Prachin Tantra Mantra Yantra Aur Jyotish Vidya

Prachin Tantra Mantra Yantra Aur Jyotish Vidya Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Prachin Tantra Mantra Yantra Aur Jyotish Vidya, Astrologist & Psychic, Varanasi.

We provides best spiritual guidance support to all interested and eligible people also gives astrology services, cure and relief from intense problem using ancient therapy of mantra, gemstones and rituals.

लीलावती अप्सरा साधना : जिस व्यक्ति के वैवाहिक, पारिवारिक, सामाजिक जीवन में क्लेश व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो, इस साधना क...
06/02/2022

लीलावती अप्सरा साधना :

जिस व्यक्ति के वैवाहिक, पारिवारिक, सामाजिक जीवन में क्लेश व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो, इस साधना के प्रभाव से उनके वैवाहिक, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में प्रेम सौहार्द की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.
यह एक विशेष साधना है,जिसको सिर्फ चंद्रग्रहण पर ही शुरू किया जा सकता है .
लीलावती साधना करने से जीवन मेँ प्रेम सौँदर्य रस और अंनद प्राप्त होता है।कितने ही रुषि राजा तंत्रिक वेदिक कल से ए साधना करते आ रहे है .
विधी:-
सिद्धी के बाद लीलावती अप्सरा को जब भी बुलाना है तो बस 21 ,11 बार मंत्र जाप कर ले वह तुरन्त आपके सामने होगी।एक बात चद्रग्रहण आरंभ के समय मंत्र जाप किया जाए तो चंद्रग्रहण खातम होते होते अपसरा दर्शन देगी।
गुलाब का दो माला,मिठाई और कुछ फल अप्सरा चित्र के सामने रख कर प्रतिदिन साधना करे।अगर प्रतिदिन दस हजार जाप किया जाए तो साधना 21 दिन के अंदर पुर्ण हो जाता है।

मंत्र : ।। ॐ हूं हूं लीलावती कामेश्वरी अप्सरा प्रत्यक्षं सिद्धि हूं हूं फट् ।।

Get 100% guaranteed black magic removal puja by the most popular and famous black magic removal temple in India online. Remove Evil spirits..

शशि अप्सरा साधना :ये अप्सरायें इतनी आकर्षक होती है कि किसी को भी अपनी सुंदरता के वश में करने की क्षमता रखती है. माना जात...
06/02/2022

शशि अप्सरा साधना :
ये अप्सरायें इतनी आकर्षक होती है कि किसी को भी अपनी सुंदरता के वश में करने की क्षमता रखती है. माना जाता है कि अप्सरायें स्वर्ग में निवास करती है और इनकी कुल संख्या 108 है. ये इंद्र देव की सभा दरबार में नृत्य करती है और उनके आदेशों का पालन करती है. इंद्र देव को जब भी अपने सिंहासन पर कोई ख़तरा नजर आता है तो वो इन्ही अप्सराओं की मदद से राक्षसों, ऋषि मुनियों इत्यादि की तपस्या भंग करने की कोशिश करते है. उनकी आज्ञा का पालन करने के लिये ये अप्सरायें अपना पूरा प्रयास करती है और अधिकतर सफल ही होती है. इसका उन्हें दुष्परिणाम जैसे शाप इत्यादि भी झेलना पड़ता है किन्तु फिर भी ये अपने स्वामी की आज्ञा का उलंघन नहीं करती और यही इनको ख़ास बनाता है.
एक तरह से देखा जाएँ तो अप्सरायें प्रेम का प्रतिक होती है. इनका रूप, इनकी दिव्यता, इनका बोलने चलने का तरीका, इनकी सत्यनिष्ठा इत्यादि सभी इनके प्रेम को ही दर्शाता है. जब भी व्यक्ति अपनी उलझनों में परेशान रहता है या घर के क्लेशों में फंसा रहता है तो वो कहीं ना कहीं दिव्यता को खोजता रहता है. उनकी यही खोज ये अप्सरायें पूरा करती है और जब व्यक्ति इन साधनाओं को करके किसी अप्सरा को सत्य व शुद्ध भावना से प्राप्त करता है तो वो अप्सरा उनके जीवन के सारे दुखों को दूर कर देती है. ऐसी ही एक साधना है जिसे शशि दिव्य साधना के नाम से जाना जाता है. तो आइये जानते है कि शशि दिव्य साधना को किस प्रकार किया जाता है और इसके क्या नियम है.
साधना समय :
दिन : इस साधना के आरम्भ के लिए शुक्रवार को सबसे उचित समय माना जाता है.
प्राम्भ समय : रात 10 बजे, इसे रोजाना रात के 10 बजे ही आरम्भ करें.
अवधि : ये साधना लगातार 8 दिनों तक करनी है.
सामग्री : शशि दिव्या यन्त्र ,हकिक माला ,गुलाब के फुल ,पात्र जैसेकि प्लेट इत्यादि,इत्र ,धुप, आसन
विधि :
इस साधना को आरंभ करने से पहले जरूरी है कि आप खुद को पूर्ण तरह से शुद्ध कर लें और स्नान करके अच्छे कपडे पहने. उसके बाद आप उस कमरे में जाएँ जहाँ आप साधना करने वालें है. आप कमरे में धुप लगाकर कमरे को खुशबूदार करें. अगर आप इत्र इस्तेमाल करते है तो आप अपने वस्त्रों पर कोई आकर्षक महक वाला इत्र भी छिडकें. उसके बाद ही आप आसन को ग्रहण करेंऔर हकिक माला को हाथ में पकड़ लें. साथ ही ध्यान रहे कि आपका मुख उत्तर दिशा की तरफ हो. अब आप 51 बार हकिक की माला का जाप निम्न मंत्र को बोलते हुए करें. ध्यान रहें कि आपको रोजाना इतनी बार ही इस मंत्र को जपना है और पूजा के समय रोजाना आपके पास गुलाब की दो मालायें होना भी बहुत आवश्यक है.
मंत्र : “ॐ ह्लीँ आगच्छा गच्छ शशि दिव्य अप्सरायैँ नमः॥”

जिस दिन आपकी साधना पूर्ण हो जायेगी तो उस दिन शशि अप्सरा आपके सामने प्रकट होगी तब आपको गुलाब की एक माला उन्हें पहनानी है. दूसरी माला को वो अप्सरा आपको पहनायेगी. आप अपनी भावनाओं पर काबू रखें और उनको पूर्ण आदर दें. इसके बाद आप उनके सामने अपनी इच्छा जाहिर करें और आशीर्वाद या वरदान के रूप में मांग लें.

