Panacea Hospital & Diabetes care organization

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डायबिटीज में आपकी किडनी हो सकती है डैमेजमधुमेह (डायबिटीज) वह स्थिति है, जब रक्त में ग्लूकोज (शुगर) की मात्रा बहुत अधिक ह...
02/04/2020

डायबिटीज में आपकी किडनी हो सकती है डैमेज
मधुमेह (डायबिटीज) वह स्थिति है, जब रक्त में ग्लूकोज (शुगर) की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है। ग्लूकोज शरीर का मुख्य ऊर्जा स्रोत है, लेकिन जब रक्त शर्करा(ब्लड शुगर) लंबी अवधि तक ज्यादा रहे, तो यह दोनों किडनियों को नुकसान पहुंचा सकती है।
क्या है डायबिटिक नेफ्रोपैथी
किडनी में अत्यंत सूक्ष्म रक्त वाहिकाएंहोती हैं। ये खून को साफ करने का काम करती हैं, लेकिन डायबिटीज में अधिक शुगर इन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं और धीरे-धीरे व्यक्ति की किडनी काम करना बंद कर देती है। डायबिटीज से ग्रस्त लगभग 30 प्रतिशत लोगों को किडनी की बीमारी (डायबिटिक नेफ्रोपैथी) हो जाती है। किडनी की एक महत्वपूर्ण भूमिका है हमारे शरीर में नमक और पानी के संतुलन को बनाए रखना। शरीर में पानी और नमक की मात्रा को नियंत्रित करके दोनों किडनियां ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखती हैं। डायबिडीज, हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल ब्लड प्रेशर को अनियंत्रित कर सकता है।
ध्यान दें
आम तौर पर किडनी को नुकसान पहुंचने के लक्षण कुछ मामलों में प्रकट हो सकते हैं और कुछ में नहीं। वास्तव में इस बीमारी के लक्षण नजर आने के पांच से दस साल पहले से ही किडनी को क्षति पहुंचनी शुरू हो जाती है
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के कारण हैं...
एक लंबी अवधि के लिए रक्त-शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर का बढ़ा हुआ होना।
अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होना। धूम्रपान करना।
हाई ब्लड प्रेशर नेफ्रोपैथीकी समस्या का प्रमुख कारण है।
डायबिटीज से संबंधित दूसरी समस्या होना। जैसे डायबिटिक रेटिनोपैथी या डायबिटिक न्यूरोपैथी।
डायबिटिक नेफ्रोपेथी का कोई पारिवारिक इतिहास।
डायबिटीज से ग्रस्त रोगी नेफ्रोपैथी की अवस्था से बच सकते हैं, बशर्ते सही समय पर उनकी जांच करवाई जाए। किडनी की क्षति का शुरू में पता लगाने की प्रक्रिया सरल और दर्दरहित है। डायबिटीज का पता लगने के बाद इसकी जांच हर साल करानी चाहिए। डॉक्टर पेशाब परीक्षण करवाते हैं। यदि इस परीक्षण के बाद पता चले कि पेशाब में एल्ब्यूमिन (प्रोटीन) की मात्रा विसर्जित हो रही है, तो यह समझा जाता है कि नेफ्रोपैथी की समस्या उत्पन्न हो रही है।
Dr.ASHUTOSH MISHRA
Diabetocardiologist and Endocrinologist
MBBS, MD (Medicine) IMS,BHU
Ex. HSSR SGPGI Lucknow
Fellowship in Diabetes (DFID) CMC Vellor
Assistant Professor PIIRE
B 36/44 F-K Kabir Nagar Road Near Sanjay Siksha Niketan, Durgakund Rd, Kabir Nagar, Varanasi, Uttar Pradesh 221005
मधुमेह, ग्रंथि, तथा हार्मोन ,ह्रदय रोग ,नेत्र रोग ,हड्डी एवं जोड़ रोग ,महिला एवं प्रसूति रोग ,डेंटल रोग ,फिजियोथेरेपी,फ़ूड-डाइट एंड नुट्रिशन
साथ में रूटीन चेकउप फ्री करवाए | हमारे डायटीशियन फ्री सलहा ले हमारे शरीर को किस तरह के भोजन लेना चाहिए
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कंधे में होने वाले दर्द की वजह कहीं आपके दिल से तो नहीं जुड़ी?हर समय कंधे का दर्द शारीरिक रूप से कमजोर होना या फिर शरीर ...
