17/08/2017
योग की ओर,,,,,,,,,,
1-योगासन,,
स्वस्तिकासान - यह एक ध्यानासन है,जो शुभ एवं मंगल का प्रतीक है।
विधि-आसन पर दोनो पैर को मोड़कर स्थिरता से बैठें।
1-दाहिने पैर के पंजे को बायें घुटने और जंघा के मध्य स्थापित करें। पंजे का तलवा बायीं को स्पर्श करे।
2-बायें पैर को उठाकर दाहिनी पिंडली और जाँघ के मध्य लगाए।
3-बाएँ पैर को सीधा करें।
4-दाएँ पैर को सीधा करें। पूर्व स्थिति में आ जाये।
आसन की स्थिति में मेरुदण्ड को सीधा रखें और किसी भी ध्यान मुद्रा (ज्ञान मुद्रा )का चुनाव करें।
समय -अपनी क्षमता के अनुसार धीरे-धीरे अभ्यास ध्यान के लिए लम्बे समय तक बढ़ाया जा सकता है।
सावधानियाँ-घुटनों में अधिक दर्द की स्थिति में सावधानी रखें।
लाभ-1-ध्यान के लिए उत्तम आसन है।
2-पैरों की झन्झनाहट दूर होती है।
3-शरीर को स्थिरता प्रदान करता है।
4-पसीने की दुर्गन्ध दूर होती है।
ग्रन्थियों पर प्रभाव,,,,,,,
यह आसन करने का प्रभाव मुख्यता गोनाडस ग्रन्थि पर पड़ता है।इसके स्रवो में सन्तुलन पैदा होता है व मानसिक अवसाद दूर होता है ।मैत्री व करुणा के भावों में अभिवृद्धि होती है।