Hire the genuine and powerful witch doctor in USA for witch curse removal. Services are available in Washigton, Texas, Newyork, California, Salt Lake Cities

साक्षात यौवनांगी मदनाक्षी अप्सरा साधना :“साक्षात यौवनांगी मदनाक्षी अप्सरा साधना” सिर्फ गृहस्थों के लिए है,मदनाक्षी बहोत ...
06/02/2022

साक्षात यौवनांगी मदनाक्षी अप्सरा साधना :
“साक्षात यौवनांगी मदनाक्षी अप्सरा साधना” सिर्फ गृहस्थों के लिए है,मदनाक्षी बहोत सुंदर है और साधक वर्ग के लिये उचित सहाय्यता प्रदायक भी है ,मदनाक्षी की उत्पति तो अपने आप मे एक दुर्लभ बात मानी जाती है जो लक्ष्मी तत्व युक्त अप्सरा है,भगवान विष्णुजी सिर्फ एक ही अप्सरा से प्रेम करते है क्यूकी वह उनके मोहिनी रूप की तरहा ही सुंदर है, मदनाक्षी को सर्वांग सुंदरी साधना के नाम से सन्यासियों मे जाना जाता है परंतु सन्यासी इस साधना से वर्जित माने जाते है, मदनाक्षी किसी भी रूप मे साधक को दर्शन देती है वह कोई भी रूप धारण कर सकती है, मदनाक्षी साधना के माध्यम से जीवन का भौतिक क्षेत्र पूर्ण हो जाता है,साधक के जीवन मे धन की कोई भी नहीं होती है, मदनाक्षी साधक को विशेष रूप से धन प्राप्ति के अवसर प्रदान करती है यह कई साधको का अनुभव है,गड़े धन को बाहर निकालने के लिये जिस ज्ञान की आवश्यकता होती है वह ज्ञान मदनाक्षी साधक को प्रदान करती है और साथ मे सहाय्यता भी करती है॰ मदनाक्षी को सिद्ध करने के बाद वह साधको के आवाहन पर कही भी किसी भी समय आती है यह इस अप्सरा की विशेष भूमिका है,इस साधना से आप किसी भी व्यक्ति के मन की बात जान सकते है,भविष्य मे होने वाली घटनाये मदनाक्षी प्रत्यक्ष रूप मे दिखा देती है,इस साधना से काम शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती है,नपुसकत्व व्यक्ति भी जीवन मे पूर्ण पुरुष बन जाता है,इस साधना मे किसी भी प्रकार की अनुभूतिया बताना वर्जित है और कष्टदायक भी है,इस साधना मे सिद्धि 100% मिलती ही है .मदनाक्षी अप्सरा यंत्र जिसे सिर्फ पुर्णिमा के रात्री मे प्राण-प्रतिष्ठित किया जा सकता है तभी वह यंत्र सिद्धिप्रद बनाता है .
मदनाक्षी अप्सरा माला जिसका हर मणि चैतन्य होना चाहिये,बाकी जो भी ४ प्रकार की सामग्री लगती है उन्हे यहा पे लिखना संभव नहीं परंतु जिन साधको की इस साधना मे रुचि है मै उन्हे संपर्क करने के बाद बता दुगा,पूर्ण साधना मे आपको मेरा मार्गदर्शन मिलता रहेगा .

Get 100% guaranteed solutions from the genuine vashikaran specialist in Dubai online. take free tips from our black magic specialist for help.

श्याम्कौर मोहिनी साधना तन्त्र की बेजोड़ साधना : :श्याम्कौर मोहिनी का नाम सुनते ही बड़े बड़े साधक कांप जातें है । इस सिद्...
06/02/2022

श्याम्कौर मोहिनी साधना तन्त्र की बेजोड़ साधना : :

श्याम्कौर मोहिनी का नाम सुनते ही बड़े बड़े साधक कांप जातें है । इस सिद्धि की मदद से आप घर बैठे बैठे किसी की भी खबर माँगा सकते हैं । किसी का भी वशीकरण कर सकते हैं । इस प्रकार का प्रयोग अधिकतर नाथ संप्रदाय में परचलित है ।

विधि :
इस मंत्र को घर से बहार किसी नदी के किनारे सिद्ध करें । वस्त्र कोई भी पहन सकते हैं । किसी भी प्रकार के आसन का इस्तेमाल कर सकते हैं । दिशा का भी कोई बंधन नहीं । अपने साथ दो लड्डू, दो मीठे पान, सात बतासे और मीठे चावल, एक शराब की बोतल, एक दीपक और सरसों का तेल साथ ले जायें । सबसे पहले चावल नदी में प्रवाहित कर दें और सात बार नीचे दिये गए मंत्र का जाप करें ।

मंत्र :- “खवाजा खिजर जिन्दा पीर, पंजे पीर तेरे मदद्गिर सिद्धा नाथा दा सरदार कचिया पाकिया कडाहिया तेरे नाम ॥”

मंत्र जाप के बाद खवाजा खिजर से आज्ञा ले और आसन पर बैठने से पहले अपने चारोँ तरफ एक गोला खींचे । गोला खींचते समय नीचे दिये गए मंत्र का 11 बार जाप करें ॥

मंत्र :- “ आस किलूँ पास किलूँ किलूँ अपनी काया जगदा मसान किलूँ बैठी किलूँ छाया इसर का कोट वर्मा क़ि थाली मेरे घाट पिंड का हनुमान वीर रखवाला ॥”

इसके बाद गुरु पूजन गणेश पूजन करें और उनसे आज्ञा लें । फिर कोई भी रक्षा मंत्र जप लें । फिर रुद्राक्ष क़ि माला से एक माला शिवमंत्र क़ि जपें और शिव से आज्ञा ले । फिर दो लड्डू, पान, पतासे किसी कागज़ के टुकड़े पर रखिएँ और तेल का दीपक जलाएं । शराब से उसके चारोँ तरफ एक गोला बनाएं और बची हुई शराब की बोतल पास में रख दें और 11 माला इस मंत्र क़ि जपें ॥