02/04/2020

कंधे में होने वाले दर्द की वजह कहीं आपके दिल से तो नहीं जुड़ी?
हर समय कंधे का दर्द शारीरिक रूप से कमजोर होना या फिर शरीर पर अतिरिक्त काम के दबाव के कारण हो, ऐसा नहीं है। कई बार कंधे का दर्द बहुत कुछ कहता है। यहां तक कि कंधे का दर्द आपके दिल के दर्द की कहानी भी बयां करता है। कहने का मतलब यह है कि आपके कंधे का दर्द हृदय संबंधी बीमारी की ओर भी इशारा करता है
सामान्यतः कंधों के दर्द की वजह शारीरिक मानी जाती है। थकान या हाथ से बहुत ज्यादा काम करने के कारण कंधों में दर्द होना आम है। आप बालर या बालीबाल खेलने वाले खिलाड़ी से अंदाजा लगा सकते हैं कि ये लोग एक ही दिन में तमाम बार बाल अपने हाथ से फेकते हैं। इससे उनके कंधों में और हाथ में दर्द होना लाजमी है। लेकिन हर बार दर्द की वजह इसे ही समझना हमारी बेकवकूफी हो सकती है। असल में कंधों में दर्द की वजह हृदय संबंधी बीमारी के इजाफ के साथ साथ उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रोल, डायबिटीज आदि की ओर भी इशारा करता है।
हाथ जाम हो जाना
जिन लोगों को हृदय संबंधी बीमारी के कारण कंधों में दर्द होता है, उनके हाथ पूरी तरह जाम हो जाते हैं। यहां तक कि उन्हें सामान्य दर्द से ज्यादा दर्द का अनुभव होता है। यही नहीं वे अपना हाथ नहीं हिला पाते। यदि सही समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे उनके हाथ का दर्द बना रहता है। इसमें जरा भी कमी नहीं आती। जबकि शारीरिक वजह से कंधों के दर्द ऐसे नहीं होते।
फर्क
शारीरिक वजह से हो रहा दर्द और हृदय संबंधी बीमारी की वजह से हो रहे दर्द में खासा फर्क है। सामान्यतः आम मरीज इसे समझ नहीं सकता। लेकिन इसका आसान और सरल सा फर्क यही है कि जिन लोगों के हाथ के दर्द में जर भी कमतरी नहीं होती और हफ्तो यह दर्द चलता है, तो उन्हें समझ लेना चाहिए कि यह दर्द हृदय संबंधी बीमारी की ओर इशारा कर रहा है। इसके अलावा शुगर के बढ़ने से भी ऐसा होता है।
यदि दर्द न जाए
यदि दर्द न जा रहा हो और कई सप्ताह तक दर्द वैसा का वैसा ही बना हुआ है तो बिना देरी किये डाक्टर से संपर्क करें। इसमें किसी तरह के घरेलू इलाज की उम्मीद न करें। इससे कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि यदि शुगर या हृदय संबंधी बीमारी के कारण ऐसा हो रहा है तो इसका पहले लेबोरेटरी से टेस्ट किया जाता है। परिणाम आने के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाता है। विशेषज्ञ इसके लिए दवा का सुझाव देते हैं। साथ ही कुछ खानपान में बदलाव कहते हैं।
Dr. Pallavi Mishra -
Diabetocardiologist and Women Cardiologist
MBBS, MD KGMU (Lucknow)
Echocardiography Specialist
Assistant Professor PIIRE
विशेषज्ञ - ह्रदय रोग
B 36/44 F-K Kabir Nagar Road Near Sanjay Siksha Niketan, Durgakund Rd, Kabir Nagar, Varanasi, Uttar Pradesh 221005
मधुमेह, ग्रंथि, तथा हार्मोन ,ह्रदय रोग ,नेत्र रोग ,हड्डी एवं जोड़ रोग ,महिला एवं प्रसूति रोग ,डेंटल रोग ,फिजियोथेरेपी,फ़ूड-डाइट एंड नुट्रिशन
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Lockdown: घर में तनाव से दूर रहें हार्ट पेशेंट, कॉर्डियोलॉजिस्‍टकोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते संकट को ध्‍यान में रखते...
