाला 24 घंटे का उपवास भी कोशिकाओं की सफाई को काफी हद तक बढ़ा सकता है। इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि आपका शरीर ऑटोफैगी से टूटने वाले उत्पादों का पुनः उपयोग करता है। अमीनो एसिड, फैटी एसिड और शर्करा नई कोशिकाओं के निर्माण या आपके शरीर को ईंधन देने के लिए रीसाइकिल हो जाते हैं - जिसका अर्थ है कि कुछ भी बर्बाद नहीं होता है।

ऐसी दुनिया में जहाँ भोजन हमेशा उपलब्ध रहता है, हमारे शरीर को इन प्राचीन जीवित रहने की प्रक्रियाओं को सक्रिय करने का मौका शायद ही कभी मिलता है। हमारे पूर्वज स्वाभाविक रूप से उपवास करते थे जब भोजन दुर्लभ था, और उनके शरीर ने उस समय के दौरान पनपने के लिए खुद को अनुकूलित किया। उपवास का मतलब भूखा रहना नहीं है - यह आपके शरीर को लगातार पाचन से छुट्टी देना है ताकि वह मरम्मत पर ध्यान केंद्रित कर सके। बेशक, यह हर किसी के लिए नहीं है। गर्भवती महिलाओं, कुछ स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों या विशिष्ट दवाओं पर रहने वालों को पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। लेकिन अधिकांश स्वस्थ वयस्कों के लिए, छोटी उपवास खिड़कियां दीर्घकालिक स्वास्थ्य का समर्थन करने का एक सुरक्षित और अविश्वसनीय रूप से प्रभावी तरीका हो सकती हैं। यह सेलुलर स्तर पर रीसेट बटन दबाने जैसा है।

तो अगली बार जब आपको थोड़ी भूख लगे, तो नाश्ता करने में जल्दबाजी न करें। अपने शरीर को वह करने दें जिसके लिए वह बना है - अंदर से बाहर तक सफाई, मरम्मत और कायाकल्प करना। सही मात्रा में भूख शायद सबसे प्राकृतिक दवा हो जिसे हम भूल गए हैं।

17/06/2025

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Food like and not Food!! Part 1

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