मंत्र :- “ आई रे श्याम्कौर कहाँ से, आई बागड़ देश से, आई उड़न खटोला उडदी आई, लाल परांदा उडदी आई हंकारी, आई पश्कारी जाई, मेरा कारज न करें तैनू तेरे गुरु दी आन! ॥”

ये ही क्रिया आपको 41 दिन करनी है ।

अंतिम दिन माता को 16 सिंगार चढ़ाएं । लगभग 15 दिन बाद ही आपको ऐसा नज़र आने लगेगा क़ि मोर पर सवार एक बहोत सुंदर स्त्री आसमान से निचे उतर रही है । जाप पूरा होने से पहले किसी भी हालत में गोले से बहार न आये । कई बार कुछ डरावने अनुभव होते हैं । जब अंतिम दिन देवी प्रत्यक्ष हों उनसे सदेव माता रूप में साथ रहने का बचन ले ले । जब कोई विशेष काम हो तो एक माला मंत्र की जपें देवी प्रकट हो जाएगी । अगर इस मंत्र का जाप किसी क़ि तस्वीर के आगे रात में किया जाये तो वोह नींद में चलकर आपके पास आ जायेगा । यदि कोई घर से भाग जाये तो उसके कपड़ों पर इस मंत्र का जाप करें 24 घंटे में वोह घर की तरफ वापस लौट आयेगा । मंत्र से अभिमंत्रित सिंदूर मस्तक पर लगाने से देखने वाला मोहित हो जाता है । पर वशिकरण हेतु इसका दुरुपयोग न करें । यह दृष्टी मात्र से वशिकरण करती हैं । अगर इस मंत्र को जाप कर किसी को देख लिया जाये तो भी वशिकरण होता है । यह देवी सिद्ध होने के बाद सभी कर्मों में सहायता करती है और हर समय साधक के साथ रहती हैं । पर कमज़ोर दिल वाले लोग इस प्रयोग को कभी न करें ॥

Read about dhanda yakshini sadhana and know about dhanda yakshini vashikaran mantra vidhi in hindi telugu tamil, Buy Dhanda Yakshini Yantra Rosary Here Free

मोहम्म्दापीर की सिद्धि मंत्र : बिसिम्लाहिर रहेमार्नि रहिम पायं घूघरा कोटेजंजीर जिस पर खेले मोहम्म्दा पीर सबा मणका तीर जि...
06/02/2022

मोहम्म्दापीर की सिद्धि मंत्र :

बिसिम्लाहिर रहेमार्नि रहिम पायं घूघरा कोटे
जंजीर जिस पर खेले मोहम्म्दा पीर सबा मणका तीर जिस पर
खेलता आबे मुहम्म्दा बीर मार-मार करता आबे बांध-बांध
करता आबे डाकिणी को बांध शाकिणी को बांध बांध पलीत
को बांध नौ नरसिंग को बांध बाबन भैरों बांध
जातका मशाण बांध गुगिया, पितिया, धौलिया, कालिया मसाण
बांध, बांध कुंआ बाबडी लाबो सोती को। लाबो पीसती को
लाबो, लाबो पकाती को लाबो जल्दी जाबो हजरत इमाम हुसैन
की जांघ से निकाल कर ल्याबो। बीणा फातमा के दामन सु
खोलकर ल्याबो नहीं लाबें तो माता का चुंखा चौखा दूध हराम
करें। श्वद सांचा पिण्ड काचा फुरो मंत्र इश्वरो बाचा।।

।। साधना बिधि ।।
साधकों ये साधना किसी योग्य ब्यक्ति की देख-रेख में ही करें क्योंकि इस्को करते समय हरेक प्रकार से साबधानी रखनी पडती है नहीं तो कई संकटों का सामना करना पड सकता है। ये साधना नो-चन्दी जुमेरात रात को की जाती है। किसी निर्जन एकांत स्थान में बेठकर शुरु करनी पडती है। सर्बप्रथम आसन लगाकर बैठ जायें अपने सामने धूप-दीप, अगरबती जलाबें। फिर गुलाब के इत्र से रुई को भिगो कर छोटा सा फोहा अपने कानों में लगा लें और एक इत्र की शीशी तथा सुगन्धित पुष्प माला सामने रखें और नैबेद्य भी चढाबें। अब रख्या मंत्र पढकर अपनी सुरख्या का प्रबन्ध कर लें या आसन पर बैठने से पहले रख्या मंत्र जपते हुये चाकु से घेरा खींच लें। फिर उपरोक्त मंत्र को जपे। जप के समय साधक प्रतिदिन उल्टी माला जपे इसी भांति प्रतिदिन यह साधना करें। समय रात्रि 11 बजे उपरांत का रखें। आप इसको श्मशान या कब्रिस्तान में भी कर सकते हो। लेकिन साबधानी से करे। इसी भांति 31 दिन साधना करते रहने से मोहम्म्द पीर साधक को दर्शन देता है। तब उनको पुष्प माला धारण करबायें और नैबेद्य प्रदान करें और अपनी कामना के अनुसार उनसे बचन प्राप्त कर लें। इसके बाद साधक इस शक्ति से जनकल्याण कर सकता है।

Avijeet astrologer is the great black magic specialist in New Jersey, he is the certified & genuine vashikaran specialist & healer who cures.