30/03/2020

Lockdown: घर में तनाव से दूर रहें हार्ट पेशेंट, कॉर्डियोलॉजिस्‍ट
कोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते संकट को ध्‍यान में रखते हुए पूरे देश को लॉकडाउन (Lockdown) कर दिया गया है। जरूरी वस्‍तुओं के अलावा सभी चीजों पर रोक लगा दी गई है। सरकार और हेल्‍थ वर्कर लगातार लोगों को घर में रहने की सलाह दे रहे हैं। ताकि इस महामारी से लोगों की जान बचाई जा सके। मगर हार्ट पेशेंट (Heart Patient) के लिए घर में रहकर खुद की देखभाल कर पाना किसी चुनौती से कम नही है। अगर आप दिल के मरीज हैं या अपके घर-परिवार में कोई व्‍यक्ति हृदय रोग (Heart Disease) से ग्रसित है
क्‍योंकि दुनियाभर में हृदय रोग मौत का सबसे बड़ा कारण है।
हृदय रोगों से जुड़ा डब्‍ल्‍यूएचओ का आंकड़ा:
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार (डब्‍ल्‍यूएचओ), अन्‍य रोगों की अपेक्षा सालाना हृदय रोगों से लोग ज्‍यादा मरते हैं, दुनियाभर में इस वजह से मरने वालों की संख्‍या सबसे अधिक है। वर्ष 2016 में हृदय रोग से अनुमानित 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जो सभी वैश्विक मौतों का 31% था। इन मौतों में से 85% दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण हैं। अधिकांश हृदय रोगों को तंबाकू के उपयोग, अस्वास्थ्यकर आहार और मोटापे, शारीरिक निष्क्रियता और शराब के हानिकारक उपयोग पर रोक लगाकर इसे रोका जा सकता है। हृदय रोग वाले लोग या जिनमें हृदय रोगों का खतरा सबसे ज्‍यादा है जैसे- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हाइपरलिपिडिमिया वाले लोगों को सही परामर्श और दवाओं का उपयोग करके इसका प्रबंधन की आवश्यकता है।
दरअसल, लॉकडाउन के दौरान घर में रहने से आपके तनाव का स्‍तर बढ़ सकता है, इसके अलावा शारीरिक निष्क्रियता हृदय रोगियों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सही नहीं है।
लॉकडाउन के दौरान हृदय रोगियों के लिए विशेषज्ञ की सलाह
लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का एक अच्‍छा निर्णय है। घर में रहने के दौरान हार्ट पेशेंट को ज्‍यादा केयर की जरूरत हो सकती है,
चाहे तो ऑनलाइन वीडियो कॉलिंग करके डॉक्टर से सलाह ले लिया जा सकता है
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किडनी की गंभीर बीमारी है एल्ब्युमेन्यूरिया, डायबिटीज रोगियों को ज्यादा खतराडायबिटीज को खतरनाक बीमारी माना जाता है क्योंक...
30/03/2020

किडनी की गंभीर बीमारी है एल्ब्युमेन्यूरिया, डायबिटीज रोगियों को ज्यादा खतरा
डायबिटीज को खतरनाक बीमारी माना जाता है क्योंकि इसके कारण कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का स्राव बिल्कुल बंद होने के कारण किडनी यानि गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की आशंका काफी बढ़ जाती है। किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो सैकड़ों फंक्शन्स में शरीर की मदद करता है। किडनी हमारे ब्लड को प्यूरीफाई करते हैं और शरीर से गंदगी निकालने में मदद करते हैं। इसलिए किडनी खराब होने से कई बार समस्या गंभीर हो सकती है।
डायबिटीज और किडनी
मधुमेह रोगियों के गुर्दे में कई बार समस्या हो जाती है, जिसके कारण गुर्दा काम करना बंद कर देता है। गुर्दे पर असर पड़ने से हाई ब्लडप्रेशर होना, खून की कमी आदि समस्याएं पैदा हो जाती है। ऐसे में रोगियों को यूरीन टेस्टन करवाने की सलाह दी जाती है। टेस्ट के जरिए यूरीन में प्रोटीन व खून के रिसाव के बारे में पता किया जाता है। इसके अलावा अगर यूरीन में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है तो इससे किडनी फेल होने का खतरा रहता है।
एल्ब्युमेन्यूरिया का खतरा