सूर्य ग्रहण के समय शाबर मंत्र सिद्ध करने की विधिसूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है चन्द्रमा व पृथ्वी दोनों ग्र...
06/02/2022

सूर्य ग्रहण के समय शाबर मंत्र सिद्ध करने की विधि

सूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है चन्द्रमा व पृथ्वी दोनों ग्रहों के ठीक सामने आने से घटित होता है | ज्योतिष द्रष्टि से ग्रहण काल का समय बहुत महत्व रखता है | सूर्य ग्रहण हो या फिर चन्द्र ग्रहण जब यह घटना होती है तो इनका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है | यह राशियों की स्थिति के अनुसार शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल दे सकता है | अध्यात्म की द्रष्टि से ग्रहण काल का समय साधकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं | सूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्रहण के समय मंत्र साधना/Surya Grahan Mantra Sidh में साधकों को सफलता प्राप्त होती है |

बहुत से साधक लम्बे समय से ग्रहण काल आने का इंतजार करते है ताकि इस समय मंत्र में सिद्धि प्राप्त कर सके | शाबर मंत्र हो या फिर वैदिक मंत्र – ग्रहण काल का समय सभी प्रकार के मंत्रो में सफलता का सुअवसर होता है |
सूर्य ग्रहण का समय :
आने वाली इस तारीख 21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण होने जा रहा है | जिसे भारत सहित – मध्य अफ्रीका – इथियोपिया – पाकिस्तान – चीन और कांगो आदि देशों में देखा जा सकेगा | सूर्य ग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देखना चाहिए, इससे आपकी आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है |

https://aghormantrayantraspecialist.com/black-magic-specialist-in-london/

सूर्य ग्रहण समय : सूर्य ग्रहण 21 जून रविवार को सुबह 10 बजकर 21 मिनट से आरम्भ होकर दोपहर 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगा |

इस प्रकार सूर्य ग्रहण काल की कुल अवधि 3 घंटे 25 मिनट की रहेगी | इस अवधि के अंतराल में यदि कोई व्यक्ति मंत्र जप करता है तो इसका 100 गुना अधिक फल प्राप्त होता है | इस अवधि के मध्य शाबर मंत्र जप से मंत्र में परिपक्वता आती है |

Surya Grahan Mantra Sidh
सूर्य ग्रहण के समय शाबर मंत्र सिद्धि : –
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल का समय अशुभ माना गया है जिसमें मंदिरों के कपाट बंद रहते है | ग्रहण काल के समय किसी भी प्रकार की पूजा-पाठ करना वर्जित माना गया है | किन्तु ग्रहण काल के समय में किये गये यज्ञ और मंत्र जप का पुण्य 100 गुना अधिक प्राप्त होता है ऐसा शास्त्रों में वर्णित है |

आप जिस भी शाबर मंत्र को परिपक्व करना चाहते है उसे अच्छे से कंठस्थ कर ले | जैसे ही सूर्य ग्रहण शुरू होता है आप पूजा स्थान की जगह से अलग किसी अन्य स्थान पर बैठकर सामने घी का दीपक जलाये व हाथ में थोड़ा जल लेकर संकल्प लेकर, शाबर मंत्र जप शुरू कर दे | अब आप लग्भव सवा घंटे लगातार मंत्र जप करें या आप सूर्य ग्रहण की पूर्ण अवधि तक भी मंत्र जप कर सकते है | सूर्य ग्रहण समाप्त होने पर पहने हुए कपड़े के साथ ही स्नान करें | इस प्रकार सूर्य ग्रहण की अवधि में आपके द्वारा किये गये शाबर मंत्र के जप से आप इस मंत्र/Surya Grahan Mantra Sidh में सफलता प्राप्त कर लेते है | अब आप इस शाबर मंत्र का प्रयोग दूसरों के दुःख दूर करने के लिए कर सकते है |

Avijeet Baba is a black magic specialist in London who is also a genius vashikaran specialist astrologer in UK. He gives guaranteed results.

https://aghormantrayantraspecialist.com/vashikaran-specialist-in-jaipur/मंत्र सिद्ध कैसे करें ? मंत्र सिद्धि में सफलता इ...
06/02/2022

https://aghormantrayantraspecialist.com/vashikaran-specialist-in-jaipur/

मंत्र सिद्ध कैसे करें ? मंत्र सिद्धि में सफलता इस प्रकार प्राप्त करें?

एक समय था जब मनुष्य अपने किसी भी कार्य की पूर्णता के लिए मंत्रों का सहारा लेता था | ऐसा करने से उसके कार्य पूर्ण भी होते थे | किन्तु आज के मनुष्य का तो धर्म से ही विश्वास उठता जा रहा है | ऐसे में उन्हें मंत्रों की शक्ति का आभास कराना कल्पना मात्र ही होगा | मंत्र साक्षात् देवों की ही अंश होते है | मंत्र जप द्वारा देवों को खुश करने की परम्परा आदि काल से चली आ रही है | वैसे तो मंत्र अपनी शक्ति कभी नहीं खोते और इनका जप कभी व्यर्थ नहीं जाता | किन्तु यदि संकल्प के साथ किसी भी मंत्र का नियमित रूप से जप किया जाये तो इनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है | संकल्प के साथ व्यक्ति जिस भी कार्य को ध्यान में रखकर मंत्र जप करता है उसे सफलता अवश्य मिलती है |

आज हम आपको किसी भी मंत्र को सिद्ध करने की बड़ी ही सरल और संक्षिप्त विधि के विषय में जानकारी देने वाले है | किसी भी मंत्र को सिद्ध करने के लिए स्वयं पर और अपने ईष्ट देव पर द्रढ़(अटूट) विश्वास होना चाहिए | जितना आप मन को एकाग्र करके मंत्र का जप करेंगे, मंत्र भी अति शीघ्रता से सिद्ध होने लगेगा |

मंत्र सिद्धि में समय की अवधि :
किसी भी मंत्र को सिद्ध करने का समय 21 से 41 दिन का होता है | यदि आपके पास समय का थोड़ा अभाव है तो आप 21 दिन का संकल्प लेकर सुबह और शाम दोनों समय मंत्र जप कर सकते है | अन्यथा आप मंत्र सिद्ध करने का यह कार्य 41 दिन में ही संपन्न करने का प्रयत्न करें तो अधिक उत्तम है | 41 दिन के समय में आप दिन में सिर्फ एक ही निश्चित समय पर मंत्र जप करें | यदि महिलाएं मंत्र सिद्ध करती है तो वे इसे 21 दिन का संकल्प लेकर पूर्ण करने का प्रयास करें | महिलाएं ध्यान दे : इन 21 दिनों में उनको मासिक धर्म नहीं आना चाहिए | वे अपना समय मासिक के बीच का निर्धारित कर मंत्र का संकल्प ले सकती है |