एल्ब्यूमिन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेशाब का एल्ब्यूमिन स्तर बढ़ जाता है। यह फेफड़े की बीमारी व गुर्दे की बीमारी के जुड़े होने का संकेत हो सकता है, जो कि नेफ्रोपैथी से जुड़ा है। एल्ब्युमिन खून में पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जो मांसपेशियों के निर्माण में, टिशूज को रिपेयर करने में और इंफेक्शन से लड़ने में शरीर की मदद करता है। एल्ब्युमिन आपके खून में होना चाहिए जबकि डायबिटीज के मरीजों में किडनी के खराब होने की वजह से ये यूरिन में घुलने लगता है और पेशाब के सहारे बाहर निकल जाता है। यूरिन में एल्ब्युमिन होने को ही एल्ब्युमेन्यूरिया कहते हैं।
दिल पर भी पड़ता है असर
मधुमेह में आपको अपने खान-पान को लेकर कई तरह की सावधानियां बरतनी होती है क्योंकि इसमें हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। वसायुक्त खाने से कोलोस्ट्रोल बढ़ जाता है जो हृदय के लिए खतरनाक है। जिससे हार्टअटैक या हृदयघात जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। मधुमेह व हृदय रोग एक साथ होना रोगी के लिए काफी घातक होता है।
ब्लड प्रेशर रखें कंट्रोल
ब्लड प्रेशर की निगरानी रखें। यह गुर्दो की क्षति का आम कारण होते हैं। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। 128 से 89 को प्रि-हाईपरटेंशन माना जाता है और इसमें जीवनशैली और खानपान में बदलाव करना होता है। 140/90 से अधिक होने पर अपने डॉक्टर से खतरों के बारे में बात करें।
Dr.ASHUTOSH MISHRA
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Navratri 2020: डायबिटीज और हाई ब्‍लड प्रेशर वाले लोग कैसे रखें नवरात्र व्रतभारतीय संस्‍कृति में व्रत और त्‍योहारों का बह...
28/03/2020

Navratri 2020: डायबिटीज और हाई ब्‍लड प्रेशर वाले लोग कैसे रखें नवरात्र व्रत
भारतीय संस्‍कृति में व्रत और त्‍योहारों का बहुत महत्‍व है। धार्मिक साधना के साथ उपवास हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में भी मदद करता है। नवरात्र में बड़ी संख्‍या में लोग उपवास रखते हैं। उपवास रखने का निर्णय व्‍यक्तिगत है। लेकिन डाय‍बिटीज और हाई ब्‍लड प्रेशर से पीडि़त लोगों को उपवास से जुड़ी स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जटिलताओं को ध्‍यान में रखते हुए ही व्रत रखने का निर्णय लेना चाहिए।
दुष्‍प्रभाव
डायबिटीज वालों को सेहत पर कुछ ज्‍यादा ही ध्‍यान देने की जरूरत है, क्‍योंकि ऐसे लोगों में उपवास के दौरान कई जटिलताएं उत्‍पन्‍न कर सकती हैं जैसे...
शुगर का कम होना
जब रोगी उपवास करते हैं, तो उन्‍हें आम दिनों की तुलना में कई घंटों तक खाली पेट रहना पड़ता है इस वजह से डायबिटीज वालों की शुगर कम हो जाती है, जिसे हाइपोग्‍लाइसीमिया कहते हैं। यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है। शुगर कम होने के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। आमतौर पर 70 mg/dl या इससे नीचे रक्‍त शर्करा आने पर कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं। जैसे- अचानक पसीना आना, शरीर में कमजोरी या कंपन होना, दिल की धड़कनें तेज होना आदि।
हाइपरग्‍लाइसीमिया या हाई शुगर
डायबिटीज वालों को उपवास के दौरान शुगर बढ़ने का खतरा हो जाता है। ऐसे लोग व्रत के दौरान अपनी दवाओं और इंसुलिन का इंजेक्‍शन लेना अक्‍सर छोड़ देते हैं। इस वजह से शुगर का लेवल बढ़ जाता है। उपवास के समय खाए जाने वाले आहार में आमतौर पर कार्बोहाइड्रेट और वसा अधिक होती है। जैसे तली हुई पकौडि़यां, आलू और साबूदाना आदि। इस प्रकार के खाद्य पदार्थ डायबिटीज वालों की शुगर बढ़ा देते हैं।
ऐसे न रखें व्रत
अनियंत्रित ब्‍लड शुगर वाले व्‍यक्ति, इंसुलिन लेने वाले टाइप 1 डायबिटीज वाले व्रत न रखें। इसी प्रकार जिन लोगों को डायबिटीज से संबंधित अन्‍य परेशानी है वह भी नवरात्र में व्रत न रखें।
Dr.ASHUTOSH MISHRA
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एक ही स्‍थान पर देर तक बैठने वाली महिलाओं में बढ़ सकता है हृदय रोग का खतराजो महिलाएं अधिक समय तक बैठी रहती हैं, खासकर जो...
28/03/2020

एक ही स्‍थान पर देर तक बैठने वाली महिलाओं में बढ़ सकता है हृदय रोग का खतरा
जो महिलाएं अधिक समय तक बैठी रहती हैं, खासकर जो मेनोपॉज से गुजर चुकी हैं (Post-menopausal Women) और उनके शरीर का भार अधिक अधिक है या मोटापे से ग्रसित हैं उनमें हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
हृदय रोगों के जोखिम कारक
हाइपरटेंशन, डायबिटिज, मोटापा, असंयमित जीवनशैली, मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम, हाई कोलेस्‍ट्रॉल, बीमारियों का पारिवारिक इतिहास और स्मोकिंग और अल्‍कोहल की लत आदि शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण है कि बायीं ओर चेस्ट पेन या भारीपन, सांस लेने में परेशानी या थकान, पसीने के साथ बैचेनी एवं अचानक बढ़ने-घटने वाले ब्लड प्रेशर को नजरअंदाज नहीं किया जाए।
महिलाओं के हृदय स्‍वास्‍थ्‍य पर उतना ही ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, जितना पुरूषों के स्वास्थ्य पर। समय पर जीवनशैली में किए जाने वाले बदलाव और जरूरी कदम से जोखिम कारकों को टालते हुए समस्याओं से बचा जा सकता है। महिलाओं को हृदय रोगों के संकेतों और जोखिम के प्रति जागरूकता रखते हुए समय परीक्षण और नियमित चेकअप करवाते रहना चाहिए। इसमें संबंधित केस के आधार पर डॉक्‍टर के परामर्श से ईसीजी, स्ट्रेस इको, टीएमटी, ईको और सिटी एंजियो आदि शामिल है।
Dr. Pallavi Mishra -
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बच्‍चों की आदतें जो उनकी कमजोर हो रही आंखों का है संकेतसिरदर्द की शिकायतबच्चों में सिरदर्द कॉमन चीज नहीं है। अगर आपका बच...
28/03/2020

बच्‍चों की आदतें जो उनकी कमजोर हो रही आंखों का है संकेत
सिरदर्द की शिकायत
बच्चों में सिरदर्द कॉमन चीज नहीं है। अगर आपका बच्चा लगातार सिरदर्द की शिकायत करे, पढ़ाई करते या टीवी देखते वक्त सिर में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं। आमतौर पर नजर कमजोर होने का यह पहला लक्षण है।
आंखें मलता है
नींद आने पर या आंखों में किसी छोटी-मोटी तकलीफ से कोई भी आंखें मलता है लेकिन अगर आपका बच्चा दिनभर आंखें मलता है तो यह कमज़ोर नज़र की निशानी भी हो सकती है। इसे नजरअंदाज न करें।
पलकों को तेज़ी से झपकाए
अगर बच्चे को उजाले से परेशानी हो या तेज़ रोशनी देखकर वह अपनी पलकों को तेज़ी से झपकाए तो सावधान हो जाएं। इन सारे लक्षणों का कारण है विटामिन की कमी। उसके आहार में विटामिन ए की मात्रा को बढ़ाएं, इससे पहले कि उसे चश्मा लग जाए।
आंख बंद करके टीवी देखे
जब बच्चा एक आंख बंद करके टीवी देखे या खेलता दिखे तो देर न करें। ये नजर कमजोर होने की पक्की निशानी है। हालांकि इसके पीछे दूसरे कारण भी हो सकते हैं। बच्चे से पूछें कि क्या उसे देखने में दिक्कत हो रही है।
सिर घुमाते रहना
थोड़ी-थोड़ी देर में सिर घुमाते रहना भी नजर कमज़ोर होने का लक्षण है। अगर बच्चा टीवी देखते वक्त बीच-बीच में आंखें बंद कर लेता है तो इसे इग्नोर न करें। किसी अच्छे नेत्ररोग विशेषज्ञ से मिलें। बच्चे को कोई चीज या किताब या टीवी देखने के लिए पास जाकर खड़ा होना पड़े तो ये बताता है कि धीरे-धीरे बच्चे की नजर कमजोर हो रही है। उसे डांटने-डपटने की बजाए डॉक्टर के पास ले जाएं।
Dr.Sunny Kr. Gupta
MBBS, M.S. IMS,BHU
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डायबिटीज के मरीज नजरअंदाज न करें पैरों की जलनडायबिटीज के मरीज को अपनी जीवनशैली और अपने खानपान पर खास नजर रखनी पड़ती है। ...