मंत्र सिद्धि में मंत्र जप करने की विधि : –
मंत्र सिद्ध/Mantra Siddhi करते समय जब आप पहले दिन मंत्र जप करते है तो आप मंत्र को मुख से बोलकर करें | जैसे-जैसे आपका मंत्र में रमण होने लगता है अब आप मंत्र को सिर्फ होठों से बुदबुदाना शुरू करें(उच्चारण बिल्कुल धीमे स्वर में करें) | और 4 से 5 दिन के बाद अब आप मंत्र को मन ही मन जप करना शुरू कर दे | मन ही मन मंत्र का उच्चारण सामान्य बोलकर किये गये मंत्र उच्चारण की अपेक्षा 1000 गुना अधिक प्रभावी माना गया है |

मंत्र सिद्ध करते समय सरल व संक्षिप्त पूजा विधि :
आप जिस भी देव या देवी के मंत्र को सिद्ध करने जा रहे है | उस देव या देवी की फोटो को पूर्व दिशा की तरफ एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर ले | आप जिस मंत्र को सिद्ध करने वाले है उस मंत्र को एक पेपर पर साफ-साफ लिखकर फोटो के नीचे रख दे | चौकी के दायें तरफ एक मिटटी के कलश में पानी भरकर रख दे | एक ऐसा नारियल जो बिना पानी का हो और हिलाने पर बजता हो, इस नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसके ऊपर लाल धागा लपेट दे, अब इसे मिटटी के पानी वाले कलश के ऊपर रख दे |

अब जल पात्र के थोड़ा आगे एक मिटटी के दिए में घी का दीपक प्रज्वल्लित करें | अब आप श्री गणेश जी की स्थापना करें | एक मिटटी की डली पर लाल धागा लपेटकर उसे कुमकुम से तिलक करें | अब इसे एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर उसमें इसे रख दे | इस प्रकार से आप गणेश जी स्थापना कर सकते है | गणेश जी को देव की फोटो के ठीक आगे चौकी पर ही रखे |

एक पात्र में जल भरकर साथ में रख ले | दो पात्र में चावल और चीनी भी साथ में रख ले | मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की अभिमंत्रित माला व गौमुखी भी साथ रखे | थोड़ी घास जिसे दूब कहते है लेकर इसे अच्छे से धोकर लाल धागे से नीचे से बांध दे | इसे आप जल के पात्र में रख दे |

अब आप चौकी के सामने आसन बिछाकर बैठ जाए | सबसे पहले सभी दिशाओं और स्वयं को पवित्र करें | दूब(घास) द्वारा जल के सभी दिशाओं में छींटे देते हुए बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैं सभी दिशाओं और स्वयं को इस पूजा के लिए पवित्र करता हूँ | अब पृथ्वी को हाथ से स्पर्श कर हाथ को माथे से लगाते हुए बोले : ॐ आधार भूमे नमः , जन्म भूमे नमः , कर्म भूमे नमः | अब दीपक की तरफ हाथ जोड़ते हुए सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें नमन करें |

अब आप गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका स्मरण करें | और बोले हे गणेश जी आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब सभी देवी व देवतों का समरण करते हुए बोले : सभी देव व देवी आओ व अपना स्थान ग्रहण करें | थोड़े चावल लेकर इन्हें चौकी फोटो के बाए तरफ रखते हुए बोले : हे पित्र देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब आप जिस भी देव या देवी का मंत्र जप कर रहे है उनका आव्हान करें : हे ईष्ट देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो |

अब सभी देव व देवी जिनकी स्थापना हमने की है उनका दूब द्वारा 4 – 4 बार छींटे देते हुए बोले : हे देव मैं आपके पाँव धुलवाता हूँ , हाथ धुलवाता हूँ , आचमन करवाता हूँ और स्नान करवाता हूँ | लाल धागे के 3 छोटे-छोटे टुकड़े गणेश जी को समर्पित करें : यह उनके लिए वस्त्र , उपवस्त्र और यज्ञोपवित है | इसी प्रकार से वरुण देव – पित्र देव और अपने ईष्ट देव को लाल धागे के 3 छोटे -छोटे टुकड़े वस्त्र -उपवस्त्र और याग्योवापित के रूप में समर्पित करें |

अब सभी देवों को चावल – कुमकुम व मीठा समर्पित करें | अब सभी देवों को फिर से जल समर्पित करें | अब हाथ जोड़कर सभी देवों का ध्यान करें |

Mantra Siddhi Sankalp Vidhi :
मंत्र सिद्ध करते समय संकल्प इस प्रकार ले :
यह सब कार्य करने के उपरांत अब आपका मुख्य कार्य आरम्भ होता है | अब आप मंत्र जप के लिए संकल्प ले सकते है | संकल्प इस प्रकार ले : दाए हाथ की हथेली में थोडा जल लेकर बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैं(अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) अपने कार्य की सिद्धि के लिए ….देव के मंत्र जप कर रहा हूँ मेरे कार्य में मुझे सफलता प्रदान करें | ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु |

इस प्रकार से संकल्प लेने के उपरांत आप मंत्र जप शुरू कर सकते है | आप जिनते समय भी मंत्र जप करते है नियमित रूप से उसी संख्या में और उसी समय पर मंत्र जप करें | मंत्र जप पूर्ण होने पर फिर से हाथ में थोड़ा जल लेकर इस प्रकार से बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैंने ये जो मंत्र जप किये है इन्हें मैं अपने कार्य की पूर्णता हेतु श्री ब्रह्म को अर्पित करता हूँ, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु | अब आप अपने आसन का एक कोना मोड़कर अपना स्थान छोड़ सकते है |

41 दिन पूर्ण होने पर एक हवन का आयोजन करें | इस हवन में जितने मंत्र जप आपने 41 दिन की अवधि में कुल संख्या में किये है उनके दशांश भाग से हवन में मंत्र की आहुतियाँ दे | ऐसा करने से आपका मंत्र सिद्ध हो जाता है और आपको अपने कार्य में सफलता भी अवश्य मिलती है | बाद में नियमित रूप से इस मंत्र का जप दो या 5 मिनट के लिए अवश्य करते रहे | ऐसा करने से मंत्र में शक्ति बनी रहती है |