27/03/2020

डायबिटीज के मरीज नजरअंदाज न करें पैरों की जलन
डायबिटीज के मरीज को अपनी जीवनशैली और अपने खानपान पर खास नजर रखनी पड़ती है। ये तब ज्यादा जरूरी हो जाता है जब ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगे। बढ़ते ब्लड शुगर लेवल से शरीर की की चीजों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। ऐसे में पैरों में कई जगह समस्या पैदा होने लगती है जैसे तलवे की त्वचा में रंग में बदलाव और लालपन। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें कई तरह के शरीर में बदलाव देखने को मिलते हैं। कई बार ब्लड शुगर का लेवल कोशिशों के बाद भी कंट्रोल नहीं होता जिसकी वजह से हमे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
डायबिटीज के मरीज जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ने की ओर रहता है उनके तलवों में अलग-अलग तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके लिए लोग अक्सर परेशान रहते हैं कि तलवों और पंजों के आसपास ऐसा क्यों हो रहा है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है
डायबिटीक न्यूरोपैथी( Diabetic neuropathy)
ब्लड शुगर के सामान्य न रहने पर हमारे शरीर के नसों को खराब करने का काम करता है जिसकी वजह से पैर सुन्न रहने लगते हैं। इसके लिए जल्द से जल्द इलाज की जरूर होती है। अगर आपको अपने पैरों में बार-बार सुन होना महसूस हो तो आप इसके लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं या फिर आप रोजाना इस पर तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको डॉक्टर की बताई डाइट पर ध्यान देना होगा।
डायबिटीज पेरिफैरल न्यूरोपैथी (Diabetic Peripheral neuropathy)
डायबिटीज के दौरान बढ़ते ब्लड शुगर के कारण शरीर में मौजूद नसें खराब होने लगती है। ये पैर, पंजों और तलवों पर सीधा प्रभाव करती है। लेकिन ये पूरे शरीर की नसों को भी नुकसान पहुंचाने का काम करता है। न्यूरोपैथी 4 प्रकार के होते हैं। आपको बता दें कि मरीज को एक बार में एक ही न्यूरोपैथी होती है। पैरिफैरल न्यूरोपैथी काफी ज्यादा लोगों में पाई जाती है। ये सबसे पहले पैरों, पंजों और तलवों को प्रभावित करने का काम करती है। इसके बाद ये हाथ और कंधों में समस्या पैदा करने लगती है।
पेरिफैरल के लक्षण क्या है?
डायबिटीज के मरीजों को वैसे तो काफी मुश्किल हो जाता है कि वो शरीर में किसी चीज को जल्दी पता कर सके। लेकिन इसके कुछ शुरुआती लक्षण हैं जो आपको इसकी भनक पहले ही दे देती है, जिसकी मदद से आप इसका आसानी से पता लगा सकते हैं। इसमें सबसे पहले पैरों या पंजे सुन्न पड़ने लगते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे पाचन तंत्र में परेशानी होने लगती है, दर्द महसूस करने की क्षमता कम होना, ऐंठन और जलन, लगातार वजन कम होना।
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डायबिटीज पेशेंट अपने हृदय की कैसे करें देखभालडायबिटीज वाले वयस्कों में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में हृदय रोग से मरने...
27/03/2020

डायबिटीज पेशेंट अपने हृदय की कैसे करें देखभाल
डायबिटीज वाले वयस्कों में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में हृदय रोग से मरने की संभावना दो से चार गुना अधिक है। यानी, डायबिटीज पेशेंट में हृदय रोगों का खतरा आम लोगों से अधिक होता है।
डायबिटीज न केवल हृदय रोग विकसित करता है, बल्कि यह मस्तिष्क, गुर्दे, पैर, आंखें आदि की धमनियों को सख्‍त बनाता है।
डायबिटीज और हृदय रोग के बीच क्या संबंध है और डायबिटीज के मरीज सामान्य रूप से हृदय रोग से क्‍यों पीड़ित हैं?
डायबिटीज और हृदय रोगों में संबंध क्‍या है?
"डायबिटीज और हृदय रोग, दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। एक पक्ष कहता है कि डायबिटीज हृदय रोग के समान है। अगर आपको डायबिटीज है और कभी हार्ट अटैक नहीं आया है तो आपमें भी हृदय रोग की संभावना बरकरार रहेगी। क्‍योंकि, एक व्‍यक्ति जिसे डायबिटीज नहीं है उसे भी हार्ट अटैक पड़ सकता है।
डायबिटीज पेशेंट को क्‍यों होता है हृदय रोग?
डायबिटीज रोगियों में हृदय रोग से पीड़ित होने का कई कारण हैं। डायबिटीज में उच्च ग्लूकोज का स्तर रक्त वाहिकाओं की क्षमता को कम कर देता है, जिससे धमनियां संकीर्ण होने के साथ दीवरों पर सूजन आ जाती है। इसके अलावा, प्‍लाक के टूटने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। यह प्लेटलेट्स की संरचना और कार्य में असामान्य परिवर्तन का कारण बन सकता है, जिससे रक्त के थक्कों का निर्माण होता है और अंततः दिल का दौरा पड़ता है। इसके अलावा, मधुमेह ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है जो एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे कोरोनरी हृदय रोग होता है।
डायबिटीज रोगी हृदय रोग के एक प्रकार से भी पीड़ित हो सकते हैं, जिसे कार्डियोमायोपैथी के नाम से जाना जाता है, जिसमें दिल का फूलना और बढ़ जाना और कमजोर हो जाना, हृदय की विफलता के रूप में प्रकट होता है।
Dr. Pallavi Mishra -
Diabetocardiologist and Women Cardiologist
MBBS, MD KGMU (Lucknow)
Echocardiography Specialist
Assistant Professor PIIRE
विशेषज्ञ - ह्रदय रोग
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ज्‍यादा काम करने वाले लोगकाम के घंटे लंबे होने से दिल की धड़कन के अनियमित होने का जोखिम हो सकता है। इस अवस्था को आट्रियल...
26/03/2020

ज्‍यादा काम करने वाले लोग
काम के घंटे लंबे होने से दिल की धड़कन के अनियमित होने का जोखिम हो सकता है। इस अवस्था को आट्रियल फाइब्रलेशन कहते हैं। यह स्ट्रोक व हार्ट फेल्योर को बढ़ाने का काम करता है।
सप्ताह में 35 से 40 घंटे काम करते हैं, उनकी तुलना में 55 घंटे काम करने वालों में आट्रियल फाइब्रलेशन के होने की संभावना करीब 40 फीसदी होती है।
“उन लोगों में अतिरिक्त 40 फीसदी जोखिम बढ़ना एक गंभीर खतरा है, जिन्हें पहले ही दूसरे कारकों जैसे ज्यादा उम्र, पुरुष, मधुमेह, उच्च रक्त चाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा धूम्रपान व शारीरिक गतिविधि नहीं करने से दिल के रोगों का ज्यादा खतरा है या जो पहले ही दिल के रोगों से पीड़ित हैं।”
लंबे समय तक काम करने वालों में स्ट्रोक के खतरे की संभावना बताई गई है। आट्रियल फाइब्रलेशन स्ट्रोक के विकास व स्वास्थ्य पर दूसरे प्रतिकूल असर डालता है।
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डायबिटीज रोगियों को क्यों होती है हर समय थकान और आलस की समस्याअक्सर थकान और आलस होने पर हम ये समझ लेते हैं कि ठीक से नीं...
26/03/2020

डायबिटीज रोगियों को क्यों होती है हर समय थकान और आलस की समस्या
अक्सर थकान और आलस होने पर हम ये समझ लेते हैं कि ठीक से नींद न पूरी होने के कारण या ज्यादा खा लेने के कारण हमें आलस आ रहा है। मगर क्या आप जानते हैं कि थकान और आलस डायबिटीज का शुरुआती संकेत हो सकता है?
ज्यादा मरीजों में थकान की समस्या बनी रहती है।
साधारण थकान से जहां सिर्फ आपका शरीर निढाल होता है,
क्या है डायबिटीज में थकान के कारण?