यक्षिणी साधना यक्षिणी साधना भी देव साधना के समान ही सकारात्मक शक्ति प्रदान करने वाली है | आज के समय में बहुत ले लोग यक्ष...
06/02/2022

यक्षिणी साधना

यक्षिणी साधना भी देव साधना के समान ही सकारात्मक शक्ति प्रदान करने वाली है | आज के समय में बहुत ले लोग यक्षिणी साधना को किसी चुड़ैल साधना या दैत्य प्रकर्ति की साधना के रूप में देखते है | किन्तु यह पूर्णरूप रूप से असत्य है | जिस प्रकार हमारे शास्त्रों में 33 देवता होते है उसी प्रकार 8 यक्ष और यक्षिणीयाँ भी होते है | गन्धर्व और यक्ष जाति को देवताओं के समान ही माना गया है जबकि राक्षस और दानव को दैत्य कहा गया है | इसलिए जब कभी भी आप किसी यक्ष या यक्षिणी की साधना/(Yakshini Sadhana) करते है तो ये देवताओं की तरह ही प्रसन्न होकर आपको फल प्रदान करती है |

यक्षिणी साधना के समय, यक्षिणी साधक के समक्ष एक सुंदर, सौम्य स्त्री के रूप में प्रकट होती है | जिस रूप में व जिस भाव से साधक यक्षिणी की उपासना करता है, उसी रूप में यक्षिणी उसे दर्शन देती है | एक स्त्री के रूप में यक्षिणी साधना – एक माँ के रूप में , प्रेमिका के रूप में , बहन के रूप में और पुत्री के रूप में की जाती है | उच्च कोटि के बड़े साधक यक्षिणी साधना/Yakshini Sadhana को एक माँ के रूप में या पुत्री के रूप में करने की सलाह देते है |

Yakshini Sadhana
यक्षिणी साधना के प्रकार :-
शास्त्रों में मुख्य रूप से आठ प्रकार की यक्षिणीयों का विवरण मिलता है | जिन्हें अष्ट यक्षिणी साधना भी कहा गया है | जो कि इस प्रकार से है :

1. सुर सुन्दरी यक्षिणी, 2. मनोहारिणी यक्षिणी, 3. कनकावती यक्षिणी, 4. कामेश्वरी यक्षिणी, 5. रतिप्रिया यक्षिणी, 6. पद्मिनी यक्षिणी, 7. नटी यक्षिणी और 8. अनुरागिणी यक्षिणी।

सुर सुन्दरी यक्षिणी :-
कल्पना के आधार पर सुर सुन्दरी यक्षिणी को सुबसे सुंदर यक्षिणी कहा गया है | इस साधना में सिद्ध प्राप्त होने पर साधक धन-सम्पत्ति और एश्वर्य को प्राप्त करता है | इस यक्षिणी साधना में साधक जिस भाव से और जिस रूप में यक्षिणी की आराधना करता है वह उसे उसी रूप में स्वप्न में आकार दर्शन देती है | जैसे : माँ के रूप में, प्रेमिका के रूप में , पुत्री के रूप में , इनमें से जिस भी रूप में आराधना की जाये, उसी रूप में साधक को यक्षिणी के दर्शन प्राप्त होते है | इस साधना के लिए साधक को इस मंत्र द्वारा साधना करनी चाहिए : ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा ||

मनोहारिणी यक्षिणी :-
इस यक्षिणी साधना में साधक को सम्मोहन शक्ति की प्राप्ति होती है | इस साधना में सफलता प्राप्त करने पर साधक में ऐसी शक्तियां आती है जिसके बल पर वह किसी को भी अपने वश में कर सकता है | इसके साथ ही साधक धन आदि से परिपूर्ण होता है |

मनोहारिणी यक्षिणी साधना मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा ||

कनकावती यक्षिणी :-

कनकावती यक्षिणी साधना/Yakshini Sadhana में सफल होने पर साधक इनता तेजस्वी हो जाता है कि वह अपने विरोधी को भी अपने वश में कर सकता है | इसमें सफल होने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है |

कनकावती यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं हूं रक्ष कर्मणि आगच्छ कनकावती स्वाहा ||

कामेश्वरी यक्षिणी : –

इस साधना में साधक को पौरुष शक्ति प्राप्त होती है | पत्नी सुख की कामना करने पर यक्षिणी साक्षात् पत्नीवत रूप में उपस्थित होकर साधक की इच्छा पूर्ण करती है | इस यक्षिणी की विशेषता यह भी है कि हर वस्तु को प्राप्त करने में यह साधक की सहायता करती है |

कामेश्वरी मंत्र : ॐ क्रीं कामेश्वरी वश्य प्रियाय क्रीं ॐ ||

रति प्रिया यक्षिणी :-
इस साधना में साधक को सौंदर्य की प्राप्ति होती है | साधक को हर समय प्रसन्नता रहती है | रति प्रिया यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ रति प्रिया स्वाहा ॥

पदमिनी यक्षिणी :-
इस साधना में साधक को आत्मविश्वास और आत्मबल की प्राप्ति होती है | ऐसा साधक मानसिक रूप से प्रबल बनता है | हर परिस्थितियों में साधक को डटकर खड़े रहने में उसकी सहायता करती है | पदमिनी यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ रति प्रिया स्वाहा ॥

नटी यक्षिणी :-
इस साधना में सफल होने पर यक्षिणी साधक की हर विकट परिस्थिति में सहायता करती है | हर प्रकार की दुर्घटना से उसकी रक्षा करती है | नटी यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ नटी स्वाहा ॥

अनुरागिनी यक्षिणी :-
इस साधना में सफल होने पर यह यक्षिणी हर प्रकार से साधक को संतुष्ट करती है | धन, मान-सम्मान व अन्य सभी सुखों से साधक को लाभान्वित करती है | साधक की कामना पर यह उसके साथ रास-उल्लास भी करती है | अनुरागिनी यक्षिणी मंत्र : ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ स्वाहा ॥

यक्षिणी साधना करते समय ध्यान देने योग्य : –
यक्षिणी साधना अन्य सभी तंत्र साधनाओं की अपेक्षा थोड़ी कठिन है | इसमें साधक को शारीरिक व मानसिक रूप से क्षति पहुँच सकती है | साधना के दौरान साधक को भोग और वासना के माध्यम से भटकाने के प्रयास किये जा सकते है | कुछ डरावनी अनुभूति भी हो सकती है | इसलिए यक्षिणी साधना/(Yakshini Sadhana) के लिए सबसे जरुरी नियम है कि इसे किसी योग्य गुरु की देख-रेख में संपन्न किया जाये | बिना गुरु के सिर्फ किताबों के सहारे इस साधना को करना, आपको किसी बड़ी मुशीबत में डाल सकता है |

Vashikaran specialist in malaysia & kuala lumpur gives you positive results only.. Our Black magic specialist in Malaysia gives 100% cure.