डायबिटीज के मरीजों में थकान और आलस की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर यही माना जाता है कि ब्लड शुगर का ठीक से इस्तेमाल न कर पाने के कारण व्यक्ति के शरीर में ऊर्जी की कमी हो जाती है।
तनाव, चिंता और डिप्रेशन
डायबिटीज का पता चलने पर मरीज हर समय चिंता और तनाव में रहता है। कई बार शुरुआती दिनों में तो कुछ मरीज इतना परेशान हो जाते हैं कि डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। तनाव के कारण उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है और हृदय भी तेज धड़कता है। यही कारण है कि उनके शरीर में उर्जा की कमी बनी रहती है। अध्ययन बताते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को डिप्रेशन का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 3-4 गुना ज्यादा होता है।
इंफ्लेमेशन के कारण
डायबिटीज होने पर शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) की भी समस्या बनी रहती है। इसके अलावा डायबिटीज रोगियों के शरीर में साइटोकाइन्स (cytokines) ज्यादा मात्रा में रिलीज होते हैं। ये ऐसा केमिकल है जो शरीर को आराम करने के लिए बाधित करता है। ये थकान कुछ-कुछ वैसी होती है, जैसी फ्लू या बुखार होने पर महसूस होती है।
हाई ब्लड शुगर के कारण
सिर्फ लो-ब्लड शुगर ही नहीं, बल्कि हाई ब्लड शुगर भी आपकी थकान का कारण हो सकता है। ब्लड शुगर बढ़ने के कारण डायबिटीज रोगियों का खून गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है। इसलिए पूरे शरीर में सही तरह से ब्लड सर्कुलेशन (रक्त प्रवाह) नहीं हो पाता है। अगर शरीर के सभी हिस्सों तक पर्याप्त पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट्स) और ऑक्सीजन नहीं पहुंचेंगे, तो शरीर थकान महसूस करेगा।
कब करें डॉक्टर से संपर्क
अगर आपको थकान के साथ-साथ निम्न लक्षण महसूस हों, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लगातार आलस
सिर दर्द
याददाश्त में कमी
एकाग्रता (कंसंट्रेशन) में कमी
जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
सुबह उठते ही थकान महसूस होना
थोड़ा काम करते ही सांस फूलने लगना आदि।
Dr.ASHUTOSH MISHRA
Diabetocardiologist and Endocrinologist
MBBS, MD (Medicine) IMS,BHU
Ex. HSSR SGPGI Lucknow
Fellowship in Diabetes (DFID) CMC Vellor
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परिवार में किसी को भी हुआ है हार्ट अटैक तो समय रहते कराएं 'जेनेटिक कोलेस्ट्रॉल' जांचशरीर में अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए, तो...
25/03/2020

परिवार में किसी को भी हुआ है हार्ट अटैक तो समय रहते कराएं 'जेनेटिक कोलेस्ट्रॉल' जांच
शरीर में अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए, तो कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों में हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक आदि प्रमुख हैं। ये सभी बीमारियां अनुवांशिक होती हैं, यानी इन बीमारियों के एक पीढ़ी से दूसरी में पहुंचने की संभावना ज्यादा होती है। इस स्थिति को फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Familial Hypercholesterolemia) कहते हैं।
अगर आप सही समय पर अपने जेनेटिक कोलेस्ट्रॉल की जांच करा लें, तो भविष्य में जानलेवा बीमारियों के खतरों से बच सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल शरीर में बनने वाला एक गाढ़ा लिसलिसा पदार्थ होता है, जो कई बॉडी फंक्शन्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मगर कुछ खास प्रकार के कोलेस्ट्रॉल विशेष स्थितियों में आपकी धमनियों में जमा हो जाते हैं और ब्लॉकेज का कारण बन सकते हैं, जिससे रक्त प्रवाह (Blood Circulation) में बाधा आती है और व्यक्ति को हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
जांच कराकर गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं
जिन लोगों के परिवार में पहले किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक या दिल की दूसरी कोई बीमारी हो, उन्हें पहले से सावधान रहना चाहिए।
हाई कोलेस्ट्रॉल की तरफ अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं और न ही इसका इलाज कराते हैं।
क्यों जरूरी है कोलेस्ट्रॉल की जांच
दरअसल कोलेस्ट्रॉल की अधिकता के कारण आप भविष्य में जानलेवा बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। अगर समय रहते आपको यह पता चल जाता है कि आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है या आपको दिल की बीमारी होने की संभावना है, तो आप मेडिकल जांच, दवाओं और डॉक्टर की बताई सलाह द्वारा इस स्थिति को कंट्रोल कर सकते हैं। युवावस्था में ही अगर आप कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल कर लेते हैं, तो आपकी अगली पीढ़ी को इन बीमारियों के होने की संभावना कम हो जाती है।
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