अष्ट यक्षिणी साधनाजीवन में रस आवश्यक हैजीवन में सौन्दर्य आवश्यक हैजीवन में आहलाद आवश्यक हैजीवन में सुरक्षा आवश्यक हैऐसे ...
30/01/2022

अष्ट यक्षिणी साधना

जीवन में रस आवश्यक है
जीवन में सौन्दर्य आवश्यक है
जीवन में आहलाद आवश्यक है
जीवन में सुरक्षा आवश्यक है
ऐसे श्रेष्ठ जीवन के लिए संपन्न करें
अष्ट यक्षिणी साधना
बहुत से लोग यक्षिणी का नाम सुनते ही डर जाते हैं कि ये बहुत भयानक होती हैं, किसी चुडैल कि तरह, किसी प्रेतानी कि तरह, मगर ये सब मन के वहम हैं। यक्षिणी साधक के समक्ष एक बहुत ही सौम्य और सुन्दर स्त्री के रूप में प्रस्तुत होती है। देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर स्वयं भी यक्ष जाती के ही हैं।
यक्षिणी साधना का साधना के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ है। यक्षिणी प्रेमिका मात्र ही होती है, भोग्या नहीं, और यूं भी कोई स्त्री भोग कि भावभूमि तो हो ही नहीं सकती, वह तो सही अर्थों में सौन्दर्य बोध, प्रेम को जाग्रत करने कि भावभूमि होती है। यद्यपि मन का प्रस्फुटन भी दैहिक सौन्दर्य से होता है किन्तु आगे चलकर वह भी भावनात्मक रूप में परिवर्तित होता है या हो जाना चाहिए और भावना का सबसे श्रेष्ठ प्रस्फुटन तो स्त्री के रूप में सहगामिनी बना कर एक लौकिक स्त्री के सन्दर्भ में सत्य है तो क्यों नहीं यक्षिणी के संदर्भ में सत्य होगी? वह तो प्रायः कई अर्थों में एक सामान्य स्त्री से श्रेष्ठ स्त्री होती है।

तंत्र विज्ञान के रहस्य को यदि साधक पूर्ण रूप से आत्मसात कर लेता है, तो फिर उसके सामाजिक या भौतिक समस्या या बाधा जैसी कोई वस्तु स्थिर नहीं रह पाती। तंत्र विज्ञान का आधार ही है, कि पूर्ण रूप से अपने साधक के जीवन से सम्बन्धित बाधाओं को समाप्त कर एकाग्रता पूर्वक उसे तंत्र के क्षेत्र में बढ़ने के लिए अग्रसर करे।

साधक सरलतापूर्वक तंत्र कि व्याख्या को समझ सके, इस हेतु तंत्र में अनेक ग्रंथ प्राप्त होते हैं, जिनमे अत्यन्त गुह्य और दुर्लभ साधानाएं वर्णित है। साधक यदि गुरु कृपा प्राप्त कर किसी एक तंत्र का भी पूर्ण रूप से अध्ययन कर लेता है, तो उसके लिए पहाड़ जैसी समस्या से भी टकराना अत्यन्त लघु क्रिया जैसा प्रतीत होने लगता है।

साधक में यदि गुरु के प्रति विश्वास न हो, यदि उसमे जोश न हो, उत्साह न हो, तो फिर वह साधनाओं में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। साधक तो समस्त सांसारिक क्रियायें करता हुआ भी निर्लिप्त भाव से अपने इष्ट चिन्तन में प्रवृत्त रहता है।

ऐसे ही साधकों के लिए
'उड़ामरेश्वर तंत्र' मे एक अत्यन्त उच्चकोटि कि साधना वर्णित है, जिसे संपन्न करके वह अपनी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है तथा अपने जीवन में पूर्ण भौतिक सुख-सम्पदा का पूर्ण आनन्द प्राप्त कर सकता है।
'अष्ट यक्षिणी साधना' के नाम से वर्णित यह साधना प्रमुख रूप से यक्ष की श्रेष्ठ रमणियों, जो साधक के जीवन में सम्पूर्णता का उदबोध कराती हैं, की ये है।

ये प्रमुख यक्षिणियां है -

1. सुर सुन्दरी यक्षिणी २. मनोहारिणी यक्षिणी 3. कनकावती यक्षिणी 4. कामेश्वरी यक्षिणी
5. रतिप्रिया यक्षिणी 6. पद्मिनी यक्षिणी 6. नटी यक्षिणी 8. अनुरागिणी यक्षिणी

प्रत्येक यक्षिणी साधक को अलग-अलग प्रकार से सहयोगिनी होती है, अतः साधक को चाहिए कि वह आठों यक्षिणियों को ही सिद्ध कर लें।
सुर सुन्दरी यक्षिणी
यह सुडौल देहयष्टि, आकर्षक चेहरा, दिव्य आभा लिये हुए, नाजुकता से भरी हुई है। देव योनी के समान सुन्दर होने से कारण इसे सुर सुन्दरी यक्षिणी कहा गया है। सुर सुन्दरी कि विशेषता है, कि साधक उसे जिस रूप में पाना चाहता हैं, वह प्राप्त होता ही है - चाहे वह माँ का स्वरूप हो, चाहे वह बहन का या पत्नी का, या प्रेमिका का। यह यक्षिणी सिद्ध होने के पश्चात साधक को ऐश्वर्य, धन, संपत्ति आदि प्रदान करती है।

मनोहारिणी यक्षिणी
अण्डाकार चेहरा, हरिण के समान नेत्र, गौर वर्णीय, चंदन कि सुगंध से आपूरित मनोहारिणी यक्षिणी सिद्ध होने के पश्चात साधक के व्यक्तित्व को ऐसा सम्मोहन बना देती है, कि वह कोई भी, चाहे वह पुरूष हो या स्त्री, उसके सम्मोहन पाश में बंध ही जाता है। वह साधक को धन आदि प्रदान कर उसे संतुष्ट कराती है।

कनकावती यक्षिणी
रक्त वस्त्र धारण कि हुई, मुग्ध करने वाली और अनिन्द्य सौन्दर्य कि स्वामिनी, षोडश वर्षीया, बाला स्वरूपा कनकावती यक्षिणी है। कनकावती यक्षिणी को सिद्ध करने के पश्चात साधक में तेजस्विता तथा प्रखरता आ जाती है, फिर वह विरोधी को भी मोहित करने कि क्षमता प्राप्त कर लेता है। यह साधक की प्रत्येक मनोकामना को पूर्ण करने मे सहायक होती है।

कामेश्वरी यक्षिणी
सदैव चंचल रहने वाली, उद्दाम यौवन युक्त, जिससे मादकता छलकती हुई बिम्बित होती है। साधक का हर क्षण मनोरंजन करती है कामेश्वरी यक्षिणी। यह साधक को पौरुष प्रदान करती है तथा पत्नी सुख कि कामना करने पर पूर्ण पत्निवत रूप में साधक कि कामना करती है। साधक को जब भी द्रव्य कि आवश्यकता होती है, वह तत्क्षण उपलब्ध कराने में सहायक होती है।

रति प्रिया यक्षिणी
स्वर्ण के समान देह से युक्त, सभी मंगल आभूषणों से सुसज्जित, प्रफुल्लता प्रदान करने वाली है रति प्रिया यक्षिणी। रति प्रिया यक्षिणी साधक को हर क्षण प्रफुल्लित रखती है तथा उसे दृढ़ता भी प्रदान करती है। साधक और साधिका यदि संयमित होकर इस साधना को संपन्न कर लें तो निश्चय ही उन्हें कामदेव और रति के समान सौन्दर्य कि उपलब्धि होती है।
पदमिनी यक्षिणी
कमल के समान कोमल, श्यामवर्णा, उन्नत स्तन, अधरों पर सदैव मुस्कान खेलती रहती है, तथा इसके नेत्र अत्यधिक सुन्दर है। पद्मिनी यक्षिणी साधना साधक को अपना सान्निध्य नित्य प्रदान करती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि यह अपने साधक में आत्मविश्वास व स्थिरता प्रदान कराती है तथा सदैव उसे मानसिक बल प्रदान करती हुई उन्नति कि और अग्रसर करती है।
नटी यक्षिणी
नटी यक्षिणी को 'विश्वामित्र' ने भी सिद्ध किया था। यह अपने साधक कि पूर्ण रूप से सुरक्षा करती है तथा किसी भी प्रकार कि विपरीत परिस्थितियों में साधक को सरलता पूर्वक निष्कलंक बचाती है।
अनुरागिणी यक्षिणी
अनुरागिणी यक्षिणी शुभ्रवर्णा है। साधक पर प्रसन्न होने पर उसे नित्य धन, मान, यश आदि प्रदान करती है तथा साधक की इच्छा होने पर उसके साथ उल्लास करती है।
साधना विधान
इस साधना में आवश्यक सामग्री है -
८ अष्टाक्ष गुटिकाएं
अष्ट यक्षिणी सिद्ध यंत्र
यक्षिणी माला
साधक यह साधना किसी भी शुक्रवार को प्रारम्भ कर सकता है। यह तीन दिन की साधना है। लकड़ी के बजोट पर सफेद वस्त्र बिछायें तथा उस पर यंत्र स्थापित करे ।
यंत्र में जहां 'ह्रीं' बीज अंकित है वहां एक-एक अष्टाक्ष गुटिका स्थापित करें। फिर अष्ट यक्षिणी का ध्यान कर प्रत्येक गुटिका का पूजन कुंकूम, पुष्प तथा अक्षत से करें। धुप तथा दीप लगाएं। फिर यक्षिणी से निम्न मूल मंत्र की एक माला मंत्र जप करें, फिर क्रमानुसार दिए गए हुए आठों यक्षिणियों के मंत्रों की एक-एक माला जप करें। प्रत्येक यक्षिणी मंत्र की एक माला जप करने से पूर्व तथा बाद में मूल मंत्र की एक माला मंत्र जप करें। उदाहरणार्थ पहले मूल मंत्र की एक माला जप करें, फिर सुर-सुन्दरी यक्षिणी मंत्र की एक माला मंत्र जप करें, फिर मूल मंत्र की एक माला मंत्र जप करें, फिर क्रमशः प्रत्येक यक्षिणी से सम्बन्धित मंत्र का जप करना है। ऐसा तीन दिन तक नित्य करें।
मूल अष्ट यक्षिणी मंत्र
॥ ॐ ऐं श्रीं अष्ट यक्षिणी सिद्धिं सिद्धिं देहि नमः ॥
सुर सुन्दरी मंत्र
॥ ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा ॥
मनोहारिणी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं आगच्छ मनोहारी स्वाहा ॥
कनकावती मंत्र
॥ ॐ ह्रीं हूं रक्ष कर्मणि आगच्छ कनकावती स्वाहा ॥
कामेश्वरी मंत्र
॥ ॐ क्रीं कामेश्वरी वश्य प्रियाय क्रीं ॐ ॥
रति प्रिया मंत्र
॥ ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ रति प्रिया स्वाहा ॥
पद्मिनी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ पद्मिनी स्वाहा ॥
नटी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ नटी स्वाहा ॥
अनुरागिणी मंत्र
॥ ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ स्वाहा ॥
मंत्र जप समाप्ति पर साधक साधना कक्ष में ही सोयें। अगले दिन पुनः इसी प्रकार से साधना संपन्न करें, तीसरे दिन साधना साधना सामग्री को जिस वस्त्र पर यंत्र बनाया है, उसी में बांध कर नदी में प्रवाहित कर दें।

Address

Varanasi
221005

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Prachin Tantra Mantra Yantra Aur Jyotish Vidya posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram